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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मैनपुर के दुर्गम वनांचल डुमरपड़ाव से जागड़ा तक पक्की सड़क का निर्माण प्रारंभआजादी के 75 वर्ष बाद सड़क निर्माण की प्रभावी पहल: मुख्यमंत्री श्री साय का ग्रामीणों ने जताया आभाररायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के कुशल और संवेदनशीलता नेतृत्व में गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के नक्सल प्रभावित दुर्गम वनांचल क्षेत्रों में पक्की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। नेशनल हाईवे 130सी के डुमरपड़ाव से जागड़ा तक 4.7 किमी लंबी सड़क के निर्माण के लिए 3.02 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। दशकों से सड़क की मांग कर रहे ग्रामीणों ने इस ऐतिहासिक पहल के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार प्रकट किया है। क्षेत्र के दर्जनभर गांवों के हजारों लोग इस सड़क के अभाव में आवागमन और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित थे। अब इस सड़क के निर्माण से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी है।
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 75 वर्षों बाद यह पहली बार है जब उनकी सड़क निर्माण की मांग पर गंभीरता से ध्यान दिया गया है। ग्राम पंचायत जागड़ा के सरपंच मिथुला बाई नेताम, उपसरपंच भानु प्रताप सिन्हा और अन्य ग्रामीणों ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने उनकी वर्षों पुरानी मांग को पूरा करके ग्रामीणों के हित के लिए बहुत बड़ा कार्य किया है। ग्रामीणों ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री साय ने हमारी समस्या के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते इसे हल करने की तत्काल पहल की है।
उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले के मैनपुर विकास खंड मुख्यालय से 40 किमी दूर पयलीखंड और जांगड़ा जैसे गांव अब पक्की सड़क से जुड़ने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने स्पेशल केंद्रीय सहायता फंड से इस सड़क निर्माण कार्य को मंजूरी दी है। सड़क बन जान से न केवल आवागमन सुगम होगा, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली जैसी सुविधाओं का लाभ भी ग्रामीणों को मिल सकेगा। यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही है। 3.02 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन सड़क निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा होने की उम्मीद है।
पक्की सड़क निर्माण कार्य शुरू होने से क्षेत्र के ग्रामीणों में भारी उत्साह है। जागड़ा और आसपास के गांवों के लोगों ने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के सुशासन और दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। ग्रामीणों ने कहा कि यह सड़क उनके लिए विकास और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगी। ग्रामीणों ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के सुशासन और संवेदनशीलता ने दुर्गम क्षेत्रों तक विकास की पहुंच सुनिश्चित की है। इस सड़क निर्माण के जरिए न केवल ग्रामीणों को राहत मिली है, बल्कि उनके जीवन स्तर को सुधारने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। -
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नियद नेल्ला नार से लगे सोलर हाईमास्ट से पहली बार रोशन हुई माओवाद प्रभावित गांवों की रातें : सोलर पंप से लोगों को मिल रहा स्वच्छ पेयजलरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा बस्तर के सुदूर गांवों में विकास की गति तेज करने राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नियद नेल्ला नार योजना से दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ रहा है। इसके तहत स्थापित सोलर हाईमास्ट से कांकेर के माओवाद प्रभावित गांवों की रातें पहली बार रोशन हो रही है। सौर ऊर्जा से संचालित ड्यूल पंपों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति भी हो रही है।कांकेर के कोयलीबेड़ा विकासखंड के पानीडोबीर, आलपरस, जुगड़ा, गुन्दूल (मर्राम), अलपर, हेटाड़कसा और चिलपरस गांव के चौक-चौराहों को रात में रोशन करने सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना की गई है। रात में उजाले की अच्छी व्यवस्था हो जाने से ग्रामीण अब वहां रात्रिकालीन बैठक और सामुदायिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम कर रहे हैं। इस निर्बाध प्रकाश व्यवस्था से वे जंगली जानवरों से खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।
नियद नेल्ला नार से संवेदनशील और दूरस्थ माओवाद प्रभावित गांवों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर विकास को नई गति दी जा रही है। सौर ऊर्जा का उपयोग कर रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है। सोलर ड्यूल पंपों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो रही है। माओवाद प्रभावित गांवों में वृहद स्तर पर सौर संयंत्रों की स्थापना से लोगों का जीवन बदल रहा है।
दूरस्थ गांवों में बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने नियद नेल्ला नार से प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर हाईमास्ट, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए सोलर पेयजल संयंत्र, सौर सुजला योजना के तहत सिंचाई व्यवस्था और सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। इन कार्यों से बस्तर के दूरस्थ और दुर्गम गांवों के लोग विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।
आश्रम परिसर भी लगा जगमगानेकांकेर के ग्राम पानीडोबीर स्थित बालक आश्रम के अधीक्षक श्री समरथ ने बताया कि पहले आश्रम परिसर में लाइट की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब आश्रम परिसर में सोलर लाइट लगने से रात में उजाले की व्यवस्था हो गई है। इससे बच्चे अब रात में भी पढ़ाई कर रहे हैं। अच्छी प्रकाश व्यवस्था से रात में सब खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं। -
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क्रम में कैंसर उपचार की दिशा में उम्मीद की नई किरण पाइपेक तकनीक से शुरू हुई उपचार सुविधा की शुरुआतक्षेत्रीय कैंसर संस्थान के कैंसर सर्जरी विभाग में पहली बार पाइपेक विधि से पेट की झिल्ली के कैंसर का किया सफल उपचार :ओडिशा की महिला मरीज हुई लाभान्वितलेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया के जरिये महिला मरीज के पेट में सीधे पहुंचा कीमोथेरेपी, उपचार के बाद महिला की स्थिति पहले से बेहतररायपुर : प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार सशक्तिकरण हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल के अथक प्रयासों से राज्य की जनता को सहज और सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है। वहीं नित नये वैज्ञानिक शोध, परीक्षण और निष्कर्ष पर आधारित आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की मदद से आज मनुष्य कई गंभीर बीमारी से ठीक होकर निकल रहे हैं। डॉक्टरों की उपचार प्रक्रिया और मरीज की सकारात्मक सोच की बदौलत कैंसर जैसे असाध्य रोग भी अब साध्य हो चले हैं। इसी क्रम में हाल ही में पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के आंकोसर्जरी (कैंसर सर्जरी) विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पेट की झिल्ली के (पेरिटोनियम) कैंसर से पीड़ित महिला का उपचार पाइपेक (PIPAC) पद्धति से कर महिला के बहुमूल्य जीवन को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।संभवतः मध्य भारत के किसी भी शासकीय कैंसर अस्पताल में इस पद्धति से पहली बार इलाज कर डॉक्टरों ने मरीज के पेट की झिल्ली के कैंसर का इलाज किया है। पाइपेक यानी प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियल एरोसोलाइज़्ड कीमोथेरेपी, कैंसर बीमारी में दी जाने वाली कीमोथेरेपी का ही एक प्रकार है। यह उदर गुहा में दबाव के साथ कीमोथेरेपी को पहुंचाती है जिससे कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। कैंसर सर्जन डॉ.(प्रो.) आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में लेप्रोस्कोपिक विधि से न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के अंतर्गत किये गये इस उपचार विधि में कीमोथेरेपी को एक मशीन के जरिये एरोसोल के रूप में दिया जाता है जिससे कैंसर उत्तकों में दवा का प्रभाव ज्यादा होता है और कैंसर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ओड़िशा की रहने वाली 54 वर्षीय महिला मरीज को उपचार के पांच दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। उपचार के बाद वह अब ठीक है और फॉलोअप के लिए आ रही है।
पाइपेक एक लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि डॉक्टर मरीज के पेट में एक या दो छोटे छेद करके इस प्रक्रिया को पूरी करते हैं जिन्हें एक्सेस पोर्ट भी कहा जाता है।
क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के संचालक एवं पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने पहली बार इस नये विधि से किये गये सफल उपचार के लिए कैंसर सर्जरी विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है। साथ ही उन्होंने कहा है कि यह एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रक्रिया है जो कीमोथेरेपी के प्रभाव को बढ़ाता है। कोलोरेक्टल कैंसर, डिम्बग्रंथि का कैंसर और गैस्ट्रिक कैंसर जैसे कैंसर बीमारियों में कीमोथेरेपी के नये विकल्प के रूप में इसे अपनाया जा सकता है। प्रयास करेंगे कि भविष्य में कैंसर के अन्य मरीजों को भी इस उपचार सुविधा का लाभ मिल सके।
अम्बेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों के उपचार हेतु किये जा रहे निष्ठापूर्ण प्रयासों ने लोगों का विश्वास इस संस्था के प्रति सदा से ही बनाये रखा है। कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता के अनुसार, प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियल एरोसोलाइज़्ड कीमोथेरेपी एक तकनीक है जो दबाव के तहत एरोसोल के रूप में उदर गुहा में कीमोथेरेपी को पहुंचाती है। एरोसोल दो शब्दों से मिलकर बना है। एयरो यानी विशेष हवा और सोल अर्थात् द्रव में अत्यंत छोटे कणों के रूप में पदार्थ का मिश्रण। दबावयुक्त एरोसोल पूरे पेट में कीमोथेरेपी को समान रूप से वितरित करता है। एडवांस पेरिटोनियम कैंसर, जीआई कैंसर और एडवांस ओविरयन कैंसर जैसी बीमारियों में उपचार की इस नई प्रक्रिया के कई संभावित लाभ हो सकते हैं। कीमोथेरेपी की उच्च सांद्रता के कारण कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है और अन्य अंगों को नुकसान कम होता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे मतली, उल्टी, कब्ज, दस्त और भूख न लगना जैसी स्थितियां कम होती हैं। लीवर और किडनी जैसे अंगों को कम नुकसान होता है।ऐसे संपन्न की जाती है प्रक्रिया
डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले प्रक्रिया के लिए एक्सेस पोर्ट बनाते हैं फिर पेरिटोनियम (पेट की परत वाली झिल्ली) को फुलाने के लिए पोर्ट का उपयोग करते हैं। एक एक्सेस पोर्ट में दबावयुक्त कीमोथेरेपी देने वाला उपकरण डालते हैं। दबावयुक्त एरोसोल कीमोथेरेपी को लगभग 30 मिनट तक पेरिटोनियम के भीतर दिया जाता है। इसके बाद मरीज के पेट से सभी उपकरणों को बाहर निकाल देते हैं और छोटे छेद/चीरे को बंद कर देते हैं। उपचार करने वाली टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता के साथ डॉ. किशन सोनी, डॉ. राजीव जैन, डॉ. गुंजन अग्रवाल और एनेस्थीसिया से डॉ. शशांक शामिल रहे। -
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उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ कार्यों का किया निरीक्षण, समस्याएं दूर करने दिए आवश्यक निर्देशयोजना से माना नगर पंचायत के करीब चार हजार घरों में हर घर पहुंचेगा नल से जल44 करोड़ रुपए से अधिक की लागत की पेयजल योजना का काम प्रगति पररायपुर : मिशन अमृत 2.0 के अंतर्गत माना नगर पंचायत में निर्माणाधीन जल प्रदाय योजना के काम में अब तेजी आएगी। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव ने आज सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फील्ड पर पहुंचकर कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने पेयजल योजना के काम में तेजी लाने तथा गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने रायपुर नगर निगम और माना नगर पंचायत के बीच पेयजल आपूर्ति में समन्वय के लिए रायपुर नगर निगम के आयुक्त को माना नगर पंचायत में पेयजल की उपलब्धता के लिए आवश्यक निर्देश दिए। विधायक मोतीलाल साहू, नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., रायपुर के कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह और नगर निगम आयुक्त श्री अबिनाश मिश्रा भी कार्यों के निरीक्षण के दौरान मौजूद थे।
उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने आज माना नगर पंचायत में पुष्प वाटिका गार्डन में निर्माणाधीन पानी टंकी के कार्यों के निरीक्षण के दौरान पेयजल वितरण लाइन के लिए लोक निर्माण विभाग की लगभग नौ किमी की लंबाई की सड़कों को लेकर विभाग और नगर पंचायत के बीच समन्वय की कमी को भी दूर किया। उन्होंने कार्यस्थल पर ही नगरीय निकाय और लोक निर्माण विभाग के बीच जल प्रदाय परियोजनाओं में समन्वय के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने और पाइपलाइन विस्तार का कार्य तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए। श्री साव ने सीएसपीटीसीएल से संबंधित प्रकरणों के निराकरण के लिए ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को मौके पर बुलाकर तत्काल परियोजना में आ रही भूमि संबंधी दिक्कतों के समाधान के निर्देश दिए।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मिशन अमृत 2.0 के अंतर्गत माना नगर पंचायत में पेयजल योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत माना नगर पंचायत के करीब चार हजार घरों में नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। 44 करोड़ 38 लाख रुपए लागत की इस योजना का अब तक 30 प्रतिशत से अधिक काम पूरा कर लिया गया है। सितम्बर-2025 तक इसका काम पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
माना नगर पंचायत कार्यालय में निर्माणाधीन 840 किलोलीटर और पुष्प वाटिका गार्डन में निर्माणाधीन 650 किलोलीटर क्षमता की दो ओवरहेड पानी टंकियों के माध्यम से माना शहर में जलापूर्ति की जाएगी। दोनों टंकियों का काम क्रमशः 85 प्रतिशत और 75 प्रतिशत पूरा हो गया है। जलापूर्ति के लिए नगर पंचायत में करीब 66 किमी का डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन बिछाया जाएगा। इसमें से अब तक 34 किमी से अधिक पाइपलाइन बिछाया जा चुका है। -
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प्रयागराज महाकुंभ में लोगों के आकर्षण का केंद्र बना छत्तीसगढ़ पैवेलियनछत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और इतिहास को जानने के लिए उमड़ रही है लोगों की भीड़छत्तीसगढ़ की पहचान गौर मुकुट को धारण किया हुआ प्रवेश द्वार लोगों को कर रहा है आकर्षित: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दिख रही छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति की तस्वीररायपुर : छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और यहां का गौरवशाली इतिहास हर किसी को प्रेरित करता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और मोदी की गारंटी के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे छत्तीसगढ़ को जानने के लिए देश में हर कोई बेताब रहता है। इसकी बड़ी झलक प्रयागराज महाकुम्भ के दौरान छत्तीसगढ़ पैवेलियन में देखने को मिल रही है। प्रयागराज के सेक्टर 6 महाकुम्भ में लक्ष्मीद्वार के पास भारत सरकार के कलाग्राम के सामने छत्तीसगढ़ पैवेलियन स्थित है। इसके प्रवेश द्वार को छत्तीसगढ़ की पहचान गौर मुकुट का रूप दिया गया है जो दूर से ही श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। प्रवेश द्वार पर ही भारत के नियाग्रा कहे जाने वाले बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात की तस्वीर लगी है। पैवेलियन के भीतर प्रवेश करते ही छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित की गयी है और प्रवेश द्वार के दाहिनी तरफ राज्य की चार ईष्ट देवियां मां महामाया, मां चंद्रहासिनी, मां दंतेश्वरी और मां बम्लेश्वरी की फोटो और उनकी जानकारी दी गयी है।
पैवेलियन के भीतर प्रवेश करते ही बांयी तरफ छत्तीसगढ़ के जीवंत ग्रामीण परिवेश को दिखाया गया है। यहां पर परंपरागत ग्रामीण जीवन के साथ ही आदिवासी कला, संस्कृति, आभूषण, वस्त्र समेत एक संपूर्ण गांव का चित्रण किया गया है। छत्तीसगढ़ के प्रदर्शनी में प्रवेश करने के पहले बस्तर के ढोकरा शिल्प और राजकीय पशु तथा पक्षी को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ शासन की फ्लैगशिप योजनाओं विशेषतर मोर आवास मोर अधिकार, 3100 रूपए प्रति क्विंटल धान खरीदी योजना की जानकारी दर्शायी गयी है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक विरासत के रूप में सिरपुर और जैतखाम की प्रतिकृति को निर्मित किया गया है।
स्थानीय लोग और देश भर से आए श्रद्धालु छत्तीसगढ़ को ज्यादा से ज्यादा करीब से जान पाएं, इसके लिए वर्चुअल रियेलिटी हेडसेट और डोम के भीतर 180 डिग्री वीडियो के माध्यम से शासन की योजनाओं और छत्तीसगढ़ राज्य की जानकारी साझा की जा रही है। इन तकनीकों के जरिए छत्तीसगढ़ को जानने के लिए स्थानीय लोगों में जबरदस्त उत्साह है और लोग लंबी लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हुए नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने की संकल्पना पर काम कर रहे हैं और ये संकल्पना धीरे धीरे मूर्त रूप ले रही है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ को जानने और समझने की इच्छा रखने वाले यहां आ रहे हैं उससे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में किए जा रहे कार्यों की सार्थकता झलक रही है। इसे देखकर कहा जा सकता है मानो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मानो एक छोटा सा छत्तीसगढ़ ही बसा हुआ है। -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज तातापानी महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर विभिन्न शासकीय विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन कर स्थानीय कला, संस्कृति और सरकारी योजनाओं के प्रभाव को करीब से देखा। मुख्यमंत्री श्री साय ने राजपुर के आरा ग्राम के निवासी शिवमंगल से मुलाकात की, जो 25 वर्षों से कुम्हार का काम कर रहे हैं। शिवमंगल ने बताया कि विद्युत चाक मिलने से उनकी जीविका चलाना आसान हुआ है। उनका परिवार पारंपरिक मिट्टी के बर्तन बनाकर सालाना 2-3 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहा है। शिवमंगल की कला को महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, जहां मटके, कुल्हड़ और अन्य मिट्टी के बर्तनों की जीवंत प्रदर्शनी लगाई गई। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक कला को प्रोत्साहन देने के लिए उनकी सराहना की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बुनकर सौदन सिंह के आग्रह पर गांधीजी के आत्मनिर्भरता के प्रतीक चरखे को भी चलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने 28 विभागों द्वारा लगाए गए थीम-आधारित स्टॉलों का अवलोकन किया। इन स्टॉलों में आजीविका मॉडल, अमृत सरोवर, जैव विविधता संरक्षण, जैविक खेती, उन्नत कृषि तकनीक, फूलों की खेती, सौर सुजला योजना, जल जीवन मिशन, यातायात जागरूकता, पशु रोग नियंत्रण और नालंदा परिसर मॉडल जैसी योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। श्रृंगार सदन स्टॉल में लाइव बैंगल और चूड़ियां बनाने की विधि का प्रदर्शन किया गया। मिलेट कैफे में स्थानीय मिलेट से बने स्वादिष्ट भोज्य पदार्थों की प्रदर्शनी लगी, जबकि ट्राइबल फूड स्टॉल में आदिवासी परंपरा, वाद्य यंत्र, बांस की कलाकृतियां और देवगुड़ी की झलक प्रस्तुत की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रदर्शनियों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने स्टॉल संचालकों और प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन स्थानीय कला, संस्कृति और सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का बढ़िया माध्यम है। -
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फरसाबहार में स्नेक पार्क और तपकरा को तहसील बनाने की घोषणाजशपुर जिले में 87.31 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजनपमशाला में अखिल भारतीय कंवर समाज के वार्षिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री हुए शामिलरायपुर : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सर्वाेच्च प्राथमिकता में आदिवासी समाज का उत्थान शामिल है। उन्होंने देश के सर्वाेच्च पद राष्ट्रपति के लिए आदिवासी महिला को अवसर दिया। आज देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी है, छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री एक आदिवासी है, यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सोच का ही परिणाम है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारी सरकार का ध्येय वाक्य है। इसके माध्यम से हम विजन-2047 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने में आप सबके सहयोग से सफल होंगे। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जशपुर जिले के पमशाला में आयोजित अखिल भारतीय कंवर समाज के वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है। इससे लोगों को राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों की योजनाओं का भरपूर लाभ मिल रहा है। हमने पिछले एक साल में मोदी जी की अधिकांश गारंटियों को पूरा कर दिया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आदिवासी समुदाय के समग्र विकास और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पीएम जनमन, धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। उन्होंने इन योजनाओं में आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आहार, रोजगार और मकान से लेकर हर जरूरत का ध्यान रखा है। छत्तीसगढ़ सरकार इन योजनाओं में तेजी से आदिवासी समुदाय को लाभान्वित कर रही है। हमारी सरकार आदिवासी समुदाय के साथ ही सभी वर्गों के जीवन में खुशहाली लाने और उनके उत्थान के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर फरसाबहार में स्नेक पार्क और तपकरा को तहसील बनाने और पमशाला के स्टेडियम के समतलीकरण के लिए 20 लाख रूपए की घोषणा की। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय ने 87 करोड़ 31 लाख 98 हजार रूपए लागत् के 507 विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। इनमें 85.08 करोड़ रूपए की लागत के 483 कार्यों का भूमिपूजन एवं 2.23 करोड़ की लागत से निर्मित 24 कार्यों का लोकार्पण शामिल हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमने शपथ-ग्रहण के दूसरे ही दिन कैबिनेट की पहली बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना से प्रदेश के 18 लाख परिवारों को लाभान्वित करने तत्काल निर्णय ले लिया था। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को चार हजार रूपये से बढ़ाकर साढ़े 5 हजार रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया है। इससे वनवासी भाईयों के जीवन स्तर में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि हम 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी की गारंटी के अनुरूप प्रदेश में धान की खरीदी कर रहे हैं। हम किसानों को समर्थन मूल्य का भुगतान तत्काल कर रहे हैं। धान खरीदी समाप्त होते ही अंतर की राशि भी उनके बैंक खातों में जमा करा दी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम में कहा कि आदिवासी कंवर समाज तेजी से विकास पथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी दिशा और दशा पर लगातार चिंतन करता है, आपस में विचार-विमर्श करता है, कुरीतियों को दूर करता है, विकास के अवरोधों को चिन्हित करते हुए उन्हें दूर करने का जतन करता है, उस समाज को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि यह अवसर अपनी उपलब्धियों को साझा करने और एक दूसरे के अनुभवों से सीखने और एक दूसरे को प्रेरित करने का भी अवसर है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण की श्रीमती गोमती साय ने कंवर समाज को विकास कार्यों के लिए 20 लाख रूपए देने की घोषणा की। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री महेश्वर साय द्वारा लिखित पुस्तक श्कंवर जनजाति के सामाजिक एवं आर्थिक विकासश् तथा श्बदलता अबूझमाड़ एवं अन्य कहानियांश् का विमोचन किया। कार्यक्रम में पूर्व सांसद श्री नंदकुमार साय, मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय, कंवर समाज के अध्यक्ष श्री भरत साय सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। -
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मुख्यमंत्री ने कोंडागांव जिले को दी 2 अरब 88 करोड़ 18 लाख रूपए के 168 विकास कार्यों की सौगातरायपुर : हमारी सरकार ने एक साल पूरे कर लिये हैं और इस एक साल के दौरान हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दी गई गारंटी के अनुरूप हमने हर वर्ग से जुड़े वायदों को पूरा किया है।हम हर महीने महतारी वंदन योजना की राशि माताओं और बहनों के खाते में भेज देते हैं। पहली तारीख को ही जब हमारी माताओं और बहनों के मोबाइल में मैसेज आता है तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।माताओं-बहनों के चेहरे पर आई यह मुस्कान ही हमारे कार्य की सार्थकता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज कोंडागांव जिला मुख्यालय में आयोजित विकास कार्यों के लोकार्पण शिलान्यास समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश भर में हम लगभग 70 लाख महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ दे रहे हैं। एक साल में हमारी सरकार ने कोंडागांव जिले के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये और इस पर तेजी से क्रियान्वयन किया है। इसी कड़ी में आज हमने यहां 288 करोड़ रुपए के 168 कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन किया है। इन कार्यों में 208 करोड़ रुपए की राशि के 130 कार्यों का लोकार्पण एवं 80 करोड़ रुपए के 38 कार्यों का भूमिपूजन शामिल है। साथ ही इस मौके पर हम 58 लाख रुपए की राशि के हितग्राहीमूलक कार्यों के चेक और सामग्री भी वितरण कर रहे हैं। इसमें कोंडागांव जिले की 1 लाख 28 हजार माताओं-बहनों को योजना का लाभ मिल रहा है। माताएं-बहनें इस योजना का उपयोग बहुत कुशलता से कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं के बीच लोकप्रिय महतारी वंदन योजना के आने से 5 लाख महिलाओं ने डाकघर में मासिक बचत खाते आरंभ कर दिये हैं। यह केवल डाकघर के आंकड़े हैं। कुछ माताएं-बहनें अपनी राशि बैंक में जमा कर रही हैं। कुछ अपने बच्चों की शिक्षा में निवेश कर रही हैं। साथ ही अपने सपनों को भी पूरा कर रही हैं। यह महिलाओं की आर्थिक आजादी की योजना है। महिलाओं को आर्थिक ताकत देने से समाज का तेजी से विकास होता है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारी सरकार की कृषि हितैषी नीतियों की वजह से किसान फिर से खेती में लौट आये हैं। इस बार 27 लाख से अधिक किसान भाइयों ने धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। पिछले साल यह आंकड़ा 24 लाख 75 हजार का था। कोंडागांव जिले में अब तक 40 हजार से अधिक किसान भाई अपना धान बेच चुके हैं और अब तक हम 552 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुके हैं। हमने कैबिनेट की पहली ही बैठक में 18 लाख प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किये। लाखों लोगों का मकान का सपना पूरा हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोंडागांव जिले का विकास हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ कर रहे हैं। दो महीने पहले जब मैं बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक में जगदलपुर आय़ा था तो क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने केशकाल घाटी में सड़क के जीर्णोद्धार की माँग रखी। दो महीने के भीतर ही इसका जीर्णोद्धार कराया गया। पहले केशकाल धूलों की घाटी बन गई थी, अब यह पुनः फूलों की घाटी बन गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोंडागांव जिला अपनी शिल्प कला के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है।यहां 1300 से अधिक शिल्पकार अपनी अद्वितीय कलाकृतियों का निर्माण करते हैं। इन कलाकृतियों को वैश्विक बाजार से जोड़ने आधुनिक तकनीक आवश्यक हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने इन्हें 3-डी प्रिंटिंग तकनीक से जोड़ने आईआईटी भिलाई के साथ एमओयू किया है। जिला प्रशासन द्वारा यूपीएससी, पीएससी एवं व्यापम जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग सुविधा प्रदान की जा रही है। यह बहुत अच्छी पहल है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारे कोंडागांव की बिटिया कुमारी हेमबती नाग को जूडो खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया, जो हम सभी के लिए गौरव की बात है। मुख्यमंत्री श्री साय ने मुख्य कार्यक्रम स्थल में जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित विभागीय प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं के तहत सामग्री, उपकरण एवं चेक वितरित किया। कार्यक्रम के राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत लखपति दीदीयों को पुरस्कृत किया गया और हितग्राहियों को बैंक लिंकेज चेक प्रदान किया। हस्तशिल्प विभाग के स्टॉल में राष्ट्रीय बांस मिशन योजना अंतर्गत शिल्पकारों को बांस शिल्प औजार वितरण किया गया। ग्राम पंचायत बड़े राजपुर को सामुदायिक वनाधिकार पत्रक प्रदाय किया गया।
इस अवसर पर उद्योग प्रभारी मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, बस्तर सांसद श्री महेश कश्यप, कांकेर सांसद श्री भोजराज नाग, विधायक जगदलपुर श्री किरण देव, केशकाल विधायक श्री नीलकंठ टेकाम सहित जिले के वरिष्ठ जनप्रतिनिधिगण, जिला प्रशासन के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : 2024-बीजापुर जिले के जांगला गांव में हुए आईईडी ब्लास्ट में घायल हुए आरक्षक श्री गजेन्द्र शाह मंडावी और आरक्षक श्री रामसू मज्जी का हालचाल जानने के लिए उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री विजय शर्मा ने रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल पहुंचकर उनसे मुलाकात की। उन्होंने घायल जवानों से संवाद कर उनका हौंसला बढ़ाया और उनकी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि हमारे जवान विषम परिस्थितियों में भी नक्सलियों से मुकाबला कर रहे हैं और उनकी यह वीरता प्रदेश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा है। उन्होंने चिकित्सकों से भी घायल जवानों के इलाज में किसी प्रकार की कमी न रखने का निर्देश दिया। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
दायरा बैंड 'ऐसा जादू है मेरे बस्तर में' की शानदार प्रस्तुति, मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने भी थामा माइक: थिरके छत्तीसगढ़ के युवा
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य युवा महोत्सव 2024-25 के दूसरे दिन रायपुर साइंस कॉलेज मैदान में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। रंगारंग कार्यक्रमों से सजे इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी लोक परंपराओं, समृद्ध संस्कृति, और आधुनिक संगीत का अनोखा संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की शुरुआत आरुग बैंड की शानदार प्रस्तुति से हुई। पद्म श्री अनुज शर्मा और उनकी टीम ने छत्तीसगढ़ी पारंपरिक लोकगीतों और आधुनिक धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।अनुज शर्मा ने अपने राम भजन “हरि अनन्त, हरि कथा अनन्ता” से समां बांधा। इसके बाद माता-पिता को समर्पित “झन भूलव मां बाप ला” और लोकगीत “छैयाँ भुइयाँ ला छोडके जवईया” जैसे गीतों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। माते रइबे जैसे ददरिया गीतों की सुरीली प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने भी युवा महोत्सव में माइक थामा और अपनी प्रस्तुति से महोत्सव की शोभा बढ़ाई। उन्होंने प्रसिद्ध कवि लक्ष्मण मस्तूरिया के गीतों को अपने अंदाज में प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके गायन ने छत्तीसगढ़ी लोकगीतों की सादगी और गहराई को प्रदर्शित किया।
दायरा बैंड ने बस्तर की खूबसूरती को जीवंत किया
इसके साथ ही, दायरा बैंड ने अपने गीत “ऐसा जादू है मेरे बस्तर में” और “बैलाडीला बैलाडीला” की प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुंबई के कलाकारों और बस्तर के स्थानीय गायकों का यह प्रदर्शन बस्तर की समृद्ध संस्कृति और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य को अपने गीतों के माध्यम से जीवंत किया। बैंड ने बस्तर की समृद्ध लोक संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य को मुंबई के कलाकारों के साथ बस्तर के स्थानीय कलाकारों का अनूठा संगम देखकर दर्शक भावविभोर हो गए।
कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, पारंपरिक कला, और आधुनिक संगीत के अद्भुत मेल ने युवा महोत्सव को एक यादगार आयोजन बना दिया।इस अवसर पर वन मंत्री श्री केदार कश्यप, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंक राम वर्मा, विधायक श्री अनुज शर्मा, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष श्री विश्व विजय सिंह तोमर, जनप्रतिनिधिगण, विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि प्राप्त युवा बड़ी संख्या में उपस्थित थे -
आलेख : राजेंद्र शर्माजिनके घर खुद शीशे के हों, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फैंकने चाहिए। यह पुरानी कहावत भी, ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी के हिसाब से बाकी तमाम चीजों की तरह, उन पर लागू नहीं होती है। वर्ना क्या यह संभव था कि प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली मेें अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत, केजरीवाल के अपने लिए कथित रूप से शीश महल बनाने पर हमले से करते? बेशक, नरेंद्र मोदी को बखूबी इसका पता है कि हमारे जैसे समाज में, जहां जनता का प्रचंड बहुमत न्यूनतम जीवन सुविधाओं से वंचित जीवन जीने पर मजबूर है, सत्ता में बैठे किसी भी शख्स की लोक छवि इसकी धारणा बनाकर आसानी से बिगाड़ी जा सकती है कि वह अपने ऊपर, अंधाधुंध सार्वजनिक धन उड़ा रहा है। इसे देखते हुए अगर प्रधानमंत्री मोदी, जो हरेक चुनाव को युद्घ की तरह लड़ने में और युद्घ में सब कुछ जायज मानने में विश्वास करते हैं, दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च नेता, अरविंद केजरीवाल की छवि इसी पहलू से बिगाड़ने के लिए, उनके अपने लिए शीश महल बनवाने के मिथक का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे थे, तो इसमें हैरानी की बात नहीं है।
वास्तव में केजरीवाल के खिलाफ इस हथियार की मारकता, सामान्य से कुछ ज्यादा ही होगी, कम नहीं। इसकी सीधी सी वजह यह है कि केजरीवाल जिस तरह की भ्रष्टाचार विरोधी जन-भावना की लहर उठाकर और उस पर सवार होकर राजनीति में आए थे, उसे देखते हुए उनकी कथित रूप से झक् सफेद कमीज पर, किसी भी दाग का सामान्य से ज्यादा चमकना स्वाभाविक है। इस सिलसिले में यह याद दिलाना भी अप्रासंगिक नहीं होगा कि भ्रष्टाचार विरोधी तथा ईमानदारी के धर्मयोद्घा की अपनी भूमिका के दौर के बाद, अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत में भी केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने, जन-भावनाओं को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए, निजी ईमानदारी की बहुत बढ़ी-चढ़ी अपेक्षाएं जगाने वाले वादे किए थे। यहां तक कि उसने सरकार में रहते हुए, सरकारी बंगला, गाड़ी आदि की सुविधाएं नहीं लेने तक के वादे किए थे, जिनसे जाहिर है कि बाद में सत्ता में आने के बाद उसे पीछे हटना पड़ा है। अरविंद केजरीवाल का कथित शीश महल, सबसे बढ़कर अतिरिक्त ईमानदारी की उक्त मुद्राओं से, इस तरह पीछे हटे जाने का ही प्रतीक है।
इसमें शक नहीं कि केजरीवाल का कथित शीश महल, अतिरिक्त ईमानदारी की मुद्राओं से पीछे खिसकने के क्रम में, लोकलाज की अनेक मर्यादाओं को उल्टी दिशा में तोड़े जाने का भी उदाहरण है। पर्दों से लेकर तरणताल तथा छत से लटकते झूमरों तक पर दसियों लाख रुपए खर्च किए जाने के जैसे विवरण सामने आए हैं और सामान्य रूप से लोगों से छुपे रहने के बावजूद, दिल्ली सरकार और लेफ्टीनेंट गवर्नर तथा उसकी आका केंद्र सरकार की खींच-तान के बीच से, संदर्भ से कटकर चौंकाने वाली जानकारियों के रूप में सामने आते रहे हैं, उनकी ओर से आसानी से कोई स्वतंत्र प्रेक्षक भी आंखें नहीं मूंद सकता है। मुख्यमंत्री आवास के रिनोवेशन पर पचास करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च का जो आंकड़ा अब तक सामने आया है, चौंकाता जरूर है।
इसके बावजूद, इस तथ्य की ओर से आंखें मूंदने के लिए भी प्रधानमंत्री की तरह घोर पक्षपाती होना जरूरी है कि यह सब, मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के, सरकारी संसाधनों से ही नहीं, सरकारी एजेंसियों के जरिए भी, रिनोवेशन या पुनर्नवीकरण का मामला है। इस तरह के मामले में कुछ भी ज्यादा छुपा नहीं रह सकता है और इसलिए सार्वजनिक जांच-परख से परे नहीं बना रह सकता है। फिर जो भी, जैसा भी शीश महल बना था, मुख्यमंत्री पद पर रहने तक ही केजरीवाल के लिए था और उसके बाद अगले मुख्यमंत्री के लिए हो जाने वाला था, जैसा कि आगे चलकर मुख्यमंत्री पद से केजरीवाल के इस्तीफा देने और आतिशी सिंह के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद हुआ भी।
कथित शीश महल के दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास की संस्थागत व्यवस्था होने की इस सच्चाई की याद दिलाना इसलिए जरूरी है कि उच्चपदस्थ अधिकारियों के लिए सरकारी आवास की इस तरह की व्यवस्था, हमारे देश की व्यवस्था मेें एक नियम है, अपवाद नहीं। अपवाद वह है, जिसका केजरीवाल की पार्टी ने वादा किया था, लेकिन पालन नहीं कर पाए—सरकारी आवास नहीं लेना। लेकिन, केजरीवाल के शीश महल का ताना देने का कम से कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई हक नहीं बनता है, जो खुद सरकारी आवास की ऐसी ही सुविधा का उपयोग कर रहे हैं और किसी भी तरह से, उक्त शीश महल से कमतर दर्जे की सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
चूंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के रिनोवेशन के मामले को इतना उछाला जा रहा है, इसका पता लगाना भी दिलचस्प होगा कि क्या पिछले दस साल से ज्यादा में, नरेंद्र मोदी के सरकारी प्रधानमंत्री आवास पर भी कोई रिनोवेशन के काम हुए हैं? और अगर हुए हैं तो उन पर कितना खर्च हुआ था? बेशक, मोदी से संबंधित दूसरी तमाम जानकारियों की तरह, यह जानकारी भी सात पर्दों के पीछे छुपा कर रखी जा रही होगी और उसका बाहर निकलना आसान नहीं होगा। लेकिन, आवास आदि की सरकारी व्यवस्थाओं की थोड़ी भी जानकारी रखने वाले सभी लोग जानते हैं कि दस साल के इस अर्से में प्रधानमंत्री आवास में भी रिनोवेशन का काफी कुछ काम हुआ होगा, जिस पर लाखों में नहीं, करोड़ों रुपए में ही खर्चा हुआ होगा।
इसे देखते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह एक ओर अपने चार करोड़ गरीबों के पक्के घर बनवाने, किंतु अपने लिए एक घर नहीं बनाने और दूसरी ओर केजरीवाल के अपने लिए शीश महल बना लेने को आमने-सामने खड़ा करने की कोशिश की है, वह और भी कपटपूर्ण हो जाता है। जैसा कि हमने पीछे कहा, केजरीवाल के सरकारी आवास की तरह, नरेंद्र मोदी को भी सारी सुख-सुविधाओं से लैस सरकारी आवास मिला हुआ है और इस संदर्भ में अपने लिए एक घर नहीं बनवा पाने के मोदी के कथित त्याग की कोई प्रासंगिकता नहीं है। यही नहीं, जहां तक जनता के पैसे की अपने आवास पर फिजूलखर्ची का सवाल है, जो पहली नजर में दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास के रिनोवेशन में हुई लगती है, इससे कम से कम दस गुना ज्यादा खर्चा प्रधानमंत्री के उस प्रस्तावित आवास पर होने जा रहा है, जो नये सेंट्रल विस्टा के हिस्से के तौर पर बनने जा रहा है। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जो प्रधानमंत्री मोदी, गरीबों के आवास बनाने की अपनी उपलब्धि का ढोल पीटते हुए, अपना एक घर नहीं बनाने के अपने त्याग की बार-बार याद दिलाते हैं, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार एक अलग प्रधानमंत्री आवास बनवा रहे हैं और तमाम राजनीतिक विरोध को अनदेखा कर के, बनवा रहे हैं।
याद रहे कि अब तक के सारे प्रधानमंत्री, अस्थायी आवास व्यवस्थाओं में ही काम चलाते आए थे। जाहिर है कि ये आवास व्यवस्थाएं भी पूरी तरह से उपयुक्त और सारी सुविधाओं से संपन्न रहीं होंगी, फिर भी एक अलग प्रधानमंत्री आवास नहीं थीं। इस माने में नरेंद्र मोदी ही हैं जो प्रधानमंत्री के नाते अपना अलग घर बनवा रहे हैं और 460 करोड़ में बनवा रहे हैं, जिसे सोने का महल भी कहा जा सकता है। पुन: इस संबंध में बहुत कम जानकारियां ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, जिनमें एक जानकारी यह भी है कि यह प्रधानमंत्री महल, विशेष सुरंगों के जरिए प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़ा होगा। ऐसा भी अनुमान है कि इस महल में एटम बम के प्रहार से बचाव मुहैया कराने वाले बंकर भी होंगे, आदि आदि।
अपने लिए ऐसा सोने का महल बनाते हुए भी, अगर नरेंद्र मोदी कथित शीश महल का मुद्दा उछाल कर केजरीवाल को जनता की नजरों में बेईमान, लालची आदि साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो यही माना जाएगा कि मोदी को विश्वास है कि शीशे के घर में बैठकर दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने की पुरानी सीख, उनके लिए है ही नहीं। कहने की जरूरत नहीं है कि मोदी का यह विश्वास, उनकी इस धारणा पर आधारित है कि कारपोरेटों के धनबल और मीडिया बल के कमोबेश पूर्ण समर्थन के सहारे, वह यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जनता सिर्फ वही देखे,a जो वह तथा उनके साथी दिखाना चाहते हैं। जनता सिर्फ केजरीवाल का शीश महल देखे, पर मोदी का बनता हुआ स्वर्ण महल नहीं देखे और यह भी नहीं देखे कि नरेंद्र मोदी तो पहले ही शीश महल से महंगे, चांदी के महल में तो रहते ही आए हैं।
मोदी राज के रहते हुए भी दिल्ली में दो-दो करारी हारों के बाद, मोदीशाही इस चुनाव में कोई भी दांव उठाकर नहीं रखना चाहती है। चूंकि मोदीशाही के पास उपलब्धियों के रूप में जनता को दिखाने और अपने पक्ष में करने के लिए कुछ है ही नहीं, आम आदमी पार्टी के शासन को भ्रष्ट शासन के रूप में बदनाम करने का दांव, उसकी चुनावी रणनीति का केंद्रीय हिस्सा है। यह खेल सिर्फ प्रधानमंत्री के शीश महल का शोर मचाने तक सीमित नहीं है। वास्तव में इसे एक लंबी योजना के हिस्से के तौर पर अमल में लाया गया है, जिसके महत्वपूर्ण हिस्से के तौर पर कथित शराब घोटाले समेत, भांति-भांति के घोटालों के आरोपों में लपेट कर, आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को पिछले कुछ वर्षों में जेल के काफी चक्कर कटवाए गए हैं। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए केजरीवाल को, महीनों तक जेल में बंद रखा गया था और अब भी केजरीवाल समेत आप पार्टी के शीर्ष नेता जमानत पर ही जेल से बाहर आए हैं। इसे मोदीशाही द्वारा सत्ताा के दुरुपयोग का क्लासिक मामला कहा जा सकता है।
जाहिर है कि मोदीशाही की कोशिश इस सारे खेल के जरिए, आम आदमी पार्टी को उसी के अपने, भ्रष्टाचार-विरोध के सबसे बड़े हथियार से, जो उसके हाथों में पहले ही काफी भोंथरा हो चुका है, मात देने की है। इसमें शक नहीं कि मोदीशाही की इस रणनीति ने आम आदमी पार्टी की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं। लेकिन, अंतत: वही सवाल कि भ्रष्टाचार के नाम पर मोदीशाही, आम आदमी पार्टी पर जो आरोप लगा रही है, उनसे भ्रष्टाचार से त्रस्त होने के बावजूद, दिल्ली की जनता कितनी कन्विंस होगी? ऐसा लगता है कि अगर कांग्रेस, चुनाव मैदान में अपनी मौजूदगी का भाजपा को फायदा न उठाने देने में कामयाब रहती है, तो भाजपा इस बार भी, एक अंक की सीमा को लांघने के सिवा और किसी बड़ी कामयाबी के लिए तरसती ही रह जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक पत्रिका 'लोकलहर' के संपादक हैं। संपर्क : 94250-06716) -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
प्रकाशनार्थ
कैप्टन अब्बास अली, स्वतंत्रता संग्राम के नायक, समाजवादी नेता और आज़ाद हिंद फौज के सिपाही थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी बहादुरी की मिसाल कायम की। उनकी आत्मकथा "न रहूँ किसी का दस्तनिगर" उनके अदम्य साहस और समाजवादी विचारधारा को दर्शाती है। उनकी 105वीं जयंती पर उन्हें शिद्दत से याद किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में सोशलिस्ट पार्टी के एक प्रमुख नेता रहे और 3 जनवरी 1920 को कलंदर गढ़ी, खुर्जा, जिला बुलंदशहर में जन्मे कप्तान अब्बास अली की प्रारम्भिक शिक्षा खुर्जा और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई थी। 1857 में उनके ख़ानदान के एक बुज़ुर्ग आज़म अली खां को अंग्रेज़ों द्वारा बग़ावत के इल्ज़ाम में फाँसी दी गयी थी, इसलिए कैप्टन साहब बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित रहे। 2009 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा "न रहूं किसी का दस्तनिगर -- मेरा सफ़रनामा" में वह लिखते हैं:
"बचपन से ही मेरा क्रांतिकारी विचारधारा के साथ संबंध रहा। 1931 में जब मैं पांचवीं जमात का छात्र था, 23 मार्च 1931 को अँगरेज़ हुकूमत ने शहीदे आज़म भगत सिंह को लाहौर में सज़ा-ए-मौत दे दी। सरदार की फांसी के तीसरे दिन इसके विरोध में मेरे शहर ख़ुरजा में एक जुलूस निकाला गया, जिसमें मैं भी शामिल हुआ। हम लोग बा-आवाज़े बुलंद गा रहे थे :
भगत सिंह तुम्हें फिर से आना पड़ेगा/ हुकूमत को जलवा दिखाना पड़ेगा/ ऐ दरिया-ए-गंगा तू खामोश हो जा/ ऐ दरिया-ए-सतलज तू स्याहपोश हो जा/ भगत सिंह तुम्हें फिर भी आना पड़ेगा/ हुकूमत को जलवा दिखाना पड़ेगा।
इस घटना के बाद मैं नौजवान भारत सभा के साथ जुड़ गया और 1936-37 में हाई स्कूल का इम्तिहान पास करने के बाद जब मैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिल हुआ, तो वहां मेरा सम्पर्क उस वक़्त के मशहूर कम्युनिस्ट लीडर कुंवर मुहम्मद अशरफ़ से हुआ, जो उस वक़्त ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के सदस्य होने के साथ-साथ कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के भी मेम्बर थे, लेकिन डॉक्टर अशरफ़, गाँधी जी की विचारधारा से सहमत नहीं थे और अक्सर कहते थे कि "ये मुल्क गाँधी के रास्ते से आज़ाद नहीं हो सकता।" उनका मानना था कि जब तक फ़ौज बग़ावत नहीं करेगी, मुल्क आज़ाद नहीं हो सकता।
डॉक्टर अशरफ़ अलीगढ़ में 'स्टडी सर्कल' चलाते थे और आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के भी सरपरस्त थे। उन्हीं के कहने पर मैं स्टूडेंट फेडरेशन का मेंबर बना और वामपंथी विचारधारा से जुड़ा। उसी समय हमारे ज़िले बुलंदशहर में सूबाई असेम्बली का एक उपचुनाव हुआ। उस चुनाव के दौरान मैं डॉक्टर अशरफ़ के साथ रहा और कई जगह चुनाव सभाओं को सम्बोधित किया। उसी मौक़े पर कांग्रेस के आल इंडिया सद्र जवाहरलाल नेहरु भी ख़ुरजा तशरीफ़ लाए और उन्हें पहली बार नज़दीक से देखने और सुनने का मौक़ा मिला। इसके एक साल पहले ही यानी 1936 में लखनऊ में 'स्टूडेंट फेडरेशन' क़ायम हुआ था और पंडित नेहरु ने इसका उदघाटन किया था, जबकि मुस्लिम लीग के नेता क़ायदे-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना ने स्टूडेंट फेडरेशन के स्थापना सम्मेलन की सदारत की थी। 1940 में स्टूडेंट फेडरेशन में पहली बार विभाजन हुआ और नागपुर में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद गांधीवादी समाजवादियों ने 'आल इंडिया स्टूडेंट कांग्रेस' के नाम से एक अलग संगठन बना लिया, जो बाद में कई धड़ों में विभाजित हुआ।"
अपने गुरु डॉक्टर अशरफ़ की सलाह और तरबियत पर कैप्टन साहब 1939 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट करने के बाद दूसरे द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) के रूप में 1939 में ब्रिटिश सेना (आरआईएएससी) में शामिल हो गए। उनके गुरु प्रो. के.एम. अशरफ़ का मानना था कि गांधीवादी अहिंसा के माध्यम से इस देश को अंग्रेज़ी हुकूमत से मुक्त नहीं कराया जा सकता। इसके लिए उनका सुझाव था कि बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती हो जाना चाहिए तथा अंदर से विद्रोह कर देना चाहिए।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कैप्टन अब्बास अली रॉयल इंडियन आर्मी सप्लाई कॉर्प्स (आरआईएएससी) से जुड़े और ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (बैंगलोर), आरआईएएससी डिपो, फिरोजपुर (पंजाब), वजीरिस्तान एनडब्ल्यूएफपी, नौशेरा एनडब्ल्यूएफपी (अब पाकिस्तान), खानपुर कैंप (दिल्ली), बरेली कैंट (संयुक्त प्रांत), भिवंडी आर्मी ट्रेनिंग कैंप (महाराष्ट्र), सिंगापुर, इपोह, पेनांग, कुआलालंपुर (मलाया अब मलेशिया) और अराकान, रंगून (अब यांगून-बर्मा-म्यांमार) में तैनात रहे।
1943 में जब जापानी सेना ने दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटिश सेना पर हमला किया, तो ब्रिटिश सेना का हिस्सा होने के नाते, कैप्टन अब्बास अली ने जापानी सेना के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन जब जापानियों द्वारा दो प्रमुख ब्रिटिश युद्ध जहाजों "प्रिंस ऑफ़ वेल्स" और "रिप्पल्स" को नेस्त-नाबूद कर दिया गया, तो एक लाख से ज़्यादा बर्तानवी फ़ौज ने जनरल पर्सिवल के नेतृत्व में जापानी फ़ौज के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
कैप्टिन अब्बास अली भी बर्तानवी फ़ौज के साथ जापानियों द्वारा युद्ध बंदी बना लिए गए। इस कैद के दौरान ही वे जनरल मोहन सिंह द्वारा स्थापित आज़ाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) में शामिल हो गए। 1945 में, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर पहुंचे और उन्होंने आज़ाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया, तो कैप्टन अब्बास अली ने उनके मिशन "दिल्ली चलो" में सक्रिय रूप से भाग लिया।
जब नेताजी ने रंगून में अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह ज़फर की क़ब्र पर अपनी आज़ाद हिंद फ़ौज को संबोधित किया और 'आर्डर ऑफ़ द डे' दिया, तो कैप्टिन अब्बास अली वहां मौजूद थे। बाद में उन्होंने अराकान में अपनी भारतीय सेना के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन जब जापानियों ने 'अलाइज़' यानि मित्र देशों की सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तो कैप्टिन साहब भी अपनी आज़ाद हिन्द फ़ौज(आईएनए) के 43 हज़ार सेनानियों के साथ क़ैद कर लिए गए।
आईएनए के तीन नायकों यानि कर्नल ढिल्लों, सहगल और शाहनवाज को लाल किले में रखा गया और वहां उन पर मुक़दमा चलाया गया, जबकि कैप्टिन अब्बास अली को उनके तीन सहयोगियों के साथ मुल्तान के किले में रखा गया। उन पर मुक़दमा चलाया गया, अपनी फ़ौज से बग़ावत करने के इलज़ाम में कोर्ट मार्शल किया गया और 1946 में उन्हें मौत की सजा सुना दी गई। चूंकि 3 सितंबर 1946 को पंडित जवाहर लाल नेहरू अंतरिम प्रधान मंत्री बन गए थे और भारत को आज़ादी मिलने का ऐलान हो गया था, इसलिए उन्हें भारत सरकार द्वारा रिहा कर दिया गया।
अपनी रिहाई के बाद, कैप्टन अब्बास अली खुश नहीं थे। हालांकि उनकी ज़िंदगी का मिशन उनके जीवनकाल में पूरा हो गया था और 1947 में देश को अंग्रेजों से आज़ादी मिल गई थी, लेकिन वे बहुत दुखी थे, क्योंकि आज़ाद भारत की नई सरकार ने उनके साथ अच्छा सुलूक नहीं किया था।
कैप्टन अब्बास अली आज़ादी मिलने के बाद आज़ाद भारत की सेना में शामिल होने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल करिअप्पा, जो खुद अपने ब्रिटिश आकाओं के प्रति वफादार रहे थे, ने घोषणा की कि वे ब्रिटिश भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों को, जो आज़ाद हिन्द फ़ौज के सिपाही थे और अपने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाकर लड़े, उन्हें भारत की नई सेना में नहीं ले सकते, क्योंकि वे 'अनुशासित सैनिक' नहीं रहे थे और फ़ौज से बग़ावत कर चुके थे। अफ़सोसनाक बात तो यह है कि उनके इस आदेश को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी मंजूरी दे दी।
आईएनए के तबाह हुए सैनिकों को कोई मुआवज़ा भी नहीं दिया गया और सत्तर के दशक के आखिर तक केंद्र सरकार द्वारा उन्हें स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता भी नहीं दी गई। यही कारण था कि सच्चे राष्ट्रवादी कैप्टन अब्बास अली ने केंद्र सरकार से कभी भी कोई सम्मान, कोई भत्ता या पुरस्कार नहीं लिया। उन्होंने कभी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को मिलने वाली पेंशन के लिए आवेदन भी नहीं किया, क्योंकि उनका मानना था कि स्वतंत्र भारत की सरकार का यह कर्तव्य था कि वह उन स्वतंत्रता सेनानियों की सेवाओं को मान्यता दे और उन्हें उचित पुरस्कार दे, जो अपने देश की आज़ादी के लिए लड़े, लेकिन इसके विपरीत उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया।
विभाजन और पाकिस्तान बनने के बाद कैप्टन साहब के परिवार के ज़्यादातर सदस्य पाकिस्तान चले गए, लेकिन उन्होंने और उनके पिता ने यहीं रहने और अपनी मातृभूमि की सेवा करने का फ़ैसला किया, क्यूंकि उनका मानना कि हिंदुस्तानी होने के अलावा उनकी कोई दूसरी नागरिकता नहीं हो सकती। वह यहीं पैदा हुए और यहीं मरेंगे।
1948 में कैप्टन अब्बास अली आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया के नेतृत्व वाली सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए और 1977 में जनता पार्टी में विलय होने तक उसकी सभी समाजवादी धाराओं अर्थात् सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े रहे। वे 1956 में सोशलिस्ट पार्टी बुलंदशहर के जिला सचिव, 1960-66 तक सोशलिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य और 1966-67 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) की उत्तर प्रदेश इकाई के महासचिव बनाये गए।1973-74 में जब प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का विलय कर दोबारा सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया गया, तो वह राज्य इकाई के महासचिव चुने गए और 1974-77 के दौरान सोशलिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और इसके संसदीय बोर्ड के सदस्य रहे।
कैप्टन अब्बास अली 1966-1967 में, जब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के राज्य सचिव थे, तो उन्होंने उत्तर प्रदेश में पहली ग़ैर-कांग्रेसी संयुक्त विधायक दल (एसवीडी) सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका नेतृत्व दिवंगत चौधरी चरण सिंह ने किया और जो 1979 में भारत के प्रधानमंत्री बने। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि 1966 के विधान सभा चुनावों के दौरान उन्होंने 26 वर्षीय युवा मुलायम सिंह यादव को अपनी क़लम से जसवंतनगर विधान सभा से संसोपा का उम्मीदवार बनाया और वह पहली बार विधायक बने। बाद में वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
वे स्वयं 1960 में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर विधान परिषद् का चुनाव लड़े और मात्र चौथाई वोट से चुनाव हार गए। 1967 में जब उन्होंने उत्तर प्रदेश में पहली ग़ैर-कांग्रेसी संयुक्त विधायक दल (एसवीडी) सरकार का निर्माण किया, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी उस समय राज्य सभा की सदस्य थीं और उसी आम चुनाव में रायबरेली से लोक सभा के लिए चुनी गई थीं। उनकी ख़ाली हुई राज्य सभा की सीट पर हुए उपचुनाव के लिए संयुक्त विधायक दल द्वारा कैप्टन साहब को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन सत्ता पक्ष के प्रत्याशी होने के बावजूद वह भीतरघात के कारण मात्र 12 वोटों से राज्य सभा का चुनाव हार गए।
कैप्टन अब्बास अली ने समाजवादी आंदोलन (1948-74) के दौरान विभिन्न सिविल नाफ़रमानी आंदोलनों में 50 से अधिक बार भाग लिया और उन्हें गिरफ्तार किया गया। (1975-77) के कुख्यात आपातकाल के दौरान उन्हें बुलंदशहर, बरेली, आगरा और नैनी (इलाहाबाद) की विभिन्न जेलों में डीआईआर और मीसा के तहत 19 महीने तक कैद रखा गया।1977 में जब आपातकाल हटा लिया गया और जनता पार्टी सत्ता में आई, तो वे जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के पहले अध्यक्ष बनाये गए। 1978 में वे छह साल के लिए यूपी विधान परिषद के लिए चुने गए।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा सदस्य रामजीलाल सुमन का कहना है कि "जब 1978 में जनता पार्टी के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव को अविश्वास मत के ज़रिये हटाया गया, तो तत्कालीन प्रतिरक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम ने जनता संसदीय बोर्ड में कैप्टन अब्बास अली को मुख्यमंत्री बनाये जाने की पैरवी की थी, लेकिन कैप्टन साहब ने विनम्रतापूर्वक इस प्रस्ताव को नामंज़ूर कर दिया।"
अपने निधन से कुछ दिन पूर्व कैप्टन साहब ने देशवासियों के नाम अपने आख़िरी संदेश में कहा :
प्यारे दोस्तों!
बचपन से ही अपने इस अज़ीम मुल्क को आज़ाद और खुशहाल देखने की तमन्ना थी, जिसमें ज़ात-बिरादरी, मज़हब और ज़बान या रंग के नाम पर किसी तरह का शोषण न हो, जहाँ हर हिन्दुस्तानी सर ऊंचा करके चल सके, जहाँ अमीर-गरीब के नाम पर कोई भेदभाव न हो। हमारा पांच हज़ार साला इतिहास ज़ात और मज़हब के नाम पर शोषण का इतिहास रहा है। अपनी जिंदगी में अपनी आँखों के सामने अपने इस अज़ीम मुल्क को आज़ाद होते हुए देखने की ख्वाहिश तो पूरी हो गई, लेकिन अब भी समाज में ग़ैरबराबरी, भ्रष्टाचार, ज़ुल्म, ज़्यादती और फ़िरक़ापरस्ती का जो नासूर फैला हुआ है, उसे देख कर बेहद तकलीफ़ होती है। दोस्तो, उम्र के इस पड़ाव पर हम तो चिराग-सहरी (सुबह का दिया) हैं, न जाने कब बुझ जाएँ! लेकिन आप से और आने वाली नस्लों से यही गुज़ारिश और उम्मीद है कि सच्चाई और ईमानदारी का जो रास्ता हमने अपने बुज़ुर्गों से सीखा, उसकी मशाल अब तुम्हारे हाथों में है, इस मशाल को कभी बुझने मत देना। इन्क़िलाब ज़िंदाबाद! (कैप्टन अब्बास अली की आत्मकथा)।
कैप्टन साहब छह साल तक यूपी सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य रहे। 2009 में उनकी आत्मकथा "न रहूं किसी का दस्तनिगर" राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी। 94 वर्ष की उम्र तक वह अलीगढ़, बुलंदशहर और दिल्ली में होने वाले जन-आन्दोलनोँ में शिरकत करते रहे और अपनी पुरजोर आवाज़ से युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने का काम किया। 11 अक्टूबर 2014 को अलीगढ़ में संक्षिप्त बीमारी के बाद 94 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। कैप्टन अब्बास अली ने इमरजेंसी के दौरान वर्ष 1976 में हल्दीघाटी युद्ध की 400 वीं वर्षगांठ और आज़ाद हिंद फ़ौज की 30 वीं वर्षगांठ पर लंबे लेख लिखे।पी
(क़ुरबान अली, पिछले 44 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे हैं। वे साप्ताहिक 'रविवार' 'सन्डे ऑब्ज़र्वर' बीबीसी, दूरदर्शन न्यूज़, राज्य सभा टीवी से संबद्ध रह चुके हैं और इन दिनों समाजवादी आंदोलन का इतिहास (1934-1977) लिखने में व्यस्त हैं।) -
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राम मंदिर निर्माण की संघर्ष गाथा का जीवंत मंचनलेजर शो के माध्यम से दिखाई गई भारत की एक दशक की प्रगति की झांकीसुमधुर लोकगीतों ने मोह लिया दर्शकों का मनरायपुर : राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में चल रहे छत्तीसगढ़ राज्य युवा महोत्सव के प्रथम दिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की संघर्ष गाथा पर आधारित नाटक ‘मैं अयोध्या हूं’ का मंचन किया गया। इस जीवंत प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। इसके साथ ही आकर्षक लेजर शो के माध्यम से पिछले एक दशक में भारत की विकास यात्रा की झांकी प्रस्तुत की गई।
छत्तीसगढ़ राज्य युवा महोत्सव 2024-25 के प्रथम दिन आयोजित संगीतमय नाट्य प्रस्तुति ‘मैं अयोध्या हूं’ ने दर्शकों को अयोध्या नगरी की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महिमा से अवगत कराया। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण और रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा तक की गौरवशाली गाथा को इस कार्यक्रम में जीवंत किया गया। मुंबई से आए प्रसिद्ध कलाकार प्रदीप गुप्ता और उनकी टीम ने नाट्य मंचन प्रस्तुत किया। इस भव्य प्रस्तुति में इसे सतयुग से लेकर कलयुग तक की यात्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह सहित उपस्थित अतिथियों ने कार्यक्रम का आनंद लिया। संगीतमय संवाद, मनमोहक नृत्य और उत्कृष्ट अभिनय ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया।
युवाओं ने बिखेरी सांस्कृतिक छटाछत्तीसगढ़ राज्य युवा महोत्सव में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा भी युवाओं ने बिखेरी। सुप्रसिद्ध लोकगायिका सुश्री आरु साहू ने सुमधुर छत्तीसगढ़ी लोक गीतों की प्रस्तुति दी। इसके अलावा कार्यक्रम में गौरा-गौरी, राउत नाचा, पंथी गीत नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति दी गई। युवा कलाकारों ने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध संत बाबा गुरू घासी दास जी के संदेशों पर आधारित पंथी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। दर्शकों ने सुश्री आरू साहू के द्वारा प्रस्तुत ददरिया को सराहा। युवा महोत्सव में युवाओं के लिए कहानी लेखन, चित्रकला, तात्कालिक भाषण, कविता पाठ के आयोजन के साथ ही विज्ञान मेला का भी आयोजन किया गया। युवा महोत्सव में छत्तीसगढ़ सरकार की उपलब्धियों पर आधारित विकास प्रदर्शनी के साथ ही युवाओं के लिए क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा हस्तशिल्प, टैक्सटाइल और कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
आकर्षक लेजर शोभारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक दशक में किए गए विकास कार्यों और लोक कल्याणकारी योजनाओं तथा कार्यक्रमों एवं छत्तीसगढ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव के सुशासन के एक वर्ष में जनकल्याणकारी योजनाओं और उपलब्धियों को लेज़र शो के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
दूसरे दिन के आकर्षणतीन दिन तक चलने वाले छत्तीसगढ़ युवा महोत्सव में कल दूसरे दिन 13 जनवरी को ‘सुपर 30 फेम’ श्री आनंद कुमार के साथ युवाओं का संवाद होगा। साथ ही ‘ऐसा जादू है मेरे बस्तर में’ फेम दायरा बैंड की प्रस्तुति होगी। -
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मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से अडानी समूह के चेयरमैन ने की मुलाकातशिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और पर्यटन आदि को बढ़ावा देने के लिए अगले चार वर्षों में होगा 10 हजार करोड़ का व्ययअडानी समूह ऊर्जा और सीमेंट क्षेत्र की विस्तार परियोजनाओं में 65 हजार करोड़ का करेगा निवेशरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से आज यहां उनके निवास में अडानी समूह के चेयरमैन श्री गौतम अडानी ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान श्री अडानी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की दूरदर्शी व पारदर्शी नीतियों ने उद्योगपतियों का भरोसा जीता है, जिसके फलस्वरूप रायपुर, कोरबा और रायगढ़ में पावर प्लांट्स के विस्तार के लिए अडानी समूह की 60 हजार करोड़ रुपए के निवेश की योजना है। इस परियोजना से छत्तीसगढ़ की विद्युत उत्पादन क्षमता में अतिरिक्त 6,120 मेगावाट की वृद्धि होगी। ऊर्जा के क्षेत्र में इस बड़े विस्तार से राज्य न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य राज्यों को ऊर्जा आपूर्ति में भी मदद करेगा। चर्चा के दौरान सीमेंट उद्योग में भी निवेश को बढ़ावा देने को लेकर बात हुई। अडानी समूह ने राज्य में सीमेंट प्लांट्स के विस्तार के लिए 5 हजार करोड़ रुपए के निवेश पर सहमति व्यक्त की। इससे छत्तीसगढ़ में सीमेंट उद्योग को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
नई योजनाओं पर हुई चर्चामुख्यमंत्री और श्री अडानी की मुलाकात के दौरान छत्तीसगढ़ में रक्षा उपकरण निर्माण, डेटा सेंटर और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर स्थापित करने की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श हुआ। सरकार की पहल राज्य को उभरते उद्योगों का प्रमुख केंद्र बनाना है। वर्तमान समय की जरूरतों को देखते हुए नवाचारी गतिविधियों को बढ़ावा देने के संबंध में भी विचार साझा किए गए।
छत्तीसगढ़ के विकास के लिए अडानी समूह 10 हजार करोड़ रुपए का व्यय करेगाश्री अडानी ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री साय के सुझाव पर अडानी समूह द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में अगले चार वर्षों में लगभग 10 हजार करोड़ का व्यय सीएसआर एवं अन्य स्त्रोतों से किया जाएगा। यह पहल राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
तकनीकी शिक्षा पर विशेष जोरअडानी समूह युवाओं में रोजगार आधारित कौशल विकास के लिए काम करेगा। इससे तकनीकी कौशल आधारित मानव संसाधन की पर्याप्त उपलब्धता होगी। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में भविष्य की जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम को डिजाइन किया जाएगा ताकि स्थानीय युवाओं को पर्याप्त अवसर मिले। साथ ही अडानी समूह छत्तीसगढ़ में शिक्षा और कौशल विकास को नई दिशा देने के लिए स्किलिंग एक्सीलेंस स्कूल और नवा रायपुर में प्रीमियम स्कूल की स्थापना करेगी। यह पहल राज्य में युवाओं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अत्याधुनिक कौशल प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध होगा।
स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने पर होगा कामइसके साथ अडानी समूह स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार देने पर भी काम करेगा जिससे छत्तीसगढ़ के नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके । एम्स रायपुर और मेकाहारा अस्पताल के पास मरीजों के परिजनों के लिए 1000 बेड डॉर्मिटरी की सुविधा भी शुरू की जाएगी।
पर्यटन और ग्रामीण विकास परियोजनाओं को मिलेगी गतिअडानी समूह छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने नई परियोजनाओं पर काम करेगा। इससे प्राकृतिक सौंदर्य और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व स्तर पर पहचान मिल सकेगी। इसी तरह ग्रामीण विकास के अंतर्गत सुविधाओं को विस्तार देने पर भी काम किया जाएगा। -
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राष्ट्रीय युवा दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए उप मुख्यमंत्रीरायपुर : उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव आज नारायणपुर में रामकृष्ण मिशन आश्रम में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव सहयोग कर रही है। युवाओं की अच्छी शिक्षा के लिए नारायणपुर जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन आश्रम संचालित किए जा रहे हैं, जहां शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और समाज के उत्थान के कार्य हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी कुशाग्र बुद्धि से भारतीय दर्शन और संस्कृति को देश-विदेश में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 9 सितम्बर 1893 में शिकागो की धर्मसभा में जो संबोधन दिया, वह अविस्मरणीय है। वन मंत्री श्री केदार कश्यप और रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी व्याप्तानंद जी महाराज भी कार्यक्रम में शामिल हुए।उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने कार्यक्रम में कहा कि रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा क्षेत्र में संचालित की जा रहीं विभिन्न गतिविधियां और सामाजिक उत्थान के कार्य अनुकरणीय है। बच्चों को शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर बनाने कलात्मक दृष्टि से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बच्चों और युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि असफलता से कभी निराश होने की जरूरत नहीं है। युवाओं को सकारात्मक ऊर्जा, साहस और आत्मविश्वास के साथ भयमुक्त होकर आगे बढ़ना चाहिए।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि युवा स्वामी विवेकानंद जी के जीवन का अनुसरण कर अपने जीवन को सफल बनाएं। मनुष्य के दिल में देश और मातृभूमि के प्रति हमेशा सम्मान की भावना होनी चाहिए। परिश्रम ही अच्छा जीवन प्राप्त करने का साधन है। उन्होंने भगवान बिरसा मुण्डा और स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए उनके बताए मार्गों पर चलकर समाज को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी व्याप्तानंद जी महाराज ने कार्यक्रम में कहा कि आज पूरा देश युवाओं के साथ खड़ा है। नारायणपुर में रामकृष्ण मिशन 1984 से काम कर रहा है। अबूझमाड़ के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए इस आश्रम की स्थापना हुई है। यहां के बच्चे आश्रम में पढ़ाई कर सफल होकर समाज में अमूल्य योगदान दे रहे हैं। कलेक्टर सुश्री प्रतिष्ठा ममगाई, पुलिस अधीक्षक श्री प्रभात कुमार, जिला पंचायत के सीईओ श्री वासु जैन और स्वामी अनुभवानंद सहित जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
अधिकारी एनडीपीएस एक्ट के तहत जारी एसओपी का पालन सख्ती से करें-उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा
नशे के अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर संपत्ति को तत्काल कुर्क करें- उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा
पुलिस विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए नवीन स्थानांतरण नीति होगी लागू
शहीद जवानों के परिवारों को प्राथमिकता देते हुए अनुकंपा नियुक्ति के लंबित प्रकरणों का होगा तत्काल निराकरण
रायपुर : उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की अध्यक्षता में महानदी भवन, मंत्रालय में गृह विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री मनोज पिंगुवा, पुलिस महानिदेशक श्री अशोक जुनेजा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। दिनभर चली इस मैराथन बैठक में उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने पुलिस विभाग के विभिन्न शाखाओं के कार्यों पर गहन चर्चा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।बैठक में उपमुख्यमंत्री ने एनडीपीएस एक्ट के तहत जारी एसओपी के पालन को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नशे के अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और दोषी पाए जाने पर उनकी संपत्ति को तत्काल कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई पुलिस अधिकारी या कर्मचारी इस अवैध कारोबार में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ तुरंत बर्खास्तगी सहित कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने पुलिस विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए नवीन स्थानांतरण नीति को तत्काल लागू करने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए, जिससे विभागीय कार्यक्षमता में सुधार हो सके। बैठक में उपमुख्यमंत्री ने शहीद जवानों के परिवारों को प्राथमिकता देते हुए अनुकंपा नियुक्ति के लंबित प्रकरणों को तत्काल निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि शहीद हुए जवानों के "अमर बलिदानी स्मारक" का निर्माण उनकी परिवार की सहमति से प्राथमिकता के आधार पर किया जाए, ताकि उनकी शहादत का सम्मान हर स्तर पर सुनिश्चित हो।चिटफंड कंपनियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाइयों की समीक्षा करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कंपनियों की शेष संपत्तियों की जल्द नीलामी की जाए और उससे प्राप्त राशि को प्रभावित निवेशकों के बीच शीघ्रता से वितरित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि चिटफंड घोटालों से प्रभावित प्रत्येक हितग्राही को न्याय सुनिश्चित किया जाए। तकनीकी और संरचनात्मक सुधारों पर भी विशेष ध्यान दिया गया। बैठक में 17 जिलों में डायल 112 सेवा के विस्तार, राज्य स्तरीय साइबर थाने की कार्यप्रणाली और साइबर अपराधों पर नियंत्रण को लेकर हुई प्रगति की समीक्षा की गई। मादक पदार्थों की तस्करी पर रोकथाम के लिए एनडीपीएस एक्ट के तहत किए गए अभियानों का आकलन किया गया। साथ ही पुलिस थानों के परिसीमन और नए थानों की स्थापना के प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई।
बैठक में उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने यातायात प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ब्लैक स्पॉट्स के चिन्हांकन और उनके समाधान की कार्ययोजना पर चर्चा हुई। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने और नई तकनीकों के उपयोग पर बल दिया गया। उपमुख्यमंत्री ने स्कूलों में यातायात जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने पुलिस कर्मचारियों के कल्याण पर जोर देते हुए पुलिस पब्लिक स्कूलों की स्थापना, पुलिस आवास योजना और केपीकेबी कैंटीन की स्थिति की समीक्षा की।उपमुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग के कार्यों को डिजिटाइजेशन के माध्यम से और अधिक पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रक्रियाओं और डाटा मैनेजमेंट को आधुनिक तकनीकों से जोड़ा जाए। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाई जा रही नई तकनीकों का अध्ययन करें और राज्य में लागू करने की योजना तैयार करें। बैठक के अंत में उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि पुलिस विभाग का प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी पूरी प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ कार्य करें। उन्होंने सभी लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण सुनिश्चित करने और विभागीय योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए विश्वास जताया कि विभाग की सक्रियता से प्रदेश में कानून व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार होगा। -
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रायपुर : केन्द्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज दुर्ग जिले के नगपुरा स्थित प्रसिद्ध जैन मंदिर में 23वें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री द्वय श्री अरुण साव और श्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, विधायकगण एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
छत्तीसगढ़ में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बढ़ावारायपुर : केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के साथ आज दुर्ग जिले के नगपुरा स्थित रेस्ट हाऊस में वृक्षारोपण कर छत्तीसगढ़ राज्य में एक पेड़ मां के नाम अभियान को बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण को शुद्ध और हरा-भरा बनाना है। अभियान के तहत देशभर में मार्च 2025 तक 140 करोड़ पौधों का रोपण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ राज्य में 4 जुलाई 2024 को एक पेड़ मां के नाम महावृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अपनी माता के सम्मान में पौधा लगाने और वृक्षारोपण स्थलों का नाम स्थानीय देवी-देवताओं के नाम पर रखने का आह्वान किया है। यह पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने की अभिनव पहल है। छत्तीसगढ़ राज्य में इस अभियान के तहत 4 करोड़ पौधों का रोपण किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि “पेड़-पौधे हमें ऑक्सीजन, छांव, और फल देते हैं। धरा को हरा-भरा बनाए रखने और जीवन बचाने के लिए वृक्षारोपण बेहद जरूरी है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पेड़ लगाएं, उनकी सुरक्षा करें और पर्यावरण को संरक्षित करें। राज्य में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत स्कूलों, छात्रावासों, आंगनवाड़ी केंद्रों, पुलिस चौकियों, अस्पतालों, सरकारी और निजी संस्थानों की खाली जमीनों में पौधरोपण किया जा रहा है।