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नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगाए गए वसूली के पोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. इन पोस्टरों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हटाने का आदेश दिया था, जिसे योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील रख रहे हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार की यह कार्रवाई कानूनन सही नहीं है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 95 लोग शुरुआती तौर पर पहचाने गए. उनकी तस्वीरें होर्डिंग पर लगाई गईं. इनमें से 57 पर आरोप के सबूत भी हैं, लेकिन आरोपियों ने अब निजता के अधिकार का हवाला देते हुए हाई कोर्ट में होर्डिंग को चुनौती दी, लेकिन पुत्तास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले में भी निजता के अधिकार के कई पहलू बताए हैं.
इस पर जस्टिस ललित ने कहा कि अगर दंगा-फसाद या लोक संपत्ति नष्ट करने में किसी खास संगठन के लोग सामने दिखते हैं तो कार्रवाई अलग मुद्दा है, लेकिन किसी आम आदमी की तस्वीर लगाने के पीछे क्या तर्क है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने पहले चेतावनी और सूचना देने के बाद ये होर्डिंग लगाए. प्रेस मीडिया में भी बताया. इस पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि जनता और सरकार में यही फर्क है. जनता कई बार कानून तोड़ते हुए भी कुछ कर बैठती है, लेकिन सरकार पर कानून के मुताबिक ही चलने और काम करने की पाबंदी है. वहीं, जस्टिस ललित ने कहा कि फिलहाल तो कोई कानून आपको सपोर्ट नहीं कर रहा. अगर कोई कानून है तो बताइए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यवस्था दी है कि अगर कोई मुद्दा या कार्रवाई जनता से सीधा जुड़े या पब्लिक रिकॉर्ड में आ जाए तो निजता का कोई मतलब नहीं रहता. होर्डिंग हटा लेना बड़ी बात नहीं है, लेकिन बिषय बड़ा है. कोई भी व्यक्ति निजी जीवन में कुछ भी कर सकता है लेकिन सार्वजनिक रूप से इसकी मंजूरी नहीं दी जा सकती है. -
इलाहाबाद : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में हुई हिंसक घटनाओं में सार्वजनिक सम्पत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन की तरफ से आरोपियों के फोटो वाले होर्डिंग लगाए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. हाई कोर्ट ने इन होर्डिंग्स को हटाने का आदेश दिया है. बता दें कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 8 मार्च, रविवार को छुट्टी वाले दिन सुनवाई की थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट और मंडल पुलिस आयुक्त से उस कानून के बारे में बताने के लिए कहा था, जिसके तहत ये होर्डिंग्स लगाए गए. वकील केके राय के मुताबिक, ‘’(इस मामले में) चीफ जस्टिस ने होर्डिंग्स पर फोटो लगाए जाने को एक व्यक्ति की निजता और सम्मान का उल्लंघन बताया.’’
19 दिसंबर, 2019 को लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष में तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी. इस वारदात में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग जख्मी हुए थे. इस मामले पर जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया था, ‘’राजस्व अदालत के स्तर पर नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया गया. इस हिंसक प्रदर्शन में 1.61 करोड़ रुपये कीमत की सम्पत्ति का नुकसान हुआ है.’’
होर्डिंग में सामाजिक कार्यकर्ता सदर जाफर की तस्वीर भी लगाई गई. उन्होंने न्यूज एजेंसी ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि किसी को उस इल्जाम के लिए इस तरह कैसे जलील किया जा सकता है जो अभी अदालत में साबित नहीं हुआ है, यह हिंदुस्तान है, अफगानिस्तान नहीं. प्रशासन की तरफ से लगाए गए पोस्टरों में रिटायर आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी की भी तस्वीर लगाई गई. दारापुरी ने राज्य सरकार के इस कदम को अवैध बताया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसे पोस्टर लगवाकर हमारी इज्जत को मिट्टी में मिला दिया है.
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नई दिल्ली : येस बैंक पर आए आर्थिक संकट के बाद अब एजेंसियों ने अपना एक्शन लेना शुरू कर दिया है. बैंक को-फाउंडर राणा कपूर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी हिरासत में ले लिया है और 11 मार्च तक हिरासत में उनसे पूछताछ जारी रहेगी. दूसरी ओर राणा कपूर के परिवार के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है. आज दिल्ली से जांच एजेंसियों की टीम मुंबई जाएगी और मामले में जांच को आगे बढ़ाया जाएगा. सोमवार सुबह जांच एजेंसियों ने येस बैंक मामले से जुड़े सात ठिकानों पर छापेमारी की.
येस बैंक मामले में सीबीआई की ओर से कई जगह छापेमारी की गई है. दिल्ली और मुंबई में सीबीआई ने सोमवार सुबह छापेमारी की. इस दौरान DHFL से जुड़े ठिकानों पर भी सर्चिंग की गई है. सीबीआई जिन स्थानों पर छापे मार रही है, उनका संबंध राणा कपूर, DHFL, RKW डेवलेपर्स और DUVP से है. -
भाषा की खबरनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जो संगठन बिना राजनीतिक लक्ष्य के आंदोलन जैसे असहमित के वैध तरीकों से नागरिकों के हितों का समर्थन करता है उसे राजनीतिक प्रकृति का संगठन घोषित कर विदेशी कोष (Foreign Funding ) प्राप्त करने से नहीं रोका जा सकता है.
उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों द्वारा विदेशी कोष जुटाने के लिए जिन संगठनों का इस्तेमाल किया जाता है वे कड़े विदेशी चंदा (नियमन) कानून (एफसीआरए) से नहीं बच सकते, जब इस बारे में ठोस सामग्री मौजूद हो. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र किसी संगठन को विदेशी चंदा हासिल करने के अधिकार से वंचित करने से पहले कानून की प्रक्रियाओं और नियमों का कड़ाई से पालन करेगा. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि ‘बंद’ और ‘हड़ताल’ जैसे वैध तरीकों से जनहित का समर्थन करने वाले संगठन को विदेशी कोष हासिल करने के उसके कानूनी अधिकारी से वंचित नहीं किया जा सकता है. इसने कहा कि जो संगठन सक्रिय राजनीति या पार्टी राजनीति में शामिल नहीं है वे एफसीआरए के नियम 3 (छह) के तहत नहीं आते.
अदालत ने कहा कि एफसीआरए के नियम 3 (छह) के मुताबिक जो संगठन ‘बंद’ या ‘हड़ताल’, ‘रास्ता रोको’, ‘रेल रोको’ या ‘जेल भरो’ जैसे राजनीतिक कार्यों के माध्यम से आदतन जनहित के कार्यों का समर्थन करते हैं उन्हें भी राजनीतिक प्रकृति का संगठन घोषित किया जा सकता है. अदालत ने गैर सरकारी संगठन इंडिया सोशल एक्शन फोरम की अपील पर यह फैसला दिया जिसने एफसीआरए की धारा 5 (1) और धारा 5 (4) (किसी संगठन को राजनीतिक प्रकृति का घोषित करने की प्रक्रिया) की संवैधानिक वैधता और अन्य नियमों को चुनौती दी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र को संगठन को ‘‘राजनीतिक प्रकृति का न कि राजनीतिक दल’’ होने के बारे घोषणा करने से पहले उसकी गतिविधियों और विचारधारा को संज्ञान में लेने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि जिन संगठनों का न तो पार्टी की राजनीति या सक्रिय राजनीति से जुड़ाव है उन्हें विदेशी कोष लेने से नहीं रोका जा सकता है।
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नयी दिल्लीः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने येस बैंक के मामले को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मोदी एवं उनके विचारों ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. राहुल ने ट्वीट कर कहा, येस बैंक नहीं. मोदी और उनके विचारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने दावा किया, भाजपा 6 साल से सत्ता में है. वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित और विनियमित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है. उन्होंने सवाल किया, पहले पीएमसी बैंक, अब येस बैंक. क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित नहीं है? क्या वो अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं? क्या अब कतार में कोई तीसरा बैंक है?'
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने गुरुवार को सरकार से मशविरा करने के बाद येस बैंक पर रोक लगायी और उसके निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है. वहीं बैंक के ग्राहकों पर भी 50,000 रुपये मासिक तक निकासी करने की रोक लगायी है. येस बैंक किसी भी तरह का नया ऋण वितरण या निवेश भी नहीं कर सकेगा. येस बैंक के आर्थिक संकट के बाद जैसे ही अफरातफरी मची तो सरकार को भी एक्टिव होना पड़ा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ही वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और जल्द से जल्द मामले को काबू में लाने के प्लान पर चर्चा की. दूसरी ओर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि किसी भी ग्राहक को घबराने की जरूरत नहीं है, ये 50 हजार की कैप सिर्फ 30 दिनों के लिए है. ऐसे में बैंक को 30 दिन का वक्त तो देना ही होगा, इसके बाद हालात को काबू में कर लिया जाएगा. -
नई दिल्ली: यस बैंक पर आए संकट पर कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. शेरगिल ने अपने ट्ववीट में कहा है कि बैंकों की खराब के लिए बीजेपी सरकार की 'पकोड़ानॉमिक्स' को धन्यवाद जो भारत को 'आर्थिक बंदी' की राजधानी बनाने काी दिशा में काम रही है. उन्होंने पूछा, कितने बैंक कंगाल होंगे? कितने उद्योग अभी और बंद होंगे. वित्त मंत्री के इस्तीफे से पहले अभी कितनी और बेरोजगारी फैलेगी? एक दूसरे ट्वीट में कांग्रेस नेता लिखा, बीजेपी के पिछले 6 साल के नारों की हकीकत, 2014 : 15 लाख ले लो (सभी के लिए), 2018 : पकौड़ा ले लो (बेरोजगारों के लिए), 2020 : ताला ले लो (बैंक और उद्योगों के लिए). उन्होंने आगे लिखा कि बीजेपी की गलत वित्तीय नीतियों के चलते भारत के लोग अपने जेब से भुगत रहे हैं.
गौरतलब है कि निजी क्षेत्र के यस बैंक इस समय नगदी की संकट के जूझ रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक (Yes Bank) से निकासी की सीमा तय कर दी है. RBI के इस आदेश के बाद अब ग्राहक 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे. RBI के अनुसार फिलहाल यह रोक 5 मार्च से 3 अप्रैल तक लगी रहेगी. भारतीय रिजर्व बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग करते हुए उसपर प्रशासक नियुक्त कर दिया है. RBI ने बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया भी लगा दी हैं. -
एजेंसीनई दिल्ली : दरअसल, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की तत्काल सुनवाई के लिए याचिकाओं का उल्लेख किया। एजी केके वेणुगोपाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की खंडपीठ को बताया कि केंद्र 2 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कपिल सिब्बल से कहा कि होली के विराम के बाद इस मामले का फिर से उल्लेख करें।
गौरतलब है कि वकील कपिल सिब्बल ने नागरिकता संशोधन कानून की संवाधानिक वैद्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई अरजेंट लिस्ट उल्लेख किया था। एजी केके वेणुगोपाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की खंडपीठ को बताया कि केंद्र इसपर 2 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करेगा। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कपिल सिब्बल से कहा कि होली ब्रेक के बाद इस मामले का फिर से उल्लेख करें। बता दें कि ये इतिहास में पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट होली के ब्रेक (9 मार्च से 15 मार्च) में वेकेशन बेंच बनाकर काम करेगा। -
एजेंसी
नई दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस की पुष्टि होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वो इस साल किसी भी होली मिलन समारोह में शामिल नहीं होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा कि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के संबंध में विशेषज्ञों की सलाह को ध्यान में रखते हुए वह इस बार किसी होली मिलन कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे।
प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘दुनिया भर में विशेषज्ञों की सलाह है कि नोवेल कोरोनावायरस कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिये सामूहिक कार्यक्रमों को कम करना चाहिए। इसलिए इस वर्ष मैंने किसी होली मिलन कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय किया है।’
मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 नोवेल कोरोनावायरस से निपटने की तैयारी का जायजा लिया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि कोविड-19 नोवेल कोरोनावायरस के मद्देनजर तैयारी की गहन समीक्षा की। भारत आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग से लेकर तुरंत चिकित्सा प्रदान करने तक की समस्त गतिविधियों के लिए विभिन्न मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
बता दें कि देश में अब तक कोरोनावायरस के छह पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इनमें तीन केरल के थे, जिन्हें उपचार के बाद घर भेज दिया गया। तीन मरीज दिल्ली, जयपुर और तेलंगाना में मिले, जिनका इलाज चल रहा है।
वहीं, जयपुर में मिले इटली के संक्रमित मरीज की पत्नी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। सभी की हालत फिलहाल स्थिर है। कोरोनावायरस से निपटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे प्रबंधन और तैयारियों को लेकर बैठक हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। -
दिल्ली हिंसा को लेकर भाजपा नेता कपिल मिश्रा आलोचकों के निशाने पर हैं। अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क (DSSW) ने भी कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इतना ही नहीं DSSW ने कपिल मिश्रा को एक ‘धब्बा’ करार दिया है। बता दें कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क के पूर्व छात्र हैं।
डीएसएसडब्लू ने एक बयान जारी कर कहा है कि “कपिल मिश्रा, आप डीएसएसडब्लू के एलुमिनी होना डिजर्व नहीं करते हैं।” बता दें कि कपिल मिश्रा पर आरोप है कि उनके भड़काऊ बयान के चलते ही राजधानी में हिंसा भड़की। कपिल मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की जा रही है। हालांकि अभी तक पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।
अपने बयान में DSSW ने कहा है कि हमने देश के बंटवारे और उसके बाद 1984 के सिख दंगों के दौरान अहम भूमिका निभायी। सोशल वर्क डिपार्टमेंट ने कई समाजसेवक, अकादमिक शख्सीयत, निदेशक, नेता लेखक, नौकरशाह दिए हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लेकर आए।
बयान में कहा गया है कि एक तरफ हमारा गौरवशाली इतिहास है, वहीं दूसरी तरफ पूर्व छात्र कपिल मिश्रा जैसा धब्बा भी है, जिसने दिल्ली में सुनियोजित हिंसा को भड़काया और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाया। DSSW ने बयान में कहा कि हम मांग करते हैं कि दिल्ली पुलिस उसे गिरफ्तार करे और उसके जैसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
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दिल्ली हिंसा के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने वाले शाहरुख को गिरफ्तार कर लिया गया है. दिल्ली की क्राइम ब्रांच टीम ने शाहरुख को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार किया है. फिलहाल, उससे पूछताछ की जा रही है. साथ ही उसको पनाह देने वाले लोगों की तलाश शुरू हो गई है. दिल्ली हिंसा के दौरान 24 फरवरी को जाफराबाद इलाके में एक शख्स ने 8 राउंड फायरिंग की थी. इस शख्स ने फायरिंग के दौरान एक पुलिस कर्मी पर पिस्टल भी तान दिया था. फायरिंग करते हुए यह शख्स फिर भीड़ में गायब हो गया था. इस शख्स की पहचान शाहरुख के रूप में हुई थी.
दिल्ली पुलिस कई दिनों से शाहरुख की तलाश कर रही थी. बताया जा रहा था कि वह दिल्ली के थाना उस्मानपुर का रहने वाला है, लेकिन घटना के बाद से ही वह अपने परिवार के साथ फरार हो गया था. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम उसकी तलाश में लगी थी. क्राइम ब्रांच को खबर मिली कि शाहरुख बरेली में छिपा है. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस ने मिलकर शाहरुख को गिरफ्तार कर लिया है. -
दिल्ली में हिंसा शुरू होने के एक सप्ताह बाद हिंसा प्रभावित इलाकों के नाले से अब लाशें निकल रही हैं. पिछले दो दिनों में इन नालों से चार लाशें निकली हैं. सोमवार सुबह गोकुलपुरी नाले से एक और लाश बरामद हुई है. इससे पहले रविवार को भी इस इलाके के नालों से 3 शव मिले थे, जिनको पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है. नार्थ ईस्ट दिल्ली हिंसा मामले में अब तक दिल्ली पुलिस ने 334 एफआईआर दर्ज की हैं. इस मामले में 33 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 44 केस आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं. हिंसा में मरने वालों की संख्या 46 हो गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रविवार को गोकुलपुरी के दो नालों से 3 लाशें बरामद की गई. सोमवार सुबह भी गोकुलपुरी नाले से एक डेड बॉडी बरामद की गई है. हालांकि क्या ये लाशें दिल्ली हिंसा से जुड़ी हैं या नहीं इस बात की पुष्टि होनी अभी बाकी है. बता दें कि दिल्ली हिंसा में अबतक नालों से कई लाशें बरामद की जा चुकी हैं. इसमें से आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की बॉडी भी शामिल है.
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नई दिल्ली: कांग्रेस की पूर्व निगम पार्षद इशरत जहां को दिल्ली पुलिस ने दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इशरत को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. इशरत जहां पिछले करीब 50 दिनों से दिल्ली के खुरेजी में CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं. पिछले रविवार को खुरेजी रोड जाम करने में भी इशरत जहां का नाम आया था. गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसा भड़कने के बाद शनिवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली में अधिकांश जगहों पर माहौल शांतिपूर्ण है. हालांकि, जिन जगहों पर हिंसा हुई है उनके आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा लोगों के एकत्र होने या फिर बड़ी सभा पर अब भी प्रतिबंध है. उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत को चुकी है और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हैं.
गृह मंत्रालय ने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने सार्वजनिक स्थानों से अधिकांश मलबा हटा दिया है. हिंसा में 300 से ज़्यादा लोग घायल हैं. पुलिस ने अब तक 123 एफ़आईआर दर्ज की हैं और 630 लोगों को हिरासत में लिया. दिल्ली पुलिस ने हिंसा के मामलों की जांच के लिए दो एसआईटी बनाई है. चौबीस फरवरी के बाद से उत्तर पूर्व दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में सात हजार से ज्यादा सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. -
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को राजद्रोह के चार साल पुराने एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और नौ अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी। केस के लिए मंजूरी दिए जाने पर कन्हैया कुमार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार का शुक्रिया अदा किया। इस फैसले पर तंज मारते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और टीवी वाली आपकी अदालत की जगह कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। वहीं, दो अन्य आरोपियों उमर खालिद और अनिर्बान ने कहा कि वे खुद इस मामले की कोर्ट में सुनवाई चाहते थे, ताकि सत्तारूढ़ सरकार के झूठे दावे का पर्दाफाश कर सकें।
कन्हैया कुमार ने फैसले की घोषणा के तुरंत बाद ट्वीट कर लिखा, “दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली आपकी अदालत की जगह कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।” फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाने की अपनी अपील पर दलील देते हुए कन्हैया कुमार ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरूरत इसलिए है, ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरुपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।”
दो अन्य आरोपियों उमर और अनिर्बान ने भी ट्वीट कर कहा कि दावा किया कि दिल्ली सरकार के फैसले से हमें कोई परेशानी नहीं होगी। उमर ने ट्वीट किया, ‘मेरे और अनिर्बान की तरफ से बयानः दिल्ली सरकार की तरफ से देशद्रोह केस में हमारे खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से हमे कोई दिक्कत नहीं होगी। हमें भरोसा है कि हम निर्दोष हैं, हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम खुद इस मामले की कोर्ट में सुनवाई की मांग कर रहे थे।’
बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म निर्माता व निर्देशक अनुराग कश्यप ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पर राजद्रोह के मुकदमे को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। अनुराग कश्यप ने अपने ट्विटर हैंडल से केजरीवाल पर तंज कसते हुए पूछा कि “महाशय अरविंद केजरीवाल जी, आपको क्या कहें.. स्पाइनलेस तो प्रशंसा है.. आप तो हो ही नहीं.. AAP तो हैं ही नहीं, कितने में बिके?” -
दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार (28 फरवरी) को उत्तर पूर्व दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा के संबंध में पूछे गए मीडिया के सवालों को नजरअंदाज किया। बता दें कि, उत्तर पूर्व दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा में अब तक कुल 42 लोग मारे जा चुके हैं और 200 से अधिक लोग घायल हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के आवास होली लॉज पर शिमला में अनौपचारिक बातचीत के दौरान जब एक पत्रकार ने दिल्ली में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा पर जेपी नड्डा से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रश्न का उत्तर दिए बिना अपने वाहन की ओर बढ़ गए। नड्डा अपने गृह राज्य के दो दिवसीय दौरे में शुक्रवार सुबह सिंह के आवास पर उनका हाल-चाल जानने गए। नड्डा के साथ राज्य के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी पूर्व मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य से पूछा कि वीरभद्र सिंह के स्वास्थ्य के बारे में पीजीआई चंडीगढ़ के चिकित्सकों ने क्या कहा है। सिंह को कुछ महीनों पहले शिमला के आईजीएमसी अस्पताल और चंडीगढ़ के पीजीआई में कुछ सप्ताह भर्ती रखा गया था।
नड्डा ने मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, ‘‘मैं व्यस्त होने के कारण उस समय वीरभद्र का हाल-चाल नहीं ले सका था, जब वे पीजीआई में भर्ती थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उसके बाद शिमला की मेरी पहली यात्रा है, इसलिए मैं उनका हाल-चाल जानने उनके आवास आया।’’ नड्डा ने कहा, ‘‘मेरे वीरभद्र से उस समय से निकट संबंध हैं जब वह 1993 में मुख्यमंत्री और मैं राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वीरभद्र का हिमाचल की राजनीति में अपना स्थान है। उनका स्वास्थ्य अब कुशल है। वह सक्रिय हैं। ईश्वर उन्हें लंबी आयु और स्वस्थ जीवन दे।’’ -
नई दिल्ली: राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने एलान किया है कि बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों की जानकारी देने वाले को पांच हजार रुपए इनाम में मिलेंगे. एमएनएस ने बकायदा इसके लिए महाराष्ट्र में औरंगाबाद में पोस्टर भी लगाए गए हैं. राज ठाकरे अपनी कई रैलियों में बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर निकालने की मांग कर चुके हैं. राज ठाकरे की घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने की मुहिम पिछले कई महीनों से जारी है. अब उनकी पार्टी ने में औरंगाबाद में पांच हजार रुपए इनाम में देने के पोस्टर लगाए हैं, जो काफी वायरल हो रहे हैं.
बता दें कि इसी महीने एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने शहर-शहर घूमकर घुसपैठियों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया था. 13 फरवरी को एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के डीबी मार्ग, बोरिवली, दहिसर, ठाणे और विरार से 50 से ज्यादा बांग्लादेशियों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया था. पुलिस इन लोगें की जांच कर रही है. -
दिल्ली हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि हिंसा में हिंदू और मुसलमान सबको नुकसान हुआ है. इस दौरान उन्होंने मुआवजे का भी ऐलान किया. उन्होंने कहा कि अस्पताल में घायलों का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है. घायलों पर फरिश्ते योजना लागू होगी. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने मृतकों के परिवार को 10 लाख-10 लाख मुआवजा देने का भी ऐलान किया. नाबालिग की मौत पर परिजनों को 5-5 लाख रुपये दिया जाएगा.
सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि मामूली रूप से घायलों को 20-20 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. हिंसा में जिनके रिक्शे को नुकसान हुआ उन्हें 25 हजार, ई रिक्शा के लिए 50 हजार, जिनका घर जला है उन्हें 5 लाख दिया जाएगा. इसके अलावा दुकान जलने पर 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. दिल्ली के सीएम ने कहा कि जिनके पशु जल गये उन्हें पांच हजार प्रति पशु दिया जाएगा. जिनके आधार कार्ड, वोटर कार्ड जले हैं उनके नए दस्तावेज बनाए जाएंगे. इसके लिए कैंप लगेंगे. सीएम ने कहा कि सरकार दंगा पीड़ितों को फ्री में खाना पहुंचाएगी. हेल्पलाइन नंबर जारी किए जा रहे हैं. मोहल्लों में शांति और अमन कमेटियां सक्रिय होंगी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से जो कदम उठा सकते हैं हमने उठाया. कल से हिंसा की वारदात कम हुई है. आज हमने कई मीटिंग की है.
आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन को लेकर जब अरविंद केजरीवाल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दंगों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. मेरे पास पुलिस नहीं है. मैं कैसे एक्शन ले सकता हूं. ताहिर हुसैन हो या कोई भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. सीएम ने कहा कि जो अगर कोई आम आदमी पार्टी का नेता पकड़ा जाता है तो सजा बनती है उससे डबल सजा दो. -
दिल्ली हिंसा को लेकर सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज यानी गुरुवार को राष्ट्रपति से मिल एक ज्ञापन सौंपा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी के अन्य नेताओं संग दिल्ली हिंसा को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपने पहुंचीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्ली हिंसा के दौरान केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की सरकार मूकदर्शक बनी रही। सोनिया गांधी की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली हिंसा मामले पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार से राजधर्म का पालन कराने और गृह मंत्री अमित शाह को हटाने के लिए कदम उठाएं।
सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के हालात खराब है और इस सिलसिले में हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों पथराव से लोगों की हत्या हुई है। दिल्ली में हिंसा होती रही मगर केन्द्र सरकार और दिल्ली की नई सरकार मूकदर्शक बनी रही। सोनिया ने कहा कि राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया है कि केन्द्र सरकार से बात करेंगे और जरूरी कदम उठाएंगे। रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद सोनिया ने संवाददाताओं से कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में हमने दिल्ली में स्थिति को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की थी। हमने राष्ट्रपति से मिलने और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपने का फैसला किया। उन्होंने ज्ञापन के कुछ हिस्से पढ़े और दावा किया कि केंद्र और दिल्ली सरकार हिंसा को लेकर मूकदर्शक बनी रहीं। गृह मंत्री और प्रशासन की निष्क्रियता से बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ।
कांग्रेस की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, 'हम इस बात को दोहराते हैं कि गृह मंत्री को हटाए जाए क्योंकि वह हिंसा को रोकने में अक्षम साबित हुए।' पार्टी ने ज्ञापन में राष्ट्रपति से कहा, 'हम आपसे आग्रह करते हैं कि नागरिकों के जीवन, संपत्ति और आजादी की सुरक्षित रखा जाए। हम आशा करते हैं कि आप निर्णायक कदम उठाएंगे।'
मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के भीतर दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है वो बहुत चिंताजनक और राष्ट्रीय शर्म का विषय है। यह हालात को नियंत्रित रखने में केंद्र सरकार की पूरी विफलता का प्रमाण है। सिंह ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से कहा है कि वह सरकार से 'राजधर्म का पालन करने के लिए कहें।राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले पार्टी शिष्टमंडल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कुछ अन्य नेता शामिल थे। -
दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली हिंसा मामले में सुनवाई करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के तबादले को लेकर तंज़ कसा है। राहुल ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट करते हुए न्यायमूर्ति मुरलीधर के ट्रांसफर पर जज लोया को किया याद किया है। राहुल ने कहा कि जज लोया को याद कर रहा हूं जिनका तबादला नहीं किया गया था। राहुल के इस ट्वीट पर यूजर्स कि प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई हैं। एक यूजर ने उन्हें इस बात के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया अदा करने को कहा है।
राहुल ने ने न्यायाधीश लोया के मामले का उल्लेख किया और सरकार पर तंज करते हुए ट्वीट किया, “बहादुर न्यायाधीश लोया को याद कर रहा हूं कि जिनका तबादला नहीं किया गया था।” राहुल के इस ट्वीट पर एक यूजर ने लिखा “और इसी बीच अमित शाह का शुक्रिया अदा कीजिए कि जस्टिस मुलरिधरण को जज लोया नहीं बनाया, ट्रांसफर किया है अच्छी बात है लेकिन बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ एफआईआर का आदेश करने वाले जज का त्वरित ट्रांसफ़र बता रहा है दंगे में छुट भैया नेतओं से लेकर बड़े नेताओं का हाथ है, वह दंगा रोकना नहीं चाहते।”
राहुल के अलावा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसपर तीखा हमला बोला है। प्रियंका ने न्यायमूर्ति के तबादले पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने न्याय अवरुद्ध करने का प्रयास किया है। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, “न्यायमूर्ति मुरलीधर का मध्यरात्रि में तबादला मौजूदा शासन को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है। लेकिन यह निश्चित तौर पर दुखद और शर्मनाक है।”उन्होंने आरोप लगाया, “करोड़ों भारतीय नागरिकों को न्यायपालिका पर आस्था है। न्याय को अवरुद्ध करने और लोगों का विश्वास तोड़ने का सरकार का प्रयास निंदनीय है।” बता दें न्यायाधीश मुरलीधर का पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया है। दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई के दौरान उनकी अगुवाई वाली पीठ ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस के प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर “नाराजगी” जताई थी। इस हिंसा में अबतक 32 लोगों की मौत हो चुकी है।