पश्चिम बंगाल में एक रिक्शाचालक ने बेटे को डिटेंशन कैंप में भेजे जाने के डर से की खुदकुशी
मीडिया रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के तेहत्ता इलाके में बेटे को डिटेंशन सेंटर भेजे जाने की आशंका में एक रिक्शा चालक ने कथित रूप से शनिवार की दोपहर घर की गौशाला में फांसी लगाकर जान दे दी। पीड़ित का नाम शंभू चरन नाथ (55) है। घर वालों को जब इसकी जानकारी मिली तो वे उसे तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
उसके छोटे बेटे प्रसेनजीत नाथ (28) ने तेहत्ता पुलिस को एक पत्र देकर आरोप लगाया कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से परेशान होकर उसके पिता ने जान दी है। परिवार वालों का कहना है कि शंभू पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से 1960 के दशक में आया था। परिवार के मुताबिक “उसको डर था कि उसका बेटा प्रसेनजीत को बाहरी समझा जा सकता है, क्योंकि उसके आधार, वोटर आईडेंटिटी और राशन कार्ड में गलतियां थीं। उसे वह काफी कोशिश के बाद भी सुधार नहीं करा पाया।”
उन्होंने बताया, “शंभू ने अपने सबसे छोटे बेटे मृत्युंजय को तीन साल पहले सर्पदंश की वजह से खो दिया था। अब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की वजह से वह भयभीत था कि कहीं उसका दूसरा बेटा भी उससे दूर न हो जाए, जिसे डिटेंशन सेंटर में भेजा जा सकता है। इससे वह परेशान था।” तेहत्ता पुलिस इंचार्ज तापस पाल ने प्रसेनजीत से पत्र मिलने की पुष्टि की है, जिसमें सीएए की दहशत की वजह से उसके पिता के खुदकुशी करने की बात कही गई है। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, “एनआरसी का वास्तव में भय है। असम में भी इसकी वजह से कई लोग आत्महत्या करने को विवश हुए। खासतौर पर वे लोग जो बेसहारा हैं। उन्होंने कहा कि शंभू की खुदकुशी बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात पर आधारित नहीं है। लोगों की बुनियादी आजादी और जीविका दांव पर हैं। उनकी चिंता हमारी सहानुभूति की हकदार है। बीजेपी की बच्चों की तरह जिद्दीपन की नहीं।”
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