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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर जिले के आरंग विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम भानसोज और समोदा में आम जनता से भेंट-मुलाकात के पश्चात शाम को आरंग विश्राम भवन में विभिन्न समाज एवं संगठनों के प्रतिनिधिमंडल से भेंट-मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सभी समाज के प्रतिनिधियों से सामाजिक कार्यों, मांगों और स्थानीय समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सामाजिक प्रतिनिधियों से शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बारे में चर्चा कर फीडबैक लिया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से ब्राम्हण समाज और पिपला फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने भी आरंग को पर्यटन स्थल घोषित करने, मोरध्वज उत्सव आयोजित कराए जाने का आग्रह किया। व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से ट्रेनों का फेरा बढ़ाने तथा एफसीआई गोदाम स्थापित किए जाने की बात कही। कुम्हार समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से टेराकोटा प्रशिक्षण और ग्राम समोदा में ग्लेसिंग यूनिट की स्थापना का आग्रह किया।मुख्यमंत्री से पटेल समाज, निषाद समाज, सेन समाज, देवांगन समाज के प्रतिनिधियों ने भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने तोड़गांव में तालाब को खेत बनाने की जानकारी मिलने पर जांच के निर्देश दिए। देवांगन समाज ने आरंग क्षेत्र में 90 लाख रूपए के विकास कार्यों की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से सतनामी समाज के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कर कहा कि आपके कार्यकाल में सभी वर्ग के लोग लाभान्वित हो रहे हैं। सामाजिक संगठनों को 10 प्रतिशत राशि पर भूमि दी जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का साहू समाज ने राज्य में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों के लिए आभार व्यक्त किया। डीघारी में साहू समाज के लिए सामाजिक भवन की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। यादव समाज के प्रतिनिधियों ने नरवा,गरुवा योजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे यादव समाज सहित सभी वर्ग के लोेग लाभान्वित हो रहे है। यादव समाज ने कृष्ण कुंज की स्थापना के लिए भी मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कर बताया कि समाज पूरे प्रदेश में 14 स्कूल संचालित कर रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा समाज को पूर्व में दिए गए एक करोड़ रूपए के लिए समाज के प्रतिनिधियों ने धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से सोनकर समाज सहित और अन्य समाज के प्रतिनिधियों ने भी मुलाकात की। -
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जिला-रायपुर, विधानसभा-आरंग
ग्राम-भानसोज
1. भानसोज नहर से सण्डी-कुकरा मार्ग निर्माण को स्वीकृति दी जायेगी।2. शासकीय हाई स्कूल भानसोज में अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराया जायेगा।3. शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भानसोज भवन में अहाता एवं स्टाफ क्वार्टर का निर्माण कराया जायेगा।4. ग्राम भानसोज एवं नारा में आंतरिक सीसी रोड व नाली का निर्माण कराया जायेगा।5. भानसोज में बैंक की शाखा खोली जायेगी।6. नगर पंचायत मंदिर हसौद में शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में किया जायेगा।7. सण्डी से नारा तक सड़क बनाई जायेगी।8. चंदखुरी में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का निर्माण कराया जायेगा।9. ग्राम उमरिया में उमरिया मोड़ से परसदा तक पहुंच मार्ग को विकसित किया जायेगा।10. ग्राम घुमराभाठा से आरंग पहुंच मार्ग का चौड़ीकरण किया जायेगा।11. गोंडी में हाईस्कूल भवन निर्माण की घोषणा।12. परसकोल में हाईस्कूल भवन का उन्नयन।
ग्राम-समोदा
1. समोदा को उप-तहसील का दर्जा दिया जायेगा।2. नगर पंचायत समोदा में नवीन महाविद्यालय भवन का निर्माण कराया जायेगा।3. समोदा में जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक की शाखा खोली जायेगी।4. उप-स्वास्थ्य केन्द्र समोदा का उन्नयन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में किया जायेगा।5. ग्राम अमोदी में उप-स्वास्थ्य केन्द्र खोला जायेगा।6. बनरसी व भण्डारपुरी में उप-स्वास्थ्य केन्द्र हेतु नवीन भवनों का निर्माण कराया जायेगा7. कोरासी व चपरीद में शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल हेतु नवीन भवनों का निर्माण कराया जायेगा।8. भैंसा में पुलिस चौकी जल्द ही प्रारंभ की जायेगी।9. मजिठा से परसवानी तक सड़क मार्ग का निर्माण कराया जायेगा।10. ग्राम परसवानी में ढोड़की नाला में पुलिया का निर्माण कराया जायेगा।11. बोरिद से चण्डी मंदिर तक सड़क निर्माण कराया जायेगा।12. समोदा में बालक छात्रावास निर्माण करवाया जायेगा। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
अंतर्राष्ट्रीय एकता सद्भावना युवा शिविर-2023 में शामिल हुए मुख्यमंत्री
देश के 27 राज्यों सहित इंडोनेशिया और नेपाल के युवा शिविर में कर रहे शिरकत
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भावना का रास्ता मानवता को बचाने का रास्ता है। यही मार्ग सुब्बाराव जी का था। श्री बघेल आज यहां राजधानी रायपुर के समीप फुंडहर के वर्किंग वूमेन्स हॉस्टल में सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डॉ एस.एन. सुब्बाराव की 94वीं जयंती के अवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एकता सद्भावना युवा शिविर-2023 (इंटरनेशनल पीस एंड हार्मनी यूथ कैंप) को सम्बोधित कर रहे थे। 03 से 08 फरवरी तक आयोजित इस शिविर में देश के 27 राज्यों सहित इंडोनेशिया और नेपाल के युवा शिरकत कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सुब्बाराव जी प्रखर गांधीवादी थे, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया। देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए विभिन्न भाषा भाषी लोगों को एक मंच पर लाने का कार्य किया। वे जीवन भर गांधी जी के रास्ते पर चले। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के आंदोलन में आंदोलनकारियों को अहिंसा के मार्ग पर चलकर आंदोलन करना होता था। उस समय सिखाया जाता था, हिंसा का सहारा नहीं लेना है। चाहे पुलिस लाठी भी चलाए। जेल में कैसे रहना है, लोगों को जेल के माहौल में ढालने के लिए सुब्बाराव जी ने गांधीवादियों को प्रशिक्षण दिया, ताकि आंदोलनकर्ता अंग्रेजों की प्रताड़ना से टूटे नहीं, पूरी दृढ़ता के साथ उनका प्रतिकार करें। असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इसी वजह से भारतवासियों ने अंग्रेजों का दृढ़ता से सामना किया। जिसकी वजह से सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा कभी भी समस्या का समाधान नहीं है। गांधी जी के सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भावना का रास्ता ही सही मायनों में युवाओं को आगे बढ़ने का रास्ता है, मानवता को बचाने का रास्ता है। यही मार्ग सुब्बाराव जी का है। उन्होंने कहा कि सुब्बाराव जी ने चम्बल के डाकुओं का हृदय परिवर्तन कर आत्मसर्मपण कराया। आज आयोजित इस शिविर में युवाओं ने अपनी-अपनी भाषा में मानवता, एकता और बंधुत्व की बात की, यही तत्व मानवता को जोड़ता है। कार्यक्रम में चंद्रपुर विधायक श्री रामकुमार यादव, राष्ट्रीय युवा योजना के अध्यक्ष श्री विनय गुप्ता, राज्य पर्यटन मंडल की सदस्य श्रीमती चित्रलेखा साहू, छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष श्री ज्ञानेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में युवा उपस्थित थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने वाली सरकार है। छत्तीसगढ़ का विकास का मॉडल गांधीजी के ग्राम सुराज और स्वावलंबन पर आधारित है। यही सुब्बाराव जी का भी रास्ता है। राज्य सरकार ने जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों की जेब में पैसे डालने का काम किया, इसकी वजह से आज छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी, व्यापार और उद्योग अच्छी स्थिति में है। छत्तीसगढ़ सबसे कम बेरोजगारी दर वाला राज्य है। लोगों को छोटे-छोटे कामों से जोड़ा जा रहा है और उन्हें आय और रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्धा के सेवाग्राम की तर्ज पर नवा रायपुर में गांधी सेवाग्राम की स्थापना की जा रही है। इसके माध्यम से युवाओं को गांधीवाद से परिचित कराने के साथ-साथ देश-दुनिया के लोगों को ग्रामोद्योग से परिचित करा कर युवाओं को कैसे रोजगार और स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ाना है, इसकी जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार से जोड़ने गौठानों में 2 रुपए में गोबर खरीद रहे हैं। स्व-सहायता समूह की महिलाएं इस गोबर का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट, प्राकृतिक पेंट और बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में 300 महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बनाए जा रहे हैं, इनमें प्रदेश के हुनरमंद युवाओं को छोटे-छोटे उद्योगों की स्थापना के माध्यम से रोजगार दिया जा रहा है। युवाओं को उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन, बिजली, पानी, सड़क जैसी सुविधाएं रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सुराजी गांव योजना प्रारंभ की है। इसके माध्यम से पूरे ग्रामीण समाज को स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। प्रदेश के गौठनों में वर्मी खाद का उत्पादन हो रहा है। गौठानों में गोबर से तैयार की जा रही बिजली समूह की महिलाएं बिजली बेचेंगी।
किसान हितैषी नीतियों से प्रदेश में किसानों की संख्या बढ़ी है कृषि उत्पादन बढ़ा है और खेती का रकबा भी बढ़ा है। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष में छत्तीसगढ़ में मिलेट कोदो, कुटकी, रागी का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया है, समर्थन मूल्य पर दो वर्षों से खरीदी की जा रही है। किसानों को 9000 रुपए प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। इसी कारण छत्तीसगढ़ में किसानों को धान, मक्का, गन्ना, मिलेट्स सभी उपजों का देश में सर्वाधिक मूल्य मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना, पशुपालकों के लिए गोधन न्याय योजना, भूमिहीन श्रमिकों के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की भी युवाओं को जानकारी दी। -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 7 फरवरी मंगलवार को आरंग विधानसभा के ग्राम भानसोज और समोदा के भेंट-मुलाकात कार्यक्रम समेत राजधानी रायपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
निर्धारित दौरा कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री सुबह 11.55 बजे पुलिस ग्राउण्ड हेलीपेड से आरंग के लिए रवाना होंगे। मुख्यमंत्री दोपहर 12.15 बजे आरंग के ग्राम भानसोज में भेंट मुलाकात कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से दोपहर 1.55 बजे ग्राम समोदा के लिए प्रस्थान करेंगे। ग्राम समोदा में मुख्यमंत्री दोपहर 2.35 बजे भेंट मुलाकात कार्यक्रम में शामिल होंगे।
कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री शाम 4.15 बजे हेलीकॉप्टर से आरंग के शंकर राइस मिल पहुंचेंगे और इंदिरा चौक लोकार्पण एवं मूर्ति अनावरण, स्वामी आत्मानंद स्कूल का अवलोकन और बाबा बागेश्वरनाथ महादेव मंदिर दर्शन करेंगे। इसके पश्चात शाम 4.55 बजे आरंग के रेस्ट हाऊस में मुख्यमंत्री विभिन्न जनप्रतिनिधियों से भेंट करेंगे और शाम 6.55 बजे अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेंगे।
*राजधानी में विभिन्न कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री होंगे शामिल*
मुख्यमंत्री 7 फरवरी को सुबह 11.10 बजे राजधानी के फुंडहर स्थित वर्किंग वुमंेस हॉस्टल पहुंचकर राष्ट्रीय एकता सद्भावना युवा शिविर और शाम 7.30 बजे होटल सायाजी में छत्तीसगढ़ प्रदेश राईस मिलर एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन एवं सम्मान कार्यक्रम में शामिल होंगे। -
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हर घर नल से जल मिलने से ग्रामीणों के चेहरे पर छलकी खुशियां
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार के निर्देशानुसार राज्य के संरक्षित विशेष पिछड़ी पंडो जनजाति के घरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। कोरिया जिला के विकासखण्ड बैकुंठपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत उमझर का आश्रित गांव दुर्गापुर पंडो जनजाति बाहुल्य ग्राम है। जहां पर 47 पंडों जनजाति परिवार निवासरत् हैं। वनवासी जीवन शैली के परिचायक दुर्गापुर गांव में जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक परिवार को गुणवत्तायुक्त पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कराना चुनौतीपूर्ण रहा।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह के मार्गदर्शन में जिले में जल जीवन मिशन के कार्यों का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसी कड़ी में दुर्गापुर के प्रत्येक परिवार को जल जीवन मिशन के माध्यम से कार्ययोजना बनाकर गुणवत्तापूर्ण शुद्ध पेजयल उपलब्ध होने से ग्रामवासियों के चेहरों पर खुशियां छलक रही है। विशेष पिछड़ी पंडो जनजाति के लोगों ने शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देकर अपना आभार व्यक्त किया है।
गौरतलब है कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीणों को जागरूक करने महिलाओं को जल वाहिनी के रूप में प्रशिक्षण दिया जाता है। जल जीवन मिशन के तहत जल वाहिनी सुश्री रामकुमारी सारथी ने बताया कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत पीने के पानी की जांच की जाती है जिससे जल की गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त होती है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जल जीवन मिशन के माध्यम से दुर्गापुर के खालपारा और ईबलपारा में 35.78 लाख रुपये की लागत से 47 चिन्हित घरों में टेप नल से जल पहुंचाने कार्य किया जा रहा है। जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर नल से जल पहुंचने से की पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल आपूर्ति हो रही है, अब स्वच्छ पेयजल के लिए ग्रामवासियों को भटकना नहीं पड़ेगा। -
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चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले दुर्ग जिले के 3 हजार 274 निवेशकों को 2 करोड़ 56 लाख रुपए की राशि लौटायी गयीरायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सोमवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअली कार्यक्रम में चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले दुर्ग जिले के 3 हजार 274 निवेशकों को 2 करोड़ 56 लाख रुपए की राशि लौटायी । इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों को अब तक लगभग 40 करोड़ रुपए की राशि लौटाई जा चुकी है । हमारी सरकार छत्तीसगढ़ में ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई कर रही है । ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों की सम्पत्तियों को कुर्क कर निवेशकों को राशि वापस की जा रही है । उन्होंने कहा कि चिटफंड कंपनियों ने छत्तीसगढ़ में भोले-भाले लोगों को लालच देकर जीवनभर की कमाई लूट ली । हमारी सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि निवेश करने वालों को उनका पैसा वापस मिल जाये । देश में छत्तीसगढ़ ही एकमात्र राज्य है जो निवेशकों को उनका पैसा वापस दे रहा है । कार्यक्रम में दुर्ग एसपी श्री अभिषेक पलल्व ने बताया कि जिले में अब तक चिटफंड कंपनियों के 126 डायरेक्टर और 8 पदाधिकारियों की गिरफ्तार किया गया है ।
वर्चुअल कार्यक्रम में दुर्ग के उपरवारा निवासी श्री घनश्याम साहू ने मुख्यमंत्री से बात करते हुये कहा कि उन्होंने 2 एकड़ जमीन बेचकर चिटफंड में पैसा लगा दिया था । रकम डूबने के बाद उन्हें उम्मीद नहीं थी कि पैसा वापस मिलेगा । लेकिन आपकी सरकार के प्रयासों से आज मुझे 9 लाख रूपये वापस मिल रहा है । इससे मेरा पूरा परिवार बेहद खुश है। खुर्सीपार की तीजनबाई ने मुख्यमंत्री को बताया कि आज मेरा 3 लाख रूपये वापस मिल रहा है । अब मैं अपने बच्चों की शादी आसानी से कर पाउंगी । मुझे पूरी उम्मीद थी कि आपके रहते मेरा पैसा जरूर वापस मिलेगा ।कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, पीएचई मंत्री श्री गुरू रुद्र कुमार, विधायक श्री अरूण वोरा, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, दुर्ग कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र मीणा, एसपी श्री अभिषेक पल्लव सहित हितग्राही उपस्थित रहे । -
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दामाखेड़ा के 10 किलोमीटर के दायरे में नही लगेगा कोई भी स्पंज आयरन उद्योग
पर्यटकों के लिए सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला बनाने की घोषणा
22 करोड़ रूपये से अधिक लागत से बनने वाले कबीर सागर के निर्माण कार्य मे तेजी लाने के निर्देश
युग कोई भी हो संत कबीरदास जी को भुलाया नहीं जा सकता: मुख्यमंत्री
बलौदाबाजार-भाटापारा : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के दामाखेड़ा में माघपूर्णिमा के अवसर पर आयोजित सद्गुरू कबीर संत समागम समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर दामाखेड़ा के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई भी स्पंज आयरन उद्योग नहीं लगाने एवं पर्यटकों के लिए सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला का निर्माण कराये जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने 22 करोड़ रूपये से अधिक लागत से बनने वाले कबीर सागर के निर्माण कार्य मे तेजी लाने और प्राथमिक शाला भवन का जीर्णोंद्धार कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।समारोह में मुख्यमंत्री ने पंथश्री हुजूर प्रकाश मुनि नाम साहेब का स्वागत करते हुए उनसे छत्तीसगढ़ की तरक्की और खुशहाली के लिए आशीर्वाद लिया। गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, भाटापारा विधायक श्री शिवरतन शर्मा, बेमेतरा विधायक श्री आशीष छाबड़ा ने भी गुरू का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। धर्मगुरू पंथश्री प्रकाश मुनि नाम साहेब ने मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार दामाखेड़ा आगमन पर श्री भूपेश बघेल का कबीरपंथी समाज की ओर से आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल दिल से कबीरपंथी हैं। संत कबीरदास के सिद्धांत और उपदेश का अनुसरण करते हैं। बीते 22 सालों से मेरा उनसे गहरा नाता है। उन्होंने संत समागम में पहुंचकर दामाखेड़ा का गौरव बढ़ाया है। साथ ही दामाखेड़ा के आसपास स्थापित हो रहे उद्योगों खासकर स्पंज आयरन एवं बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अपनी चिंता व्यक्त की।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि कबीरपंथ का छत्तीसगढ़ के जनजीवन में व्यापक प्रभाव है। इसलिए यहां के लोग शांतिप्रिय है और छत्तीसगढ़ पूरे देश में शांति का टापू बना हुआ है। युग चाहे कोई भी हो संत कबीरदास जी को भुलाया नहीं जा सकता, उनके जीवन दर्शन अनमोल है। मैं जब भी प्रकाश मुनि नाम साहेब से मिलता हूं, तो हर बार कुछ नया जानने को मिलता है। कुछ दिन पहले बेमेतरा में मुलाकत हुई तो हमें साहेब बंदगी साहेब के अर्थों के बारे में जानकारी मिली। आज भी कबीर के बहुआयामी दर्शन योग, तप, ध्यान एवं अनुराग के बारे में जानकारी मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कबीर दास जी का कहना है कि व्यक्ति को सरल होना चाहिए, परंतु आज के समय में सबसे कठिन है सरल होना। सरल होना है, तो गुरु के पास आना ही होगा। गुरूकृपा से ही जीवन धन्य हो सकता है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा धर्मनगर दामाखेड़ा कबीरपंथियों की आस्था का एक प्रमुख केन्द्र है। राज्य सरकार यहां के प्राचीन तालाब सहित संपूर्ण दामाखेड़ा के विकास के लिए वचनबद्ध है, ताकि यहां दर्शन के लिए आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालु दामाखेड़ा की मधुर स्मृति लेकर वापस जाएं।
गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि प्रकाश मुनि नाम साहेब के गद्दी संभालने के बाद देश-विदेश में कबीरपंथ का प्रचार-प्रसार हुआ है। कबीरपंथ सादगीपूर्ण जीवन जीने का एक रास्ता है, जिसमें सभी जाति और समाज के लोग शामिल हैं। उन्होंने कबीर सरोवर के निर्माण के सभी तकनीकी पहलुओं का निराकरण कर लिया गया है। इसका निर्माण तेजी से कराया जाएगा। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने अपने उद्बोधन में कहा कि दामाखेड़ा मेला में देश-विदेश के लोग एकत्र होते हैं। गुरूओं का आशीर्वाद इस दौरान उन्हें मिलता है। आज के समय मे नागरिकों को धर्म एवं जाति के नाम पर लड़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कबीर पंथ हमें सामाजिक सद्भाव और सौहार्द्र का रास्ता बताता है, जो एक ईश्वर को मानते हैं एवं सबको साथ मे लेकर चलते हैं।
समारोह को क्षेत्रीय विधायक श्री शिवरतन शर्मा ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर नवोदित वंशाचार्य श्री उदित मुनि साहेब, गुरूगोसांई श्री भानुप्रताप साहब, विधायक श्री आशीष छाबड़ा, दामाखेड़ा के सरपंच पूर्णिमा पूरन देवांगन, पूर्व सरपंच कमलेश साहू, कलेक्टर रजत बंसल, पुलिस अधीक्षक दीपक झा, डीएफओ मयंक अग्रवाल, अपर कलेक्टर राजेंद्र गुप्ता सहित जनप्रतिनिधिगण एवं श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित थे। -
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'मिलेट ऑन व्हील्स' है प्रदेश का पहला चलता फिरता मिलेट कैफे
मिलेंगे रागी, कोदो, कुटकी से बने लजीज व्यंजन
रायगढ़ : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज रायगढ़ जिले के खरसिया में प्रदेश के पहले मोबाईल मिलेट कैफे 'मिलेट ऑन व्हील्स' को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उच्च शिक्षामंत्री श्री उमेश पटेल व गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर रागी से बना केक काटा। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे मिलेट के उपभोग के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। उन्होंने इस मोबाइल कैफे का संचालन करने वाली महिला समूह को अपनी शुभकामनाएं दीं।
गौरतलब है कि जिला प्रशासन रायगढ़ की पहल पर शुरू हुआ यह 'मिलेट ऑन व्हील्स' कैफे एक चलता फिरता मिलेट कैफे होगा। जिसमें रागी, कोदो, कुटकी से बने लजीज व्यंजन परोसे जायेंगे। इसे अनुभव महिला समूह संचालित करेगा। इस मोबाइल मिलेट कैफे में रागी का चीला, डोसा, मिलेट्स पराठा, इडली, मिलेट्स मंचूरियन, पिज्जा, कोदो की बिरयानी और कुकीज जैसे पकवान चखने को मिलेंगे। गौरतलब है कि मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर मिलेट मिशन चलाया जा रहा है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी, रागी की समर्थन मूल्य पर की जा रही है खरीदी
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मिलेट्स को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया अपितु समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की जा रही है। इस पहल से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का रकबा डेढ़ गुना बढ़ा है और उत्पादन भी बढ़ा है। मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधायकों और मीडिया के लिए मिलेट्स से बने व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए दोपहर भोज का भी आयोजन किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में मिलेट कैफे भी प्रारंभ हो चुका है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नथिया-नवागांव में मिलेट्स का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित किया जा चुका है। मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में विकसित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं। -
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नरवा योजना भू-जल संरक्षण के साथ लोगों की आय बढ़ोतरी में महत्वपूर्ण साबित हो रही- मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों का संग्रहण कार्य सराहनीय
देश के 15 राज्यों के 32 आईएफएस ने विकास योजनाओं के अध्ययन के बाद की मुख्यमंत्री से मुलाकात
रायपुर : छत्तीसगढ़ में जल और वन संवर्धन की दिशा में सरकार द्वारा चलाये जा रहे नरवा विकास योजना और लघु वनोपज के संग्रहण का कार्य बखूबी किया जा रहा है । छत्तीसगढ़ की ये योजना देश के अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय है । उक्त बातें छत्तीसगढ़ के अध्ययन भ्रमण में पहुंचे भारतीय वन सेवा के 2014-15 बैच के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मुलाकात के दौरान कहीं । भ्रमण दल में देश के 15 राज्यों से भारतीय वन सेवा के 32 अधिकारियों ने शुक्रवार की शाम मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से दो दिवसीय भ्रमण के बाद अपने अनुभव साझा किये । इस दौरान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ वनों के मामले में समृद्ध राज्य है । यहां वनों के साथ-साथ वनों पर आश्रित आदिवासियों-वनवासियों के विकास के लिये नवाचार का प्रयोग करते हुये कई योजनाओं का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन किया जा रहा है । इसी तारतम्य में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा विकास योजना की सराहना देश के अन्य राज्यों में भी होने लगी है । यह योजना वनांचल में भू-जल संरक्षण के साथ-साथ लोगों की आजीविका और आय संवर्धन में महत्वपूर्ण साबित हो रही है ।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि जंगलों के संवर्धन और संरक्षण के लिये जरूरी है कि हम इमारती लकड़ी ही नहीं बल्कि वर्तमान दौर में फलदार वृक्षों के रोपण को भी अधिक से अधिक बढ़ावा दें । इससे वनवासियों का आजीविका संवर्धन तो होगा ही साथ ही साथ वन्य प्राणियों के भोजन और रहवास की सुविधा भी उपलब्ध होगी । उन्होंने राज्य में वनों के विकास के क्रम में संचालित नरवा विकास योजना का विशेष रूप से जिक्र किया । उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में नवाचार का प्रयोग करते हुये भू-जल संरक्षण के लिये नरवा विकास योजना को लागू कर इसका बेहतर ढंग से क्रियान्वयन जारी है । इसके तहत 8 हजार नरवा को पुनर्रजीवित करने के लिये वृहद स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं । इनमें से अब तक वनांचल के 6 हजार 395 नरवा को पुनर्जीवित तथा जीर्णोद्धार किया जा चुका है । इनके क्रियान्वयन से राज्य में लगभग 23 लाख हेक्टेयर रकबा को भू-उपचार का लाभ मिलेगा ।मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बताया कि राज्य में नरवा विकास योजनांतर्गत वन क्षेत्रों में कराये जा रहे भू-जल संरक्षण कार्य से अनेक लाभ प्राप्त हो रहे हैं । इनमें वनों में मिट्टी के कटाव में कमी आयी है । वन क्षेत्रों में भू-जल स्तर में बढ़ोतरी से वनों के पुनरोत्पादन क्षमता में वृद्धि दर्ज हो रही है साथ ही साथ वन्य प्राणियों के लिये वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में पेयजल की सुविधा हुई है । उन्होंने बताया कि इसके अलावा वन क्षेत्रों में रोजगार के भी बेहतर प्रबंध सुनिश्चित हुये हैं । नालों के आस-पास कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि हो रही है । भूजल संरक्षण के कार्यों के माध्यम से वन क्षेत्रों एवं वनों के आस-पास के ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है ।
इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने संबोधित करते हुये राज्य में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिये संचालित गतिविधियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया । उन्होंने इस दौरान विशेषकर वर्तमान सरकार द्वारा वनवासियों के हित में संचालित लघु वनोपजों के संग्रहण कार्य और नरवा विकास आदि योजनाओं के बारे में जिक्र किया । उन्होंने बताया कि राज्य में वनवासियों के हित में लिये गये फैसले के परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ लघुवनोपजों के संग्रहण में लगातार अव्वल बना हुआ है । यहां देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपजों का संग्रहण हो रहा है। कार्यक्रम को मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड श्री राकेश चतुर्वेदी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैंपा श्री व्ही श्रीनिवास राव ने भी संबोधित किया ।
भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने साझा किए अनुभव
गुजरात के श्री अग्निश्वर ब्यास ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह दो दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ आए हैं। उन्होंने कहा - हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित नरवा विकास योजना के तहत पंपार नाला का भ्रमण किया तथा नरवा पुनर्जीवन का कार्य देखा। उन्होंने राज्य में संचालित योजना की सराहना करते हुए कहा कि इस योजना का क्रियान्वयन जीआईएस पद्धति से डी.पी.आर. तैयार कर क्रियान्वित किया गया है। इसी तरह ओडिशा की सुश्री पूर्णिमा पी. ने बताया कि पंपार नाला में स्थित विभिन्न संरचनाओं, एनआरएम इंजीनियर द्वारा जीआईएस पद्धति का उपयोग कर विभिन्न संरचनाओं का स्थल चयन अत्यंत सटीक था एवं गुणवत्ता उत्तम है। उन्होंने कहा कि जिसके कारण परिणाम दो वर्ष में ही दिखने लगा है। वन क्षेत्र में पुनरोत्पादन में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। हिमाचल प्रदेश की श्रीमती सुविना ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण के क्षेत्र में कार्य देखा गया। इस दौरान धमतरी स्थित दुगली प्रसंस्करण केन्द्र का भ्रमण किया एवं देखा कि कैसे स्व-सहायता समूह के महिलाओं द्वारा कार्य किया जा रहा है और उन्हें लागातार रोजगार मिल रहा है जो कि महिला सशक्तिकरण का एक बहुत अच्छा उदाहरण है।
मणिपुर के श्री शन्नगम एस. ने प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया कि कैसे छत्तीसगढ़ में 13 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को वन संसाधन अधिकार प्रदत्त कर ग्राम पंचायतों को प्रबंधन हेतु सौंपा गया है। पूरे देश में छत्तीसगढ़ में वन संसाधन की दिशा में सर्व श्रेष्ठ पहल हुई है। झारखण्ड के श्री सत्यम कुमार ने बताया कि हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ की राजधानी के नवा रायपुर में स्थित जंगल सफारी का भ्रमण किया। यह हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है, जिसमें दुर्लभ प्रजाति के अनेक जंगली जानवरों को रखा गया है, जंगल सफारी का प्रबंधन बहुत अच्छा है। इसी तरह तेलंगाना के श्री प्रदीप कुमार सेट्ठी ने बताया कि हमने छत्तीसगढ़ का नाम नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से सुना था, परन्तु यहां आने के बाद प्रस्तुतीकरण में पाया गया कि यहां अनेक पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जो कि मन मोह लेने वाली दिखाई दी जैसे- चित्रकोट का वाटर फॉल, तीरथगढ़ का जल प्रपात आदि। अतः भविष्य में जब भी मुझे कहीं भ्रमण करने का मौका मिलेगा तो मैं छत्तीसगढ़ में दोबारा जरूर आना चाहूंगा। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मुख्यमंत्री ने भानुप्रतापपुर में आयोजित गोंडवाना सम्मेलन में की घोषणाकहा - आदि संस्कृति को संरक्षित करने प्रदेश सरकार भरपूर प्रयास कर रहीमुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा भानुप्रतापपुर में 14.47 करोड़ रुपए लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण- भूमिपूजन
कांकेर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज कांकेर जिले के तहसील मुख्यालय भानुप्रतापपुर में गोंडवाना समाज के पेन करसाड मांदरी एवं एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में शिरकत की, जहां पर उन्होंने कांकेर के मेडिकल कॉलेज का नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के नाम पर करने की घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 14 करोड़ 47 लाख रुपए की लागत के 146 विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। इसमें 09 करोड़ 55 लाख रुपए के 94 कार्यों का लोकार्पण और 04 करोड़ 76 लाख रुपए के 52 कार्यों का भूमिपूजन शामिल हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भानुप्रतापपुर में खेल मैदान का नामकरण पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष स्वर्गीय श्री मनोज मंडावी के नाम पर करने की भी घोषणा की। उसके साथ ही चालकी मांझी के लिए 10-10 हज़ार रूपये की घोषणा, भानुप्रतापपुर में स्ट्रीट लाइट, शेड निर्माण, अहाता निर्माण हेतु 10-10 लाख रूपये की घोषणा और भानुप्रतापपुर के जीर्ण-शीर्ण स्कूलों का जीर्णाेद्धार करने का प्रस्ताव राज्य शासन को प्रेषित करने के निर्देश कांकेर कलेक्टर को दिए।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने भानुप्रतापपुर के गोंडवाना भवन में आयोजित सम्मेलन में गोंडवाना समाज के लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले दुनिया में आदि संस्कृति का प्रादुर्भाव हुआ। आदिवासी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का प्रयास प्रदेश सरकार लगातार कर रही है। 2019 से जिले में अब तक 518 देवगुड़ी का निर्माण 17 करोड़ 82 लाख रुपए की लागत से कराया। इसी तरह 173 घोटूल 19 करोड़ 91 लाख रुपए की लागत से बनवाए। श्री बघेल ने कहा कि सेवा का मतलब मानव समाज, संस्कृति और प्रकृति की सेवा करना है राज्य सरकार द्वारा आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश की सभी आदिवासी बोलियों को लिपिबद्ध करने, लोकनृत्य, लोकगीत और पारंपरिक खेल को संरक्षित करने, सहेजने का भी काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का सबसे बड़ा मिलेट का प्लांट कांकेर जिले के नथिया नवागांव में जो हाल में ही प्रारंभ किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बच्चे भी आधुनिक शिक्षा से जुड़े, इसके लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना लागू की गई है। कांकेर जिले के किसानों ने पहली बार ऐतिहासिक 40 लाख क्विंटल धान बेचा। प्रदेश में पहले गोबर से घर लीपने का काम होता था, अब घरांे की दीवारों को गोबर निर्मित प्राकृतिक पेंट से पोताई किया जाएगा। बस्तर में बंद पड़े स्कूलों को खोला गया, इसके लिए स्कूलों का जीर्णाेद्धार करने एक हज़ार करोड़ का बजट प्रावधान राज्य शासन द्वारा किया गया है।
कार्यक्रम में आबकारी मंत्री श्री कवासी लखमा ने अपने उद्बोधन में कहा कि बस्तर की कोदो - कुटकी और मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देकर आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद प्रदेश शासन द्वारा की जा रही है। गांव-गांव में देवगुड़ी बनवाकर आदिवासी परम्परा को सरकार सम्मान देने का काम कर रही है। पूर्व मंत्री मध्यप्रदेश श्रीमती गंगा पोटाई, भानुप्रतापपुर विधायक श्रीमती सावित्री मंडावी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं विधायक श्री शिशुपाल शोरी, अंतागढ़ विधायक श्री अनूप नाग, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हेमंत ध्रुव, पर्यटन मंडल के सदस्य श्री बिरेश ठाकुर, गौ सेवा आयोग के सदस्य श्री नरेंद्र यादव सहित संभाग संभागायुक्त श्री श्याम धावड़े, पुलिस महानिरीक्षक श्री सुंदरराज पी. कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला, एसपी श्री शलभ सिन्हा, डीएफओ श्री आलोक बाजपेई सहित गोंडवाना समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधिगण और स्थानीय जन प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे। -
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धन-धान्य से परिपूर्ण समृद्ध छत्तीसगढ़ का सपना हो रहा साकार
मुख्यमंत्री श्री बघेल भर्रेगांव में विशाल किसान अन्नदाता सम्मेलन में हुए शामिल
मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव जिले को 24.31 करोड़ रूपए के विकास कार्यों की दी सौगात
स्वर्गीय श्री चन्दूलाल चंद्राकर की स्मृति में 20 लाख रूपए की लागत से होगा भवन निर्माण
परमालकसा के शासकीय हाई स्कूल के हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन की घोषणा
क्षेत्र के 36 सरपंचों को ग्राम विकास कार्य के लिए मिलेगें 5-5 लाख रूपए
लघु-धान्य फसलों को बढ़ावा देने में छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य
राजनांदगांव : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज राजनांदगांव जिले के ग्राम भर्रेगांव में आयोजित विशाल किसान अन्नदाता सम्मेलन में शामिल हुए। वरिष्ठ राजनेता और प्रखर पत्रकार स्वर्गीय श्री चन्दूलाल चंद्राकर की पुण्यतिथि पर आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने जिलेवासियों को 24 करोड़ 31 लाख रूपए की लागत के विकास कार्यों की सौगात दी। उन्होंने कार्यक्रम में 43 हितग्राहियों को 11 लाख 94 हजार रूपए लागत की सामग्री वितरित की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने उद्बोधन में स्वर्गीय श्री चन्दूलाल चंद्राकर को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में अविस्मरणीय योगदान दिया है। मुख्यमंत्री ने उनके जीवन से जुड़ी बातें साझा की और बताया कि पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण अवदान रहा है। धन-धान्य से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ समृद्ध रहे, उनका यह सपना था। आज यह सपना साकार हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्गीय श्री चन्दूलाल चंद्राकर के दिखाये मार्ग का राज्य सरकार अनुसरण कर रही है। उन्होंने कहा कि शासन की किसान हितैषी योजनाओं के कारण कृषि के क्षेत्र में प्रदेश में बहुत परिवर्तन आया है। खेती-किसानी की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है। राज्य शासन द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों किसानों से लगभग 107 लाख 53 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी की गई है और किसानों के खाते में राशि अंतरित की गई है। ऑनलाईन टोकन के माध्यम से किसानों को राहत पहुंचाई गई है। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय श्री चन्दूलाल चंद्राकर की स्मृति में 20 लाख रूपए की लागत से भवन निर्माण करने की घोषणा की। उन्होंने परमालकसा के शासकीय हाई स्कूल को हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन करने तथा क्षेत्र के 36 सरपंचों को 5-5 लाख रूपए ग्राम विकास के लिए देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि लघु-धान्य फसलों को बढ़ावा देने में छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य है। शासन द्वारा विगत वर्ष से ही मिलेट मिशन अंतर्गत 52 हजार क्ंिवटल से भी अधिक कोदो, कुटकी, रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही हैं तथा प्रोसेसिंग प्लांट भी शुरू किए गए हैं जहां 22 प्रकार की वस्तुएं बनाई जा रही है। शासन द्वारा गोबर से प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जा रहा है। गांव-गांव में गौठान का निर्माण किया गया है तथा वर्मी कम्पोस्ट निर्माण करने के साथ ही गोबर से बिजली उत्पादन करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही ग्रामीण उद्योग नीति लेकर आएंगे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि सुरगी में पैरादान की दिशा में व्यापक कदम बढ़ाए गए थे। आज इसी कड़ी में ग्राम भर्रेगांव तथा आस-पास के किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर पैरादान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 414 गौठान में 12 हजार 230 किसानों ने लगभग 95 हजार 680 क्विंटल पैरादान किया है। उन्होंने सभी पैरादान करने वाले किसानों को सम्मानित किया।
स्वर्गीय श्री चन्दूलाल चंद्राकर के परिजन श्री लक्ष्मण चंद्राकर ने पुरानी स्मृतियों को याद किया। उन्होंने बताया कि उनके नाना जी ने छत्तीसगढ़ के लिए जो परिकल्पना की थी, वह आज साकार हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण होने के साथ ही अब यह खुशहाल राज्य के रूप में आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल कृषि के प्रति समर्पित हैं तथा किसानों की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं। राजनांदगांव जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष श्री नवाज खान ने कहा कि मुख्यमंत्री किसानों के जीवन में परिवर्तन लेकर आए हैं। किसानों की आय बढ़ी है तथा उनके बच्चे स्वामी आत्मानंद स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति राजनांदगांव श्री गोवर्धन देशमुख ने कहा कि मुख्यमंत्री के आव्हान पर किसानों द्वारा व्यापक पैमाने पर पैरादान किया जा रहा है। इस अवसर पर सरपंच ग्राम पंचायत भर्रेगांव श्रीमती एकता चंद्राकर ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री दलेश्वर साहू, खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी साहू, खैरागढ़ विधायक श्रीमती यशोदा वर्मा, महापौर राजनांदगांव श्रीमती हेमा देशमुख, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम श्री धनेश पाटिला, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग श्री जितेन्द्र मुदलियार, पूर्व विधायक श्रीमती प्रतिमा चन्द्राकर, अध्यक्ष जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित दुर्ग श्री राजेन्द्र साहू, पूर्व विधायक श्री भोलाराम साहू, पूर्व विधायक श्री गिरवर जंघेल, समाजसेवी श्री पदम कोठारी, श्री कुलबीर छाबड़ा, संभागायुक्त श्री महादेव कांवरे, आईजी श्री आनंद छाबड़ा, कलेक्टर श्री डोमन सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक मीणा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी तथा बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे। -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में लोक निर्माण, गृह, जेल, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व, पर्यटन विभाग, बीस सूत्रीय कार्यक्रम, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, वाणिज्यिक कर (जीएसटी), नगरीय प्रशासन एवं विकास, श्रम, स्कूल शिक्षा, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण और सहकारिता विभाग की बजट तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में गृह एवं लोक निर्माण मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे। -
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कांकेर जिलें के पखांजूर क्षेत्र ने बनाई अलग पहचान
मछली पालन से सिर्फ पखांजूर में करीब 500 करोड़ का टर्न ओवर
तीन हजार से अधिक किसान कर रहे हैं मछली पालन
पहले दूसरे राज्यों से होता था मछली बीज का आयात अब देश के विभिन्न राज्यों को किया जा रहा निर्यात
अकेले मछली बीज से ही किसानों को होती है 125 करोड़ रूपए की आय
छत्तीसगढ़ में मछली की क्लस्टर खेती की पहचान अब पूरे देश में
बस्तर : के हरे-भरे क्षेत्र में नीली क्रांति से अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। प्रदेश के कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के तस्वीर बदलने लगी है। इस विकासखण्ड का पखांजूर क्षेत्र मत्स्य उत्पादन के नाम से देश में अपनी एक नई जगह बना रहा हैं। अब यह क्षेत्र देश में मछली पालन के नक्शे पर जाना पहचाना नाम है। यहां क्लस्टर एप्रोच पर मछली पालन किया जा रहा है। यह संभव हुआ है कि कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के पंखाजूर क्षेत्र के किसानों की मेहनत और शासन की योजनाओं के मदद के फलस्वरूप। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में बीते 4 वर्षों में छत्तीसगढ़ हर क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है और पूरे देश में छत्तीसगढ़ की एक नई पहचान स्थापित हो रही है।
पखांजूर इलाके में मछली पालन से लगभग पांच हजार से अधिक मत्स्य पालक किसान जुड़े हैं। यहां मछली पालन किस वृहद तौर पर किया जा रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन किसानों के द्वारा मछली बीज, मछलियों के उत्पादन और परिवहन आदि में औसत वार्षिक टर्न ओवर 500 करोड़ रूपए से अधिक का है। इस क्षेत्र में लगभग 19,700 तालाबों, इनमें लगभग 99 प्रतिशत तालाबों में मछली पालन किया जा रहा है।
इस क्षेत्र के किसानों ने अपनी मेहनत और हुनर तथा शासन की योजनाओं के फलस्वरूप इस क्षेत्र में क्रांति ला दी। इन परिवारों ने स्थानीय कृषकों की मदद से मछली पालन के काम को आगे बढ़ाया। अब यह कार्य पखांजूर विकासखण्ड के आसपास के गांवों में फैल चुका है। यहां मछली उत्पादन के साथ-साथ मत्स्य बीज का भी उत्पादन हो रहा है। यहां से महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में मछली बीज की सप्लाई की जाती है। अकेले मछली बीज से ही किसानों को करीब 125 करोड़ रूपए की आय होती है।पखांजूर के बड़ेकापसी गांव की कहानी और भी उत्साहवर्धक है, आसपास के 5 गांवों में किसान मछली की सामूहिक खेती कर रहे हैं। इन गांवों में मछली पालन के लिए 1700 तालाब बनाए गए हैं। जिनमें 30 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है। गांव के लोग बताते हैं कि अब वे परंपरागत खेती-किसानी का काम छोड़कर लोग अब मछली पालन व्यवसाय की ओर बढ़ रहे हैं, क्योकि कम लागत में अधिक मुनाफे का धंधा है। गांवों के उनके कई खेत अब मछली की खेती के लिए तालाब में बदल गए हैं।
पखांजूर क्षेत्र में क्लस्टर एप्रोच में मछली पालन की यह तकनीक किसानों में लगातार लोकप्रिय होते जा रही है। इन गांवों में लगभग 12 हजार 500 हेक्टेयर का जल क्षेत्र मछली पालन के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा यहां 27 हेचरी, 45 प्राक्षेत्र, 1623 पोखर, 1132 हेचरी संवर्धन पोखर उपलब्ध हैं। यहां 72 करोड़ मछली बीज का उत्पादन हो रहा है। इनमें से 64 करोड़ मछली बीज देश के विभिन्न राज्यों को भेजा जाता है।
पखांजूर क्षेत्र में आधुनिक तकनीक से मछली पालन करने से यहां लगभग 51000 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हो रहा है। यहां प्रति हेक्टेयर जल क्षेत्र मत्स्य उत्पादन 8000 में 12000 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन लिया जा रहा है। इसके अलावा यहां 8 करोड़ पगेसियस मत्स्य बीज का उत्पादन भी हो रहा है। पगेसियस मत्स्य बीज केज कल्चर के जरिए मत्स्य पालन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है।
शासन की विभिन्न योजनाओं से मछली पालन ने पकड़ी रफ्तार
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन एवं केंद्र शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और नीली क्रांति, मत्स्य पालन प्रसार योजना से किसानों को बड़ी मदद मिली और मार्गदर्शन भी मिला, जिससे पखांजूर क्षेत्र में मत्स्य पालन के व्यवसाय को रफ्तार मिली। इस कार्य अभी 5 हजार से अधिक मत्स्य कृषक सीधे जुड़े है। किसान बताते है कि नीली क्रांति योजना से मछुवारों को बहुत लाभ हुआ। तकनीकी सहायता के साथ उन्नत तकनीक से मछली पालन के लिए ऋण अनुदान मिलने से मछली पालन का व्यवसाय अब यहां वृहद् आकार ले चुका है।मछली पालन को कृषि का दर्जा
छत्तीसगढ़ शासन के मछली पालन विभाग द्वारा मत्स्य पालक किसानों को केजकल्चर बायोफ्लोक जैसा अत्याधुनिक तकनीक के जरिए मछली पालन के लिए ऋण अनुदान उपलब्ध कराने के साथ ही तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। मत्स्य पालन को राज्य में खेती का दर्जा भी दिया गया है। इससे किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण, कृषि के समान ही रियायती दर पर विद्युत एवं अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। कृषि का दर्जा मिलने से किसानों में उत्साह है।
मछली उत्पादन में छठवें पर और मछली बीज उत्पादन में पांचवें स्थान पर है छत्तीसगढ़
गौरतलब है कि मछली उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। मछली बीज उत्पादन में पांचवें और मछली उत्पादन में छत्तीसगढ़ का स्थान देश में छठवां है। पिछले चार वर्षों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से 09 चाइनीज हेचरी तथा 364.92 हेक्टेयर में संवर्धन क्षेत्र निर्मित किया गया है। मत्स्य बीज उत्पादन में 20 प्रतिशत बढ़कर 302 करोड़ स्टेर्ण्डड फ्राई इसी प्रकार मत्स्य उत्पादन 29 प्रतिशत बढ़कर 5.91 लाख टन हो गया है। मछली पालन के लिए 4200 केज जलाशयों में स्थापित किए गए है और मत्स्य कृषकों की भूमि पर 2410 हेक्टेयर में तालाब विकसित किए गए। इसके अलावा 6 फीड मील स्थापित किए गए हैं। -
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शहीद दिवस पर अमर सेनानियों को दी श्रद्धांजलि
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी ‘शहीद दिवस‘ के अवसर पर उन्हें नमन किया है। श्री बघेल ने महात्मा गांधी सहित देश के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले वीर बलिदानियों का ऋण कभी नहीं चुकाया जा सकता। भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी के अतुल्य योगदान को याद करते हुए श्री बघेल ने कहा कि गांधी जी ने पूरी दुनिया को दिखाया कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर डटे रहकर किस तरह बड़ा लक्ष्य हासिल किया जाता है। राज्य सरकार भी गांधी जी के दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बापू ने भारतीय समाज की बुनियाद को समझा और अंतिम व्यक्ति की चिंता की। सशक्त इरादों के साथ आगे बढ़ने के लिए बापू के विचार मूल्य हमें सदा प्रेरित करते रहेंगे। -
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वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ‘मुख्यमंत्री विरासत झरोखा योजना’ और
‘मुख्यमंत्री धरोहर दर्शन योजना’ के प्रस्ताव मंजूर
रायपुर : छत्तीसगढ़ की समृद्ध पुरातत्व और ऐतिहासिक धरोहरों से आम जनता और महाविद्यालयीन और स्कूली बच्चों को परिचित कराने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने संस्कृति विभाग की दो नई योजनाओं की मंजूरी दी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मुख्यमंत्री विरासत झरोखा योजना और मुख्यमंत्री धरोहर दर्शन योजना प्रारंभ की जाएंगी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में हुई संस्कृति विभाग की बैठक में विस्तृत विचार-विमर्श के बाद वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए इन नई योजनाओं को प्रारंभ करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री विरासत झरोखा योजना में हर वर्ष राज्य के प्रत्येक जिले से दो महाविद्यालय/शासकीय कार्यालय का चयन किया जाएगा। चयनित महाविद्यालय/शासकीय कार्यालय में ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहरों की प्रतिकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा। इससे आम जनता के साथ-साथ महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं में छत्तीसगढ़ की समृद्ध पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति लगाव और जुड़ाव की भावना जगेगी।
इसी प्रकार मुख्यमंत्री धरोहर दर्शन योजना का उद्देश्य राज्य शासकीय-अर्द्धशासकीय ( अनुदान प्राप्त) स्कूलों महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को अंचल के ऐतिहासिक धरोहर के प्रति जागरूक करने तथा उनमें धरोहरों के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराने स्कूलों-महाविद्यालयों को प्रोत्साहित करना है। ‘मुख्यमंत्री धरोहर दर्शन योजना’ हेतु प्रतिवर्ष राज्य के प्रत्येक जिले के 3 स्कूल/महाविद्यालय का चयन किया जायेगा।
इन दोनों ही योजनाओं में स्कूलों-महाविद्यालय और शासकीय कार्यालयों के चयन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति होगी। समिति में पुलिस अधीक्षक/मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जिला पंचायत), संचालक पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा नामांकित कार्यालयीन प्रतिनिधि, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायत द्वारा नामांकित व्यक्ति तथा कलेक्टर द्वारा नामांकित महाविद्यालय का प्राचार्य सदस्य होंगे। उक्त दोनों योजना का प्रशासनिक विभाग छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग होगा तथा इनके क्रियान्वयन हेतु नोडल कार्यालय संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर होगा। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
आमचो भारत चो सबले बड़े तिहार, गणतंत्र दिवस बेरा आमचो सियान, सजन, आया, दीदी, भाई, बहिन मन के खुबे-खुबे जुहार !!जगदलपुर : आज आमचो संविधान के जय-जयकार करतो दिन आय। आज सब रहतो बिता मानुक चो जय-जयकार करतो दिन बले आए, काय आय कि गणतंत्र चो बिचार ने सबचो अधिकार आसे। येई आमचो संविधान चो सुंदरता आए, जेचो काजे आमचो पुरखा मन बलिदान दिला अउर अंगरेज मन के खेदुन आमके रैयतराज दिला। हुनचो बाद असन संविधान बनाला, जाके खुद ‘आम भारत चो लोग‘ मन खुद के सौंपलू। माने हर मनुक चो संविधान आय, जेचो काजे मतदाता मन चो बोट ले सरकार बनेसे। असन संविधान अउर रैयतराज के बचातो जवाबदारी आमचो आउर एतो बीती पीढ़ी चो आए।
आज गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर मैं सबसे पहले छत्तीसगढ़ महतारी के महान सपूतों अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधूर का सादर स्मरण करता हूं जो हमारे आदिवासी समाज से आते हैं। इन वीर जवानों का बहुत बड़ा योगदान हमारे राष्ट्रीय आंदोलन में रहा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के दुर्गम अंचलों में रहकर छत्तीसगढ़ महतारी के मान को भारत माता के सम्मान के साथ जोड़ा। भारत माता के लाखों सपूतों और सुपुत्रियों की शहादत को याद करना हमारा परम कर्त्तव्य है। मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतीबाई लोधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, लाल-बाल-पाल और उनके सहमार्गियों से देश कभी उऋण नहीं हो सकता।बहनों और भाइयों, हमें गर्व है कि हम महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और संविधान निर्माताओं के वंशज हैं। हमारे पुरखों ने आजादी की लड़ाई में, देश की एकता और अखण्डता को बनाए रखने के लिए, देश में समरसता के मूल्यों और संस्कारों को बचाए रखने के लिए कुर्बानियां दी हैं। जो लोग इस भावधारा से जुड़कर अपने आप को देखते हैं, वे लोग ही हमारी विरासत के महत्व को समझ सकते हैं। इसलिए मैं चाहूंगा कि आप सब नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के मूल्यों से अवगत कराएं। जब तक देश, इस संविधान के अनुसार चलता रहेगा, तभी तक हम सबकी और देश की आजादी सुरक्षित रहेगी। हमारे संविधान की बदौलत ही हमारा देश, लोकतंत्रात्मक गणराज्य कहलाता है। इससे नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समता, गरिमा, और बंधुता का वरदान मिलता है।आधुनिक भारत के संस्कार और स्वरूप को गढ़ने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसी विभूतियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।वहीं पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणीबाई परगनिहा, केकतीबाई बघेल, श्रीमती बेलाबाई, इंदरू केंवट, उदयराम वर्मा, खिलावन सिंह बघेल, घसिया मंडल, बंशीलाल बघेल, रामलाल वर्मा, अयोध्या प्रसाद कश्यप, डोरीलाल बघेल, सखाराम तिवारी, खूबीराम कश्यप, रमाकांत दुबे, रामप्रसाद पोटाई, धनीराम वर्मा, परसराम सोनी, लाल कालेन्द्र सिंह, हेडमा मांझी, धुरवाराम माड़िया, असवाराम वर्मा, केजऊ कोटवार, दौलत राम साहू, रामेश्वर वर्मा, चुगनूराम वर्मा, लखन राम वर्मा, सिरासिंह निर्मल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में छत्तीसगढ़ की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की थी, मैं इन सभी को सादर नमन करता हूं।बहनों और भाइयों, हमारे संविधान में लिखी गई इबारतों को बहुत ही साफ मन और न्याय के अटूट इरादों से ही समझा जा सकता है। मुझे खुशी है कि विरासत में हमें न्याय के लिए जो अडिग साहस मिला है, उसी को हमने अपनी सरकार का मूलमंत्र बनाया है।सबसे कमजोर तबकों को सबसे पहले और सबसे ज्यादा तवज्जो देकर न्याय दिलाना हमने अपना प्रथम कर्त्तव्य माना है, जिसके कारण हम बिना किसी संशय के विगत चार वर्षों से छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा पूरी लगन से कर पा रहे हैं। मेरा मानना है कि जनता को अधिकार और न्याय दिलाने के लिए शासन-प्रशासन को पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता, नाकाम परिपाटियों में बदलाव के साहस के साथ काम करना पड़ता है। किसी मसले को उसकी समग्रता में देखते हुए उसके हर आयाम को लेकर समुचित व्यवस्था करनी पड़ती है। इसी तरीके से हमने काम किया और बड़ी सफलताएं हासिल की हैं।हमें विश्वास था कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन से आदिवासी बहुल अंचलों के अनमोल संसाधनों का लाभ स्थानीय जनता को देने के नए रास्ते बनेंगे लेकिन विडम्बना है कि ऐसा नहीं हो पाया था। बड़े निवेश लाने के नाम पर हसीन सपने दिखाए जाते थे, न निवेश हुआ, न सपने पूरे किए गए। हमने यह साबित किया कि बड़े निवेश के नाम पर आदिवासी अंचलों का विकास रोके रखना कदापि उचित सोच नहीं थी। प्राकृतिक संसाधनों, वन संसाधनों और स्थानीय मानव संसाधन की शक्ति से भी बड़ा बदलाव किया जा सकता है। राज्य सरकार में आने के बाद हमने पहले दिन से बदलाव के लिए ईमानदार प्रयास शुरू किए, जिसका नतीजा आप सबके सामने है।आपको याद दिलाना चाहूंगा कि आजाद भारत में आम जनता को जितने भी महत्वपूर्ण अधिकार दिलाए गए और न्याय देने के काम किए गए, वे सब स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वालों और उनके वंशजों की बड़ी सोच के कारण संभव हुआ। वन अधिकार अधिनियम भी ऐसा ही एक कानून है जो हमारे नेताओं ने देश में लागू किया था, जो अनुसूचित जनजातियों एवं परंपरागत वन निवासियों की जिंदगी संवार सकता था, लेकिन प्रदेश में इस कानून पर अमल सही इच्छा-शक्ति से नहीं हुआ था। वन अधिकार के दावों को बड़े पैमाने पर खारिज किया गया था और अनेक प्रावधानों को लागू ही नहीं किया गया था। आज मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमने सिर्फ चार वर्षों में वन अधिकार पत्रों के तहत दी गई भूमि को 11 लाख से बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर कर दिया। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र तथा नगरीय क्षेत्र में वन अधिकार पत्र देने की पहल प्रदेश एवं देश में पहली बार हमने की। इस तरह अनेक प्रयासों से हमने 5 लाख से अधिक परिवारों को अनिश्चितता से उबारा, रोजगार और विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाया है।हमने विभिन्न जनहितकारी योजनाओं के लिए वन अधिकार पत्र धारियों को पात्रता दी है। वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु 13 हजार 586 ग्रामस्तरीय वन अधिकार समिति के साथ उपखंड एवं जिलास्तरीय समितियों का गठन किया गया है। इसी तरह विशेष रूप से कमजोर जनजातियों को पर्यावास का अधिकार देने की शुरुआत भी हमने धमतरी जिले से की है।हमें यह देखकर बहुत अफसोस होता था कि प्रकृति और वनोपज की रक्षा करने वाले लोग अपनी आमदनी के लिए अपने ही अधिकारों से वंचित थे। हमने आदिवासी भाई-बहनों को न्याय दिलाने के लिए लघु वनोपज उपार्जन के सभी पहलुओं पर काम किया, 7 से बढ़ाकर 65 वनोपजों के लिए समर्थन मूल्य देने तथा मूल्यवृद्धि के साथ उपार्जन केन्द्रों में समुचित व्यवस्था भी की। जिसके कारण अब हम देश की कुल वनोपज खरीदी का 75 प्रतिशत हिस्सा खरीद रहे हैं। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2 हजार 500 से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया, जिसके कारण संग्राहकों को मिलने वाली राशि 1 हजार 500 करोड़ रुपए से बढ़कर 2 हजार 521 करोड़ रुपए हो गई।इतना ही नहीं, हमने आदिवासी परिवारों को ऐसी फसलें लेने के लिए प्रेरित किया, जो बाजार में बहुत अच्छे दामों पर बिकती हैं और इस तरह हमने आदिवासी समाज के लिए उन्नत खेती का रास्ता खोलकर, उन्हें प्रगतिशील किसान की नई पहचान भी दिलाई। लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ ही हमने पूरे प्रदेश में वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया था। अब प्रदेश में ऐसे 50 केन्द्रों में 134 प्रकार के हर्बल उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी बिक्री ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के साथ ही राज्य स्थापित संजीवनी केन्द्र, सी-मार्ट आदि में हो रही है। मात्र चार वर्षों में प्रदेश के 112 विकासखंडों में भूमि का चिन्हांकन और 52 विकासखंडों में भूमि हस्तांतरण हो चुका है। प्रदेश में 562 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं।लघु धान्य या मिलेट्स की ज्यादातर खेती वन अंचलों में की जाती है लेकिन उचित दाम व विपणन सुविधाओं के अभाव में इसका लाभ आदिवासी तथा ग्रामीण जनता को नहीं मिल पाता था। हमने मिलेट्स के साथ इसकी खेती करने वाले किसानों को भी मान दिलाया है। कोदो, कुटकी, रागी खरीदी के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया, इसे ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ से भी जोड़ा गया है। ‘छत्तीसगढ़ मिलेट्स मिशन’ का गठन किया। 14 जिलों में मिलेट्स की उत्पादकता सहित आवश्यक शोध व अनुसंधान हेतु एम.ओ.यू. किया गया। मुझे विश्वास है कि मिलेट्स को लेकर देश और दुनिया में जो सकारात्मक वातावरण बना है, उसका लाभ छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और किसानों को दिलाने के लिए हमने सही समय पर सही कदम उठा लिया है।हमने अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के विकास के लिए नए-नए उपाय किए हैं। ‘आदर्श छात्रावास योजना‘, ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना‘, ‘शिष्यवृत्ति योजना‘, ‘छात्र भोजन सहाय योजना‘, ‘राजीव युवा उत्थान योजना‘, ‘राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा योजना‘, ‘जवाहर विद्यार्थी उत्कर्ष योजना‘ जैसे अनेक प्रयासों में सहायता राशि, हितग्राहियों की संख्या तथा सुविधाओं में लगातार बढ़ोतरी किए जाने से विद्यार्थियों में नई आशा और विश्वास जागा है।‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’, ‘विश्व आदिवासी दिवस’ पर सार्वजनिक अवकाश व ‘शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय’ जैसी पहल से इन वर्गों का गौरव और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिली है।हमने देवगुड़ी तथा घोटुल के महत्व को आत्मसात करते हुए इनके विकास हेतु आर्थिक सहायता में भी बढ़ोतरी की है। विभिन्न परंपरागत काम करने वाले समुदायों की आयवृद्धि हेतु समुचित पहल करने के लिए मंडलों का गठन किया है। वहीं ‘चिराग परियोजना’ के माध्यम से 14 आदिवासी बहुल जिलों में कृषि एवं इससे जुड़े अवसरों का लाभ स्थानीय लोगों को दिलाने का कार्य भी शुरू किया गया है। देश के जिन कानूनों का लाभ प्रदेश के आदिवासी समाज को राहत देने के लिए पूर्व में नहीं किया गया था, हमने उस दिशा में भी ठोस कदम उठाए हैं। पेसा कानून के लिए नियम बनाने के मामले में हम देश के पांचवें राज्य बने हैं। जेल में बंद व अनावश्यक मुकदमेबाजी से टूट रहे आदिवासी परिवारों को राहत व रिहाई दिलाने का वादा भी हमने निभाया है।आदिवासी बहुल अंचलों में बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन, पोषण, रोजगार, सड़क निर्माण, ‘बस्तर फाइटर्स’ बल में भर्ती जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमने विशेष रणनीति अपनाई, जिससे समस्याओं का समाधान तत्काल हो और लोगों को शासन-प्रशासन की नजदीक उपस्थिति महसूस भी हो। समन्वित प्रयासों एवं एकीकृत योजनाओं से स्थल पर हल मिलना शुरू हुआ तो नक्सलवाद की जड़ें भी कमजोर होती चली गईं। जन-जीवन सामान्य हुआ। 13 वर्षों से बंद 300 स्कूलों का जीर्णोद्धार और पुनः संचालन संभव हुआ। यही वजह है कि बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़’ के रूप में नई पहचान पा रहा है। बस्तर में अब नियमित हवाई यात्रा की तरह नियमित विकास की ऊंची उड़ान भी देखने को मिल रही है।बहनों और भाइयों, छत्तीसगढ़ राज्य गठन से किसानों और ग्रामीणों के मन में यह उम्मीद जागी थी कि उनको आर्थिक स्वावलंबन के साथ सम्मान भी मिलेगा लेकिन हकीकत में उन्हें धोखा ही मिला था। चार साल पहले हमने यह बीड़ा उठाया कि ‘धानी धरती के धानवान किसानों को धनवान’ बनाएंगे। डेढ़ दशक तक उनके साथ हुए धोखे के दुःखों को भुलाकर उन्हें खुशहाल जिंदगी का हकदार बनाएंगे। मुझे खुशी है कि हमने मात्र चार वर्षों में धान खरीदी को 56 लाख 88 हजार मीटरिक टन से बढ़ाकर एक करोड़ मीटरिक टन से अधिक पहुंचा दिया और हर वर्ष एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।मैं कहना चाहता हूं कि इस उपलब्धि के पीछे कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का हाथ रहा है। उदाहरण के लिए चार साल पहले समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों के हताश होने के कारण मात्र 15 लाख 77 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था जो अब बढ़कर 25 लाख हो गया है। धान बेचने के लिए पहले पंजीकृत रकबा मात्र 24 लाख 46 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 32 लाख से अधिक हो गया है। खरीदी केन्द्रों की संख्या पहले मात्र 1 हजार 899 थी, जो अब बढ़ाकर 2 हजार 497 कर दी गई है। इसके अलावा बारदाने की कमी, टोकन, तौल, भुगतान जैसी समस्याओं के कारण किसानों को मंडी में बेहद अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता था। हमने ऑनलाइन टोकन शुरू किया और ऐसे अनेक इंतजाम किए, जिससे धान खरीदी बहुत ही सम्मानजनक, शांति और व्यवस्थित तरीके से हो पाई। इस तरह सुविधाएं देने के कारण हम देश में सर्वाधिक किसानों का धान खरीदने वाले राज्य भी बने हैं। हमने संग्रहित धान को सीधे मिलिंग के लिए भेजने की नई व्यवस्था की, जिससे धान के नुकसान पर अंकुश लगा, वहीं मिलिंग क्षमता बढ़ने से हम केन्द्रीय पूल में सबसे ज्यादा चावल देने वाले राज्य बन गए हैं।धरती को हम माता मानते हैं, तो हमारा यह कर्त्तव्य हो जाता है कि माता की सेहत का भी पूरा ध्यान रखें। रासायनिक जहर से माटी की शुद्धता को बचाएं। हमने तो ‘नरवा-गरुवा- घुरुवा-बारी’ की पहचान छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप में की है और ‘सुराजी गांव योजना’ के तहत इस चिन्हारी को बचाने-बढ़ाने- सजाने-संवारने और आने वाली पीढ़ी को अच्छी से अच्छी स्थिति में सौंपने के लिए बहुत बड़ा अभियान छेड़ा है।मुझे खुशी है कि हमारा यह काम सही दिशा में, सही गति के साथ चल रहा है। जगह-जगह से भूमि जल स्तर बढ़ने की खबरें आ रही हैं। जैविक खाद और जैविक खेती को लेकर छत्तीसगढ़ ऊंची उड़ान भर चुका है। लगभग 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से हमारे गौठानों ने ऐसा बड़ा कीर्तिमान बनाया है, जिसके सामने बड़ी-बड़ी कंपनियां कहीं नहीं ठहरतीं। गौठान को हमने सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाने का लक्ष्य रखा था। 11 हजार 267 गौठान निर्माण की स्वीकृति, 9 हजार 716 गौठानों का निर्माण, 4 हजार से अधिक गौठानों का स्वावलंबी होना और 300 से अधिक गौठानों में ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ का शिलान्यास हो जाना, अपने आप में सफलता की पूरी कहानी है।मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हम स्वावलंबी गांव तथा गांव को सक्षम गणराज्य बनाने का सपना देखने वाले अपने पुरखों महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू की उम्मीदों पर खरे उतर रहे हैं। हजारों गौठान जब ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ के रूप में गांवों में ही गोबर से बिजली बनाएंगे, पेंट सहित विभिन्न आवश्यक चीजों का उत्पादन करेंगे, तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल, मिनी राइस मिल जैसी हजारों छोटी-छोटी औद्योगिक इकाइयों को चलाएंगे तो इससे हमारे गांवों में जो ताकत पैदा होगी, उसका अनुमान लगाकर मैं असीम आनंद की अनुभूति करता हूं। मैं इसे अपने सार्वजनिक जीवन और अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल करता हूं।इन्हीं प्रयासों के एक घटक, हमारी ‘गोधन न्याय योजना’ से न सिर्फ पशुधन विकास को नई ऊंचाई मिली है बल्कि गोबर के सांस्कृतिक महत्व के साथ ही आर्थिक महत्व को भी रेखांकित करने में बड़ी सफलता मिली है। इस योजना से प्रदेश के 3 लाख से अधिक लोगों को आय का नया जरिया मिला है और अब तक 362 करोड़ रुपए से अधिक की आय भी हुई है, जिससे हितग्राही परिवार अपने आवास, वाहन, स्वास्थ्य, जीवन स्तर उन्नयन, मांगलिक कार्य, स्थायी संपत्तियों का निर्माण, आजीविका के साधनों के विकास जैसे अनेक काम कर पा रहे हैं, जिससे हितग्राहियों के बढ़़े उत्साह और उद्यमिता से भी विकास का नया वातावरण बना है।हमने किसानों तथा अन्य जनहितकारी योजनाओं के हितग्राहियों को लगभग 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपए की राशि प्रदान करते हुए न्याय योजनाओं को सार्थक बनाया है तो इस राशि को हितग्राहियों के बैंक खातों में डालने की व्यवस्था भी की है। ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ की संख्या विगत चार वर्षों में 50 प्रतिशत बढ़कर 81 लाख 22 हजार हो गई है। साथ ही ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में बैंकिंग की सुविधाओं में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी की गई है। मार्च 2021 तक बैंक मित्रों की संख्या मात्र 18 हजार 323 थी, जो अब बढ़कर 35 हजार से अधिक हो गई है। बैंक शाखाओं की संख्या 22 प्रतिशत बढ़कर 573 हो गई है।प्रदेशवासियों की गाढ़े पसीने की कमाई को उच्चस्तरीय संरक्षण से कोई लूटकर ले जाए, इस स्थिति को हम कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, इसलिए हमने सरकार में आते ही ‘चिटफंड कंपनियों’ के खिलाफ मोर्चा खोला। छत्तीसगढ़ में विगत चार वर्षों में 207 चिटफंड कम्पनियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर, 650 से अधिक संचालकों और उनके पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। अब-तक 82 प्रकरणों में 43 कम्पनियों के विरुद्ध 73 करोड़ 24 लाख रुपए की संपत्ति कुर्की, नीलामी, वसूली का अंतिम आदेश माननीय न्यायालय द्वारा दिया जा चुका है। इस तरह 36 हजार 239 निवेशकों को 24 करोड़ 87 लाख रुपए की राशि लौटाई गई है। निकट भविष्य में और भी बड़ी राशि लौटाई जाएगी। ऑनलाइन जुआ की रोकथाम के लिए ‘छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध विधेयक-2022’ पारित होना भी प्रदेश की एक बड़ी उपलब्धि है।निश्चित तौर पर धान के किसानों की खुशहाली से छत्तीसगढ़ महतारी के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आई है लेकिन हमने धान के साथ हर तरह की फसल लेने वाले किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लागू की। इसके अंतर्गत तीन वर्षों में 16 हजार 442 करोड़ रुपए की आदान सहायता दी गई है। इस योजना से उद्यानिकी फसलों को जोड़ने से प्रदेश में साग-सब्जी तथा फलों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है और इसी के साथ उनके संरक्षण हेतु कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, फल, सब्जी मंडी तथा प्रसंस्करण इकाइयों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों में ‘किसान कुटीर’ विकसित किया जा रहा है। इन तमाम प्रयासों से छत्तीसगढ़ अब खुशहाल किसानों का प्रदेश बन रहा है।इस वर्ष से समर्थन मूल्य पर दलहन खरीदी का वादा भी निभा रहे हैं। भूमिहीन मजदूरों को न्याय कैसे दिलाया जाए, इस संबंध में प्रदेश तो क्या देश में कोई सोच नहीं थी। हमने ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ लागू कर 4 लाख 66 हजार से अधिक लोगों को वर्ष में सुनिश्चित न्यूनतम आर्थिक मदद देने का सपना साकार किया है।हमने विगत चार वर्षों में विभिन्न तरह के काम करने वाले श्रमिकों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली अनेक योजनाएं शुरू की और उनमें लाभ का दायरा भी बढ़ाया है। ‘मुख्यमंत्री श्रमिक सहायता केन्द्र योजना’, ‘मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कार्ड योजना’, ‘मुख्यमंत्री श्रम संसाधन केन्द्र योजना’, ‘निःशुल्क गणवेश एवं पुस्तक-कापी योजना’, ‘खेलकूद प्रोत्साहन योजना’, ‘ई-श्रम पोर्टल’, ‘कारखाना श्रमिक प्रशिक्षण योजना’ आदि से श्रमिक परिवारों को बहुत राहत दी गई है। ‘मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना’ के तहत दी जाने वाली सहायता राशि को दोगुना करने, ‘मुख्यमंत्री आधारभूत शिक्षा प्रशिक्षण सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री नोनी-बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना’, निर्माण श्रमिकों के लिए ‘निःशुल्क कोचिंग सहायता योजना’ शुरू करने की घोषणा भी की गई है।धान की धरती में भूख और कुपोषण का तांडव कैसे चलता रहा, यह सोचकर देखिए। हमने इस कुचक्र को तोड़ने के लिए ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ चलाया। जिसके कारण चिन्हांकित 4 लाख 34 हजार बच्चों में से 2 लाख 65 हजार बच्चों को कुपोषण से तथा एक लाख 50 हजार महिलाओं को एनीमिया से मुक्त किया गया है। इसके अलावा हमने गर्भस्थ शिशुओं से लेकर सुरक्षित प्रसव, माताओं और शिशुओं के स्वस्थ विकास के विभिन्न पहलुओं पर समुचित ध्यान दिया है।हमारे विभिन्न प्रयासों से मातृत्व मृत्यु दर 159 से घटकर 137 हो गई है। दूसरी संतान भी बेटी होने की स्थिति में किसी भी तरह की मदद का प्रावधान पूर्व में नहीं था। इस अंतर को पाटने के लिए हमने ‘कौशल्या मातृत्व सहायता योजना’ शुरू की। इसी तरह ‘बाल कोष’, ‘बाल सक्षम नीति’, ‘मिशन वात्सल्य’ सहित ‘छत्तीसगढ़ महिला कोष’, ‘नवा बिहान’, ‘सक्षम योजना’, ‘सखी वन-स्टॉप सेंटर’ जैसी अनेक योजनाओं से नारी शक्ति को मजबूत किया जा रहा है।खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर बढ़ते हुए हमने स्थानीय खान-पान की विशेषताओं और रुचियों का विशेष ध्यान रखा, जिससे सकारात्मक नतीजे प्राप्त हुए हैं। पोषण सुरक्षा के लिए आयरन फोलिक एसिड युक्त फोर्टिफाइड चावल का वितरण अभी 12 जिलों, ‘मध्याह्न भोजन योजना’ तथा ‘पूरक पोषण आहार योजना’ हेतु किया जा रहा है। मैं घोषणा करता हूं कि अप्रैल 2023 से सभी जिलों में पीडीएस के राशनकार्डधारियों को फोर्टिफाइड चावल का वितरण प्रारंभ किया जाएगा।छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 64 लाख अन्त्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित एवं निःशक्तजन राशनकार्डधारियों को अप्रैल 2022 से दिसम्बर 2022 तक निर्धारित मासिक पात्रता एवं अतिरिक्त पात्रता का चावल निःशुल्क वितरण किया गया। मैं घोषणा करता हूं कि इस वर्ष जनवरी 2023 से दिसम्बर 2023 तक मासिक पात्रता का चावल निःशुल्क प्रदाय किया जाएगा।हमने वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ‘सार्वभौम पीडीएस’ के तहत 2 करोड़ 61 लाख हितग्राहियों को अर्थात् शत-प्रतिशत खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य पूरा कर लिया है। राशनकार्डधारी अपनी सुविधा से छत्तीसगढ़ अथवा देश के किसी भी राज्य की उचित मूल्य दुकान से राशन सामग्री प्राप्त कर सकंे, इसके लिए ‘वन नेशन वन राशनकार्ड योजना’ पर अमल किया जा रहा है। 13 हजार 518 उचित मूल्य दुकानों में से 13 हजार 451 उचित मूल्य दुकानों में ‘ई-पॉस मशीन’ स्थापित करके आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से राशन सामग्री का वितरण किया जा रहा है।बहनों और भाइयों, मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं, बल्कि सुखद अहसास होता है कि हमने ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक विकास पर पूरा ध्यान दिया है। हमारे गांव निर्माण का केन्द्र बनंे और शहर विक्रय का, इस सोच को धरातल पर उतारने के लिए हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा हमने छत्तीसगढ़ को नए जमाने के अनुरूप, नए औद्योगिक विकास के लिए भी आदर्श राज्य बनाया है। इसके लिए हमने स्टील क्षेत्र जैसी अपनी पुरानी ताकत को फिर से जगाया है, तो खाद्य प्रसंस्करण, दवा, लघु वनोपज, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, जूट, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिक वाहन, चार्जिंग स्टेशन सेवा केन्द्र, बीपीओ, थ्रीडी प्रिंटिंग, टेक्सटाइल, पर्यटन, मनोरंजन सेवा केन्द्र, बीज ग्रेडिंग जैसे क्षेत्रों को भी छत्तीसगढ़ में भागीदारी निभाने के लिए आमंत्रित किया है। यही वजह है कि विगत चार वर्षों में प्रदेश में एक हजार 856 औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुईं, जिनमें 19 हजार 700 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश सुनिश्चित हुआ।हमने शासन-प्रशासन की सेवाएं आम जनता तक पहुंचाने के लिए जो घोषणाएं की थीं, उन सबको पूरा कर दिया है। विगत चार वर्षों में 6 नए जिले, 19 अनुविभाग और 83 तहसीलों का गठन किया है। शासकीय सेवकों को पुरानी पेंशन योजना, छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्य निधि योजना का लाभ देने हेतु हम अपने निर्णय पर अडिग हैं और इसके लिए समुचित कदम उठाए जा चुके हैं। आम जनता को ऑनलाइन सेवाएं देने के लिए हमने लोक सेवा केन्द्रों को सशक्त बनाया, जिसके कारण विगत चार वर्षों में लगभग एक करोड़ 14 लाख आवेदनों का निराकरण इस प्रणाली से किया गया। इसके अलावा परिवहन, नगरीय निकायों तथा विभिन्न शासकीय सेवाओं में पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन प्रणालियों को बढ़ावा दिया गया है, जिसका लाभ लाखों लोगों को हो रहा है। ‘मुख्यमंत्री मितान योजना’ के तहत सभी 14 नगर निगमों में जनता को घर में जाकर प्रमाण-पत्र, लाइसेंस जैसे दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसका लाभ 40 हजार से अधिक लोगों को मिला है।मेरा मानना है कि सेहत, समृद्धि और खुशहाली का सीधा रिश्ता होता है। कहा गया है-‘एक स्वास्थ्य हजार नियामत’। हमारी सरकार ने जन-स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए हैं। नए अस्पताल खोलने, अस्पतालों के उन्नयन जैसे सारे योजनाबद्ध कार्य तेजी से हों, यह सुनिश्चित करने के साथ ही हमने हर हालत में समुदाय तक पहुंचने की रणनीति अपनाई। इस तरह चलित चिकित्सालयों को हाट-बाजारों, बसाहटों, तंग बस्तियों और उन सभी जगहों तक पहुंचाया गया, जहां तत्काल आवश्यकता थी।जन-स्वास्थ्य सुविधाएं नियम प्रक्रियाओं के चक्कर में उलझकर विलंबित न हों, यह हमारी सबसे बड़ी चिंता थी। यही वजह है कि विगत चार वर्षों में हमने ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’, ‘मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लीनिक योजना’, ‘हमर लैब’ जैसी योजनाओं से एक करोड़ 90 लाख से अधिक लोगों की स्वास्थ्य रक्षा की है। ‘श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना’ के तहत राज्य के 169 नगरीय निकायों में 193 दुकानें संचालित की जा रही है, जिसके माध्यम 43 लाख से अधिक लोगों को 75 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है। धन राशि किसी के इलाज में रूकावट न बने इसके लिए हमने ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ और ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’ के माध्यम से बहुत बड़े पैमाने पर निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की है।चार वर्ष पूर्व तक प्रदेश के विभिन्न अंचलों में जिस तरह से बीमारियां और महामारी फैली थी उसे तत्काल प्रभाव से रोकने में हमें बड़ी सफलता मिली है। मलेरियामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान से प्रदेश में परजीवी सूचकांक 5.31 प्रतिशत से घटकर 0.92 प्रतिशत रह गया है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि नवा छत्तीसगढ़, स्वस्थ छत्तीसगढ़ के रूप में भी अपनी नई पहचान बनाए।हमने शिक्षा के माध्यम से राज्य की नई पीढ़ी को सक्षम बनाने की दिशा में भी क्रांतिकारी उपाय किए हैं। पहली कक्षा की पढ़ाई मातृभाषा से शुरू करने के लिए राज्यव्यापी भाषाई सर्वे करने वाले हम पहले राज्य हैं। बस्तर के गांव-गांव में कहानी-उत्सव के माध्यम से मातृभाषा में शिक्षा देने के अभियान को गति दी गई है। सरकारी शालाओं के बच्चों का आत्म-बल बढ़ाने और उनकी प्रतिभा को संवारने हेतु पब्लिक स्कूलों से बेहतर अधोसंरचना विकसित करने की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम’ की 247 शालाओं और हिन्दीमाध्यम की 32 शालाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 2 लाख 15 हजार बच्चों को प्रवेश मिला है। आगामी सत्र से 422 नई शालाओं को उत्कृष्टता के इस अभियान में शामिल करने की तैयारी की जा रही है।‘सुघ्घर पढ़वैया’ योजना भी शुरू की गई है, जिसमें विद्यालयों को ही शैक्षिक उन्नयन में भागीदार बनाकर पुरस्कारों की घोषणा की गई है। अल्प समय में ही 22 हजार से अधिक अर्थात् 51 प्रतिशत विद्यालयों ने इस योजना में शामिल होने की अनुमति देकर बड़े सुधार की दिशा में कदम उठा लिया है। मैं अपील करता हूं कि सभी विद्यालय अपनी सहमति प्रदान करें। लंबे समय से जिन शासकीय शाला भवनों की मरम्मत अथवा जीर्णोद्धार नहीं किया जा सका था, इसके लिए हमने 780 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, ताकि तत्काल यह कार्य हो सके।उच्च शिक्षा को हमने युवाओं के अनुशासन, संस्कार और उनके रोजगार की क्षमता बढ़ाने के नजरिए से देखा और समुचित कदम उठाए हैं। आवश्यकता के अनुरूप हमने सह-शिक्षा और बालिकाओं के लिए विशेष महाविद्यालय शुरू किए तथा सीटों में भी बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि महाविद्यालयों में सकल नामांकन अनुपात पांच गुना बढ़ गया है। वहीं छात्राओं की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। इस तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेटियों का आगे बढ़ना एक बड़ी उपलब्धि है। मैं बेटियों को उनके उत्साह, जागरुकता और आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छा-शक्ति के लिए सलाम करता हूं। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों’ की तर्ज पर महाविद्यालय खोलने का निर्णय भी लिया गया है, जो उच्च शिक्षा के उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में नए प्रतिमान बनेंगे।युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक ओर जहां शासकीय, अर्द्धशासकीय विभागों, निगमों, मंडलों, आयोगों, समितियों आदि में बड़े पैमाने पर भर्ती की गई, वहीं निजी क्षेत्रों में भी रोजगार और स्वरोजगार की समुचित व्यवस्थाएं की गईं। राज्य लोक सेवा आयोग, व्यापम में परीक्षा शुल्क माफ किया गया। निर्माण विभागों में ई-पंजीयन के माध्यम से सीमित निविदा प्रक्रिया का लाभ दिया गया। गांवों से लेकर शहरों तक आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हुए। इस तरह छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर को 0.1 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर तक लाने में मिली सफलता का श्रेय मैं राज्य के विकास में भागीदार बने आप सभी लोगों को देता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि व्यापक जनभागीदारी, नवाचार और समावेशी विकास की हमारी रणनीति से बना ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ अब देश को दिशा दे रहा है।मैंने पहले भी कहा है कि विकास का हमारा मॉडल सजावटी और दिखावटी न होकर बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करते हुए जन-जन को सशक्त बनाने वाला होगा। इसी सांचे में हमने अधोसंरचना विकास को भी ढाला है, जिसका निर्माण समय-सीमा में पूर्ण हो और जिसका लाभ जनता को तत्काल मिलना शुरू हो, ऐसी सड़क, जल संसाधन, बिजली प्रदाय आदि की अधोसंरचना का विकास किया गया है।स्वास्थ्य अधोसंरचना के लिए कोरोना काल में ‘राज्य आपदा मोचन निधि’ तथा अन्य मदों से समुचित राशि दी गई। जब नगरीय निकायों को जरूरत थी तब उन्हें एकमुश्त बड़ी आर्थिक सहायता दी गई। जब अस्पताल और स्कूलों को जरूरत थी, तब उनके लिए एकमुश्त सहायता राशि की घोषणा की गई, वैसे ही बरसात के बाद में जब सड़कों पर गड्ढे उभरे तो अभियान चलाकर 6 हजार किलोमीटर सड़कों की मरम्मत हेतु घोषणा की गई कि इसमें बजट की कोई कमी नहीं होगी। समय पर कार्य पूरा होना ही प्राथमिकता होगी।‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ (ग्रामीण) के अंतर्गत वर्ष 2020 तक 9 लाख 39 हजार 335 आवासों की स्वीकृति देकर 8 लाख 33 हजार 488 का निर्माण पूरा हो चुका है तथा शेष का निर्माण शीघ्र पूरा कर दिया जाएगा। वर्ष 2021-22 में 1 लाख 57 हजार 815 आवासों के लक्ष्य अनुरूप शत-प्रतिशत स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। मुझे खुशी है कि आर्थिक तंगी के कठिन दौर में भी हमारी रणनीति से चहुंओर राहत पहुंचाई गई और विकास को गति दी गई।बहनों और भाइयों, 26 जनवरी 2024 को हम 75वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे। यह हमारे गणतंत्र का अत्यंत गौरवशाली पड़ाव होगा। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, गणतंत्र जन-जन के अधिकारों और गौरव का दिन है। यह भारतीय संविधान के प्रति आस्था ही नहीं बल्कि हमारी एक-दूसरे के प्रति आस्था, विश्वास, सद्भाव और विकास में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के संकल्प का भी दिन है। इसलिए मैं आप सबसे आह्वान करता हूं कि संविधान के सिद्धांतों, मूल्यों और इसके पालन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत बनाने की दिशा में रचनात्मक कार्यक्रमों का सिलसिला सभी लोग अपने-अपने स्तरों पर शुरू करें।हमारे पुरखों ने सिखाया है कि अपनी माटी, परंपराओं और संस्कृति से जुड़कर हम एकजुटता के सेतु बनाते हैं। इन मूल्यों के विपरीत चलने का खामियाजा पहले भी बहुत भुगता जा चुका है इसलिए हम छत्तीसगढ़िया अस्मिता, स्वाभिमान और स्वावलंबन की अलख जगाने के लिए छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, जो जाति-धर्म-संप्रदाय से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ियत के आदर्शों का विस्तार करेगी।छत्तीसगढ़ राज्य को ही यह सौभाग्य मिला है कि इसके नाम के साथ महतारी शब्द जुड़ता है, जो मातृशक्ति के प्रति हमारी गहरी आस्था का प्रतीक है। इसीलिए हम कहते हैं ‘बात हे अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के’। मैं चाहूंगा कि सार्वजनिक आयोजनों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा, उनका चित्र, राजगीत, राजकीय प्रतीक छत्तीसगढ़िया गमछा, बोरे-बासी तथा छत्तीसगढ़िया खान-पान का विशेष ध्यान रखा जाए। छत्तीसगढ़िया त्यौहारों पर घोषित किए सार्वजनिक अवकाशों का उपयोग त्यौहार के महत्व के अनुरूप आयोजनों में किया जाए।‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ के माध्यम से पारंपरिक ग्रामीण खेलों के प्रति चेतना जगाने और आपसी सद्भाव को मजबूत बनाने में हमें अपार सफलता मिली है। इससे बने वातावरण से प्रदेश में खेल अधोसंरचना के विस्तार के अभियान को गति मिलेगी तथा इसका लाभ युवाओं को खेलकूद में भी बड़ी सफलताओं के रूप में मिलेगा।मुझे विश्वास है कि विकास के हमारे ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ ने प्रदेश में जीवन स्तर उन्नयन, समृद्धि, खुशहाली और स्वावलंबन की दिशा में जो उपलब्धियां दिलाना शुरू की हैं, वह अभी प्रारंभिक दौर में ही है, इनके बहुत ऊंचाइयों और कई शिखरों पर जाने की संभावनाएं हैं। मुझे विश्वास है कि आप सबके सहयोग, समर्थन और भरोसे की पूंजी से हम छत्तीसगढ़ को देश का सबसे समृद्ध और सबसे खुशहाल राज्य बनाने में सफल होंगे।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की संस्कृति एवं पर्वों के संरक्षण के लिये राज्य सरकार कटिबद्ध रही है। इस क्रम में मैं घोषणा करता हूँ कि आगामी वित्तीय वर्ष से सरकार बस्तर संभाग, सरगुजा संभाग और प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज के पर्वों के उत्तम आयोजन के लिये प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष प्रदान करेगी।
मैं घोषणा करता हूँ कि अगले वित्तीय वर्ष से बेरोजगारों को हर महीने बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा।
महिला समूहों महिला उद्यमियों, महिला व्यवसायियों एवं महिला स्टार्ट अप को व्यापार उद्योग स्थापित करने हेतु नवीन योजना आरंभ की जायेगी।मैं घोषणा करता हूँ कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और विरासत को सहेजने और संजोने के बाद छत्तीसगढ़ को प्रगति पथ पर अनवरत आगे बढ़ाने के लिये राज्य में छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग का गठन किया जायेगा।
रायपुर एयरपोर्ट में यात्री सुविधाओं को बढ़ावा देने, एयरपोर्ट क्षेत्र के वाणिज्यिक विकास और रोजगार सृजन के लिये मैं स्वामी विवेकानंद विमानतल के पास एयरोसिटी विकसित किये जाने की घोषणा करता हूँ।
मैं घोषणा करता हूँ कि छत्तीसगढ़ में कुटीर उद्योग आधारित ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, रोजगार और लोगों की आय बढ़ाने के लिये ग्रामीण उद्योग नीति बनाई जायेगी।
उद्योग विभाग द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित इकाईयों को संपत्ति कर के भार से मुक्त किया जायेगा ।
रायपुर और दुर्ग जिले की जीवनदायिनी और जन आस्था का केंद्र खारून नदी व्यापार और मनोरंजन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। खारून नदी पर उत्कृष्ट रिवर फ्रंट विकसित करने की मैं घोषणा करता हूँ।
बिजली बिल हाफ योजना को मिले उत्कृष्ट प्रतिसाद के बाद मैं घोषणा करता हूँ कि बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये अत्याधुनिक ऑनलाईन शिकायत एवं निराकरण प्रणाली विकसित की जायेगी।
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में लगातार तीन साल पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों को स्वयं का मकान बनाने हेतु 50 हजार रूपये अनुदान देने की योजना लाई जायेगी ।
छत्तीसगढ़ की जनता की अगाध आस्था भांचा राम और माता कौशल्या में है। मैं घोषणा करता हूँ कि प्रत्येक वर्ष हम राष्ट्रीय रामायण/मानस मंडली महोत्सव आयोजित करवायेंगे ।
छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की धरती है अतः मैं प्रतिवर्ष चंदखुरी में कौशल्या महोत्सव आयोजित करने की घोषणा करता हूँ।स्वतंत्रता जिंदाबाद! लोकतंत्र जिंदाबाद! संविधान जिंदाबाद!छत्तीसगढ़ महतारी की जय !जय हिन्द ! -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को अनेक महत्वपूर्ण सौगात दी है।
घोषणा-1प्रदेश में आदिवासी पर्व सम्मान निधि की घोषणा-
छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की संस्कृति एवं पर्वों के संरक्षण के लिये राज्य सरकार कटिबद्ध रही है ।
आगामी वित्तीय वर्ष से सरकार बस्तर संभाग, सरगुजा संभाग और प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज के पर्वों के उत्तम आयोजन के लिये प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष प्रदान करेगी।
घोषणा-2
युवाओं को मिलेगा बेरोजगारी भत्ता
अगले वित्तीय वर्ष से बेरोजगारों को हर महीने बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा।
घोषणा-3
महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन हेतु शुरू होगी नई योजनामहिला समूहों महिला उद्यमियों, महिला व्यवसायियों एवं महिला स्टार्ट अप को व्यापार उद्योग स्थापित करने हेतु नवीन योजना आरंभ की जायेगी।
घोषणा-4
छत्तीसगढ़ राज्य में गठित होगा नवाचार आयोग
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और विरासत को सहेजने और संजोने के बाद छत्तीसगढ़ को प्रगति पथ पर अनवरत आगे बढ़ाने के लिये राज्य में छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग का गठन किया जायेगा।
घोषणा-5
राज्य में बनेगी एयरोसिटीरायपुर एयरपोर्ट में यात्री सुविधाओं को बढ़ावा देने, एयरपोर्ट क्षेत्र के वाणिज्यिक विकास और रोजगार सृजन के लिये मैं स्वामी विवेकानंद विमानतल के पास एयरोसिटी विकसित की जाएगी
घोषणा-6
राज्य में बनेगी ग्रामीण उद्योग नीति
छत्तीसगढ़ में कुटीर उद्योग आधारित ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, रोजगार और लोगों की आय बढ़ाने के लिये ग्रामीण उद्योग नीति बनाई जायेगी।
घोषणा-7
औद्योगिक इकाईयों को संपत्ति कर से मिलेगी मुक्ति
उद्योग विभाग द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित इकाईयों को संपत्ति कर के भार से मुक्त किया जायेगा ।घोषणा-8
जीवनदायनी खारून नदी पर बनेगा रिवर फ्रंट
रायपुर और दुर्ग जिले की जीवनदायिनी और जन आस्था का केंद्र खारून नदी व्यापार और मनोरंजन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। खारून नदी पर उत्कृष्ट रिवर फ्रंट विकसित करने की मैं घोषणा करता हूँ।
घोषणा-9
विद्युत शिकायत के निराकरण के लिए बनेगी आधुनिक ऑनलाईन निराकरण प्रणाली
बिजली बिल हाफ योजना को मिले उत्कृष्ट प्रतिसाद के बाद मैं घोषणा करता हूँ कि बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये अत्याधुनिक ऑनलाईन शिकायत एवं निराकरण प्रणाली विकसित की जायेगी।
घोषणा-10
निर्माण श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना होगी शुरू
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में लगातार तीन साल पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों को स्वयं का मकान बनाने हेतु 50 हजार रूपये अनुदान देने की योजना लाई जायेगी ।
घोषणा-11
राज्य में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय रामायण / मानस महोत्सव का होगा आयोजन
छत्तीसगढ़ की जनता की अगाध आस्था भांचा राम और माता कौशल्या में है।प्रत्येक वर्ष हम राष्ट्रीय रामायण / मानस मंडली महोत्सव आयोजित होंगे।
घोषणा-12
चंदखुरी में प्रतिवर्ष आयोजित होगा माँ कौशल्या महोत्सव
छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की धरती है अतः प्रतिवर्ष चंदखुरी में कौशल्या महोत्सव आयोजित किया जाएगा। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत सक्ती जिला मुख्यालय में फहराएंगे राष्ट्रीय ध्वज
राज्य शासन ने जिला मुख्यालयों में ध्वजारोहण करने वाले मुख्य अतिथियों की सूची जारी की
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आगामी गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी को बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत नवगठित जिला सक्ती मुख्यालय में ध्वजारोहण करेंगे। राज्य शासन ने गणतंत्र दिवस पर जिला मुख्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले मुख्य अतिथियों की सूची जारी कर दी है।
गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू महासमुंद, कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे दुर्ग, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर कबीरधाम, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम सूरजपुर, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री कवासी लखमा सुकमा, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत राजनांदगांव, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया गरियाबंद, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया बालोद, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल रायगढ़ तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार मुंगेली में ध्वजारोहण करेंगे।
गणतंत्र दिवस पर विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री संतराम नेताम कोण्डागांव, संसदीय सचिव श्री गुरूदयाल सिंह बंजारे बेमेतरा, संसदीय सचिव श्री विकास उपाध्याय बिलासपुर, संसदीय सचिव श्री चंद्रदेव प्रसाद राय जांजगीर, संसदीय सचिव श्री पारसनाथ राजवाड़े सरगुजा के जिला मुख्यालय अम्बिकापुर, संसदीय सचिव डॉ. श्रीमती रश्मि आशिष सिंह बलरामपुर, संसदीय सचिव श्री शिशुपाल सोरी कांकेर, संसदीय सचिव सुश्री शकुन्तला साहू बलौदाबाजार और संसदीय सचिव श्री इन्द्रशाह मंडावी मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के जिला मुख्यालय मोहला में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे।
विधायक एवं अध्यक्ष बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण श्री लखेश्वर बघेल दंतेवाड़ा, विधायक एवं अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हस्त विकास बोर्ड श्री चंदन कश्यप नारायणपुर, विधायक श्रीमती अनिता शर्मा धमतरी, विधायक डॉ. विनय जायसवाल कोरबा, विधायक डॉ. के.के. ध्रुव गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के जिला मुख्यालय गौरेला, विधायक श्री विनय कुमार भगत जशपुर, विधायक श्री विक्रम मंडावी बीजापुर, विधायक श्रीमती यशोदा वर्मा खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई के जिला मुख्यालय खैरागढ़, विधायक श्रीमती उत्तरी गणपत जांगड़े सांरगढ़-बिलाईगढ़ के जिला मुख्यालय सारंगढ़, विधायक श्री गुलाब कमरो मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ में ध्वजारोहण करेंगे।