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यंगून म्यांमार : म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बीच आज हिंसा की एक घटना सामने आई है। यहां एक हमले में 12 लोगों की मौत हो गई है जिसमें 9 नागरिक और तीन पुलिसकर्मी शामिल है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, म्यांमार के स्व-प्रशासित क्षेत्र के पूर्व प्रमुख निकाय सदस्य के काफिले पर एक सशस्त्र हमले में शनिवार को नौ नागरिकों और तीन पुलिसकर्मियों समेत कुल 12 लोगों मौत हो गई।
कमांडर-इन-चीफ ऑफ डिफेंस सर्विस ऑफिस द्वारा जारी एक बयान में भी इस बात की पुष्टि की गई है। उनके मुताबिक, म्यांमार के स्व-प्रशासित क्षेत्र के पूर्व प्रमुख निकाय सदस्य के काफिले पर एक सशस्त्र हमले में कम से कम नौ नागरिक और तीन पुलिसकर्मी मारे गए।
एक बयान के मुताबिक, म्यांमार के कोकांग स्व-प्रशासित क्षेत्र के एक पूर्व केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य यू खिन माउंग लविन के नेतृत्व में काफिले पर म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) के 20 सदस्यों के एक समूह ने राजधानी लश्किओ से लउकाई के रास्ते पर हमला किया।
बयान में यह भी बताया गया कि इस हमले में नौ नागरिकों और तीन पुलिस कर्मियों की मौत हो गई और आठ नागरिक और पांच पुलिस कर्मी घायल हो गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने सूचना दी कि इस बीच सेना ने हाल ही में सशस्त्र समूहों के खिलाफ अपने अभियान की निलंबन अवधि 28 फरवरी तक बढ़ा दी है।
म्यांमार 1 फरवरी से ही अशांति में है जब सेना ने आंग सान सू की की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के खिलाफ तख्तापलट किया।
म्यांमार में सविनय अवज्ञा आंदोलन
सैन्य तख्तापलट के शिकार हुए म्यांमार में गांधीवादी सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया है। शुक्रवार को शिक्षकों और छात्रों ने बड़ी रैली कर अपदस्थ नेता आंग सान सूकी के प्रति समर्थन का इजहार किया। विरोध की आवाज को दबाने की नीयत से सैन्य शासन ने सूकी के सहयोगियों समेत दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है। -
म्यांमार में सेना के तख्तापलट के खिलाफ देश की जनता सड़कों पर उतर आई है। जगह-जगह सेना के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है।इन विरोध प्रदर्शनों में जनता के साथ अब मेडिकल स्टाफ भी शामिल हो गया है। 30 शहरों में 70 अस्पतालों में काम करने वाले चिकित्सा विभागों के कर्मचारियों ने बुधवार को तख्तापलट के विरोध में अपना काम करना बंद कर दिया है।
तख्तापलट का विरोध कर रहे समूह ने अपने एक बयान में कहा है कि सेना ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान कठिनाइयों का सामना कर रही एक कमजोर आबादी के ऊपर अपने हितों को थोपा है।
कोरोना वायरस से म्यांमार में अबतक 3,100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। समूह ने बयान में कहा, 'हम नाजायज सैन्य शासन के किसी भी आदेश को मानने से इंकार करते हैं। इससे पता चलता है कि सेना का हमारे गरीब मरीजों के प्रति कोई सम्मान नहीं है।'
यांगून के 29 वर्षीय एक डॉक्टर ने रॉयटर्स को बताया, 'मैं चाहता हूं कि सैनिक अपने स्थानों पर वापस जाएं, इसलिए हम डॉक्टर अस्पतालों में नहीं जा रहे हैं। मेरे पास समय सीमा नहीं है कि मैं कब तक इस हड़ताल को जारी रखूंगा। यह स्थिति पर निर्भर करता है। छात्र और युवा समूह भी इस अभियान में शामिल हो गए हैं।
बता दें कि सेना ने सोमवार को सत्ता पर कब्जा कर लिया था। देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। साथ ही सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के लिए देश में एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया गया है। गत वर्ष नवंबर में म्यांमार में हुए आम चुनाव में आंग सान की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी। सेना ने धांधली के आरोप लगाकर नतीजों को मानने से इन्कार कर दिया था। -
अमेरिका : अमेरिकी के टेक्सास राज्य की राजधानी ऑस्टिन के एक चिकित्सा कार्यालय में कैंसर से पीड़ित भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ (43) ने कुछ लोगों को बंधक बनाने के बाद एक महिला डॉक्टर की गोली मारकर हत्या करने के बाद खुद को भी गोली मार कर खुदकुशी कर ली।
पुलिस ने बताया कि हथियारबंद व्यक्ति की पहचान डॉ भरत नरुमांची के रूप में हुई है जो कैंसर से पीड़ित था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस को मंगलवार को कॉल के जरिए सूचना मिली कि एक व्यक्ति ‘चिल्ड्रेन्स मेडिकल ग्रुप' (CMG) के कार्यालय में हथियार लेकर घुस गया है और उसने कुछ लोगों को बंधक बना लिया है।पुलिस ने कहा कि शुरुआत में कई लोगों को बंधक बनाया गया था लेकिन बहुत से लोग चंगुल से निकलने में कामयाब हो गए और हमलावर ने कैथरीन डॉडसन नामक एक बाल रोग विशेषज्ञ को छोड़कर अन्य को जाने की अनुमति दी।
पुलिस ने कहा कि हमलावर के चंगुल से भाग निकलने में कामयाब रहे लोगों ने घटनास्थल पर अधिकारियों को बताया कि व्यक्ति के पास पिस्तौल है जो शॉटगन जैसी दिख रही थी।पुलिस को डॉ. नरुमांची और डॉ. डॉडसन के बीच किसी प्रकार के संबंध की जानकारी नहीं मिली है। पुलिस विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, “ऐसा लगता है कि डॉ. नरुमांची ने डॉ. डॉडसन की हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली।” घटना की जांच जारी है। -
Earthquake in indonesia: इंडोनेशिया: इंडोनेशिया की धरती एक बार फिर से भूकंप(earthquake) के तेज झटकों से कांप गई है। इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप (sulawesi) में आये भूकंप के तेज झटकों की वजह से अभी तक कम से कम 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, और दर्जनों लोग गंभीर घायल बताए जा रहे हैं।बताया जा रहा है, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 मापी गई है। भूकंप का केन्द्र मजाने शहर से 6 किलोमीटर उत्तर-पूर्व था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भूकंप का केन्द्र धरती से 10 किलोमीटर नीचे बताया गया है। भूपंक के तेज झटके करीब 10 सेकेंड्स तक महसूस किये गए।
आपको बता दें, कि इससे पहले इंडोनेशिया में 2004 और 2018 में भी तेज भूकंप आया था। 2018 में आये भीषण भूकंप में करीब 4300 लोगों की मौत हो गई थी। 2018 में आये भूकंप को रिक्टल स्केल पर 7.5 मापा गया था।वहीं, 2004 में इंडोनेशिया ने भूकंप का सबसे बड़ा दर्द झेला था, जब 2004 में इंडोनेशिया की धरकी काफी देर तक भूकंप के तेज झटकों से कांपती रही थी। 2004 में आये भीषण भूकंप में करीब सवा दो लाख लोगों की मौत हो गई थी।वहीं, लाखों लोग गंभीर घायल भी हुए थे। उस भूकंप का खौफ आज तक लोग भूल नहीं पाएं हैं। 2004 में भूकंप की तीव्रता 9.1 मापी गई थी। वहीं, इस बार भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई है। -
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. बयान में यह कहा गया है कि 42 वर्षीय मैक्रों सात दिनों के लिए खुद को अलग कर लेंगे और काम जारी रखेंगे.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. वहां के प्रसिडेंशियल पैलेस, जिसे एलेसी के नाम से जाना जाता है, उसने एक बयान जारी कर गुरुवार को यह बताया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो के बाद संक्रमित दुनिया के बड़े नेताओं में इमैनुअल मैक्रों का ताजा नाम आया है.
बयान में यह कहा गया है कि 42 वर्षीय मैक्रों सात दिनों के लिए खुद को अलग कर लेंगे और काम जारी रखेंगे. गौरतलब है कि फ्रांस में कोरोना संक्रमण के अब तक 24 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जबकि यहां पर 59 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है.
1 करोड़ 73 लाख से ज्यादा कोरोना के मामलों के साथ अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमितों देशों की सूची में पहले स्थान पर है, और 3 लाख 14 हजार से ज्यादा लोगों की वहां पर मौत हो चुकी है. भारत में कोरोना संक्रमण के अब तक 99 लाख 51 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि 1 लाख 44 हजार से ज्यादा की जान जा चुकी है.
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वाशिंगटन : अमेरिका में कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच सोमवार को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की खेप राज्यों को पहुंचाई जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में वैक्सीन ऑपरेशन के हेड जनरल गुस्ताव पर्ना ने कहा है कि खुराक की शुरुआती खेप सोमवार की सुबह से राज्यों में पहुंचाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सोमवार को 145 वितरण केंद्रों पर यह वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी।
425 केंद्रों पर मंगलवार को और बुधवार को 66 केंद्रों तक पहुंचाई जाएगी। रविवार को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की पहली शिपमेंट मिशिगन को हासिल हो जाएगी।
डॉ. लीना वेन ने कहा, हमारे लिए एक यादगर क्षण
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने कोरोना वायरस वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए अधिकृत किया है। इसके तहत 16 साल के उम्र वाले किशोरों और बुजुर्गों के लिए यह प्राथमिकता के तौर पर मुहैया होगी।आपातकालीन चिकित्सक डॉ. लीना वेन ने कहा कि अमेरिका में हर रोज बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस से लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन अब इससे निपटने के लिए हमारे पास वैक्सीन है। उन्होंने कहा कि हमने रिकॉर्ड समय में टीका विकसित किया है, जो समय के साथ वास्तव में हमें बचा सकता है। यह वैक्सीन दुनिया को इस भयानक महामारी से बचा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए एक यादगर क्षण है।
मॉडर्ना द्वारा बनाई गई वैक्सीन की 10 करोड़ डोज खरीदेगी सरकार
इसके अलावा ट्रंप प्रशासन अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी मॉडर्ना द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ अतिरिक्त डोज खरीदेगी। ट्रंप प्रशासन कंपनी से पहले ही अनुबंध कर चुका है। कंपनी द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान के मुताबिक करोड़ डोज दिसंबर अंत तक सरकार को उपलब्ध करा दी जाएगी। शेष आठ करोड़ डोज अगले वर्ष की पहली तिमाही तक उपलब्ध होगी।अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा मंत्री एलेक्स अजार ने कहा कि जून 2021 तक मॉडर्ना से 10 करोड़ अतिरिक्त वैक्सीन मिलना ऑपरेशन 'वार्प स्पीड' को और मजबूत करता है। इस नए अनुबंध से प्रत्येक अमेरिकी हम यह विश्वास दिला सकेंगे कि उसके लिए हमारे पास वैक्सीन है। मॉडर्ना ने वैक्सीन के आपातकालीन मंजूरी के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में आवेदन कर रखा है। -
काबुल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर रॉकेट से हमला किया गया है। शनिवार तड़के काबुल शहर के विभिन्न इलाकों में एक के बाद एक दस रॉकेट दागे गए हैं।
रॉकेट हमले में एक की मौत हो गई है जबकि दो लोग घायल हुए हैं। इन रॉकेट को लब-ए-जार क्षेत्र से दागा गया है। इसके पहले पुलिस ने कहा था कि ये रॉकेट काबुल के खैरखाना क्षेत्र की तरफ से दागे गए हैं।
अफगानिस्तान के प्रमुख टीवी न्यूज चैनल तोलो न्यूज के मुताबिक कम से कम 10 रॉकेट राजधानी के विभिन्न इलाकों पर दागे गए हैं। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक हमलों में एक व्यक्ति की मौत हुई है जबकि दो घायल हुए हैं।अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के मुताबिक ये रॉकेट लब-ए-जार क्षेत्र की तरफ से दागे गए हैं। राजधानी के जिन क्षेत्रों को इन हमलों में निशाना बनाया गया है उनके शहर के विभिन्न हिस्से जिसमें एयरपोर्ट, पीडी9 का हवाशिनासी क्षेत्र, जन अबाद और पीडी15 का ख्वाजा रवाश क्षेत्र शामिल है।अफगानिस्तान में हाल के महीनों में हिंसा में तेजी आई है। हाल के दिनों में राजधानी काबुल में भी हमले बढ़े हैं। इन हमलों में सरकारी प्रतिष्ठानों, विदेशी नागरिकों के साथ ही पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है। कुछ दिन पहले ही काबुल में एक महिला पत्रकार मलाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। -
एजेंसीजो बिडेन ( Joe Biden ) अमरीका के ऐसे पहले राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जिन्होंने 8 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है।
वॉशिंगटन : अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम ( US Presidential Election Result 2020 ) सामने आ चुके हैं और सियासी घमासान के बीच सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इन सबके बीच डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन ने एक इतिहास रच दिया है।
दरअसल, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन ( President-Elect Joe Biden ) अमरीका के इतिहास में सबसे अधिक वोटों से जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार बन गए हैं। जो बिडेन अमरीका के ऐसे पहले राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जिन्होंने 8 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। हालांकि अभी भी कई जगहों पर वोटों की गिनती जारी है।
इससे पहले कई राष्ट्रपति उम्मीदवारों ने 6 लाख का आंकड़ा पार करते हुए जीत दर्ज की है और राष्ट्रपति बने हैं। लेकिन जो बिडेन ऐसे पहले उम्मीदवार बन गए हैं, जिनके नाम 7 लाख और फिर अब आठ लाख से अधिक वोट हासिल करने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया है।
बिडेन को अब तक 8 करोड़ से अधिक वोट मिले
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो बिडेन को मंगलवार शाम तक 8 करोड़ 11 हजार से अधिक वोट मिल चुके थे। जबकि प्रतिद्वंदी रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को 7 करोड़ 38 लाख वोट मिले थे।
अमरीका के इतिहास में देखें तो अब तक किसी भी राष्ट्रपति उम्मीदवार ने 7 करोड़ के आंकड़े को पार नहीं किया था। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव 2020 में सभी रिकॉर्ड टूट गए। जहां जो बिडेन ने आठ करोड़ के आंकड़े को पार करते हुए सत्ता हासिल की है वहीं, डोनाल्ड ट्रंप भी 7 करोड़ के आंकड़े को पार करने वाले दूसरे राष्ट्रपति उम्मीदवार बन गए हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए 3 नवंबर को हुए मतदान के बाद से अभी भी कई जगहों पर मतगणना का काम जारी है। हालांकि यह सिर्फ औपचारिकता भर है। क्योंकि अभी तक के परिणाम के मुताबिक, जो बिडेन को 306 इलेक्टोरल वोट मिले हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप को 232 इलेक्टोरल वोट मिले हैं। अमरीका के 538 सदस्यों वाली सीनेट में बहुमत के लिए 270 इलेक्टोरल वोटों के समर्थन की जरूरत होती है।
2016 के चुनाव में भी यही थे नतीजे
आपको बता दें कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भी यही थे। यानी कि इलेक्टोरल वोटों की संख्या तो यही थी, बस पार्टी बदल गई थी। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को 306 इलेक्टोरल वोट मिले थे, जबकि प्रतिद्वंदी डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को 232 इलेक्टोरल मत मिले थे।
2016 के राष्ट्रपति चुनाव में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई थी। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से अधिक वोट और वोट प्रतिशत मिले थे, इसके बावजूद वह हार गईं थी।
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डोनाल्ड ट्रंप को 2016 के चुनाव में 62,985,106 मतों (45.9%) के साथ 306 इलेक्टोरल वोट मिले थे, जबकि हिलेरी क्लिंटन को 65,853,625 मतों (48.0%) के साथ महज 232 इलेक्टोरल वोट ही मिले। -
एजेंसीवाशिंगटन : अमेरिका में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने तबाही मचा दी है। यहां एक दिन में कोरोना के 1 लाख 42 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।अमेरिका में बीते 8 दिनों से लगातार कोरोना के एक लाख से अधिक दैनिक मामले सामने आ रहे हैं। इससे अमेरिका में कोरोना की स्थिति गंभीर होती जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से कुछ दिनों पहले से अमेरिका में कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हो गए थे।
समाचार एजेंसी रायटर की कोरोना टैली के मुताबिक, अमेरिका में बीते 24 घंटों में कोरोना के लगातार दूसरे दिन रिकॉर्डतोड़ 1 लाख 42 हजार 279 मामले सामने आए हैं। अमेरिका में पिछले आठ दिनों से हर रोज कोरोना के एक लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही अमेरिका में भर्ती हुए मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अमेरिका में कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या बुधवार शाम तक कम से कम 64,939 हो गई। यह आंकड़ा कोरोना काल के दौरान सबसे ज्यादा है।
अमेरिका में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में 1400 से अधिक की वृद्धि हुई है। पिछले 24 घंटों में अमेरिका में 1464 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू क्युमो ने बुधवार को अमेरिका में कोरोना प्रकोप का केंद्र बने इस राज्य की रक्षा करने के प्रयास में एक नए दौर की शारीरिक दूरी प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं।
अमेरिका के कैलिफोर्निया और मिडवेस्ट राज्य में नई पाबंदियां लगाई गई हैं। न्यूयॉर्क जैसे शहर में तीन फीसद मरीज बढ़ गए हैं। यहां के मेयर ने ट्वीट किया है कि हम सामुदायिक संक्रमण की ओर बढ़ रहे हैं। दूसरी लहर में हम पूरे शहर को बंद नहीं करना चाहते हैं और इसके लिए हमें महामारी को रोकना होगा। अन्य राज्यों में भी कमोबेश यही स्थिति है।
अमेरिका की बात करें तो यहां अब तक कोरोना वायरस के 1 करोड़ 4 लाख मामले सामने आ चुके हैं। अमेरिका में कोरोना से मौतों की संख्या बढ़कर 2 लाख 41 हजार 809 हो चुकी है। -
एजेंसी
अफ्रीकी देश मोजांबिक के काबो डेलडागो प्रांत में कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकियों ने एक फुटबॉल मैदान में 50 से ज्यादा लोगों के सिर कलम कर दिए। इतना ही नहीं उन्होंने उनके धड़ों को टुकड़ों में काट दिया। बर्बरतापूर्ण की गई इस हत्या में कम से कम 15 बच्चे भी शामिल हैं।
रिपोर्टों के अनुसार ये शव गांव के पास के जंगलों और गांव के पास स्थित फुटबॉल मैदान में पाए गए हैं। मोजांबिक की सरकारी मीडिया के अनुसार आतंकवादियों ने सोमवार को कई गांवों में हमला किया। इसके बाद लोगों को फुटबॉल के मैदान में ले गए। यहां क्रूरता के साथ उनकी हत्या की गई।आतंकियों ने महिलाओं और बच्चों का अपहरण कर लिया। एक रिपोर्ट के अनुसार बंदूकधारी आतंकी अल्लाहू अकबर के नारे लगा रहे थे। उन्होंने ग्रामीमों के घरों को भी आग के हवाले कर दिया।
बता दें कि काबो डेलडागो प्रांत में आईएसआईएस आतंकी 2017 से ही ऐसे हमले करते रहे हैं। उस समय 200 से ज्यादा लोगों की हत्या की गई थी। 2017 से अबतक कम से कम 2,000 लोग मारे गए हैं और 4,00,000 से अधिक बेघर हो गए हैं।
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वॉशिंगटन : दुनिया में कोरोनावायरस (Coronavirus US Report) के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में सामने आए हैं. एक्टिव केस के मामले में भी अमेरिका पहले नंबर पर है. अब एक बार फिर कोरोना के जो आंकड़े सामने आए हैं, वो डराने वाले हैं. US में पिछले 24 घंटों में वायरस के दो लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने यह आंकड़े जारी किए हैं. यूनिवर्सिटी शुरुआत से ही देश में कोरोना के मामलों पर नजर बनाए हुए हैं.
मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिका में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 201,961 मामले सामने आए हैं, जोकि एक दिन में सामने आने वाले मामलों का नया रिकॉर्ड है. इस दौरान 1,535 मरीजों की मौत हुई है. US में अब तक कोरोना के 10,238,243 मामले सामने आ चुके हैं और कुल 2,39,588 लोगों की मौत हुई है.
कोरोना के चलते अमेरिका के सभी अस्पतालों में मरीज इलाजरत हैं. अमेरिकी प्रशासन लगातार लोगों से सतर्क रहने की अपील कर रहा है. प्रशासन नागरिकों को सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने और घरों से बाहर निकलने पर मास्क लगाने की हिदायत दे रहा है. अमेरिका की फार्मा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी फाइजर और उसकी जर्मन पार्टनर बायो एनटेक ने बीते सोमवार को घोषणा की थी कि उनकी वैक्सीन कोरोना के इलाज में 90 फीसदी तक कारगर है. -
वाशिंगटन : अमेरिका में राष्ट्रपति पद (US Presidential Election) के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन (Joe Biden) महत्वपूर्ण राज्यों जॉर्जिया और पेनसिल्वेनिया में रिपब्लिकन उम्मीदवार एवं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) से आगे चल रहे हैं. जीत के करीब नजर आ रहे डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा कि हम इस दौड़ में जीतने जा रहे हैं. हम 300 से अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करने की राह पर हैं. बाइडेन ने शुक्रवार को कहा कि वह पद संभालते ही कोरोनावायरस महामारी से निपटने में बिना समय बर्बाद किए जुट जाएंगे.
बाइडेन ने अपने गृहनगर विलमिंगटन में शुक्रवार देर रात एक संबोधन में कहा, "मैं चाहता हूं कि कोरोनावायरस को काबू करने के लिए हम जो योजना पेश करने जा रहे हैं, सभी को पहले दिन से उसके बारे में पता हो." हम इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए पहले ही दिन से अपनी योजना को अमल में लाने जा रहे हैं. बाइडेन ने भरोसा जताया कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हरा देंगे.
बाइडेन ने अपने संबोधन के दौरान, देश को एकजुट करने का संकल्प लिया है. उन्होंने कहा, "चीजों को ठीक करने के लिए यह देश के रूप में एक साथ आने का समय है."
बता दें कि व्हाइट हाउस की रेस जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 538 ‘इलेक्टोरल कॉलेज वोट' में से 270 वोट हासिल करना जरूरी है. चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार कोविड-19 वैश्विक महामारी और गहरे राजनीतिक ध्रुवीकरण समेत कई चुनौतियों का सामना करना होगा. अमेरिका कोरोनावारस से सर्वाधिक प्रभावित देश है. अमेरिका में कोरोनावायरस संक्रमितों का आंकड़ा 96 लाख के पार पहुंच गया है. -
अमेरिका की पल-पल की हलचल पर भारत की निगाहें टिकी हुई हैं. इंतजार इस बात का है कि अगर जो-बाइडेन ट्रंप को व्हाइट हाउस से बेदखल कर देते हैं तो उनकी इस जीत से भारत पर क्या असर पड़ेगा. सवाल उठता है कि अगर जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो क्या भारत अमेरिका के रिश्ते बदल जाएंगे? और चीन, पाकिस्तान, कश्मीर पर क्या राय रहेगी ? यकीनन ये वो सवाल हैं जिनका जवाब इस वक्त भारत सरकार भी तलाश रही होगी. क्योंकि इसी पर भारत अमेरिका के रिश्तों के आगे के रास्ते तय होंगे.
पाकिस्तान पर बाइडेन का कैसा रह सकता है रुख ?
डेमोक्रेटिक नीतियों के मुताबिक जो बाइडेन पाकिस्तान पर उतना सख्त रुख नहीं रखते हैं. हालांकि इससे पहले जब डेमोक्रेटिक के बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब भी पीएम मोदी से उनकी काफी अच्छी दोस्ती थी. लेकिन 8 साल अमेरिका का राष्ट्रपति रहने के बावजूद ओबामा ने पाकिस्तान पर आर्थिक पाबंदियों का शिकंजा नहीं कसा. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि आतंकवाद के मुद्दे पर वो डेमोक्रेट्स ओबामा ही थे जिन्होंने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को ढेर किया था. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि अगर जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो उनका पाकिस्तान को लेकर अब किस प्रकार का रवैया रहेगा.
मोदी सरकार की कई नीतियों के साथ नहीं बाइडेन
जो बाइडेन मोदी सरकार की कई नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं. सीएए और एनआरसी को लेकर भी बाइडेन उंगली उठा चुके हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा में रहने वाले भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे को लेकर भी बाइडेन के रवैये को भारत के लिए बहुत उत्साहवर्धक नहीं कहा जा सकता है. इतना ही नहीं बाइडेन अनुच्छेद 370 खत्म करने को लेकर भी सवाल उठा चुके हैं. हालांकि कश्मीर पर मध्यस्थता की बात पर पीएम मोदी ने ट्रंप को भी साफ शब्दों में कह दिया था - ये आंतरिक मामला है.
कारोबार को लेकर बाइडेन की भारत नीति
जहां तक कारोबार की बात है तो डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन की नीति अमेरिका फर्स्ट की है. ऐसे में बाइडेन की नीतियों से भारत को फायदा कम ही होता नजर आ रहा है. हालांकि बाइडेन अपने बयान में अमेरिका और भारत के मिडिल क्लास को उठाने के लिए कारोबार पर जोर देने की बात कह चुके हैं. वहीं बता दें कि ट्रंप के एच-1 बी वीजा रद्द करने के फैसले का भी बाइडेन ने विरोध किया था. एच-1 बी वीजा रद्द होने से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को नुकसान हुआ है.
चीन के मुद्दे पर भारत के साथ बाइडेन
ट्रंप की तरह बाइडेन भी चीन के विरोध में हैं. सीमा पर आक्रामकता का विरोध करने वाले बाइडेन चीन के मामले को रणनीतिक तौर पर सुलझाने की वकालत करते रहे हैं. इस मामले में बाइडेन समय-समय पर भारत के समर्थन में बयान देते रहे हैं. हाल ही में जब ट्रंप ने भारत को गंदा कहा था तो बाइडेन ने ट्रंप को आड़े हाथों ले लिया था. बाइडेन ने कहा था कि, “ हम भारत से अपनी दोस्ती की कद्र करते हैं. आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ है. हम भारत के साथ मिलकर क्षेत्र में शांति स्थापित करना चाहते हैं जहां चीन या किसी और से अपने पड़ोसी को खतरा ना हो.”
भारत के लिए कैसा रहेगा बाइडेन का राष्ट्रपति बननायहां ये बताना जरूरी है कि जिस पार्टी से बाइडेन आते हैं उसी पार्टी यानी डेमोक्रेट के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौर में ही 1998 में भारत पर पाबंदिया लगाई गयी थीं. उस दौरान भारत में एनडीए सरकार थी यह पाबंदी वाजपेयी सरकार का परमाणु परीक्षण का फैसला लेने की वजह से लगाई गई थी.ऐसे में बाइडेन के राष्ट्रपति बनने पर भारत के लिए कई मुद्दों पर उतार-चढ़ाव नजर आता है. कई मामलों में बाइडेन से भारत को लाभ मिलेगा तो कई मामलों पर बाइडेन की नीतियां भारत के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगी
क्या कहना है एक्सपर्ट का
वहीं विदेश मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि, “राष्ट्रपति ट्रंप की नीति हमेशा अमेरिका फर्स्ट की रही है. ट्रंप अमेरिका के हितों को सुनिश्चित करने में ज्यादा रहे हैं.उन्हे राजनीति का भी ज्यादा अनुभव नहीं रहा. वे पहली बार राजनीति में आए और राष्ट्रपति बने. अगर बाइडेन राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत और अमेरिका के संबंधों में गतिशीलता आ सकती है. भारत और अमेरिका के संबंध साझा मूल्यों पर, साझा चुनौतियों पर आधारित हैं. ये दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के संबंध हैं और ये बाइडेन भी समझते हैं”. -
माली में आतंकियों के ठिकाने पर फ्रांस ने हवाई हमले किए हैं जिसमें कई आतंकी मारे गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस की इस कार्रवाई में अलकायदा के करीब 50 आतंकी मारे गए हैं. फ्रांस ने यह हमला सोमवार को किया.
माली में आतंकियों के ठिकाने पर फ्रांस ने हवाई हमले किए हैं जिसमें कई आतंकी मारे गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस की इस कार्रवाई में अलकायदा के करीब 50 आतंकी मारे गए हैं. फ्रांस ने यह हमला सोमवार को किया.
अलकायदा के आतंकियों पर फ्रांस ने तगड़ा प्रहार किया है. माली में आतंकियों के ठिकाने पर फ्रांस ने हवाई हमले किए हैं जिसमें कई आतंकी मारे गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस की इस कार्रवाई में अलकायदा के करीब 50 आतंकी मारे गए हैं. फ्रांस ने यह हमला सोमवार को किया. फ्रांस ने यह हमला मिराज फाइटर जेट और ड्रोन्स के जरिए किया.
फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने बताया कि इस हमले में आतंकवादियों की करीब 30 मोटर साइकिलें भी नष्ट हो गईं. फ्रांसीसी वायुसेना ने जिस इलाके में हमला किया वो इस्लामिक आतंकियों के कब्जे में था. हमले के दौरान बड़ी संख्या में हथियार भी बरामद किए गए हैं.
हमला करने से पहले ड्रोन के जरिए पूरे हालात की जानकारी ली गई. आतंकी बड़ी संख्या में मोटरसाइकिलों पर सवार होकर तीन देशों की सीमाओं पर थे. ड्रोन से बचने के लिए आतंकियों ने पेड़ का सहारा भी लिया. यह जानकारी पुख्ता होने के बाद फ्रांस ने अपने दो मिराज फाइटर जेट भेजे और आतंकियों पर मिसाइल से हमला किया.
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि चार आतंकियों को गिरफ्तार भी किया गया है. सेना के प्रवक्ता के मुताबिक अलकादा आतंकियों का यह ग्रुप सेना एक अड्डे पर हमले की तैयारी कर रहा था. उनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और आत्मघाती हमले में इस्तेमाल होने वाली जैकेट भी बरामद की गई है.
हाल ही में फ्रांस से झेले हैं कई हमले, मैंक्रो बोले- हम झुकेंगे नहींपैगम्बर मुहम्मद पर कार्टून को लेकर फ्रांस में हाल में हिंसा की कई घटनाएं देखने को मिली हैं. 16 अक्टूबर को, मिडिल स्कूल के शिक्षक, सैमुअल पैटी को 18 वर्षीय मुस्लिम अप्रवासी, अब्दुल्लाख अंजोरोव ने पेरिस के पास एक स्कूल के अंदर मार दिया था.
इसके बाद फिर 29 अक्टूबर को, ट्यूनीशियाई व्यक्ति 21 वर्षीय ब्राहिम औइसाओई ने नीस शहर में नोट्रेडेम बेसिलिका के अंदर तीन लोगों की हत्या कर दी. तीन दिन बाद, ल्योन शहर में एक चर्च के बाहर गोलीबारी में एक ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पुजारी गंभीर रूप से घायल हो गया. वियना में हुए हमले को भी फ्रांस में हुए आतंकी हमले से जोड़कर देखा जा रहा है.
वियना में हुए आतंकी हमले पर सहानुभूति जताते हुए मैंक्रो ने कहा, ''फ्रांस के बाद, हमारे एक मित्र देश पर हमला हुआ है, ये हमारा यूरोप है, हमारे दुश्मनों को पता होना चाहिए कि वे किससे लड़ रहे हैं, हम झुकेंगे नहीं.'' -
एजेंसी
काबुल : अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में गोलीबारी होने की खबर आ रही है। अधिकारियों के मुताबिक पुलिस ने इस विशाल परिसर को घेर लिया है। फिलहाल किसी के घायल होने की तत्काल कोई जानकारी नहीं नहीं है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक आरियान ने बताया कि गोलीबारी जारी है।
किसी भी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले ही महीने इस्लामिक स्टेट ने राजधानी के शिया बहुल दश्त-ए-बार्ची के एक शिक्षण केंद्र में एक आत्मघाती बम हमलावर भेजा था जिसके हमले में 24 विद्यार्थियों की मौत हो गयी थी।
बता दें कि पिछले साल इसी विश्वविद्यालय के गेट पर बम विस्फोट में आठ लोगों की जान चली गयी थी। वर्ष 2016 में बंदूकधारियों ने काबुल में अमेरिकी विश्वविद्यालय पर हमला किया था जिसमें 13 लोगों को मारे गए थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के चारों प्रांतों (काबुल, गजनी, खोस्त और ज़ाबुल) में 23-27 अक्टूबर के बीच विस्फोटों और हमलों में कम से कम 58 नागरिकों की मौत हुई। इस दौरान लगभग 143 से अधिक लोग घायल भी हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के हमलों में मारे गए नागरिकों की संख्या में 2020 के पहले नौ महीनों में छह प्रतिशत बढ़ी है। -
इस्तांबुल : एजियन सागर में शुक्रवार को जोरदार भूकंप आया। इसके झटकों से तुर्की से ग्रीस तक की धरती कांप उठी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.0 मापी गई। तुर्की में इमारतें गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई।भूकंप के चलते घबराहट में लोग सड़कों पर निकल पड़े और इधर-उधर भागने लगे। इस्तांबुल और ग्रीक के समोस द्वीप में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। दोनों देशों में समुद्र में ऊंची लहरें उठने लगीं और तुर्की के इजमिर शहर के कई इलाकों में पानी भर गया।
तुर्की की सरकारी मीडिया ने आपदा और आपातकालीन प्रबंधन के अधिकारियों के हवाले से बताया कि 12 लोगों की मौत हो गई और 419 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि कई जिलों में इमारतें गिरने और मलबे में लोगों के दबे होने की रिपोर्टें आ रही हैं। कई अन्य क्षेत्रों में भी संपत्तियों को आंशिक नुकसान की खबरें हैं। अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव का कार्य जारी है। समोस द्वीप में दीवार गिरने से दो किशोरों की मौत हो गई।
इजमिर के मेयर टंक सोयर ने बताया, 'शहर में लगभग 20 इमारतों के गिरने की खबर है। इजमिर के गवर्नर ने बताया कि 70 लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। मेडिकल के छात्र इल्के साइड भूकंप के समय इजमिर के गुजेलबेक इलाके में थे। उन्होंने कहा कि मुझे भूकंप का बहुत अनुभव है। इसलिए शुरू में मैंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन, इस बार यह डरावना था। उन्होंने कहा कि कम-से-कम 25-30 सेकंड तक झटके आते रहे।'
इजमिर के मेयर टंक सोयर ने बताया कि राज्य में लगभग 20 इमारतों के गिरने की खबर है। इजमिर के गवर्नर ने बताया कि 70 लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। मेडिकल के छात्र इल्के साइड भूकंप के समय इजमिर के गुजेलबेक इलाके में थे। उन्होंने कहा कि मुझे भूकंप का बहुत अनुभव है। इसलिए शुरू में मैंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन, इस बार यह डरावना था। उन्होंने कहा कि कम-से-कम 25-30 सेकेंड तक झटके आते रहे।
भूकंप के बाद शुरुआती घंटों में अफरातफरा मच गई। लोग दहशत के चलते घरों और मीनारों से बाहर निकल आए हैं। दोनों ही देशों के प्रशासन पूरी तरह से सतर्कता और बचाव कार्य पर लगे हुए हैं। यूनान की मीडिया के अनुसार, भूकंप के दौरान सामोस और अन्य प्रायद्वीपों के निवासी अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर भागे। इसके अलावा कई जगहों पर चट्टान गिरने की खबर भी मिली है। -
मॉस्को : रूस में कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल फिलहाल रोक दिया गया है। टीके की ज्यादा मांग और डोज की कमी नए वालंटियर्स में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर अचानक रोक लगा दी गई है। गुरुवार को अध्ययन चलाने वाले फर्म के एक प्रतिनिधि ने बताया कि मॉस्को की महत्वाकांक्षी कोरोना वैक्सीन योजना पर रोक लगाना एक झटका है।
बता दें कि रूस में कोरोना की वैक्सीन स्पुतनिक वी(Sputnik V) का 85% लोगों पर कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया। इस वैक्सीन को तैयार करने वाली गामलेया रिसर्च सेंटर के हेड अलेग्जेंडर गिंट्सबर्ग ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी है। अलेग्जेंडर ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट 15% लोगों पर देखे गए।' Sputnik V के तीसरे चरण के ट्रायल चल रहे हैं।
भारत में रूस की कोरोनो वैक्सीन का ट्रायल मार्च के महीने तक खत्म हो सकता है। रूसी वैक्सीन का भारत में ट्रायल कर रही हैदराबाद की फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डी ने कहा है कि रूसी वैक्सीन के तीसरे चरण का मानव परीक्षण मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।
फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ईरेज़ इजरायल ने कहा कि स्पुतनिक-वी वैक्सीन के मध्य चरण के परीक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन अगले कुछ हफ्तों में शुरू होगा और दिसंबर तक इस परीक्षण के समाप्त होने की संभावना है।भारत की फार्मा कंपनी से मिलाया हाथ
रूस ने अपने यहां तैयार स्पूतनिक-वी वैक्सीन के फेज थ्री के ट्रायल के लिए भारत में फार्मा कंपनी डॉक्टर रेड्डी लैब्स से हाथ मिलाया है। वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने अनुमति दे दी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से भी सहमति मिल चुकी है। अब देश भर के 12 सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में एक साथ वैक्सीन का ट्रायल शुरू होगा। इसमें जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत पांच सरकारी, जबकि छह निजी संस्थान हैं। -
एजेंसी
ढांका/पेरिस : पैगंबर मोहम्मद साहब के कार्टून के विरोध में फ्रांस के खिलाफ मुस्लिम देशों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दुनिया के कई मुल्कों में मुस्लिम समुदाय फ्रांसीसी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान कर रहा है। सबसे ज्यादा आपत्ति फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के इस्लाम पर दिए गए विवादित बयान को लेकर है। मैक्रों ने कहा था कि कि इस्लाम संकट में है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मंगलवार को लगभग 10,000 लोगों ने पैगंबर के कार्टून के विरोध में जुलूस निकाला। लोगों ने फ्रांसीसी वस्तुओं के बहिष्कार की गुजारिश की...
उधर, पाकिस्तान ने पैंगंबर के कार्टून के प्रकाशन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयान पर तीखा विरोध जताया। पाकिस्तान ने सोमवार को फ्रांसीसी राजदूत मार्क बरेती को तलब कर कड़ी नाराजगी जताई। यही नहीं पाकिस्तान की संसद ने सरकार से पेरिस से अपना दूत वापस बुलाने तक की मांग कर डाली। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के गैरकानूनी और इस्लाम विरोधी कृत्य पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया भर में मुस्लिम समाज की भावनाओं को आहत करते हैं। ऐसे कदमों को जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
आलम यह है कि कुवैत में तमाम स्टोरों से फ्रांसीसी वस्तुओं को हटा लिया गया है। यहां तक कि कतर विश्वविद्यालय ने फ्रांसीसी सांस्कृतिक सप्ताह को ही रद कर दिया है। सऊदी अरब एवं संयुक्त अरब अमीरात में लोगों से कैरेफोर ग्रोसरी स्टोर चेन से दूर रहने की गुजारिश की गई है। इन बहिष्कारों का कोई बड़ा असर तो नहीं देखा जा रहा है लेकिन इस तरह के विरोन ने दुनियाभर में एक माहौल तो बना ही दिया है। बीते दिनों तुर्की, बांग्लादेश और गाजा पट्टी में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया।
उल्लेखनीय है कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब पेरिस के पास 16 अक्टूबर को फ्रांस में किसी क्लास में पैगंबर का कार्टून दिखाने पर एक फ्रांसीसी शिक्षक की किसी कट्टरपंथी ने सिर काटकर हत्या कर दी थी। इस घटना को लेकर फ्रांस के लोगों में भारी आक्रोश था। नतीजतन फ्रांस के एक शहर की इमारत पर पैगंबर का कार्टून प्रदर्शित कर दिया गया।यही नहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कह दिया कि वह इस्लामी कट्टरपंथी विचारधारा को रोकने के लिए दोगुनी कोशिश करेंगे। इसके बाद शुरुआत तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने की और देशवासियों से फ्रांसीसी सामान नहीं खरीदने अपील की।
एर्दोगान ने कहा कि इमैनुअल मैक्रों के मानसिक जांच की जरूरत है। इसके बाद तो दुनियाभर में एक के बाद एक बयानबाजियों का दौर शुरु हो गया। मलेशिया ने कहा है कि वह मुस्लिमों के प्रति बढ़ती आक्रामकता से चिंतित है। ढाका में एक इस्लामिक समूह के बैनर तले लगभग 10 हजार लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी बैनर और तख्तियां लिए हुए थे और फ्रांस का बहिष्कार करो और दुनिया के सभी मुसलमानों एकजुट हो जाओ जैसे नारों के साथ लोगों ने आवाज बुलंद की। यही नहीं प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तस्वीर भी लाए थे...