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दुर्ग  असाधारण विपदा के दौर में प्रशासन का असाधारण रिस्पांस

 - राज्य शासन की योजनाओं को कर रहे सफलतापूर्वक क्रियान्वित, जनभागीदारी और नवाचार के माध्यम से आपदा के वक्त जरूरतमंदों को पहुंचाई जा रही पूरी मदद

 
 
दुर्ग 9 अप्रैल 2020/कोरोना वायरस के प्रदेश में पहली आहट आते ही दुर्ग जिला प्रशासन ने असाधारण विपदा के इस दौर को भांपकर युद्धस्तर पर इससे निपटने की तैयारियां की। कलेक्ट्रेट और जिला पंचायत इसके लिए वाररूम की तरह बने और मैदानी स्तर पर उतरकर प्रशासनिक अमले ने लोगों को राहत पहुंचाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। यह चैबीस घंटे की भरपूर कोशिश रही ताकि कोई भी जरूरतमंद भूखा न सोये, कोई दवा से वंचित न रहे और लाकडाउन की वजह से फंसा हर नागरिक आश्वस्त हो सके कि वो एक सुरक्षित जगह में है और आने वाले दिन उसके लिए किसी तरह भी दिक्कत से भरे नहीं होंगे। हर जरूरतमंद वर्ग को किस प्रकार मदद मिल सके, इसके लिए योजना बनाई गई और इसके लिए कार्य किया गया। कलेक्टर श्री अंकित आनंद के मार्गदर्शन में आपदा नियंत्रण के नोडल अधिकारी श्री कुंदन कुमार ने हर वर्ग की जरूरतों का फीडबैक लेकर उन तक मदद पहुंचाने की योजना बनाई। इनकी मदद किस तरह हो रही है, यह हम जान सकते हैं।
फंसे हुए लोगों के लिये बनाया गया है सर्विलिएंस ग्रूप- इसके लिए दो तरह के कार्य किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय अमले से कहा गया कि दूसरे राज्यों और जिलों के जो श्रमिक हैं उन्हें चिन्हांकित किया जाए तथा लाकडाउन के दौरान उनकी राशन तथा अन्य जरूरतों की पूर्ति की जाए। श्रमिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए। शहरी क्षेत्रों में निगम अधिकारियों ने यह कार्य किया। शहरी क्षेत्रों में पार्षदों और जनप्रतिनिधियों और सेवाभावी लोगों की मदद से ऐसे लोगों को चिन्हांकित किया गया। आज की तिथि तक 4343 ऐसे श्रमिकों का चिन्हांकन हुआ है जो दूसरे जिलों अथवा राज्यों से संबंधित हैं। इनके भोजन अथवा राशन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। दूसरे राज्यों से लगातार इस संबंध में समन्वय बना हुआ है। उदाहरण के लिए दरभंगा कमिश्नर श्री मयंक वरवड़े को यह सूचना मिली कि उनके कुछ मजदूर धमधा ब्लाक के एक गांव में है और उनका राशन समाप्त हो गया है। इसके लिए उन्होंने कलेक्टर श्री अंकित आनंद को मैसेज किया। इसके फौरन बाद घंटे भर के भीतर ही इन मजदूरों तक राशन उपलब्ध हो गया। धमधा ब्लाक के ईंटभट्ठों में फंसे 1000 मजदूरों के लिए अनाज बैंक धमधा डिविजन में बनाया गया। इसके लिए अधिकारियों ने भी सहयोग राशि दी। दूसरे जिलों और राज्यों में फंसे मजदूरों को भी इनके अधिकारियों के साथ समन्वय कर सहायता पहुंचाई जा रही है।
बेघर बेसहारा लोगों को भोजन दिया, वालंटियर ग्रूप बनाकर किया जा रहा समन्वय- लाकडाउन की सबसे ज्यादा मुसीबत उस वर्ग पर आती जो बेसहारा था। पहले दिन से ऐसे लोगों को चिन्हांकित करने का काम निगम प्रशासन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय अमले को सौंपा गया। मदद की इस घड़ी में बहुत से सेवाभावी संगठन भी सामने आये। मदद का कार्य सहज तरीके से हो, जरूरतमंद तक सही समय पर भोजन पहुंचे, वालंटियर भी संक्रमण से बचे और भोजन भी हाइजिनिक हो। इन सब कार्यों में समन्वय नहीं होता तो स्थिति बिगड़ सकती थी और संभवतः कई ऐसे क्षेत्र होते जिनके जरूरतमंद लोग छूट जाते। इसके लिए नोडल अधिकारी जिला पंचायत सीईओ ने वालंटियर ग्रूप तैयार किया। इसमें सेवाभावी संस्थाओं को जोड़ा और वालंटियर भी जोड़े। इसमें लोग सूचना देते कि इस जगह जरूरतमंद लोग हैं। उस क्षेत्र में कार्य कर रही सेवाभावी संस्थाएं वहां लंच पैकेट उपलब्ध करा देती हैं। इसके फोटोग्राफ भी ग्रूप में शेयर कर दिये जाते हैं ताकि मुकम्मल काम होता दिखता भी रहे। हर वार्ड में वालंटियर तैयार किए गए हैं और उन्हें मास्क सैनिटाइजर वगैरह भी दिए गए हैं। सात अप्रैल का उदाहरण लें तो इस दिन जिला प्रशासन द्वारा 15451 लोगों को लंच पैकेट दिए गए। 5078 जरूरतमंदों को राशन दिया गया। स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी 16304 जरूरतमंद लोगों को राशन एवं लंच पैकेट उपलब्ध कराये। इस कार्य के लिए सेवाभावी संस्थाएं, व्यापारिक संगठन और सीआईआई जैसी संस्थाएं भी अग्रणी रहीं। सीआईआई द्वारा अक्षयपात्र संस्था द्वारा बनाये गए एक-एक हजार लंच पैकेट रोज भिलाई दुर्ग निगम क्षेत्रों में बांटे जा रहे हैं।
होम डिलीवरी की सुविधा- लाकडाउन के दौरान भी जरूरत की चीजें लोगों को मिलती रहें। इसके लिए होम डिलीवरी के लिए दुकानों को चिन्हांकित किया गया है। हर वार्ड में इसके लिए वालंटियर नियुक्त किए गए हैं। वालंटियर्स को निगम प्रशासन ने पैसे भी दिए हैं ताकि वे राशन एवं अन्य चीजें लेकर संबंधित नागरिक तक पहुंचा सके। दवाईयों के भी प्रिस्क्रिप्शन व्हाटसएप से मंगाए जा रहे हैं और वालंटियर इसके माध्यम से दवा दुकानों से दवा ले संबंधित नागरिक के पास छोड़ रहे है। समान पहुंचते ही नागरिक इनका भुगतान कर देते हैं। एक छोटा सा उदाहरण है दिल्ली से विेवेक श्रीवास्तव ने जिला प्रशासन को एक मेल किया। मेल में दुर्ग में रहने वाले अपने पिता के लिए राशन और दवाइयों की डिलीवरी के लिए कहा था, श्री श्रीवास्तव ने लिखा कि वे इसके लिए भुगतान करेंगे। श्री श्रीवास्तव का मेल आते ही प्रशासन ने उनके पिता को घर जाकर राशन और दवाईयां उपलब्ध कराई और घर पहुंचे वालंटियर्स ने आश्वस्त किया कि आगे भी वे उन्हें फोन कर दें, वे हर संभव मदद करेंगे। उल्लेखनीय है कि लाकडाउन के दौरान सब्जी की होम डिलीवरी की भी सुविधा दी गई है ताकि सब्जी बाजार की भीड़ छंट सके। साथ ही कलेक्टर के निर्देश पर अधिकाधिक विक्रेताओं को ठेले के माध्यम से सब्जी पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
कोविड राहत कोष में दे सकते  हैं सहयोग राशि - लाकडाउन के दौरान घर पर रहकर कैसे लोगों की सेवा कर सकें, यह बड़ी चुनौती सेवाभावियों के समक्ष थी। इसके लिए कोविड राहत कोष तैयार किया गया है। जो भी नागरिक सहायता करना चाहें, इसमें सहयोग कर सकते हैं। कोविड राहत कोष में लगातार सहयोग राशि आ रही है। इसका एकाउंट नंबर  919010086484727 है। यह एक्सिस बैंक का एकाउंट नंबर है। इसका आईएफएससी कोड यूटीआईबी  0000590 है।
त्वरित रिस्पांस के लिए बनाई गई टीम- आपदा के इस दौर में रिस्पांस टाइम का महत्व बहुत होता है। इस कार्य के समन्वय के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों को लगाया गया है। बेसहारा लोगों को भोजन कराने से संबंधित जानकारी मिलने पर इसके समन्वय की जिम्मेदारी जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन (मोबाइल नंबर- 62624-70000) को सौंपी गई है। वालंटियर के रूप में सहयोग के इच्छुक लोगों से समन्वय के लिए जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी श्री प्रवास सिंह बघेल(मोबाइल नंबर-93403-83843) को सौंपी गई है। राहत कोष से संबंधित किसी तरह के समन्वय के लिए उपसंचालक जनशक्ति नियोजन श्री राजकुमार कुर्रे (91312-35525) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एमआरपी से अधिक कीमत पर सामग्री बेचने पर सहायक खाद्य अधिकारी श्री आनंद मिश्रा( मोबाइल नंबर 93295-09510) पर संपर्क कर सकते हैं। सारे अधिकारी जिला पंचायत सीईओ श्री कुंदन कुमार के मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं।
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तथ्यों में देखिये किस तरह हर वर्ग को लाकडाउन में मिला प्रशासन का सहारा
1. महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिले के एक लाख हितग्राहियों को लाकडाउन की अवधि का रेडी टू ईट पहुंचाया, 7000 कुपोषित बच्चों एवं एनीमिक महिलाओं को सूखा आहार। 2. शिक्षा विभाग द्वारा प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल के एक लाख तेरह हजार बच्चों को मिड डे मील के पैकेट घर जाकर उपलब्ध कराए गए। प्राइमरी स्कूल के एक पैकेट में 4 किलोग्राम चावल  और 800 ग्राम दाल, मिडिल स्कूल के पैकेट में 6 किलोग्राम चावल और 1200 ग्राम दाल।
3. गरीबी रेखा से नीचे के तीन लाख हितग्राहियों को दो महीने का चावल और नमक निःशुल्क, उज्ज्वला के 71 हजार हितग्राहियों के लिए रिफिलिंग की सुविधा।
4. 4 लाख 70 हजार 572 जनधन योजना की महिला हितग्राही खाताधारियों को प्रधानमंत्री गरीब योजना का लाभ।
5. लाकडाउन की अवधि के दौरान श्रमिकों को नियोक्ताओं को देना होगा पूरा वेतन।
 

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