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- · स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बचाव की दी जानकारी
· होगी 6 फीट की दूरी, तभी कोरोना से बचाव होगी पूरी
· तंबाकू सेवन से करें परहेज, रहें स्वस्थ
रायपुर 10 जून : कोरोना संक्रमण के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में फ़िलहाल तो कुछ छूट दी गयी है एवं अनलॉक 1.0 को देशभर में लागू कर दिया गया है. लेकिन अभी भी कोरोना संक्रमण के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी ही देखी जा रही है. इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने विडियो जारी कर अनलॉक 1.0 के दौरान कोरोना से बचाव की उपायों की जानकारी दी है. साथ ही कोरोना से ग्रसित लोग, कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोग एवं कोरोना पीडतों की देखभाल में जुटे चिकित्सक या अन्य कर्मियों के खिलाफ़ हो रहे भेदभाव के विषय में भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है. कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों के प्रति भेदभाव समुदाय में सही जानकारी के आभाव को दर्शाता है. बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जो ठीक होने के बाद कोरोना पीड़ितों के उपचार के लिए प्लाज्मा डोनेट भी कर रहे हैं. इसलिए वे भेदभाव नहीं बल्कि स्नेह के हक़दार हैं.
कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोगों से नहीं करें भेदभाव:
‘‘जब से कोरोना से ठीक होकर अस्पताल से लौटी हूँ. पड़ोसी मेरे साथ कुछ अजीब ही व्यवहार कर रहे हैं. घर वालों के पास भी कोई विकल्प नहीं है. सभी घर में ही कैद रहने को मजबूर हैं’’. ‘‘मैं अब बिलकुल ठीक हो चुकी हूँ. लेकिन घर वापस लौटने के बाद यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है. आस-पास के लोग तो मुझे पानी भी भरने नहीं देते. यह भेदभाव ठीक नहीं है’’.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना को मात देकर घर लौटी कुछ महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव पर उनकी बातों को विडियो के माध्यम से साझा किया है. साथ ही एम्स दिल्ली के निदेशक एवं चिकित्सकों ने भी इस पर अपनी राय भी रखी है.
एम्स. दिल्ली, के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कोरोना भी एक आम वायरल रोग है. यद्यपि बाकी वायरल रोगों की तुलना में इसका प्रसार तेज है. बहुत सारे कोरोना के ऐसे भी मरीज हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं है एवं वे आसानी से ठीक भी हो रहे हैं. लेकिन ठीक होने के बाद लोग उनसे दूर भागने लगते हैं एवं उन्हें सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो वैज्ञानिक रूप से बिलकुल गलत है. ठीक हुए मरीजों से कोरोना का संक्रमण दूसरे लोगों में नहीं फ़ैलता है. उन्होंने बताया भेदभाव के ही कारण बहुत सारे लोग पीड़ित होकर भी जाँच के लिए सामने नहीं आते हैं. इससे उनकी जान को खतरा है.
एम्स. दिल्ली, के मनोचिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कौशल सिन्हा देव बताते हैं,कोरोना ने लोगों को डरा दिया है. इस डर के कारण लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. लोगों को लगता है कि जो भी लोग कोरोना से लड़ रहे हैं या जो लोग कोरोना को हराकर ठीक हो चुके हैं उनसे दूरी बनाकर कोरोना संक्रमण से बचाव संभव है. लेकिन सत्य यह है कि लोगों से भेदभाव करके एवं कोरोना की जंग में शामिल लोगों पर ऊँगली उठाकर इस महामारी से बचा नहीं जा सकता है.
इन बातों का रखें विशेष ख्याल:
· सार्वजानिक स्थानों पर लोगों से 6 फीट की दूरी बनायें
· घर में बने पुनः उपयोग किये जाने वाले मास्क का प्रयोग करें
· अपनी आँख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें
· हाथों की नियमित रूप से साबुन एवं पानी से अच्छी तरफ साफ़ करें या आल्कोहल आधारित हैण्ड सैनिटाईजर का इस्तेमाल करें
· तंबाकू, खैनी आदि का प्रयोग नहीं करें, ना ही सार्वजानिक स्थानों पर थूकें
· अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली सतहों की नियमित सफाई कर इसे कीटाणु रहित करें
· अनावश्यक यात्रा न करें
· यदि सामाजिक समारोह स्थगित नहीं किया जा सकता, तो मेहमानों की संख्या कम से कम रखें
· कोविड-19 पर जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क करें -
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल में ही पुलिस कर्मियों द्वारा आमजनों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को बड़ी गंभीरता से लिया है और उन्होंने संबंधितों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश पुलिस महानिदेशक को दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पुलिस का व्यवहार आम नागरिकों से सम्मानजनक और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक डी.एम.अवस्थी ने राज्य के सभी रेंज पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया है कि पुलिस कर्मियों द्वारा आमजनों से दुर्व्यवहार करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर अपराधी प्रकरण दर्ज किया जाए। श्री अवस्थी ने रेंज पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षकों को अधिनस्थ पुलिस कर्मियों पर कठोर नियंत्रण रखने के निर्देश दिए हैं।
श्री अवस्थी ने कहा है कि इस प्रकार के मामलों के कारण पुलिस विभाग में लंबे समय से मेहनत कर रहे ईमानदार और अनुशासित पुलिस कर्मियों की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है और पुलिस की नकारात्मक छवि जनमानस के सामने आती है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में यदि किसी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी ने किसी भी आम व्यक्ति से दुर्व्यवहार किया तो उसे तत्काल निलंबित करते हुए आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। पुलिस महानिदेशक ने रेंज पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षकों को यह भी निर्देशित किया है कि हाल ही में ही घटित इस प्रकार के प्रकरणों पर विभागीय जांच संस्थित कर तत्काल कड़ी कार्रवाई करें। -
कोविड महामारी में कुपोषित बच्चों का रखें ख़ास ख्याल
केन्द्रों पर कोविड-19 की भी दी जा रही है जानकारी
रायपुर 9 जून : लॉक डाउन के बाद शुरु हुई गैर कोविड-19 गतिविधियों के अंतर्गत पोषण पुनर्वास केंद्र में बैठे 16-माह के लकी (बदला हुआ नाम) के माता और पता आज बहुत खुश है। उनकी ख़ुशी का कारण उनका बेटा है जिसका वज़न अब बढकर 7.4 किलो हुआ है | लकी पोषण पुनर्वास केंन्द्र में आने से पूर्व कुपोषण का शिकार था । उसका वज़न केवल 6.6 किलो था और वह सुस्त और चिडचिडा था। केंन्द्र में 15 दिन नियमित पोषण आहार के खान-पान, चिकित्सकीय जांच से लकी स्वस्थ्य हुआ है।
रायपुर के जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र की डाइटिशियन पूनम बताती है 20 मई को भर्ती होने के बाद से ही लकी का उपचार शुरू किया । ``हमने उसे उपचारात्मक डाईट एफ-75 से खान-पान कराना शुरू किया । हर दो घंटे में बच्चे को थोडा-थोडा खाना दिया गया जिसमें खिचड़ी, हलवा,और दलिया शामिल है । पोषण पुनर्वास केंन्द्र में देख रेख के साथ चिकित्सकों द्वारा प्रतिदिन स्वास्थ्य जांच करने के साथ ही उपचार भी किया जाता रहा। यह सब निशुल्क दिया जाता है।’’
वर्तमान में पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले लोगों और कुपोषित बच्चों को कोविड-19 के संक्रमण से बचने से रोकथाम और बचाव के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है । पोषण पुनर्वास केंद्र से डिस्चार्ज होने के पूर्व,बच्चे की मां को घर पर बनने वाले पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाती है और पौष्टिक आहार बनाना सिखाया जाता है।पूनम का कहना है शुरुआत में माता के अंदर बहुत ज्यादा झिझक रहती है उससे बात कर के धीरे-धीरे झिझक को तोड़ा जाता है । माता और पिता के मानसिक तनाव को भी कम किया जाता है । धीरे-धीरे उनसे दोस्ती करके उनको स्वस्थ परिवारिक जीवन शैली के बारे में भी बताया जाता है ।
आमतौर पर कुपोषित बच्चों को 15 दिन तक पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है।अगर बच्चे का वज़न 15% तक बढ जाए तो बच्चे को घर भेजा जाता है वरना 10 दिन तक और रखा जाता है। कभी कभी तो एक महीने तक भी रखा जा सकता है। मितानिन और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कुपोषित बच्चों की पहचान करने की ट्रेनिंग दी जाती है और वह समुदाय से ऐसे बच्चों को पुनर्वास केंद्र तक भेजते हैं। घर भेजे जाने के बाद भी इन्ही के माध्यम से स्वस्थ हुए बच्चों की जानकारी भी नियमित रूप से ली जाती है ।
लकी की मॉ रूकमणी (बदला हुआ नाम ) ने बताया वह बेटे के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित थी। स्वास्थ्य जॉच के लियें निजी अस्पताल भी गये थे लेकिन कोई सही परामर्श नहीं मिला। निरंतर वजन में कमी के साथ शारीरिक रूप से कमजोरी स्पष्ट झलक रही थी। इसी बीच पारा की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कम्लेश्वरी साहू ने पोषण पुनर्वास केंद्र के बारे में बताया।आंगनवाडी कार्यकर्ता ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों के साथ माताओं के लिए ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान रुकमनी को रूपये 150 प्रति दिन के दर से दिए जाते हैं।
``कमलेश्वरी दीदी के कहने पर ही हम बच्चे को केंद्र पर लाये। अब उसकी सेहत में काफी सुधार हुआ है।यह सब केंद्र की दीदीयों के द्वारा संभव हो सका और मुझे पोष्टिक आहर बनाने की सीख मिल सकी,’’ रुकमनी बताती है।
कोविड महामारी से बचाने में किया जा रहा दिशा-निर्देशों का पालन
कोविड महामारी के दौरान अब पोषण पुनर्वास केंद्र में संक्रमण को रोकने के लिए दिए निर्देश का पालन किया जा रहा है । कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कोरोना महामारी के समय उन्हें देखभाल की अत्यंत आवश्यक है। -
रायपुर, 5 जून : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के बीच नाक, कान और गला – ईएनटी (ENT) के चिकित्सएकों को सुरक्षित ऱखने के दिशा-निर्देश जारी किये हैं।दिशानिर्देशों का उद्देश्य ईएनटी डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, सहायक कर्मचारियों, रोगियों और उनके परिचारकों के बीच कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को कम करना है।
ईएनटी ओपीडी (ENT OPD) में प्रवेश करने वाले सभी कर्मचारियों और रोगियों के संपर्क को कम करने के लिए थर्मल जांच की जाएगी। मंत्रालय ने कहा कोविड-19 या ईएनटी (ENT) या श्वसन संबंधी लक्षणों वाले रोगियों को एक अलग कोविड-19 स्क्रीनिंग क्लिनिक में देखा जाना चाहिए। ईएनटी ओपीडी (ENT OPD) में प्रवेश करने पर, रोगियों के प्रवेश को विनियमित करने और मास्क, हाथ की स्वच्छता और सामाजिक दूरी का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिया गया है।
सीएमएचओ डॉ मीरा बघेल ने बताया जून और जुलाई महिने में प्रवासी श्रमिकों के आने का सिलसिला जारी रहने से कोरोना पॉजिटिव के मामले लगातार बढ रहे हैं।केंद्रीय स्वांस्य्मि मंत्रालय ने ईएनटी के डॉक्टोरों को अस्पशतालों में अतिरिक्त) सावधानियां बरतते हुए प्राटोकॉल का पालन करने की सलाह दी है। ओपीडी में एक समय में एक ही मरीज को देखना सुरक्षा की दृष्टि से जरुरी होगा। क्लिनिक में शारीरिक जांच की आवश्यकता वाले रोगियों की पहचान करने के लिए टेलीकॉन्सेलेशन को प्राथमिकता दी जाएगी।
निर्देश के अनुसार कोविड-19 सकारात्मक रोगियों को कोविद रोगियों के लिए नामित ऑपरेशन थिएटरों में केवल आपातकालीन संकेत के लिए संचालित किया जाना है।नियमित ओपीडी में एंडोस्कोपी करने से बचने का भी सुझाव दिया है, यह कहते हुए कि अगर यह प्रदर्शन करना है, तो इसे पीपीई किट के साथ अलग सीमांकित क्षेत्र में किया जाना चाहिए।
नाक-कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए हाई रिस्क। श्रेणी में चिकित्सीकों को रखा गया है। इन क्लि निकों में सुरक्षात्मिक कदम उठाते हुए गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि कोविद संदिग्ध रोगियों का इलाज कोविड-19 पॉजिटिव से अलग वार्ड में किया जाना चाहिए।मरीज की जांच कोविद निगेटिव स्थिति की पुष्टि के बाद ही उन्हें ईएनटी वार्ड (ENT ward) में स्थानांतरित कर इलाज किया जाना चाहिए। ईएनटी ओपीडी रूम अच्छी तरह हवादार होना चाहिए। ईएनटी डॉक्टरों को ओपीडी कक्ष में पीपीई किट (N95 मास्क, गाउन, दस्ताने, काले चश्मे / फेस शील्ड) पहनना चाहिए। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण द्वारा मानक प्रोटोकॉल के अनुसार मास्क, हाथ की स्वच्छता और सामाजिक दूरी उपयोग सुनिश्चित करें।नियमित ओपीडी में एंडोस्कोपी (नाक की एंडोस्कोपी, 90 कठोर या स्वरयंत्र के लिए लचीली एंडोस्कोपी) करने से बचें।
उन्हें कोविड-19 के लिए सख्त एहतियात करते हुए मास्क पहनना, सामाजिक दूरी और हाथ धोने की उपयुक्ते सुविधासुनिश्चित करें। हैंड सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग पोस्टर्स को वार्ड के कई क्षेत्रों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। रोगी के व्यक्तिगत सामान को कम से कम रखें। जांच उपकरणों को हर उपयोग के बाद मानक नसबंदी प्रोटोकॉल के अनुसार मेडिकल वेस्टम को डिस्पोंज करना चाहिए। वार्ड की उचित सफाई और कीटाणुशोधन के लिए वार्ड में न्यूनतम फर्नीचर होना चाहिए। ईएनटी वार्ड में हेड और एनईसीके सर्जरी वार्ड के लिए रोगी बेड के बीच कम से कम 2 मीटर की दूरी अनिवार्य है। स्वास्थ्य देखभाल कर्मी के लिए एन-95 मास्क, पीपीई किट (एन 95 मास्क और गाउन) और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों क उपयोग जरुरी है। - गाइडलाईन के तहत हो रही है ज़िले में प्रसव पूर्व जांच (एएनसी)
रायपुर 5 जून : गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा नियमित की जा रही है । जांच के साथ ही गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत भी किया जाता है। पंजीयन उपरांत गर्भवती महिलाओं को समय पर टीका लगवाया जाता है और जांच के लिए फोलोअप भी किया जाता है । प्रसव के बाद भी 42 दिनों तक एएनसी जांच के तहत जच्चा व बच्चा का नियमित ख्याल रखा जाता है ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल ने बताया अप्रैल में ज़िले में प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के लिए 5554 गर्भवती महिलाओं की पंजीयन किया गया है जिसमें अभनपुर में 471,आरंग में 696, धरसींवॉ में 425, तिल्दा में 424 , बीरगॉव शहरी में 264 , और रायपुर शहरी में 3274, गर्भवती महिलाएं थी। उन्होंने बताया गर्भवती महिलाओं के पंजीयन और प्रसव पूर्व जांच होने से जोखिम की संभावनाएं कम होती हैं । नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण एएनसी जांच से समय समय पर अवस्थाओं की जटिलताओं को पहचान किया जाता है और आवश्यक उपचार प्रदान किया जाता है जो मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायक होता है । पंजीयन से गर्भवती महिलाओं और नवजातों को सरकार द्वारा दी गयी सुविधायें भी मिल जाती हैं।
प्रसव पूर्व जांचों को करवाना मां और बच्चा की स्वस्थता के लिए भी ज़रूरी हैं। प्रसव पूर्व होने वाली जांचों से गर्भावस्था के समय होने वाले जोखिम या रोगों को पहचानने, और उनका उपचार करने में सरलतामिलती है। इन जांचों से हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) के केस चिन्हित किये जाते है, फिर उनकी उचित देखभाल की जाती है। प्रसव पूर्व जांचों में मुख्यतः खून, रक्तचाप और एचआईवी की जांच की जाती है। । एनीमिक होने पर प्रसूता का सही इलाज किया जा सकता है ताकि शिशु स्वस्थ पैदा हो।
गर्भवती की प्रसव पूर्व चार जांचें
प्रथम चरण में गर्भधारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले 3 महीने के अंदर जांच होती है। द्वितीय चरण में गर्भधारण के चौथे या छठे महीने में। तृतीय चरण में गर्भधारण के सातवें या आठवें महीने में तथा चतुर्थ चरण में गर्भधारण के नौवें महीने में जरूरी जांचे की जाती हैं।
सिविल सर्जन डॉ. रवि तिवारी ने बताया मातृ एवं शिशु चिकित्सालय ज़िला अस्पताल कालीबाडी में लॉक डाउन में भी नियमित रुप से गर्भवती महिलाओं की एएनसी सुविधाएं मिलती रही ।उन्होने बताया अप्रैल में 52 और मई में 145 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया है। बीते वर्ष 2019-20 में कुल 2252 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया था ।
डॉ. तिवारी ने कहा प्रत्येक गर्भवती महिला के हीमोग्लोबिन की मात्रा अनुसार आईएफए, कैल्शियम के साथ साथ टीकाकरण,उच्च रक्तचाप, मधुमेह की स्क्रीनिंगभी, गर्भवती महिलाओं की एएनसी में की जाती है । गैर-कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान पर ध्यान दिया गया है। अन्य रोगों के रोकथाम के लिए भी पर्याप्त उपाय किए जा रहे है । किसी भी प्रकार की जांच के समय पूर्ण रुप से गाइड लाईन को फोलो किया जाता है
उच्च जोखिम गर्भावस्था क्या है
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था या हाई रिस्क प्रेगनेंसी उसे कहते हैं जिसमें मां और शिशु दोनों में सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक जटिलता विकसित होने की संभावना होती है। ऐसी महिलाओं को अन्य सामान्य गर्भवती स्त्रियों के मुकाबले ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हे चिकित्सक की देखरेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है।
उच्च जोखिम गर्भावस्था पहचान कैसे होती है
हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान के लिए प्रसव पूर्व की गर्भावस्था या प्रसव का इतिहास जानना बहुत जरूरी होता है, जिसमें पता लगाया जाता है कि पहला बच्चा किस प्रकार जन्म लिया था, पिछले प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव तो नहीं हुआ, गर्भवती को पहले से कोई बीमारी, उच्च रक्तचाप, शुगर, हाइपोथायराइड, टीबी, हार्ट डिसीज, वर्तमान गर्भावस्था में गंभीर एनीमिया, 7 ग्राम यूनिट से कम खून की मात्रा, ब्लड प्रेशर, गर्भावस्था के समय डायबिटीज का पता लगाकर इसकी पहचान की जाती है। -
मुख्यमंत्री ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास के प्रमुख सचिव को क्वारेंटाईन सेंटरों की व्यवस्थाओं की नियमित माॅनिटरिंग के दिए निर्देश
ख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में बनाए गए क्वारेंटाईन सेंटरों में रह रहे श्रमिकों और अन्य लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। उनके ठहरने, भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य जांच, मनोरंजन सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से उपलब्ध हो। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को इन क्वारेंटाईन सेंटरों की व्यवस्था की नियमित माॅनिटरिंग करने के निर्देश दिए है। गौरतलब है कि प्रदेश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए 19 हजार 374 क्वारेंटाईन सेंटर बनाए गए है जिसमें वर्तमान में 2 लाख 23 हजार 150 लोग रह रहे है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि सभी क्वारेंटाईन सेंटरों में नोडल अधिकारी तैनात किए जाएं और रह रहे लोगों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। रह रहे सभी लोग मास्क लगाए और सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मुख्यमंत्री ने कहा है क्वारेंटाईन सेंटरों की नियमित साफ-सफाई, आस-पास के बरामदे और पेयजल स्थल के आस-पास ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव तथा लोगों के स्नान और बार-बार हाथ धोने के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था सुनिश्चित हो। क्वारेंटाईन सेंटर में ठहरे गर्भवती माताओं, बच्चों और वृद्धजनों की देखभाल की विशेष व्यवस्था रहें। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य जांच और उनका समय पर टीकाकरण सुनिश्चित हो। इसके अलावा अन्य बीमारियों से पीड़ित खासकर वृद्धजनों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें दवाएं उपलब्ध करायी जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की मेडिकल टीम गठित आवश्यक दवाओं के साथ क्वारेंटाईन सेंटरों में तैनात रहें। किसी भी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण पाए जाने पर तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करते हुए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
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राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान से 95,000 से अधिक चिकित्सा कर्मियों और स्वयंसेवकों को मिला प्रशिक्षण
रायपुर 3 जून : कोविड-19 के संक्रमण से रोकथाम एवं बचाव के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एसआईएचएफडब्लू) रायपुर द्वारा राज्य के चिकित्सको, नर्सिंग स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य सहयोगी एवं कर्मियों को प्रशिक्षण का आयोजन15 मार्च से नियमित किया जा रहा है। इन प्रशिक्षण में एएनएम, मितानिन, पुलिसकर्मी, एवं स्वयं सेवीयों को भी कोविड-19 से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है ।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शुरू करने फैसला 12 मार्च को स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में कोविड-19 के संक्रमण, रोकथाम एवं बचाव के लिए एक रणनीति तैयार की गयी थी जिसके तहत राज्य के डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस विभाग एवं एनसीसी के कैडेट्स को दक्ष बनाया जाना था। अब तक राज्य में 95,124 कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है । संस्थान द्वारा कोविड-19 हॉस्पिटल और आइसोलेशन वार्ड्स के साथ-साथ क्वॉरेंटाइन सैंटरो पर सेवाएं दे रहे लोगों को भी कोविड-19 के प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया गया है ।
प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए डॉ.प्रशांत श्रीवास्तव, ने बताया राज्य की स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक सिंह के नेतृत्व में राज्य स्तरीय फॉर्मल ट्रेनिंग कमेटी बनाई गई थी जिसमें राज्य में होने वाले प्रशिक्षणों में एमडी, एनएचएम,डॉ प्रियंका शुक्ल को प्रशिक्षण का मुखिया बनाया गया । डॉ.शुक्ल के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई । राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (एसआईएचएफडब्लू) रायपुर को प्रशिक्षण की नोडल एजेंसी बनाया गया । प्रशिक्षण में संचालक संचानालय स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड का मार्गदर्शन भी नियमित मिला है।
रायपुर में 18 मार्च से 21 मार्च तक फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ पहले प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । लॉक डाउन में संस्थान द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षणों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें संस्थान द्वारा जूम ऐप, गूगल मीटिंग ऐप और माइक्रोसॉफ्ट मीटिंग ऐप का प्रयोग किया गया । ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से राज्य में 3436 डॉक्टर्स को प्रशिक्षित किया गया है जिसमें वरिष्ठ एवं कनिष्ठ डॉक्टर्स के साथ साथ इंटर्नशिप कर रहे डॉक्टर्स को भी प्रशिक्षण दिया गया है । एम्स के विशेषज्ञों द्वारा 96 डॉक्टर्स को विशेष प्रशिक्षण मिला, वहीं मेडिकल कॉलेज द्वारा 362 डॉक्टर्स को और फॉर्टिस हॉस्पिटल,गुड़गांव ने 271 डॉक्टर्स को वेंटिलेटर संचालन का प्रशिक्षण दिया ।
राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान ने 5,220 लोगों को प्रशिक्षण दिया जिसमें नर्सिंग स्टाफ, नर्सिंग टीचर और नर्सिंग स्टूडेंट्स ने भाग लिया ।वहीं आयुष विभाग के 920 लोगों को भी प्रशिक्षित किया गया । एलाइड हेल्थ केयर प्रोफेशनल कर्मियों में 2526 आरएमए, लैब टेक्नीशियन, माइक्रोबायोलॉजिस्ट,और फिजियोथैरेपिस्ट को भी कोविड-19 के संक्रमण से रोकथाम एवं बचाव के लिए प्रशिक्षित किया गया है ।
प्रशिक्षण पाने वालों में प्रदेश के कुल 80,592 मितानिन और मितानिन प्रशिक्षकों भी शामिल थे जिसमें राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र (एसएचआरसी) द्वारा 69,224 मितानिन और मितानिन प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया, वहीं जपाईगो द्वारा राज्य में 10,893 एएनएम और ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (आरएचओ) को प्रशिक्षण दिया गया । प्रदेश के 1108 एनसीसी कैडेट, अस्पताल सहयोगी और पुलिस कर्मियों ने भी प्रशिक्षण लिया।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक, अस्पताल सलाहकार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ साथ शिक्षा विभाग , पुलिस विभाग और अन्य सहयोगी विभागों के 1,322 कर्मियों को संस्थान से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है । प्रशिक्षण की विषय वस्तु में कोविड 19 की रोकथाम,चिकित्सालयीन प्रबंधन, मरीजों के लक्षणों के आधार पर विभिन्न चरणों में उचित प्रबंधन, और मनोवैज्ञानिक प्रबंधन आदि को शामिल किया गया है।
संस्थान के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में डॉ. अनुदिता भार्गव,अतिरिक्त प्रोफेसर (माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट) एम्स रायपुर,डॉ.अरविंद नेरल, एचओडी माइक्रोबायोलॉजी, डॉ.आरके पांडा, एचओडी, डॉ.एस चंद्रवंशी, डॉ.ओपी सुंदरानी, एचओडी, डॉ.तृप्ति नगरिया स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ.कमलेश जैन, एसएनओ,पं.जेएनएम मेडिकल कॉलेज, डॉ.धर्मेंद्र गहवई, एसएनओ, डीएचएस और डॉ.रुपम गहलोत, एसोसिएट प्रोफेसर, का सहयोग रहा ।
आयोजित हुए प्रशिक्षणों में प्रशिक्षण समन्वयक के रूप में प्रेम वर्मा, ओएसडी डीएचएस, श्वेता अडिल एसटीसी, एनएचएम,राकेश वर्मा, एसटीसी एनएचएम,वरुण साहू, कंसलटेंट, एनएचएम, स्निग्धा पटनायक कंसलटेंट एनएचएम, एवं अनुपम वर्मा आईपीएल ग्लोबल रायपुर की भूमिका भी रही । डॉ.प्रशांत श्रीवास्तव,डॉ.अल्का गुप्ता,डॉ.आरके सुखदेव उपसंचालक,एसआईएचएफडब्ल्यू, और डॉ एसके बिंझवार छत्तीसगढ़ राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के निर्देशन में प्रशिक्षण कराए जा रहे है । -
- 500 डॉक्टर दे रहे परामर्श- टेलीकन्सल्टेशन में अब तक 3000 कॉल में 1100 लोगों ने लिया फोन पर परामर्श- छत्तीसगढ़ समेत 11 राज्यों में शुरू हुई काउंसिलिंग की “स्टेप वन” सेवा
रायपुर 3 जून 2020। कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए लोग घरों से ही टेक्नोलॉजी जैसे फोन और इंटरनेट के माध्यम से कई तरह की सेवाएं ले रहे हैं। इसी क्रम में पहला कदम लेते हुए छत्तीसगढ़ में “स्टेपवन” टेलीमेडिसिन की शुरुआत की है। टेलीमेडिसिन का मतलब फोन या वीडियो कॉल पर उपचार उपलब्ध करवाना है।
अप्रैल 17 को शुरू किये गए “स्टेपवन” प्रोजेक्ट में 500 से अधिक सरकारी और निजी चिकित्सक पंजीकृत हो चुके हैं और अब तक लगभग 1100 लोगों को फोन से परामर्श प्रदान किया गया है। कोविड संक्रमण के अलावा अन्य तरह की चिकित्सीय परामर्श के लिए पंजीकृत डॉक्टर मरीजों को फोन पर निःशुल्क सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। बस सेवा का लाभ लेने के लिए मरीजों को हेल्प लाइन नंबर 104 डायल कर अपना विवरण और स्थित बताना है I इसके बाद पंजीकृत चिकित्सक मरीजों की समस्याओं के मुताबिक चिकित्सीय परामर्श प्रदान कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब तक 3000 कॉल्स 104 पर किए गए हैं जिनमें से 1100 लोगों ( विभिन्न बीमारी से संबंधितों) को चिकित्सीय परामर्श दिया जा चुका है।
डॉ. अखिलेश त्रिपाठी उप संचालक एवं प्रवक्ता स्वास्थ्य विभाग ने बताया कोरोना संक्रमण के जोखिम को कम करने में “स्टेपवन” मददगार है। लोगों को सिर्फ एक कॉल पर ही बिना अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्यगत सेवाएं मिल रही हैं। जरूरी होने पर परामर्श के बाद मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने में भी सहायता मिल रही। इससे लोग अनावश्यक रूप से अस्पताल आने से भी बच रहे हैं।इस तरह मिल रही सेवा- स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य हेल्प लाइन सेवा 104 पर फोन करता है I इंटरैक्टिव वौइस रेस्पोंस सिस्टम (आईवीआरएस) के जरिए उनसे कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं । कॉल करने वाले की संपूर्ण जानकारी और स्वास्थ्य संबंधी समस्या की जानकारी ली जाती है.। इसके बाद कॉल कट जाता है और सीधे डॉक्टर्स समूह ( जिन्होंने उक्त सेवा के लिए पंजीयन कराया है) के पास मरीज की सारी जानकारी चली जाती है। आधे घंटे के भीतर डॉक्टरों द्वारा फोन पर ही मरीज की समस्याओं का निदान और परामर्श प्रदान किया जाता है। यदि मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता लगती है तो स्वास्थ्य विभाग की मदद से एंबुलेंस व्यक्ति के घर भेजा जाता है और अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
इन राज्यों में काउंसिलिंग सेवा- कोविड महामारी के दौरान हर तरह के मरीजों को फोन के जरिए ही स्वास्थ्य परामर्श प्रदान करने के लिए सबसे पहले कर्नाटका में “वाट्सऐप” के जरिए सेवा शुरू हुई। इसका विस्तार करके “प्रोजेक्ट स्टेपवन” सेवा छत्तीसगढ़ समेत देश के 11 राज्यों में दी जा रही है । इनमें मुख्य रूप से कर्नाटका, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, झारखंड, नागालैंड, मेघालय और केरल शामिल है। -
- अस्पताल की भीड़ को कम करने और वायरस से बचाव के लिए जारी हुआ विशेष दिशा-निर्देशरायपुर. 2 जून 2020 । कोरोना काल में टेलीमेडिसिन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। खासकर उनके लिए जो अस्पताल जाने की स्थिति में नहीं है या वह जो संक्रमण के डर से जाना नहीं चाहते हैं। संक्रमण की स्थिति को भांपते हुए ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने नीति आयोग के साथ मिलकर टेलीमेडिसिन को लेकर 25 मार्च को ही एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसके मुताबिक टेलीमेडिसिन के जरिए सिर्फ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर को मरीजों का उपचार करने की अनुमती दी गयी थी। संचार के विभिन्न साधनों जैसे मोबाइल फोन टैक्स्ट मैसेज, वाट्सऐप, ईमेल आदि के जरिए मनोरोगियों को इलाज परामर्श प्रदान करने की भी सिफारिश की गई थी।
महामारी से लॉकडाउन की इस अवधि में रोगियों को अस्पताल पहुंचने और दवा खरीदने में भी कठिनाई हो रही है। समय पर इलाज और दवा नहीं मिलने के कारण उनके शारीरिक विकार के बढ़ने या ठीक होने की गति रूकने की संभावना है। इस समय टेलीमे़डिसीन चिकित्सीय परामर्श अनुकूल और सार्थक पहल रही है, जिसमें रजिस्टर्ड चिकित्सक रोगियों को वायरस संक्रमण से बचाकर उनका मूल्यांकन कर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परामर्श प्रदान कर रहे हैं।
इसी कड़ी में 14 मई को सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 में इसे शामिल करते हुए राजपत्र में दिशा-निर्देश प्रकाशित किए जिसके अनुसार, एक पंजीकृत डॉक्टर या चिकित्सा व्यवसायी (आरएमपी) टेलीमेडिसिन के माध्यम से परामर्श दे सकते हैं। इससे पहले भारत में टेलीमे़डिसिन को मान्यता प्राप्त नहीं थी। लॉकडाउन की स्थिति में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी टेलीमेडिसिन की सलाह दी है ताकि अस्पताल में लोग कम-से-कम पहुंचें।
डॉ . मल्लिकार्जुन राव , सेंदरी मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल के मनो चिकित्सक का कहना है हाल ही में उन्होंने एक नशे के आदि व्यक्ति का उपचार कोरिया के जिला अस्पताल में टेलीमेडिसिन द्वारा किया । नियमित परामर्श से उसमें काफी सुधार हुआ और वह अब बिलकुल ठीक हो चुका है। उनके कुछ मरीजों को कोरबा और मुंगेली के जिला अस्पताल में ही टेलीमेडिसिन द्वारा परामर्श मिला और उनको सेंदरी नहीं आना पड़ा ।अभी तक उनके पास जिला अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थय केन्द्रों से ही रोगी टेलीमेडिसिन द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं । बहुत कम रोगी हेल्पलाइन द्वारा या खुद से यह सुविधा ले रहे हैं ।डॉ राव का यह भी कहना है टेलीमेडिसिन की पद्धति के बारे में और जागरूकता बढ़ाने की ज़रुरत है । कई लोगों, यहाँ तक की डॉक्टरों को तो अभी भी मालूम नहीं है कि टेलीसाईंकिएट्री को अब कानूनी वैद्यता मिली है।
दिशा निर्देश इस तरह-
रोगी की सहमति है महत्वपूर्ण - दिशानिर्देशों के अनुसार टेलीमेडिसिन परामर्श गुमनाम नहीं यानि बिना रोगी की पहचान के नहीं होगा। डॉक्टर को मरीज के मूल विवरण जैसे नाम, आयु, संपर्क विवरण, पता आदि की पुष्टि के बाद ही परामर्श प्रदान किया जाएगा। रोगी को डॉक्टर की साख और बुनियादी संपर्क जानकारी भी प्रदान की जानी चाहिए। दूसरे शब्दों में, रोगी और आरएमपी दोनों को एक दूसरे की पहचान जानना आवश्यक है।
ई-प्रिस्क्रिप्शन - सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार टेली चिकित्सकीय परामर्श के बाद वाट्सऐप या ईमेल के जरिए रोगियों को ई-प्रिस्क्रिप्शन दिया जाएगा। ई-प्रिस्क्रिप्शन में रोगी की पहचान का विवरण (नाम, यूएचआईडी और पूर्ण पता), समय, दिनांक और वह स्थान जहां से टेली चिकित्सा दी गई, परामर्श और ऑडियो या वीडियो कॉल का समय, वीडियो कॉल कर मरीज की पहचान (फोटो), पहले से चल रही दवाओं, वर्तमान उपचार और शारीरिक स्थिति परिक्षण की जानकारी अंकित होगी। डॉक्टर सामान्य चिकित्सीय शुल्क भी ले सकता है पर उसकी रसीद भी मरीज को देनी होगी।
ऐसी व्यवस्था- रोगियों की चिकित्सा के लिए डॉक्टरों की तैनाती करने के साथ मेडिकल स्टाफ, एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी की मौजूदगी में रोगियों की आवश्यकता के अनुसार होना चाहिए। मोबाइल फोन से वीडियो या ऑडियो द्वारा, सामान्य टेक्सट संदेशों और ईमेल के जरिए मरीजों को परामर्श प्रदान होगा। सरकारी टेलीमेडिसीन प्रैक्टिस गाइडलाइन के अनुसार दिए मरीजों को मैसेज भेजकर चिकित्सकीय सेवा लेना होगा, जिसमें उनका नाम, एप्वाइंटमेंट की तारीख और यूएचआई़डी नंबर देना अनिवार्य होगा। इसके बाद चिकित्सक ऑडियो या वीडियो कॉल द्वारा पंजीकृत या अन्य मरीजों को परामर्श देंगे। चिकित्सक दवाएं लेने और अन्य परामर्श डिजीटल पर्ची वाट्सऐप के माध्यम से मरीजों को भेजेंगे। आपातकाल लगा तो रोगियों को नजदीकी चिकित्सा अस्पताल में जाने या अन्य अस्पताल में रेफर करने की सलाह दी जाती है।
लागू नहीं - अधिसूचना में यह भी कहा गया है यह दिशा-निर्देश डिजिटल तकनीक के उपयोग के लिए सर्जिकल या इनवेसिव प्रक्रिया को दूरस्थ रूप से लागू करने के लिए लागू नहीं हैं। सरकारी अधिसूचना में दवाओं की लिस्ट भी शामिल है जो टेलीमेडिसिन के दौरान दी या नहीं दी जा सकती हैं। कोरोना काल में टेलीमेडिसिन की सुविधा काउंसलिंग में बहुत लाभदायक रही है।
1970 में पहली बार हुआ था इस्तेमाल - विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक पहली बार 1970 में टेलीमेडिसिन यानी दूर से इलाज शब्द का इस्तेमाल हुआ था। उस दौरान फोन पर लक्षण के आधार पर बीमारी की पहचान और इलाज करने की शुरुआत हुई थी। टेलीमेडिसिन में वीडियो कॉलिंग के जरिए भी मरीज को देखा जाता है और ब्लड प्रेशर मॉनिटर के डाटा के आधार दवा दी जाती है। आजकल टेक्नोलॉजी के विस्तार से मोबाइल फ़ोन, विडियो कॉल, ईमेल और अन्य तरीकों से यह किया जा सकता है। -
रायपुर । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री कन्हैया अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा की श्री जोगी का निधन मेरे लिए ही नही प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है ,...मैं अपने परिवार और रायपुर दक्षिण विधानसभा के नागरिकों की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ...जोगी जी का कुशल प्रशासक से लेकर कुशल राजनीतिज्ञ तक लंबा सफर उपलब्धियों भरा रहा। तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ की प्रारंभिक अधोसंरचना निर्माण के लिए उनके द्वारा किए गए काम उनकी सूझ-बूझ और दूरदर्शिता के सदा उदाहरण बने रहेंगे। उनकी जीवटता, संकल्पशक्ति और लक्ष्य को पा लेने की जिद, प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही क्षेत्रों में प्रेरणा देती रहेगी।
धन्यवाद ...कन्हैया अग्रवाल -
रायपुर, 28 मई : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आयुष मंत्रालय लोगों को काढ़ा पीने की सलाह दे रहा है। आयुष मंत्रालय की सलाह है कि दिन में कम से कम एक बार काढ़ा पीने से काफी हद तक कोरोना वायरस की मार से बचे रहेंगे। छत्तीसगढ़ आयुष संचालक डॉ जीएस बदेशा के निर्देशानुसार जीवाणु-विषाणु से सुरक्षा तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों को गुडुच्छादि काढ़ा का वितरण किया जा रहा है जिससे कोरोना महामारी से बचाव किया जा सके। शासकीय आयुर्वेदिकअस्पताल के अधीक्षक डॉ प्रवीण कुमार जोशी ने अस्पतालमें आने वाले सभी मरीजों को काढ़ा वितरण कर उन्हेंका ढ़ा बनाने की विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने मरीजों को सेनेटाइजर का उपयोग करने व मास्क पहने के फायदे के बारे में बताया गया।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 150 से 200 हितग्राहियों को काढ़े का वितरण किया जा रहा है। सप्ताहभर में 1000 लोगों को काढ़ा का वितरण कर घर में भी नियमित रूप से सेवन करने की सलाह दी गई। काढ़ा शरीर को कुदरती तौर पर मजबूत करता है।आयुष मंत्रालय ने लोगों को खुद काढ़ा तैयार करने की विधि की जानकारी दे रही है। दरअसल काढ़ा बनाने के लिए जिन सामग्रियों का इस्तेमाल करने की सलाह आयुष मंत्रालय ने दी है वो सभी हमारे शरीर को कुदरती तौर पर मजबूत बनाने का काम करते हैं। इन चीजों से इम्यूनिटी यानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहती है। सबसे अच्छी बात ये है कि काढ़ा बनाने के लिए जरुरी औषधीय अस्पताल में निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। चुनौती कितनी भी बड़ी हो उसका समाधान जरूर होता है। कोरोना वायरस की चुनौती से भी हमें इसी तरह खुद को योद्धा बनाकर निपटना होगा।
डॉ जोशी ने बताया कोरोना संक्रमण से बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा सोशल डिस्टेंस रखना एवं बार-बार हाथों को धोने से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को बार-बार हाथ धोना चाहिए तथा घर से बाहर निकलते समय मास्क का अवश्य उपयोग करना चाहिए। हालांकि अधिकांश मरीज पहले से ही इसका काढ़े का नियमित उपयोग पहले से भी कर रहे हैं उन्होंने बताया काढ़े में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की ताकत होती है। उन्होंने कहा आपसी समन्वय से ही हम इस वैश्विक महामारी से खुद को व राष्ट्र को सुरक्षित रख पाएंगे। - रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नवीन पदस्थापना आदेश जारी किया गया है -1. श्री अमिताभ जैन, भा0प्र0से0 (1989), अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग एवं अतिरिक्त प्रभार-अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग को केवल अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
2. डाॅ. आलोक शुक्ला, भा0प्र0से0 (1986), प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग एवं अतिरिक्त प्रभार-अध्यक्ष, छ0ग0 माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा अध्यक्ष, छ0ग0 व्यावसायिक परीक्षा मंडल को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ प्रमुख सचिव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
3. श्रीमती रेणु पिल्ले, भा0प्र0से0 (1991), अपर मुख्य सचिव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग तथा अतिरिक्त कार्यभार-महानिदेशक, छ0ग0 प्रशासन अकादमी, रायपुर को अपर मुख्य सचिव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग के कार्यभार से मुक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के पद पर पदस्थ किया गया है। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।श्रीमती रेणु पिल्ले, भा0प्र0से0 (1991), द्वारा अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग का कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से सुश्री निहारिका बारिक, भा0प्र0से0 (1997) केवल सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के कार्यभार से मुक्त होंगी। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का प्रभार यथावत् रहेगा।
4. श्री मनोज कुमार पिंगुआ, भा0प्र0से0 (1994), प्रमुख सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग व अतिरिक्त कार्यभार-प्रमुख सचिव, वन विभाग एवं विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी सह निवेश आयुक्त, सीएसआईडीसी, मुख्यालय नई दिल्ली को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ आवासीय आयुक्त, छत्तीसगढ़ भवन, नई दिल्ली का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
श्री मनोज कुमार पिंगुआ, भा0प्र0से0 (1994), द्वारा आवासीय आयुक्त, छत्तीसगढ़ भवन, नई दिल्ली का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से डाॅ. मनिंदर कौर द्विवेदी, भा0प्र0से0 (1995), केवल आवासीय आयुक्त, छत्तीसगढ़ भवन, नई दिल्ली के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त होंगी। डाॅ. मनिंदर कौर द्विवेदी का शेष प्रभार यथावत् रहेगा।5. श्री प्रसन्ना आर0, भा0प्र0से0, सचिव, सहकारिता विभाग तथा अति0 प्रभार-सचिव, समाज कल्याण व सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग तथा आयुक्त, निःशक्तजन को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा सचिव, कौशल विकास विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।श्री प्रसन्ना आर0, भा0प्र0से0, द्वारा सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से श्री परदेशी सिद्धार्थ कोमल, भा0प्र0से0, सचिव, लोक निर्माण विभाग तथा सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, सचिव, खेल एवं युवा कल्याण विभाग तथा प्रबंध संचालक, छ0ग0 स्टेट रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन, रायपुर केवल सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त होंगे। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
6. श्रीमती अलरमेलमंगई डी0, भा0प्र0से0, सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग तथा अति0 प्रभार-सचिव, उच्च शिक्षा विभाग तथा संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ सचिव, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
7. श्री अंबलगन पी0, भा0प्र0से0, सचिव, खनिज साधन विभाग तथा अति0 प्रभार-सचिव, सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ सचिव, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
8. डाॅ. संजय कुमार अलंग, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-बिलासपुर को आयुक्त, बिलासपुर संभाग, बिलासपुर के पद पर पदस्थ करते हुए आयुक्त, सरगुजा संभाग, अंबिकापुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
9. श्री ईमिल लकड़ा, भा0प्र0से0, आयुक्त, सरगुजा संभाग, अंबिकापुर को सचिव, राजस्व मण्डल, बिलासपुर के पद पर पदस्थ करते हुए सचिव, लोक आयोग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
10. श्री सी0आर0 प्रसन्ना, भा0प्र0से0, संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें तथा विशेष सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को विशेष सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें तथा प्रबंध संचालक, छ0ग0 मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
11. श्री भूवनेश यादव, भा0प्र0से0, आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें तथा प्रबंध संचालक, छ0ग0 मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन को विशेष सचिव, ग्रामोद्योग विभाग के पद पर पदस्थ किया गया है।श्री भूवनेश यादव, भा0प्र0से0 द्वारा विशेष सचिव, ग्रामोद्योग विभाग के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से श्री हेमंत पहारे, (से.नि.आई.ए.एस. संविदा नियुक्ति), केवल सचिव, ग्रामोद्योग विभाग के कार्यभार से मुक्त होंगे।12. सुश्री शम्मी आबिदी, भा0प्र0से0, प्रबंध संचालक, छ0ग0 राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), रायपुर को संचालक, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास के पद पर पदस्थ किया गया है।
13. श्रीमती रानू साहू, भा0प्र0से0, कलेक्टर, बालोद को आयुक्त, वाणिज्यिक कर के पद पर पदस्थ किया गया है।
14. श्री महादेव कावरे, भा0प्र0से0, संचालक, कोष, लेखा एवं पेंशन तथा अतिरिक्त प्रभार-संयुक्त सचिव, खनिज साधन विभाग को कलेक्टर, जिला-जशपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
15. श्री अवनीश कुमार शरण, भा0प्र0से0, कलेक्टर, कबीरधाम को संचालक, तकनीकी शिक्षा, रोजगार एवं प्रशिक्षण के पद पर पदस्थ किया गया है।
16. श्री अंकित आनंद, भा0प्र0से0, कलेक्टर, दुर्ग को प्रबंध संचालक, छ0ग0 राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), रायपुर के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अटल नगर विकास प्राधिकरण, नवा रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
17. श्री नीलम नामदेव एक्का, भा0प्र0से0, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अटल नगर विकास प्राधिकरण, नवा रायपुर को प्रबंध संचालक, छ0ग0राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ मर्यादित, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।श्री नीलम नामदेव एक्का, भा0प्र0से0 द्वारा प्रबंध संचालक, छ0ग0राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ मर्यादित, रायपुर के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से श्री हेमंत पहारे, (से.नि.आई.ए.एस. संविदा नियुक्ति), केवल प्रबंध संचालक, छ0ग0राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ मर्यादित, रायपुर के कार्यभार से मुक्त होंगे। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
18. श्री टोपेश्वर वर्मा, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-दंतेवाड़ा को कलेक्टर, जिला-राजनांदगांव के पद पर पदस्थ किया गया है।
19. श्री नीलकंठ टीकाम, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-कोण्डागांव को संचालक, कोष, लेखा एवं पेंशन के पद पर पदस्थ किया गया है।
20. श्री डोमन सिंह, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-कोरिया को कलेक्टर, जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के पद पर पदस्थ किया गया है।
21. श्री हिमशिखर गुप्ता, भा0प्र0से0, पंजीयक, सहकारी संस्थाएं तथा संचालक, प्रशासन अकादमी को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ रजिस्ट्रार, फम्र्स एवं संस्थाएं का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
22. श्री राजेश सिंह राणा, भा0प्र0से0, संयुक्त सचिव, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग तथा संयुक्त सचिव, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को सदस्य सचिव, राज्य योजना आयोग के पद पर पदस्थ किया गया है।
23. श्री रणबीर शर्मा, भा0प्र0से0, रजिस्ट्रार फम्र्स एवं संस्थाएं तथा अति0 प्रभार-उप सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग को कलेक्टर, जिला-सूरजपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
24. श्री अभिजीत सिंह, भा0प्र0से0, मिशन संचालक, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को कलेक्टर, जिला-नारायणपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
25. श्री श्याल लाल धावड़े, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-गरियाबंद को कलेक्टर, जिला बलरामपुर- रामानुजगंज के पद पर पदस्थ किया गया है।
26. श्री संजीव कुमार झा, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला बलरामपुर-रामानुजगंज को कलेक्टर, जिला-सरगुजा के पद पर पदस्थ किया गया है।
27. श्री सारांश मित्तर, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला सरगुजा को कलेक्टर, जिला-बिलासपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
28. श्री यशवंत कुमार, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला रायगढ़ को कलेक्टर, जिला-जांजगीर-चांपा के पद पर पदस्थ किया गया है।
29. श्री कार्तिकेय गोयल, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा को कलेक्टर, जिला महासमुंद के पद पर पदस्थ किया गया है।
30. श्री भूरे सर्वेश्वर नरेन्द्र, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला मुंगेली को कलेक्टर, जिला दुर्ग के पद पर पदस्थ किया गया है।
31. श्री सुनील कुमार जैन, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला महासमुंद को कलेक्टर, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के पद पर पदस्थ किया गया है।
32. श्री रमेश कुमार शर्मा, भा0प्र0से0, उप सचिव, मुख्य सचिव कार्यालय तथा अति0प्रभार-संचालक, भू-अभिलेख व आयुक्त, वाणिज्यिक कर को कलेक्टर, जिला कबीरधाम के पद पर पदस्थ किया गया है।
33. श्री जनक प्रसाद पाठक, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला जांजगीर-चांपा को संचालक, भू-अभिलेख के पद पर पदस्थ किया गया है।
34. श्री जन्मेजय महोबे, भा0प्र0से0, आयुक्त सह संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग को कलेक्टर, जिला बालोद के पद पर पदस्थ किया गया है।
35. श्री रितेश कुमार अग्रवाल, भा0प्र0से0, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, बिलासपुर को कलेक्टर, जिला बीजापुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
36. श्री जयप्रकाश मौर्य, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला राजनांदगांव को कलेक्टर, जिला धमतरी के पद पर पदस्थ किया गया है।
37. सुश्री शिखा राजपूत तिवारी, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को नियत्रंक, नाप-तौल के पद पर पदस्थ किया गया है।
38. श्री दीपक सोनी, भा0प्र0से0, कलेक्टर, सूरजपुर को कलेक्टर, जिला दंतेवाड़ा के पद पर पदस्थ किया गया है।
39. श्री तंबोली अय्याज फकीरभाई, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-बस्तर को आयुक्त, छ0ग0 गृह निर्माण मंडल के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
40. श्री भीम सिंह, भा0प्र0से0, आयुक्त, छ0ग0 गृह निर्माण मंडल तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर को कलेक्टर, जिला-रायगढ़ के पद पर पदस्थ किया गया है।
41. श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा, भा0प्र0से0, संचालक, तकनीकी शिक्षा, रोजगार एवं प्रशिक्षण तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राज्य कौशल विकास अभिकरण को कलेक्टर, जिला-कोण्डागांव के पद पर पदस्थ किया गया है।
42. श्री छत्तर सिंह डेहरे, भा0प्र0से0, अपर आयुक्त, संभागायुक्त कार्यालय, बिलासपुर एवं अतिरिक्त प्रभार-सचिव, राजस्व मंडल, बिलासपुर एवं सचिव, लोक आयोग को कलेक्टर, जिला गरियाबंद के पद पर पदस्थ किया गया है।
43. श्री के0डी0 कुंजाम, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला बीजापुर को संयुक्त सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए संयुक्त सचिव, राजस्व विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
44. श्री रजत बंसल, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला धमतरी को कलेक्टर, जिला बस्तर के पद पर पदस्थ किया गया है।
45. श्री नीलेश कुमार महादेव क्षीरसागर, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जशपुर को नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राज्य कौशल विकास अभिकरण, रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
46. श्री सत्यनारायण राठौर, भा0प्र0से0, नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन को कलेक्टर, जिला कोरिया के पद पर पदस्थ किया गया है।
47. श्री पदुम सिंह एल्मा, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला नारायणपुर को कलेक्टर, जिला-मुंगेली के पद पर पदस्थ किया गया है।
48. श्री जगदीश सोनकर, भा0प्र0से0, अपर कलेक्टर, जिला महासमुंद को मुख्य कार्यपालन अधिकारी, छ0ग0 स्टेट वाटरशेड मैनेजमेंट एजेंसी, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
49. श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा, भा0प्र0से0, उप सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को संचालक, महिला एवं बाल विकास के पद पर पदस्थ किया गया है।
50. श्री अनिल कुमार साहू, भा0व0से0, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक की सेवायें वन विभाग से लेते हुए प्रबंध संचालक, छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
51. श्री माथेश्वरन वी0, भा0व0से0, की सेवायें वन विभाग से लेते हुए संचालक, उद्यानिकी के पद पर पदस्थ करते हुए संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। -
• शहरी बस्तियों में इंसिडेंस रेस्पोंस इकाई रोकथाम गतिविधियों की तैयारी में करेगी सहयोग• संक्रमण की निगरानी के लिए स्वास्थ्य कर्मियों सहित सहयोगी संस्थानों से ली जाएगी मदद• चिकित्सकीय एवं गैर-चिकित्सकीय उपायों से होगी कोरोना रोकथाम की कोशिश• एक व्यक्ति के सर के पीछे दूसरे व्यक्ति केपैर रख कर सोने से सामजिक दूरी का होगा पालन
रायपुर/ 25 मई: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार ने शहरों में अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए मुश्किलों को बढ़ा दियाहै. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन बस्तियों में कोरोना की रोकथाम एवं संक्रमण की निगरानी को लेकर दिशानिर्देश जारी किया है.कोरोना संक्रमण के इस दौर में लोगों को सामाजिक दूरी अपनाने की निरंतर सलाह दी जा रही है. लेकिन यदि एक छोटे जगह में 1 से अधिक लोग रहे रहें हो तो सामाजिक दूरी का अनुपालन करना कठिन हो जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए जारी दिशानिर्देश में इस संबंध में जानकारी दी गयी है. यह बताया गया है कि यदि एक छोटे कमरे में एक से अधिक लोगों को सोना पड़े तो एक व्यक्ति के सर के पीछे विपरीत दिशा में दूसरे व्यक्ति द्वारा पैर रख कर सोया जा सकता है. इससे सामाजिक दूरी का एक हद तक अनुपालन संभव हो सकेगा.
इन जगहोंपरसामजिकदूरीकाजरुरर खें ख्याल:• पब्लिक शौचालय इस्तेमाल करने के दौरान• सामुदायिक वाटर पॉइंट्स पर• पीडीएस(पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) पॉइंट्स पर• स्वास्थ्य केन्द्रों पर
शौचायाल, सामुदायिक नल और ऐसी कॉमन जगहों को रोज़ सैनी टाईज़ करने पर बल दिया है |इस दिशानिर्देश के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश के 2613 छोटे शहर/ शहरों में 6.54 करोड़ आबादी शहर के अनौपचारिकबस्तियाँ के 1.39 करोड़ घरों में रहती है, जो कुल शहरी आबादी का 17.4% है. पिछले कुछ वर्षों से इनकी संख्या में वृद्धि भी हुई है. ऐसी बस्तियां में जरूरत से अधिक लोग निवास भी करते हैं. इसके कारण इन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण प्रसार को रोकना भी किसी चुनौती से कम नहीं है.इंसिडेंस रेस्पोंस इकाई रोकथाम गतिविधियों की तैयारी में करेगी सहयोग:दिशानिर्देश के मुताबिक शहरी बस्तियों की आबादी के अनुसार एक इंसिडेंस रेस्पोंस कमांडर को चिन्हित किया जाएगा. इंसिडेंस रेस्पोंस कमांडर कोरोना प्रसार की रोकथाम की कार्य-योजना, कार्रवाई, लोजिस्टिक एवं फाइनेंस टीम को चिन्हित कर कोरोना रोकथाम गतिविधियों की तैयारियों को कार्यान्वित करने में सहयोग करेंगे.
शहरी बस्तियों में कंटेंनमेंट प्लान के क्रियान्वयन पर बल:कोरोना संक्रमण प्रसार की अधिकता के मद्देनजर किसी क्षेत्र को कंटेंनमेंट जोन घोषित किया जाता है. लेकिन शहरों के अनौपचारिक बस्तियों में कंटेंनमेंट प्लान लागू करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसके मद्देनजर दिशानिर्देश में कुछ जरूरी सलाह दी गयी है. यह बताया गया है कि इन बस्तियों में संक्रमण की निगरानी करना काफी जरुरी है. इसके लिए स्वास्थ्य कर्मी, आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, म्युनिसिपल स्वास्थ्य कर्मी, सामुदायिक हेल्थ वालंटियर्स के साथ एनएसएस, एनवाईके एवं अन्य गैर-सरकारी संस्स्थानों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी या कार्यपालक स्वास्थ्य पदाधिकारी द्वारा प्रशिक्षण प्रदान कराया जाए जिसमें इन्हें कोरोना रोकथाम प्रोटोकॉल की विस्तार से जानकारी दी जाए. इसके लिए इन बस्तियों के अस्पतालों को भी संक्रमण रोकथाम की सभी तैयारी पूर्व में करने की जरूरत है. साथ ही गैर-चिकित्सकीय हस्तक्षेप के तहत हाथों की सफाई, सामाजिक दूरी, चेहरे पर मास्क का इस्तेमाल जैसी अन्य जानकारियों पर आम जागरूकता बढाई जाएगी. - · स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन्स
· कॉन्टेंटमेंट एवं बफर जोन को छोड़कर शेष जगह सशर्त नियमित टीकाकरण होगा बहाल
· स्वास्थ्य केन्द्र एवं वीएचएसएनडी पर टीकाकरण को लेकर दिए गए निर्देश
रायपुर 23 मई 2020। कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम बेहद प्रभावित हुआ है. इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गाइडलाइन्स जारी कर क्षेत्रवार टीकाकरण सेवाओं को बहाल करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी है. जारी गाइडलाइन्स के अनुसार कोरोना संक्रमण के प्रसार के मुताबिक प्रत्येक जिले को रेड, ऑरेंज एवं ग्रीन जोन में बांटा गया है. वहीं रेड एवं ऑरेंज जोन में कोरोना संक्रमितों की व्यापकता के हिसाब से कॉन्टेंटमेंट एवं बफ़र जोन भी बनाया गया है. संक्रमण प्रसार की आशंका के मद्देनजर कॉन्टेंटमेंट एवं बफ़र जोन में स्वास्थ्य केन्द्रों एवं आउटरीच क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण को फ़िलहाल रोका गया है. लेकिन सभी क्षेत्रों (कॉन्टेंटमेंट एवं बफ़र जोन सहित) के स्वास्थ्य केन्द्रों पर बर्थ डोज टीकाकरण जारी रहेगा.
बफ़र जोन के अलावा एवं ग्रीन जोन में शर्तों के साथ होगा टीकाकरण:
मंत्रालय के दिशानिर्देश के मुताबिक कॉन्टेंटमेंट एवं बफ़र जोन में स्वास्थ्य केंद्र आधारित टीकाकरण एवं आउटरीच टीकाकरण सेशन( ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस) अभी शुरू नहीं होगा. लेकिन बफ़र जोन को छोड़कर एवं ग्रीन जोन में स्वास्थ्य केंद्र आधारित टीकाकरण एवं आउटरीच टीकाकरण सेशन कुछ शर्तों के साथ शुरू होगा. जिसमें आउटरीच सेशन पर एक समय में 5 से अधिक लोगों को उपस्थित रहने की मंजूरी नहीं मिलेगी. इन सेशन के दौरान कोरोना संक्रमण रोकथाम के सभी प्रोटोकॉल का अनुपालन करना अनिवार्य होगा. जिसमें पंचायत एवं अर्बन लोकल बॉडी आउटरीच सेशन साईट के प्लान में मदद करेंगे. किसी भी बफ़र एवं कॉन्टेंटमेंट जोन में 14 दिनों के बाद नियमित टीकाकरण सेवा की शुरुआत करने का फैसला राज्य एवं जिला प्रशासन द्वारा ही लिया जा सकेगा.
स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीकाकरण के दौरान बरतनी होगी सतर्कता:
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए स्वास्थ्य केन्द्रों पर होने वाले टीकाकरण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह गाइडलाइन्स में दी गयी है. यह बताया गया है कि स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीकाकरण के पूर्व हवादार स्थान का चयन करना होगा एवं यह भी सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक लोग एक दूसरे से 1 मीटर की दूरी पर ही बैठें. स्वास्थ्य केंद्र पर टीकाकरण लोड के मुताबिक पूर्व में ही फिक्स्ड टीकाकरण कर्मियों का चयन करना होगा. टीकाकरण कर्मियों को ग्लोब्स, तीन लेयर वाले मास्क एवं टीकाकरण करने से पूर्व हाथों को सैनिटाइज्ड करना अनिवार्य होगा. साथ ही टीकाकरण किसी भी रूप में बाधित नहीं हो इसके लिए वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता पूर्व में ही सुनिश्चित करनी होगी एवं लोगों को कोविड-19 के प्रति सजग करने के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों के बाहर पोस्टर भी लागने होंगे.
वीएचएसएनडी सत्र आयोजन के लिए दिए गए निर्देश:
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस(वीएचएसएनडी) के आयोजन को लेकर कुछ जरुरी दिशानिर्देश दिया है.
· वीएचएसएनडी सत्र पर लोगों की भीड़ कम करने के लिए सत्र को प्रत्येक घन्टे के हिसाब से बाँटने की सलाह दी गयी है. प्रत्येक घंटे के स्लॉट में 4-5 लाभार्थियों को ही उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं.
· प्रत्येक वीएचएसएनडी सत्र को दो सेशन में बांटने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें अतिरिक्त सेशन के संचालन के लिए रिटायर्ड एएनएम एनएनएम, स्टाफ नर्सेज आदि या प्रशिक्षित पुरुष स्वास्थ्य कर्मी की नियुक्ति की जा सकती है.
· वीएचएसएनडी सत्र के एक दिन पूर्व ही आशा के द्वारा चिन्हित लाभार्थी को कॉल कर जानकारी दी जाएगी
· सत्र के दौरान एएनएम को कोरोना रोकथाम के प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना होगा. साथ ही सत्र पर जरुरी वैक्सीन के साथ ओआरएस, जिंक, आइएफए, कैल्शियम आदि की उपलब्धता भी सुनिश्चित करानी होगी
· सत्र के दौरान एएनएम सामाजिक दूरी का पालन करते हुए लाभार्थियो को 30 मिनट के वेटिंग पीरियड के दौरान कोरोना संक्रमण की रोकथाम पर जानकारी देगी - रायपुर : कोरोना संकटकाल में जिला प्रशासन धमतरी की पहल पर जिले की महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हर्बल चीजों का उत्पादन किया जा रहा है। इन हर्बल उत्पादों में ‘ओज‘ हर्बल लेमन ग्रास मसाला, ‘ओज‘ लेमन ग्रास तुलसी, ‘ओज‘ लेमन ग्रास मिंट और ओज हर्बल लेमन ग्रास अदरक मसाला प्रमुख हैं। आयुष के चिकित्सकों ने ओज लेमन ग्रास चाय मसाला से होने वाले लाभों के बारे में बताते हुए कहा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही कोरोना तथा अन्य रोगों से लड़ने में भी सहायक है। चिकित्सकों ने इसे मोटापा कम करने में सहायक, सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी बीमारियों से भी लड़ने में लाभकारी बताया।
इन उत्पादों का स्थानीय बाजार में मूल्य 100 ग्राम का 100 रूपए, 50 ग्राम का 50 रूपए एवं 30 ग्राम का 30 रूपए रखा गया है। समूह की महिलाओं द्वारा उत्पादित लगभग 10 किलोग्राम ओज लेमन ग्रास की बिक्री से 30 से 40 प्रतिशत की आमदनी हो रही है। यह उत्पाद कलेक्टर परिसर एवं जनपद पंचायत धमतरी में स्थित बिहान मार्ट तथा शहर के प्रमुख दुकानों पर भी उपलब्ध है। भटगांव के स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगभग तीन एकड़ भूमि में लेमन ग्रास की खेती की जा रही है। इसी तरह गंगरेल की ‘नई दिशा महिला‘ स्व-सहायता समूह द्वारा हर्बल लेमन ग्रास चाय मसाला का उत्पादन भी किया जा रहा है। बड़े पैमाने में उत्पाद निर्मित करने के लिए मल्टी युटीलिटी सेंटर छाती में मल्टी युटीलिटी प्रसंस्करण सेंटर की स्थापना की जा रही है। जिससे समूह की महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सुनिश्चित होंगे। -
मनोचिकित्साक डॉ अविनाश शुक्लाब को जिले के क्वाारेंटाइन सेंटरों का बनायागया नोडल अधिकारी
रायपुर 22 मई : जिले के समस्त क्वेरेंटाइन सेंटर में मानसिक स्वाकस्य्वल सेवाओं के विस्ताार एवं तनाव प्रबंधन के लिए डॉ अविनाश शुक्ला।, (मनोचिकित्ससक,) को आगामी आदेश तक नोडल अधिकारी नियुक्तर किया है। डॉ शुक्ल,स्पार्श क्लिनिक, जिला चिकित्सासलय, पंडरी में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं| सीएमएचओ डॉ मीरा बघेल ने निर्देशित किया है कि क्लिनिकल सायकोलाजिस्टे एवं योग शिक्षक का सहयोग लेकर प्रत्ये क क्वा रेंटाइन सेंटर में श्रमिकों एवं निवासरतों का मानसिक स्वा्स्य्क परीक्षण कर आवश्यहकतानुसार मनोवैज्ञानिक परामर्श, बौद्विक एवं मानसिक प्रबंधन के लिए योगासन किया जाना सुनिश्चित करते हुए कोविड-19 के नियमों का पालन हो।
राजधानी के आश्रय स्थलों में ठहरे हुए प्रवासी श्रमिकों को अवसाद, चिंता, बेचैनी और घबराहट से उबारने के लिए नियमित रूप से जि़ला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत परामर्श दिया जा रहा है। राजधानी के आसपास के गांव में रहने वाले 200 से अधिक प्रवासी श्रमिकों को क्व रेंटाइन सेंटर में जि़ला मानसिक स्वास्थ्य द्वारा गठित दल के माध्यम से परामर्श दिया जा रहा है।
प्रवासी श्रमिकों के अलावा गर्भवती महिलाओं के साथ 50 से अधिक छोटे बच्चेइ भी हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए प्रवासी श्रमिकों का मानसिक तनाव दूर करने के संबंध में 31 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आदेश दिया था। न्यायालय के आदेश पर क्वाचरेंटाइन केंद्र में रखे गए प्रवासी श्रमिकों को मानसिक तनाव दूर करने के टिप्स दिए जा रहे हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मनोवैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों से शारीरिक दूरी बनाते हुए उनके मानसिक तनाव के कारणों की क्रमश: जानकारी ली जा रही। तत्पश्चात उन्हें तनाव दूर करने के सुझाव के साथ स्वंय की रक्षा के लिए बरती जाने वाली सावधानी के बारे में जानकारी दी।
मनोवैज्ञानिक डॉ. मिनेष कुमार साहू के अनुसार ने कोरोना वायरस के खतरे और बचाव के विषय में भी जानकारी दी जा रही है । साथ ही श्रमिकों की काउंसिलिंग कर उन्हें क्वा रेंटाइन सेंटर में साफ-सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग और आपसी व्यवहारिक वातावरण बनाने की सलाह दी जा रही है। मुख्य रूप से लोगों में परिवार से मिलने के प्रति चिंता ज्यादा है, जिसको समझाइश देकर तनाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
राधास्वािमी सतसंग भवन के क्वातरेंटाइन सेंटर में रविशंकर विश्वतविद्वालय के मनोवैज्ञानिक डॉ. सचिन कुमार, डॉ. नरेंद्र वर्मा, डॉ. देवेंद्र वर्माव मनोचिकित्सकक डीएस परिहार सहायक चिकित्साक अधिकारी की टीमने आज श्रमिकों से बातचीत किया। श्रमिकों में सबसे ज्यादा घर जाने की चिंता और नशे की आदत के कारण बेचैनी और घबराहट की समस्याा देखी गई, जिसको दूर करने विशेषज्ञ लगे हुए हैं।
क्वाारेंटाइन सेंटर में श्रमिकों के लिए मेडिकल कैंप एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श कैंप का आयोजन हेल्थै एवं वेलनेस सेंटर, नकटी द्वारा प्रबंधन किया गया। एक 9 माह की गर्भवती महिला और पति ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर बच्चे् के स्वानस्य्एक पर होने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की जिसे मनोवैज्ञानिक द्वारा काउंसलिंग कर दूर किया गया।क्वाैरेंटाइन केंद्र में रहने वालों की प्रतिक्रिया-
मनोवैज्ञानिकों ने जब क्वारंटाइन केंद्र में रखे गए प्रवासी श्रमिकों से उनके अंदर वर्तमान में उठ रही भावनाओं के संबंध में पूछा तो कई प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आई।
1- अपने व स्वजनों की भलाई की चिंता
2- वर्तमान व भविष्य के बारे में अनिश्चितता।
3- शारीरिक दूरी से अकेलापन महसूस होना।
4- संसाधन नियंत्रण से बाहर होने से असहाय महसूस करना।
5- आंतरिक प्रेरणा व उर्जा में कमी होना।
6- उदासी व व्यर्थ की भावनाओं का उत्पन्न होना।
7- क्रोध व चिड़चिड़ापन होने से जिंदगी से डर लगना।
प्रवासी श्रमिकों को तनाव दूर करने के दिए गए सुझाव:
1- कोरोना के संबंध में केवल विश्वसनीय स्त्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें। ऐसे में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए वेबसाइट व हेल्पलाइन से जानकारी लेना उचित होगा।
2- व्हाट्सएप, फेसबुक या अपने पड़ोसी द्वारा बताई गई जानकारी पर सहज विश्वास न करें और न ही चिंतित हो।
3-भावनात्मक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए संतुलित आहार लें। पर्याप्त पानी व नींद लेने के साथ प्रतिदिन व्यायाम करें।
4- कुछ नया कौशल सीखने या सिखाने का अभ्यास करें। प्रतिदिन कुछ देर ध्यान करने के साथ दस मिनट तक सांस लेने व छोड़ने की क्रिया का अभ्यास करें।
5- प्रियजनों से मोबाइल से बात करने के लिए समय निर्धारित करें। साथ ही प्रतिदिन साबुन या हैंडवाश से हाथ धोते हुए शारीरिक दूरी हर हाल में बनाए रखें। सरकार व प्रशासन द्वारा आप की सुरक्षा के लिए जो नियम बनाए जाए उसका अनुपालन करें। -
- बीते चार साल में डीईआईसी सेंटर से 2100 ने लिया उपचार और परामर्श- चिकित्सकीय परामर्श के लिए विशेष बच्चों को सेंटर से परामर्श दे रहे विशेषज्ञ
रायपुर. 22 मई : कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी संक्रमण के दौरान संपूर्ण देश में चौथे चरण का लॉकडाउन है। ऐसे समय में सभी प्रकार की दिव्यांगता वाले बच्चों का इलाज करना कठिन है। मुश्किल की इस घड़ी में रायपुर के जिला अस्पताल शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्तेर्वेंशन सेंटर / डीईआईसी सेंटर) के विशेषज्ञों द्वारा फोन के माध्यम से ऐसे बच्चों को आवश्यक चिकित्सकीय परामर्श प्रदान किया जा रहा है। साथ ही उनके अभिभावकों को भी उनकी फीजिकल एक्टिविटी के तरीके बताए जा रहे हैं।
हालांकि लॉकडाउन में ढील हुई है और अस्पताल में कई आवश्यक सेवाएं भी शुरू कर दी गई हैं। परंतु उक्त सेंटर में नए मरीज नहीं आ रहे हैं। महामारी संक्रमणकाल के पूर्व डीईआईसी सेंटर में बच्चों का इलाज जारी था। लॉकडाउन की वजह से उन बच्चों को घर पर ही नियमित देखभाल करने, फिजियोथैरेपी आदि करते रहने की सलाह दी गई थी। लॉकडाउन के दौरान भी विशेषज्ञ फोन पर ही उन बच्चों को चिकित्सकीय सलाह दे रहे हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ एवं इंचार्ज शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी सेंटर) रायपुर डॉ. निलय मोझारकर का कहना है मानसिक विकार, ऑटिज्म एक दिव्यांगता है। जिसमें दिमाग के सूचनाएं एवं शब्द सही से प्रोसेस नहीं हो पाते हैं। बच्चे को समझने, हाव-भाव दिखाने और बोलने में तकलीफ होती है। विशेषकर छोटे बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। पहले के मुकाबले लोगों में जागरूकता बढ़ी है इसलिए सेंटर में ऐेसे केसेस पंजीकृत होने लगे हैं। ऐसे बच्चों को फिजीयोथैरेपी, स्पीच थैरेपी, मनोचिकित्सकीय परामर्श की जरूरत रहती है। ज्यादा दिन तक उन एक्टीविटी को बंद नहीं किया जा सकता इसलिए ऐसे बच्चों को पुनः सेंटर अब आना चाहिए। वैसे लॉकडाउन में भी नियमित रूप से फोन से बच्चों की देखभाल का परामर्श दिया जा रहा ।
चार साल से संचालन- बच्चों के मानसिक विकास में विलंबता, मानसिक विकार, ऑटिज्म या दिव्यांगता के विशेष इलाज के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी सेंटर) खोला गया है। रायपुर के जिला अस्पताल में उक्त केन्द्र बीते चार साल से ऐेसे बच्चों को विशेष उपचार और परामर्श प्रदान कर रहा है अब तक केन्द्र में सभी प्रकार की दिव्यांगता के लगभग 2100 बच्चों का पंजीयन हुआ है। इनमें ऑटिज्म के बच्चे भी शामिल हैं। डीईआईसी सेंटर में ऐसे असामान्य व्यवहार वाले बच्चों की विशेष देखभाल होती है। बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों, केयर टेकर की काउंसिलिंग होती है ताकि घर में अच्छा वातावरण इन बच्चों को मिले। सेंटर में विशेष तौर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा बहु विषयक टीम, साइकोलॉजिस्ट, स्पेशल एजुकेटर, सोशल वर्कर, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट तथा फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में ऐेसे बच्चों का उपचार किया जाता है।
दिखे ये लक्षण तो हो जाएं सतर्क- विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे में यदि आवाज लगाने पर भी बच्चा अनसुनी कर दे, बच्चा अकेले और गुमसुम रहने लगे, सामान्य बच्चों की बजाए विकास धीमा होना, आंखों में आंखे डालकर बात करने से बच्चा घबराए, बच्चा अपने आप में खोया रहे, अपने आप को सामाजिक रूप से अलग रखे आदि लक्षण दिखे तो अभिभावकों को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे में फौरन चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। मानसिक बीमारी संभावित है। इसलिए इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू कर दी जाए उतने अच्छे परिणाम मिलते हैं। -
रायपुर : प्रदेश में लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है आज शुक्रवार (22 मई) को एक बार फिर 16 कोरोना संक्रमित लोगों की मिलने की खबर आ रही है जिसमे से 12 कोरोना संक्रमित तो कोरबा से है वही कांकेर में 3 और बेमेतरा में 1 मरीज मिला है प्रदेश में अब कुल 89 एक्टिव मरीज़ हैं. आज जितने भी मरीज मिले हैं वे सभी दूसरे राज्य से छत्तीसगढ़ पहुंचे थे.
- रायपुर : राज्य के अचानकमार टाईगर रिजर्व में वन्यप्राणी बाघ की गणना के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए है। इसमें विगत दिवस बघिरा (ब्लैक पैंथर) की तस्वीर आई है। इस संबंध में उप संचालक अचानकामार टाईगर रिजर्व ने जानकारी देते हुए बताया कि तेन्दुए में मैलेनिन ज्यादा होने से यह काला रंग का प्रतीत होता है। यही काले रंग के तेन्दुए को ही ब्लैक पैंथर कहते है। ब्लैक पैंथर कोई दूसरी प्रजाति नहीं है, जो कि आम धारणा में प्रचलित है।
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रायपुर 20 मई : रायपुर में कालीबाड़ी और पंडरी स्थित सरकारी जिला अस्पतालों में नियमित सेवाएं रोगियों को प्रदान हो रही हैं| जिला अस्पताल (मातृ एवं शिशु), कालीबाड़ी और जिला अस्पताल, पंडरी के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी/आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) और अंतर रोगी विभाग (आईपीडी/इन पेशेंट डिपार्टमेंट) में सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाते हुए नियमित रूप से सेवाएं प्रदान की जा रही है ।
इसकी जानकारी देते हुए अस्पताल सलाहकार नीरज कुमार ओझा ने बताया इन दोनों अस्पतालों में फरवरी में ओ पी डी में 20,369 और मार्च माह में 16,096 में रोगी देखे गए जबकि अप्रैल में 8599 रोगियों का उपचार किया गया । वहीं अंतर रोगी विभाग में फरवरी में 790, मार्च में 692 और अप्रैल में 808 रोगियों का ईलाज किया गया । यह सब रोगी गैर-कोविड-19 श्रेणी के थे| इनमें से जिला चिकित्सालय, पंडरी में 14355 रोगियों को और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जिला चिकित्सालय, कालीबाड़ी में 6014 रोगियों को ईलाज प्रदान किया गया ।
मार्च माह में कुल 16096 ओ पी डी में रोगियों को ईलाज प्रदान किया गया जिसमें जिला चिकित्सालय, पंडरी में 10927 रोगियों और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जिला चिकित्सालय कालीबाड़ी में 5169 रोगियों ने चिकित्सकों से सलाह ली । वहीं अप्रैल में कुल 8599 ओ पी डी रोगियों का इलाज हुआ जिसमें जिला चिकित्सालय, पंडरी में 5643और ला चिकित्सालय कालीबाड़ी में 2956 रोगियों को ईलाज प्रदान किया गया ।
अंतर रोगी विभाग (आईपीडी)
गैर कोविड-19 श्रेणी में अंतर रोगी विभाग (आईपीडी) में फरवरी में कुल 790 का ईलाज किया गया । जिसमें जिला चिकित्सालय, पंडरी में 210 कालीबाड़ी में 580 रोगियों का उपचार हुआ। इसी तरह माह में कुल 692 अंतर रोगियों का ईलाज किया गया जिसमें पंडरी अस्पताल में 108 और कालीबाड़ी में 584 का उपचार हुआ । वहीं अप्रैल में कुल 808 अंतर रोगियों का ईलाज किया गया जिसमें पंडरी में 183 और कालीबाड़ी चिकित्सालय में 625 रोगियों का ईलाज किया गया ।
लॉकडाउन को देखते हुए टेलीमेडिसिन और टेली-काउंसलिंग का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है। इसके अतिरिक्त हेल्पलाइन नंबर 104 का उपयोग गैर-कोविड आवश्यक सेवाओं के शिकायत निवारण के लिए भी किया जा रहा है| -
रायपुर : प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजो की संख्या बढ़ती ही जा रही है आज बुधवार को फिर प्रदेश में कुल 7 कोरोना मरीज मिले हैं जिनमे से 1 रायगढ़, 2 बालोद, 2 बलौदा बाजार और 1 सरगुजा जिले से है. बता दें कि आज सुबह राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ से डिप्टी कलेक्टर के ड्राईवर को कोरोना संक्रमित होने की खबर आई थी प्रदेश में कुल मरीजो के आने की संख्या की बात करे तो यह 108 हो गई है जिनमे से 59 मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो कर अपने घर लौट चुके हैं. फ़िलहाल अभी प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 49 पर पहुंच गई है.
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में हर घर नल के जरिए वर्ष 2024 तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के लिए राज्य सरकार मिशन मोड में कार्य करेगी। इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। श्री बघेल ने आज केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन (हर घर नल-ग्रामीण) के क्रियान्वयन के संबंध में विचार-विमर्श किया। श्री बघेल ने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार मिलकर यह मिशन समय-सीमा के अंदर पूरा करेंगे। केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने इस मिशन के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
छत्तीसगढ़ के कृषि और जलसंसाधन मंत्री श्री रविंद्र चौबे, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, जल संसाधन और लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। जिसके तहत वर्ष 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों मंे हर घर नल के जरिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस मिशन में ग्रामीण क्षेत्र के हर घर में पाईप लाइन के माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन स्वच्छ पानी देने का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री शेखावत से कहा कि छत्तीसगढ़ की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर जल जीवन मिशन के लिए केन्द्र सरकार के योगदान को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जाना चाहिए और राज्य का अंश 25 प्रतिशत रखा जाना चाहिए। वर्तमान में इस मिशन में 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा देने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आबादी आदर्श स्थिति में है लेकिन छत्तीसगढ़ देश का नवां बड़ा राज्य है। छत्तीसगढ़ आदिवासी राज्य है, यहां बड़े क्षेत्र में वन हैं और आबादी विरल है। छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा में कई गांव कई वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। इसलिए यहां हर घर पाईप लाइन के जरिए पेयजल पहुंचाने में ज्यादा राशि खर्च करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी इलाकों में विशेष कर बस्तर में बड़ी वाटर बॉडी नहीं है। यदि हर घर को पानी देना है, तो इसके लिए जल की व्यवस्था भी करनी होगी। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि नरवा योजना के अंतर्गत प्रदेश के 30 हजार नालों को पुनर्जीवित किया जाएगा। वर्तमान में 1100 नालों के लिए कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसके लिए वैज्ञानिक ढ़ंग से सेटेलाईट नक्शों का उपयोग कर कार्य योजना तैयार की गई है। इस योजना के माध्यम से वाटर रिचार्जिंग कर निस्तार, पीने के पानी, ंिसंचाई और औद्योगिक गतिविधियों के लिए पानी की कमी नहीं होगी।
केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने जल जीवन मिशन के लिए हर संभव सहयोग उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हर घर पानी पहुंचाने के कार्य में कैंम्पा, मनरेगा और 15 वें वित्त आयोग से मिलने वाली राशि का उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जिन गांवों में पेयजल के लिए जल स्त्रोत और ठंकी की व्यवस्था है, वहां पाईप लाइन के माध्यम से घरों में पानी देने का कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में गांवों तक सिंचाई जलाशयों से पानी लाने की व्यवस्था करनी होगी। बस्तर क्षेत्र की बोधघाट सिंचाई परियोजना केन्द्रीय जल आयोग में स्वीकृति के लिए भेजी गई है। इस योजना से नक्सल प्रभावित बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में सिंचाई होगी और इन क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के लिए जल उपलब्ध हो सकेगा। श्री चौबे ने केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत से बोधाघाट परियोजना को जल्द स्वीकृति दिलाने तथा छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के मध्य जल विवाद हल करने में सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना की जानकारी दी और बताया वन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग तथा वाटर शेड के माध्यम से जल संरक्षण और संवर्धन के काम कराए जा रहे हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्र कुमार ने बैठक में कहा कि जल जीवन मिशन के लिए राज्य में सभी जिलों के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इस मिशन के लिए संसाधनों की कमी नहीं होगी। जल जीवन मिशन के अंतर्गत गांवों में पाईप लाइन के जरिए पानी सप्लाई में होने वाले खर्च में केन्द्र और राज्य सरकार के योगदान के साथ 10 प्रतिशत भागीदारी स्थानीय समुदाय की होगी। गांवों में जितनी राशि जमा होगी उतनी ही राशि केन्द्र और राज्य सरकार देंगी। इस राशि का उपयोग गांव की नल जल योजना के संधारण में किया जाएगा।
बैठक में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पाईप लाइन के माध्यम से अब तक 11 प्रतिशत घरों में ही पानी सप्लाई की जा रही है। इस मिशन के माध्यम से शतप्रतिशत घरों तक पाईप लाइन से पानी की सप्लाई की जाएगी। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में 43 लाख 17 हजार घरों में से अब तक 4 लाख 82 हजार घरों मंे ही पाईप लाइन से पानी की सप्लाई की जा रही है। जल जीवन मिशन के माध्यम से 38 लाख 34 हजार घरों में पानी सप्लाई की जाएगी। - रायपुर : वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में चालू सीजन के दौरान तेन्दूपत्ता संग्रहण का कार्य जोरों पर है। अब तक लक्ष्य का एक तिहाई अर्थात् 5 लाख 59 हजार 553 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। इसमें संग्राहकों को लगभग 224 करोड़ रूपए के पारिश्रमिक का भुगतान होना है। राज्य में चालू वर्ष 2020 में 16 लाख 71 हजार 700 मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित है।छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक वन मंडलवार बीजापुर में 42 हजार 223 मानक बोरा, सुकमा में 39 हजार 316 मानक बोरा, दंतेवाड़ा में 3 हजार 612 मानक बोरा तथा जगदलपुर में 11 हजार 529 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। वन मंडलवार दक्षिण कोण्डागांव में 11 हजार 484 मानक बोरा, केशकाल में 14 हजार 928 मानक बोरा, नारायणपुर में 11 हजार 565 मानक बोरा, पूर्व भानुप्रतापपुर में 60 हजार 752 मानक बोरा, पश्चिम भानुप्रतापपुर में 19 हजार 385 मानक बोरा तथा कांकेर में 24 हजार 686 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है।
इसी तरह वन मंडलवार राजनांदगांव में 32 हजार 698 मानक बोरा, खैरागढ़ में 10 हजार 830 मानक बोरा, बालोद में 12 हजार 960 मानक बोरा तथा कवर्धा में 12 हजार 723 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। वन मंडलवार धमतरी में 11 हजार 439 मानक बोरा, गरियाबंद में 51 हजार 203 मानक बोरा, महासमुंद में 42 हजार 863 मानक बोरा, बलौदाबाजार में 9 हजार 435 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है। वन मंडलवार बिलासपुर में 5 हजार 603 मानक बोरा, मरवाही में छह हजार 108 मानक बोरा, जांजगीर-चांपा में 3 हजार 313 मानक बोरा, रायगढ़ में 19 हजार 409 मानक बोरा, धरमजयगढ़ में 38 हजार 840 मानक बोरा, कोरबा में 19 हजार 12 मानक बोरा तथा कटघोरा में 13 हजार 706 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। इसके अलावा वन मंडलवार जशपुरनगर में 9 हजार 646 मानक बोरा, मनेन्द्रगढ़ में 8 हजार 217 मानक बोरा, कोरिया में 4 हजार 467 मानक बोरा, सरगुजा में 4 हजार 238 मानक बोरा तथा सूरजपुर में 3 हजार 361 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। - रायपुर : सैकड़ों किलोमीटर दूर से भूखे-प्यासे जैसे-तैसे अपने घर जाने की आस में निकले श्रमिकों को छत्तीसगढ़ पहुंचकर ऐसा लगा मानों मंजिल ही मिल गई। छत्तीसगढ़ से गुजरने वाले श्रमिक यहां की व्यवस्था से काफी खुश है। ऑखों में आसू और ह्दय में पीड़ा लिए दो-दो, तीन-तीन दिनों से भूखे-प्सासे चलते हुए श्रमिक जब छत्तीसगढ़ पहुंचे तब इन्हें छत्तीसगढ़ सरकार और स्वयं सेवी संस्थाओं से हर प्रकार का सहयोग मिला। इन श्रमिकों ने अपनी सारी पीड़ा बिसार दी और इस मानवीय पहल को सराहते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया।रायपुर शहर के टाटीबंध चौक पर पहुंचे कई श्रमिकों ने बताया कि घर पहुंचने की आस में श्रमिक चिलचिलाती धूप हो या गरजते-चमकते बादल सैकड़ों किलोेमीटर दूर देश के विभिन्न राज्यो से भूखे-प्यासे, चलते, दौड़ते, थकते किसी तरह अपनों के साथ, अपनों के पास पहुंचने सैकड़ों मजदूर अपने छोटे-छोटे बच्चों को कघों अथवा कमर में ढोते आखों में आसू, और दिल में पत्थर लेकर निकल पड़ें थे। उन्हें छत्तीसगढ़ पहुंचकर बहुत राहत महसूस हुई। प्रवासी श्रमिक मुन्ना सिवारे और साथियों ने बताया कि वे दो-तीन दिनों से भूखे-प्यासे जैसे-तैसे अहमदनगर से अपने घर झारखंड जाने के लिए निकले है। उन्हांेने बताया कि वे मिठाई की दुकान में जलेबी बनाने का काम करते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण घोषित लॉकडाउन से वहां फंस गए थे। जेब में कुछ पैसे थे, तब तक कुछ खा-पीकर चलते रहे, लेकिन पैसे खत्म हो जाने पर हमारी परेशानी बढ़ गई।
किसी तरह हम रायपुर शहर के टाटीबंध पहुंचे। यहां पहुंचते ही ऐसे लगा मानों सब कुछ मिल गया। यहां प्रशासन और स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा हम सबको खाने के लिए भोजन, केला, बिस्किट पानी, छाछ, पूरी-सब्जी मिली और जाने के लिए बस की व्यवस्था कराई गई। इन लोगों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रशासन का आभार जताते हुए कहा कि अब आसानी से हम सभी अपने गृह राज्य पहुंच जाएंगे।
इसी तरह मोहीसुर, सूरज, अनिसुर और कासीम सहित उनके अन्य साथियों ने बताया कि वे लोग पश्चिम बंगाल जाने के लिए निकले है। नागपुर, महाराष्ट्र के रास्ते में कई प्रकार की कठिनाईयों को छेलते हुए जैसे-तैसे बड़ी मुश्किल से छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं। छत्तीसगढ़ पहुंचतंे ही उन्हें बड़ा सकुन मिला। यहां प्रशासन द्वारा नाश्ता-पानी भोजन के इंतजाम से काफी राहत मिली है। इन श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में आकर हमें वास्तव में संवदेनशील सरकार की परख हुई है। सभी सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ की सीमा से होकर गुजरने वाले अन्य राज्य जाने वाले प्रवासी श्रमिकों तथा अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में आने वाले श्रमिकों के खाने-पीने, भोजन, चिकित्सा आदि सहित उनके लिए बसों की भी व्यवस्था की गई है। इन श्रमिकों के लिए मास्क और चरण पादुका भी दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अहम फैसला यह भी लिया है कि राज्य के ऐसे प्रवासी श्रमिक परिवार, जिनके पास राशनकार्ड नहीं है। उन श्रमिक परिवारों को मई और जून माह का प्रति सदस्य की मान से पांच किलो खाद्यान्न निःशुल्क दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों की वापसी के लिए, जहां ट्रेनों और बसों की निःशुल्क व्यवस्था की है, वहीं राज्य के अन्य जिलों में लॉकडाउन के वजह से फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को उनके गृह ग्राम तक सकुशल पहुंचाया जा रहा है। -
रायपुर :मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को आज यहां उनके निवास कार्यालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम द्वारा वर्ष 2018-19 के लाभांश की राशि 2 करोड़ 25 लाख रूपए का चेक सौंपा गया। इस अवसर पर वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राज्य वन विकास निगम श्री आर. गोवर्धन, वन विभाग के सचिव श्री जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम को भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कार्य आयोजना के अंतर्गत रोपित किए गए सागौन वृक्षारोपण के विरलन से प्राप्त वनोपज के विक्रय तथा अन्य आय से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ 41 लाख रूपए की आय प्राप्त हुई। निगम द्वारा इस दौरान विभिन्न कार्यों पर 30 करोड़ 49 लाख रूपए की राशि व्यय हुई। इस तरह वर्ष 2018-19 के दौरान निगम को 25 करोड़ 92 लाख रूपए की राशि का लाभ प्राप्त हुआ। निगम द्वारा वर्ष 2018-19 में राज्य के 3 हजार 594 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 60 लाख पौधे का रोपण किया गया। इसके अलावा पर्यावरण सुधार के लिए खदानी तथा औद्योगिक क्षेत्रों में मिश्रित प्रजाति के 8 लाख 10 हजार पौधों का वृक्षारोपण किया गया। निगम द्वारा वानिकी वर्ष 2018-19 में 23 हजार 367 घनमीटर ईमारती काष्ठ, 14 हजार 16 नग जलाऊ चट्टा और एक हजार 521 नोशनल टन बांस का उत्पादन किया गया है।