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शासन के निर्देशों का पूर्ण क्षमताओं के साथ पालन एवं निर्वहन करें - कलेक्टर

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

मौसमी बीमारियों के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग रहे सजग

कलेक्टर ने गौधाम योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए निर्देशों का पूर्ण पालन करने कहा

बेमेतरा : कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने जिला कार्यालय के दिशा सभाकक्ष में अधिकारियों की समय-सीमा की बैठक ली। उन्होंने शासन द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी योजनाओं, सेवाओं और कार्यक्रमों की गहन समीक्षा की। कलेक्टर श्री शर्मा ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी अधिकारी संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करना सुनिश्चित करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि शासन जो जिम्मेदारी और निर्देश जारी किया गया है, उसका पूर्ण क्षमताओं के साथ पालन एवं निर्वहन करना सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि विभागीय लक्ष्य की पूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में अधिकारी अपने अधीनस्थ अमले के साथ दायित्वपूर्ण कार्य करना सुनिश्चित करें।

कलेक्टर श्री शर्मा ने बैठक में रजत महोत्सव के अंतर्गत दिए गए दायित्वों को जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने कहा कि रजत महोत्सव छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 25 वर्ष के उपलक्ष में मनाया जा रहा है। रजत महोत्सव के अंतर्गत राज्य निर्माण के बाद जिले में हुए विकास कार्यों उपलब्धियां को रेखांकित करते हुए कार्यक्रम आयोजित किया जाए। कलेक्टर ने कहा कि जिले की गरिमामय इतिहास को रेखांकित करें। कलेक्टर ने कहा कि हमर धरोहर, हमर गौरव ,पुरखा के सुरता, हमर संस्कृति, हमर विरासत जैसे कार्यक्रम आयोजित कर जिले की उपलब्धियां को प्रदर्शित करें।

कलेक्टर ने बैठक में स्वास्थ्य अमला को निर्देशित करते हुए कहा कि मौसमी बीमारियों एवं अन्य जल जनित रोगों के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य अमल विशेष निगरानी रखें। उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में आपात स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक जीवन रक्षक दवाइयां के साथ ही समुचित उपचार के लिए सजग रहे। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती प्रेमलता मंडावी, अपर कलेक्टर डॉ. अनिल बाजपेई सहित सर्व एसडीएम उपस्थित थे।

कलेक्टर श्री शर्मा ने गौधाम योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है की मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और पशुधन संरक्षण को नई दिशा देने के लिए गौधाम योजना की शुरुआत करने जा रही है। यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल पशुधन की सुरक्षा और नस्ल सुधार को बढ़ावा देगी, बल्कि जैविक खेती, चारा विकास और गौ-आधारित उद्योगों के माध्यम से गांव-गांव में रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी। योजना का स्वरूप इस तरह तैयार किया गया है, कि निराश्रित एवं घुमंतू गौवंशीय पशुओं की देखभाल के साथ-साथ चरवाहों और गौ सेवकों को नियमित आय का स्थायी स्रोत उपलब्ध हो, जिससे ग्रामीण जीवन में आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता आ सके। गौधाम योजना के ड्राफ्ट को वित्त एवं पशुधन विकास विभाग से भी मंजूरी मिल चुकी है।

गौधाम योजना का उद्देश्य गौवंशीय पशुओं का वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षण एवं संवर्धन करना, गौ-उत्पादों को बढ़ावा देना, चारा विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना, गौधाम को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करना, ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा फसलों के नुकसान और दुर्घटनाओं में पशु एवं जनहानि से बचाव सुनिश्चित करना है।

अवैध तस्करी और घुमंतू पशुओं की सुरक्षा पर विशेष फोकस

पशुधन विकास विभाग ने यह योजना विशेष रूप से तस्करी या अवैध परिवहन में पकड़े गए पशुओं और घुमंतु पशुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार की है। राज्य में अवैध पशु तस्करी एवं परिवहन पर पहले से रोक है। अंतरराज्यीय सीमाओं पर पुलिस कार्रवाई में बड़ी संख्या में गौवंशीय पशु जब्त होते हैं। इन पशुओं और घुमंतू पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए ही यह योजना शुरू की जा रही है। प्रत्येक गौधाम में क्षमता के अनुसार अधिकतम 200 गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे।

गौधाम योजना के तहत चरवाहों को 10,916 रुपए प्रतिमाह और गौसेवकों को 13,126 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। इसके साथ ही मवेशियों के चारे के लिए प्रतिदिन निर्धारित राशि प्रदान की जाएगी। उत्कृष्ट गौधाम को वहां रहने वाले प्रत्येक पशु के लिए पहले वर्ष 10 रुपए प्रतिदिन, दूसरे वर्ष 20 रुपए प्रतिदिन, तीसरे वर्ष 30 रुपए प्रतिदिन और चौथे वर्ष 35 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि दी जाएगी। योजना के लिए बजट, नियम और शर्तें तय कर दी गई हैं, ताकि संचालन में किसी तरह की परेशानी न हो।

गौधाम योजना से प्रदेश में पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और बड़ी संख्या में चरवाहों एवं गौसेवकों को नियमित आय का साधन मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि पशुओं की नस्ल सुधार कर उन्हें अधिक दूध देने और खेती-किसानी में पूरी क्षमता से उपयोग करने योग्य बनाया जा सकेगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में जैविक खेती और चारा विकास कार्यक्रमों को भी गति मिलेगी, जिससे ग्राम स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और गांवों की अर्थव्यवस्था सशक्त होगी।

गौधाम की स्थापना के लिए चयनित होगी उपयुक्त शासकीय भूमि

ऐसी शासकीय भूमि, जहां सुरक्षित बाड़ा, पशुओं के शेड, पर्याप्त पानी और बिजली की सुविधा उपलब्ध हो, वहीं गौधाम की स्थापना की जाएगी। जिन गौठानों में पहले से अधोसंरचना विकसित है, वहां उपलब्धता के आधार पर गौठान से सटे चारागाह की भूमि को हरा चारा उत्पादन के लिए दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि आसपास की पंजीकृत गौशाला की समिति संचालन हेतु असहमति व्यक्त करती है, तो अन्य स्वयंसेवी संस्था, एनजीओ, ट्रस्ट, फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी या सहकारी समिति संचालन के लिए आवेदन कर सकेगी।

जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम स्थापित किए जाएंगे, जो पंजीकृत गौशालाओं से भिन्न होंगे। पहले चरण में छत्तीसगढ़ के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित किए जाएंगे। जिला स्तरीय समिति प्राप्त आवेदनों का तुलनात्मक अध्ययन कर चयनित संस्था का नाम छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग को भेजेगी। मंजूरी के बाद चयनित संस्था और आयोग के बीच करार होगा, जिसके पश्चात गौधाम का संचालन उस संस्था को सौंपा जाएगा।

गौधाम में निराश्रित एवं घुमंतु गौवंशीय पशुओं को ही रखा जाएगा और उनका वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षण एवं संवर्धन होगा। संचालन में गौशालाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। राज्य गौ सेवा आयोग में पंजीकृत गौशाला की समिति, स्वयंसेवी संस्था, एनजीओ, ट्रस्ट, किसान उत्पादक कंपनी और सहकारी समिति संचालन के लिए पात्र होंगी। गौधाम को वहां रहने वाले पशुओं की संख्या के आधार पर राशि दी जाएगी। गौधाम से सटी भूमि पर चारा विकास के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाएगीकृएक एकड़ में चारा विकास कार्यक्रम पर 47,000 रुपए और पांच एकड़ के लिए 2,85,000 रुपए का प्रावधान है।

गौधाम बनेंगे प्रशिक्षण केंद्र, बढ़ावा मिलेगा गौ उत्पादों को

प्रत्येक गौधाम को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा। संचालनकर्ता समिति या संस्था ग्रामीणों को गौ-उत्पाद विषय पर प्रशिक्षण देगी और उन्हें गौ-आधारित खेती के लिए प्रेरित करेगी। इसके साथ ही गोबर और गौमूत्र से केंचुआ खाद, कीट नियंत्रक, गौ काष्ठ, गोनोइल, दीया, दंतमंजन, अगरबत्ती आदि बनाने का प्रशिक्षण, उत्पादन और बिक्री के लिए भी गौधाम एक माध्यम बनेंगा।
 

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