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महासमुंद (सफलता की कहानी) : घर जैसा माहौल देता तहसील बागबाहरा का क्वॉरेंटाइन सेंटर

महासमुंद 05 जून : तहसील बागबाहरा के विभिन्न क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी श्रमिको का आना जारी है । इस हेतु शासन प्रशासन से समय-समय पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए है, जिसके अंतर्गत ऐसे प्रवासी श्रमिकों को 14 दिन के अनिवार्य आइसोलेशन में रखा जाना है। इस हेतु पंचायत स्तर पर एवं नगरी क्षेत्र में विभिन्न क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है। ऐसे प्रवासी श्रमिकों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुकने का उद्देश्य बताया जाता है। ये 14 दिन उनके स्वयं के परिवार और गांव वालों के संक्रमण सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। इन क्वॉरेंटाइन सेंटर में ऐसे श्रमिकों को रोकने हेतु इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या ना हो। उनकी मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर के तहसील स्तर पर निर्मित क्वॉरेंटाइन सेंटर में पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था की गई।


इस हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बागबाहरा के द्वारा नोडल अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। तहसील बागबाहरा के समस्त क्वॉरेंटाइन सेंटर में मूलभूत सुविधाओं जैसे कि भोजन की व्यवस्था, पीने का साफ पानी ,बिजली, साफ सफाई, प्रवासी श्रमिकों के लिए मनोरंजन के साधन एवं इस भीषण गर्मी में ऐसे सेंटरों में कूलर की व्यवस्था जन सहयोग के माध्यम से की गई है। आइसोलेशन के शुरुआती दिनों में ऐसे प्रवासी श्रमिकों को पंचायत स्तर पर बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने में कुछ अटपटा सा लगा। परंतु क्वॉरेंटाइन सेंटर की सुविधाओं को देखते हुए इन्हें यह सेंटर भाने लगा है। ऐसे श्रमिकों के लिए सूखा राशन पंचायत वह घर वालों के सहयोग से मिल जाता है । सभी श्रमिक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने लिए भोजन बनाते हैं। 

भोजन करने के बाद स्थानीय मनोरंजन के साधन जैसे कौड़ी खेलकर, कबड्डी खेल कर अपना मनोरंजन करते हैं। इस संबंध में प्रवासी मजदूरों का कहना है कि हम हमेशा कामकाज में उलझे रहते है। परिवार के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिलता अब हमें यह मौका मिला है जिसका हम सदुपयोग करते हैं। गांव के जिन स्कूलों में हमारे बच्चे पढ़ते हैं उन स्कूलों में हम यदा-कदा ही जाते हैं। परंतु अब हम अपने बच्चों के साथ उन्हीं स्कूलों में साथ रह रहे हैं जिससे कि हमें अपना बचपना याद आ गया। स्थानीय प्रशासन ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके हुए प्रवासी श्रमिक अपने हुनर जैसे रस्सी बनाना ,झाड़ू बनाना ,चटाई बनाना अगर उन्हें आता है तो साथ मे रहने वाले अन्य साथियों को भी अवश्य सिखाये। ये क्वॉरेंटाइन सेंटर में समय बिताने का एक अच्छा साधन साबित हो सकता है। यदा-कदा अगर क्वॉरेंटाइन सेंटर में कुछ समस्या रह भी जाती है तो यह प्रवासी मजदूर आपस में तालमेल बिठाते हुए इन छोटी-मोटी समस्याओं को दूर कर लेते है। स्थानीय स्तर पर इन्हें पंचायत का भी सहयोग पूरा-पूरा मिल रहा है। 

ऐसे प्रवासी श्रमिकों का कहना है क्वॉरेंटाइन सेंटर बाहर से बंद रहता है। सरपंच कोटवार सचिव और अधिकारी हाल-चाल जानने आते रहते हैं । और आर.एच.ओ. मितानिन मेडिकल चेकअप चेकअप के लिए आते है। हम उनसे दूर से बात किया करते है। पूर्व में कुछ श्रमिकों के सैंपल भी ले गए थे पर रिपोर्ट नेगेटिव आया। इन सेंटरों में हमारा समय कब बीत जाता है पता नहीं चलता है और हम अपने 14 दिन के आइसोलेशन को समाप्त कर अपने घर लौट जाते हैं। ऐसी प्रवासी श्रमिक शासन-प्रशासन की व्यवस्थाओं को देखते हुए उन्हें धन्यवाद देते दिख रहे है।

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