दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया, ‘कोरोना खतरे पर मौलाना साद को दी थी सूचना, मगर उन्होंने ध्यान नहीं दिया’
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि मौलाना साद और मरकज प्रबंधन को मौखिक रूप से कई मौकों पर कोविड-19 के खतरे के बार में सूचित किया था, मगर फिर भी उन्होंने जानबूझकर, लापरवाही और द्वेषभाव से वैध निर्देशों का पालन नहीं किया। स्टेटस रिपोर्ट डीसीपी (क्राइम मुख्यालय) जॉय तिर्के द्वारा भेजी गई, जिन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में किसी को भी गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया है। अदालत में बताया गया कि 900 से अधिक तबलीगी जमात के सहभागी जांच में शामिल हुए हैं। इसके अलावा 723 विदेशी नागरिकों और 23 नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट पुलिस ने कब्जे में ले लिए हैं।
स्टेटस रिपोर्ट में दावा किया गया कि 21 मार्च को दिल्ली पुलिस ने मर्कज के अधिकारियों से संपर्क किया था। पुलिस ने कहा कि एक मुफ्ती शहजाद को कोविड-19 के बारे में बताया गया था और विदेशियों को उनके संबंधित देशों और भारतीयों को उनके मूल स्थानों पर वापस भेजने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट कहती है, ‘हालांकि किसी ने भी दिल्ली पुलिस के वैध निर्देशों पर कोई ध्यान नहीं रखा। इसके अलावा मौलाना मोहम्मद साद की कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग में 21 मार्च, 2020 को व्हाट्सएप पर प्रचलन में पाई गई। जिसमें वक्ता को अपने अनुयायियों से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करते हुए मर्कज की धार्मिक सभा में भाग लेने के लिए कहा गया।’
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि 24 मार्च को लॉकडाउन के मद्देनजर लाजपत नगर के एसीपी द्वारा निषेधात्मक आदेश जारी किए ताकि इलाके में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक सभा को प्रतिबंधित किया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया कि 24 मार्च को एक एसएचओ की बैठक में मौलाना साद और मर्कज के प्रबंधन ने भी भाग लिया था।


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