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- जल जीवन मिशन कार्य के तहत घरों में पेयजल आपूर्ति के लिए कार्य योजना तैयार: मंत्री गुरु रूद्रकुमार
सितंबर 2023 तक ग्रामीण क्षेत्रों में सभी घरों तक नल कनेक्शन देने का लक्ष्य
7080 करोड़ रूपए के विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए इम्पेनल्ड निविदाकारों की सूची जारी
रायपुर : राज्य के वनांचलों, अनुसूचित जाति बहुल गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 42 लाख 54 हजार परिवारों को घर-घर नल कनेक्शन देने काम अगले तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है। जल जीवन मिशन के तहत इन परिवारों को निशुल्क नल कनेक्शन दिए जाएंगे। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में इस कार्य को तेजी से पूरा करने की कार्ययोजना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा बनाई गई है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में शुध्द पेयजल की आपूर्ति के लिए कार्ययोजना के अनुसार निविदाकारों को प्रशासकीय स्वीकृति के आधार पर कार्य दिए जा रहे हैं।मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुविधा के लिए 9485.60 करोड़ रूपए के लागत वाले उच्चस्तरीय जलागार निर्माण, पाईप लाइन विस्तार, सिविल वर्क, घरेलू कनेक्शन, क्लोरिनेटर एवं पाॅवर पंप स्थापना के कार्य के लिए निविदाकारों को काम दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में पहली बार मंत्रिमण्डल के अनुमोदन के उपरांत निविदाकारों के लिए रूचि की अभिरूचि के माध्यम से दरें प्राप्त कर औचित्य दर प्रतिपादित की गई।
उन्होंने बताया कि राज्य के ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से तय समय-सीमा सितंबर 2023 तक पेयजल प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। द्वितीय चरण में जल जीवन मिशन के कार्यों के लिए दर अनुबंध (कान्ट्रेक्ट) करने वाले 1326 इम्पेनल्ड निविदाकारों की सूची विभाग द्वारा जारी की गई है, इन निविदाकारों को जल्द ही प्रशासकीय स्वीकृति के आधार पर 7080 करोड़ रुपए के कार्य दिए जाएंगे।
मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी विभागों को निर्माण कार्यों के लिए नए एसओआर लागू करने कहा था लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सबसे पहले राज्य में अपना नया यूएसओआर-2020 जारी कर निर्माण-संधारण संबंधी कार्य में लागू किया गया है। नए एसओआर की दरें लागू होने से पेयजल आपूर्ति संबंधी अद्योसंरचना के निर्माण में कम राशि खर्च होगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था के लिए पहली बार वृह्द स्तर पर टंकी निर्माण, पाईपलाइन बिछाने के कार्य और घरेलू कनेक्शन इत्यादि कार्य तेजी से होगा।
प्रमुख अभियंता श्री एम.एल. अग्रवाल ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए दर अनुबंध (कान्ट्रेक्ट रेट) करने वाले 1326 निविदाकारों में 872 सी और डी श्रेणी, 454 ए और बी श्रेणी के निविदाकार शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सी और बी श्रेणी के निविदाकारों को यथासंभव उनके स्वयं के जिले में ही कार्य आबंटित किए जाएंगे - हाथी-मानव संघर्ष की आशंका निराधार, बेहतर होगा नियंत्रण
रायपुर : छत्तीसगढ़ के वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि लेमरू एलिफेंट रिजर्व से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा। उन्होंने विस्थापन की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि न तो कोई गांव विस्थापित होगा न ही किसी के निजी और सामूहिक वनाधिकार पर कोई प्रभाव पड़ेगा।एलिफेंट रिजर्व से मानव- हाथी संघर्ष की आशंका को भी उन्होंने निराधार बताया और कहा कि इसके विपरीत हाथी रिजर्व मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने में मदद करेगा। श्री अकबर ने जोर देकर कहा कि भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों और वनवासियों के सभी के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है और कोई भी कार्य उनके हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
वन मंत्री श्री मोहम्म्द अकबर ने एक बयान जारी कर उस समाचार को असत्य बताया है जिसमें लेमरू एलीफेंट रिजर्व के कारण किसी गांव का विस्थापन या मानव हाथी संघर्ष बढ़ने की आशंकाएं बतायी गई हैं। श्री अकबर ने जोर देकर कहा है कि लेमरू एलीफेंट रिजर्व का गठन ’सरंक्षण रिजर्व’ के रूप में किया जा रहा है, जिसके तहत न कोई गांव विस्थापित होगा और न ही किसी भी तरह निजी वन अधिकार या सामुदायिक वन अधिकार पर इसका प्रभाव पड़ेगा। रिजर्व क्षेत्र में आने वाले गांवों को हेबीटेट विकास की अतिरिक्त राशि भी मिलेगी जिससे मानव हाथी संघर्ष पर नियंत्रण अधिक बेहतर होगा।
श्री अकबर ने इस तरह के समाचारों को गुमराह करने वाला बताया की एलीफेंट रिजर्व से हाथी एक ही क्षेत्र में एकत्रित किए जाएंगे। इस तरह का कोई भी कार्य कभी नहीं किया जाता। हाथी लंबी दूरी तय करने वाला प्राणी है और वह हमेशा एक जगह नहीं रहता है। 2011 में तमोरा पिंगला और सेमरसोत दोनों सरगुजा सर्कल और बादलखोल रायगढ़ सर्कल में एलीफेंट रिजर्व का गठन किया गया था और पिछले दस सालों में वहां मानव हाथी संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण में सहायता मिली है। उक्त क्षेत्र अभ्यारण है जबकि लेमरू का गठन संरक्षण रिजर्व के रूप में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि वन प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 36 (ए) के तहत जो संरक्षण रिजर्व गठित किया जाता है, वहां कोई विस्थापन नहीं होता और निजी भूमि पर यह धारा लागू नहीं होती। शासकीय भूमि पर भी समस्त प्रकार के वन अधिकार, लघुवनोपज संग्रहण आदि बरकरार रहते हैं।
श्री अकबर ने आगे कहा कि रिजर्व क्षेत्र में आने पर भविष्य में इस क्षेत्र में कोई खनन परियोजना आदि के लिए विस्थापन नहीं होगा। लेमरू एलीफेंट के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार सही नहीं है वस्तुतः निजी स्वार्थवश कुछ लोग अनावश्यक ही यह भ्रम फैला रहे हैं इससे सभी आम नागरिकों को बचना चाहिए। - रायपुर : कांकेर जिला मुख्यालय में पत्रकारों के साथ घटित घटना के तथ्यों के अन्वेषण के लिए राज्य शासन द्वारा सम्पादक नवभारत श्री राजेश जोशी की अध्यक्षता में गठित पत्रकार दल 7 अक्टूबर और 8 अक्टूबर 2020 को कांकेर प्रवास में रहेगा।पत्रकार दल ने सभी नागरिकों से अपील की है कि जिस किसी व्यक्ति के पास घटना से संबंधित कोई तथ्य अथवा जानकारी है, तो वह उन्हें प्रस्तुत कर सकता है। जांच में पारदर्शिता बरतने के लिए जानकारी प्रस्तुत करने वाले हर व्यक्ति की वीडियोग्राफी भी करायी जाएगी।पत्रकार दल के अन्य सदस्य श्री अनिल द्विवेदी सम्पादक आज की जनधारा, श्री सुरेश महापात्र सम्पादक बस्तर इम्पेक्ट, सुश्री सगुफ्ता सिरीन सहायक सम्पादक राष्ट्रीय हिन्दी मेल, श्री रूपेश गुप्ता संवाददाता स्वराज एक्सप्रेस तथा श्री राजेश शर्मा ब्यूरो चीफ दैनिक भास्कर कांकेर हैं।
- 49.47 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत
रायपुर : लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्रकुमार की पहल पर जल जीवन मिशन अंतर्गत बिलासपुर परिक्षेत्र के लिए 49.47 करोड़ रुपए की सौगात मिली है। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर पेयजल व्यवस्था के लिए कार्यों में तेजी लाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा इस आशय का आदेश जारी कर बिलासपुर परिक्षेत्र के अधीनस्थ खंड कार्यालयों के लिए जल जीवन मिशन के तहत कुल 49 करोड़ 47 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। जिसके तहत जांजगीर को 9 करोड़ 68 लाख, बिलासपुर को 6 करोड़ 90 लाख, रायगढ़ को 6 करोड़ 63 लाख, सूरजपुर को 5 करोड़, मुंगेली 4 करोड़ 99 लाख, बैकुंठपुर 4 करोड़ 90 लाख, जशपुर 3 करोड़ 40 लाख, बलरामपुर को 3 करोड़, कोरबा को 2 करोड़ 57 लाख और अम्बिकापुर को 2 करोड़ 40 लाख रूपए की राशि स्वीकृत दी गई है। -
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता एवं माॅनिटरिंग समिति की बैठक 7 सितम्बर को दोपहर एक बजे आयोजित की गयी है। यह बैठक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री निवास में होगी। इस समिति में सांसद और विधायकगण सदस्य होते हैं,जिसमें इन अनुसूचित वर्गों पर हो रहे अत्याचारों से संबंधित प्रकरणों की समीक्षा की जाती है। राज्य स्तरीय समिति के सदस्यगण अपने जिले के एन.आई.सी. के वीडियो काॅन्फ्रेंस कक्ष में उपस्थित होकर बैठक में भाग लेंगे।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर दी गई पोषण माह में प्रस्तावित कार्यक्रमों की जानकारी
रायपुर : प्रत्येक वर्ष 1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाता है जिसका उद्देश्य जनसामान्य को पोषण के महत्व से परिचित करवाना एवं उनमें खानपान से सम्बंधित स्वास्थ्य व्यवहार को विकसित करना है। इस बार पोषण माह कोविड 19 अनुरूप व्यवहारों का पालन करते हुए डिजिटली जनआन्दोलन के रूप में मनाया जाएगा ।
इस बार पोषण माह में इन गतिविधियों पर रहेगा फोकस
1 गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, उनका सन्दर्भन एवं प्रबंधन
2 डिजिटल पोषण पंचायत
3 गृह भ्रमण एवं ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस के माध्यम से समुदाय का संवेदीकरण
4 एनेमिया, डायरिया एवं फिट इंडिया जैसे कार्यक्रमों का एकीकरण
5 पोषण पर आधारित डिजिटली प्रतियोगिताओं का आयोजन
6 दूरदर्शन और आल इंडिया रेडियो पर पोषण संबंधी कार्यक्रमों का प्रसारण
बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को मिलेगा पुरस्कार और प्रोत्साहनमहिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार ने बताया, इस वर्ष पोषण माह में ऐसे जिलों को सरकार द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाएगा जहाँ पर बच्चों में गंभीर कुपोषण का एक भी मामला ना हो । साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि इस बार ऐसे ए.ए.ए.(आंगनबाड़ी, आशा, ए.एन.एम.) को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा जिन्होंने अपने लक्ष्यों के अनुसार कार्य किया होगा । इसके लिए अलग से दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे ।
उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना के दौरान भी महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बच्चों एवं महिलाओं के पोषण का पूरा खयाल रखने की कोशिश की जा रही है जिसके अंतर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत 3 से 6 वर्ष आयु के सामान्य व गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म पके हुए भोजन के स्थान पर आंगनबाड़ी द्वारा घर भ्रमण कर राशन का वितरण किया जा रहा है, ताकि कोरोना संक्रमण की संभावना ना रहे साथ ही गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के साथ कोई समझौता भी न हो ।
बच्चे के जीवन में पोषण की शुरुआत तभी से हो जाती है जब वह गर्भ में होता है, इस सन्दर्भ में यदि छत्तीसगढ़ के एन.एफ.एच.एस- 4 के आंकड़ो को देखें तो यह पता चलता है कि 15 से 49 आयु वर्ग की 47% महिलायें एनेमिक (खून की कमी) हैं यानि कि लगभग आधी महिलाओं में खून की कमी है एवं सही खान-पान के आभाव में प्रदेश के लगभग 38% बच्चे कम वजन के रह जाते हैं| ऐसे में जो बच्चा पैदा होगा उसके कुपोषित होने की सम्भावना ज्यादा होती है|
उपरोक्त परिस्थितियों में सुधार के लिए सरकार द्वारा हर वर्ष पोषण माह मनाया जाता है | इसके साथ ही अन्य पोषण संबंधी कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं जिनका उद्देश्य मुख्य रूप से माँ एवं बच्चों की सेहत में सुधार लाना है | इन कार्यक्रमों में “समेकित बाल विकास कार्यक्रम”(ICDS), महतारी जतन योजना, मिड-डे-मील, पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC), मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, प्रधान मंत्री मातृ वंदन योजना, प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान इत्यादि प्रमुख हैं| -
रायुपर, 22अगस्त 2020। राज्य में कोरोना महामारी के प्रारंभ होने से पूर्व ही उसके प्रबंधन के लिये अस्पतालों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया । इस कार्य में विशेष योगदान देने हेतु स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक मनीष एवं आर. एम. ए. दुर्गेश को मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना वारियर्स के रूप में सम्मानित किया गया |
इनके नेत्रत्व में कोविड अस्पताल माना के साथ-साथ क्वारेंटीन सेंटरों का बेहतर संचालन एवं लाजिस्टीक प्रबंधन हुआ इसके अतिरिक्त कोविड केयर सेन्टर के निर्माण में भी इनका विशेष योगदान रहा । जिला प्रशासन, नगर निगम एवं अन्य विभाग के साथ बेहतर समन्वय करते हुए स्वास्थ्य विभाग में कोरोना वरियर्स के रूप में अपने पूर्ण दायित्व का निर्वहन किया । सीएमएचओ डॉ मीरा बघेल के द्वारा डीपीएम व आरएमए को सम्मानित करते हुए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया ।
डीपीएम मनीष कुमार मैजरवार ने राजधानी में नवीन गुणवत्तापूर्ण राज्य की प्रथम स्कीनिंग मॉडल एवं कियोस्क यूनिट, वाहन में कियोस्क यूनिट सेम्पलिंग मॉडल के अविष्कार में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। रैलवे स्टेशन में राज्य के बाहर से आने वाले मजदूरों का स्कीनिंग व्यवस्थित ढंग से एवं बेहतर प्रबंधन कौशल के साथ संपन्न कराया है। कोरोना महामारी में नियमित एवं संविदा कर्मचारियों को प्रेरित कर बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
राजधानी में कोरोना महामारी के चुनौती के इस दौर में टीम लीडर के रुप में ग्रामीण चिकित्सा सहायक दुर्गेश कुमार द्वारा भी अच्छा कार्य किया गया। ग्रामीण सहायक चिकित्सक दुर्गेश ने मार्च से अब तक बिना अवकाश लिए टीम लीडर के रूप में कार्य संपादित कर रहे हैं। उनके उत्कृष्ट प्रबंधन से ही जिले की बड़ी आबादी में कोविड मरीजों के परिवारों एवं प्रायमरी कान्टेक्ट सदस्यों का सेम्पलिंग कार्य का लक्ष्य पूरा किया गया है ।
टीम वर्क में बेहतर तालमेल के साथ अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित दूरभाष कॉल से 24 घंटे अलर्ट रहें। आपात स्थितियों में त्वरित रिस्पांस करते हुए 10 सेम्पलिंग सेन्टर प्रारंभ करने में महत्वूर्ण भूमिका अदा की है। कोरोना वारियर्स दुर्गेश कुमार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हीरापुर को मॉडल हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर को विकसित करने में भी योगदान दिया है। साथ ही कोविड-19 की लड़ाई में लैब टैक्निशियनों के साथ मेडिकल टीम को भी विषम परिस्थितियों में वर्क लोड बढ़ने पर उनकी समस्याएं दूर करते कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं ।
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232.81 करोड़ रूपए का प्रोत्साहन पारिश्रमिक
गोधन न्याय योजना: विक्रेताओं को दूसरे पखवाड़े में बेचे गए गोबर की मिलेगी राशि
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित होगा कार्यक्रम
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल अपने मंत्री मण्डल के सहयोगियों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की जयंती 20 अगस्त को अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 1500 करोड़ रूपए की दूसरी किश्त की राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे। मुख्यमंत्री इस अवसर पर तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2018 के प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में 232.81 करोड़ की राशि उनके खातों में अंतरित करेंगे साथ ही गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं को दूसरे पखवाड़े में बेचे गए गोबर की राशि का अंतरण भी करेंगे।छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ की अनुदान सहायता राशि दी जा रही है। जिसमें प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ की राशि राजीव गांधी जी के शहादत दिवस 21 मई को प्रदान की गई थी वहीं इस योजना के तहत दूसरी किश्त के रूप में 1500 करोड़ की राशि 20 अगस्त को प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। इस योजना के तहत 2 अगस्त से 15 अगस्त तक खरीदे गए गोबर की राशि भी विक्रेताओं को उनके खातों में अंतरित की जाएगी।इस अवसर पर प्रदेश के 114 विकासखण्डों के अंतर्गत तेंदूपत्ता संग्रहण वर्ष 2018 सीजन में 728 समितियों के 11 लाख 46 हजार 626 तेंदूपत्ता संग्राहकों को 232 करोड़ 81 लाख रूपए की प्रोत्साहन पारिश्रमिक की राशि वितरित की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल यह राशि सीधे तेंदूपत्ता संग्राहकों के खाते में आर.टी.जी.एस. के जरिए अंतरित करेंगे। तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक वितरित करने के लिए संबंधित जिलों में जिला स्तर पर और 114 विकासखण्डों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विकाखण्ड स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में अधिकतम प्रोत्साहन पारिश्रमिक की राशि प्राप्त करने वाले 10 संग्राहक सदस्यों को सम्मानित किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि तेंदूपत्ता संग्रहण वर्ष 2018 सीजन में प्रदेश की 880 प्राथमिक वन समितियों द्वारा कुल 14.85 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया था। संग्रहण पारिश्रमिक की दर वर्ष 2018 में 2500 रूपए प्रति मानक बोरा थी। वर्ष 2018 में 11 लाख 98 हजार 673 तेंदूपत्ता संग्राहकों को 371.15 करोड़ रूपए की राशि संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में वितरित की गई थी। इन 880 समितियों में से 854 समितियों के तेंदूपत्ता का निर्वर्तन निविदा के माध्यम से किया गया है। इनमें से 728 समितियां लाभ की स्थिति में रहीं। तेंदूपत्ता व्यापार से शुद्ध लाभ की 80 प्रतिशत राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वितरण करने का प्रावधान राज्य शासन की नीति में है।लाभ की स्थिति वाले 728 समितियों के 11 लाख 46 हजार 626 तेंदूपत्ता संग्राहकों को कुल 232.81 करोड़ रूपए की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में वितरित की जाएगी। ये समितियां प्रदेश के 114 विकासखण्डों के अंतर्गत स्थित है। जिन संग्राहकों के बैंक खातों का विवरण प्राप्त हो गया है, उनके खाते में यह राशि सीधे एक्सिस बैंक के माध्यम से आर.टी.जी.एस से भेजी जाएगी। -
साढ़े नौ हजार पशुपालकों से 11 हजार 822 क्विंटल गोबर की खरीदी
लगभग 9 हजार गरीब पशुपालक और स्व-सहायता समूहों की महिलाएं होंगी लाभान्वित
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना के तहत शहरी क्षेत्र के पशुपालकों से खरीदी गई गोबर के लिए 52 लाख 32 हजार रूपए का ऑनलाईन जमा कराया। नगरीय क्षेत्रों में एक अगस्त तक पशुपालकों से 11 हजार 822 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्र में गोधन न्याय योजना का शुभारंभ 20 जुलाई को हरेली त्योहार के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा नगर पंचायत पाटन से की गई थी। इस दिन से प्रदेश के सभी 166 नगरीय निकायों में 377 शहरी गोधन खरीदी केंद्रों का चिन्हाकित कर पशुपालको से 2 रुपये प्रति किलो की दर पर गोबर की खरीदी प्रारंभ की गई।
नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि अब तक लगभग 10 हजार हितग्राहियों द्वारा प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में गोबर विक्रय हेतु पंजीयन कराया गया। एक अगस्त तक 9 हजार 403 हितग्राहियों से 11 हजार 822 क्विंटल गोबर खरीदी के पश्चात् भुगतान की प्रकिया मुख्यमंत्री द्वारा नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया की उपस्थिति में किया गया। इस योजना का भुगतान साख समिति के माध्यम से नागरिको के खातों में ऑनलाइन किया जा रहा है। इस योजना से लगभग 9000 शहरी गरीब, स्व सहायता समूह की महिलाओ को अतिरिक्त्त रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। योजना हेतु शासन द्वारा 52.32 लाख रुपये का अनुदान जारी किया गया है। एकत्रित गोबर से शहरी क्षेत्रो में वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की लकड़ी, धूपबत्ती, गमले, दिया, मूर्ति आदि उत्पाद बनाने की तैयारी निकायों द्वारा की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में इस योजना से सम्बंधित शिकायतो का निराकरण टोल फ्री नम्बर 1100 के माध्यम से किया जा रहा है। - लोकवाणी की आगामी कड़ी का प्रसारण 9 अगस्त को
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 9वीं कड़ी का प्रसारण आगामी 9 अगस्त, रविवार को होगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल लोकवाणी में इस बार ‘न्याय योजनाएं, नयी दिशाएं ’ विषय पर प्रदेशवासियों से बात करेंगे।लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों से सुबह 10.30 से 11 बजे तक होगा। -
रायपुर : शिक्षा सत्र 2020-21 में कक्षा पहली से आठवीं तक के सभी पात्र स्कूली विद्यार्थियों को 14 अगस्त तक अनिवार्य रूप से निःशुल्क गणवेश प्रदाय किया जाएगा। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा इस संबंध में सभी संभागीय संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मिशन समन्वयक को दिशा-निर्देश जारी किए गए है। संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि कोविड-19 के संदर्भ में जारी निर्देशों एवं सावधानियों का पालन सुनिश्चित करते हुए गणवेश वितरण का कार्य पूर्ण किया जाए।
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि गणवेश का वितरण घर-घर जाकर ही किया जाए। प्रत्येक संस्था द्वारा वितरण पंजी का संधारण किया जाए। पंजी में कक्षावार, विद्यार्थिवार (दो सेट) गणवेश वितरण की प्रविष्टि की जाए। गणवेश वितरण पंजी में प्राप्तकर्ता विद्यार्थी, पालक, वितरणकर्ता शिक्षक और संबंधित वार्ड के पंच, सरपंच, पार्षद, पंचायत प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से लिया जाए। संस्था प्रमुख द्वारा इसके लिए भी पंचायत प्रतिनिधियों से पूर्व से व्यक्तिगत संपर्क भी किया जाए ताकि यथासमय उच्च स्तरीय विभागीय अधिकारियों द्वारा गणवेश प्राप्ति-वितरण पंजी का निरीक्षण किया जा सके।
इसी तरह संकुल, विकासखंड स्तर पर भी छत्तीसगढ़ हाथ करघा संघ द्वारा प्राप्त और वितरित की गई गणवेश की जानकारी अनिवार्यतः संधारित की जाए। प्रत्येक संकुल समन्वयक, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मिशन समन्वयक और संयुक्त संचालक अपने कार्यक्षेत्र की संस्थाओं में वितरित गणवेशों की वस्तुस्थिति और गुणवत्ता की जांच के लिए आकस्मिक निरीक्षण करें। संबंधित अधिकारी जिले में वितरण कार्य का भली-भांति परीक्षण कर ही वितरण पूर्ण होने का बाद का प्रमाण पत्र संचालनालय को प्रेषित करें। निःशुल्क गणवेश की प्राप्ति और वितरण की ऑनलाईन मॉनिटरिंग भी की जाएगी। -
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य हज कमेटी द्वारा हज हाउस की संगे बुनियाद (शिलान्यास) कार्यक्रम का आयोजन एक अगस्त शनिवार को मंदिर हसौद रोड़ एयरपोर्ट के पास नवा रायपुर अटल नगर में किया गया है। राज्य हज कमेटी के सचिव ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, गणमान्य नागरिक एवं मुस्लिम समाज के लोग उपस्थित रहेंगे।
- रायपुर : कोरोना संक्रमण के मद्देनजर महानदी मंत्रालय भवन की तरह इन्द्रावती भवन में भी बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है।इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देश में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इन्द्रावती भवन (विभागाध्यक्ष कार्यालय) में केवल विभागाध्यक्ष की अनुमति से ही उन्हीं कार्यालय में बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर सकेंगे, जिस कार्यालय हेतु उन्हें अनुमति दी गई है। बाहरी व्यक्तियों का बिना अनुमति किसी भी कार्यालय में प्रवेश पूर्णतः वर्जित होगा। सचिव सामान्य प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों को उक्त निर्देश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है।
- रायपुर : राज्य सरकार की पहल पर जगदलपुर से हवाई यात्रा 5 अगस्त से प्रारंभ होगी। एयर एलायंस द्वारा जगदलपुर से रायपुर एवं हैदराबाद की हवाई सेवा शुरू करने को लेकर तैयांरियां शुरू कर दी गई हैं। इससे प्रदेशवसियों को जगदलपुर से हैदराबाद और रायपुर के लिए हवाई सेवा उपलब्ध होगी। डीजीसीए के द्वारा जगदलपुर के एयरपोर्ट की आपत्तियों का निराकरण एयरपोर्ट प्रबंधन और जिला प्रशासन से करवा लिया है।कलेक्टर जगदलपुर श्री रजत बंसल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन द्वारा जगदलपुर एयरपोर्ट से उड़ान सेवा प्रारंभ करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे थे। मार्च माह में ट्रायल लैडिंग एयर इंडिया के हवाई बेडे़ के द्वारा किया गया था। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त से शुरू हो रही एयर एलायंस की विमान सुबह 9.50 को हैदराबाद से उड़ान भरकर जगदलपुर सुबह 11.15 बजे पहुँचेगी। जगदलपुर से सुबह 11.55 बजे उड़ान भरकर दोपहर 01 बजे रायपुर पहुँचेगी। इसके बाद विमान वापसी के लिए दोपहर 1.40 बजे रायपुर से रवाना होकर 2.45 बजे जगदलपुर पहुँचेगा और जगदलपुर से अपरान्ह 3.25 बजे रवाना होकर हैदराबाद शाम 4.50 बजे पहुँचेगा।
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गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा मनेगा 8 जुलाई से 21 जुलाई तक
हाथ धोने व स्वस्छ पानी पीने घर-घर जाकर मितानिन करेंगी जागरुक
जिले के 2.52 लाख बच्चों के लिए 210 स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस-जिंक कार्नर की स्थापना
रायपुर, 9 जुलाई। प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा गहन डायरिया नियंत्रण पखपाडा 8 जुलाई से 21 जुलाई तक मनाया जा रहा है। शून्य से 5 साल तक के बच्चों में मृत्यु का एक मुख्य कारण डायरिया से होने वाली मौतें भी हैं। इस लिए डायरिया से ग्रसित बच्चों का शीघ्र उपचार कर शिशु मृत्यु दर में कमी की जा सकती है। डायरिया से होने वाली बीमारी के प्रभाव को रोकने, ओआरएस व जिंक की उपलब्धता बढ़ाने और डायरिया प्रबंधन को मजबूत बनाना ही पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य है। अस्पताल की ओपीडी में आए मोवा निवासी हरी राम साहू की 7 माह की बेटी धनेश्वरी को ओआरएस का घोल व जिंक टेबलेट का वितरण कर उन्हें समझाया गया कि घोल का 24 घंटे के भीतर उपयोग करना जरुरी है।
डायरिया रोग फैलने के मुख्य कारणों में बासी भोजन, दुषित जल का प्रयोग, शौच के दौरान साबुन से हाथ नहीं धोने से बीमारी का खतरा बना रहता है। जिले में 0-5 साल तक के बच्चों में 1.30 लाख लड़कों व 1.22 लाख लड़कियों सहित कुल 2.52 लाख बच्चों को ओआरएस व जिंक की घोल ओरल पिलाई जाएगी। रायपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग की एचएमआईएस रिपोर्ट वार्षिक 2018-19 में से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले में प्रति 1000 जन्म लेने वाले बच्चे में मृत नवजात का जन्म दर 12.32 है। वहीं एसआरएस 2017 के आंकड़ों के अनुसार प्रति 1000 जीवित जन्म लेने वाले बच्चों में शिशु मृत्यु दर 38 है। पखवाड़े के दौरान जिले के 210 स्वास्थ्य केंद्रों के ओपीडी व आईपीडी वार्ड में ओआरएस - जिंक कार्नर की स्थापना कर डायरिया से ग्रसित मरीजों का उपचार करना है। डायरिया नियंत्रण के लिए सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों में ओआरएस - जिंक कार्नर की स्थापना भी की जायेगी| मरीजों को ओरल रिहाईडरेशन सोलूशन (ओआरएस) व जिंक निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा|
जिला नोडल अधिकारी डॉ. एस के सिन्हा ने बताया पखवाडा के दौरान जिले में 484 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता , 1870 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व शहरी 1050 व 1884 ग्रामीण मितानिन द्वारा बच्चों से लेकर बड़ों को 7 स्टेप में हाथ धुलाई के तरीके भी बताएं जाएंगे जिससे संक्रमण को रोका जा सके। मुहल्लों में वाल पेंटिंग व स्लोगन लिखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन द्वारा लोगों में जागरुकता लाने प्रयास करेंगे। गहन डायरिया पखवाड़ा के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा लोगों को उल्टी दस्त होने पर तत्काल नजदिक के स्वास्थ्य केंद्र व एएनएम से संपर्क करने की सलाह दी जाएगी। डॉ. सिन्हा ने बताया, शिशुवती माताओं को बच्चों के देखभाल में विशेष ध्यान देते हुए दस्त के दौरान एवं दस्त के बाद मां का दूध, तरल पदार्थ एवं ऊपरी आहार देना जारी रखना चाहिए। जन्म से लेकर 6 माह तक के बच्चों को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। इसके अलावा खाना बनाने एवं खिलाने के पहले और शौंच के बाद साबुन से हाथ जरुर धोंए ।
जिला चिकित्सालय पंडरी के ओपीडी हॉल में गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा के तहत ओआरएस - जिंक कार्नर की स्थापना 8 जुलाई को की गई। वहीं शिशु रोग विभाग के ओपीडी में आने वाले बच्चों को ओआरएस व जिंक का घोल पिलाया गया। सीएमएचओ डॉ.मीरा बघेल व जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ.आर. के. तिवारी के मार्गदर्शन में जिला चिकित्सालय के डॉ.व्ही.आर.भगत, डॉ.मोजरकर शिशु रोग विशेषज्ञ व जिला अस्पताल के सलाहकार के उस्पस्थिति में डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा का शुभारम्भ किया गया। इस मौके पर ओआरएस का पैकेट और जिंक की गोली का वितरण किया गया।
गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी साफ सफाई का ध्यान रखना है। इससे कई तरह के संक्रमण से बच्चों व स्वयं के स्वास्थ्य का खयाल रख सकते हैं। कोरोना संक्रमण के इस महामारी से बचाव के लिए सोशल डिसटेंसिंग और डिजिटल प्लेफार्म का उपयोग स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपनाया जा रहा है| पखवाड़े के दौरान नॉन कंटेमेंनट जोन में स्थानीय परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए घरों में तथा कुएं, जल स्रातों की साफ-सफाई एंव संक्रमण को रोकने हेतु क्लोरिन टेबलेट का वितरण किया जाएगा| जागरुकता अभियान के दौरान लोगों को यह बताया जा रहा कि 45 फीट और उससे उपर के लेयर वाले हैंडपम्प का पानी डायरिया को बढ़ावा देता है। बच्चों को गहरे लेयर के हैंडपम्प का पानी ही पिलाएं और यदि ऐसा संभव नहीं है तो पानी को गर्म कर अथवा क्लोरीन टैबलेट्स से पानी को शुद्ध कर ही पीयें। प्रदूषित पानी पीने, खान-पान में गड़बड़ी और आंतों में संक्रमण से डायरिया की बीमारी होती है। डायरिया होने पर मरीज को तब तक ओआरएस का घोल देना चाहिए जब तक दस्त ठीक न हो जाए। डायरिया ठीक होने के बाद बाद 14 दिन तक बच्चों को जिंक की दवा देनी चाहिए।
मितानिनों द्वारा सभी 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों के घरों में ओआरएस का व पैकेट का वितरण तथा इसके उपयोग की सलाह के संबंध में माताओं को जानकारी दी जायेगी| इस अभियान के दौरान मितानिनों को कोविड-19 सं संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ओआरएस व जिंक घोल बनाने की विधि का प्रदर्शन के दौरान फिजीकल डिस्टेंसिंग , मास्क लगाना व हैंड वासिंग के लिए सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना जरुरी है। वहीं मितानिन द्वारा स्वच्छता की जानकारी देते हुए माताओं को शिशुओं में होने वाले खतरे की संभावना के बारे में बताते हुए जागरुक करेगी। -
प्रशिक्षण में परिवार नियोजन पर भी बात हुई, लगभग 400 जवान लेंगें हिस्सा
रायपुर : जिले की यातायात पुलिस के जवानो के लिए कोरोना वायरस संक्रमण में तनाव प्रबंधन और स्वस्थ्य जीवन शैली कार्यशाला के दौरान जनसँख्या स्थिरता पखवाड़े की जानकारी भी दी गयी। विश्व जनसँख्या दिवस (11जुलाई) के अवसर पर पूरे राज्य में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। परिवार नियोजन में इस्तेमाल होने वाले साधनों पर भी खुली चर्चा करके प्रतिभागियों की झिझक को तोड़ा गया और छोटे परिवार के फायदे पर भी प्रतिभागियों ने अपनी राय खुली चर्चा के दौरान रखी।
कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल और जिला कार्यक्रम प्रबंधक मनीष मेजरवार के मार्गदर्शन में किया जा रहा है । जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सहायक चिकित्सा अधिकारी डीएस परिहार ने कोविड-19 में तनाव प्रबंधन की ज़रुरत और प्रबंधन के बारे में जानकारी दी । कार्य स्तर पर अपनी परेशानियाँ एक समझदार दोस्त से साझा करने की बात भी प्रतिभागियों को बताई गयी।
जिला सलाहकार डॉ. सृष्टि यदु द्वारा ट्राफिक जवानो को तंबाकू और नशे की आदत से होने वाले शारीरिक और मानसिक नुकसान पर विस्तार से समझाया गया।डॉ. यदु ने तम्बाकू सेवन और नशेसे छुटकारा पाने के लिए सरकार द्वारा ज़िला चिकित्सालय से स्थित स्पर्श क्लीनिक के बारे में बताया गया। शहरी कार्यक्रम प्रबंधक ज्योत्सना ग्वाल द्वारा कोविड19 के खतरे और बचाव बारे प्रतिभागियों को विस्तार से बताया गया । विशेष रुप से कार्यस्थल पर शारीरिक दूरी को कैसे बनाए रखें,फेस मास्क की उपयोगिता और समय-समय पर हाथ धोने के साथ साथ नियमित रूप से पानी पीने की भी जानकारी दी गयी।
यातायात पुलिस के लगभग 400 जवान 7 दिन की कार्यशाला में भाग लेंगें। उप पुलिस अधीक्षक सतीश ठाकुर, तंबाकू नियंत्रण इकाई के सलाहकार अजय बैस सहित पुलिस प्रशासन के परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारी शामिल उपस्थित रहे। -
- बाहर से आने वाले बंदियों को 30 दिनों तक किया जा रहा क्वारेंटीन- स्वास्थ्य सचिव के दिशा निर्देश पर जेलों में बरती जा रही विशेष सावधानी
रायपुर. 27 जून : कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए प्रदेश के सभी जेलों में विशेष सावधानी बरती जा रही है। जेल में एंट्री के समय हो या फिर बैरक में कैदियों को रखा जाना, हर चरण पर स्वच्छता और सावधानी रखी जा रही है ताकि पूर्व से जेल में रह रहे कैदी संक्रमित न हों। जेल प्रशासन द्वारा बाहर से आने वाले कैदियों को 30 दिन (अलग-अलग बैरक में ) क्वारेंटीन किया जा रहा है और पुनः मेडिकल जांच के बाद ही उन्हें सामान्य बैरक में भेजा जा रहा है।जेल में कोविड संक्रमण ना हो इसे देखते हुए बीते दिनों सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग निहारिका बारिक सिंह ने पुलिस महानिदेशक (जेल) को पत्र लिखकर राज्य के सभी जेलों में अभियोगाधीन (अंडर ट्रायल) या बाहर से लाए गए कैदियों को 14 दिन तक अलग सेल में रखकर क्वारेंटीन किए जाने का निर्देश दिया था। इसे देखते हुए जेल प्रशासन सेंट्रल जेलों में अतिरिक्त व्यवस्था के तहत तीन बैरक बनाकर बाहर से आने वाले कैदियों को क्वारेंटीन कर रही है। यही व्यवस्था सभी जिला जेलों में भी की गई है।
ऐसी है व्यवस्था- जेल डीआईजी डॉ.के.के. गुप्ता ने बताया कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए एहतियातन उपाय किए हैं। तीन बैरक बनाकर बाहर से आने वाले कैदियों को ( अलग-अलग समय सीमा में अलग- अलग बैरक में ) रखा जा रहा है। इस तरह 30 दिनों तक उन्हें अलग बैरक में रखने के उपरांत उनकी मेडिकल जांच की जाती है। सामान्य होने पर उन्हें सामान्य बैरक में भेजा जाता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार बाहर से आने वाले बंदियों की जेल में घुसते समय मे़डिकल ऑफिसर और पैरा मेडिकल स्टाफ द्वारा थर्मल स्कैनिंग हो रही हैI उनकी हिस्ट्री और कांटेक्ट डिटेल और संपूर्ण जानकारी ली जा रही है। इसके बाद उन्हें सुरक्षा दृष्टिकोण से सामान्य नहीं बल्कि अलग बैरक ( सेल) में रखा जाता है। सभी बैरक में लिक्विड सोप, सेनीटाइजर की व्यवस्था है और सभी बंदियों को दो-दो वाशेबल मास्क दिए गए हैं। जेल के अंदर सभी बैरक, गेट, दरवाजों में भी सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिड़काव नियमित किया जा रहा।
प्रदेश में इतनी जेल- राज्य में इस समय कुल 33 जेल है। इसमें 5 सेंट्रल जेल (रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर एवं दुर्ग), 12 जिला और 16 उपजेल है। यहां 17000 से अधिक कैदी और बंदी रखे गए हैं। राजधानी रायपुर में कुल 2600 कैदी हैं। जेल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक कोविड-19 संक्रमणकाल के दौरान प्रदेश भर से लगभग 7000 कैदियों, बंदियों को पैरोल, जिनकी सजा पूरी हो गई हो, अंतरिम जमानत या जमानत पर छोड़ा गया है।
परिजनों, वकीलों से मुलाकात बंद, है अलग व्यवस्था- प्रदेश के जेलों में कोविड के संक्रमण को देखते हुए घरवालों और वकीलों से मुलाकात बंद है। ऐसे में जेल प्रशासन की ओर से बंदियों के लिए जेल में अलग से परिजनों और वकीलों से कुशलक्षेम जानने के लिए जेलों में प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की स्थापना की गई है ताकि बंदी टेलीफोन के माध्यम से अपने परिजनों और अधिवक्ताओं से बात कर सकें। ताकि बाहरी व्यक्तियों से संक्रमण ना फैले और कैदियों, बंदियों को अपने परिजनों और वकीलों से बातचीत भी हो जाए। - रायपुर : राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जिला कलेक्टरों के माध्यम से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे पानी में डूबने, जहरीले सांप या अन्य जन्तु के काटने, आकाशीय बिजली गिरने सहित अन्य प्राकृतिक कारणों से मृत्यु हो जाने पर मृतक के निकटतम परिजनों को राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत आर्थिक अनुदान सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत महासमंुद जिले के एक, बलरामपुर जिले के 40 और सूरजपुर जिले के 8 आपदा पीड़ित परिजनों को कुल एक करोड़ 96 लाख रूपए की आर्थिक अनुदान सहायता राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत प्रदान की गई।
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रायपुर : नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने शहरी क्षेत्रों में निवासरत गरीब परिवारों के पात्र हितग्राहियों को प्राथमिकता से आवास उपलब्ध कराने अधिकारियों को निर्देशित किया है। डॉ. डहरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप नगरीय निकायों में रहने वाले गरीब परिवार को ‘मोर जमीन, मोर मकान’, ‘मोर आवास, मोर चिन्हारी’ और ‘स्वास्थने झुग्गी बस्ती पुनर्विकास’ जैसी अनेक योजनाओं के तहत सस्ते दर पर मकान उपलब्ध कराया जा रहा है। शासन द्वारा संचालित इन योजनाओं के तहत गरीब परिवारों के लिए 76 हजार से अधिक मकानों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है, वहीं दो लाख 47 हजार से अधिक मकानों का निर्माण कार्य जारी है।
मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि मोर जमीन, मोर मकान योजना के तहत हितग्राही को स्वयं की भूमि पर अधिकतम् 30 वर्गमीटर तक आवास निर्माण के लिए शासन द्वारा चार किश्तों में दो लाख 29 हजार रूपए का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना के तहत एक लाख 60 हजार मकान बनाने का लक्ष्य है। अब तक एक लाख 61 हजार 989 मकान निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमे 57 हजार 104 मकानों को निर्माण पूर्ण हो चुका है ऐसे शेष मकानों का निर्माण प्रगति पर है।
इसी तरह मोर आवास, मोर चिन्हारी योजना के तहत हितग्राही जिनके पास शहर में पक्का मकान नहीं है और वह स्लम में निवास करते है। ऐसे हितग्राहियों को ईडब्ल्यूएस भूमि पर बहुमंजिला बिल्डिंग मंे 30 वर्गमीटर का आवास निर्माण का प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए हितग्राहियों के अंशदान की राशि 75 हजार रूपए हैं। इस योजना के तहत एक लाख हितग्राहियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है। 65 हजार 783 मकानों की स्वीकृति प्रदान कर छह हजार 50 मकानों को निर्माण पूर्ण कर लिया गया है और शेष मकानों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
उन्होंने बताया कि इसी तरह स्वास्थाने झुग्गी बस्ती पुनर्विकास योजना के तहत स्थायी स्लम की भूमि को संसाधन के रूप में उपयोग करते हुए पीपीपी मोड पर उसी भूमि में बहुमंजिला फ्लैट कर हितग्राहियों को आवास प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत लगभग छह हजार मकानों के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। साथ ही क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के तहत ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी वर्ग के हितग्राहियों को शासन द्वारा आवास निर्माण के लिए ऋण लेने पर तीन से छह प्रतिशत (लगभग 2.30 लाख) रूपए तक ऋण अनुदान प्रदान किया जा रहा हैै। योजना के तहत 13 हजार 300 मकानों के निर्माण की स्वीकृति मिली है। इसमंे से 12 हजार 7751 मकानों का निर्माण पूर्ण हो चुका हैं, बाकि का कार्य प्रगति पर है। -
रायपुर : प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुुनिश्चित कर छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गांवों में पेयजल योजनाओं के लिए 2 हजार की आबादी के बंधन को समाप्त कर कम आबादी वाले गांवों में भी पेयजल योजनाओं के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था से ग्रामीण अंचल के लोगों को सहजता पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार के मार्गदर्शन में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। भू-जल स्त्रोतों के साथ वर्षा जल के संचयन और भू-जल संवर्धन के साथ सतही जल स्त्रोतों का उपयोग कर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की नीति पर राज्य सरकार कार्य कर रही है।
राज्य सरकार द्वारा बी.पी.एल परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2019 में मिनीमाता अमृत धारा योजना प्रारंभ की गई है। जिसके अंतर्गत बी.पी.एल. परिवारों को मुफ्त नल कनेक्शन देने का प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य की इस महत्वाकांक्षी योजना से अब तक 40 हजार 831 परिवारों को मुफ्त घरेलू नल कनेक्शन दिया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में लगभग 20 हजार गांव हैं। जल आवर्धन योजना अंतर्गत 3 हजार गांव में पाइप लाइन के जरिए पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही जल जीवन मिशन में वर्ष 2024 तक राज्य के हर गांव में घर-घर नल के जरिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने का लक्ष्य है।
राज्य में पेयजल की आपूर्ति से संबंधित निर्माण एवं संधारण के कार्याें को सहजता से समय-सीमा में पूर्ण कराने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने सबसे पहले अपना नया यूएसओआर रेट लागू कर दिया है। नया यूएसओआर रेट लागू हो जाने से पेयजल संबंधी निर्माण एवं मरम्मत के कार्यों को कराने में आसानी होगी। नया यूएसओआर रेट के कारण अब राज्य शासन के राज्यांश के अतिरिक्त अन्य वित्तीय भार की बचत होगी। इससे राज्य के सुदूर अंचल सहित अन्य इलाकों में विभागीय कामकाज को तेजी से पूरा कराने में मदद मिलेगी।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की उन बसाहटों में जहां के पानी में आयरन तत्व की अधिकता है उसे पीने योग्य बनाने के लिए आयरन रिमूवल प्लांट लगाए गए हैं। ऐसी बसाहटें बस्तर क्षेत्र में अधिक है, जहां 40 से 50 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इसी प्रकार 600 बसाहटों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट स्थापित कर लगभग 30 से 40 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। राजनांदगांव जिले की चौकी नगर पंचायत और आस-पास के 20 गांवों में जहां के भू-जल में आर्सेनिक जैसे विषैले तत्व की अधिकता थी, वहां आर्सेनिक रिमूवल प्लांट लगाकर लगभग 40 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य के दूरस्थ पहुंचविहीन, विद्युतबाधित और लो वोल्टेज की समस्या वाले इलाकों में सौर ऊर्जा आधारित ड्यूल पम्प के माध्यम से पेयजल की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है। गर्मी के दिनों में पेयजल संबंधी शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए प्रदेश स्तर के साथ-साथ सभी जिला मुख्यालय में कन्ट्रोल रूम स्थापित कर समस्याओं का निराकरण त्वरित रूप से किया गया।
ऐसे क्षेत्र जहां ग्रीष्म काल में भू-जल स्तर गिरने से पेयजल और निस्तार की गंभीर समस्या आती है। वहां ’व्ही वायर इंजेक्शन वेल’ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का उपयोग करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। इस तकनीक और इसकी कार्य प्रणाली के माध्यम से 2.5 एकड़ क्षेत्र में होने वाली वर्षा जल से 10 एमएलडी अर्थात एक करोड़ लीटर वर्षा जल को जमीन के अंदर इंजेक्ट कर रिचार्ज किया जा सकता है। दुर्ग जिले के निकुम और अंजोरा ढाबा गांव में इस तकनीक को लगाने का निर्णय लिया गया है। -
रायपुर : प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम वित्तीय वर्ष 2020-21के अन्तर्गत स्व-उद्यम की स्थापना कर रोजगार सृजन करने हेतु आन लाईन आवेदन www.kviconline.gov.in/www.kvic.org.in के pmegp e-portal में जाकर किया जा सकता है।
इस योजनान्तर्गत विनिर्माण उद्यम हेतु अधिकतम परियोजना लागत 25 लाख रुपए एवं सेवा उद्योग हेतु अधिकतम परियोजना लागत 10 लाख रुपए तक के ऋण बैंकों के माध्यम से स्वीकृत किये जायेंगे ।आनलाईन आवेदन के साथ आवेदक स्वयं की फोटो, मार्कशीट, आधार कार्ड,प्रोजेक्ट रिपोर्ट, जाति प्रमाण पत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिये जनसंख्या प्रमाण पत्र की छायाप्रति स्केन कर अपलोड करना होगा।इस योजना का लाभ प्राप्त करने तथा अपना स्वयं का सेवा व्यवसाय तथा उद्योग स्थापित करने हेतु आवेदक आनलाईन प्रणाली से आवेदन कर सकते है। योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए आवेदक कार्यालयीन समय पर कार्यालय जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, उद्योग भवन, तृतीय तल, रिंग रोड नं.-1, तेलीबांधा, रायपुर में संपर्क कर सकते है।
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बदलते मौसम में रखें साफ सफाई का ध्यान
गाय के घी का करें सेवन और तेल मिर्ची का सेवन करें कम
रायपुर 16 जून : मानसून के आगमन के साथ ही कई बीमारियां भी साथ आती है ।मौसम बदलते ही सबसे पहली शुरुआत एलर्जी से होती है । कुछ एलर्जी मौसम के बदलने पर होती है और कुछ एलर्जी किसी व्यक्ति में पूरी ज़िंदगी के लिए होती है ।एलर्जी शरीर के नाज़ुक अंगों नाक, कान, गले, आंख, और त्वचा को प्रभावित करती हैं। कभी कभी मौसम बदलने पर छींकें आने लगती हैं या त्वचा में खुजली होती है जो एलर्जी हो सकती है।
शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रायपुर के पंचकर्म विभाग के एचओडी डॉ. रंजीप दास कहते है मानसून में गाय के घी का सेवन करना लाभदायी होता है । साथ ही तेल मिर्ची का सेवन कम करने से शरीर ठंडा रहता है जिससे एलर्जी और त्वचा रोगों से शरीर को बचाया जा सकता है ।एलर्जी होने पर नमक के पानी से गरारा करने पर नाक और मुंह में फसे धूल के कण और बलगम बाहर आता है। इससे नाक की एलर्जी की समस्या दूर हो जाती है । आसपास साफ सफाई रखें क्योंकि ज्यादातर एलर्जी बैक्टीरिया से होती है।खुजली वाले जानवरों से दूर रहें और साफ-सुथरे कपड़े पहने क्योंकि इनमें बैक्टीरिया हो सकते है जो एलर्जी का कारण बनते है।अगर मौसम बदलने से त्वचा में खुजली होती है तो नारियल के तेल में कपूर मिलाकर इसको खुजली वाले स्थान पर लगाने से राहत मिलती है।
दूध में हल्दी तथा किशमिश मिलाकर रोज पीने से एलर्जी से बचाव होता है। कच्ची हल्दी अथवा नीम की कलियों को सुबह खाली पेट लिया जा सकता है ।इस मौसम में कई बार शरीर में पित्त बढ़ने से जलन भी होती है । इसलिए ज्यादा पानी पीना चाहिए, नारियल पानी भी लाभदायक हैं ।
त्वचा पर होने वाली एलर्जी में एलोवेरा राहत देता है। एलोवेरा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं इससे खुजली में आराम मिलता है त्वचा पर मौजूद कीटाणु मर जाते है ।नीम एक एंटीबैक्टीरियल है कीटाणुओं से लड़ने में मदद करता है। इसके पत्तों को रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उन्हें पीस कर खुजली वाली जगह पर लगाएं। अगर आंखों में जलन या खुजली है तो आंखों को ठंडे पानी या गुलाब जल से धोएं। घर से बाहर निकलने से पहले अपनी आंखों को धूप वाले चश्मे से ढक लें। खीरा काटकर भी आंखों पर रख सकते हैं, इससे भी आंखों को आराम मिलता है।
नाक में एलर्जी हो गई है या छींकें आ रही हैं तो अदरक, लौंग, दालचीनी मिलाकर काढ़ा बना लें और इसे पी लें। ऐसा दिन में कम से दो बार करें फायदा मिलेगा। तुलसी, अदरक, लौंग, कालीमिर्च आदि मिलाकर बनाई गई चाय पीने से भी आराम मिलता है। -
रायपुर : जनसम्पर्क आयुक्त श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने आज ऑनलाइन कान्फ्रेसिंग के जरिए जिला जनसंपर्क अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के समय जनता तक सही और प्रामाणिक सूचना पहुँचाने में जनसम्पर्क अधिकारियों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कोरोना संकट एवं लाॅकडाउन के दौरान जनसंपर्क अधिकारियों ने अपने दायित्वों का सेवा भावना से निर्वहन किया है। जब देश और प्रदेश में बस, रेल यातायात सब बंद थे, लेकिन उस समय भी छत्तीसगढ़ में सूचनाओं का प्रवाह थमा नहीं था। आयुक्त ने जनसंपर्क अधिकारियों की मेहतनत एवं कर्तव्य परायणता के लिए मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि संकट अभी टला नहीं है, हमें आवश्यक सावधानी बरतते हुए समाज एवं जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का सतत् निर्वहन करना है।
जनसम्पर्क विभाग द्वारा कोरोना संकट के दौरान सूचना एवं संचार की नयी एवं आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल प्रारंभ किया गया। लाॅकडाउन के दौरान कोविड-19 के रोकथाम, जनस्वास्थ्य सुरक्षा तथा राहत उपायों की जानकारी देने मुख्यमंत्री एवं मंत्रीगणों के आॅनलाईन प्रेस कान्फ्रेंस की व्यवस्था शुरू की गयी। इसी कड़ी में आज जनसंपर्क आयुक्त द्वारा जिला जनसंपर्क अधिकारियों को आॅनलाईन कांफ्रेसिंग के जरिए सम्बोधित किया गया।आयुक्त श्री सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना संकट से निपटने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। जिले में मैदानी अमला क्वारंटाईन सेन्टर बनाने एवं उसके प्रबंधन व संचालन में दिन-रात काम में लगे हैं। हमारे डाॅक्टर और हेल्थ वर्कर लगातार पीडितों का उपचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एवं शासकीय अमला द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यो को आम जनता तक पहंुचाने के लिए प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ-साथ सोशल एवं डिजिटल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि जनस्वास्थ्य सुरक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार की भ्रामक खबरें न फैले इसलिए अफवाहों पर नजर रखें और तत्काल इसकी सूचना जिला प्रशासन एवं उच्च अधिकारियों को दें। श्री सिन्हा ने कहा कि सही तथ्यों के साथ त्वरित रूप से सूचना देकर हम अफवाह एवं भ्रामक सूचनाओं को फैलने से रोक सकते हैं।
बैठक में कोविड-19 के नियंत्रण, राहत व्यवस्था एवं क्वारंटाईन सेन्टर में की गयी व्यवस्थाओं की सूचना जनहित में व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए। राज्य सरकार के फ्लैगशिप योजनाओं के साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, लघु वनोपजों के संग्रहण, वनोत्पाद के विक्रय, लोक सेवा गारंटी अधिनियम आदि पर आधारित सफलता की कहानियां जारी करने के निर्देश दिए गए। मानसून के आगमन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में खेती-किसानी की तैयारी, रासायनिक खाद एवं बीजों का भण्डारण एवं किसानों द्वारा उठाव से संबंधित सूचनाओं पर आधारित खबरें किसानों के हित में लगातार जारी करने के निर्देश दिए गए। बैठक में अपर संचालक द्वय श्री जे.एल. दरियो एवं श्री उमेश मिश्रा, संयुक्त संचालक श्री संजीव तिवारी, श्री आलोक देव एवं श्री संतोष मौर्य भी उपस्थित थे। -
रायपुर, 10 जून : कोरोना वायरस के संक्रमण की चैन को तोड़ने और बीमारी के समुदाय में फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव के क्वारेंटाइन सेंटर्स से लगे भवन के आस-पास के घरों में संदिग्ध की खोज कर रहे हैं।
अनलॉक होने के बाद प्रवासी श्रमिकों के बस, ट्रेन, अन्य वाहन के साधनों व पैदल ही गांव वापसी होने से संक्रमण का खतरा बढ गया है। ऐसे में एहतियात बरतते हुए बाहर से आने वाले लोगों की पहचान कर स्वास्थ्य जांच कर अन्य लोगों से अलग रहने के निर्देश भी दिए जा रहे हैं। कोरोना संदिग्धों के अलावा ऐसे मरीजों की भी खोज की जा रही है जो पूर्व में किसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित है। ऐसे लोगों का इम्युनिटी लेवल कम होता है जिससे वे कोरोना वायरस के संक्रमण के जद में आ सकते हैं।
मेडिकल टीम मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट पहनकर ऐसे इलाकों में कोरोना योद्धा बनकर सर्वे कार्य को अंजाम दे रही है। सेक्टर खोरपा के अंतर्गत 18 ग्रामों में डोर-टू-डोर 900 घरों का सर्वे किया गया है जिसमें लक्षण सर्दी, खांसी, बुखार, पेट दर्द, भूख न लगना संबंधित व्यक्तियों का लिस्ट तैयार किया गया है। सर्वे के दौरान 56 गर्भवती महिलाएं चिंहाकित की गई जिन्हे अतिरिक्त सावधानियां बनाए रखने और समय-समय पर मितानिन और एएनएम से संपर्क कर टीका लगवाने की जानकारी दी गई। वहीं किसी भी तरह के असामान्य लक्षण नजर आने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों से संपर्क कर सकते हैं। सर्दी खांसे के सामान्य मरीज मिले जिन्हें प्राथमिक केंद्र से दवा लेने की सलाह भी दी गई।
कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले के अभनपुर विकासखंड के अंर्तगत खोरपा सेक्टर में 16 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। अन्य प्रदेश व जिलों से आने वाले लोगों को स्थानीय स्कूल, छात्रावास व सामुदायिक भवन को क्वारेंटाइन सेंटर में तबदील कर अस्थायी तौर पर श्रमिकों को ठहराया गया है। खोरपा सेक्टर सुपर वाइजर एफ.आर. मार्कण्डे ने बताया- क्वारेंटाइन सेंटर में सोशल डिसटेंसिंग और सेनेटाइजर का उपयोग करने और साफ सफाई बनाए रखने की जानकारी भी लोगों को में कुल 90 लोगों को क्वरेंटाइन सेंटर और 19 लोगों को होम क्वारेंटाइन में रखा गया है। उन्होंने बताया, क्वारेंटाइन सेंटर में 56 पुरुष, 23 महिलाएं और 11 बच्चों को ठहराया गया है। फिलहाल इस सेण्टर कोई भी गर्भवती महिला नहीं ठहरी है। शासन द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से क्वारेंटाइन सेंटर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। क्वारेंटाइन सेंटर के प्रभारी बीपीएम अश्विनी पांडे द्वारा प्रवासी श्रमिकों को क्वरेंटाइन अवधी के दौरान व्यक्तिगत उपयोग में आने वाले क्या-क्या जरुरी सामाग्री अपने पास रखना है, इस संबंध में जानकारी दी गई।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोरपा के प्रभारी डीएस नेताम (आरएमए) का कहना है, इस संकट के घड़ी में टीम को हर सदस्य का योगदान जरुरी है। कोरोना संकट काल में लगे ड्यूटी कर रहे सभी कोरोना योद्धा ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (आरएचओ) में के. के. बंजारे, रामेश्वर पटेल, अनूप साहू, हरिश तिवारी, गौतम विश्वकर्मा व सीएचओ चितेश साहू सक्रिय भागीदार के रुप में भूमिका निभा रहे हैं। आज की इस कोरोना महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों में ग्राउंड जीरों में परिस्थतियों का सामना करने वाले कोरोना वारियर आरएचओ की जरुरत है। -
- पक्षियों के दाना-पानी के लिए भी बांटा सकोरा
रायपुर 10 जून : कोरोना संक्रमण के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में फ़िलहाल अनलॉक 1.0 के अंतर्गत कुछ छूट भी दी गयी हैI परंतु कोरोना संक्रमण के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। बावजूद इसके चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी जहां लोगों को बीमारी से बचाने के लिए तत्पर हैं वहीं दूसरी ओर सफाई कर्मी भी गली- मुहल्लों की सफाई कर अपने समाजिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। इसी को देखते हुए बुधवार को सफाई कर्मियों का सम्मान किया गया।
सामाजिक संस्था संभावना फाउंडेशन ने राजधानी के विभिन्न इलाकों में नियमित सफाई करने वाले 30 सफाई कर्मियों का सम्मान बुधवार को फूल बरसाकर और श्रीफल देकर किया। संस्था के सदस्यों एवं क्षेत्र के लोगों ने इस दौरान ताली बजाकर सफाई कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया। साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के प्रति सतर्क रहने और पूरे नियमों का पालन करने की सीख भी उन्हें दी। संस्था अध्यक्ष सुमन यादन एवं सदस्य रूख्मणी ने बताया राजधानी में जब से कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या दर्ज की गई है तब से सफाई कर्मचारी बिना बगैर नागा किए नियमित रूप से शहर के हर गली और मुहल्लों की सफाई कर रहे हैं। चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी जहां करोना संक्रमितों की जिंदगी बचाने में जुटे हैं, वहीं सफाईकर्मी भी किसी योद्धा से कम नहीं हैं। इसी को देखते हुए रायपुर के कुसालपुर, रामकुंड, टिकरापारा, समता कालोनी के लगभग 30 सफाई कर्मचारियों का सम्मान किया।
पक्षियों के लिए बांटा सकोरा- गर्मी में पक्षियों को दाना पानी देने के उद्देश्य से संस्था की ओर से राजधानी के कई इलाकों में मिट्टी का सकोरा ( मिट्टी का ढक्कननुमा पात्र जिसमें पानी- दाना रखते हैं) वितरित किया जा रहा है। इसी क्रम में शहीद चूणामणि नायक वार्ड, कुशालपुर, टिकरापारा, समता कालोनी, गुढ़ियारी इलाकों में लगभग 200 सकोरा वितरित किया गया।