दुर्ग विश्वविद्यालय ने किए स्थापना के पाँच वर्ष पूर्ण, लाॅकडाउन के कारण कोई औपचारिक समारोह नहीं
दुर्ग: हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग ने 2015 में अपनी स्थापना के पश्चात् 24 अप्रैल 2020 को पाँच वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण शासन द्वारा घोषित लाॅकडाउन के कारण विश्वविद्यालय की वर्षगाँठ पर कोई औपचारिक समारोह आयोजित नहीं किया जा रहा है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने विगत दो वर्षों में प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पदक प्रदान करने हेतु पदक अलंकरण समारोह का प्रस्ताव तैयार किया था। लाॅकडाउन के कारण अब यह समारोह बाद में आयोजित किया जाएगा। विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ. अरुणा पल्टा ने विश्वविद्यालय की इस पाँच वर्ष की यात्रा में समस्त विश्वविद्यालयीन अधिकारियों, कर्मचारियों, महाविद्यालयों के प्राचार्याें, प्राध्यापकगण, विद्यार्थियों एवं छात्र प्रतिनिधियों तथा उच्च शिक्षा विभाग, छ. ग. शासन एवं प्रिंट व इलेक्ट्राॅनिक मीडिया को रचनात्मक सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. सी. एल. देवांगन ने बताया कि वर्तमान में इस विश्वविद्यालय से कुल 130 महाविद्यालयों को संबद्धता प्राप्त हैं, जिनमें से 61 महाविद्यालय शासकीय तथा 69 निजी महाविद्यालय शामिल हैं। वर्तमान में लगभग 1 लाख 40 हजार विद्यार्थी पंजीकृत हैं। डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि 24 अप्रैल 2015 को छ. ग. शासन द्वारा दुर्ग विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा हुई थी। कालांतर में शासन ने 2018 में विश्वविद्यालय का नाम हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग कर दिया। जुलाई 2015 में प्रथम कुलपति के रुप में डाॅ. नरेन्द्र प्रसाद दीक्षित तथा कुलसचिव के पद पर डाॅ. एस. के. त्रिपाठी की नियुक्ति हुई। द्वितीय कुलपति के रुप में डाॅ. शैलेन्द्र सराफ ने कार्यभार संभाला, जबकि रजिस्ट्रार पद का दायित्व डाॅ. राजेश पाण्डेय ने निर्वहन किया। इस बीच लगभग 3 माह की अवधि के लिए साइंस काॅलेज, दुर्ग के प्राध्यापक डाॅ. ओ. पी. गुप्ता प्रभारी कुलपति के रुप में कार्यरत रहे। 12 सितंबर 2019 को विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति डाॅ. अरुणा पल्टा ने कार्यभार ग्रहण किया। तृतीय रजिस्ट्रार के रुप में डाॅ. सी. एल. देवांगन वर्तमान में कार्यरत हैं।
दुर्ग विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव श्री भूपेन्द्र कुलदीप तथा सहायक कुलसचिव डाॅ. सुमीत अग्रवाल के अनुसार इन पाँच वर्षों में विश्वविद्यालय ने खेल, अकादमिक, सांस्कृतिक, शोध सभी क्षेत्रों में सफलता के अनेक सोपाजों को पार किया है। विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम निर्धारण हेतु नियमित रुप से अध्ययनमंडल की बैठकों का आयोजन, विद्यापरिषद, कार्यपरिषद का गठन, पीएचडी प्रवेश परीक्षा का सफल आयोजन प्रमुख है। इनके अतिरिक्त राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन तथा युवा वैज्ञानिक कांग्रेस की मेजबानी विश्वविद्यालय की उपलब्धियों में से एक है। डाॅ. राजमणी पटेल एवं श्री ए. आर. चैरे सहायक कुलसचिव, परीक्षा के अनुसार शासन के अकादमिक कैलेण्डर के अनुरुप परीक्षाओं का आयोजन तथा परीक्षा परिणामों की समय पर घोषणा विश्वविद्यालय की प्राथमिकताओं में प्रमुख हैं।
विश्वविद्यालय के खेल संचालक डाॅ. एल. पी. वर्मा ने बताया कि खेलकूद में राष्ट्रीय स्तर पर दुर्ग विश्वविद्यालय ने अनेक सफलताएँ प्राप्त की हैं। वहीं एनएसएस समन्वयक डाॅ. आर. पी. अग्रवाल के अनुसार दुर्ग विश्वविद्यालय द्वारा संचालित एनएसएस गतिविधियों में विश्वविद्यालय ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। कुलपति डाॅ. अरुणा पल्टा की यह मंशा है कि आने वाले अकादमिक सत्रों में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पदक से सम्मानित किया जाएगा। विद्याार्थियों के हित में विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर 150 से अधिक वीडियो लेक्चर अपलोड किए गए हैं। विश्वविद्यालय के इस प्रयास का विद्यार्थियों ने स्वागत किया है।
श्री हिमांशु शेखर मंडावी, सहायक कुलसचिव के अनुसार विश्वविद्यालय के स्वयं के भवन का निर्माण पोटियाकला के समीप जारी है। रुसा मद से निर्मित होने वाले इस भवन को शीघ्र निर्मित कराए जाने हेतु विश्वविद्यालय प्रयासरत है। आगामी सत्र से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का संचालन करने हेतु शासन के समक्ष प्रस्ताव विचाराधीन है। विश्वविद्यालय की वित्ताधिकारी श्रीमती ज्योत्सना शर्मा ने जानकारी दी है कि सत्र 2019 तक के सभी प्राध्यापकों के परीक्षा देयकों का भुगतान विश्वविद्यालय द्वारा कर दिया गया है।
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