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रायपुर : कोरोना संक्रमण (कोविड-19) से बचाव के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राज्य सरकार के राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही महामारी की रोकथाम के लिए अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था भी तत्काल किया जाना है, जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय व्यय के युक्तियुक्तकरण और उपलब्ध संसाधनों का विकासमूलक कार्यो के लिए अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए मितव्ययता के अनेक निर्णय लिए हैं। जिसके तहत नए पदों का निर्माण, स्थानांतरण, महंगे होटलों में बैठकें, विदेश यात्रा और नए वाहनों की खरीदी पर रोक लगा दी गई है वहीं रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नति, वार्षिक वेतन वृद्धि में मितव्ययता के संबंध में निर्देश जारी किए गए है।
राज्य सरकार के वित्त विभाग द्वारा इस संबंध में जारी निर्देश के तहत लोक सेवा आयोग से भरे जाने वाले सीधी भर्ती के रिक्त पदों एवं अनुकंपा नियुक्ति के पदों को छोड़कर शेष सभी भर्ती के रिक्त पदों को भरने के पहले वित्त विभाग की अनुमति ली जाएगी। जिन पदों के लिए वित्त विभाग से भर्ती की अनुमति प्राप्त हो चुकी है, किन्तु नियुक्ति शेष है उनके लिए भी वित्त विभाग की अनुमति पुनः प्राप्त की जाएगी। ऐसे प्रस्ताव को वित्त विभाग में भेजते समय इन पदों की पूर्ति पर आने वाले वार्षिक वित्तीय भार तथा पदों की पूर्ति की आवश्यकता का औचित्य दर्शाया जाएगा।
वित्त विभाग ने कहा है कि विभागों द्वारा नियमित पदोन्नति में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाए, किन्तु पदोन्नति के परिणाम स्वरूप होने वाले स्थानांतरण को रोकने के लिए याथसंभव उस पद को उसी स्थान पर आगामी आदेश तक अस्थाई तौर पर उन्नयन (अपग्रेड) कर दिया जाए। पदोन्नति-क्रमोन्नति के फलस्वरूप देयक एरियर्स राशि के भुगतान को वित्त विभाग के आगामी आदेश तक विलंबित रखा जाए। विभागों के स्थापना व्यय में वृद्धि को नियंत्रित रखने की दृष्टि से सभी शासकीय विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, निकायों में नवीन पद सृजन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है। विशेष परिस्थितियों में वित्त विभाग की सहमति से ही नवीन पद सृजित किए जा सकेंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के अनुसार स्थानांतरण पर प्रतिबंध है। स्थानांतरण केवल समन्वय में अनुमोदन के बाद ही किया जाएगा। स्थानांतरण पर अतिरिक्त व्यय भार को ध्यान में रखते हुए विभागों से यह अपेक्षा की गई है कि समन्वय मंे भी न्यूनतम स्थानांतरण किया जाए और अति आवश्यक होने पर स्वयं के व्यय पर स्थानांतरण को प्राथमिकता दिया जाए। लोक हित में वांच्छित अपवाद को छोड़कर राज्य शासन के व्यय पर विदेश यात्राओं पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। शासकीय अधिकारियों के बिजनेस क्लास से हवाई यात्रा और प्रथम श्रेणी में रेल यात्रा पर प्रतिबंध रहेगा। अनावश्यक एवं बिना सक्षम स्वीकृति के शासकीय भ्रमण प्रतिबंध रहेगा।
विभागों को बैठकों का आयोजन न्यूनतम करने को कहा गया है। कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, शासकीय समारोह के आयोजनों में मितव्ययिता बरतने तथा अति आवश्यक बैठक-कार्यक्रम का आयोजन महंगे होटलों की बजाय शासकीय भवनों में करने के निर्देश दिए गए है। यथा संभव बैठकें वीडियो कॉन्फ्रेंस एवं वेबीनार के माध्यम से आयोजित की जाए। आदेश में कहा गया है कि विभागों द्वारा अति आवश्यक नवीन योजनाओं को ही चालू वर्ष में प्रारंभ करने की कार्यवाही-प्रस्ताव प्रेषित किया जाए तथा पूर्व से संचालित योजनाओं की अलग से समीक्षा की जाए। जो योजनाएं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुपयोगी है। उनको समाप्त करने की कार्यवाही की जाए। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान नवीन वाहनों का क्रय पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा केवल अत्यावश्यक सेवाओं के लिए आवश्यक वाहनों का क्रय वित्त विभाग की अनुमति से किया जा सकेगा।
राज्य के शासकीय सेवकों को एक जुलाई 2020 एवं एक जनवरी 2021 में देय वार्षिक वेतन वृद्धि को आगामी आदेश तक विलंबित रखा गया है। किन्तु एक जनवरी 2021 एवं एक जुलाई 2021 से पूर्व सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों के मामले में यह लागू नहीं होगा। विभिन्न विभागों द्वारा संचालित व्यक्तिगत जमा खाता (पीडी एकाउंट) जो एक वर्ष की अवधि से प्रचलन में नहीं है को तत्काल बंद करने तथा खाते में जमा राशि चालान के माध्यम से शासकीय कोष में जमा करने के निर्देश दिए गए है। राज्य पोषित योजना के तहत प्रावधानित राशि जो कि संचित निधि से 31 मार्च 2020 तक अग्रिम आहरित कर बैंक खातों में रखी गई है को अर्जित ब्याज सहित 15 जून 2020 तक राज्य शासन के खाते में वापिस जमा की जाएगी।
वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि कतिपय केन्द्रीय योजनाओं में राशि बजट के माध्यम से प्राप्त होती है। ऐसी योजनाओं में बजट में प्रावधानित राशि के विरूद्ध 31 मार्च 2020 तक अग्रिम आहरित कर बैंक खाते में जमा राशि में से कमिटेड एक्सपेंडिचर, जो तत्काल किया जाना संभावित हो, का भुगतान कर शेष समस्त राशि अर्जित ब्याज सहित मुख्य शीर्ष 8443-के-डिपाजिट में 15 जून 2020 तक अनिवार्य रूप से जमा करने को कहा गया है। विभागों द्वारा भविष्य में आवश्यकतानुसार वित्त विभाग की अनुमति से के-डिपाजिट में जमा राशि विमुक्त कराई जा सकेगी।
वित्त विभाग द्वारा जारी यह आदेश राज्य के शासकीय विभागों, कार्यालयों के साथ-साथ सभी निगम, मण्डल, आयोग, प्राधिकरण, विश्वविद्यालय और अनुदान प्राप्त स्वशासी संस्थाओं में भी समान रूप से लागू होंगे। ये निर्देश 31 मार्च 2021 तक लागू रहेंगे। इस संबंध में वित्त विभाग द्वारा आज मंत्रालय से सभी विभागों सहित अध्यक्ष, राजस्व मंडल, संभागीय कमिश्नरों, विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को परिपत्र जारी किया गया है।
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नई दिल्ली: देश में जानलेवा कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. सरकार ने कंपनीज़ एक्ट में बदलाव कर दिया है. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के साथ पीएम केयर्स को भी अधिकृत किया गया है. यानी अब सीएसआर फंड पीएम केयर्स फंड में भी दिए जा सकेंगे.
बता दें कि इससे पहले मार्च में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर बताया था कि पीएम-केयर्स में किए गए किसी भी योगदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा. इसके बाद कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने ज्ञापन जारी करके स्पष्ट कर दिया था कि कंपनियों की तरफ से दान किए गए धन को उनकी सीएसआर गतिविधि में गिना जाएगा.
कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी यानी सीएसआर का मतलब कंपनियों को उनकी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में बताना है. भारत में CSR के नियम एक अप्रैल 2014 से लागू हैं.
क्या हैं नियम?
जिन कम्पनियों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए
या सालाना आय 1000 करोड़ की
या सालाना लाभ पांच करोड़ का हो तो उनको सीएसआर पर खर्चा करना जरूरी होता है.
गौरतलब है कि पीएम केयर्स फंड का गठन कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक ट्रस्ट की तरह 27 मार्च को किया गया. इस कोष के प्रबंधन की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में हैं. पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपये के आवंटन का निर्णय लिया गया है. इसमें से 2000 करोड़ रुपये की धनराशि 50 हजार वेंटिलेटर की खरीद के लिए रखी जा रही है. वहीं प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए 1000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया जाएगा. -
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि मौलाना साद और मरकज प्रबंधन को मौखिक रूप से कई मौकों पर कोविड-19 के खतरे के बार में सूचित किया था, मगर फिर भी उन्होंने जानबूझकर, लापरवाही और द्वेषभाव से वैध निर्देशों का पालन नहीं किया। स्टेटस रिपोर्ट डीसीपी (क्राइम मुख्यालय) जॉय तिर्के द्वारा भेजी गई, जिन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में किसी को भी गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया है। अदालत में बताया गया कि 900 से अधिक तबलीगी जमात के सहभागी जांच में शामिल हुए हैं। इसके अलावा 723 विदेशी नागरिकों और 23 नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट पुलिस ने कब्जे में ले लिए हैं।
स्टेटस रिपोर्ट में दावा किया गया कि 21 मार्च को दिल्ली पुलिस ने मर्कज के अधिकारियों से संपर्क किया था। पुलिस ने कहा कि एक मुफ्ती शहजाद को कोविड-19 के बारे में बताया गया था और विदेशियों को उनके संबंधित देशों और भारतीयों को उनके मूल स्थानों पर वापस भेजने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट कहती है, ‘हालांकि किसी ने भी दिल्ली पुलिस के वैध निर्देशों पर कोई ध्यान नहीं रखा। इसके अलावा मौलाना मोहम्मद साद की कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग में 21 मार्च, 2020 को व्हाट्सएप पर प्रचलन में पाई गई। जिसमें वक्ता को अपने अनुयायियों से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करते हुए मर्कज की धार्मिक सभा में भाग लेने के लिए कहा गया।’
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि 24 मार्च को लॉकडाउन के मद्देनजर लाजपत नगर के एसीपी द्वारा निषेधात्मक आदेश जारी किए ताकि इलाके में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक सभा को प्रतिबंधित किया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया कि 24 मार्च को एक एसएचओ की बैठक में मौलाना साद और मर्कज के प्रबंधन ने भी भाग लिया था।
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नई दिल्ली। राजस्थान में एक व्यक्ति ने लगातार मिल रही धमकी के बाद मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्महत्या की कोशिश की है। जानकारी के अनुसार इस व्यक्ति ने मुख्यमंत्री आवास के सामने जहर खा लिया था। यह व्यक्ति नागौर के रिया बड़ी का रहने वाला है और इसका नाम चेनाराम है। चैनाराम जब जहर खाकर मुख्यमंत्री आवास के सामने बेहोश हो गया तो उसे आनन-फानन में एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
एसीपी अशोक गुप्ता ने कहा कि व्यक्ति ने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की, फिलहाल वह खतरे से बाहर है। व्यक्ति ने एक पत्र लिखा है जिसमे उसने कहा है कि उसे लगातार धमकी मिल रही थी, हम मामले की जांच कर रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है। व्यक्ति का आरोप है कि उसने माफिया के खिलाफ शिकायत की थी लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे वह आहत था। यही नहीं प्रशासन उसकी बात को नहीं सुन रहा था, जिसके बाद चैनाराम ने आत्महत्या की कोशिश की।
जानकारी के अनुसार बजरी माफिया के खिलाफ किसी भी तरह की जब कार्रवाई नहीं हुई तो माफिया ने चैनाराम के खिलाफ ही मुकदमा करा दिया। जिसके बाद चेनाराम अपने एक साथी की कार में सवार होकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचा। वहां उसने कीटनाशक एल्ड्रिन खाकर जान देने की कोशिश की, लेकिन उसी वक्त पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जिसकी वजह से चेनाराम की जान बच गई।
वहीं चैनाराम का एक पत्र सामने आया है, जिसे सोशल मीडिया पर लोग साझा कर रहे हैं। पत्र में लिखा गया है कि खनन माफिया ने 18 मई को उसपर जानलेवा हमला किया था और गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की थी। जिसके बाद चैनाराम ने इसकी शिकायत पादुकलां थाने में दर्ज कराई थी। लेकिन 20 मई को उसपर दबाव डाला गया कि वह इस मामले को वापस ले ले नहीं तो उसे जान से मार दिया जाएगा। यही नहीं थाने ने चैनाराम की शिकायत को दर्ज करने से इनकार कर दिया गया।
चैनाराम ने थाने के खिलाफ शिकायत उच्च अधिकारियों को भी भेजी है, जिसमे कहा गया है कि खनन माफिया लगातार उसे परेशान कर रहे हैं, जिसकी वजह से वह आत्महत्या के लिए मजबूर है। पत्र में उसने लिखा है कि अगर उसकी जान को कुछ भी होता है तो इसके लिए ये लोग जिम्मेदार होंगे। आगे चैनाराम ने लिखा कि वह मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्महत्या करने जा रहा है। पत्र में चैनाराम ने दावा किया है कि वह ऑल राजस्थान महासंघ का तहसील अध्यक्ष है। पत्र को 26 मई को लिखा गया है।साभार : HINDI.ONEINDIA -
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। बीते 24 घंटों में ही 6387 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 170 लोगों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि अब भारत में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 1,51,767 हो गई है, इसमें 83,004 सक्रिय मामले, 64,425 ठीक/डिस्चार्ज हो चुके मामले और 4,337 मौतें शामिल हैं।
उत्तराखंड में कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 431 हो गई है। झारखंड में 18 नए पॉजिटिव मामले सामने आने बाद कुल मामलों की संख्या 426 हो गई है, जिनमें 247 सक्रिय मामले शामिल हैं। गोवा में कोई नया मामला सामने नहीं आया है। यहां 9 और लोग ठीक हुए हैं, राज्य में अब 39 सक्रिय मामले हैं। राजस्थान सरकार के अनुसार रात 9 बजे तक कोविड-19 के 236 नए मामले सामने आए हैं और 3 मौतें हुई हैं। राज्य में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 7536 हो गई है, जिसमें 170 मौतें, 4276 ठीक हुए मामले और 3090 सक्रिय मामले शामिल हैं। -
जहां उत्तर भारत गर्मी की मार सह रहा, वहीं दूसरी ओर असम समेत उत्तर पूर्वी राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में तेज बारिश से कई इलाकों में भारी बारिश की वजह से नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, अकेले असम के सात जिलों में करीब दो लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उत्तर पूर्वी भारत के अधिकांश राज्यों में मंगलवार से बारिश हो रही है जिनसे बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार धेमाजी, लखीमपुर, दर्रांग, नलबाड़ी, गोलपारा, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया के 17 राजस्व इलाकों में 229 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, तो वहीं अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी जिले के आरजू गांव में एक भूस्खलन के कारण एक परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई।
भारी बारिश को ध्यान में रखते हुए मौसम विभाग ने असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश को 27 मई से लेकर 28 मई तक रेड अलर्ट पर रखा है। इसके अलावा असम के दो जिलों में भीषण बाढ़ की भी चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी से उठी तेज, गर्म और नम हवाओं के कारण पूर्वोत्तर भारत में अगले तीन दिन तक काफी तेज बारिश का दौर देखने को मिलेगा।
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नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जिस सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है वह गेस्ट हाउस से चल रहा था। मौके से पुलिस ने मंगलवार को दो महिलाओं सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया है। ग्रेटर नोएडा की बीटा-दो पुलिस ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस ने बताया कि बीटा-दो थाना इलाके के सिग्मा-एक आवासीय क्षेत्र से आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए लोगों में गेस्ट हाउस का मैनेजर और मालिक भी शामिल हैं। आरोपियों के पास से कैश, मेकअप समेत कई सामान बरामद किए गए हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा के पुलिस उपायुक्त राजेश कुमार सिंह ने बताया, “पुलिस को अवैध रूप से चल रहे देह व्यापार के धंधे के बारे में गोपनीय सूचना मिली थी, जिसके बाद छापेमारी की गई। जांच के दौरान सूचना सही निकली और घटनास्थल से छह लोगों को गिरफ्तार किया गया।”
पुलिस ने बताया कि कमरों से 12,600 रुपये नकद, मोबाइल फोन, मेकअप किट, कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां जब्त की गईं। पुलिस ने कहा कि आरोपी व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और आगे की कार्यवाही चल रही है। -
रायपुर : कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण काल में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित मोबाईल एप रोजगार देने वाली संस्थाओं, व्यक्तिविशेष और कौशल प्रशिक्षित युवाओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम कर रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार रोजगार संगी मोबाईल एप को गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न शहरों में स्थित उद्योग में स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। जिसमें वो अपने संस्था में आवश्यक कुशल श्रमिकों का विवरण दे सकते हैं। साथ ही मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना अंतर्गत प्रशिक्षित युवा स्वयं को पंजीकृत कर जिले एवं राज्य में उपलब्ध रोजगार के अवसर की जानकारी ले सकते हैं। इस प्रकार अब यह एप नियोक्ता एवं कुशल कारीगरों को एक प्लेटफार्म मे लाने में अहम भूमिका निभा रहा हैं। इस एप के बारे में अधिक जानकारी के लिए राज्य के जिलों में स्थित जिला कौशल विकास प्राधिकरण के सहायक संचालकों से संपर्क किया जा सकता है।

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नई दिल्ली : हरियाणा की फरीदाबाद पुलिस ने मरकज जमाती मामले में पुरानी ख़बर को ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में चलाने पर अर्नब गोस्वामी के समाचार चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ को फटकार लगाई है। फरीदाबाद पुलिस का ट्वीट अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा हैं, लोग पुलिस से ‘रिपब्लिक भारत’ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
दरअसल, फरीदाबाद पुलिस ने सोमवार (25 मई) को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो को शेयर करते हुए पुलिस ने आरोप लगाया कि ‘रिपब्लिक भारत’ टीवी पुरानी खबर को ब्रेकिंग न्यूज़ चला कर, मरकज जमाती मामले में लोगों को गुमराह कर रहा है। फरीदाबाद पुलिस ने रिपब्लिक भारत को पुरानी खबर न चलाने और लोगों को गुमराह न करने के लिए कहा है।
फरीदाबाद पुलिस ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “रिपब्लिक भारत पर आज ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में खबर चलाई गई की, इंडोनेशिया व फिलिस्तीनी मरकज जमाती फरीदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किए। ये 12 मई को गिरफ्तार किए व 19 मई को कोर्ट से रिहा हो गये थे। कृप्या जानबूझकर पुरानी खबर को ब्रेकिंग के रूप मे चलाकर दर्शको को गुमराह ना करे।” फरीदाबाद पुलिस का यह ट्वीट अब सोशल मी़डिया पर खूब वायरल हो रहा है, उनके इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। फरीदाबाद पुलिस के ट्वीट पर कमेंट करते हुए लोग रिपब्लिक भारत के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा, “फरीदाबाद पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए इस तरह के फर्जी वीडियो डालकर फरीदाबाद पुलिस का नाम शामिल कर कहीं ना कहीं पुलिस महकमे के साख को भी झटका लगेगा। अगर फरीदाबाद पुलिस कार्रवाई नहीं करती है तो जनता का भरोसा पुलिस के ऊपर से उठ जाएगा। @IPS_Association कोई कार्रवाई होगी?”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “इस तरह खुलेआम पुराने वीडियो चला कर मुसलमानों को बदनाम करना जघन्य अपराध है इससे देश में नफरत फैलता है फरीदाबाद पुलिस को इस मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए। जाकिर भाई मैं तो कहता हूं आप खुद इस मामले पर ध्यान दीजिए एफ आई आर दर्ज करवाएं।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “क्या फरीदाबाद पुलिस रिपब्लिक पर कार्रवाई करेगी? ओह सॉरी ध्यान आ गया हरियाणा में भाजपाई है।” बता दें कि, इसी तरह तमाम यूजर्स फरीदाबाद पुलिस के ट्वीट पर कमेंट करते हुए चैनल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
साभार : JANTAKAREPORTER -
नई दिल्ली: दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में बीती रात भीषण आग की घटना सामने आई. आग लगने की वजह से करीब 1500 झुग्गियां जलकर राख हो गई हैं और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं. हालांकि इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ है. दमकल विभाग के मुताबिक, आग लगने की सूचना रात करीब 12:50 बजे मिली. भीषण आग को देखते हुए दमकल की 28 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया, लेकिन देखते ही देखते आग 2 एकड़ इलाके में फैल गई.
पुलिस और दमकल विभाग ने झुग्गी में रह रहे सभी लोगों को समय रहते बाहर निकाल लिया. देर रात होने से ज्यादातर लोग सो रहे थे. इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ. आग पर सुबह तड़के करीब 3:40 बजे काबू पाया गया, लेकिन तब तक करीब 1500 झुग्गियां जल चुकीं थीं और सैकड़ों लोग बेघर हो गए. फिलहाल सरकार नुकसान का आंकलन कर रही है. दक्षिण पूर्वी दिल्ली के डीसीपी राजेंद्र प्रसाद मीणा ने एएनआई को बताया, "हमें रात के करीब एक बजे आग लगने की सूचना प्राप्त हुई. आग पर काबू पाने के लिए 18-20 दमकल वाहनों को लगाया गया था. फिलहाल किसी के भी हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है."
साउथ दिल्ली ज़ोन के डिप्टी चीफ फायर अफसर एस एस तुली ने बताया, "आग पर काबू पा लिया गया है. आग लगने की वजह का अभी तक पता नहीं चला है."
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जयपुर : राजस्थान सरकार ने सोमवार को इस बात की घोषणा की है कि रेड-जोन में भी ऑटो-रिक्शा और टैक्सी के संचालन की अनुमति दे दी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने गुटखा, पान मसाला और तम्बाकू उत्पादों की बिक्री की भी अनुमति दे दी है। हालांकि गुटखा और तम्बाकू उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार ने यह नियम जारी किया है कि इन्हें खाकर सार्वजनिक स्थानों पर नहीं थूक सकते हैं, इसके गैरकानूनी करार दिया गया है और यह एक दंडनीय अपराध होगा। लॉकडाउन के चौथे चरण में राज्य सरकार ने राहत देते हुए टैक्सी समेत ओला व ऊबर और ऑटो रिक्शा के संचालन की अनुमति दे दी है। इस संचालन की अनुमति इस शर्त के साथ दी गई है कि सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
इसके अलावा राज्य के पब्लिक पार्क को भी खोला जा रहा है। जानकारी के अनुसार पब्लिक पार्क को सुबह 7 बजे से शाम के 6.45 बजे तक खोलने की इजाजत दी गई है। बता दें कि ग्रीन और ऑरेंज जोन में इस सभी गतिविधियों की इजाजत पहले ही दी जा चुकी है। -
नई दिल्ली : कोरोना विषाणु संक्रमण को मात देने के लिए ‘हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन’ यानी एचसीक्यू की मांग पिछले दिनों दुनिया में बढ़ी थी और तमाम देशों ने भारत से इसके आयात की मांग की थी। भारत सरकार ने भी बड़ा कदम उठाते हुए इसके निर्यात पर लगी रोक को हटा लिया था। इस बीच, स्वास्थ्य और विज्ञान की नामी पत्रिका ‘द लैंसेट’ ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि कोविड-19 मरीजों के इलाज में ‘हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन’ का कोई फायदा नहीं। ताजा शोध के मुताबिक तो इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों में मृत्यु दर बढ़ रही है। पत्रिका ‘द लैंसेट’ ने ट्वीट किया है, ‘प्राथमिक रिपोर्टों के आधार पर आए परिणामों से ये साफ होता है कि क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन को अकेले या फिर एजिथ्रोमाइसिन के साथ खाना फायदेमंद नहीं है।’ साथ ही पत्रिका ने यह भी दावा किया है कि इस दवा को खाने से अस्पताल में भर्ती संक्रमित मरीजों को नुकसान होने की आशंका होती है।
पत्रिका के अध्ययन में चार महाद्वीपों के कोरोना विषाणु से संक्रमित 96 हजार मरीजों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने कुल 96032 मरीजों पर अध्ययन किया। उनमें गंभीर मरीजों की औसत आयु 53.8 थी। 46.3 फीसद महिलाएं थीं। इनमें से 14888 मरीजों का उपचार किया जा रहा था। 1,868 को क्लोरोक्वीन, 3,783 को मैक्रोलाइड के साथ क्लोरोक्वीन, 3,016 को हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन और 6,221 को मैक्रोलाइड के साथ हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन दी गई थी। अन्य 81,144 मरीज की स्थिति ठीक थी। अध्ययन में पाया गया कि अस्पताल में 10,698 यानी 11.1 फीसद रोगियों की मृत्यु हो गई। पता चला कि दूसरे मरीजों की तुलना में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन खाने वाले वर्ग में ज्यादा मौतें हुईं। इन मरीजों में हृदय रोग की समस्या भी देखी गई। जिन्हें हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन दी गई, उनमें मृत्यु दर 18 फीसद रही। दूसरी तरह की क्लोरोक्वीन लेने वालों में यह आंकड़ा 16.4 फीसद रहा। जिन्हें यह दवा नहीं दी गई, उनमें मृत्यु दर नौ फीसद रही।
करीब एक सदी पहले मलेरिया के इलाज के लिए खोजी गई हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल एमीबियेसिस (पेचिश) और अथर्राइटिस (जोड़ों के दर्द) जैसी बीमारियों में भी होता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की जरूरी दवाओं की सूची में यह शामिल है। इसे सबसे प्रभावी और सुरक्षित दवाओं में से एक माना जाता है। हालांकि, द लैंसेट ने चेताया है कि यह दवा हृदय रोगों को बढ़ा सकती है।कई देशों के साथ साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत से इस दवा की मांग की थी। ट्रंप बोल चुके हैं कि वे खुद जिंक के साथ इस दवा को ले रहे हैं।
वैज्ञानिक कह चुके हैं कि जिंक सप्लीमेंट और एंटीबॉयोटिक के साथ यह दवा लेने से खतरा कम हो जाता है। ग्रॉसमैन स्कूल आॅफ मेडिसिन ने कोविड-19 के 932 मरीजों पर दो मार्च से पांच अप्रैल तक शोध किया था। इनमें से करीब आधे संक्रमितों को एचसीक्यू और एजिथ्रोमाइसिन के साथ साथ जिंक सल्फेट दिया था। जबकि आधे मरीजों को सिर्फ हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दी गई। जिंक सल्फेट के साथ दवा लेने वाले मरीजों में ठीक होने की दर दूसरे मरीजों से डेढ़ गुना अधिक देखी गई। मरने की दर भी 44 फीसद कम देखी गई।
इन शोध नतीजों के बाद शोधकर्ताओं ने चेताया है कि इस दवा को बगैर चिकित्सकीय परीक्षण के लेना खतरनाक है। द लैंसेट का शोध सामने आने के बाद इसका चिकित्सकीय परीक्षण शुरू किया है। यूरोप, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। -
पटना : बिहार के गोपालगंज में सीपीआई-एमएल नेता को गोली मारने का मामला सामने आया है। यह घटना रविवार शाम की है। जहां हमले में सीपीआई-एमएल नेता जेपी यादव गंभीर रुप से घायल हुए हैं, वहीं हमले में उनके माता-पिता और बड़े भाई की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि हमले की वजह राजनैतिक प्रतिद्वंदिता हो सकती है। पुलिस ने इस मामले में कुचईकोट से जदयू विधायक अमरेंद्र पांडे उनके भाई सतीश पांडे और सतीश के बेटे मुकेश पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने सतीश और मुकेश पांडे को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं विधायक अमरेंद्र पांडे से पूछताछ की जा रही है। बता दें कि विधानसभा स्पीकर की मंजूरी के बिना एक विधायक को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। वहीं हमले में घायल सीपीआई-एमएल नेता जेपी यादव को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जेपी यादव अगले साल जिला परिषद का चुनाव लड़ना चाहते हैं और उनका सामना जदयू विधायक अमरेंद्र पांडे के भतीजे मुकेश पांडे से होना था, जो कि मौजूदा जिला परिषद के चेयरमैन हैं। पुलिस के अनुसार, कुछ अज्ञात लोगों ने गोपालगंज के हतुआ इलाके के रुपानचक गांव में जेपी यादव के घर पर हमला किया।
हमलावरों ने जेपी यादव को गोली मार दी। इसके बाद हमलावरों ने जेपी यादव के माता-पिता और बड़े भाई शांतनु को भी गोली मार दी। सीपीआई-एमएल नेता जेपी यादव गोली लगने के बावजूद मौके से बच निकलने में कामयाब रहे, लेकिन उनके माता-पिता ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वहीं बड़े भाई ने अस्पताल में पहुंचकर दम तोड़ दिया। वहीं इस घटना के विरोध में स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क गया और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। -
नई दिल्ली : विदेशी कंपनियों को चीन छोड़कर भारत आने के लिए लुभाने के मकसद से श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर चिंता जताई है। मजदूरों के अधिकारों की बात करने वाली वैश्विक संस्था ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष श्रमिकों को लेकर व्यक्त की गई प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आईएलओ ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को श्रम कानूनों को बनाए रखना चाहिए। 10 मजदूर संगठनों की ओर से अंतरराष्ट्रीय संस्था के समक्ष शिकायत किए जाने के बाद यह पत्र लिखा गया है।
दरअसल कई बीजेपी शासित राज्यों ने पिछले दिनों श्रम कानूनों में बदलाव किया था। इसके अलावा कई राज्यों ने वर्कर्स के काम की शिफ्ट को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। बीजेपी शासित राज्यों की ओर से ऐसा किए जाने का आरएसएस समर्थित संगठन भारतीय मजदूर संघ ने भी विरोध किया था। आईएलओ के सीनियर अधिकारी कारेन कर्टिस की ओर से मजदूर संगठनों को लिखे पत्र में कहा गया, ‘इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल गाय राइडर ने इस मामले में दखल दिया है और पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि केंद्र और राज्य सरकारें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखें।’
यही नहीं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ओर से 22 मई को लिखे गए पत्र में कहा गया कि यदि भारतीय प्राधिकरण की ओर से कोई जवाब या फिर टिप्पणी आती है तो उसके बारे में आपको जानकारी दी जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि भले ही भारतीय मजदूर संघ ने श्रम सुधारों का तीखा विरोध किया था, लेकिन इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के समक्ष उसने विरोध नहीं किया। कांग्रेस समर्थित संगठन इंटक, लेफ्ट समर्थित संगठन CITU और AITUC एवं HMS, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC जैसे संगठनों ने भी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन को पत्र लिखकर अपील की थी कि श्रम कानूनों में बदलाव को रोका जाए। यही नहीं श्रम संगठनों ने पिछले दिनों एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन भी इसके खिलाफ किया था।
बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात ने पिछले दिनों ज्यादातर कानूनों को निलंबित करने का आदेश पारित किया था। हालांकि भारतीय मजदूर संघ समेत कई संगठनों ने तीखे विरोध के बाद यूपी और राजस्थान की सरकारों ने सिंगल शिफ्ट को 8 घंटे की बजाय 12 घंटे करने के प्रस्ताव को वापस ले लिया था।
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नई दिल्ली : उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी एक बार फिर से सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए है, लोग उन्हें जमकर ट्रोल कर रहे हैं। भाजपा सांसद मनोज तिवारी पर कोरोना वायरस लॉकडाउन तोड़ने का आरोप लगा है।
बता दें कि, एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना संक्रमण के चलते मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी इसकी धज्जियां उड़ाते नजर आएं। दरअसल, लॉकडाउन और हरियाणा बॉर्डर सील होने के बावजूद मनोज तिवारी सोनीपत पहुंचे थे, जिसे कार्यक्रम में मनोज तिवारी शामिल हुए वहां सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ीं। यहां पर उन्होंने भी बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखे क्रिकेट खेला और गाना भी गुनगुनाया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मनोज तिवारी रविवार तो हरियाणा के सोनीपत पहुंचे थे। वहां वह एक क्रिकेट मैच के लिए गए थे। इस दौरान वहां काफी लोगों की भीड़ जमा हुई, जिसकी मनाही है। वीडियो में तिवारी वहां बिना मास्क लगाए दिखाई देते हैं। इसके साथ ही लोग भी वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे थे। वहां भीड़ के सामने मनोज तिवारी ने क्रिकेट खेला फिर लोगों के सामने बिना मास्क लगाए गाने भी गाए।
लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं कि, जिस वक्त में हरियाणा सरकार ने बॉर्डर सील किया हुआ हैं तब मनोज तिवारी वहां कैसे पहुंचे। बता दें कि, पिछले दिनों दिल्ली में कोरोना के केस बढ़ने के बाद हरियाणा ने दिल्ली से सटे बॉर्डरों को सील कर दिया था। -
नई दिल्ली : मोदी सरकार में मंत्री केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने लॉकडाउन का नियम तोड़ा है. दरअसल केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा दिल्ली से बेंगलुरू पहुंचे थे. नियमों के मुताबिक, उन्हें सात दिनों के सरकारी क्वारंटीन में जाना चाहिए था, लेकिन वह नहीं गए. इसको लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘’मैं एक मंत्री हूं और फार्माक्यूटिकल मंत्रालय को संभाल रहा हूं. मेरा फर्ज़ है ये सुनिश्चित करना कि देश के हर कोने में दवाइयों की पूरी सप्लाई हो.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘’कुछ खास पदों पर काम कर रहे खास लोगों को क्वारंटाइन के दिशा निर्देशों से छूट दी गई है. जैसे अगर डॉक्टर,नर्स और जरूरी दवाओं की सप्लाई करने वालों को क्वारंटाइन कर दिया जाएगा तो क्या हम कोरोना को रोक पाएंगे.’’
बता दें कि कर्नाटक सरकार का नियम है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु से आने वाले सभी लोगों को सात दिन के सरकारी क्वारंटीन में जाना अनिवार्य है और फार्मा सेक्टर को इस नियम से किसी भी तरह की छूट नहीं दी गई है. -
रायपुर : छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को अब कृषि का दर्जा मिलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लाख की खेती को फायदेमंद बनाने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा इस संबंध में प्रस्तुत प्रस्ताव को उपयुक्त और किसानों के लिए लाभकारी मानते हुए अपनी सहमति प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री ने सहमति प्रदान करते हुए कृषि, वन और सहकारिता विभाग को समन्वय कर लाख और इसके जैसी अन्य लाभकारी उपज को कृषि में शामिल करने का प्रस्ताव मंत्रीपरिषद की अगली बैठक में रखने के निर्देश दिए है। प्रदेश में लाख की खेती को कृषि का दर्जा मिलने से लाख उत्पादन से जुड़े कृषकों को भी सहकारी समितियों से अन्य कृषकों की भांति सहजता से ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में लाख की खेती की अपार संभावनाएं है। यहां के कृषकों के द्वारा कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में परंपरागत रूप से लाख की खेती की जाती रही है। परंतु व्यवस्थित एवं आधुनिक तरीके से लाख की खेती न होने की वजह से कृषकों को लागत के एवज में अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है। वन विभाग ने लाख की खेती को लाभकारी बनाने के उद्देश्य से इसे कृषि का दर्जा देने तथा कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से अन्य कृषकों की तरह लाख की खेती करने वाले किसानों को भी ऋण उपलब्ध कराने का सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रेषित प्रस्ताव को मान्य किए जाने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वन विभाग के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति देने के साथ ही लाख उत्पादन एवं अन्य कोई ऐसी उपज जिसे कृषि की गतिविधियों में शामिल करना हो तो कृषि, वन एवं सहकारिता विभाग के साथ समन्वय कर प्रस्ताव मंत्रिपरिषद की आगामी बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। -
मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हर दिन मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच महाराष्ट्र के एक और कैबिनेट मंत्री का टेस्ट कोरोना पॉजिटिव आया है। उद्धव सरकार में मंत्री जितेंद्र अव्हाड़ के बाद अब अशोक चव्हाण कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि अभी उनके नाम की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वो 5 दिन पहले मुंबई से नादेड़ गए थे। फिलहाल उन्हें इलाज के लिए नादेड़ स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें नांदेड से मुंबई लाया जा रहा है।



























