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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
शिक्षा विभाग के स्टॉल में अभिभावकों ने की स्वामी आत्मानंद स्कूलों की जमकर तारीफ
हाई तथा हायर सेकेण्डरी के सभी विषयों की डिजिटल जानकारी
मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री ने किया स्टॉल का अवलोकनरायपुर : छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए नवाचार किए जा रहे है। स्कूलों की पढ़ाई-लिखाई में गुणवत्ता लाने के लिए डिजिटल माध्यमों का भी सहारा लिया जा रहा है। प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम में स्वामी आत्मानंद स्कूलों की शुरूआत की गई है। साइंस कॉलेज मैदान में राज्योत्सव के अंतर्गत लगाये गए शिक्षा विभाग के स्टॉल में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के पहुँचने पर विद्यार्थियों के पालकों और अभिभावकों ने स्वामी आत्मानंद स्कूलों की जमकर तारीफ की। इस मौके पर स्कूल बच्चों ने भी हर्ष ध्वनि कर मुख्यमंत्री को अभिवादन किया और उनके साथ सेल्फी ली।
मुख्यमंत्री ने स्टॉल में उपस्थित विद्यार्थियों के पालकों और अभिभावकों से स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल का अनुभव पूछा तो उन्होंने स्कूल व्यवस्था की जमकर तारीफ की। इस मौके पर समावेशी शिक्षा में मुख्यमंत्री को सुविधा सिंह स्पेशल एजूकेटर समावेशी शिक्षा एवं हायर सेकण्डरी स्कूल हीरापुर की दृष्टिहीन छात्रा कुमारी हिमांशी सोनवानी द्वारा स्मार्ट फोन ऑपरेट कर सुगम्य पाठ्यपुस्तक के उपयोग पर जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने इन बच्चों को शाबासी दी।
‘हमर स्कूल के नवा दुनिया’ कार्यक्रम के बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विषय-विशेषज्ञों द्वारा बच्चों के स्तर और आवश्यकता अनुरूप कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी विषयों की रोचक जानकारी के वीडियों तैयार किए गए है, जिसे बच्चे कहीं भी कभी भी पढ़कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इन नवाचारी पहल की सराहना की। इस मौके पर उन्हें क्लासरूम प्रोजेक्ट द्वारा डिजिटल माध्यम से पढ़ाई के लिए कक्षा पहली से 12वीं की डिजिटल सामग्री भेंट की गई।
स्कूल शिक्षा विभाग के स्टॉल में व्यवसायिक शिक्षा और बस्ताविहीन स्कूल सहित विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है। इसके अलावा बच्चों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न मॉडल्स भी रखे गए हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और उनके पुनर्वास संबंधी दी जा रही सुविधाओं की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि थैरेपिस्ट द्वारा दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाली सुविधाएं जैसे- थैरेपी, उपकरण, छात्रवृत्ति, उपचार, जांच, दिव्यांगता प्रमाण पत्र सहित अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं दी जा रही है।
स्कूल शिक्षा विभाग के स्टाल को उत्तर बस्तर कांकेर के नरहरदेव उच्चतर विद्यालय का स्वरूप दिया गया है। इसमें स्कूल शिक्षा विभाग के सभी योजनाओं जैसे- स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल, आईसीटी, समावेशी शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा को प्रदर्शित किया गया। स्टॉल में बच्चे अपनी पढ़ने की गति से अवगत हुए, इन बच्चों को समग्र शिक्षा के प्रबंध संचालक के हस्ताक्षर युक्त प्रमाण पत्र दिया गया।
इस अवसर पर सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक लोक शिक्षण श्री सुनील जैन, प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा श्री नरेंद्र दुग्गा, अतिरिक्त संचालक एससीईआरटी डॉ. योगेश शिवहरे, जिला शिक्षा अधिकारी श्री आर. एल. ठाकुर, सहायक संचालक साक्षरता मिशन श्री प्रशांत पांडेय एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनसुईया उइके एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान पर आयोजित राज्य अलंकरण एवं राज्योत्सव के समारोह पर छत्तीसगढ़ की विभिन्न विभूतियों को उनकी उपलब्धियों एवं राज्य के विकास में योगदान के लिए राज्य अलंकरण सम्मानों से सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने की।
अलंकरण पुरस्कारों में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आदिवासी पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए शहीद वीरनारायण सिंह पुरस्कार श्री नारायण मरकाम को दिया गया। गृह (पुलिस) विभाग द्वारा अपराध अनुसंधान क्षेत्र में पंडित लखन लाल मिश्र सम्मान श्री लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिया जाने वाले अहिंसा एवं गौ रक्षा के क्षेत्र में यति यतनलाल सम्मान श्री मदन मोहन गौशाला खरसिया, खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए गुण्डाधूर सम्मान श्री अमितेश मिश्रा, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला उत्थान के क्षेत्र में मिनीमाता सम्मान डॉ. श्रीमती मीरा शुक्ला, आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा सामाजिक चेतना और दलित उत्थान के क्षेत्र में गुरू घासीदास सम्मान श्री खेमचंद भारती, सहकारिता विभाग द्वारा सहकारिता के क्षेत्र में ठाकुर प्यारेलाल सम्मान श्री अशोक अग्रवाल को प्रदान किया गया।इसी तरह आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा उर्दू की सेवा क्षेत्र में हाजी हसन अली सम्मान जनाब यूनुस खान, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान श्री सीताराम अग्रवाल, संस्कृति विभाग द्वारा साहित्य-आंचलिक के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पंडित सुन्दरलाल शर्मा सम्मान श्री रामेश्वर वैष्णव, संस्कृति विभाग द्वारा संगीत एवं कला के क्षेत्र में चक्रधर सम्मान श्री वेदमणि सिंह ठाकुर को प्रदान किया गया। संस्कृति विभाग द्वारा लोककला एवं शिल्प के क्षेत्र में दिया जाने वाला दाऊ मंदराजी सम्मान संयुक्त रूप से श्रीमती जयंती यादव और श्री पंडित राम को प्रदान किया गया। कृषि विभाग द्वारा कृषि के क्षेत्र में डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान श्री खेदूराम बंजारे, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए महाराजा अग्रसेन सम्मान श्री ईश्वर प्रसाद अग्रवाल, समाज कल्याण विभाग द्वारा दानशीलता, सौहार्द्र एवं अनुकरणीय सहायता के क्षेत्र में दानवीर भामाशाह सम्मान श्रीमती गंगोत्री वर्मा, मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए श्रीमती बिलासाबाई केंवटीन मत्स्य विकास श्री रूपचंद धीवर को प्रदान किया गया।उच्च शिक्षा विभाग द्वारा संस्कृत भाषा के क्षेत्र में संस्कृत भाषा सम्मान डॉ. बालकृष्ण तिवारी, आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आदिवासियों की सेवा और उत्थान के क्षेत्र में दिया जाने वाला भंवर सिंह पोर्ते सम्मान श्री टुकेश्वर कंवर को प्रदान किया गया। श्रम विभाग द्वारा श्रम के क्षेत्र में महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव पुरस्कार संयुक्त रूप से एनटीपीसी सीपत उज्ज्वल नगर बिलासपुर और श्री पालूराम साहू को प्रदान किया गया। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा बुनकर क्षेत्र में बिसाहूदास महंत पुरस्कार संयुक्त रूप से वर्ष 2020-21 के लिए श्री आनंद देवांगन और श्री पद्मचरण देवांगन तथा वर्ष 2021-22 का पुरस्कार संयुक्त रूप से श्री राजन देवांगन और श्री कृष्ण कुमार देवांगन को प्रदाय किया गया। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा बुनकर के क्षेत्र में राजराजेश्वरी करूणामाता हाथकरघा प्रोत्साहन पुरस्कार संयुक्त रूप से श्री नरसिंह देवांगन एवं श्री श्रीपति मेहेर देवांगन को दिया गया।संस्कृति विभाग द्वारा प्रदर्शनकारी लोककला क्षेत्र में देवदास बंजारे स्मृति पुरस्कार श्री द्वारिका बर्मन, संस्कृति विभाग द्वारा लोक शैली पंथी नृत्य प्रदर्शनकारी कला क्षेत्र में देवदास स्मृति पंथी नृत्य पुरस्कार श्री मिलाप दास बंजारे, संस्कृति विभाग द्वारा हिन्दी-छत्तीसगढ़ी सिनेमा में रचनात्मक लेखन, निर्देशन, अभिनय, पटकथा, निर्माण के क्षेत्र में किशोर साहू सम्मान श्री मनु नायक, संस्कृति विभाग द्वारा ही हिन्दी-छत्तीसगढ़ी सिनेमा में निर्देशन के लिए दिया जाने वाला किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण श्री पलाश वासवानी को प्रदान किया गया।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा तथा शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए धनवन्तरि सम्मान डॉ. मनोज चौकसे को प्रदान किया गया। विधि एवं विधायी विभाग द्वारा विधि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान संयुक्त रूप से डॉ. प्रिया राव और श्री विवेक सारस्वत को प्रदान किया गया। संस्कृति विभाग द्वारा देश के बाहर सामाजिक कल्याण, मानव संसाधन विकास, कला, साहित्य अथवा आर्थिक योगदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान श्री गणेश कर, संस्कृति विभाग द्वारा साहित्य, आंचलिक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार श्री जीवन यदु को प्रदान किया गया। जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकरिता प्रिंट मीडिया हिन्दी के क्षेत्र में चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार श्री धनंजय वर्मा, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हिन्दी के क्षेत्र में संयुक्त रूप से श्री अमितेष पांडेय और डॉ. वैभव शिव पाण्डेय, जनसपंर्क विभाग द्वारा पिं्रट मीडिया अंग्रेजी के क्षेत्र में मधुकर खेर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार डॉ. के. एन. किशोर, जनसंपर्क विभाग द्वारा ही रचनात्मक लेखन और हिन्दी भाषा क्षेत्र में प्रदाय किए जाने वाले पंडित माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान श्री सुदीप ठाकुर को प्रदान किया गया।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष श्री नारायण चंदेल सहित मंत्रिमंडल के सदस्य, संसदीय सचिव, सांसद, विधायक, निगम मंडल के अध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। -
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आरक्षण के मामले में निश्चिंत रहें आदिवासी - मुख्यमंत्री श्री बघेल
मुख्यमंत्री से राज्यभर के आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात
मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग में वर्गवार प्रतिनिधित्व दिलाने शीघ्र कार्यवाही के लिए किया आश्वस्त
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज शाम अपने निवास कार्यालय में राज्यभर से पहुंचे आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए उन्हें भरोसा दिलाया कि राज्य में आरक्षण के मामले में आदिवासी निश्चिंत रहें, उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हमारी सरकार कृत संकल्पित है।मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस मौके पर आदिवासियों की मांग पर आवश्यक पहल करते हुए समस्त शासकीय विभागों में रोस्टर के नियमित रूप से पालन के संबंध में जांच के लिए प्रकोष्ठ के गठन की घोषणा की। साथ ही सहकारिता विभाग में हर समुदाय के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए आवश्यक कार्यवाही किए जाने भी आश्वस्त किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए आगे कहा कि आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से सजग होकर कार्य कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने यह भी अवगत कराया कि राज्य में आदिवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए उनके 32 प्रतिशत आरक्षण के मामले में जो भी आवश्यक कदम होगा, वह उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक हुआ तो विधानसभा में विशेष सत्र बुलाएंगे और अध्यादेश भी लाएंगे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कहा कि राज्य में आदिवासियों के उत्थान और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारी सरकार द्वारा निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। इनमें उनके आर्थिक, शैक्षणिक सहित सामाजिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को देश-दुनिया से परिचित कराने के लिए 3 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य जैसे गौरवशाली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस कड़ी में राजधानी रायपुर में आज राज्य स्थापना दिवस से आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव में, देशभर से सभी राज्यों के अलावा अन्य 10 देशों के 1500 कलाकार भाग ले रहे हैं, इससे छत्तीसगढ़ की आदिम संस्कृति की ख्याति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य में वन अधिकार कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हुए जल-जंगल-जमीन पर आदिवासी समाज के अधिकारों को पुष्ट किया है। हमने राज्य में व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र, सामुदायिक वन अधिकार पत्र और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार के साथ-साथ रिजर्व क्षेत्र में भी वन अधिकार प्रदान करना शुरू कर दिये है। जल-जंगल-जमीन पर अधिकार सुनिश्चित होने से सरकार पर आदिवासियों का विश्वास और मजबूत हुआ है। हम उन्हें यह विश्वास दिलाने में कामयाब हुए कि अब छत्तीसगढ़ में उनकी अपनी सरकार काम कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि राज्य में आदिवासियों के उत्थान के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2500 रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रूपये प्रति मानक बोरा किया गया है। इसी तरह 65 तरह के लघुवनोपजों को समर्थन मूल्य पर संग्रहण तथा उनके विक्रय की व्यवस्था करके स्थानीय स्तर पर इनका प्रसंस्करण और वेल्यू एडीशन करके हमारी सरकार ने न सिर्फ आदिवासियों की आय में बढ़ोतरी की है, बल्कि रोजगारों के अवसरों का भी निर्माण किया है।
इस अवसर पर गोंड़ समाज, उरांव, भुईंया, कंवर, मुण्डा, पंडो, मंझवार, नगेसिया, नागवंशी आदि विभिन्न समाजों के प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री सुनऊराम नेताम, रामसाय, भानुप्रताप सिंह मरकाम, रघुनाथ, तुलसीराम, चतुर सिंह तारम, सुश्री तारा मंडावी, श्रीमती महावती कोमरे, शेर सिंह आचला, बाल सिंह, निलकंठ सिंह ठाकुर, पन्नालाल धु्रव, शिवप्रसाद, कौशल ठाकुर, पुनीत राम, मनोज भगत, रविन्द्र पैकरा, शरण सिंह, सोमार साय, सीताराम, बिहारी राम पैकरा, शिवराम पण्डो, बबलू कुमार, राजेश, मलकू राम, रविशंकर तथा रामचन्द्र मुण्डा आदि शामिल थे। -
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मुख्यमंत्री ने भव्य समारोह में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का किया शुभारंभ
देश-दुनिया के आदिवासी कलाकारों के नृत्य महोत्सव में शामिल होने से राज्योत्सव की खुशी हुई दोगुनी
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में 28 राज्यों, 7 केन्द्र शासित प्रदेशों सहित 10 देशों के कलाकारों ने नृत्य की झलक दिखाकर दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पूरी दुनिया के आदिम सांस्कृतिक मूल्यों को जब हम बचाए रखेंगे, तभी हमारी एकजुटता बची रहेगी और प्राकृतिक संतुलन के साथ विकास की अवधारणा साकार हो सकेगी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों के लिए पूरी दुनिया में एकजुटता कायम करना है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज यहां साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित भव्य समारोह में तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने दीप प्रजज्वलित कर एवं आदिवासी वाद्ययंत्र नगाड़ा बजाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने सभी राज्यों के नर्तक दल और विदेशी मेहमानों का हार्दिक स्वागत करते हुए प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस और तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की बधाई दी।
स्वागत कार्यक्रम में देश के 28 राज्यों, 7 केन्द्र शासित प्रदेश सहित 10 देशों मोज़ाम्बिक, टोगो, ईजिप्ट, मंगोलिया, इंडोनेशिया, रूस, न्यूजीलैंड, सर्बिया, रवांडा और मालदीव के कलाकारों ने आदिवासी नृत्य की झलक दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इस आयोजन में लगभग 1500 देशी-विदेशी कलाकार शिरकत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अवसर पर पोस्टल विभाग द्वारा जारी पोस्टल स्टेम्प और लिफाफे तथा वर्ष 2021 के राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की काफी टेबल बुक का विमोचन किया। कार्यक्रम में मोजाम्बिक, रसिया और मंगोलिया के आदिवासी नर्तक दलों ने अपनी विशिष्ट शैली में मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मनुष्य का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना नृत्य का इतिहास है। दुनियाभर के आदिवासियों की नृत्य शैली, वाद्ययंत्र में समानता है। यह अद्भुद संयोग है कि दुनियाभर के आदिवासी नृत्यों की शैली, ताल, लय में बहुत समानताएं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी दुनिया के आदिवासियों का हृदय एक ही है। उन हृदयों के भाव एक ही हैं। उनके सपने, उनकी आशाएं और उनकी इच्छाएं एक ही हैं। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्देश्य आदिम संस्कृति को बचाये रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की जब हम लोगों ने शुरुआत की, तब हमने यही सोचा था कि इस प्लेटफार्म के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक खूबसूरती को पूरी दुनिया तक पहुंचाएंगे। लेकिन पहला ही आयोजन इतना सफल रहा कि आज इसका फलक बहुत बड़ा हो गया है। कहने को तो यह राष्ट्रीय आयोजन है, लेकिन इसमें पूरे भारत के जनजातीय समुदायों के साथ-साथ दुनिया के अनेक देशों के जनजातीय समुदाय अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ का राज्य स्थापना दिवस है। आज हमारा विजय दिवस है, क्योंकि आज ही के दिन हमारे पुरखों का संघर्ष सफल हुआ था। हर बार 01 नवंबर को छत्तीसगढ़िया लोगों का दिल उल्लास से भरा होता है। उनका मन थिरक उठता है। राज्य स्थापना दिवस के साथ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का यह स्वभाविक संगम है। मुख्यमंत्री ने भारत के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और दुनिया भर के जनजातीय कलाकारों को धन्यवाद देते हुए कहा कि देश दुनिया के आदिवासी कलाकार हमारी खुशियों में शामिल होने आए हैं। वे हमारे साथ थिरक रहे हैं और अपनी सांस्कृतिक खूबसूरती के रंगों से हमारी संस्कृति को और भी सुंदर बना रहे हैं। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एक दूसरे विचारों और अनुभवों का साझा करने का बड़ा अवसर भी है। हम सब एक दूसरे से सीखेंगे, जानेंगे, समझेंगे और मिलजुलकर सोचेंगे कि दुनिया को किस तरह बेहतर बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी कलाकारों को विदेश में प्रस्तुति का अवसर और मंच प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हेतु सहमति बनी है जिससे आदिवासी संस्कृति के प्रसार और विनिमय का दायरा बढ़ेगा।विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ के लिए आज गौरव का दिन है। आदिवासियों के सम्मान को और ऊंचाई देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, मूल विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए जनमत मिला था। मुख्यमंत्री श्री बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ी की उन्नति के लिए बहुत बेहतर ढ़ंग से काम कर रही है। राज्य सरकार की योजनाओं से किसानों, गरीबों और पिछड़ों को न्याय मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने के लिए सभी को गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। पर्यटन एवं गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पिछले चार वर्षो में राज्य सरकार गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। अपनी संस्कृति और परम्परा संरक्षित और संवर्धित करने का काम कर रही है।
संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित कर छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों का सम्मान बढ़ाया है और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन कर आदिवासियों का मान बढ़ाया है। आज छत्तीसगढ़ को देश और दुनिया में नई पहचान मिली है। मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने स्वागत भाषण एवं आभार प्रदर्शन संस्कृति सचिव श्री अन्बलगन पी. ने किया। कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भंेड़िया, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, आदिमजाति विकास मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री रूद्र कुमार, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, अनेक संसदीय सचिव, विधायक, निगम मंडल के अध्यक्ष सहित ईजिप्ट के काउंसलर श्री इमेज, टोगो के श्री माजा, हरियाणा के प्रमुख सचिव संस्कृति श्री डी. सुरेश सहित अनेक जनप्रतिनिधि और नागरिकगण उपस्थित थे। -
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अब एक कॉल पर घर बैठे बनेगा 5 साल तक के बच्चों का आधार कार्डमुख्यमंत्री मितान योजना की सफलता को देखते हुये एक और सेवा जोड़ी गयी
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप नागरिकों को आवश्यक सेवायें घऱ पर ही उपलब्ध कराने के लिये मुख्यमंत्री मितान योजना शुरू की गयी थी । इस योजना की सफलता को देखते हुये 1 नवंबर से इसमें एक और सेवा को जोड़ा जा रहा है । इस योजना के तहत अब 5 वर्ष तक के बच्चों का आधार मितान द्वारा घर आकर बनाया जाएगा। टोल फ्री नंबर 14545 पर कॉल कर अपनी सुविधानुसार अप्वाइंटमेंट बुक किया जा सकता है। आवेदक द्वारा दी गयी नियत तिथि एवं समय अनुसार मितान घर आकर बच्चों का आधार पंजीकरण करने आएंगे। पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण होने के कुछ ही दिनों में बच्चे का आधार आवेदक द्वारा दिए गए पते पर आ जाएगा।
मुख्यमंत्री मितान योजना के माध्यम से 5 वर्ष तक के बच्चों का आधार बनाने के लिए निम्न दस्तावेज आवश्यक हैं- राशन कार्ड, सीजीएसएस/ स्टेट गवर्नमेंट/ ईसीएचएस/ ईएसआईसी /मेडिकल कार्ड, आर्मी कैंटीन कार्ड, पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट, राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा जारी परिवार से संबंधित दस्तावेज
बच्चों के आधार पंजीकरण के समय माता, पिता मे से किसी एक का आधार नंबर एवं बायोमेट्रिक अनिवार्य होगा ।छोटे बच्चों का आधार बनाने के लाभ-
5 वर्ष तक के बच्चों का आधार बनाने से विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए महत्वपूर्ण होता है। छोटे बच्चों का आधार बनाने से यह एक डिजिटल फोटो पहचान के रूप में भी काम आता है। इसके अतिरिक्त पासपोर्ट, पेन कार्ड, बैंक खाता के लिए भी आधार कार्ड उपयोगी रहेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मितान योजना को फिलहाल प्रदेश के 14 नगर निगमों में शुरू किया गया है जिसे बाद मे प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में शुरू किया जाएगा । इस योजना में अब तक जन्म प्रमाण-पत्र,मृत्यु प्रमाण-पत्र,विवाह प्रमाण-पत्र,जाति प्रमाण-पत्र,निवास प्रमाण-पत्र जैसे ज़रूरी सेवाएं घर बैठे मिल रही हैं । -
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मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर दी बधाई
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को 23वें राज्य स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए हमारे पुरखों ने जो सपना देखा था, उन सपनों को साकार करने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले चार वर्षों में लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए अनेक नवाचारी कार्यों की शुरूआत की है।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि राज्य की बागडोर संभालते ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने का काम हमने किया। किसानों की कर्ज माफी और उन्हें उपज की वाजिब कीमत दिलाने की पहल की। जल, जंगल, जमीन से जुड़े वनवासियों को वनाधिकार पट्टे, सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए गए, अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून को प्रभावी बनाया गया है। किसानों और ग्रामीणों को राज्य की अर्थव्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सुराजी गांव योजना शुरू की। गौठानों में आर्थिक गतिविधियों के लिए महिला समूहों को वर्मी कम्पोस्ट निर्माण से जोड़ा गया। अब इस कार्य को और आगे बढ़ाते हुए गौठानों में रूरल इण्डस्ट्रीयल पार्क बनाए जा रहे हैं। इसका सीधा फायदा युवाओं को मिल रहा है। इससे गांवों में रोजगार के नये-नये अवसर बढ़ रहे हैं।
राज्य के समावेशी विकास के लिए हमने न्याय योजनाओं राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की शुरूआत की। इन न्याय योजनाओं से समाज के सभी वर्गों को आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। राज्य में चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं के जमीनी परिणाम आज सकारात्मक रूप में हमारे सामने हैं। राज्य की जनहितैषी योजनाओं के साथ हम ’न्याय’ का एक नया अध्याय लिख रहे हैं और ’नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने की ओर सतत अग्रसर हैं। यही कारण है छत्तीसगढ़ में बेरोजगार देश में सबसे कम है।
श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, संस्कार और संसाधनों को संरक्षित और संवर्धित करने के साथ ही सुलभ और सुचारू प्रशासन व्यवस्था लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं। विकास प्रदेश के हर कोने और हर व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए नई प्रशासनिक ईकाइयों का गठन किया गया है। पिछले चार सालों में छह नये जिले, 85 तहसील और 11 नये अनुविभाग बनाए गए हैं।
छत्तीसगढ़ देश का एक मात्र राज्य है जो कोदोे, कुटकी, रागी की खेती के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत सब्सिडी दे रहा है। गोधन न्याय योजना में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के साथ-साथ अब गौ-मूत्र की खरीदी की जा रही है। मुख्यमंत्री मितान योजना के अंतर्गत नागरिकों को घर बैठे शासकीय दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर में रियायती मूल्य पर जरूरतमंदों को दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है।समर्थन मूल्य में धान खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने राज्य के किसानों का हौसला बढ़ाया, जो किसान खेती-किसानी छोड़ चुके थे। उन किसानों ने भी अब खेती-किसानी की ओर रूख किया है। इस वर्ष धान की खरीदी के लिए 110 लाख मीटरिक टन का लक्ष्य रखा गया है। धान खरीदी का काम पूरे राज्य में एक नवम्बर से शुरू हो रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अनेक योजनाएं लागू की गई हैं। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल और स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए गए हैं। जरूरतमंदों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना में गरीब परिवारों को 5 लाख रूपए तथा अन्य परिवारों सालाना 50 हजार रूपए तक की सहायता और मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना में गंभीर रोगों के इलाज के लिए 20 लाख रूपए तक की सहायता दी जा रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर जिला अस्पतालों तक स्वास्थ्य अधोसंरचना को सुदृढ़ किया गया है। इसके साथ ही साथ मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, दाई-दीदी क्लिनिक योजना प्रारंभ की गई है। राज्य सरकार सभी वर्गों को साथ में लेकर छत्तीसगढ़ को समृद्ध एवं विकसित राज्य बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। -
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सिकलसेल के विरूद्ध लड़ाई में जागरूकता सबसे बड़ी जरूरतमुख्यमंत्री ने 28 जिलों में सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों का किया उद्घाटन
इन केन्द्रों में सिकलसेल की निःशुल्क जांच, उपचार, दवाई एवं परामर्श की सुविधा उपलब्ध होगी
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में जल्द ही राष्ट्रीय स्तर के सिकलसेल रिसर्च सेंटर की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में स्थापित नवीन सिकल सेल प्रबंधन केंद्रों का उद्घाटन करते हुए यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 28 जिलों में सिकलसेल प्रबंधन केन्द्र का उद्घाटन किया। इसके साथ ही प्रदेश के 24 जिला अस्पतालों, नौ मेडिकल कॉलेजों तथा राजधानी रायपुर स्थित सिकलसेल संस्थान छत्तीसगढ़ में सिकलसेल की निःशुल्क जांच, उपचार और परामर्श की सुविधा उपलब्ध हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस.सिंहदेव भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि सिकलसेल एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है। इस रोग से भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए इस रोग के प्रति जागरूकता सबसे ज्यादा आवश्यक है। सिकलसेल के मरीजों की जल्द पहचान करने के बाद उचित चिकित्सकीय प्रबंधन व दवाओं से इसके शारीरिक दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है और रोगी लम्बी आयु का जीवन जी सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि रोगियों को उचित उपचार सरलता से उपलब्ध हो। साथ ही सिकलसेल के अनुवांशिक गुण वाले व्यक्तियों की पहचान विवाह से पूर्व कर उन्हें इस पर आवश्यक परामर्श देकर इस रोग के प्रसार को भावी पीढ़ी में कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस रोग को छुपाना नहीं चाहिए। पहचान होने पर इसका अस्पताल में इलाज कराना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकलसेल की समस्या का प्रभावी रूप से मुकाबला करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा नवीन सिकल सेल प्रबंधन केंद्र की स्थापना की जा रही है। यह केंद्र प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेज अस्पतालों एवं सभी जिला चिकित्सालयों में संचालित किए जाएंगे। इन केन्द्रों में सिकलसेल की जांच एवं उपचार के साथ अस्पताल की प्रयोगशाला के माध्यम से साल्युबिटी टेस्ट द्वारा स्क्रीनिंग एवं इलेक्ट्रोफोरेसिस तथा नवीन विधि पॉइंट ऑफ केयर (च्व्ब्) टेस्ट द्वारा पुष्टि हेतु जांच उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि मेडिकल कॉलेजों एवं जिला अस्पतालों में संचालित सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों का लाभ प्रदेश के सिकलसेल रोगियों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकलसेल जांच की नवीन विधि पॉइंट ऑफ केयर (POC) टेस्ट काफी आसान है। मितानिनें भी इस विधि से जांच कर सकती है। इस पद्धति से अभियान चलाकर सिकलसेल मरीजों की पहचान की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में सिकलसेल से पीड़ित राजेन्द्र नगर रायपुर के सात वर्षीय बालक प्रतिक दास मानिकपुरी और गुढ़ियारी की 17 वर्षीय बालिका ओशिका रामटेके को डिजिटल कार्ड प्रदान कर सिकलसेल से पीड़ित व्यक्तियों को डिजिटल कार्ड वितरण का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने रायगढ़ के सिकलसेल प्रबंधन केन्द्र में सिकलसेल पीड़ित निशा चक्रधारी और सूरजपुर के केन्द्र में उपस्थित 12वीं की छात्रा सरगम राजवाड़े से केन्द्रों में उपलब्ध उपचार की सुविधा की जानकारी ली। इस दोनों पीड़ितों ने बताया कि उन्हें बेहतर उपचार मिल रहा है। इससे उन्हें बड़ी राहत मिली है।
स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस.सिंहदेव ने कहा कि सिकलसेल के मरीजों को बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए प्रयास किए जा रहे है। इसका जल्द ही शिलान्यास होगा। उन्होंने कहा कि सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों में निःशुल्क जांच, उपचार और परामर्श सुविधा से पीड़ितों को बड़ी राहत मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर. ने कार्यक्रम में सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों की व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब तक किए गए सर्वे प्रदेश की दस प्रतिशत आबादी में सिकलसेल वाहक और एक प्रतिशत रोगी पाए गए हैं। सिकलसेल प्रबंधन केन्द्रों में विशेष रूप से उपचार प्राप्त कर रहे प्रत्येक सिकलसेल रोगी की इलेक्ट्रानिक एण्ट्री सिकलसेल संस्थान के पोर्टल में कर सूची संधारित की जाएगी एवं उन्हें नियमित फॉलो-अप एवं दवा लेने हेतु संपर्क किया जाएगा। स्वागत भाषण स्वास्थ्य संचालक श्री भीम सिंह ने दिया। कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक श्री अशोक जुनेजा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक श्री भोस्कर विलास संदिपान, सीजीएमएससी प्रबंध संचालक श्री अभिजीत सिंह, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. विष्णुदत्त सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री छठ पर्व में हुए शामिल
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज शाम राजधानी में महादेव घाट पर आयोजित छठ पर्व समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन महादेव घाट छठ पर्व आयोजन समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी को छठ पर्व की शुभकामनाएं दी और कहा कि यह प्रकृति की उपासना का पर्व है। यह उगते एवं डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का पर्व है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आयोजन समिति के आग्रह पर कहा कि समिति के द्वारा छठ पूजा के लिए जमीन आबंटन की मांग की गई है, समिति द्वारा इस संबंध में शासन को आवेदन करने पर उन्हें प्रक्रिया अपनाने के बाद जमीन आबंटित कर दी जाएगी। साथ ही जमीन आबंटित होने के पश्चात् भवन निर्माण के लिए भी सहायता दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह पूर्वांचल एवं भोजपुरी समाज के लोगों का सबसे बड़ा पर्व है। इस पर्व में कोई भेद-भाव नहीं होता, न कोई राजा होता और न कही कोई रंक होता है। सबके प्रति समान भाव रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर्व में कठिन तपस्या के बाद सूर्य की उपासना की जाती है। वास्तव में सूर्य ऊर्जा का स्रोत होता है। सूर्य की उपासना के बाद हम सभी में ऊर्जा का संचार होता है। इस अवसर पर संसदीय सचिव श्री विकास उपाध्याय ने भी संबोधन दिया। कार्यक्रम में खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, आबकारी मंत्री श्री कवासी लखमा, महापौर श्री एजाज ढेबर, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष श्री पंकज शर्मा सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। -
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धान खरीदी की व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने मुख्य सचिव के नेतृत्व में प्रभारी सचिव, कलेक्टर रहें मुस्तैद
समिति स्तर पर 1 नवंबर किसानों की बैठक ली जाए, किसानों से धान आवागमन की प्लानिंग समिति स्तर पर करें
धान को सुखा कर लाने के लिए किसानों को सेंसिटाइज़ करें ताकि उन्हें परेशानी न हो
भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक वर्ष नमी का प्रतिशत 17 प्रतिशत से कम होना चाहिए, इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए
धान परिवहन की व्यवस्था पूर्ण कर ली गयी है
मिल पंजीयन में तेज़ी लाई जाए
धान का अवैध परिवहन रोकने अंतर्राज्यीय सीमाओं पर जांच चौकियां सक्रियता से करें कार्यरायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि धान बेचने वाले किसानों को समितियां और उपार्जन केन्द्रों में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए। धान खरीदी की सभी व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में जिलों के प्रभारी सचिव और कलेक्टर मुस्तैद रहें। उन्होंने कहा कि समिति स्तर पर 1 नवम्बर को किसानों की बैठक ली जाए और किसानों से धान आवागमन की प्लानिंग समिति स्तर पर की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश के कारण धान कटाई पूरे तरीके से शुरू नही हुई है। किसानों को धान को सुखाकर लाने के लिए सेंसिटाईस करें, ताकि उन्हें धान बेचने में परेशानी न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक वर्ष खरीदे जाने वाले धान में नमी का प्रतिशत 17 प्रतिशत से कम होना चाहिए। इसका किसानों के बीच व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने धान की मिलिंग के लिए राईस मिलों के पंजीयन के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, वित्त सचिव श्रीमती अलरमेलमंगई डी., मुख्यमंत्री के सचिव श्री डी.डी. सिंह, खाद्य सचिव श्री टोपेश्वर वर्मा, मुख्यमंत्री के उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में किसानों के पंजीयन की स्थिति, बारदाना व्यवस्था, धान परिवहन की तैयारियों, संग्रह केन्द्रों में की गई तैयारियों और मिलों के पंजीयन की स्थिति की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में जानकारी दी गई कि धान परिवहन की व्यवस्था पूर्ण कर ली गई है। नवगठित सभी पांच जिलों में डीएमओ, सहायक लेखा अधिकारी व क्षेत्र सहायक की पदस्थापना की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सीमावर्ती राज्यों से धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए अंतर्राज्यीय सीमाओं पर जांच चौकियां सक्रियता से काम करें।
पंजीकृत किसानों और धान के रकबे में बढ़ोतरी
बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ वर्ष 2022-23 में एक लाख 29 हजार नये किसानों के एक लाख 9 हजार हेक्टेयर रकबे का नवीन पंजीयन किया गया है। इस प्रकार खरीफ वर्ष 2022-23 में धान खरीदी के लिए 25 लाख 23 हजार किसानों के 29.42 लाख हेक्टेयर रकबे का पंजीयन किया जा चुका है। गौरतलब है कि पिछले खरीफ वर्ष में धान खरीदी के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या 24 लाख 5 हजार थी। बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि धान खरीदी के लिए वर्तमान में लगभग 3 लाख 92 हजार गठान नये, पुराने बारदाने उपलब्ध हो चुके हैं। इसके अलावा नये बारदानों की प्राप्ति तथा पुराने बारदानों के संकलन एवं सत्यापन का कार्य सतत रूप से प्रक्रियाधीन है। राज्य स्तरीय समिति के निर्णय के अनुसार सभी जिलों में धान परिवहन हेतु परिवहनकर्ताओं से अनुबंध किया जा चुका है, साथ ही धान परिवहन हेतु अन्य आवश्यक तैयारियां भी पूर्ण की जा चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मिलरों द्वारा समितियों से धान के अधिकतम उठाव को सुनिश्चित करने के लिए कार्ययोजना बनाकर कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि समितियों को धान खरीदी हेतु अग्रिम राशि उपलब्ध कराई जाए। बैठक में बताया गया कि विपणन संघ द्वारा धान खरीदी के संबंध में प्रदेश स्तर पर जिलों के सभी मास्टर ट्रेनर्स तथा मास्टर ट्रेनरों द्वारा धान खरीदी में संलग्न अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। -
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देश-विदेश के जनजातियों के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली, नृत्य की दिखेगी झलक
रायपुर : आधुनिकता के दौड़ से दूर जंगलों में रहने वाली जनजातियों की अपनी समृद्ध संस्कृति है। विभिन्न जनजातियों के अपने तीज-त्यौहार, लोक नृत्य व गीत भी हैं। इन आदिवासियों की कला और संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य के 23वें स्थापना दिवस के अवसर पर 1 से 3 नवंबर तक किया जा रहा है। राज्य में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है। महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में होगा।
छत्तीसगढ़ में 42 तरह की जनजातियां निवासरत्
छत्तीसगढ़ राज्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। यहां का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है एवं यहां जनजातियों की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 31 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य में 42 तरह की जनजातियां निवास करती हैं। इस महोत्सव के माध्यम से जनजाति कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शन का अवसर मिलता है।
आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण
महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय कलाकारों के बीच उनकी कलाओं की साझेदारी होगी। वे एक-दूसरे के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली को भी देख-समझ सकेंगे। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से आदिवासी संस्कृति एवं सभ्यता को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है। यह आयोजन देश और पूरी दुनिया के जनजातीय समुदायों के आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
देश विदेश के 1500 से अधिक जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए देश के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों सहित 09 देशों के 1500 आदिवासी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेगें। इन कलाकरों में देश के 1400 और विदेशों के 100 प्रतिभागी शामिल होंगे। आयोजन में मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगा, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे।
विदेशी जनजातियों की संस्कृति को भी जानने का मिलेगा मौका
छत्तीसगढ़ मंे प्रथम बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन वर्ष 2019 में 27 से 29 दिसम्बर तक किया गया था। इस महोत्सव में कुल 1,262 कलाकारों ने भाग लिया। इनमें 06 देशों के 59 जनजतीय कलाकारों शामिल थे। इसमें भारत के विभिन्न राज्यो सहित श्रीलंका, यूगांडा, मालदीव, थाईलैंड, बंग्लादेश और बेलारूस कलाकारों ने अपने देश के संस्कृति को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव वर्ष 2021 का आयोजन 28 अक्टूबर से 01 नवंबर तक किया था। जिसमें कुल 1,149 कलाकारों ने भाग लिया। इनमें में 07 देशों के 60 जनजातीय कलाकारों भी शामिल थे। इनमें स्वीजरलैंड, माली, नाइजीरिया, श्रीलंका, फ़िलिस्तीन, यूगांडा और उज्बेकिस्तान के कलाकारों ने भाग लिया।
इस वर्ष राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव वर्ष 2022 का आयोजन 01 से 03 नवंबर तक होगा। इस महोत्सव में कुल 1500 जनजातीय कलाकार भाग लेंगे। इसमें 09 देशों के 100 जनजातीय कलाकार भाग लेने पहुँचेंगे। इनमें मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगा, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे।
‘फसल कटाई और आदिवासी रीति-रिवाज की थीम पर होगा नृत्य महोत्सव
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में इस बार दो थीम रखी गई है। पहली थीम है ‘फसल कटाई पर होने वाले आदिवासी नृत्य’ और दूसरी थीम है ‘आदिवासी परम्पराएँ और रीति- रिवाज’। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।
उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रतिभागियों को कुल 20 लाख रुपए का पुरस्कार
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के विजेताओं को कुल 20 लाख रुपए के पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा। प्रथम स्थान के लिए 05 लाख रुपए, द्वितीय स्थान के लिए 03 लाख रुपए और तृतीय स्थान के लिए 02 लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे।
जनजातीय कला, संस्कृति और विरासत को सहेजने के लिए हो रहे जतनगौरतलब है कि राज्य सरकार ने विगत् पौने चार वर्षो में छत्तीसगढ़ की लोक तथा जनजाति कला, संस्कृति और विरासत सहेजने और संवारने के लिए बहुत सारे जतन किये है। यहां के पर्यटन स्थलों, कला परपंराओं और संस्कृति के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में राज्य गीत को मान्यता दी गई, इसका मानकीकरण किया गया। राज्य के लोक एवं पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण स्तर छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक नाम से खेलकूद आयोजन किया जा रहा है -
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कांकेर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज विधानसभा के उपाध्यक्ष स्वर्गीय श्री मनोज सिंह मण्डावी के श्रद्धांजलि और शांति-भोज कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कांकेर जिले के नाथियानवागांव पहुंचे। उन्होंने वहां माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष स्वर्गीय श्री मनोज सिंह मण्डावी की समाधि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने स्वर्गीय श्री मनोज सिंह मण्डावी को याद करते हुए कहा कि वे सहज, सरल, मृदुभाषी लोकप्रिय नेता थे। वे विधानसभा में अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमेशा मजबूती से उठाते रहे। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय श्री मण्डावी के शोकाकुल परिवार से भेंट कर ढांढस बंधाया और सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय श्री मण्डावी छात्र जीवन से ही राजनेता के रूप में जाने जाते रहे। वे सबसे पहले वर्ष 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य निवार्चित हुए, इसी कार्यकाल में नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर उन्हें गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई, इसके पश्चात वर्ष 2013 और 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। उनका निधन हम सबके लिए, कांकेर जिले के साथ पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अपूर्णीय क्षति है।
इस अवसर पर विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, राज्यसभा के पूर्व सांसद श्री पीएल पुनिया, सांसद श्री मोहन मण्डावी, संसदीय सचिव श्री शिशुपाल शोरी, कोण्डागांव विधायक श्री मोहन मरकाम, बालोद विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा, बीजापुर विधायक विक्रम शाह मण्डावी, कुरूद विधायक श्री अजय चन्द्राकर, जिला पंचायत के अध्यक्ष श्री हेमन्त ध्रुव, पूर्व विधायक एवं जिला सहकारिता केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष श्री शंकर ध्रुवा, बस्तर विकास प्राधिकरण के सदस्य श्री बिरेश ठाकुर, अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य श्री नितीन पोटाई, बस्तर संभाग के कमिश्नर श्री श्याम धावड़े, आईजी बस्तर श्री सुन्दरराज पी, कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला, पुलिस अधीक्षक श्री शलभ कुमार सिन्हा, समाज प्रमुख सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद थे। -
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कांकेर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज कांकेर जिले के चारामा प्रवास के दौरान वहां के मिनी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्र के विकास के लिए लगभग 50.55 करोड़ रुपए की लागत के 127 विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। उन्होंने इसके अलावा हितग्राहीमूलक योजनाओं में हितग्राहियों को सामग्री व सहायता राशि के चेक का वितरण भी किया और आम सभा को सम्बोधित किया।इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, आबकारी मंत्री श्री कवासी लखमा, महिला एवं बाल विकास मंत्री एवं जिले की प्रभारी मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत, संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर श्री शिशुपाल सोरी, पूर्व राज्यसभा सांसद श्री पी एल पुनिया उपस्थित थे -
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मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल: विशेष पिछड़ी जनजाति के 80 युवाओं को मिली शासकीय नौकरी
मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने 80 विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा युवाओं को सौंपा नियुक्ति प्रमाण पत्र
विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा युवाओं ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया
कबीरधाम : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप प्रदेश के कबीरधाम जिले में बैगा जनजाति के 80 शिक्षित युवाओं को शिक्षा, राजस्व, सहायक शिक्षक, पशुपालन विभाग में परिचारक, भृत्य के पदों पर नियुक्ति प्रदान की गई है। जिला कार्यालय कबीरधाम के सभाकक्ष में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री व कवर्धा विधायक श्री मोहम्मद अकबर ने 80 विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा युवाओं को नियुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए विशेष पिछड़ी जनजातियों को सामाजिक उत्थान की दिशा में इन वर्ग के पढ़े लिखे युवक-युवतियों को चतुर्थ एवं तृतीय वर्ग शासकीय नौकरी में सीधी भर्ती दी जा रही है। विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षित युवाओं को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी देने की मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करते हुए कबीरधाम जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति के 80 बैगा युवाओं को शासकीय सेवा में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्त किया गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार जो कहती है उसे पूरा भी करती है। प्रदेश में निवासरत अति पिछड़ी जनजाति वर्ग के शिक्षित युवक-युवतियों को शिक्षा और विकास के मुख्य धारा में लाने सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ग के युवक-युवतियां को रोजगार देकर उन्हे मुख्यधारा में लाने की शुरूआत कर दी है।
कबीरधाम जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के 80 युवा शासकीय नौकरी मिलने पर काफी खुश है। चेहरों पर मुस्कान लिए खुशी का इजहार करने इन बैगा युवाओं ने आज जिला कलेक्टोरट पहुंचकर नियुक्ति पत्र प्राप्त किया। इस अवसर पर बैगा युवाओं ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर और जिला प्रशासन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान इन युवाओं ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति के हित में लगातार कार्य किया जा रहा है, जो सराहनीय है। मुख्यमंत्री श्री बघेल के द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षित युवाओं को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी प्रदान करने का जो निर्णय लिया गया है और उनके इस निर्णय की वजह से हमें शासकीय सेवा में आने का अवसर मिला। इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन 1 से 3 नवंबर तक
सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों सहित 09 देशों के 1500 आदिवासी कलाकार देंगे मनमोहक प्रस्तुति
दो कैटेगिरी में प्रतियोगिताएं होंगी आयोजित
विजेताओं को कुल 20 लाख रुपए के पुरस्कारों का किया जाएगा वितरण
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है। 42 तरह की जनजातियां प्रदेश में निवास करती हैं। इन सभी जनजातियों के अपने-अपने तीज-त्यौहार हैं, अपनी-अपनी संस्कृति है, अपनी-अपनी कला परंपराएं हैं। इन्हीं सबसे मिलकर छत्तीसगढ़ राज्य की सुंदर संस्कृति और परंपराओं का निर्माण होता है। छत्तीसगढ़ में जनजातियों की जनसंख्या कुल जनसंख्या का 31 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति एवं सभ्यता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। इसी कड़ी में राज्य में तीसरी बार आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल की पहल पर इंटरनेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल के रूप में एक बहुत महत्वपूर्ण परंपरा की शुरुआत छत्तीसगढ़ में की गई है। यह प्रयास न केवल छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि देश और पूरी दुनिया के जन-जातीय समुदायों के आपसी मेलजोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध साबित हो रहा है।
इस आयोजन में भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जनजातीय कलाकारों की टीमों के साथ-साथ 09 देशों के जनजातीय कलाकारों की टीमें भी शामिल हो रही हैं। इस वर्ष यह आयोजन 01 नवंबर से शुरू हो रहा है। यह छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की तारीख भी है। रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव का आयोजन तीन दिनों तक किया जाएगा। इस आयोजन मंी 1500 जनजातीय कलाकार शामिल होंगे। इनमें से 1400 कलाकार भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं, और 100 कलाकार विदेशों के होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है। पिछले वर्ष इस आयोजन में 12 देशों ने रुचि ली थी, जिनमें से 07 ने इसमें हिस्सा लिया था। इस साल 26 देशों ने रुचि प्रदर्शित की है, इनमें से 09 देश इस महोत्सव में शामिल होने जा रहे हैं। इस आयोजन में मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे।
इंटरनेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल में दो कैटेगिरी में प्रतियोगिताएं होंगी। विजेताओं को कुल 20 लाख रुपए के पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा। प्रथम स्थान के लिए 05 लाख रुपए, द्वितीय स्थान के लिए 03 लाख रुपए और तृतीय स्थान के लिए 02 लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे। 01 नवंबर को सुबह नृत्य महोत्सव का शुभारंभ होगा और शाम को राज्योत्सव के अवसर पर राज्य अलंकरण दिया जाएगा।
03 नवंबर को नेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल का समापन होगा। इस महोत्सव के माध्यम से न केवल राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय कलाकारों के बीच उनकी कलाओं की साझेदारी होगी, बल्कि वे एक-दूसरे के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली को भी देख-समझ सकेंगे। महोत्सव के दौरान संगोष्ठियां भी होंगी, जिनमें जनजातीय विकास के बारे में विमर्श होगा। जाने-माने विशेषज्ञ भी इसमें शामिल होंगे।
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एजेंसी
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने बहुत ही बड़ा फैसला लेते हुए क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया है. बीसीसीआई ने घोषणा की है कि महिला क्रिकेटरों को अब पुरुष खिलाड़ियों जितनी ही मैच फीस दी जाएगी. पिछले अध्यक्ष सौरव गांगुली के पद से विदा होने के बाद यह भारतीय बोर्ड का एक ऐसा बड़ा फैसला है, जिसका पूरे क्रिकेट जगत पर बहुत ही बड़ा असर होगा. बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि मुझे लैंगिंग समानता की दिशा में पहला कदम उठाते हुए खुशी हो रही है. हम भारतीय महिला टीम के अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए बराबर की नीति लागू कर रहे हैं. हम क्रिकेट में लैंगिक समानता की दिशा के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं. और हम पुरुष और महिला क्रिकेटरों को बराबर मैच फीस का भुगतान किया जाएगा.
अब मिलेगी इतनी रकम
बता दें कि भारतीय पुरुष टीम के खिलाड़ियों को प्रति टेस्ट मैच 15 लाख, हर वनडे मैच के लिए छह और टी20 मुकाबले के लिए तीन लाख रुपये मैच फीस मिलती है. बोर्ड के इस फैसले के बाद अब अनुबंधित महिला टीम के खिलाड़ियों को भी इतनी ही मैच फीस मिलेगी, जिससे उनकी वार्षिक आमदनी पर बहुत ही ज्यादा असर पड़ेगा.
लेकिन सालाना अनुबंध को लेकर स्थिति साफ नहीं
बता दें कि पुरुष क्रिकेटरों की तरह ही बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों से भी सालाना अनुबंध करता है, लेकिन दोनों की मैच फीस से अलग अनुबंध राशि में जमीन आसमान का फर्क है. भारतीय पुरुष क्रिकेट "ए+" कैटेगिरी के तहत सालाना सात करोड़, "ए" कैटेगिरी से सालना पांच और ग्रेड "बी" के तहत सालना तीन और ग्रेड सी के तहत प्रत्येक साल एक करोड़ रुपये की रकम पाते हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अनुबंध की रकम काफी कम है.
महिला क्रिकेटरों की अनुबंध कैटेगिरी
जहां पुरुष क्रिकेटरों के लिए कुल मिलाकर चार कैटेगिरी हैं, तो वहीं अनुबंधि महिला खिलाड़ियों को तीन वर्गों में बांटा गया है. ए कैटेगिरी की खिलाड़ियों को सालाना पचास लाख, जबकि बी कैटेगिरी की खिलाड़ियों को तीस लाख रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि सी कैटेगिरी की अनुबंधित खिलाड़ियों को साल में दस लाख रुपये मिलते हैं.
अब फैंस का सवाल यह है कि...
बीसीसीआई के ऐलान के बाद करोड़ों भारतीय फैंस और महिला क्रिकेट के समर्थक इसी पहलू को लेकर असमंजस में हैं कि जहां बीसीसीआई ने महिला खिलाड़ियों की मैच फीस पुरुषों के बराबर कर दी है, तो क्या पुरुषों की अनुबंध राशि की तुलना में उनके सालाना अनुबंध की राशि भी बढ़ेगी, या फिर यह जस का तस ही रहेगा?
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
दुर्ग : अन्नकूट के नाम से भी पहचाने जाने वाली गोवर्धन पूजा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने दुर्ग जिले के ग्राम बैलोदी में अपने स्वजनों और ग्रामीण जनों के बीच हर्षाेल्लास के साथ मनाई। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि लोक आस्था का यह पर्व सभी के जीवन में नव उर्जा और बंधुत्व का संचार करे, हर घर धन धान्य से परिपूर्ण हो। उन्हांेने गोवर्धन पर्व को प्रकृति प्रेम व परोपकार का प्रतीक बताया और कहा कि प्रकृति की पूजा और संरक्षण आने वाले भावी पीढ़ियों के लिए अति आवश्यक है, इसलिए सभी को इस पर्व के मूलमंत्र का अनुसरण करना चाहिए।
मुख्यमंत्री बेलौदी में कला मंच में ग्राम वासियों से रूबरू हुए। यहां उनकी उपस्थिति में दिव्य शक्ति से पर्वत को उंगली में उठाए हुए भगवान श्री कृष्ण की आकृति के समक्ष ग्राम वासियों ने हर्षाेल्लास के साथ भगवान की पूजा, गाय की परिक्रमा कर परिपूर्ण कराई। ग्रामवासियों ने मुख्यमंत्री को टीका लगाया और आपस में एक दूसरे को भी टीका लगाकर भाईचारे का संदेश दिया। बेलौदी के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को ग्रामीण संस्कृति के अनुरूप जोहार भी किया। मुख्यमंत्री ने गांव का भ्रमण कर स्वजनों और ग्रामीणों से भेंट की। साथ ही साथ बच्चों और महिलाओं के साथ सेल्फी भी ली।
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भाषा की रिपोर्ट
बारामती: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जब महाराष्ट्र में प्रवेश करेगी, तो वह इसमें भाग लेंगे, क्योंकि इसके माध्यम से समाज में सौहार्द लाने का प्रयास किया जा रहा है. पवार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि प्रदेश कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट ने उनसे मुलाकात की थी और भारत जोड़ो यात्रा जब सात नवंबर को राज्य में आएगी तो उसमें शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया था. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सात सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और यह 150 दिन में 3,570 किलोमीटर की दूरी तय करके जम्मू कश्मीर पहुंचेगी.
यात्रा की अगुवाई पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं. अभी तक यह यात्रा चार राज्यों तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पहुंच चुकी है. पवार ने कहा, ‘‘यह यात्रा कांग्रेस पार्टी का कार्यक्रम है. लेकिन इस पहल के माध्यम से समाज में सौहार्द लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसलिए विभिन्न दलों के कुछ नेता राज्य में यात्रा के आने पर जहां भी संभव होगा, उसमें शामिल होंगे.'' एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राकांपा नेता ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के चुनावों को लेकर हो रही राजनीति पर चुटकी ली.
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ क्षेत्रों में राजनीति नहीं लानी चाहिए. जो ऐसा करते हैं, वे नादान हैं. जब मैं बीसीसीआई का अध्यक्ष था, गुजरात के प्रतिनिधि नरेंद्र मोदी थे, दिल्ली का प्रतिनिधित्व अरुण जेटली करते थे और अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि थे. हमारा काम खिलाड़ियों को सुविधाएं प्रदान करना है. हम अन्य चीजों को लेकर परेशान नहीं होते.''
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के रविवार के औरंगाबाद दौरे के संबंध में पवार ने कहा, ‘‘अच्छी बात है कि वह किसानों से मिलने जा रहे हैं. उनकी सेहत में सुधार हुआ है. उन्हें किसानों की मांग राज्य और केंद्र सरकारों के सामने रखनी चाहिए. अगर किसानों को फायदा होता है, तो अच्छी बात है.''
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के रविवार के औरंगाबाद दौरे के संबंध में पवार ने कहा, ‘‘अच्छी बात है कि वह किसानों से मिलने जा रहे हैं. उनकी सेहत में सुधार हुआ है. उन्हें किसानों की मांग राज्य और केंद्र सरकारों के सामने रखनी चाहिए. अगर किसानों को फायदा होता है, तो अच्छी बात है.''
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रोशनी के त्योहार दीवाली पर पटाखों की रौनक न दिखे तो त्योहार अधूरा सा लगता है। बच्चों के साथ बड़ों को भी दीपावली में फूलझड़ी और पटाखें जलाने में बेहद आनंद आता है। पटाखें जलाते समय बच्चों का खास ध्यान रखना जरूरी है। असावधानीवश कई बार पटाखों और फूलझड़ी से बच्चों के हाथ जल जाते हैं। अगर जली हुई जगह का तुंरत उपचार नहीं किया जाए तो परेशानी बढ़ सकती है। दीवाली के दिन अगर आप भी पटाखें और फुलझड़ी जला रहे हैं तो सावधानी के साथ जलाएं। लापरवाही या दुर्घटनावश अगर किसी का हाथ जल जाए तो तुरंत घर में ही प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर के पास जाएं।
शरीर के किसी अंग के जलने पर इसका दो तरह का प्रभाव होता है। सुपरफिशल बर्न में जलने के बाद छाला हो जाता है, जबकि डीप बर्न में शरीर का जला हिस्सा सुन्न हो जाता है। अगर जले हुए हिस्से पर दर्द या जलन हो रही है तो इसका मतलब हालत गंभीर नहीं है। ऐसे में जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे तब तक रखें जब तक जलन कम न हो जाए। इससे न सिर्फ दर्द कम होगा, बल्कि छाले भी नहीं होंगे। जले हुए हिस्से पर बरनॉल न लगाएं, बल्कि उस पर ऑलिव आइल लगाएं। इसके बाद भी अगर लगातार जलन या दर्द हो रहा हो तो तुरंत बिना देरी के डॉक्टर के पास जाएं।
अक्सर देखा जाता है कि लोग जल जाने के बाद बरनॉल, टूथपेस्ट, नीली दवा आदि लगा लेते हैं। इससे उस वक्त तो जलन खत्म हो जाती है, लेकिन ये सब लगाने से जला हुआ हिस्सा रंगीन हो जाता है जिससे डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि जला हुआ हिस्सा कैसा है? जले हुए हिस्से को कम से कम 15 मिनट तक या जब तक कि जलन बंद न हो जाए, ठंडे पानी में रखना चाहिए। यदि घायल हिस्से को पानी के नीचे लाना कठिन हो, तो साफ, मुलायम कपड़े को ठंडे पानी मे भिगोएं और घायल हिस्से पर इसे रखें, लेकिन रगड़ें नहीं। इससे शरीर के ऊतकों की गर्मी को बाहर करने में मदद मिलेगी। ऐसा करने से आगे और नुकसान नहीं होगा और यह दर्द को भी कम करेगा। दीवाली हर्षोल्लास का त्योहार है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही से आपकी खुशियों पर ग्रहण लग सकता है। इसलिए सुरक्षित ढंग से यह त्योहार मनाएं।
दीवाली पर पटाखे जलाते समय इन बातों का रखें ध्यान
हमेशा खुले मैदान या खुले स्थान पर ही पटाखे जलाएं। पटाखा जलाने से पहले आसपास देख लें कि कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकड़ने वाली वस्तु तो वहां नहीं है। जितनी दूर तक पटाखे की चिंगारी जा सकती है, उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें। पटाखा जलाने के लिए अगरबत्ती या लकड़ी का इस्तेमाल करें ताकि पटाखे से आपके हाथ दूर रहें और जलने का खतरा न हो। रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह देख लें कि उसकी नोक खिड़की, दरवाजे या किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। यह दुर्घटना का कारण बन सकता है। पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते-चप्पल जरूर पहनें। अकेले पटाखे जलाने के बजाय सबके साथ मिलकर पटाखे जलाएं जिससे आपात स्थिति में लोग आपकी मदद कर सकें।