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प्राथमिक स्कूल गीधा में शिक्षकों की पदस्थापना होने से बच्चे उत्साह से पढ़ने पहुंच रहे स्कूल

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

जिले में अब शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकों की संख्या शून्य हो गई है

युक्तियुक्तकरण के पश्चात 15 शिक्षक विहीन स्कूल में 34 शिक्षकों की गई पदस्थापना

जशपुरनगर : जिले में कभी शिक्षक विहीन रहे स्कूल अब शिक्षा की रोशनी से जग मगाने लगें हैं। युक्तियुक्तकरण के पूर्व जिले में 15 शिक्षक विहीन स्कूल थे। इसमें प्राथमिक शाला की संख्या 14 और हाई स्कूल की संख्या 01 थी। युक्तियुक्तकरण के उपरांत इन 14 प्राथमिक शाला में 28 और 01 हाई स्कूल में 06 शिक्षकों को दर्ज संख्या के मान से पदस्थ कर दिया गया है। शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार युक्तियुक्तकरण के पूर्व एकल शिक्षकीय प्राथमिक शाला की संख्या 262 थी। युक्तियुक्तकरण के बाद 262 शिक्षकों को दर्ज संख्या के मान से पदस्थ कर दिया गया है। जिले में अब शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या शून्य हो गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मंशानुरूप जिले में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का कहना है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। इसको ध्यान में रखकर शालाओं और शिक्षकों का तर्कसंगत समायोजन किया गया है। जहां जरूरत ज्यादा है, वहां शिक्षकों का बेहतर ढंग से उपयोग सुनिश्चित हो। उन स्कूलों को, जो कम छात्रों के कारण समुचित शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें नजदीक के अच्छे स्कूलों के साथ समायोजित किया गया है, ताकि बच्चों को बेहतर माहौल, संसाधन और पढ़ाई का समान अवसर मिल सके। मनोरा विकास खंड के प्राथमिक स्कूल गीधा में शिक्षकों की पदस्थापना होने से स्कूल की रौनकता बढ़ गई, बच्चे उत्साह से स्कूल पहुंच रहे, अच्छे से पढ़ाई कर रहे और विभिन्न गतिविधियों में शामिल भी हो रहे हैं। युक्तियुक्तकरण से शिक्षा का स्तर सुधरेगा और हर बच्चे को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा सशक्त बनाने के लिए किया गया है।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और प्रत्येक विद्यार्थी को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की एक व्यापक और प्रभावशाली प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल से दूरस्थ, आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता और शिक्षा की गुणवत्ता का नया संतुलन कायम होगा। 

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