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बलरामपुर : वनाधिकार पत्र के निरस्त दावों की सुनवाई हेतु कुसमी में शिविर आयोजित

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा


कलेक्टर ने ग्रामवार बनाये गये काउंटर का किया निरीक्षण दिये आवश्यक दिशा-निर्देश

कलेक्टर हितग्राही की भूमिका में काउंटर पहुंचकर अधिकारियों से पूछा कि मुझे पट्टा चाहिए

इसके लिए किन प्रक्रियाओं का करना होगा पालन

बलरामपुर : जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के तत्वाधान में वनाधिकार पत्र के निरस्त  दावों की सुनवाई हेतु विकासखंड कुसमी में आयोजित शिविर में अनुभाग के 07 हजार 104 प्रकरणों पर पुनर्विचार किया गया। कलेक्टर श्री श्याम धावड़े ने उक्त शिविर में शामिल होकर ग्रामवार बनाए गए काउंटर का निरीक्षण किया तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
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शिविर में उन्होंने निरस्त प्रकरणों की सुनवाई के लिए पहुंचे आवेदकों को संबोधित कर वनाधिकार मान्यता पत्र अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी दी। कलेक्टर हितग्राही की भूमिका में काउंटर में पहुंचकर अधिकारियों से पूछा कि मुझे पट्टा चाहिए, इसके लिए किन प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
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अधिकारियों ने कलेक्टर को मान्यता पत्र प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया तथा नियमों से अवगत कराया। समस्त विकासखंडों में शिविर के माध्यम से जिले के कुल 53 हजार 769 निरस्त प्रकरणों की सुनवाई का कार्य पूर्ण किया गया है।
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पुनर्विचार में पात्र पाए गए प्रकरणों में आगे की कार्यवाही कर पट्टा प्रदाय किया जाएगा। अब तक  जिले में व्यक्तिगत वनाधिकार के 27191 हितग्राहियों को पट्टा प्रदाय किया जा चुका है।

 पुनर्विचार शिविर में कलेक्टर श्री श्याम धावड़े ने आवेदकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिविर में ग्राम स्तरीय तथा अनुभाग स्तरीय समिति द्वारा निरस्त प्रकरणों पर पुनर्विचार किया जा रहा है।  किन्ही कारणों से यदि हितग्राही का दावा निरस्त किया गया है तो उन्हें पुनः सुनवाई का अवसर दिया गया है।

अधिनियम के प्रावधानों बारे में बताते हुए कलेक्टर ने कहा कि वन अधिकार पत्र प्राप्त करने के लिए जनजातीय समुदाय के हितग्राही का राजस्व वन भूमि अथवा वन भूमि में 13 दिसंबर 2005 के पहले का कब्जा हो तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों के लिए 13 दिसंबर 2005 के पहले का कब्जा तथा तीन पीढ़ियों से निवास होना आवश्यक है।

साथ ही परिवार का कोई व्यक्ति शासकीय सेवा में नही होना चाहिए एवं उक्त भूमि में उनकी आजीविका की निर्भरता हो । साथ ही यह भूमि नारंगी क्षेत्र और गोचर के लिए आरक्षित न हो।कलेक्टर श्री धावड़े ने कहा कि वनाधिकार के आवेदनों में जिनके पास पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नही है उनके साक्ष्य एकत्रित करने में  प्रशासन सहयोग करेगा।

प्रशासनिक अधिकारियों की पूरी टीम  आवेदकों की सहायता के लिए जुटी हुई है। इस दौरान उन्होंने आवेदकों के प्रश्नों का जवाब दिया और उनकी समस्याएं भी सुनी । कलेक्टर ने लोगो से अपील करते हुए कहा कि वन अधिकर मान्यता पत्र प्राप्त होने का यह अर्थ कतई नही है कि आप वनों की कटाई करें।

वनों का संरक्षण तथा पर्यावरण की रक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है । उन्होंने कहा कि शिविर में वनाधिकार मान्यता पत्र के नए आवेदन भी लिए जा रहे है, जो भी इसकी पात्रता रखते है वे आवेदन कर सकते है। कलेक्टर श्याम धावड़े ने कहा कि समस्त विकासखंडों में वनाधिकार पुनर्विचार शिविर समाप्त हो गया। पुनर्विचार में पात्र पाये गए प्रकरणों पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

इस शिविर में जिला पंचायत सदस्य श्रीमती हीरामणी निकुंज, श्री अंकुश सिंह, जनपद अध्यक्ष श्री हुमन्त सिंह, उपाध्यक्ष हरीष मिश्रा, डिप्टी कलेक्टर श्री बालेश्वर राम,श्री प्रवेश पैंकरा, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कुसमी श्री दीपक निकुंज, राजपुर श्री आर.एस. लाल, सहायक आयुक्त आदिवासी श्री आर.के. शर्मा, तहसीलदार कुसमी श्री शबाब खान, शंकरगढ़ सुश्री उमा सिंह जनपद सी.ई.ओ श्री विनोद जायसवाल सहित विकासखण्ड स्तरीय अधिकारी-कर्मचारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
 

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