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निजामुद्दीन औलिया दरगाह के पास तब्लीगी जमात में ठहरे लोगों में कोरोना के लक्षण मिले

 निजामुद्दीन औलिया दरगाह के पास तब्लीगी जमात में ठहरे लोगों में कोरोना के लक्षण पाए जाने की खबर का जिस आक्रामक तरीके से दुष्प्रचार किया जा रहा है उसके मूल में कोरोना से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं बल्कि मुसलमानों को बदनाम कर उनके खिलाफ जहर फैलाते रहने की रणनीति है । मोदी सरकार की योजना ही यही रही कि अपनी नाकामयाबियों को छुपाने के लिए वह कोई और कहानी गढ़ती है और मोदी का भोंपू बना मीडिया उसे प्रचारित करता है ताकि लोगों का ध्यान मोदी सरकार की कुनीति से उपजे हालातों से हट जाए और मोदी जैसे असफल शासक की छवि महामानव सी बनी रहे । विपक्षियों और मुसलमानों को बदनाम करना ही इनका एजेंडा रहा है जिसके बल पर इन्होंने सत्ता पाई है । डोभाल और पूरा सिस्टम इसी काम में लगा रहता है । इसके प्रमाण निम्न हैं --- 

 
1, मोदी द्वारा किये गए लॉक डाउन और योगी द्वारा 1000 बस दिल्ली बॉर्डर पर भेजने की घोषणा से दिल्ली में लाखों मजदूर आनन्द विहार व अन्य स्थानों पर घर जाने को निकल आये जिन्हें पहले तो मोदी भक्त गोली मारने की बात करने लगे लेकिन जब पूरे देश से लाखों मजदूर अपने घर के लिए पलायन करने लगे तो इस गिरोह के हाथ -- पाँव फूल गए । इनके रणनीतिकार डैमेज कंट्रोल में लग गए । तब कहानी गढ़ी गयी कि केजरीवाल ने इन लोगों का बिजली पानी कनेक्शन काट दिया जबकि बिजली पानी के कनेक्शन मकान मालिक के नाम होते हैं और दिल्ली के किसी भी व्यक्ति ने इसकी शिकायत नहीं की । 
 
       केजरीवाल जो रात -- दिन कोरोना से लड़ने की नीति पर काम कर रहा है और इससे कारगर तरीके से लड़ने का ब्लू प्रिंट मीडिया के सामने रख चुका था तब मोदी के पास कोई योजना नहीं थी सिवाय थाली पिटवाने के । मोदी जी को अपनी सत्ता जाने का भय सता रहा है अतः विपक्षयियों को बदनाम करने के अपने प्रोपेगेंडा को ही आगे बढ़ाया जा रहा है जबकि राष्ट्र बहुत बड़ी विपदा के सम्मुख है । सत्ता जाने से इतना भयभीत व्यक्ति ! सत्ता से इतना मोह ??
 
2, मोदी के तुगलकी फरमान से अफरा -- तफरी मची है । महामारी से लड़ने हेतु कोई नीति , कोई दृष्टि या कोई साधन उपलब्ध कराना इनके बस की नहीं है अतः साम्प्रदायिक दंगे करवाकर ये लोग लोगों का ध्यान इस अव्यवस्था से हटाना चाहते हैं । इन छह वर्षों में न एक हॉस्पिटल बनवाया न कोई मेडिकल तैयारी की बल्कि पूर्व सरकारों द्वारा जोड़ी गयी सरकारी संम्पति को अपने मित्र पूंजीपतियों पर लुटाया है । कोष खाली है और जिसके भरोसे बैठे थे वही ट्रम्प मुश्किल में घिरा हुआ है । इस स्थिति में मुस्लिमों को बदनाम करना कि ये लोग ही कोरोना फैला रहें हैं, यही इनकी नीति है । इसका उदाहरण यह है --
 
     "खटीमा मेरे रिस्तेदार रहते हैं । खटीमा में एक मुस्लिम कॉलोनी है । मैंने अपने जितने रिस्तेदारों को 3 -- 4 दिन पहले  फोन किया सबने बताया कि मुस्लिम कॉलोनी में एक व्यक्ति विदेश से आया था जो कोरोना संक्रमित था जिससे 7 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं जिन्हें अब पुलिस ले गयी है ।" फैक्ट देखने पर पता चल जाएगा कि यह झूठा प्रोपेगेंडा था क्योंकि उत्तराखण्ड में कल तक ही कुल पॉजिटिव केस 7 थे और दो दिन पहले तक खटीमा में एक केस भी नहीं था । 7 पॉजिटिव लोगों में 3 इंडियन फारेस्ट सर्विस के अधिकारी थे ।
 
3, मुसलमानों द्वारा बुलन्दशहर में एक हिन्दू के शव को कंधा देने , राम नाम सत्य है कहते हुए श्मशान तक ले जाने जबकि कोई हिन्दू कोरोना के डर से कंधा देने भी नहीं गया । हैदराबाद मस्जिद में लोगों के लिए आवश्यक सामग्री रखने या अनेक स्थानों पर मुस्लिम लोगों द्वारा लोगों के घरों में खाद्य सामग्री पहुँचाने और सिप्ला के मालिक मोहम्मद हामिद द्वारा की गयी घोषणा से संघी गिरोह तिलमिलाया हुआ है । संघी गिरोह साम्रदायिक सौहार्द कभी नहीं चाहता क्योंकि इनकी पूरी राजनीति ही मुस्लिम विरोध पर टिकी हुई है । इनके लोग मानव सेवा करने के स्थान पर घरों में कैद हैं जबकि अन्य लोग मानव सेवा में रात दिन लगे हुए हैं अतः इन लोगों की ऐसे समय भी कोशिश है कि उनके समर्थकों के अंदर लगातार मुस्लिम नफरत का डोज भरते रहना चाहिए क्योंकि अगर यह डोज हिंदुओं से उतर गया और हिंदुओं ने स्वास्थ्य , शिक्षा और शासन के उत्तरदायी होने की मांग शुरू कर दी तो संघियों के हाथ से सत्ता हमेशा के लिए निकल जायेगी । 
 
4, ऐसे कठिन समय में भी शाहीन बाग में एक दुकान जलाई गई , इस खबर को भी इससे जोड़कर पढ़े जाने की जरूरत है ।
 
          गिरोह तिलमिलाया हुआ है क्योंकि जिस रामराज्य के सपने लोगों को दिखाए गए थे , जिस विकास के नए -- नए कीर्तिमान बनाये जाने के ढोल पीटे गए थे वे धरातल पर कहीं नहीं हैं । न अस्पताल बनाये गए हैं न डॉक्टरों , नर्सों या अन्य स्टाफ के लिए मास्क , PPE या अन्य किट हैं , न लोगों की जांच करने हेतु अधिक लैब हैं और न ही इतनी बड़ी जनसंख्या के इलाज करने हेतु आवश्यक डॉक्टर ,मेडिकल स्टाफ या मेडिकल इक्विपमेंट । सरकार के हाथ पांव फूले हुए हैं । 
 
        दो महीने पहले से लोग सरकार को इस आने वाली सुनामी के प्रति आगाह कर रहे थे तब सरकार ट्रम्प के स्वागत में बिछी हुई थी और गरीब बस्ती के आगे दीवार बना रही थी ताकि ट्रम्प की नजर इस बस्ती पर न पड़ जाए । इससे अधिक घिनौना आजाद भारत में आज तक नहीं हुआ था हाँ अंग्रेजों ने 1911 में दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय दिल्ली कैम्प के ढाका गांव को ढककर यही कार्य किया था ताकि किंग जॉर्ज और महारानी की नजर इस गरीब बस्ती पर न पड़े । तब भारत गुलाम था जबकि आज भारत आजाद होने के बाबजूद मोदी ने ट्रम्प के गुलाम शासक की तरह ही यह निंदनीय कार्य करवाया था । भारत को अमेरिका का पिछलग्गू देश बनाकर लोगों को विश्वगुरु बनने के सपने दिखाए गए ।
 
      लाखों मजदूरों की भीड़ जो गांवों की ओर जा रही है उनकी जाँच की क्या सुविधा की गयी है ? जब यह बीमारी अपने पीक पर होगी तब करोड़ों लोगों के इसकी चपेट में आने की संभावना है , उसकी क्या व्यवस्था की गई है ? भुखमरी से बेहाल लोगों को कैसे भूख से बचाया जाएगा , इसकी क्या व्यवस
 
 
 
 
 
 

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