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बलरामपुर : सुदूर दुर्गम क्षेत्रों में पहुंच रही है स्वास्थ्य सेवाएं
सुखनी और भजन जैसे लोगों को गांव में ही मिला इलाज 

बलरामपुर : बलरामपुर जिला आदिवासी बाहुल्य है तथा यहां की अधिकांश जनजातीय आबादी वनांचलों या पाट क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में निवास करती है। परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए यहां का जनजातीय समाज जिले के विकास के लिए अपना योगदान दे रहा है। प्रशासन की भी यही मंशा है कि सभी वर्गाें के लोगों को जरूरी सुविधाएं मिले तथा वे सकुशल अपना जीवनयापन करें। जिले के कुछ इलाके ऐसे है जो पहाड़ी एवं दुर्गम हैं तथा वहां आवागमन चुनौती पूर्ण हैं। कलेक्टर श्री श्याम धावड़े की पहल पर सुदूर दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हंै।

विकासखण्ड शंकरगढ़ के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मनोहरपुर के अंतर्गत आने वाला ग्राम रजुआढोढ़ी पहाड़ी कोरवा बाहुल्य है तथा गांव का पहुंच मार्ग दुर्गम है। इन गांवों में बारिश के समय मौसमी बीमारियों की आशंका बनी रहती है तथा वर्तमान  कोविड-19 के कारण निर्मित परिस्थितियों ने ग्रामीण जनजीवन को और अधिक प्रभावित किया है। समाज के प्राथमिक जरूरतों की बात करें तो स्वास्थ्य सुविधा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य विभाग के टीम के रजुआढोढ़ी पहुंचने पर स्थानीय नागरिकों के चेहरे खिल उठे क्योंकि अब उन्हें इलाज के लिए मनोहरपुर तक जाने की जरूरत नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाइयों के साथ जरूरी सलाह भी दी। डाॅक्टरों ने कोविड-19 के बारे में चर्चा करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने एवं मास्क पहनने को कहा तथा इसके महत्व को भी समझाया। कोविड से बचाव के नियमों को पालन करने तथा किसी भी प्रकार का लक्षण दिखाई देने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने को कहा। 30 वर्षीय सुखनी को कई दिनों से कमजोरी की समस्या थी जिससे काम करने में मन नहीं लगता था। सुखनी ने बताया कि महिला चिकित्सक ने जांच कर दवाई दी है।

महिलाओं का हमेशा मनोहरपुर स्वास्थ्य केन्द्र जाना संभव नहीं हो पाता है ऐसे में यदि डाॅक्टर गांव में ही मिल जाये तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। 50 वर्षीय भजन पिछले कुछ दिनों से कमर दर्द से परेशान थे, भजन की जांच कर डाॅक्टर ने उन्हें दवाई दे दी है। भजन ने बताया सामान्य बीमारी का इलाज गांव में ही संभव है लेकिन दिक्कत बढ़ने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाना ही एकमात्र उपाय है। किन्तु अब गांव में ही इलाज मिलने से परेशानी दूर हो गयी है।
 
स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन के इस पहल का स्वागत करते हुए स्वास्थ्यकर्मियों को धन्यवाद दिया है। डाॅक्टरों ने इस दौरान व्यस्क लोगों के गैर संचारी रोगों जैसे मलेरिया, बीपी, शुगर की जांच कर दवाइयां दी। ग्रामीणों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान चर्म रोग तथा सामान्य मौसमी बीमारी से जुड़े मरीज मिलने पर जांच उपरांत दवा दी गई।

पेयजल स़्त्रोतों के लिए ब्लीचिंग पाउडर तथा क्लोरिन की गोलियां भी ग्रामीणों को दी गई। रजुआढोढ़ी निवासी हरकनारायण एवं सोनू यादव के बीमार होने के सूचना मिलने पर घर जाकर जांच कर दवा देने के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मनोहरपुर आने को कहा गया। सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का यह प्रयास सकारात्मक संदेश दे रहा है। कोविड की विपरीत परिस्थितियों में ‘‘पढ़ई तुहर दुआर’’ के माध्यम से जैसे शिक्षा बच्चों के दरवाजे तक पहुंची है ठीक वैसे ही डाॅक्टरों ने स्वास्थ्य सुविधाओं को घर के दरवाजे तक पहुंचाने का  सराहनीय प्रयास किया है।

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