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एम.डी.इकबाल
डिजिटल क्रिएटर के वाल से
आजकल क़तर में फुटबॉल का वर्ल्ड कप FIFA 2022 चल रहा है, रोज़ाना उससे जुड़ी ख़बरें न्यूज़ चैनल्स, अख़बार और सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही हैं, वर्ल्ड कप की इस गहमागहमी के बीच कुछ ज़िक्र भारतीय फुटबाल का भी कर लिया जाए, भारतीय फुटबॉल टीम का FIFA रैंकिंग में 106th स्थान है, एक समय ऐसा था जब भारतीय टीम एशिया के बेहतरीन टीमों से एक समझी जाती थी, वो दौर भारतीय फुटबॉल का स्वर्णिम युग कहा जाता है, ये स्वर्णिम युग उस वक्त था जब भारतीय टीम के कोच सैय्यद अब्दुल रहीम साहब थे,आइए जानते हैं भारतीय फुटबॉल के उस महान खिलाड़ी, कोच और मैनेजर के बारे में जिनके समय को भारतीय फुटबॉल का स्वर्णिम युग कहा जाता है, जो आधुनिक भारतीय फुटबॉल के आर्किटेक्ट के नाम से जाने जाते हैं,उनका नाम है सैय्यद अब्दुल रहीम, उनकी पैदाइश निज़ाम के हैदराबाद में 17 अगस्त 1909 को हुई, प्रोफ़ेशन से टीचर थे, और फुटबॉल के खिलाड़ी थे, 1950 से मृत्यु तक यानी 1963 तक वो भारतीय फुटबाल टीम के कोच रहे, इनके कोच का कार्यकाल भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग के तौर पर जाना जाता है,इनकी सरपरस्ती में भारतीय टीम एशिया के सबसे बेहतरीन टीमों में से एक बन गई, और 1951 में पहली बार एशिया कप हासिल किया, इस मैच में भारत ने ईरान को हरा कर गोल्ड मेडल हासिल किया था,1951 से 1963 के बीच सैय्यद अब्दुल रहीम साहब के कार्यकाल के दौरान इंडियन फुटबॉल टीम ने नई बुलंदियों को छुआ, शुरुआत 1951 में एशियन गेम्स की जीत से हुई, जिसमें भारत ने गोल्ड मेडल हासिल किया, उसके बाद 1952 में quadrangular cup में भारत ने जीत दर्ज की और लगातार चार साल तक 1953, 1954, और 1955 में quadrangular Cup जीतता रहा, 1958 के एशियन गेम्स में भारत चौथे स्थान पर रहा, और 1959 के मेंड्रेका कप में दूसरा स्थान पर रहा, 1962 के एशियन गेम्स में फिर से गोल्ड मेडल हासिल किया, 1956 के मेलबॉर्न ओलंपिक में भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा, इस पोजीशन तक पहुंचने वाली एशिया की पहली टीम थी, भारत से पहले कोई भी एशियन फुटबॉल टीम उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई थी, ये भारतीय टीम के आजतक की सबसे बड़ी कामयाबी समझी जाती है,अब्दुल रहीम साहब बेहतरीन टैक्टिक और इनोवेशन के लिए भी याद किए जाते हैं, जब दुनिया की ज़्यादातर फुटबॉल टीम 2-3-2-3 या 3-3-4 फॉर्मेशन के साथ खेलती थी, अब्दूल रहीम साहब ने 4-2-4 फॉर्मेशन को भारतीय टीम में इंट्रोड्यूस किया, उनके द्वारा भारतीय टीम में इस फॉर्मेशन को इंट्रोड्यूस करने के कुछ सालों बाद 1958 के वर्ल्ड कप में ब्राज़ील की जीत ने इस फॉर्मेशन को दुनिया भर में मशहूर बना दिया, और बहुत सी यूरोपियन टीमों ने भी इसे कॉपी किया,अब्दुल रहीम साहब 1943 से लेकर अपने इंतकाल तक हैदराबाद फुटबॉल एसोसिएशन के सेक्रेटरी रहे, उन्होंने देश में फुटबॉल का ऐसा इको सिस्टम डेवलप किया जिसने भारतीय टीम को सालों तक बेहतरीन खिलाड़ी दिए,कैंसर की वजह से 1963 में इनका इंतकाल हो गया,इनके जीवन पर एक biopic ' मैदान ' नाम से बन रही है, जिसमें अजय देवगन इनके किरदार में नज़र आएंगे, -
द्वारा -जय वर्मा
नोट बंदी की जरूरत ही क्यों होगी ? मैं एक डॉक्टर हूं, और इस लिए
" सभी ईमानदार डॉक्टर्स से क्षमा सहित प्रार्थना..
हार्ट अटैक " हो गया डॉक्टर कहता है- Streptokinase इंजेक्शन ले के आओ 9,000/= रु का इंजेक्शन की असली कीमत 700/= - 900/= रु के बीच है पर उसपे MRP 9,000/= का है ! आप क्या करेंगे? टाइफाइड हो गया
डॉक्टर ने लिख दिया - कुल 14 Monocef लगेंगे ! होल - सेल दाम 25/= रु है अस्पताल का केमिस्ट आपको 53/= रु में देता है आप क्या करेंगे ? किडनी फेल हो गयी है हर तीसरे दिन Dialysis होता है Dialysis के बाद एक इंजेक्शन लगता है - MRP शायद 1800 रु है !
आप सोचते हैं की बाज़ार से होलसेल मार्किट से ले लेता हूँ ! पूरा हिन्दुस्तान आप खोज मारते हैं , कही नहीं मिलता क्यों?
कम्पनी सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर को सप्लाई देती है !!
इंजेक्शन की असली कीमत 500/= है , पर डॉक्टर अपने अस्पताल में MRP पे यानि 1,800/= में देता है आप क्या करेंगे ? इन्फेक्शन हो गया है डॉक्टर ने जो Antibiotic लिखी , वो 540/= रु का एक पत्ता है वही Salt किसी दूसरी कम्पनी का 150/= का है और जेनेरिक 45/= रु का पर केमिस्ट आपको मना कर देता है नहीं जेनेरिक हम रखते ही नहीं, दूसरी कम्पनी की देंगे नहीं, वही देंगे , जो डॉक्टर साहब ने लिखी है यानी 540/= वाली? आप क्या करेंगे ? बाज़ार में *Ultrasound Test 750/= रु में होता है चैरिटेबल डिस्पेंसरी 240/= रु में करती है! 750/= में डॉक्टर का कमीशन 300/= रु है!
MRI में डॉक्टर का कमीशन Rs. 2,000/= से 3,000/= के बीच है !
डॉक्टर और अस्पतालों की ये लूट, ये नंगा नाच, बेधड़क, बेखौफ्फ़ देश में चल रहा है!
Pharmaceutical कम्पनियों की Lobby इतनी मज़बूत है, की उसने देश को सीधे - सीधे बंधक बना रखा है!
डॉक्टर्स और दवा कम्पनियां मिली हुई हैं ! दोनों मिल के सरकार को ब्लैकमेल करते हैं!
सबसे बडा यक्ष प्रश्न
मीडिया दिन रात क्या दिखाता है ?
गड्ढे में गिरा प्रिंस, बिना ड्राईवर की कार, राखी सावंत, Bigboss, सास बहू और साज़िश, सावधान, क्राइम रिपोर्ट, Cricketer की Girl Friend, ये सब दिखाता है, किंतु Doctor's, Hospital's और Pharmaceutical company कम्पनियों की , ये खुली लूट क्यों नहीं दिखाता ?
मीडिया नहीं दिखाएगा, तो कौन दिखाएगा?
मेडिकल Lobby की दादागिरी कैसे रुकेगी ?
इस Lobby ने सरकार को लाचार कर रखा है ?
Media क्यों चुप है ?
20/= रु मांगने पर ऑटोरिक्सा वाले को , तो आप कालर पकड़ के मारेंगे,
डॉक्टर साहब का क्या करेंगे?
यदि आपको ये सत्य लगता है, तो कर दो फ़ॉरवर्ड, सब को! जागरूकता लाइए और दूसरों को भी जागरूक बनाने में अपना सहयोग दीजिये!
The Makers of Ideal Society एक सोच बदलाव की Request From:- Indian
आप पांच को भेज दो और वो पांच लोग , अगले पांच लोगो को जरूर भेज देगे ! यदि सबने इस प्रकार से पांच पांच को भेजा तो देखते ही देखते सारा देश जुड़ जायेगा।
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आयुक्त दीपांशु काबरा जी की ट्विटर वॉल से....रायपुर : कम समय में ज्यादा पैसा पाने के चक्कर में लोग अपनी जमा पूँजी गंवा देते हैं. चिटफंड कंपनियों के फेर में ना पड़ें. सेविंग्स पर रिटर्न सभी चाहते हैं, पर सही तरीका चुनें. अपनी FinancialEducation बढायें. अच्छे कोर्स लेकर सुरक्षित निवेश का सही तरीका सीखें ताकि ठगी से बचे रहे |
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शकील अख्तर के ट्विटर हैण्डल सेशकील अख्तर ने अपने ट्विटर हैण्डल से यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बागी तेवर दिखाने वाले कांग्रेस के गिग्ज नेता हरीश रावत पर हमला करते हुए कहा कि हरीश रावत को लगा कि उनके बिना कांग्रेसकि नैया पार नहीं हो सकती तो वे समुद्र, तैराकी की ऊंची ऊंची बातें करने लगे। उन्हें पता है कि कांग्रेस दब जाती है नहीं तो भाजपा का रास्ता खुला ही है।उधर छत्तीसगढ़ में एक और क्षत्रप कांग्रेस की अच्छी भली चलती राज्य सरकार को हिलाने में लगे हैं लेकिन मुख्यमंत्री बघेल ने यूपी में कांग्रेस का इतना विस्तृत ढांचा खड़ा कर दिया है की प्रियंका और राहुल उन्हें डिस्टर्ब नहीं करेंगे।लेकिन हर हाल में सरकार को अस्थिर करने में लगे क्षत्रप के बारे में नई सूचना यह है कि उन्होंने किसी भी हद तक जाने की तैयारी कर ली है। बंगाल की किसी क्षेत्रीय पार्टी तक में जाने तक। क्षत्रपों में जब केंद्रीय सत्ता का भय खत्म हो जाता है तो इतिहास गवाह है कि ऐसे विद्रोह रोज होने लगते हैं। एक संभालो, जैसा राजस्थान में संभाला तो चार नई जगह शुरु हो जाता है। कड़ा मैसेज ही एकमात्र उपाय होता है। और राहुल अगर यह नहीं कर सके तो उनकी मुश्किलें बढ़ती जाएंगी।
शकील अख्तर ने कहा जो समझते हैं कि कांग्रेस वही चला रहे हैं। उनमें से एक अमरिंदर सिंह चले गए भाजपा को चलाने। अजय माकन ने बहुत धीरज, राजनीतिक कुशलता से राजस्थान में स्थिति संभाल ली। -
एजेंसीनई दिल्ली : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मोहन भागवत के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया है. मतलब उनका ट्विटर अकाउंट अब अनवेरिफाई है. संघ प्रमुख के साथ आरएसएस के कई अन्य नेताओं के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया गया है.
मालूम हो कि इससे पहले आज सुबह उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट को भी अनवेरिफाई कर दिया गया था. हालांकि दो घंटे बाद उनका अकाउंट दोबारा वेरिफाई कर दिया है. इसके पीछे ट्विटर ने तर्क दिया कि अकाउंट को लॉगइन हुए छह महीने से ज्यादा का समय बीत गया था, इस वजह से ब्लू टिक हटा लिया गया. ऐसे में मोहन भागवत और संघ के अन्य नेताओं के अकाउंट से ब्लू हटाने के पीछे यही वजह हो सकती है.
भागवत के ट्विटर हैंडल पर जाएं तो पता चलता है कि अकाउंट मई, 2019 में बनाया गया था. हालांकि उनके अकाउंट पर एक भी ट्वीट नहीं नजर आ रहा है. मालूम हो कि इससे पहले संघ के सुरेश सोनी, सुरेश जोशी और अरुण कुमार जैसे नेताओं का अकाउंट अनवेरिफाई कर दिया गया था.
क्या है ट्विटर के नियम-ट्विटर नियमों के मुताबिक किसी भी शख्स को छह माह के भीतर कम से कम एक बार अपना अकाउंट लॉगइन करना जरूरी होगा. अगर ऐसा नहीं होता है कि उसे एक्टिव अकाउंट नहीं माना जाएगा और उसपर एक्शन लिया जा सकता है. हालांकि किसी को भी लॉगइन के साथ ट्वीट, रिट्वीट, फॉलो और लाइक करने की शर्त नहीं है. -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा- IAS- श्री तारन प्रकाश सिन्हा जी के फेसबुक वॉल सेबाढ़ जैसे-जैसे उतरती है, तबाही का असली मंजर वैसे-वैसे प्रकट होने लगता है। कोरोना की नदी भी उतर रही है। चरम को छूकर संक्रमण दर लगातार कम हो रही है। छत्तीसगढ़ में यह 6 प्रतिशत से नीचे आ चुकी है। नये संक्रमितों का आंकड़ा भी 3 हजार प्रतिदिन के आस-पास आ चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। हम अपनी सामान्य दिनचर्या की ओर लौट आएंगे।...लेकिन तब क्या सचमुच सब कुछ सामान्य हो चुका होगा ?
बाढ़ के उतरने के बाद के बाद भी जो वृक्ष बचे रह जाते हैं, उनकी शाखाओं में बरबादी का कहानियां अटकी रह जाती हैं।
हम सबको अकल्पनीय पीड़ाएं देकर कोरोना लौट रहा है। संक्रमण में सिर से पांव तक डूबे रहने के बाद हमारे जीवन की शाखाएं फिर प्रकट होने लगी हैं। इन शाखाओं में उन जिंदगियों की निशानियां रह गई हैं, जो अब कभी प्रकट नहीं होंगी। छत्तीसगढ़ में ही कोरोना ने हम सबसे 12 हजार से ज्यादा लोगों को छीन लिया। ये हजारों लोग जिस दिन इस धरती पर आए रहे होंगे, धरती ने उनके आने की खुशियां मनाई होगी। इनकी विदाई में उसी धरती के आंसू कम पड़ गए।
एक जीवन का मिट जाना केवल एक व्यक्ति का चले जाना नहीं होता। यह एक दुनिया का तबाह हो जाना होता है। ऐसे ही हजारों-लाखों दुनियाओं से मिलकर एक पूरी-दुनिया बनती है।
जो लोग चले गए, वे अपने पीछे उजड़ी हुई दुनियाएं छोड़ गए हैं- बिलखती हुई माताएं, रोती हुई बहनें, अनाथ हो चुके बच्चे। इन छूटे हुए लोगों के सामने अब जीवन के नये सवाल उपस्थित हैं। घर का कमाने वाला चला गया, तो घर कैसे चलेगा। बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी। बेटियों और बहनों का ब्याह कैसे होगा। बुजुर्गों की देखभाल कैसे होगी....ये दुख अपनों को खो देने से कहीं ज्यादा बड़ा है।
कोरोना-संकट का हम सबने मिलकर सामना किया है। समाज ने सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस चुनौती का मुकाबला किया है। हम जीत रहे हैं, लेकिन इस जीत के बाद हमें जश्न मनाने की इजाजत यह समय नहीं देने वाला। तब हमारी लड़ाई दूसरे मोर्चे पर शुरु हो चुकी होगी, और जाहिर है कि हम इसके लिए तैयार भी हैं।
बचे हुए लोगों को बचाए रखना तभी संभव हो पाएगा, जब हम पुरानी गलतियों को न दोहराएं। कोरोना एप्रोप्रिएट बिहेवियर का ध्यान रखें, ताकि संक्रमण को दुबारा फैलने से रोका जा सके। टीकाकरण के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित करें, ताकि हम सबको एक मजबूत सुरक्षा कवच मिल सके। चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि इस वायरस की वापसी गांवों की गलियों और सड़कों से हो रही है, जहां अशिक्षा और अज्ञानता का अंधकार है। हमें वहां भी रौशनी करनी होगी। छत्तीसगढ़ में टीकाकरण अब काफी तेजी हो रहा है। शासन ने पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान करने के लिए सीजी-टीका पोर्टल भी तैयार किया है। ज्यादा से ज्यादा लोग टीकाकरण करवाएं, यह जिम्मेदारी हम सबको उठानी पड़ेगी, ताकि बचे हुओं को बचाया जा सके।
कोरोना-संकट ने हम सबको मानसिक रूप से भी चोट पहुंचाई है। समाज इस समय सामूहिक अवसाद का सामना कर रहा है। जो लोग कोरोना-मुक्त हो चुके हैं, उन्हें पोस्ट-कोविड इफेक्ट झेलना पड़ रहा है। कोरोना के समानांतर अब ब्लैक-फंगस के संक्रमण जैसी चुनौतियां भी उपस्थित हो रही हैं। लाकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होना ही था। हजारों लोगों का व्यवसाय चौपट हो चुका है। सैकड़ों लोग रोजगार गंवा चुके हैं। बच्चों से उनका बचपन ही छिन गया है। और भी बहुत कुछ....इसीलिए संक्रमण-दर में कमी की खबरें हमारे लिए केवल एक फौरी राहत हैं, असल चुनौतियों से उबरने के लिए हमें अभी बहुत कुछ करना होगा।
हमने अब तक जैसे एक-दूसरे का हाथ कसकर थाम रखा है, वैसे ही आगे भी कस कर थामे रखना होगा। अनाथ हो चुके बच्चों, उजड़ चुके परिवारों को संभालनें के लिए हमें मिलजुलकर कुछ करना होगा। छत्तीसगढ़ शासन ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। कोरोना की वजह से जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है, छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी पढ़ाई का खर्च उठाने का निर्णय लिया है, साथ ही इन बच्चों को छात्रवृत्ति भी देने की घोषणा की है, चाहे ये बच्चे किसी भी स्कूल में पढ़ते हों। उन बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा भी सरकार लेगी जिनके परिवार के कमाने वाले सदस्य को कोरोना ने छीन लिया है। यदि ऐसे बच्चे स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, उनसे कोई फीस नहीं ली जाएगी। छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूलों ने भी एक संवेदनशील पहल करते हुए उन बच्चों की फीस माफ करने का निर्णय लिया है, जिनसे कोरोना ने उनके माता-पिता को छीन लिया है।
ये बच्चे हमारे भविष्य की धरोहर हैं, इन्हें सहेजना-संवारना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसी तरह की दृष्टि और संवेदना की जरूरत प्रत्येक क्षेत्र में है। न केवल बच्चों के लिए, बल्कि कोरोना से बरबाद हो चुकी हरेक जिंदगी के लिए भी।
-तारन प्रकाश सिन्हा -
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इससे अब सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और अश्लील सामग्री निरंकुश नहीं रह जाएगी। भारत सरकार ने अभद्र कंटेंट पर अंकुश लगाने के लिए देश में कार्यरत सोशल मीडिया तथा ओटीटी कंपनियों के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
यह सभी नियम आगामी तीन महीने में लागू हो जाएंगे। सोशल मीडिया और ओटीटी के लिए बनाए गए इस दिशा निर्देश के मुताबिक हर कंपनी को एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जो 24 घंटे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के निर्देशों पर जवाब देगा और अनुपालन के लिए नियमित रिपोर्ट देंगे।
नए दिशा निर्देशों के जरिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और समाचार से जुड़े वेबसाइटों को नियमित किया जाएगा। सरकार का कहना है कि नए नियमों के तहत एक शिकायत निवारण तंत्र पोर्टल बनाना होगा। नए नियम से फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए मांगे जाने पर कंटेंट की जानकारी देना आवश्यक हो गया है।
यहां पढ़ें प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें:
सभी को शिकायत निवारण की व्यवस्था करनी होगी और इसके लिए एक अधिकारी रखना होगा।
अश्लील सामग्री मिलने पर 24 घंटे में हटाना होगा।
दो तरह के सोशल मीडिया होंगे- प्रमुख और द्वितीय।
मुख्य अनुपालन अधिकारी (Chief Compliance Officer), नोडल संपर्क अधिकारी (Nodal Contact Person) और स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी (Resident Grievance Officer) की नियुक्ति करनी होगी।
मासिक अनुपालन रिपोर्ट (monthly compliance report) प्रकाशित करनी होगी जिसमें बताना होगा कि कितनी शिकायतें आईं और कितनों पर काम हुआ
सूचना का पहला स्रोत बताना ही होगा- जब खुराफात होती है तो ये बताना ही होगा कि सबसे पहले इसने किसे शुरु किया। अगर ये भारत के बाहर से हुआ है तो ये बताना होगा कि भारत में इसे सबसे पहले इसे किसने आगे बढ़ाया।
महिलाओं से संबंधी अश्लील सामग्री दिखाने या प्रकाशित करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
अगर आप प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं तो आपको किसी भी सामग्री को हटाने से पहले आपको यूजर को बताना पड़ेगा।ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स को भी नियमों और दायरे में ही काम करना होगा।
इस बार संसद के सत्र में दोनों सदनों में मिला कर 50 से ज्यादा प्रश्न पूछे गए।
बार-बार कहने के बाद भी ओटीटी वालों ने अपने लिए कोई नियमावली नहीं बनाई।
स्व-नियमन के लिए एक संस्था बनानी होगी जिसमें कोई सेवानिवृत्त जज या इस स्तर का व्यक्ति प्रमुख हो।
ओटीटी के लिए कोई सेंसर बोर्ड नहीं है पर उन्हें अपनी सामाग्री को आयु वर्ग के अनुसार विभाजित करना होगा।
डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती हेड करेगी।
सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा। -
श्री अशोक साहू के फेसबुक वाल सेगांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा के निधन से अमेठी, सुलतानपुर एवं रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं, समर्थकों का जहां एक सच्चा हितैषी उनसे बिछुड़ गया, वहीं एक युग का भी अन्त हो गया।उनके निधन से कांग्रेस कार्यकर्ताओं, समर्थकों ने एक ऐसे उदार एवं मददगार नेता को खो दिया जिसने सत्ता में शिखर पर रहते हुए उनकी मदद की,उनके सुख दुख का ख्याल किया। सत्ता के शिखर पर पहुंचकर आज के दौर में नेताओं का बड़ा वर्ग कार्यकर्ताओं,समर्थकों से दूरी बनाने की कोशिश करता हैं,इसके इतर कैप्टन शर्मा ने उनकी खूब मदद की,और बदले में कोर्ट कचेहरी के भी चक्कर लगाए।वह ऐसे नेता थे जिन्होने लोगो को दिय़ा खूब और बदले में नही लिया कुछ।
इन्दिरा जी की हत्या के बाद अमेठी से सांसद श्री राजीव गांधी ने जब प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभाली तो उन्होने अमेठी के विकास एवं कार्यकर्ताओं से जीवंत सम्पर्क का दायित्व कैप्टन शर्मा को सौंपा।कैप्टन शर्मा और राजीव जी में बहुत करीबी दोस्ती थी और दोनो इन्डियन एयरलाइन्स में पायलट थे।कैप्टन शर्मा नौकरी में राजीव जी से वरिष्ठ थे पर दोनो में अभिन्न मित्रता थी।
अमेठी में तो कांग्रेसजनों और आमलोगो में उनका नामकरण राम(राजीव जी) के हनुमान के रूप में था।कैप्टन की टीम में नेहरू युवा केन्द्र के महानिदेशक पद से इस्तीफा देकर जुड़े श्री अखिल बख्शी थे तो पांचों विधानसभा क्षेत्रों में पांच समन्वयक श्री किशोरीलाल शर्मा(जगदीशपुर)श्री जी.ए.मीर(तिलोई)श्री प्रकाश अग्रवाल (अमेठी) (स्वं चन्द्रशेखर यादव(गौरीगंज) एवं श्री विनोद शुक्ला(सलोन) थे।
यह सभी राजीव जी की आंख नाक कान थे।राजीव जी के प्रधानमंत्री रहते अमेठी में विकास के जो भी बड़े छोटे काम हुए इसके सूत्रधार कैप्टन शर्मा एवं उनकी टीम ही थी।कैप्टन के मंत्री बनने पर बाद में यह टीम फिर उनके मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में मददगार बनी।
अमेठी में कांग्रेस की राजनीति में अग्रणी शुक्ला परिवार(शिवमूर्ति जी-राममूर्ति जी)का पारिवारिक स्नेह प्राप्त होने के कारण मेरा कैप्टन की टीम से जल्द ही जुड़ाव बन गया।पहले नवभारत टाइम्स(लखनऊ) एवं अमृतप्रभात इलाहाबाद/लखनऊ फिर संवाद समिति यूएनआई/यूनीवार्ता के संवाददाता के रूप में सांसद फिर प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी का बाद में कैप्टन साहब एवं सोनिया जी का खूब कवरेज करने का मौका मिला।
कैप्टन ने बहुत स्नेह दिया।पेट्रोलियम मंत्री रहते उन्होने अपने हर दौरे पर अपने मंत्रालय की बहुत सारी अहम खबरें दी।उनकी खबरों का देशव्यापी इम्पेक्ट भी मिला।कैप्टन साहब को अपने प्रचार में जरा भी रूचि नही थी लेकिन पत्रकारों से वह पूरी गर्मजोशी से बात करते थे।खासकर अमेठी के पत्रकारों को बहुत तरजीह देते थे।वह आत्मीयता से बगैर किसी लाग-लपेट के बाते करते थे।
कैप्टन शर्मा में 1996 में अमेठी से दूसरा चुनाव जीतने के बाद पहली बार जब दौरे पर आए तो मीर साहब उनकी जिप्सी चला रहे है और मैं भी उनके साथ था,वह बहुत अधिक अन्तर से चुनाव नही जीतने से दुखी थे।उन्होने पूछा साहू मैंने इतना किया इसके बाद भी जीत का अन्तर कम रहा,क्या कारण रहा..मैने उनसे कहा कि चर्चा हैं कि बहुत उन लोगो ने पूरी ताकत से काम नही किया जिन्हे आपने बढ़ाया,इसमें पम्प एवं गैस एजेन्सी भी पाने वाले लोग शामिल है..।
कैप्टन शर्मा का इस पर दिया जबाव ढ़ाई दशक बाद भी मुझे याद हैं..उन्होने कहा कि मैंने क्या गलत किया,मेरी सोच थी कि हर ब्लाक में दो तीन कार्यकर्ता ज्यादा मजबूत होने चाहिए जोकि अपने आसपास के कार्यकर्ताओं के पहुंचने पर उनको नाश्ता चाय पिलाने की स्थिति में हो,उन्हे अपने वाहनों से पार्टी के कार्यक्रमों में मुंशीगंज,गौरीगंज और अन्य स्थानों पर बैठाकर ले आए।कार्यकर्ता पार्टी के लिए बूथ तक लड़ते है,उन्हे क्या मिलता है।
उन्होने कहा कि मुझे उनसे गिला नही है बल्कि बहुत समर्पित लोगो की मदद नही करने का दुख है।मौका मिला तो इस अधूरे काम को पूरा करूंगा।कैप्टन शर्मा की मदद से अमेठी के बहुत बच्चों का मेडिकल,इंजीनियरिंग और अन्य व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला हुआ,इनमें से तमाम के लिए यह एक सपने के समान था।
कैप्टन शर्मा की कृपा से हमारे क्षेत्र में इन्डेन का गैस बाटलिंग प्लांट की स्थापना हुई,इसे मैं कैसे भूल सकता हूं।कैप्टन शर्मा पेट्रोलियम मंत्री रहते दौरे पर अमेठी पहुंचे और मैं उनके वाहन पर जायस के आगे सवार हो गया।बातचीत में उन्होने बताया कि इस बार अमेठी को दो बाटलिंग प्लांट की सौगात दूंगा।एक टिकरिया में लगेगा जबकि दूसरे का स्थान तय नही है।
मैं एचएएल के पास उनके वाहन से उतर गया और अपने क्षेत्र के मवइया में आयोजित कार्यक्रम में एक मित्र की मदद से पहुंच गया।वहां मैंने सभी कांग्रेसजनों को बताया कि कैप्टन साहब से इस बार कोई छोटी मांग नही करना है,उनसे त्रिसुन्ड़ी में राजीव जी के समय अधिगृहित भूमि में बाटलिंग प्लांट की मांग करना है।
सभी सहमत हो गए।कैप्टन साहब के काफिले में उस समय ढाई तीन सौ गाडियां रहती थी और उनका कार्यक्रम चार चार घँटे बिलम्ब से चलता था।मवइया में आखिरी कार्यक्रम में कई घंटे बिलम्ब से वह पहुंचे और मंच से इसके लिए जैसे खेद व्यक्त किया,अग्रेसर के जुझारू नेता दिवंगत उग्रसेन सिंह ने जोरदार ढ़ग से बाटलिंग प्लांट की मांग कर दी।इसका सभी ने जोरदार समर्थन किया और लोग अड़ गए कि इसकी घोषणा अभी करिए।
उन्होने मुस्कराते हुए घोषणा की।अब इस संयंत्र काफी विस्तार हो चुका है।शेष पड़ी अधिगृहित भूमि के बड़े हिस्से पर राहुल जी के सांसद रहते और यूपीए सरकार में सीआरपीएफ का बड़ा ग्रुप सेन्टर एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित हो चुका है।जिससे हमारे इलाके की तस्वीर बदल रही है।
कैप्टन का स्नेह ही था कि अमेठी,रायबरेली की बहुत सारी अहम राजनीतिक खबरें मुझे पहले मिल जाती थी।कैप्टन ने ही मुझे अमेठी से सोनिया जी के चुनाव लड़ने एवं उनके प्रचार में प्रियंका जी के उतरने की जानकारी सबसे पहले दी।
उनके कहने पर ही अमेठी में प्रियंका जी का सबसे पहले मुझे साक्षात्कार करने का मौका मिला।लखनऊ और बाद में रायपुर तैनाती होने के बाद भी उनसे आत्मीय स्नेह मिलता रहा।वह एक अभिभावक के समान थे और बड़ा आत्मविश्वास रहता था कि कैप्टन से बात कर लेंगे। रायपुर में तैनाती होने पर स्वं चन्द्रशेखर यादव के साथ साल में एक दो बार बैठकर कैप्टन की दरियादिली के बारे में बाते करते थे।कैप्टन से आखिरी मुलाकात अमेठी मे पिछले लोकसभा चुनाव में हुई थी।पहले राममूर्ति जी ने सूचित किया था कि वह हमारे घर पहुंचेंगे,बाद में मुझे मुंशीगंज ही बुलवाया।कैप्टन से जुड़ी बहुत ही यादें जेहन में है,लेकिन सभी की चर्चा संभव नही है।
कैप्टन की पुरानी टीम के एक मात्र सदस्य आदरणीय सोनिया गांधी जी के प्रतिनिधि श्री के.एल.शर्मा जी हैं जोकि उस दौर के सक्रिय अधिकांश लोगो को आज भी तरजीह देते है,उनके दुख सुख को सुनकर उनकी यथासंभव मदद करने का पूरा प्रयास करते है।पुरानी एवं नई टीम के बीच वह सेतु का भी काम करते है।मीर भाई साहब जम्मू कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष होने एवं वहां की परिस्थितियों के कारण के नाते जहां ज्यादा व्यस्त रहते हैं वहीं श्री प्रकाश अग्रवाल जी का पुराने लोगो से अभी भी जीवंत सम्पर्क बना रहता है।
फिलहाल कैप्टन साहब अब इस दुनिया में नही है,लेकिन उन्हे अमेठी के विकास के सूत्रधार ,कार्यकर्ताओं के मददगार और एक सच्चे एवं अच्छे राजनेता के रूप में हमेशा याद किया जायेंगा।जीवंतपर्यन्त उन्हे गांधी परिवार के हितैषी एवं नजदीकी होने के लिए भी याद किया जायेंगा।अलविदा कैप्टन साहब,आपको भूल पाना संभव नही हैं।
अशोक साहू यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया -
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि लोगों को गंभीर आशंका है कि वे अपनी निजता खो देंगे और उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. न्यायालय ने व्हाट्सऐप से कहा कि लोग कंपनी से ज्यादा अपनी निजता को अहमियत देते हैं.
नई दिल्ली : व्हाट्सएप की नई नीति (WhatsApp New Policy) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और व्हाट्सएप से कहा कि मैसेजिंग एप की नई नीति के मद्देनजर लोगों की गोपनीयता की रक्षा करने के लिए उसे हस्तक्षेप करना होगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि लोगों को गंभीर आशंका है कि वे अपनी निजता खो देंगे और उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. न्यायालय ने व्हाट्सऐप से कहा कि लोग कंपनी से ज्यादा अपनी निजता को अहमियत देते हैं.
समाचार एजेंसी के भाषा के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय ने व्हाट्सऐप पर यूरोपीय उपयोगकर्ताओं की तुलना में भारतीयों के लिए निजता के कम मानकों का आरोप लगाने वाली एक नई याचिका पर सोमवार को केंद्र और संदेश भेजने वाले ऐप को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में उनसे जवाब मांगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को गंभीर आशंका है कि वे अपनी निजता खो देंगे और उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है.प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने करमान्या सिंह सरीन के अंतरिम आवेदन पर सरकार और फेसबुक की मिल्कियत वाले व्हाट्सऐप को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस 2017 की लंबित एक याचिका में दायर अंतरिम आवेदन पर जारी किया गया है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग कंपनी से ज्यादा अपनी निजता को अहमियत देते हैं, भले ही कंपनी का मूल्य अरबों रुपये का हो. व्हाट्सऐप ने शीर्ष अदालत से कहा कि यूरोप में निजता को लेकर विशेष कानून है, अगर भारत में भी ऐसा ही कानून होगा, तो उसका पालन करेंगे. -
IAS- तारण सिन्हा के फेसबुक वाल सेरायपुर : बेल्जियम, इटली, फ्रांस, चेक गणराज्य, आयरलैंड, पोलैंड, जर्मनी समेत तमाम यूरोपीय देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में हैं। कोरोना की पहली लहर के बाद इनमें से ज्यादातर देशों ने उस पर प्रभावी नियंत्रण पा लेने का दावा किया था, बहुत से प्रतिबंध ढीले कर दिए गए थे, ऐसा लग रहा था कि जल्द ही जनजीवन सामान्य हो जाएगा। लेकिन यह एक भ्रम साबित हुआ। हालात एक बार फिर चिंताजनक हैं, और नये सिरे से प्रतिबंधों की घोषणाएं की जा रही हैं। कहीं फिर कर्फ्यू लगाना पड़ रहा है, तो कहीं लाकडाउन की नौबत है। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि संक्रमण-दर में लगातार गिरावट देखकर लोगों ने मान लिया कि वायरस कमजोर हो गया है, और महामारी समाप्ति की ओर है। उन्होंने इस तथ्य को भी नजरअंदाज करना शुरु कर दिया कि उनके अनुशासन के कारण ही कोरोना के प्रकोप को कुछ कम किया जा सका था। लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता को भी भूल गए।
यूरोप में जो कुछ हो रहा है, उसे हमें एक सबक की तरह देखना चाहिए। भारत में इस समय हालात पहले से बेहतर हैं, लेकिन यदि हमने सावधानी नहीं बरती तो यह पहले से बदतर भी हो सकते हैं। संक्रमण-दर पर नियंत्रण का अर्थ यह नहीं होता कि हमने वायरस पर विजय पा लिया। जब तक इसका प्रभावी टीका नहीं आ जाता, तब तक हमें इसके खिलाफ युद्धरत रहना ही होगा। यह महामारी कितनी बुरी है, किस कदर नुकसान पहुंचाती है, किस-किस स्तर पर नुकसान पहुंचाती है, यह हम सबने देखा है। जिन लोगों ने कोरोना से अपने करीबियों को खोया है, अथवा स्वयं संक्रमित हो चुके हैं, उनका अहसास और भी घना है। जो लोग संक्रमण से उबर चुके हैं, वे इसके तरह-तरह के दुष्परिणामों को तब भी झेल रहे हैं।
इस समय त्योहारी-मौसम है। दो दिनों बाद दीपावली है। तीज-त्योहार हमें हमारे दुखों को कम करने में मदद करते हैं, नयी आशाओं और उत्साह से भर देते हैं, इस बार भी हम सब दीपावली जरूर मनाएंगे, लेकिन हमें इस बात का भी खयाल रखना होगा कि ऐसा हम स्वयं को नयी ऊर्जा से भरने के लिए करेंगे, नयी मुसीबतों को न्योता देने के लिए नहीं। बाजार सज चुके हैं, रौनक भी है, खरीदारी भी जमकर की जा रही है, दुकानदारों और ग्राहकों दोनों की ही जिम्मेदारी है कि वे कोरोना के संक्रमण से खुद बचें और दूसरों को भी बचाएं। दीपावली पर शुभकामनाएं और आशीर्वाद खूब बांटे-बटोरें, लेकिन इस बात पर भरोसा करते हुए कि गले मिलकर और हाथ-मिलाकर दी गई शुभकामनाओं जितना ही असर, हाथ जोड़कर दी-ली गई शुभकामनाओं में भी होता है। जिनके बारे में आप दिल से चाहते हैं कि वे हैप्पी-लाइफ गुजारें, उन्हें हैप्पी-दीवाली कहने उनके घर न ही जाएं तो बेहतर। जिंदगी की रौशनी से बढ़कर और कोई रौशनी नहीं होती। -
नई दिल्ली : व्हॉट्सएप पर निजता का मामला बीते कुछ दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है। एनसीबी ने बॉलीवुड के कई कलाकारों को उनके व्हॉट्सएप चैट्स के आधार पर समन भेजा है। जिसके बाद से लोगों के मन में व्हॉट्सएप चैट्स की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे पुराने संदेशों को एक्सेस करना बेशक आसान लगता है लेकिन इसका तब तक कोई फायदा नहीं जब तक आप पूरी बात गहराई से ना समझ लें। अगर आपके फोन में पुराने या फिर अप्रासंगिक निजी चैट्स हैं, तो उन्हें व्हॉट्सएप के डाटाबेस से डिलीट कर देना बेहतर है। आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जो आपके व्हॉट्सएप चैट्स को सुरक्षित रखेंगे।
गूगल ड्राइव या एपल iCloud पर बैकअप वाले व्हाट्सएप चैट असुरक्षित व्हॉट्सएप केवल अपने प्लैटफॉर्म पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) उपलब्ध कराता है। अगर आप चैट्स हटाते हैं, तो एन्क्रिप्शन चला जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि चैट्स गूगल ड्राइव या एपल iCloud में सेव हो जाती हैं तो वो अनएन्क्रिप्टेड होती हैं। ऐसे में अगर कोई इन चैट्स का बैकअप करने में सफल होता है, तो इन्हें आसानी से पढ़ सकता है।
अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए व्हॉट्सएप का मजबूत पिन जरूरी व्हाट्सएप टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन प्रदान करता है। जो कि 6 डिजिट का एक कोड होता है। इससे आप किसी तीसरी पार्टी से अपने अकाउंट को सुरक्षित रख सकते हैं। ऐसे में अगर कोई हैकर या फिर कोई एजेंसी आपके मोबाइल फोन या सिमकार्ड को क्लोन करती हैं, तो भी उन्हें आपके व्हाट्सएप अकाउंट तक पहुंचने के लिए इस 2FA कोड की जरूरत पड़ेगी। आपको बता दें क्लोन एक ऐसी तकनीक है, जिससे किसी फोन के डाटा को एक नए फोन में कॉपी किया जाता है।
व्हाट्सएप पिन के साथ गलत ई-मेल आईडी का इस्तेमाल करते हैं तो अकाउंट लॉक हो सकता है अगर कोई यूजर अपना 2FA कोड भूल जाता है, तो व्हाट्सएप उसका (कोड) पता लगाने या पिन बदलने के लिए ई-मेल आईडी के इस्तेमाल की मंजूरी देता है। हालांकि यूजर्स के पास अपना ई-मेल आईडी ना देने का विकल्प भी होता है। इसके साथ ही अगर आप गलत ई-मेल टाइप करते हैं, तो व्हाट्सएप उसे वेरिफाई नहीं करता। लेकिन अगर आप व्हाट्सएप पिन भूल जाते हैं तो ऐसा हो सकता है कि आपका व्हाट्सएप अकाउंट रीस्टोर (बहाल) ना हो।
अगर आप व्हाट्सएप चैट एक्सपोर्ट करते हैं तो E2E एन्क्रिप्शन खो देते हैं अगर आप अपने व्हाट्सएप चैट्स को अपनी ई-मेल आईडी में सेव करना चाहते हैं, तो ये बात ध्यान रखें कि ये चैट्स अनएन्क्रिप्टेड हो जाएंगी। जिसका सीधा मतलब ये है कि कोई भी इन्हें आसानी से पढ़ सकता है।
आप व्हाट्सएप चैट को माइक्रोएसडी कार्ड या पेन ड्राइव में ट्रांसफर कर सकते हैं व्हाट्सएप चैट्स को माइक्रोएसडी कार्ड या पेन ड्राइव में ट्रांसफर करने की सुविधा देता है। आप अपने फोन से व्हाट्सएप फोल्डर को कॉपी पेस्ट करके भी ट्रांसफर कर सकते हैं।
अपने फोन या गूगल ड्राइव से सभी व्हाट्सएप चैट बैकअप को हटा सकते हैं अगर आप सभी व्हाट्सएप चैट बैकअप्स को डिलीट करना चाहते हैं, तो अपने फोन के व्हॉट्सएप फोल्डर की डाटाबेस फाइल्स को डिलीट कर सकते हैं। ये बैकअप फाइल आपको फाइल मैनेजर में आसानी से मिल जाएंगी। इसके साथ ही आप डेस्कटॉप पर गूगल ड्राइव से सभी व्हाट्सएप बैकअप फाइल ढूंढकर हमेशा के लिए डिलीट कर सकते हैं।
व्हाट्सएप आधिकारिक तौर पर एंड्रॉइड स्मार्टफोन और आईफोन के बीच चैट ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं देता अगर आप आईफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और आगे एंड्रॉइड फोन का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं, तो आप चैट्स को बैकअप नहीं कर पाएंगे। क्योंकि व्हाट्सएप एंड्रॉइड स्मार्टफोन और आईफोन के बीच चैट ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं देता है। हालांकि ऐसे कई टूल हैं, जो इस काम को करने का दावा करते हैं लेकिन यह हमेशा काम नहीं करते हैं। -
नई दिल्ली: भारत में टिकटॉक के लाखों दिवानें थे, लेकिन केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस देश में इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी. वहीं अब फेसबुक टिकटॉक की तर्ज पर अपने ऐप में शॉर्ट वीडियो फीचर लेकर आने वाली है. फिलहाल इसकी टेस्टिंग चल रही है. ऐप में इस फीचर के लिए अलग से सेक्शन दिया जाएगा. जिसमें एक क्रिएट बटन मौजूद होगा.
ऐसे कर सकेंगे यूजफेसबुक ऐप में यूजर्स जैसे ही क्रिएट बटन पर क्लिक करेंगे तो फेसबुक ऐप में कैमरा ऑन हो जाएगा, जिससे वीडियो शूट की जा सकेंगी. वीडियो क्रिएट करने के अलावा आप दूसरे यूजर्स के वीडियो भी देखे सकेंगे. फेसबुक की तरफ से एक बयान में कहा गया कि आजकल शॉर्ट वीडियो काफी पॉपुलर हैं. इसी को देखते हुए हमनें ये फीचर लाने का निर्णय लिया है.
फेसबुक पहले भी लेकर आया था ऐसा ऐपबता दें कि चीन से सीमा विवाद के बाद सरकार ने टिकटॉक को भारत में बैन कर दिया था. टिकटॉक भारत में काफी पॉपुलर था और फेसबुक के भी भारत में लाखों यूजर्स हैं, इसलिए कंपनी ये फीचर लेकर आ रही है. इससे पहले भी फेसबुक ने शॉर्ट वीडियो ऐप लासो (Lasso) लॉन्च किया था. हालांकि यह ज्यादा पॉपुलर नहीं हो पाया और बाद में इसे बंद करना पड़ा. -
न्यू दिल्ली : भारत के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी TikTok में निवेश करने के लिए विचार कर रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है. रिपोर्ट की मानें, तो यह बातचीत फिलहाल शुरुआती दौर में है और रिलायंस समूह अभी इस शॉर्ट वीडियो आधारित ऐप में निवेश की संभावनाएं टटोल रहा है.
बता दें कि भारत ने जून में 59 चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था, जिसमें शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक (Tiktok) भी था. उसके बाद जुलाई के अंत में भी 15 अन्य चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगा. भारत में प्रतिबंध के बाद Tiktok को अमेरिका में भी बैन करने की मांग उठी. अमेरिका ने टिकटॉक के सामने चीन से नाता तोड़ने की शर्त रखी है. इसी बीच खबर है कि टिकटॉक के भारतीय कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज खरीद सकता है.मालूम हो कि भारत में पाबंदी के बाद ByteDance की स्वामित्व वाली कंपनी TikTok को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालांकि अभी निवेश को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज और ByteDance की तरफ से कोई भी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आयी है.गौरतलब है कि पिछले दिनों गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद भारत में 59 चीनी ऐप्लीकेशन को बैन कर दिया गया था. भारत ने अपने फैसले के पीछे संप्रभुता, सुरक्षा और निजता का हवाला देते हुए बैन की बात कही थी. बता दें कि TikTok पर चीन की सरकार के साथ यूजर के डेटा शेयर करने का आरोप कई देश लगाते रहे हैं.
टिकटॉक के अलावा यूसी ब्राउजर, कैम स्कैनर, शेयर इट, हैलो, लाइक सहित कई ऐप्स को भी बैन कर दिया गया है. बायडू मैप, केवाई, डीयू बैटरी स्कैनर भी बैन हो गया है. बता दें कि सरकार ने इन चीनी एप्स पर आईटी एक्ट 2000 के तहत बैन लगाया है.
भारत में टिकटॉक बैन होने के बाद इसे अमेरिका ने भी अपने यहां बैन कर दिया है. इस बीच पिछले दिनों खबर आयी कि अमेरिका में ट्विटर और चीनी वीडियो शेयरिंग ऐप टिक-टॉक का विलय हो सकता है. डो-जोंस की एक रिपोर्ट में कहा गया है आपसी विलय के लिए दोनों में बातचीत चल रही है और संभव है यह सौदा हो जाए.
डो-जोंस ने कहा है कि सौदे पर बातचीत हो रही है लेकिन यह पूरी हुई या नहीं इसका पता नहीं चल पाया है. ट्विटर का कहना है कि चूंकि यह छोटी कंपनी है इसलिए इसे माइक्रोसॉफ्ट या दूसरे संभावित खरीदारों की तरह एंटी ट्रस्ट जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा.
माइक्रोसॉफ्ट पिछले कई सप्ताह से टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस को खरीदने के लिए सौदेबाजी कर रही है. कहा जा रहा है कि बाइट डांस को खरीदने की होड़ में वह सबसे आगे चल रही है. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति से एक सप्ताह पहले बातचीत की थी. इधर, टिकटॉक का अमेरिकी कारोबार खरीदने की दौड़ में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के भी शामिल होने की खबर है.
बहरहाल, माना जा रहा है कि टिकटॉक के भारतीय बाजार को रिलायंस के हाथों बेचने में बाइटडांस को सफलता मिल सकती है. रिलायंस के लिए भी यह फायदे का सौदा हो सकता है. इसकी वजह यह है कि भारत में टिकटॉक ऐप काफी पॉपुलर था. इस पर बैन लग जाने से भारतीय यूजर को इसका कोई दूसरा बढ़िया विकल्प नहीं मिल सका है. इसलिए अगर टिकटॉक फिर से शुरू होता है, तो उसे बढ़िया रिस्पॉन्स मिलेगा. -
एजेंसीनई दिल्ली : WhatsApp पर फेक वायरल मैसज से निजात दिलाने के लिए कंपनी एक नया फीचर ले कर आ रही है. दरअसल अब यूजर्स को रिवर्स सर्च का फीचर दिया जाएगा. जिससे ये पता लगाया जा सकेगा कि वायरल मैसेज में कितनी सच्चाई है.
वॉट्सऐप पर फ़ॉरवर्ड किए गए मैसेज में कितनी सच्चाई है ये चेक वॉट्सऐप में ही दिए गए इस फ़ीचर के जान सकेंगे. WhatsApp ने एक इस फीचर को लेकर एक स्टेटमेंट भी जारी किया है. कंपनी ने इसे सर्च द वेब (Search the web) फीचर का नाम दिया है.
WhatsApp ने अपने ऑफिशियल ब्लॉग में कहा है, ‘वॉट्सऐप मैसेज में दिए गए मैग्निफाइंग ग्लास को टैप करके डबल चेक के फीचर का पायलट आज से शुरू किया जा रहा है.’
WhatsApp ने कहा है कि जो मैसेज लोगों द्वारा कई बार फ़ॉरवर्ड किए गए हैं उसे आसान तरीके से ये चेक किया जा सकता है कि उस मैसेज में दी गई जानकारी या खबर का सोर्स किया है. ऐसा करके वायरल मैसेज की सच्चाई पता लगाई जा सकती है.
दरअसल ये फ़ीचर को यूज करने के लिए सिर्फ़ वॉट्सऐप से काम नहीं होगा. कंपनी ने कहा है कि ये फीचर आपको एक ऑप्शन देता है जिसके ज़रिए मैसेज को ब्राउज़र के ज़रिए अपलोड करना होगा और इसके बाद इंटरनेट पर उस मैसेज को क्रॉस चेक कर सकते हैं.
वॉट्सऐप के मुताबिक़ ये नया फ़ीचर आज से ब्राज़ील, इटली, आयरलैंड, मैक्सिको, स्पेन, यूके और यूएस में शुरू किया जा रहा है. ये फ़ीचर वॉट्सऐप के एंड्रॉयड, आईओएस और वॉट्सऐप वेब में काम करेगा.
वॉट्सऐप के मुताबिक़ ये नया फ़ीचर आज से ब्राज़ील, इटली, आयरलैंड, मैक्सिको, स्पेन, यूके और यूएस में शुरू किया जा रहा है. ये फ़ीचर वॉट्सऐप के एंड्रॉयड, आईओएस और वॉट्सऐप वेब में काम करेगा. -
यह निर्विवाद ऐतिहासिक तथ्य है कि, छत्तीसगढ़ ही प्राचीन दक्षिण कोसल है। यह भी सत्य है कि वर्तमान बस्तर ही प्राचीन दण्डकारण्य है। यही दो प्राचीन नाम रामकथा के दो ऐसे बिंदु है, जिसमें से एक से उसका उद्गम होता है और दूसरे से वह अपने चरम की ओर अग्रसर होती है।
पौराणिक उल्लेखों के अनुसार राजा दशरथ के समय में दो कोसल थे। एक कोसल था, जो विंध्य पर्वत के उत्तर में था, जिसके राजा दशरथ ही थे। दूसरा कोसल विंध्य के दक्षिण में था, जिसके राजा भानुमंत थे, दशरथ ने इन्हीं भानुमंत की पुत्री से विवाह किया था जो कौशल्या कहलाई। भानुमंत का कोई पुत्र नहीं था, इसलिए उनका राज्य भी दशरथ ने ही प्राप्त किया। इस तरह दोनों कोसल संयुक्त हो गए। राम का जन्म कौशल्या की कोख से उसी संयुक्त कोसल में हुआ, कालांतर में उन्होंने इसी संयुक्त कोसल के राजा हुए।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जब कहते है कि यहां के कण-कण में राम बसे हुए हैं, तब उनका यह कथन दार्शनिक और आध्यात्मिक तथ्यों से कहीं ज्यादा ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक तत्वों की ओर ईशारा कर रहा होता है।छत्तीसगढ़ न केवल राम-जन्म की पृष्ठ-भूमि है, बल्कि उनके जीवन-संघर्षो की साक्षी भी है। उन्होंने अपने 14 वर्षो के वनवास में से ज्यादातर समय यहीं पर बिताए। वे वर्तमान छत्तीसगढ़ की उत्तरी-सीमा, सरगुजा से प्रविष्ट होकर दक्षिण में स्थित बस्तर अर्थात् प्राचीन दण्डकारण्य तक पहुंचे थे। राम ने जिस मार्ग से यह यात्रा की, उन्होंने जहां प्रवास किया, पुराणों में उल्लेखित उनके भौगोलिक साक्ष्य आज भी विद्यमान है।करीब डेढ़ साल पहले छत्तीसगढ़ की नयी सरकार ने अपनी जिन प्राथमिकताओं की घोषणा की थी, उनमें प्रदेश का सांस्कृतिक पुर्नउत्थान शीर्ष पर था। सरकार की यह सोच रही है कि मूल्य-विहीन विकास न तो मनुष्यों के लिए कल्याणकारी हो सकता है और न ही प्रकृति के लिए। इसलिए छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं में शामिल मूल्यों को सहेजने उन्हें पुर्नस्थापित करने का काम शुरू किया गया। पूरी दुनिया जिस राम कथा को मानवीय मूल्यों के सबसे बड़े स्त्रोत के रूप में जानती-मानती आयी है। छत्तीसगढ़ का यह सौभाग्य है कि यहीं पर उसका उद्गम है और यहीं पर वह प्रवाहित होती है।सरगुजा से लेकर बस्तर तक राम गमन मार्ग में बिखरे पड़े साक्ष्यों को सहेजना छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक मूल्यों को ही सहेजना है। इसलिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस पूरे मार्ग को नए पर्यटन-सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना तैयार करवायी है। 137.45 करोड़ रूपए की लागत वाली उनकी इस महत्वाकांक्षी परियोजना में कोरिया जिले का सीतामढ़ी-हरचैका, सरगुजा का रामगढ़, जांजगीर का शिवरीनारायण, बलौदाबाजार का तुरतुरिया, रायपुर का चंदखुरी, गरियाबंद का राजिम, धमतरी का सिहावा, बस्तर का जगदलपुर और सुकमा का रामाराम शामिल है।नए पर्यटन-सर्किट का कार्य रायपुर जिले के चंदखुरी से शुरू हो चुका है। यहीं वह स्थान है जहां भगवान राम की माता कौशिल्या का जन्म हुआ था, जहां भानुमंत का शासन था। चंदखुरी में स्थित प्राचीन कौशिल्या माता मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए, पूरे परिसर के सौदर्यीकरण और विकास के लिए लगभग 16 करोड़ रूपए की योजना के लिए दिसम्बर माह में भूमि पूजन हो चुका है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बीते जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में सपरिवार चंदखुरी जाकर मंदिर के दर्शन किए और इस स्थल को उसके महत्व और गरिमा के अनुरूप विकसित करने के निर्देश दिए है। -
नई दिल्ली : शॉर्ट विडियो मेकिंग प्लेटफॉर्म TikTok को भारत में बैन कर दिया गया है और ऐसा यूजर्स के डेटा की सेफ्टी और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किया गया. एक बार फिर इस चाइनीज प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्यवाही की गई है और साउथ कोरिया में ऐप पर बड़ा जुर्माना लगा है. आरोप है कि टिकटॉक ने बच्चों से जुड़े डेटा का गलत इस्तेमाल किया. ऐप पर 155,000 डॉलर का जुर्माना लगाया गया है.
द कोरिया कम्युनिकेशंस कमीशन (केसीसी) ने चाइनीज कंपनी पर 186 मिलियन वॉन (करीब 1.1 करोड़ रुपये) का फाइन लगाया है. बता दें कि केसीसी दरअसल कोरिया में टेलिकम्युनिकेशंस और डेटा से जुड़े सेक्टर्स में रेग्युलेटर का काम करता है और इसके पास यूजर्स के डेटा से जुड़ी निगरानी की जिम्मेदारी भी है. टिकटॉक पर यह बड़ा जुर्माना इसलिए लगाया गया क्योंकि कंपनी यूजर्स का प्राइवेट डेटा प्रोटेक्ट नहीं रख पाई थी.
खासकर कम उम्र के यूजर्स के डेटा को लेकर टिकटॉक की गलती सामने आई. टिकटॉक पर लगाया गया जुर्माना कंपनी की इस देश में एनुअल सेल्स का करीब 3 प्रतिशत है. लोकल प्रिवेसी लॉ के तहत इतनी ही रकम कंपनी के चुकानी पड़ती है. केसीसी ने पिछले साल अक्टूबर में मामले की जांच शुरू की थी और पाया था कि टिकटॉक बिना पैरंट्स की परमीशन के 14 साल के कम उम्र के बच्चों का डेटा कलेक्ट और इस्तेमाल कर रहा था.
केसीसी के मुताबिक 31 मई 2017 से 6 दिसंबर 2019 के बीच चाइल्ड डेटा के कम से कम 6,0007 पीस कलेक्ट किए गए. इसके अलावा टिकटॉक ने यूजर्स को यह बात भी नहीं बताई कि उनका डेटा दूसरे देशों तक भेजा जा रहा है. जांच में सामने आया कि कंपनी चार क्लाउड सर्विसेज अलीबाबा क्लाउड, फास्टली, एजकास्ट और फायरबेस का इस्तेमाल करती है. एक बार फिर ऐप पर सवाल उठना उसकी मुश्किलें बढ़ा सकता है.
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एजेंसीदिल्ली : दुनिया में सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक (Whatsapp, Instagram and Facebook) मर्ज हो सकते हैं। दरअसल पिछले कई दिनों से ऐसी चर्चा है कि तीन बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म आपस में मर्ज हो सकते हैं। पिछले साल फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने यह स्पष्ट किया था कि उनके पास भविष्य में एक अद्वितीय सेवा प्रदान करने के लिए तीन प्लेटफार्मों को मर्ज करने का प्लान है। यानी फेसबुक प्लेटफॉर्म पर व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम के यूजर्स भी आपस में संवाद कर सकेंगे।
WABetaInfo की एक रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक मैसेंजर का उपयोग करके तीनों प्लेटफार्मों के बीच एक कनेक्शन बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। फेसबुक एक लोकल डेटाबेस में टेबल बना रहा है जिसके जरिए व्हाट्सएप यूजर के मैसेज और सर्विस को व्यवस्थित किया जा सकेगा। हालांकि अभी मर्ज की प्रक्रिया को लेकर अभी सिर्फ विचार किया जा रहा, ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि कब यूजर्स इन तीनों प्लेटफार्म एक साथ लुत्फ उठा सकते हैं। -
श्री तारन प्रकाश सिन्हा IAS के फेसबुक वाल से
निश्चित ही यह एक अकल्पनीय समय है। वह घटित हो रहा है, जो किसी ने कभी सोचा तक नहीं था। आगे बढ़ती हुई एक सदी अचानक थम गई, बीती हुई सदी अपने तमाम जख्मों के साथ फिर प्रकट हो गई। फिर वही भूख, पलायन, गरीबी और बेबसी, बेबसों का वही रेला। कश्मीर से कन्याकुमारी तक दुख और दर्द का समुंदर ठाठे मार रहा है। हर कोई आवाक् है, बदहवास है। क्या मजदूर, क्या मालिक, क्या शासन, क्या प्रशासन...हर पल एक नयी चुनौती सामने आती है, रूप बदल बदल कर नयी नयी मुश्किलें नुमाया होती हैं...लेकिन जंग जारी है। इनसान लड़ रहा है। जीत रहा है। यह समय पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूट रहा है। पूरी दुनिया में श्रम पर जिंदा रहने वाले लोग मुश्किल में हैं। भारत में भी। कोरोना से उपजी परिस्थितियों ने प्रवासी श्रमिकों को सड़क पर ला दिया है। घर लौट रहे हजारों-हजार मजदूरों का रेला हर रोज एक राज्य से दूसरे राज्य दाखिल हो रहा है।
छत्तीसगढ़ का भूगोल ही कुछ ऐसा है कि यह भारत का चौगड्डा है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम जाने वाले रास्ते यहीं से होकर गुजरते हैं। इसीलिए घर लौट रहे पैदल मजदूरों के सबसे बडे़ जत्थे इस राज्य को लांघते हुए आगे बढ़ रहे हैं। किस दिन, किस पल, कितनी संख्या में मजदूर छत्तीसगढ़ की सीमा में दाखिल होंगे, कुछ पता नहीं होता। कोरोना की आहट मिलने के तुरत बाद से ही छत्तीसगढ़ सरकार और समाजसेवी पीडि़तों को राहत पहुंचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दूसरे प्रदेशों में कमाने-खाने गये मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी के लिए ट्रेनों-बसों का इंतजाम करने, उनसे संपर्क बनाए रखने, उन्हें क्वारंटाइन करने और क्वारांटाइन की अवधि में उनकी सेहत तथा सुविधाओं का खयाल रखने में बडा़ अमला जुटा हुआ है। साथ ही छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाले अन्य राज्यों के अनगिनत मजदूरों को ठहराने, उनके भोजन आदि की व्यवस्था करने, उन्हें छत्तीसगढ़ की एक सीमा से दूसरी सीमा तक पहुंचाने के लिए वाहनों का प्रबंध करने में भी सैकडो़ लोग जिसमें ज़िला प्रशासन ,स्वास्थ्य , परिवहन आदि के साथ सामाजिक संगठन लगे हुए हैं। तपती हुई दोपहरियों में, संक्रमण के तमाम खतरों के बीच, वे भी मजदूरों के पसीनों में अपना पसीना मिला रहे हैं। अपने परिवार से दूर रहकर वे भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी कर रहे हैं।
कोरोना के विषाणुओं की तरह चुनौतियां भी अदृश्य हमले करती हैं। चौक-चौराहों पर अपनी संवेदनाओं की ढाल लेकर तैनात योद्धा इनसे पल-पल मुकाबिल है। इस कठिन लडा़ई में कभी कभी चुनौतियां भी भारी पड़ सकती हैं। असंख्य लोगों के भोजन और वाहनों के इंतजाम में समय की ऊंच-नीच हो सकती है। लेकिन यह समय कमी निकालने का नही बल्कि काम करने वालों को प्रोत्साहित करने और उनका हौसला बढ़ाने का है ।यह एक युद्ध है और युद्ध को युद्ध की तरह ही देखना और लड़ना होगा। चुनौतियां हौसलों से ही हारा करती हैं, हर हाल में हमें अपने योद्धाओं का हौसला बनाए रखना होगा।