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वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को ब्राजील से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया है कि दरअसल ब्राजील कोरोना वायरस का नया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है, जिसके चलते यह फैसला लिया गया है। हालांकि इसके साथ ही यह साफ किया गया है कि इस फैसले से व्यापार प्रभावित नहीं होगा। एक बयान में कहा गया है कि आज के इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि जो विदेशी लोग ब्राजील में हैं वह कोरोना वायरस के नए कैरियर नहीं बनेंगे और हमारे देश में संक्रमण को नहीं फैलाएंगे।
बता दें कि ब्राजील में तकरीबन 350000 कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। अमेरिका के बाद ब्राजील में अब कोरोना वायरस के सर्वाधिक मामले हैं। कोरोना वायरस से ब्राजील में अबतक 22000 लोगों की मौत हो चुकी है। अहम बात यह है कि ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक सहयोगी हैं, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से वह इत्तेफाक नहीं रखते हैं। बोलसोनारो ने कोरोना वायरस की तुलना छोटे से फ्लू से की और कहा कि घर में रहने से लैटिम अमेरिका की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हो रहा है।
वहं अमेरिका की बात करें तो डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमण और मौत की संख्या में देश में कमी आ रही है। अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमण के कुल 16.8 मामले हैं। जबकि यहां कोरोना वायरस ने अबतक 98024 लोगों की जान ले ली है। कोरोना वायरस से संक्रमित 3.42 लाख लोग सही होकर अपने घर जा चुके हैं। -
नई दिल्ली : कोरोना महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार का आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च के बाद से ही सवालों के घेरे में है। अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने रिव्यू में एप की रेटिंग को 2 से घटाकर एक कर दिया है। एमआईटी ने एप को रिव्यू में एक नंबर देने के पीछे वजह भी बताई है। एमआईटी के मुताबिक इस एप के जरिए भारत डेटा न्यूनता के पैरामीटर खरा नहीं उतरता एप्लिकेशन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के उद्देश्य के लिए आवश्यक जानकारी से ज्यादा डेटा एकत्र करता है। एमआईटी के रिव्यू में रिसचर्स ने कहा है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए एप में जितनी जानकारी प्रर्याप्त हो सकती हैं उससे ज्यादा जानकारी यूजर्स से मांगी जा रही है।
मालूम हो कि आरोग्य सेतु एप पर विपक्षी पार्टी भी सवाल खड़े कर चुकी है। विपक्ष का कहना है कि एप के जरिए लोगों पर नजर रखी जा रही है। एप पर विपक्ष के आरोपों को केंद्र सरकार ने निराधार बताया है और कहा है कि यह सुरक्षा के लिहाज से एकदम सिक्योर एप है।
साभार : जनसत्ता से -
पाकिस्तान में शुक्रवार को कराची एयरपोर्ट के पास Pakistan International Airlines (PIA) का एक विमान क्रैश हो गया। यह फ्लाइट लाहौर से कराची की ओर आ रही थी और लैंडिंग से पहले ही अचानक दुर्घटना का शिकार हुई। स्थानीय मीडिया के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने आगे बताया कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का यह A320 विमान था, जिसमें करीब 100 लोग सवार थे। प्लेन रियाहशी इलाके के नजदीक क्रैश हुआ है। यह दुर्घटना कैसे हुई? फिलहाल इसकी खबर नहीं है। न ही किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना है।
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न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोनावायरस को लेकर एक बार फिर चीन पर हमला किया है. ट्रंप ने चीन पर दुनियाभर में कोरोनावायरस संक्रमण फैलाने और बड़े पैमाने पर हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लगाया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार सुबह किए अपने ट्वीट में लिखा, चीन में कुछ सिरफिरे कोरोना के लिए अन्य लोगों को दोष दे रहे हैं, जबकि चीन की नाकामी ने दुनियाभर में हत्याओं को अंजाम दिया. यह चीन की अक्षमता के अलावा और कुछ नहीं है.
इससे पहले भी ट्रंप कोरोनावायरस को लेकर चीन पर निशाना साधते रहे हैं. 1 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने कुछ ऐसा देखा है जो उन्हें विश्वास दिलाता हो कि कोरोनावायरस का स्रोत वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ही था, इसपर वह बोले, 'हां मेरे पास है.' पत्रकारों ने उनसे पूछा कि वह क्या चीज है, इसपर ट्रंप बोले, 'मैं आपको नहीं बता सकता.' -
बेबी प्रोडक्ट बनाने के लिए मशहूर अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, कंपनी ने अमेरिका और कनाडा में अपने उत्पाद बेबी पाउडर की ब्रिकी रोकने की घोषणा की है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा है कि उपभोक्ताओं की आदतों में बड़े स्तर पर बदलाव होने के अलावा बेबी पाउडर को लेकर गलत सूचनाएं फैलने के कारण प्रोडक्ट की मांग घट रही थी. हालांकि बिक्री पर रोक अस्थायी है. जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा है कि वह आगामी महीनों में उत्पाद की बिक्री कम करेगा और यह हिस्सा इसके अमेरिकी उपभोक्ता स्वास्थ्य व्यवसाय का 0.5 फीसदी होगा. खुदरा विक्रेता मौजूदा उत्पादों की बिक्री जारी रखेंगे.
बहरहाल, जॉनसन एंड जॉनसन ने ये फैसला ऐसे समय में लिया है जब बीते कुछ समय से प्रोडक्ट को लेकर लगातार आरोप लग रहे थे. जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ अलग-अलग आरोपों में 16,000 से अधिक मुदकमे किए गए हैं. हालांकि, जॉनसन एंड जॉनसन ने समय-समय पर इन आरोपों को खारिज भी किया है.
बीते साल अक्टूबर में जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिका में परीक्षण के लिए स्वेच्छा से 33 हजार डिब्बे वापस मंगा लिए थे. बता दें कि अमेरिकी फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की अपने बेबी पाउडर, शैम्पू और साबुन के जरिए भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में एक खास पहचान है. -
वॉशिंगटन। कोरोना वायरस संकट के दौर में अमेरिका लगातार विश्व स्वास्थ्य संगठन पर निशाना साध रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप WHO की क्षमता और विश्वसनीयता पर लगातार सवाल खड़ा कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने WHO को अमेरिका द्वारा दी जाने वाली फंडिंग को रोकने की बात कही थी। लेकिन अब उन्होंने WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस गेब्रिसस को एक पत्र लिखकर साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर 30 दिन के भीतर WHO अहम ठोस सुधार नहीं करता है तो वह अमेरिका द्वारा WHO को दी जाने वाली फंडिंग को हमेशा के लिए रोक देंगे। फिललहाल अमेरिका ने फंडिंग को अस्थायी रूप से फ्रीज कर रखा है। ट्रंप ने कहा कि अगर 30 दिन के भीतर कुछ ठोस सुधार नहीं हुआ तो वह WHO में अमेरिका की सदस्यता पर भी पुनर्विचार करेंगे।
WHO को लिखे गए इस पत्र को डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है। बता दें कि पिछले महीने ट्रंप ने कोविड-19 की रोकधाम लेकर WHO द्वारा किए गए काम की समीक्षा करने की बात कही थी और अमेरिका की फंडिंग को रोक दिया था। ट्रंप की इस कार्रवाई के बाद WHO ने कहा था कि हम अभी भी इस महामारी के गंभीर संकट से लड़ रहे हैं, लिहाजा यह समय फंडिंग को रोकने का नहीं है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि क्या ट्रंप WHO को दी जाने वाली फंडिंग को रोकने के लिए कांग्रेस की सहमति हासिल कर सके हैं या नहीं। बता दें कि बिना कांग्रेस की सहमति के डोनाल्ड ट्रंप WHO की फंडिंग को रोक नहीं सकते हैं। -
मीडिया रिपोर्ट
ताइपे। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा है कि उनका देश जेनेवा में 18 मई से शुरू होने वाली मीटिंग में हिस्सा नहीं लेगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से बताया गया है कि चीन के दबाव के चलते उनके देश को इनवाइट नहीं किया गया है। जोसेफ के मुताबिक कई कोशिशों के बाद भी इसमें सफलता नहीं मिल सकी और अब इस मसले पर इस साल के अंत में चर्चा होगा।
जोसेफ ने कहा है कि इसके बाद भी वह दूसरे देशों में मेडिकल सप्लाई में कमी नहीं होने देगा। साथ ही ताइवान के विदेश मंत्री ने चीन के दोहरे व्यवहार का विरोध करने की बात कही है जो इस तरह के मंचों से उसे दूर रखता है।जोसेफ ने कहा कि वह इस बात पर सहमत हैं कि बैठक में उसकी भागीदारी को लेकर साल के अंत में चर्चा की जाएगी जब कोरोना पर थोड़ा नियंत्रण किया जा सकेगा। सात मई को जेनेवा में सात देशों अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के राजदूतों की तरफ से डब्लूएचओ को डेमार्श जारी किया गया था। इसकी अगुवाई अमेरिका और जापान ने की थी।जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक ताइवान में कोरोना वायरस के बस 440 केस सामने आए और महामारी से सात लोगों की जान गई। जबकि इससे सटे चीन में 84,000 केसेज और 4600 मौतें दर्ज हुईं। साल 2009 से 2016 तक ताइवान ने डब्लूएचओ एसेंबली (डब्लूएचओ) में नॉन-वोटर ऑब्जर्वर के तौर पर शिरकत की थी। लेकिन जब साइ इंग वेन को ताइवान की राष्ट्रपति बनीं तो उन्होंने चीन को चुनौती देना शुरू कर दिया। साल 2016 में चीन डब्लूएचओ का मुखिया बना और उसने ताइवान को किनारे कर दिया। साइ इंग वेन फिर से राष्ट्रपति चुनी गई हैं और 20 मई को उनका दूसरा कार्यकाल शुरू होगा। -
मीडिया रिपोर्ट
पूरी दुनिया को अपने चपेट में लेने वाली महामारी कोरोना वायरस आखिर कैसे और किस तरह से इंसानों तक पहुंचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए और उसकी भूमिका क्या रही है। दुनिया के करीब 62 देश ऐसे ही सवालों का जवाब मांग रहे हैं। अब भारत ने भी आधिकारिक तौर पर इन देशों को अपना समर्थन देते हुए यूरोपीय यूनियन व ऑस्ट्रेलिया की ओर से जांच की मांग वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ की 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) आज से शुरू होने जा रही है। इस वार्षिक बैठक के लिए यह मसौदा तैयार किया गया है। इसमें निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की बात कही गई है। वहीं कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत के बाद से पहली बार भारत आधिकारिक रूप से एक पक्ष खड़ा हुआ है। बता दें कि कोरोना वायरस की शुरुआत बीते साल चीन के वुहान शहर से हुई थी। इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया में अब तक 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
बहरहाल, भारत के जांच के समर्थन में खड़े होने का एक अल्प संकेत उस समय मिला था, जब मार्च में हुए जी20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डब्ल्यूएचओ में सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने जैसी आवश्यकताओं पर जोर दिया था।
बता दें कि चीन पर संक्रमण के शुरुआती दिनों की जानकारी छिपाने का आरोप है। ताजा घटनाक्रम की बात करें तो वहां कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभाने वाले शीर्ष अधिकारी और डॉक्टर झोंग नानशान ने भी खुलासा किया है कि स्थानीय अधिकारियों ने कोरोना से जुड़ी प्राथमिक जानकारी को छिपाया था। हालांकि चीन की सरकार ने जानकारी छिपाने के आरोपों को पहले ही नकार दिया है। कोरोना वायरस फैलने को लेकर पूर्व में डब्ल्यूएचओ और उसके डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस पर चीन का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया गया था। कारण कि इथोपिया के पूर्व मंत्री साल 2017 में चीन के समर्थन से ही डब्ल्यूएचओ के प्रमुख बने थे। -
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में देश के अशांत उत्तर-पश्चिमी जनजातीय क्षेत्र में दो लड़कियों की एक पुरुष से बातचीत करने के कारण हत्या कर दी गयी. एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. कुछ हफ्ते पहले दोनों लड़कियों का एक पुरुष से बातचीत करने का वीडियो सामने आया था. पुलिस के अनुसार 16 और 18 साल की दो लड़कियों को उनके चचेरे भाइयों ने मार डाला. देश के आदिवासी इलाकों में महिलाओं का पुरुषों के साथ मिलना-जुलना पूरी तरह प्रतिबंधित है.
पुलिस के अनुसार यह घटना 14 मई को खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वजीरिस्तान जिले के एक गांव में हुयी. राजमल पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि हत्या का मामला दर्ज कर अपराधियों की तलाश की जा रही है. अधिकारी ने बताया कि इसका कारण 52 सेकंड का एक वीडियो था जिसमें एक व्यक्ति तीन लड़कियों से बात कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि वीडियो में से दिख रही दो लड़कियों की हत्या कर दी गयी जबकि तीसरे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. पुलिस के अनुसार तीसरी लड़की जीवित है लेकिन उसकी जान को खतरा हो सकता है. -
नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस के वैक्सीन के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। अब सिगरेट निर्माता ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको पीएलसी (BAT) ने प्रायोगिक COVID -19 वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है, जिसका परीक्षण जल्द मनुष्यों पर किया जायेगा। सिगरेट निर्माता का कहना है कि वैक्सीन के प्री-क्लिनिकल ट्रायल ने सकारात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखाई है। कहा गया है कि यदि दवा नियामकों द्वारा इसे अनुमति दी गई तो मानव परीक्षणों का पहला चरण जून के अंत तक शुरू हो सकता है।
वर्तमान में अमेरिका, यूरोप, चीन और अन्य जगह 100 से अधिक निर्माता वैक्सीन निर्माण कर रहे हैं। यही नहीं BAT की प्रतिद्वंद्वी फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल इंक भी तंबाकू प्लांट में वैक्सीन का परीक्षण कर रहा है। BAT की सब्सिडियरी केंटुकी बायोप्रोसेसिंग प्रयोगात्मक वैक्सीन बनाने में तम्बाकू पौधों का उपयोग कर रही है। बीएटी का कहना है कि इस वैक्सीन का तेजी से निर्माण हो रहा है। हालांकि तंबाकू के पौधों का उपयोग कर कोरोना वायरस का टीका बनाना स्वास्थ्य पर अन्य से अलग असर डाल सकता है।
ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको पीएलसी (BAT) एक सिगरेट और तंबाकू निर्माण कंपनी है जिसका मुख्यालय लंदन, इंग्लैंड में है. यह 2012 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सिगरेट निर्माता था। BAT लगभग 180 देशों में अपने उत्पादों का संचालन करता है।
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मीडिया रिपोर्ट
विश्व बैंक ने भारत में सरकार के जुड़े कार्यक्रमों के लिए 1 बिलियन डॉलर के सामाजिक सुरक्षा पैकेज की घोषणा की है। बैंक ने शुक्रवार को शहरी गरीब और प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रौद्योगिकी से संबंधित योजनाओं में सरकार की सहायता के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि के रूप में इस राशि को मंजूरी दी।
बैंक ने कहा कि इससे भारत अपनी सभी 400-प्लस सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रौद्योगिकी के स्तर पर एकीकृत करने में सक्षम होगा। विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा, 'यह परियोजना शहरी गरीबों के प्रति सामाजिक सुरक्षा को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी।' उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पीएम का आत्मानिर्भर मिशन' दिशाओं के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है और भारत कोविड -19 के बाद के जीवन और आजीविका के बीच अंतर नहीं कर रहा है। -
न्यूयॉर्क: ट्विटर ने मंगलवार को कहा कि वह सितंबर से पहले अपने ऑफिस नहीं खोलने जा रहा है. इसी के साथ ट्विटर ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि कोरोनावायरस के खत्म होने के बाद भी उसके ज्यादातर कर्मचारी हमेशा के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' यानी कि घर से ही काम करेंगे. अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को स्थित कंपनी ने कहा कि महामारी को देखते हुए मार्च के महीने से ही घर से काम की व्यवस्था देने वाली वह पहली कंपनियों में शामिल थी. इसी के साथ कंपनी ने यह भी कहा कि उसकी यह पॉलिसी आगे भी जारी रहेगी.
ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा, "हम तुरंत हरकत में आए और कर्मचारियों को घर से काम करने की मंजूरी दे दी. हमने हमेशा से विकेंद्रीकरण पर जोर दिया है. साथ ही कहीं से भी काम करने में सक्षम कार्यबल को सहयोग दिया है." ट्विटर ने कहा, "पिछले महीनों में साबित हो गया है कि हम ऐसा कर सकते हैं. तो अगर हमारे कर्मचारी ऐसी स्थिति में हैं कि वे घर से काम कर सकते हैं और वे हमेशा के लिए ऐसा करना चाहते हैं तो हम ऐसा होने देंगे." ट्विटर ने कहा कि अगर परिस्थितियों ने इजाजत दी तो वह अपने किसी भी ऑफिस को बेहद सावधानी और सतर्कता से धीरे-धीरे एक-एक करके खोलेगा.
ट्विटर के प्रवक्ता के मुताबिक, "दफ्तरों को कब खोलना है यह हमारा अपना फैसला होगा. अगर हमारे कर्मचारी वापस आएंगे तो हम वहां होंगे. कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो दफ्तर सितंबर से पहले तो बिल्कुल नहीं खुलेंगे. जब हम ऑफिस खोलने का फैसला करेंगे तब वह पहले जैसा नहीं होगा." आपको बता दें कि गूगल और फेसबुक पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस साल के अंत तक उसके ज्यादातर कर्मचारी घर से ही काम करेंगे. -
मीडिया रिपोर्ट
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मीडिया के साथ विवाद बहुत पुराना है। वह कई बार सवालों को लेकर पत्रकारों से उलझ चुके हैं। अब ऐसा ही मामला एक बार फिर देखने को मिला। कोरोना वायरस पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी ट्रम्प एक महिला पत्रकार से उलझ पड़े। इतना ही नहीं वह प्रेस ब्रीफिंग भी बीच में ही छोड़कर चले गए।
दरअसल वाइट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीबीएस न्यूज रिपोर्टर वेइजिया जियांग ने सवाल किया कि अमेरिका में रोज हजारों लोग क्यों मर रहे हैं। ट्रंप ने गुस्से में कहा कि मुझे मत पूछें, चीन से सवाल पूछें। इसके बाद ट्रंप ने सीएनएन के लिए वाइट हाउस के संवाददाता केटलन कॉलिन्स को अगला सवाल पूछने को कहा लेकिन जियांग ने दूसरा सवाल किया कि सर आप मुझसे विशेष रूप से ऐसा क्यों कह रहे हैं? तो ट्रंप ने कहा कि मैं ऐसा हर किसी से कहुंगा जो इस तरह के बकवास सवाल पूछेगा।
महिला पत्रकार बार बार सवाल करने की कोशिश करती रही। इस बात से ट्रंप इस कदर नाराज हो गए कि वह लोगों को धन्यवाद देकर प्रेस कांफ्रेंस को अधूरा छोड़कर चले गए। वहां से चले गए। इस पूरे वाक्य का एक वीडियो भी सामने आया है, जो काफी वायरल हो रहा है। -
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल आज बम धमाकों से दहल गई. समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, पुलिस ने बताया कि काबुल में एक के बाद एक चार बम धमाके हुए हैं. इन बम धमाकों में कितना नुकसान हुआ, इस बात की जानकारी अभी नहीं मिल सकी है.
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न्यूयॉर्क। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से जूझ रही है। अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई निश्चित दवा नहीं बनी है। बावजूद इसके दुनिया के कई देशों में अचानक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवाई की मांग बढ़ी। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी कोविड19 के इलाज के लिए सफल दवा साबित नहीं हो पाई है। इस दवा की क्षमता को लेकर टेस्ट किया गया था। ये दवा एक और टेस्ट में असफल साबित हुई है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन (NEJM) में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने संबंधित एक और अब तक सबसे बड़े टेस्ट में असफल साबित हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कोविड-19 की शुरुआत से ही इस दवाई को लेकर उत्साहित थे और इसे कोरोना के इलाज में एक 'गेम चेंजर' बता रहे थे। इस अध्ययन में कहा गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से न तो बीमार लोगों को हो रही सांस लेने की दिक्कत पर कोई असर पड़ा और न ही उनकी मौत का खतरा कम हुआ है।
जिन लोगों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी गई थी उनमें से 32.3 फीसदी मरीजों को या तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी या फिर उनकी मौत हो गई। जबकि जिन लोगों को ये दवा नहीं दी गई उनमें ये संख्या 14.9 फीसदी है। -
मीडिया रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपात कार्यक्रमों के प्रमुख माइकल रेयान ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस के चीन के शहर वुहान की एक प्रयोगशाला में उत्पन्न होने की आशंका के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के आरोप के संबंध में अमेरिकी सरकार ने उन्हें कोई सबूत मुहैया नहीं कराए हैं। माइकल रेयान ने जिनेवा में पत्रकारों से कहा, ‘‘ हमारे नजरिए से यह केवल काल्पनिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वायरस की कथित उत्पत्ति के संबंध में हमें अमेरिकी सरकार से कोई डेटा या विशिष्ट सबूत नहीं मिले हैं। ’’
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ अमेरिका से ऐसी कोई भी जानकारी हासिल करने को ‘‘इच्छुक’’ है। ट्रम्प प्रशासन ने चीन और संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी दोनों पर आरोप लगाया था कि वायरस के सबसे पहले वुहान में उत्पन्न होने के बाद इससे निपटने के लिए उन्होंने उचित कदम नहीं उठाए। कोविड-19 से दुनिया भर में लाखों लोग संक्रमित हैं और कम से कम 2,39,000 लोगों की जान गई है।
वहीं ट्रम्प ने शुक्रवार को यह भी कहा था कि डब्ल्यूएचओ ‘‘ चीन की जनसम्पर्क एजेंसी की तरह है’’। रेयान ने एक बार फिर दोहराया की संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को मिले सबूत और जानकारी के अनुसार कोविड- 19 प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है। ट्रम्प और पोम्पिओ का कहना है कि उनके पास वायरस के वुहान की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला में उत्पन्न होने के सबूत हैं। -
मीडिया रिपोर्टो से
ईरान सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अपनी मुद्रा को ही बदलने का फैसला लिया है। अब तक ईरान की मुद्रा रियाल थी, जिसे अब बदलकर तोमान कर दिया गया है। अब 10,000 रियाल के बराबर एक तोमान होगा। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते मुद्रा में बड़ी गिरावट को रोकने के लिए ईरान ने यह बड़ा फैसला लिया है। सोमवार को ईरान की संसद ने इस संबंध में पेश किए गए विधेयक को मंजूरी दी। ईरानी न्यूज एजेंसी ISNA की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय करेंसी से 4 शून्य हटाने के प्रस्ताव को संसद की ओर से मंजूरी दे दी गई है।
इस प्रस्ताव को अब ईरान के शीर्ष आध्यात्मिक नेता अयातुल्लाह खामेनेई की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने कहा कि सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान को करेंसी में बदलाव के लिए दो साल का वक्त दिया जाएगा। दरअसल ईरान में करेंसी से 4 शून्य हटाने को लेकर 2008 से ही चर्चा चल रही थी। लेकिन 2018 के बाद यह मांग तेजी से बढ़ गई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ 2015 में हुई न्यूक्लियर डील से बाहर निकलने का फैसला लिया था।
इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लाद दिए थे। इसके चलते ईरानी मुद्रा में 60 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी। फॉरेन एक्सचेंज वेबसाइट्स के मुताबिक ईरानी मुद्रा रियाल डॉलर के मुकाबले 156,000 के स्तर पर काम कर रही है। ईरानी मुद्रा में कमजोरी और बढ़ी महंगाई के चलते देश में 2017 के अंत में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। -
वॉशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने कहा है कि चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस की गंभीरता को छिपाया है। उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के उस दावे को आगे बढ़ाया जिसमें कहा गया था कि चीन ने कोशिशें की कि इस बात को दुनिया से छिपाया जा सके कि कोविड-19 वायरस कितना जानलेवा है। प्रशासन ने यह भी कहा कि चीन ने महामारी की गंभीरता को तो छिपाया ही साथ ही मेडिकल सप्लाई का ढेर इकट्ठा कर कर लिया।
पोंपेयो ने रविवार को एबीसी न्यूज के 'दिस वीक' को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। उनसे पूछा गया था कि चीन ने जानबूझकरर जनवरी की शुरुआत में मेडिकल सप्लाई को इकट्ठा किया औरर कोविड-19 की गंभीरता को छिपाया? इस पर उन्होंने कहा, 'आपने एकदम सही बात कही है। हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने वह सब किया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दुनिया को सही समय पर पता न चल सके कि क्या हो रहा है।' पोंपेयो ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है कि जब ट्रंप प्रशासन की तरफ से चीन को सजा देने के प्लान को आगे बढ़ाया जा रहा है।राष्ट्रपति ट्रंप कह चुके हैं कि वह कई मोर्चो पर महामारी पर चीन को सजा देने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अब दोनों देशों के रिश्तों में और कड़वाहट आ सकती है। सीएनएन ने ट्रंप प्रशासन के सूत्रों के हवाले से बताया है कि कई विकल्पों पर विचार चल रहा है जिसमें प्रतिबंधों से लेकर अमेरिकी कर्ज बाध्यता और नई ट्रेड पॉलिसी का निर्धारण करना भी शामिल है। सूत्रों की मानें तो अमेरिका चीन और दूसरे देशों को यह संदेश देना चाहता है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियां समझनी होगी।