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नई दिल्ली : प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाए और आज से 15 दिनों के अंदर मजदूरों को उनके घर भेजा जाए. कोर्ट ने कहा कि ट्रेन की मांग के 24 घंटे के अंदर केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त ट्रेनें दी जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की जाए. उनका डेटा इकट्ठा किया जाए, जो गांव स्तर पर और ब्लाक स्तर पर हो. इसके साथ ही उनकी स्किल की मैपिंग की जाए, जिससे रोजगार देने में मदद हो. अगर मजदूर वापस काम पर लौटना चाहते हैं तो राज्य सरकारें मदद करें.
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पलायन के दौरान मजदूरों पर दर्ज किए गए लॉकडाउन उल्लंघन के मुकदमे वापस लिए जाएं. सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाए और जो मजदूर घर जाना चाहते हैं, उन्हें 15 दिन के अंदर घर भेजा जाए. अगर राज्य सरकारें अतिरिक्त ट्रेन की मांग करती हैं तो केंद्र 24 घंटे के अंदर मांग को पूरी करे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से मजदूरों को रोजगार देने के लिए स्कीम बनाने का आदेश दिया है. इसके बारे में प्रदेशों को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को सभी स्कीम का लाभ दिया जाए और स्कीमों के बारे में मजदूरों को बताया भी जाए.
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले में 5 जून को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सभी प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए आपको 15 दिन का समय देंगे. सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे. -
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत बिगड़ गई है. सीएम केजरीवाल को कल से हल्का बुखार और गले में खराश की शिकायत है. अब उनका कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा. कल दोपहर से सारी मीटिंग कैंसिल कर दी गई और सीएम केजरीवाल ने किसी से मुलाकात नहीं की. उन्होंने अपने आपको आइसोलेट कर लिया है. इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुखार है और उन्हें खराश की दिक्कत है. कल से ही वह अपने आवास पर आइसोलेट हैं. कल उनका कोरोना टेस्ट होगा. वह डायबिटिक भी हैं.
गौरतलब है कि कल ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अस्पतालों का बंटवारा कर दिया है. केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने फैसला किया है कि दिल्ली के अस्पताल, चाहे वो सरकारी हों या निजी उनमें अब सिर्फ दिल्लीवालों का ही इलाज होगा. दिल्ली में मौजूद सिर्फ केंद्र के अस्पतालों में दिल्ली से बाहरवालों का इलाज होगा.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद इसका ऐलान किया था. दिल्ली सरकार को डॉक्टर महेश वर्मा कमेटी ने ये सुझाव दिया था. इसके अलावा दिल्ली सरकार की मानें तो उन्होंने दिल्ली वालों से उनकी राय भी ली थी, और दिल्ली वालों की राय पर केजरीवाल सरकार ने मुहर लगा दी, कि दिल्ली सरकार के अस्पताल में सिर्फ दिल्ली वाले इलाज कराएंगे. -
एजेंसीनई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दिल्ली वालों का ही इलाज होगा. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की अरविंद केजरीवाल ने रविवार को ये अहम फैसला लिया है. काफी दिनों से इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि क्या स्थानीय अस्पतालों में दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा या बाहरी लोगों को भी यह सुविधा मिलेगी.
डॉ. महेश वर्मा कमेटी ने दिल्ली में चिकित्सा व्यवस्था को लेकर शनिवार को दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली का हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर केवल दिल्ली के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर बाहर वालों का भी इलाज होगा तो तीन दिन के अंदर सारे बेड भर जाएंगे.
दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को दिया ये निर्देशदिल्ली सरकार ने शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के मद्देनजर अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे कम से कम तीन महीने के लिए पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट और ऑक्सीजन मास्क जैसे चिकित्सकीय उपकरण खरीदकर रखें.
दिल्ली स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंगला ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा कि दिल्ली में पिछले एक सप्ताह में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आई है. जिसके कारण अस्पतालों में बिस्तरों, सर्जिकल उपकरणों और बुनियादी ढांचे से जुड़ी वस्तुओं की मांग बढ़ गई है.
आदेश में कहा गया है 'दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सभी कोविड-19 और गैर-कोविड 19 अस्पतालों के एमएस/एमडी/ निदेशक को सर्जिकल वस्तुओं, ऑक्सीजन मास्क एवं ऑक्सीजन उपचार पद्धति के लिए आवश्यक वस्तुओं, पीपीई किट, दस्ताने, मास्क आदि खरीदकर कम से कम तीन महीने के लिए उनका पर्याप्त भंडार रखने का निर्देश दिया जाता है.' -
नई दिल्ली : संघ परिवार में अहम आर्थिक सुधार के मसले पर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. आरएसएस के संगठन भारतीय मज़दूर संघ (BMS) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) के निजीकरण और विनिवेश के बड़े ऐलान के खिलाफ देश भर में 10 जून को विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है. भारतीय मज़दूर संघ के नेता नाराज़ हैं कि मोदी सरकार ने श्रमिक संगठनों से बातचीत किये बगैर ही सरकारी उपक्रमों के निजीकरण और विनिवेश का बड़ा ऐलान कर दिया. उन्होंने मोदी सरकार की इस नीति को मज़दूरों के हितों के खिलाफ बताते हुए देश व्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है. भारतीय मजदूर संघ के जोनल सेक्रेटरी ने एनडीटीवी से कहा, 'हम पूरे देश में 10 जून से विरोध प्रदर्शन और धरना शुरू करने जा रहे हैं. मोदी सरकार सुधार के नाम पर मजदूर विरोधी फैसले कर रही है. ये रिफॉर्म पैकेज देश के हित के खिलाफ है. सरकार सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को ही मारना चाहती है'.
मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय मज़दूर संघ के नेताओं ने तय किया है की वो देश में मोदी सरकार के खिलाफ 'सेव पब्लिक सेक्टर, सेव इंडिया' मुहिम शुरू करेंगे. मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को बेचने का देश भर में विरोध शुरू होगा. रेलवे और डिफेन्स आर्डिनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड के कोर्पोरटिजशन का फैसला गलत है. कोयला सेक्टर का व्यवसायीकरण मज़दूर के हित में नहीं है. बीएमएस का मानना है कि डिफेन्स जैसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर में एफडीआई गलत है.
भारतीय मज़दूर संघ के अलावा देश के 10 बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठन भी लामबंद हो गए हैं और सरकार को घेरने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. सीटू के महासचिव तपन सेन का कहना है कि मोदी सरकार ने मज़दूरों के खिलाफ देश में जंग छेड़ दी है. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि 2015 के बाद से प्रधानमंत्री ने श्रमिक संगठनों से बात भी नहीं की है. हमने तय किया है कि 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन जुलाई के पहले हफ्ते में देशव्यापी आंदोलन करेंगे. कुल मिलाकर अब ये तय है कि कोरोना संकट और लॉकडाऊन की वजह से गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने की जद्दोजहद में जुटी सरकार को अब एक और मोर्चे पर घिरती नज़र आ रही है.साभार : NDTV से -
मीडिया रिपोर्टकोरोना को ठीक करने को लेकर दुनिया भर में रिसर्च चल रहे हैं. कई देशों की कंपनियां दवा के बेहद करीब पहुंचने के दावे कर रही हैं. इन सबके बीच अब भारत में भी आयुर्वेद की दवाओं का कोरोना के पॉजिटिव मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है. राजस्थान के जयपुर में कोरोना के मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है. जयपुर के रामगंज में 12000 लोगों पर आयुर्वेद की एक इम्यूनिटी की दवा की टेस्टिंग भी शुरू की गई है. केंद्रीय आयुष मंत्रालय यह ट्रायल क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन टीम के साथ मिलकर करा रहा है. बताया जा रहा है कि आयुष मंत्रालय के अधीन काम करने वाले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने कोरोना को लेकर चार दवाएं बनाई हैं, जिनमें से एक का नाम है आयुष 64. इसे लेकर आयुष मंत्रालय उत्साहित है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर ने कोरोना के मरीजों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है. यह क्लिनिकल ट्रायल कोविड-19 के प्रथम स्टेज के मरीजों पर जयपुर के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा है. आयुर्वेद संस्थान के निदेशक संजीव शर्मा का कहना है कि यह दवा सामान्य तौर पर पहले मलेरिया के लिए दी जाती थी, लेकिन इसमें कुछ बदलाव के साथ कोरोना के मरीजों को दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन करने के लिए क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन का सहयोग लिया जा रहा है. आयुर्वेद संस्थान के निदेशक ने कहा कि तीन से चार महीने में इसके रिजल्ट सामने आ जाएंगे. शुरुआती नतीजे अच्छे दिख रहे हैं. इसके अलावा 12000 लोगों को लेकर आयुर्वेदिक दवा संशमनी बूटी के इम्यूनिटी बूस्टर का ट्रायल भी शुरू किया गया है. रामगंज जैसे कंटेनमेंट एरिया के लोगों को इस दवा की दो-दो गोलियां सुबह-शाम खिलाई जा रही हैं. 45 दिन बाद परिणाम का अध्ययन किया जाएगा.
बता दें कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की तरफ से कोरोना को लेकर अलग-अलग स्तर पर रिसर्च किए जा रहे हैं. इनमें इम्यूनिटी बूस्टर किट भी है और च्यवनप्राश भी. जयपुर के हाई रिस्क जोन में रहने वाले करीब 5000 लोगों पर इसका ट्रायल पिछले 1 महीने से ज्यादा समय से चल रहा है और अब तक के नतीजे अच्छे रहने का दावा किया जा रहा है. -
नई दिल्ली : पत्नी की गुजाराभत्ता याचिका पर अदालत ने एक अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि अगर पत्नी कमाने योग्य है तो वह पति से गुजाराभत्ता मांगने की हकदार नहीं है। रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए पांडे की अदालत ने अपने फैसले का विस्तृत से व्याख्या करते हुए कहा है कि यदि पत्नी/महिला उच्च शिक्षित है और शारीरिक तौर पर स्वस्थ है तो भी उसे कमाकर खाना चाहिए। जानबूझकर अपनी योग्यता को दबाना कानूनी व नैतिक दोनों तरीकों से गलत होता है।
अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए पति से गुजाराभत्ते की मांग कर रही महिला की याचिका को नामंजूर कर दिया। अदालत ने इस महिला को सलाह दी कि वह सिर्फ मुकदमे में मुश्किलें डालने के लिए नौकरी ना छोड़े। अदालत ने कहा कि उसके पूर्व के रिकार्ड बताते हैं कि वह पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रही थी। लेकिन पति से विवाद होने पर उसने नौकरी छोड़ दी और अब वह पति से 50 हजार रुपये महीने का गुजाराभत्ते की मांग कर रही है।
इस मामले में पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा है। दोनों तीन साल से अलग रह रहें हैं। इनकी पांच साल पहले शादी हुई थी। शादी के समय भी पत्नी नौकरी करती थी। दोनों को कोई संतान नहीं है। अदालत ने महिला की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अब उन्हें दूसरे मामलों के निपटारे पर ध्यान देना चाहिए। बेवजह इल्जाम लगाना या जबरदस्ती के मुकदमेबाजी से देानों का भविष्य प्रभावित होगा।इस मामले में महिला की कमाई के बाबत उसके पति ने आयकर रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया। इस आयकर रिकार्ड के मुताबिक महिला पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रही थी और आयकर का भुगतान भी करती थी। यहां तक की पति द्वारा पेश आयकर रिकॉर्ड से पता चला कि महिला की आय अपने पति की मासिक आय से अधिक थी। इसके बाद अदालत ने महिला से नौकरी के बाबत सत्य छिपाने पर सवाल किए तो महिला ने कहा कि पति से गुजाराभत्ता पाना उसका अधिकार है। इसलिए उसने यह याचिका लगाई है। -
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते देश पिछले काफी दिनों से लॉकडाउन में था और अब धीरे-धीरे इस लॉकडाउन से लोगों को छूट दी जा रही है। चार चरण के लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक-1 की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ल रही है पहले ये अपने घर जाने के लिए सड़क पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर थे और अब ये अपनी रोजी-रोटी के लिए परेशानियों का सामना कर रहे हैं। वहीं इस बीच प्रवासी मजदूरों के मसले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अपील की है कि वह प्रवासी मजदूरों के मसले की सुनवाई को लेकर भी दिशानिर्देश जारी करे।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन ने भी मजदूरों के पलायन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को बड़ा संकट बताते हुए कहा था कि प्रवासी मजदूरों के घर जाने से गरीबी, असमानता और भेदभाव में बढ़ोतरी होगी। जस्टिस रमन ने यह बयान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित एक वेबिनार में दिया था। उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन की वजह से पारिवारिक हिंसा, बाल उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं।
वहीं पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के. श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक प्रवासियों में जोखिम दर बहुत ही कम थी। वो शुरू से कहते आ रहे हैं कि प्रवासियों से कोई खतरा नहीं है। लॉकडाउन की शुरुआत में उन्हें वापस भेजे जाने में मदद की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि मूल रूप से वायरस लाने वाले लोग विदेशी यात्री हैं। रेड्डी के मुताबिक प्रवासी श्रमिक आमतौर पर निर्माण कार्य या फैक्ट्री जैसी जगहों पर काम करते हैं। जिस वजह से 25 मार्च तक उनके संक्रमित होने का खतरा बहुत ही कम था। अगर उसी वक्त उनको घर भेजा गया होता तो आज ये समस्या नहीं होती, लेकिन उन्हें आठ हफ्तों तक शहरी इलाकों के हॉटस्पॉट में रखा गया। जिस वजह से वो संक्रमित हुए। रेड्डी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भले ही प्रवासियों में संक्रमण कम हो, लेकिन उन्हें क्वारंटाइन करने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादातर लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे। -
मीडिया रिपोर्ट
नई दिल्ली : भारत और चीन की सेनाओं के बीच बीते करीब एक माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तनाव बना हुआ है। तनाव को कम करने के लिए दोनों तरफ से प्रयास हो रहे हैं। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच शनिवार को अहम बैठक होने जा रही है। हालांकि इससे पहले चीन के लड़ाकू विमानों अक्साई चिन इलाके में मंडराते देखे गए हैं। चीन की वायुसेना सीमा के करीब युद्धाभ्यास कर रही है। भारतीय वायुसेना भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
भारतीय वायुसेना भी अलर्ट पर है। उत्तराखंड और सिक्किम सीमा पर चीन की सेना की तरफ से बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती की गई है। जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी एलएसी पर अपने जवानों की तैनाती बढ़ा दी है। चीन ने सीमा पर हथियारों, टैंकों और आर्टिलरी गनों की भी तैनाती बढ़ायी है। वहीं भारत की तरफ से शॉर्ट नोटिस पर टी-72, टी-90 टैंक और बोफोर्स जैसी आर्टिलरी गन को लद्दाख सीमा पर तैनात किया जा सकता है। -
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण दिल्ली एनसीआर के कई इलाके में अलग-अलग तरह की पाबंदियां जारी हैं। जिसके चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को दिल्ली -एनसीआर में विभिन्न सीमाओं पर लगाई गई पाबंदियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर कहा कि, एक पास जारी हो जो हरियाणा, यूपी और दिल्ली में मान्य हो। राज्य एक हफ्ते के भीतर इसको लेकर नीति तैयार करें। इसके लिए तीनो राज्यों की बैठक कराई जाए।
दिल्ली एनसीआर में लोगों को आवाजाही में हो रही दिक्कत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। गुरुवार को इस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदातल ने कहा कि, एनसीआर क्षेत्र में आवाजाही के लिए एक कॉमन पोर्टल बनाया जाए। इसके लिए सभी स्टेक होल्डर मीटिंग करें और एनसीआर क्षेत्र के लिए कॉमन पास जारी करें, जिससे एक ही पास से पूरे एनसीआर में आवाजाही हो सके।
कोर्ट ने केंद्र से इसपर एक हफ्ते में समाधान निकालने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर इसका समाधान निकाले। हालांकि सुनवाई के दौरान हरियाणा ने कहा कि उसकी ओर से सभी प्रतिबंध हटा लिए गए हैं। वहीं सॉलिस्टर जनरल ने कोर्ट को आश्वसन देते हुए कहा है कि वो इसके लिए केंद्र सरकार से निर्देश लेंगे ताकि एक समान नीति हो और लोगों को परेशानी ना हो। इसे लेकर जल्द ही बैठक की जाएगी।
बता दें कि, 8 जून तक दिल्ली बॉर्डर सील कर दिया गया है। यूपी बॉर्डर पहले से ही सील है। सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि, दिल्ली बॉर्डर अब एक हफ्ते के लिए सील किए जा रहे हैं। उन्होंने इस कदम के पीछे तर्क दिया कि जिस तरह से कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं उसको देखते हुए यह फैसला लिया जा रहा है।
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मुंबई : चक्रवाती तूफान निसर्ग महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से टकरा गया है. निसर्ग तूफान मुंबई में अलीबाग के तट से टकराया है. मौसम विभाग के मुताबिक चक्रवाती तूफान करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से टकराया है. मुंबई के ज्यादातर इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश हो रही है. मुंबई और गुजरात के ज्यादातर इलाकों में रेड अलर्ट जारी है. महाराष्ट्र के रत्नागिरी इलाके में समंदर में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं. चक्रवात निसर्ग का असर से उठ रही लहरें इतनी ऊंची हैं कि समंदर किनारे बंधे जहाज हिल रहे हैं. बता दें कि तूफान के टकराने से पहले मौसम विभाग ने मुंबई में हाई टाइड के आने की आशंका जताई.
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नई दिल्ली : चक्रवाती तूफान निसर्ग आज दोपहर तक मुंबई और आसपास के तटीय इलाकों में दस्तक देगा। मौसम विभाग के ताजा अपडेट के मुताबिक, फिलहाल तटों के आसपास तेज हवाएं चल रही हैं।
सुबह साढ़े आठ बजे रत्नागिरी में 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। 55-65 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रही हवाएं कोंकण तट की ओर बढ़ रही हैं और ये इस दौरान तफ्तार बढ़ा रही हैं। आशंका है कि चक्रवात के दस्तक देने के वक्त 100 से 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। IMD के मुताबिक, मुंबई के बीएमसी वाले इलाके में ‘प्राकृतिक’ चक्रवात/बारिश के साथ तेज हवा चलने की आशंका है। इसी बीच, गोवा में भी बारिश के साथ तेज हवाएं चल रही हैं और कुछ तटीय इलाकों में पानी उफना रहा है।
मुंबई में IMD की वैज्ञानिक शुभांगी भुटे के मुताबिक, साइक्लोन निसर्ग बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान बन चुका है और यह मुंबई से 200 किलोमीटर दूर है। यह रायगढ़ जिले में अलीबाग की ओर बढ़ रहा है। दोपहर एक से तीन बजे के बीच ये यहां से गुजरेगा। -
नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीएम केयर्स फंड के संबंध में सूचनाएं सार्वजनिक करने और इसका कैग से ऑडिट कराने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. जस्टिस सुनील बी. शुक्रे और अनिल ए. किलोर की नागपुर पीठ ने वकील अरविंद वाघमरे की याचिका पर सुनवाई की और केंद्र को निर्देश दिया कि वे अपने जवाब में हलफनामा दायर करें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें. लाइव लॉ के मुताबिक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पीठ से कहा कि ये याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसी ही एक याचिका को अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाले दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हालांकि पीठ ने कहा कि इस याचिका में अलग मुद्दा उठाया गया है और ये सुप्रीम कोर्ट वाले मामले से अलग है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर अपना जवाब देने को कहा है. याचिका में कहा गया है कि 28 मार्च को पीएम केयर्स का गठन किया गया था और पहले हफ्ते में ही इसमें 6,500 करोड़ रुपये इकट्ठा हो गए थे. लेकिन अभी तक इससे संबंधित कोई भी आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है.
कोरोना महामारी से लड़ने के नाम पर आम जनता से आर्थिक मदद प्राप्त के लिए भारत सरकार ने पीएम केयर्स फंड नाम एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं और गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं. याचिका में आगे कहा गया कि पीएम केयर्स फंड की गाइडलाइन के अनुसार अध्यक्ष और तीन अन्य ट्रस्टी के अलावा अध्यक्ष को तीन और ट्रस्टी को नॉमिनेट करना होता है लेकिन 28 मार्च से अब तक में कोई नियुक्ति नहीं की गई है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ये निर्देश देने की मांग की है कि इस ट्रस्ट में विपक्षी दलों के कम से कम दो लोगों की नियुक्ति की जाए ताकि फंड की पारदर्शिता बनी रहे. इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि सरकार के अनुसार किसी स्वतंत्र ऑडिटर के बजाय पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग करे.
मालूम हो कि केंद्र सरकार पीएम केयर्स फंड को लेकर उच्च स्तर की गोपनीयता बरत रही है और इसे लेकर दायर किए गए सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदनों को इस आधार पर खारिज कर दिया जा रहा है कि पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.साभार : द वायर से (thewire) -
मीडिया रिपोर्ट
असम में एक दर्दनाक हादसा हुआ है। यहां के कई इलाकों में भूस्खलन के चलते 7 लोगों की मौत हो गई है। मृतक दक्षिणी असम के तीन अलग-अलग जिलों में तीन अलग-अलग परिवारों से हैं। जानकारी के मुताबिक लैंडस्लाइड की घटना करीमगंज, सिल्चर और हिलाकांडी में हुई है। मरने वालों में बच्चे भी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 50 से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हैं। फिलहाल बचाव दलों को घटनास्थल वाली जगहों पर भेज दिया गया है। आपको बता दें कि असम के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही है। इससे 21 जिलों के कुल 9 लाख लोग प्रभावित हैं। प्रदेश के कुछ हिस्सों में बाढ़ का हालात हैं। कई जगह संपर्क नहीं हो पा रहा क्योंकि रास्ते बंद हो गए हैं। बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं। -
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (1 जून) को सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक और यूट्यूब को एक हिंदी समाचार चैनल द्वारा डाले गए उस वीडियो को हटाने या उस तक पहुंच पर रोक लगाने का निर्देश दिया जिसमें आरोप लगाया है कि पतंजलि आयुर्वेद ने देश के हितों के विरूद्ध लाल चंदन की लकड़ियां बेचीं। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति वी के राव ने अपने अंतरिम आदेश से इस समाचार चैनल को संबंधित वीडियो समेत कोई भी ऐसी खबर या समाचार प्रसारित, प्रकाशित करने या अपनी वेबसाइट पर डालने से रोक दिया जो जो झूठ, गुमराह करने वाला या पतंजलि आयुर्वेद की बदनामी करने वाला या उसकी साख बिगाड़ने वाला हो।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पतजंलि की ओर से इस समाचार चैनल पर अंकुश लगाने के अनुरोध का प्रथम दृष्टया मामला बनता है और ऐसे में अगली सुनवाई की तारीख 17 सितंबर तक उस पर यह रोक रहेगी। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ इसके अलावा मैं यह निर्देश देना उपयुक्त समझता हूं कि फेसबुक और यूट्यूब यूआरएल को हटा लें या उसे देखने से रोके जिसमें मानहानिकारक वीडियो है।…..’’ न्यायालय का यह आदेश पतंजलि की उस याचिका पर आया है जिसमें दावा किया है कि इस मानहानिकारक वीडियो में गंभीर आरोप लगाये गये हैं कि उसने देशहित के विरूद्ध लाल चंदन की लकड़ियां बेचीं।
पतंजलि ने कहा कि इस खबर, वीडियो, पोस्ट में 16 सितंबर, 2019 को सीमाशुल्क प्रशासन द्वारा जारी आदेश का संज्ञान नहीं लिया गया जिसमें 17 फरवरी, 2018 को जब्त की गयी लाल चंदन की लकड़ियों के संबंध में सभी कार्यवाही बंद कर दी गयी थी। ये लकड़ियां चीन निर्यात की जा रही थीं। उसने यह भी कहा कि सीमाशुल्क अधिकारियों ने जब्त लालचंदन की लकड़ियां छोड़ देने और उसे निर्यात करने की भी अनुमति दी। -
नई दिल्ली: दिल्ली का बॉर्डर अरविंद केजरीवाल सरकार ने आज से एक हफ़्ते के लिए बंद कर दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका एलान किया है. हालांकि ज़रूरी सेवाओं के लिए बॉर्डर खुला रहेगा. केजरीवाल ने लोगों से सुझाव मांगे हैं कि दिल्ली का बॉर्डर खोला जाए या नहीं. शुक्रवार तक लोगों से सुझाव देने को कहा गया है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ''अभी तक दिल्ली में जितनी सेवाएं शुरू हो गई थीं उसके अलावा बार्बर, सलून की दुकानें खुलेंगी जबकि स्पा अभी नहीं खोला जाएगा. ऑटो-रिक्शा में एक सवारी पर से प्रतिबंध हटाया जा रहा है. पहले दुपहिया और चार पहिया गाड़ियों पर जो सवारियों पर प्रतिबंध था वो भी हटाया जा रहा है.'' उन्होंने कहा कि ''हम बाजारों में दुकानें खोलने के लिए ऑड-ईवन नियम का पालन कर रहे थे लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा कोई नियम नहीं बताया है इसलिए अब से सभी दुकानें खुल सकती हैं.''
सीएम केजरीवाल ने कहा कि ''दिल्ली सरकार को एक महत्वपूर्ण विषय पर आपकी राय चाहिए. क्या दिल्ली के बॉर्डर खोल दिए जाए? और क्या दिल्ली के अस्पतालों को देश से आने वाले सभी लोगों के लिए खोला जाए? आपके सुझाव शुक्रवार तक व्हाट्सअप, ईमेल या वॉइस मेल के जरिये हमें भेज सकते है.'' केजरीवाल ने कहा कि ''अपने सुझाव शुक्रवार शाम 5 बजे तक ईमेल: [email protected], व्हाट्सअप: 8800007722 वॉइसमेल: 1031 पर भेज सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आपके पास व्हाट्स एप नहीं है तो आप 1031 पर फोन करें, आपके सुझाव रिकॉर्ड कर लिए जाएंगे.'' -
महाराष्ट्र : देश में कोरोना वायरस के मामलों में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 8,380 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 193 मरीजों की कोरोना से मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक कुल 1,82,143 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं देश में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 5166 तक जा पहुंचा है। इसमें 89,995 एक्टिव केस हैं, वहीं 86,984 मरीज ठीक हो चुके हैं। गृह मंत्रालय के ऐलान के बाद अब तक कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन को आगे बढ़ाया है। इसमें पंजाब, बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु ऐसे राज्य शामिल हैं।महाराष्ट्र पुलिस में अब तक 2,416 संक्रमितमहाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक राज्य में पिछले 24 घंटों में 91 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसको मिलाकर महाराष्ट्र में अब तक कुल 2,416 पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। वहीं 26 की मौत हो चुकी है। फिलहाल 1421 मामले सक्रिय हैं।
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चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश में बदलाव करते हुए तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता के भतीजे (दीपक) और भतीजी (दीपा) को उनकी करोड़ों की संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी घोषित किया है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बीते बुधवार दोनों दूसरी श्रेणी के कानूनी वारिस माने गए थे. अदालत ने राज्य सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री के आवास (पायस गार्डन) को स्मारक बनाने के अपने फैसले पर भी पुनर्विचार करने को कहा है. अदालत का यह आदेश तमिलनाडु (Tamil Nadu) के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा अध्यादेश जारी करने के बाद आया है.
एक टीवी चैनल ने दीपा से कि जयललिता क्यों कभी सार्वजनिक तौर पर उनके परिवार को सामने नहीं लाईं, इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री होने के बावजूद बुआ हमारे घर पर फोन करती थीं. दिवाली, पोंगल पर वो फोन करती थीं. ये सब सार्वजनिक नहीं था. हम एक परिवार के तौर पर साथ वक्त बिताते थे. वह इसलिए भी इसको सार्वजनिक नहीं करती थीं क्योंकि वह डरती थीं.' -
दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को निर्देश दिया है कि ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा और ग्रामीण सेवा के ड्राइवरों को 5 हजार रुपये का मुआवजा 10 दिन के भीतर दिया जाए. दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा 11 अप्रैल को एक स्कीम लॉन्च की गई थी जिसमें करोना की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए बतौर मुआवजा 5 हजार रुपये की रकम देने की दिल्ली सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट में एनजीओ 'नई सोसाइटी' की तरफ से ये याचिका लगाई गई थी. अर्जी में कहा गया था कि दिल्ली सरकार की इस स्कीम का फायदा सिर्फ उन्हीं ड्राइवरों को मिला जिनके पीवीसी (पब्लिक सर्विस व्हीकल) बैच में चिप लगा हुआ था. चिप होने पर ही ड्राइवरों को यह 5000 रुपये का मुआवजा दिया गया है. याचिकाकर्ता के वकील वरुण जैन ने कोर्ट को बताया कि बैच में चिप लगे होने की शर्त के कारण 50 फीसदी से भी कम ड्राइवरों को दिल्ली सरकार की तरफ से कोरोना मुआवजे के तौर पर 5 हजार रुपये दिए गए हैं.
हाई कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग ने अपनी वेबसाइट में बदलाव किया और जिनके पीवीसी बैच में चिप नहीं थी, उनके आवेदनों को भी स्वीकार किया. दिल्ली सरकार के मुताबिक अब तक 1,10,000 ड्राइवरों को 5 हजार रुपये की राशि सीधे उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है. लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि पीवीसी बैच होल्डर की संख्या दिल्ली में दो लाख 83 हजार है.