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 कोरिया : श्रम विभाग एवं जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा की गई छापामार कार्यवाही

 कोरिया : महिला बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण अधिकारी से प्राप्त जानकारी अनुसार श्रम बाल प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत श्रम विभाग एवं जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं चाईल्ड लाईन की संयुक्त टीम के द्वारा जिले के बैकुण्ठपुर शहर, पटना, पण्डोपारा, चरचा, खरवत, बरबसपुर तथा नागपुर, बेलबहरा, उदलकछार, मनेन्द्रगढ़ शहर के होटल, ढाबे, गैरेज, क्रेशर, दुकानो एवं प्रतिष्ठानो आदि जगहों पर छापेमार की कार्यवाही की गई।

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छापामार कार्यवाही के दौरान बाल श्रमिक के संबंध में जानकारी प्राप्त की एवं सभी फर्म संचालक के मालिकों से आग्रह किया गया कि कोई भी श्रमिक 14 वर्ष से कम संस्था, फर्म में कार्य नहीं करना चाहिये।
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अगर कोई बच्चा आपकी संस्था में काम हेतु आता है तो तुरंत विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को सूचित करें, जिससे उन बच्चों को शिक्षित व्यावसायिक कार्यो व प्रशिक्षण में जोड़ा जा सके।
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विभिन्न फर्म संचालकों को बाल श्रम निषेध दिवस की जानकारी देते हुये बाल श्रम निषेध अधिनियम के उल्लंघन की स्थिति में चाईल्ड लाईन हेल्फ लाईन 1098 एवं संबंधित विभाग को सूचित करने की समझाईश दी गई। इस कार्यवाही में किसी भी संस्था, प्रतिष्ठान पर बाल श्रमिक के रूप में कार्य करते कोई भी श्रमिक नही पाया गया।
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बाल श्रमिक, अपशिष्ट संग्राहक, भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों की दुर्दशा गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे बच्चे अपनी उत्तरजीविका, भोजन, पानी, वस्त्र, आश्रम एवं संरक्षण हेतु प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के संघर्षों एवं चुनौतियों का सामना करते है। इन बच्चों के आर्थिक, लैंगिक एवं अन्य प्रकार के शोषण के शिकार होने का गंभीर खतरा होता है।

किशोर न्याय(बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 2(14) (पप) के अनुसार ऐसे बालक जिसके बारे में पाया जाता है कि उसने तत्समय प्रवृत्त श्रम विधियों का उल्लघन किया है या पथ पर भीख मांगते या वहां रहते पाया जाता है को देखरेख एवं संरक्षण का जरूरतमंद बालक माना गया है तथा बालक कल्याण समिति के माध्यम से उसके पुनर्वास एवं समाज में एकीकरण का प्रावधान किया गया है।

बाल श्रम(प्रतिषेध विनियमन) संशोधन अधिनियम 2016 की धारा (2) के अनुसार किसी भी बच्चे से कार्य कराने पर पाबंदी है। कूडा बीनने एवं सफाई के कार्य को अधिनियम के तहत खतरनाक व्यवसाय की श्रेणी में रखा गया है।

उपरोक्त तारतम्य में यह आवश्यक है कि बाल श्रमिक, कूडा-कचरा बीनने के व्यवसाय तथा भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों की पहचान कर उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाए तथा उनको शिक्षा एवं अन्य सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। साथ ही उनके परिवार को भी शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाते हुए उनके प्रशिक्षण एवं रोजगार की व्यवस्था की जाए।

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