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रविवि में फर्जी नियुक्ति: NSUI ने राजभवन, कुलपति और कुलसचिव को सौंपी शिकायत

 रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाणपत्र और नियम-विरुद्ध नियुक्ति का एक बड़ा मामला सामने आया है। एनएसयूआई रायपुर जिला अध्यक्ष शान्तनु झा ने शुक्रवार को राजभवन, कुलपति और कुलसचिव को विस्तृत शिकायत पत्र सौंपकर अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. रविन्द्र कुमार ब्रम्हे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।


क्या हैं आरोप?
एनएसयूआई का कहना है कि डॉ. ब्रम्हे की नियुक्ति 2003 में अनुसूचित जाति (SC) के आरक्षित पद पर हुई। नियुक्ति के समय जो अस्थायी जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया था, उसकी वैधता सिर्फ 6 माह (7 अगस्त 1999 से 6 फरवरी 2000) थी। प्रमाणपत्र की अवधि खत्म होने के तीन साल बाद नियुक्ति देना सीधा-सीधा नियम उल्लंघन और प्रक्रियागत दोष है।

झा ने बताया कि आरटीआई दस्तावेजों के अनुसार विश्वविद्यालय ने 26/12/2022 और 27/01/2025 को जिला स्तरीय सत्यापन समिति बिलासपुर को पत्र भेजा था। लेकिन आज तक न तो प्रमाणपत्र सत्यापित हुआ, न स्थायी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया। 22 साल बाद भी विश्वविद्यालय की चुप्पी पूरे मामले को “अत्यंत संदेहास्पद” बनाती है।

शासन के 11 आदेशों की अनदेखी
शिकायत के अनुसार, 2007 से 2021 के बीच राज्य सरकार ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र वाले सरकारी कर्मचारियों की सेवा समाप्ति पर 11 आदेश जारी किए थे। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने 22 वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं की। एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि यह “मिलीभगत, लापरवाही और भ्रष्टाचार” दर्शाता है।

एनएसयूआई का दावा : विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्तियों का बड़ा नेटवर्क

शान्तनु झा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में सिर्फ एक नहीं, बल्कि डेढ़ दर्जन से ज्यादा प्राध्यापक, कर्मचारी और अधिकारी फर्जी जाति प्रमाणपत्र या भ्रामक दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। एनएसयूआई इस पूरे नेटवर्क को उजागर करेगी और हर दोषी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि आरक्षित वर्ग के असली हकदारों से नौकरियां छीनना सीधा संवैधानिक अपराध है।

कानूनी आधार : BNS 2023 के तहत दंडनीय अपराध
शिकायत में आरोपित कृत्य को भारत न्याय संहिता (BNS) 2023 की निम्न धाराओं के तहत दंडनीय बताया गया है: 
धारा 316 – कपट से अनुचित लाभ प्राप्त करना
धारा 317 – धोखाधड़ी द्वारा पद/लाभ प्राप्त करना
धारा 318 – कूटरचना (फर्जी दस्तावेज तैयार करना)
धारा 319 – कूटरचित दस्तावेज का उपयोग
धारा 340 – लोकसेवक द्वारा पद का दुरुपयोग (यदि मिलीभगत साबित हो)

एनएसयूआई ने अपनी शिकायत में 4 प्रमुख मांगें रखीं:
उच्च स्तरीय समिति से प्रकरण की जांच
प्रमाणपत्र असत्य होने पर तत्काल सेवा समाप्ति
नियुक्ति में शामिल अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई
विश्वविद्यालय में सभी फर्जी नियुक्तियों की व्यापक जांच

एनएसयूआई का बयान
शान्तनु झा ने कहा कि यह लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं—यह छत्तीसगढ़ के आरक्षित वर्ग के युवाओं के अधिकार और सम्मान की लड़ाई है। विश्वविद्यालयों में फैले फर्जी नियुक्तियों के जाल को तोड़ा जाएगा और एनएसयूआई इसके लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।

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