निफ्टेम कुंडली ने जशपुर में आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए डीएसटी द्वारा प्रायोजित परियोजना शुरू की
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
जशपुरनगर : सतत विकास और जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम), कुंडली, सोनीपत, हरियाणा को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक प्रतिष्ठित परियोजना प्रदान की गई है। सतत आजीविका और उद्यमिता विकास के लिए छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति समुदायों की स्वदेशी प्रथाओं का तकनीकी संवर्धनश नामक यह पहल जशपुर जिले में संचालित होगी।
इस परियोजना का उद्देश्य पारंपरिक प्रथाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण और संवर्धन करना है, जैसे जावाफूल और जीराफूल चावल की स्वदेशी छिलका उतारने की विधियाँ, महुआ के फूलों का कटाई-पश्चात प्रसंस्करण और महुआ, कुट्टू और रागी से मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करना। आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करके, इस परियोजना का उद्देश्य उत्पादन क्षमता, पोषक तत्वों की अवधारण, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार लाना और ऊर्जा खपत एवं प्रसंस्करण हानियों को कम करना है।
निफ्टेम के प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रसन्ना कुमार जी.वी. ने क्षेत्रीय गतिविधियां आरंभ करने के लिए 6-7 सितंबर 2025 को जशपुर का दौरा किया। उन्होंने जिला मिशन प्रबंधक (एसआरएलएम) श्री विजया शरण प्रसाद और जय जंगल एफपीसी के निदेशक श्री समर्थ जैन के साथ मिलकर बैल (चालित रोटरी पावर ट्रांसमिशन सिस्टम) और इलेक्ट्रिक मोटर (चालित ढेकियों स्थानीय जीराफूल और जावाफूल चावल की किस्मों के लिए अनुकूलित पारंपरिक चावल छिलका उतारने वाले उपकरण) की स्थापना के लिए संभावित स्थलों की पहचान की। ये प्रणालियाँ अनाज की प्राकृतिक सुगंध, प्रोटीन, विटामिन और पोषक तत्वों को संरक्षित रखने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इसके अतिरिक्त, टीम ने महुआ उत्पादक क्षेत्रों में सौर सुरंग सुखाने की प्रणालियाँ स्थापित करने के लिए स्थानों का सर्वेक्षण किया, जिसका उद्देश्य कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना और उत्पाद की शेल्फ लाइफ में सुधार करना है।
परियोजना के व्यापक लक्ष्यों में शामिल -
बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों की व्यवहार्यता और मापनीयता का आकलन, सामुदायिक स्वामित्व और उच्च आय सृजन सुनिश्चित करने के लिए सहभागी मॉडल बनाना, प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना, जनजातीय उत्पादों के लिए ब्रांडिंग और विपणन चौनल विकसित करना, और मूल्य श्रृंखला में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना।
जशपुर के कलेक्टर श्री रोहित व्यास ने कहा यह पहल परंपरा और तकनीक का एक अनूठा संगम है। स्वदेशी ज्ञान का सम्मान करके और वैज्ञानिक उपकरणों से समुदायों को सशक्त बनाकर, हम एक सुदृढ़ और समृद्ध भविष्य की नींव रख रहे हैं। इस परियोजना से स्थानीय कृषि, अर्थव्यवस्था में बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे आदिवासी समुदायों को आय, कौशल विकास और बाज़ार तक पहुँच के नए अवसर मिलेंगे। साथ ही क्षेत्र की पारिस्थितिक और सांस्कृतिक अखंडता भी सुरक्षित रहेगी। निफ्टेम, कुंडली ने पिछले तीन वर्षों से ग्राम अंगीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जशपुर जिले के कुछ गांवों को शामिल किया है।
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