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गगनयात्री शुभांशु शुक्ला के साथ जशपुर के बच्चे हुए रूबरू, शुभांशु शुक्ला से प्रेरणा लेकर बच्चे अपनी रुचि के क्षेत्र में बढ़ें आगे और देश का नाम करें रौशन- मुख्यमंत्री श्री साय

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

‘टच द स्पेस’ कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों की अंतरिक्ष जिज्ञासाओं का हुआ समाधान

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने शुभांशु शुक्ला को दी शुभकामनाएं

भारत के अंतरिक्ष हीरो से मिलकर बच्चे हुए अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्साहित

जशपुरनगर : 05 सितंबर को शिक्षक दिवस का दिन जशपुर के बच्चों के लिये एक यादगार दिन बन गया जब पूरे देश के अंतरिक्ष हीरो एवं अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखने वाले प्रथम गगन यात्री और अंतरिक्ष में जाने वाले द्वितीय भारतीय नागरिक का गौरव प्राप्त ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से वे वर्चुअल माध्यम से रूबरू हुए और उन्होंने बच्चों के सवालों के जवाब भी दिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय अपने निवास परिसर से शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव और स्कूली बच्चों के साथ इस श्टच द स्पेसश् कार्यक्रम में शामिल हुए। शिक्षक दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में जिला पंचायत जशपुर ऑडिटोरियम से जिले के 70 होनहार बच्चे एवं शिक्षक भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम में शामिल सभी शिक्षकों को बधाई देने के साथ ही गगनयात्री शुभांशु शुक्ला को छत्तीसगढ़ की तीन करोड़ जनता की ओर से शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक सोच है। विज्ञान प्रश्न पूछने और तर्क करने की शक्ति और समस्याओं का समाधान खोजने की क्षमता प्रदान करता है। मुख्यमंत्री ने बच्चों से आह्वान किया कि वे श्री शुभांशु शुक्ला से प्रेरणा लेकर अपनी रुचि के क्षेत्र में आगे बढ़ें और अपना तथा देश का नाम रौशन करें।

गगनयात्री ग्रुप कैप्टन श्री शुभांशु शुक्ला ने कहा कि देश ने जो अवसर उन्हें प्रदान किया है, उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना उनकी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का मैं विशेष आभार व्यक्त करता हूँ कि उनकी पहल से ऐसे सार्थक कार्यक्रम आयोजित हो पा रहे हैं। जब प्रदेश का मुखिया विज्ञान और शिक्षा से जुड़े आयोजनों को महत्व देता है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव पूरे प्रदेश पर पड़ता है और बच्चों के भीतर नई ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणा उत्पन्न होती है।

इसरो, इग्नाइटिंग ड्रीम्स ऑफ यंग माइंड फाउंडेशन (आईडीवायएम) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में गगनयात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष मिशन के लिए अपनी तैयारियों, अपनी पढ़ाई, एक सामान्य बच्चे से अंतरिक्ष यात्रा तक के सफर, अपने अनुभव, गगनयात्री बनने के अपने सफर, भारत के अंतरिक्ष अभियानों आदि विषयों पर अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया। इस कार्यक्रम का वर्चुअल माध्यम से प्रदेश और देश के 25 हजार से ज्यादा बच्चों ने लाभ लिया। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत से कलेक्टर श्री रोहित व्यास, डिप्टी कलेक्टर प्रशांत कुशवाहा, डीईओ प्रमोद कुमार भटनागर, विनोद गुप्ता सहित बड़ी संख्या में शिक्षकगण एवं विद्यार्थी एवं वर्चुअल माध्यम से आईडीवायएम के रत्नेश मिश्रा शामिल हुए।

धुरूडांड की झिलमिल ने पूछा अंतरिक्ष में दिनचर्या कैसे होती है और नहाना कैसे?

जशपुर जिले के ईआरएमएस धुरूडांड में 11वीं कक्षा में अध्ययनरत झिलमिल पैंकरा ने श्री शुक्ला से पूछा कि अंतरिक्ष में सभी की दिनचर्या कैसी होती है? और नहाते कैसे हैं? एवं कपड़े कैसे धोते हैं? जिस पर श्री शुक्ला ने सहजतापूर्वक जवाब दिया कि अंतरिक्ष यान में कपड़े धोना बहुत ही चुनौती पूर्ण कार्य है, जो अभी मुमकिन नहीं है परंतु आप बच्चों को इसे संभव बनाना है। हम कुछ निश्चित कपड़ों के सेट अंतरिक्ष में ले गए थे। एक बार कपड़े चार-पांच दिनों तक पहनने के बाद हम उन्हें दोबारा नहीं पहनते। वहां कपड़े जल्दी गंदे नहीं होते हैं। विशेष साबुन युक्त गीले तौलियों से हम शरीर को साफ करते हैं और विशेष शैंपू से बालों को धोते हैं।

जशपुर की अनिशा भगत ने पूछा क्या अंतरिक्ष से पृथ्वी हमारे सोच जैसी दिखती है?

जशपुर आत्मानंद विद्यालय की 11वीं कक्षा में अध्ययनरत अनिशा भगत ने गगन यात्री से पूछा कि आपका रोल मॉडल कौन है? और अंतरिक्ष में जाकर आपने सबसे पहले क्या सोचा? और क्या पृथ्वी अंतरिक्ष से हमारी सोच एवं कल्पनाओं के जैसे दिखती है? जिस पर उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में जाकर सबसे पहले मुझे अद्भुत महसूस हुआ। रॉकेट जब ऊपर जाता है तब हमें बहुत भारी गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करना पड़ता है और जैसे ही हम अंतरिक्ष में पहुंचते हैं सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण बल होने के कारण शरीर जैसे उड़ने लगता है। मैंने जितना सोचा था यह उससे भी अद्भुत हुआ, अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखकर जैसा महसूस कर रहा था उस एहसास को फोटो या वीडियो के माध्यम से महसूस नहीं किया जा सकता है।

कुनकुरी की अंजली ने पूछा डिमोटिवेट होते हैं तो क्या करते हैं?

कुनकुरी की अंजलि पपिंदे ने गगन यात्री से पूछा कि आपके सफर की शुरुआत कैसी थी? जब आप डिमोटिवेट होते हैं तो खुद को मोटिवेट कैसे करते हैं? और आपके सफर में सबसे सहायक व्यक्ति कौन थे? जिस पर श्री शुक्ला ने कहा कि मैंने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि अंतरिक्ष की यात्रा करूंगा पर मेरा हर कदम एवं अपने करियर में लिए गए हर फैसले ने मुझे यहां तक पहुंचने में मदद की है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता परिवार जनों, दोस्तों के साथ अपने गुरुजनों की सहयोग को अप्रतीम बताया। उन्होंने कहा कि जीवन में सुख-दुख, खुशी-गम, उत्साह और हतोत्साह का क्रम चलता रहता है आप एक पल उत्साहित हैं तो अगले पल हो सकता है उत्साह गायब हो जाए पर कभी हार नहीं माननी है। मैं जब भी डिमोटिवेट होता हूं थोड़ा सो जाता हूं और फिर सब भूल कर आगे बढ़ जाता हूं।

ष्बच्चे की तरह फिर चलना और खाना सीखाष्- श्री शुक्ला

ग्रुप कैप्टन एवं गगनयात्री श्री शुक्ला ने कहा कि बचपन में जब उन्होंने राकेश शर्मा के बारे में सुना तो उन्हें भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में रुचि उत्पन्न हुई थी। फिर नेशनल डिफेंस एकेडमी और एयरफोर्स से होते हुए 2023 में उन्हें रूस में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था और जब उनका चयन एक्सीओम 4 मिशन के लिए हुआ तब वह बहुत खुश थे अंतरिक्ष यात्रा बहुत कठिन होती है। हमारे 18 दिनों के मिशन में मैंने भारत के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किये गए परीक्षणों को किया और उनके परिणाम लेकर धरती पर आया। अंतरिक्ष में जाने और वापस आने पर सब कुछ बदल जाता है। जब हम सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में जाते हैं और जब वापस पृथ्वी पर आते हैं हमें फिर से बच्चों की तरह चलना, खाना एवं अन्य दैनिक गतिविधियों को सिखाना पड़ता है। धरती पर आकर मैं अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। भारत एक स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है। हमारे पास मौका है और अब भारत में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम भी है। हम सभी को मेहनत कर भारत की मिशन में अपना सहयोग देना है। उन्होंने बच्चों को अच्छे से पढ़ाई कर देश के अंतरिक्ष विज्ञान के विकास में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर भारत के अंतरिक्ष हीरो से मिलकर सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे सभी को अपनी जिज्ञासाओं का जवाब उनके द्वारा प्राप्त हुआ। सभी बच्चों ने अपने हाथों में तिरंगा झंडा लेकर गगन यात्री का अभिनंदन किया।

उल्लेखनीय है कि जिले में कलेक्टर रोहित व्यास के मार्गदर्शन में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर स्कूली बच्चों के लिए स्कूलों में अंतरिक्ष ज्ञान अभियान, स्टार्गेजिंग, विज्ञान प्रदर्शनी आदि का आयोजन कर बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिले के 30 बच्चों के नामों को यूरोपा क्लिपर उपग्रह के साथ बृहस्पति यात्रा पर भी भेजा गया है और जिले के स्थानीय संग्रहालय में स्पेस कॉर्नर का भी निर्माण किया जा रहा है। 

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