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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए हैं. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के इस जिले के वानपुरा इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद इलाके की घेराबंदी की गई और तलाश अभियान चलाया गया. अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चलाई जिसके बाद जवाबी कार्रवाई की गई. मुठभेड़ में दो आतंकवादी ढेर हो गए. उन्होंने बताया कि अभी आतंकवादियों की पहचान नहीं हुई है और यह भी पता नहीं चला है कि वे किस समूह से जुड़े हुए थे. इलाके में तलाशी अभियान चल रहा है और विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है.
आतंकवादियों के पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ है. कुलगाम के वानपोरा में 2 से 3 आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी की. सेना, SOG और सीआरपीएफ संयुक्त रूप से आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही हैं. -
नई दिल्ली: रेलवे ने एक जून से शुरू होने वाली 100 जोड़ी ट्रेनों में टिकट जांच करने वाले कर्मचारियों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं. 167 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब रेलवे ने ट्रेन में सवार टिकट जांच कर्मचारी टीटीई के टाई और कोट पहनने अनिवार्यता खत्म कर दी. टीटीई को आतिशी शीशा (मैग्निफाइंग ग्लास) दिया जाएगा ताकि वह दूर से ही टिकटों की जांच कर सकें और शारीरिक संपर्क से बच सकें. ट्रेनों में टिकटों की जांच करने वाले टीटीई कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मास्क, फेस शील्ड, दस्ताने, सिर ढंकने का कवर, सेनिटाइजर, साबुन समेत अन्य चीजें मुहैया करायी जाएंगी.
कोरोना संकट के बीच 1 जून से देश भर में 100 जोड़ी ट्रेनें चलनी शुरू होंगी. यानी आने और जाने वाली कुल 200 ट्रेनें चलेंगी. आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ऑनलाइन टिकट बुकिंग पहले ही शुरू हो गई है. ये ट्रेनें स्पेशल ट्रेनें ही कहलाएंगी लेकिन इन ट्रेनों में एसी, नॉन-एसी और जनरल कोच भी मौजूद होंगे. खास बात ये है कि इनके जनरल कोच के टिकट भी रिजरवर्ड टिकट होंगे. यानी जनरल कोच में भी सीटें पहले से आरक्षित होंगी.
यात्रियों को सफर के दौरान ट्रेनों में मास्क लगाना और मोबाइल में आरोग्य सेतु एप रखना अनिवार्य है. यात्रियों को स्टेशन ट्रेन चलने के समय से डेढ़ घंटे पहले पहुंचना होगा. केवल एसिम्प्टोमैटिक यात्री ही यात्रा कर सकेंगे. जिन्हें कोरोना लक्षणों के कारण यात्रा से रोका जाएगा उसके टिकट का पूरा पैसा वापस होगा. यात्रियों को चाहिए कि आवश्यकता होने पर अपने साथ एक चादर जरूर ले जाए क्योंकि ट्रेन में कम्बल, चादर और बेडिंग आदि की सुविधा नहीं होगी. -
नई दिल्ली : डीडी न्यूज़ (दूरदर्शन) ने अपने एक पत्रकार की मौत के बाद कोरोना वायरस (Covid-19) की पुष्टि होने पर ऑफिस शिफ्ट कर दिया है। डीडी न्यूज ने चैनल के संचालन का सारा कामकाज मंडी हाउस से हटाकर खेलगांव स्थित स्टूडियो ट्रांसफर किया है। जान गंवाने वाले पत्रकार के परिवार के अनुसार, 53 वर्षीय वीडियो पत्रकार आखिरी बार 21 मई को काम पर गए थे और घर लौटने के बाद वे असहज महसूस करने लगे और छुट्टी ले ली। उनके बड़े भाई के अनुसार, उन्हें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं थे, लेकिन उन्हें सांस लेने में हल्की कठिनाई हो रही थी। 25 मई को, जब वह अस्वस्थ महसूस कर रहे थे, तो उन्होंने अपने परिवार के डॉक्टर से संपर्क किया, जिसने उन्हें कोरोना वायरस की जांच नहीं कराने सलाह दी और उन्हें कुछ रक्त जांच कराने के लिए कहा।
उनके भाई ने समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) को बताया, ‘उनकी रक्त जांच की रिपोर्ट सामान्य थी। लेकिन 27 मई को वह बेहोश होकर गिर गए और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। बाद में उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। डॉक्टर को संदेह था कि उन्हें लू लगी है। डीडी न्यूज के एक अधिकारी के अनुसार, शुरू में उन्हें बताया गया था कि उन्हें लू लगी है और फिर उन्हें पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है जिससे उनकी मृत्यु हो गई। हालाँकि, जब उन्हें पता चला कि कोरोना वायरस के कारण उनकी मृत्यु हुई है, तो जिन क्षेत्रों में उनका काम होता था, उन्हें संक्रमण-मुक्त किया गया।’
अधिकारी ने कहा, ‘समाचार संचालन के कामकाज को 28 मई की रात से खेलगांव स्टूडियो में स्थानांतरित कर दिया गया है। मंडी हाउस स्थित मुख्यालय के मंजिलों, जहां समाचार संचालन का काम होता है, उन्हें संक्रमण-मुक्त किया जा रहा है और इसमें और दो-तीन दिन लगेंगे।’ अधिकारी ने बताया कि यह वीडियो पत्रकार केवल कैमरा सेक्शन में जाते थे। -
नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से निपटने के लिए उपकरणों की खरीद पर किए गए खर्च का ब्योरा देने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसे आंकड़े सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दी जाने वाली ‘सूचना’ के दायरे में नहीं आते हैं।
आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एफ) के अनुसार, इस पारदर्शिता कानून के तहत कोई भी नागरिक जो सूचना मांग सकता है, वह रिकार्ड, दस्तावेज, मेमो, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में डाटा सामग्री और किसी निजी निकाय से जुड़ी ऐसी सूचना है जिसे कोई सार्वजनिक प्राधिकार कुछ समय के लिए किसी अन्य लागू कानून के तहत प्राप्त कर सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन देकर कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों, खरीदे गए उपकरणों एवं सामग्रियों के नाम तथा उन पर किए गए खर्च का ब्योरा मांगा था। यह आवेदन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को सौंपा गया। आरटीआई आवेदन के 22 दिन बाद गलगली को जवाब मिला जिसमें कहा गया था कि सीपीआईओ मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएलएल लाईफकेयर लिमिटेड से जुड़े मामलों को देखते हैं।जवाब में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी को ऐसी सूचना देने की जरूरत नहीं है जिसमें दखल देने और/या संकल्पना बनाने या आवेदक द्वारा उठायी गयी समस्या का समाधान करने या काल्पनिक प्रश्नों का जवाब देने की जरूरत पड़ती हो। मांगी गयी सूचना आरटीआई कानून, 2005 की धारा 2 (एफ) के तहत सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है। इसलिए सीपीआईओ के पास देने के लिए ऐसी कोई खास सूचना नहीं है।’’ आरटीआई कानून के अनुसार, यदि सीपीआईओ के पास सूचना नहीं हो तो उन्हें धारा 6(3) के तहत उसे आवेदन अपने सहयोगी के पास भेजना चाहिए जिससे इस अर्जी के मिलने के पांच दिनों के अंदर सूचना जुटाने की उम्मीद की जाती है। गलगली ने कहा कि यह सीपीआईओ का ‘गैर पेशेवर’ रवैया है और यदि ऐसा ही था तो उसने सूचना देने से मना करने में 22 दिन क्यों लिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सूचना न केवल आरटीआई के जरिये दी जानी चाहिए बल्कि सभी वित्तीय विवरण को अपनी वेबसाइट पर भी डालना चाहिए ताकि किसी को खर्च जानने के लिए आरटीआई देने की जरूरत ही नहीं पड़े।’’ स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 1,65,799 हो गये हैं । देश में इस बीमारी से अबतक 4,706 लोगों की जान जा चुकी है।
साभार : jantakareporter
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रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है। श्री जोगी का आज यहां एक निजी चिकित्सालय में इलाज के दौरान निधन हो गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्री जोगी के निधन पर राज्य में आज से तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी शासकीय समारोह आयोजित नहीं किए जाएंगे। स्वर्गीय श्री जोगी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ कल 30 मई को गौरेला में होगा।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि श्री जोगी का निधन छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने प्रदेश के विकास में श्री जोगी के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के तीव्र विकास की रूपरेखा तैयार की और एक कुशल राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के रूप में राज्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद श्री जोगी के नेतृत्व में बनी सरकार में केबिनेट मंत्री के रूप में कार्य करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि श्री जोगी ने छत्तीसगढ़ राज्य में गांव, गरीब और किसानों के कल्याण के लिए काम करने की दिशा निर्धारित की।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्वर्गीय श्री जोगी के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें इस दुख की घड़ी को सहन करने की शक्ति प्रदान करने और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। ज्ञातव्य है कि श्री जोगी बीते 9 मई से उपचार हेतु चिकित्सालय में भर्ती थे। पूर्व मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राध्यापक के रूप कैरियर की शुरूआत की। पहले आई.पी.एस. के रूप में अपनी सेवाएं दी तत्पश्चात भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान रायपुर सहित कई जिलों के कलेक्टर रहे। श्री जोगी सांसद, विधायक भी रहे। एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बना तो वे राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। -
नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के दफ्तर में शुक्रवार को चार कोरोना वायरस के केस सामने आए हैं. यहां दफ्तर में काम करने वाले चार स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. जो चार लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, उनमें से तीन क्लर्क से जुड़ा काम करते हैं और एक व्यक्ति सफाईकर्मी है. इसके बाद अब LG दफ्तर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का कोरोना वायरस टेस्ट करवाया जाएगा.
बता दें कि उपराज्यपाल का दफ्तर दिल्ली सचिवालय का हिस्सा नहीं है, लेकिन सचिवालय से जुड़े एक बंगले का हिस्सा है. इसके अलावा दिल्ली मेयर हाउस में सिक्योरिटी गार्ड भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई है. जिसके बाद नार्थ एमसीडी मेयर अवतार सिंह समेत 21 कर्मचारी होम क्ववारनटीन किए गए हैं. सभी की रिपोर्ट कलतक आने का आसार हैं.
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के इलाज के लिए बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन को मध्य प्रदेश के इंदौर में डीएम मनीष सिंह ने मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं के ट्रायल की इजाजत दे दी है, जिसके बाद इस पूरे मसले पर विवाद खड़ा हो गया है। डीएम की ओर से इस बात की इजाजत दी गई है कि रामदेव की कंपनी कोरोना के मरीजों की इम्युनिटी और निवारक क्षमता को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा का ट्रायल करेगी। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने डीएम के इस फैसले से आश्चर्यचकित हैं कि बिना नियामक की अनुमति के कैसे डीएम ने इसकी अनुमति दे दी।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे भरोसा है कि डीएम को गाइडलाइन की जानकारी नहीं है। मैं उनसे और मध्य प्रदेश की सरकार से अपील करूंगा कि इंदौर के लोगों का गिनि पिग की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाए। इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई दवा की अनुमति के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत अनुमति लेने की जरूरत होती है। बिना अनुमति लिए इन दवाओं का ट्रायल मरीजों पर नहीं किया जा रहा है। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की अनुमति लेना आवश्यक है।
वहीं रिपोर्ट की मानें तो इस दवा का 19 मरीजों पर ट्रायल किया गया, जिसके बाद बाबा रामदेव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से कहा कि इसका मरीजों पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। लेकिन डीएम मनीष सिंह ने इन खबरों का खंडन किया है कि पतंजलि को दवा के ट्रायल की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भ्रम फैलाया गया है। वहीं पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि पतंजलि कोरोना के मरीजों पर यह ट्रायल नहीं करना चाहता है, लोगों के बीच यह गलत जानकारी फैलाई गई है। हमारी प्रस्तावित पारंपरिक दवा का इस्तेमाल पहले से ही लाखों लोग कर रहे हैं। हम इलाज की इस प्रक्रिया को पूरी दुनिया में वैज्ञानिक रूप से साबित करना चाहते हैं। -
नई दिल्ली: लॉकडाउन के चौथे चरण में भी प्रवासी श्रमिकों के घर जाने का सिलसिला जारी है। कुछ मजदूर 'श्रमिक' ट्रेनों से, तो कुछ पैदल ही घर की ओर रवाना हो गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार से अब तक श्रमिक ट्रेनों में 9 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है। ट्रेनों में प्रवासी मजूदरों की मौत को पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने छोटी घटना बताया है। जिसके बाद वो विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं। बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि श्रमिक ट्रेनों से घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मौत छोटी घटनाएं हैं। इसके लिए आप रेलवे को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास कई उदाहरण हैं कि रेलवे ने यात्रियों को घर पहुंचाने में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। कुछ घटनाएं हुईं हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि आप रेलवे को बंद कर देंगे। उनके इस बयान के बाद बंगाल की सियासत गरमा गई।
मामले में वरिष्ठ टीएमसी नेता और सांसद सौगत रॉय ने बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इतने सारे लोग मर रहे हैं और बीजेपी नेता इस तरह व्यवहार कर रहे मानों कुछ हुआ ही नहीं है। उन्होंने कहा कि दिलीप घोष को मामले में समझदारी से बात करनी चाहिए। वहीं सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे ने साबित कर दिया है कि सरकार लोगों की जिंदगी बचाने में असमर्थ है।
रेलवे के मुताबिक 26 मई तक 3276 ट्रेनें चलाई गई थीं। इन ट्रेनों की मदद से अब तक 42 लाख से ज्यादा लोगों को घर पहुंचाया जा चुका है। स्टेशन पर दुकानें बंद हैं, ऐसे में रेलवे यात्रियों को खाना और पानी उपलब्ध करवा रही है। इस बीच कांग्रेस ने रेलवे पर गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के मुताबिक श्रमिक ट्रेनों में मजदूरों को खाना-पानी कुछ नहीं दिया जा रहा है। जिस वजह से लोग भूखे प्यासे सफर करने को मजबूर हैं। -
नई दिल्ली : कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच रेल मंत्रालय ने यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए रिजर्वेशन पीरियड 30 की बजाए 120 दिन कर दिया है। ये नया नियम सभी स्पेशल ट्रेनों पर लागू होगा। यात्री अब चार महीने पहले यानी 120 दिन पहले से ही टिकट बुक करवा सकेंगे। रेलवे ने इस नए नियम की जानकारी देने के लिए एक बयान भी जारी किया है। रेलवे के मुताबिक, सभी स्पेशल ट्रेनों की अग्रिम आरक्षण अवधि (एआरपी) को 30 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है। इन सभी 230 ट्रेनों में पार्सल और सामान की बुकिंग की इजाजत भी होगी।’ मौजूदा समय में रेलवे 30 एसी स्पेशल ट्रेन चला रहा है और 1 जून से 200 आईआरसीटीसी स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू करेगा।
रेलवे ने इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) स्पेशल ट्रेनों के लिए तत्काल टिकट बुकिंग की भी इजाजत दी है। अब तक रेलवे इन स्पेशल ट्रेनों के लिए तत्काल टिकट बुकिंग की मंजूरी नहीं दे रहा था। रेलवे के इस फैसले से यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। मालूम हो कि आईआरसीटीसी स्पेशल एसी ट्रेनों के साथ 12 मई से दोबारा आंशिक रूप से सेवाएं शुरू हुई थी। रेलवे ने कहा है कि आने वाले कुछ दिनों में और 26000 ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। कोरोना संकट के संक्रमण को रोकने और यात्रियों को सुरक्षा के साथ यात्रा करवाने के लिए रेलवे ने गाइडलाइन भी बनाई है। गाइडलाइन के मुताबिक स्टेशन पर ही हर यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग होगी और फिट पाए जाने पर ही यात्रा करने की इजाजत मिलेगी। इसके अलावा सफर के दौरान मास्क पहनना भी अनिवार्य है। -
नई दिल्ली : भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा में कोरोना के लक्षण नजर आने और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराए जाने के पर पूर्व सांसद पप्पू यादव ने तंज कसा है। यादव ने गुरुवार (28 मई, 2020) को ट्वीट कर लिखा, ‘संबित पात्रा जी में करोना के लक्षण का संदेह: वायरस का लक्षण तो 2014 से ही दिख रहा था। वह शीघ्र मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो जाएं! कोई पता करे कि वह किस मरकज में गए थे। प्लीज उनका कोई मजाक ना बनाए।’
पूर्व सांसद के ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी प्रतिक्रियाएं दी हैं। भरत सिंह @BharatS1871 लिखते हैं, ‘एक का#$%#ल और गुंडे से इसी की उम्मीद की जा सकती है। वैसे रंजीता रंजन की कांग्रेस उद्धव ठाकरे को सरकार नहीं चलाने दे रही है। सोचा बीबी कांग्रेसी है तो बताया होगा।’ रजवाड़ा @wada_aj नाम से एक यूजर लिखते हैं, ‘सूत्रों से पता चला है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के सामने 2 जून की पेशी से बचने के लिए पात्रा ने कोरोना का ढोंग किया है।’ -
मुंबई: सिंगिंग रिएलिटी शो 'सा रे गा मा पा' में बतौर कंटेस्टेंट नजर आ चुके और फाइनल तक पहुंच चुके सिंगर मेनुल एहसान नोबल के खिलाफ संगीन मामला सामने आया है। मेनुल एहसान नोबल के खिलाफ हाल ही में एफआईआर दर्ज की है। उनपर आरोप है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी पर अभद्र टिप्पणी की थी। नोबेल पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक गीतों की रचना करने और सोशल मीडिया पर अपलोड करने का आरोप है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के एक गांधीनगर की पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी छात्र ने मेनुल एहसान नोबल के खिलाफ शिकायत की है। इस रिपोर्ट की मानें तो गुजरात के इस छात्र का नाम सुमन पाल है और वो मेनुल की इस टिप्पणी से बेहद नाराज है।
शिकायतकर्ता सुमन पॉल ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा- 'आज मैंने मेनुल एहसान नोबल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। मैं भारतीय उच्चायुक्त से अनुरोध करता हूं कि उसका वीजा निरस्त किया जाए। उसके साथ सभी बिजनेस कॉन्ट्रेक्ट कैंसल कर दिए जाए। ताकि वह दोबारा भारत न आ सके।'
वहीं अभी तक इस मामले में सिंगर की ओर से कोई भी बयान जारी नहीं किया गया है। बता दें कि मेनुल ने जी बांग्ला म्यूजिक पर आने वाले शो 'सा रे गा मा पा' में नजर आए थे।,शो में रनर अप रहे थे। इस शो से वह कोई खास पहचान नहीं बना पाए, हालांकि वो देश-विदेश में कई कॉन्सर्ट करते दिखाई दे जाते हैं। बता दें कि मेनुल अक्सर अपने ऐसे ही विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। इससे पहले उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। -
नई दिल्ली : देशभर में वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के भी कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने की खबर है।
संबित पत्रा में कोविड-19 के लक्षण दिखने के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताला में भर्ती कराया गया है। डॉक्टर उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं। हालांकि, पार्टी की ओर से अभी तक इस संबंध में औपचारिक तौर पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। गौरतलब है कि भारत में अब तक 1 लाख 58 हजार से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं और 4500 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। वहीं 67 हजार से अधिक लोग अबतक इस बीमारी से ठीक भी हो चुके हैं।
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आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थानीय व्यापारी का पीछा करने और उससे घर के बाहर मारपीट करने के आरोप के चलते दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। सीसीटीवी कैमरे में सिपाही, व्यापारी का पीछा करते हुए नजर आ रहे थे। व्यापारी अपने दोपहिया वाहन पर बिना हेलमेट और मास्क के घूम रहा था। यह घटना बुधवार को न्यू आगरा पुलिस सीमा के तहत कमला नगर में एक रिहायशी इलाके में हुई। घायल व्यापारी की पहचान राकेश गुप्ता (55) के रूप में की गई है, जबकि निलंबित पुलिसकर्मियों की पहचान चीता मोबाइल फोर्स के कॉन्सटेबल राकेश शर्मा और दिनेश के रूप में हुई है। लॉकडाउन के दौरान इन दोनों को लोगों की आवाजाही पर नजर रखने की ड्यूटी दी गई थी। वीडियो में पुलिस मोटर-बाइक पर दो कांस्टेबल, व्यापारी राकेश गुप्ता का उनके घर तक पीछा करते हुए दिखाई दिए और फिर उन पर अपने डंडे से मारने के लिए टूट पडे।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने कहा, “इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है, दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।”
पीड़ित के चचेरे छोटे भाई डॉ. संजय गुप्ता न्यूरोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने कहा, “राकेश गुप्ता नाश्ते के लिए ब्रेड खरीदने पास की किराने की दुकान पर गए थे। जब उन्होंने चेक-पॉइंट पर पुलिस को देखा, तब तक उन्होंने अपने दोपहिया वाहन पर केवल 50 मीटर की यात्रा की थी। पुलिसकर्मियों को देखकर उन्होंने यू-टर्न लिया, इससे पुलिसकर्मियों को गुस्सा आ गया और उन्होंने उसका घर तक पीछा किया।” डॉक्टर संजय ने कहा, “जैसे ही राकेश गुप्ता घर के दरवाजे पर पहुंचे, उनके पीछे वाले पुलिसवाले मोटर-बाइक से जा पहुंचे और नियम का उल्लंघन के लिए उनसे सवाल किए बिना ही उन पर लाठियां बरसाने लगे।”
न्यू आगरा के स्टेशन हाउस अधिकारी उमेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा, “राकेश गुप्ता का घर 50 मीटर की दूरी पर नहीं है, बल्कि जहां पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे, उससे बहुत दूर है। पुलिसकर्मियों को देखकर उन्होंने एक चोर की तरह भागने का प्रयास किया। जब कांस्टेबल राकेश शर्मा ने उन्हें रोकने की कोशिश की और पीछे से उनकी दोपहिया वाहन के धातु के हैंडल को पकड़ा। राकेश ने उसे अपने दोपहिया वाहन के साथ कम से कम 25 मीटर तक खींचा।”
एसएचओ ने आगे कहा, “जब वे उसका पीछा कर रह थे तक राकेश गुप्ता और पुलिस के बीच आपत्तिजनक गाली-गलौज भी हुई। राकेश ने एक चोर की तरह काम किया और वह आवासीय इलाके की गलियों में दो पुलिसकर्मियों द्वारा पकड़ा गया।” आगरा के एसपी सिटी रोहन बोत्रे को घटना की जांच करने और अपनी रिपोर्ट एसएसपी को सौंपने के लिए कहा गया है। इस बीच, स्थानीय व्यापारी संघ ने राकेश गुप्ता के मेडिकल परीक्षण और दोनों कांस्टेबल के खिलाफ एफआईआर की मांग की है। -
नई दिल्ली: हेल्थकेयर कंपनी 'केंट आरओ सिस्टम्स' ने अपने विज्ञापन के लिए माफी मांगी है. उसके इस विज्ञापन में एक वर्ग को गंदा बताने पर उसकी सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की गई . केंट आरओ सिस्टम को उसके एक एड के लिए काफी ट्रोल किया गया. इसके बाद केंट ने ट्विटर पर माफी मांगी है. अपने इस विज्ञापन में केंट आरओ ने लिखा था, ''क्या आप अपनी मेड को घर पर आटा गूंथने देते हैं? उनके हाथ इन्फेक्टेड हो सकते हैं.'' केंट ने यह अपने आटा और ब्रेड मेकर के विज्ञापन में लिखा था. विज्ञापन में उपभोक्ताओं को बिना हाथ का इस्तेमाल किए आटा गूंथने वाली मशीन में इन्वेस्ट करने के लिए प्रेरित किया गया है.
केंट ने बुधवार को एक बयान जारी करते हुए माफी मांगी. इस बयान में चेयरमैन महेश गुप्ता ने लिखा, ''मैं केंट आटा और ब्रेड मेकर के विज्ञापन के लिए माफी मांगना चाहता हूं. यह अनजाने में लेकिन गलत तरीके से प्रसारित किया गया है और इसे वापस ले लिया गया है.'' उन्होंने आगे लिखा, ''हम सोसाइटी के सभी लोगों का सम्मान करते हैं और आपका समर्थन करते हैं.'' केंट द्वारा वापस लिया गया यह विज्ञापन ऐसे वक्त पर आया जब कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन है. बंदिशों के कारण मार्च से घरेलू कामकाज करने वाले लोगों के पास काम नहीं है. ट्विटर पर कई लोगों ने घरेलू काम कारने वालों के हाथ गंदे होने के कंपनी के सुझाव को लेकर उसे आड़े हाथों लिया.
"एक वर्गभेदी तरीके से विज्ञापन बताता है कि केवल एक नौकरानी का हाथ ही गंदा हो सकता है." एक ट्विटर यूजर ने आटा गूंथने की मशीन के निर्माता के विज्ञापन का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा, इसमें अभिनेत्री और ब्रांड एंबेसडर हेमा मालिनी हैं.
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गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के दूरदराज के एक गांव में कुछ दिन पहले एक लड़के के साथ चले जाने पर 16 साल की एक आदिवासी लड़की की उसके पिता और स्थानीय निवासियों की मौजूदगी में तीन लोगों ने बुरी तरह पिटाई की। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना 21 मई को छोटा उदयपुर जिले के बोदेली शहर के पास एक गांव में हुई थी। सोशल मीडिया में इस घटना का एक वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस का ध्यान इस मामले पर गया। पुलिस ने बताया कि इस मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
नाबालिग लड़की पर स्थानीय लोगों ने तालिबानी तरीके से जुल्म ढाए। इकट्ठी हुई भीड़ के सामने लोगों ने लड़की के बुरी तरह से बाल खींचे और उसे लातें मारीं। इतना ही नहीं लड़की को गालियां देते हुए उसे लाठियों से पीटा भी गया और वहां मौजूद सभी लोग चुपचाप सब कुछ देखते रहे। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने पर पुलिस हरकत में आई। सोशल मीडिया पर लोगों ने लड़की के साथ इस तरह के व्यवहार की निंदा की और कहा कि यह एक अमानवीय घटना है और ऐसी हरकत करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
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झांसीः उत्तर प्रदेश के झांसी में बुधवार देर शाम टिड्डियों के दल ने जबरदस्त हमला करते हुए मोंठ तहसील के एक दर्जन से अधिक गांवों में फसलों को हमला कर किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया। पाकिस्तान से चले इस टिड्डी दल के देश में राजस्थान से प्रवेश कर लगाताार आगे बढ़ते हुए झांसी पहुंचने की आशंका के मद्देनजर प्रशासन पांच दिनों से पूरे जनपद में इनको लेकर लोगों को जागरुक कर रहा है, लेकिन आज शाम जब टिड्डी दल का हमला हुआ तो प्रशासन की कोई रणनीति काम नहीं आ सकी और पलक झपकते ही नदी किनारे लगी हरी भरी सब्जियों के सैंकडों एकड़ खेत सफेद हो गए। इतनी बड़ी तादाद में टिड्डियों को देख किसानों के होश उड़ गये।
तहसील मोंठ स्थित थाना समथर,पूंछ व मोंठ के ग्राम दतावली, खिल्ली, मढ़ोरा, पनाई, बसोबई, अमरौख, पचोवई, अमगांव, मगरौरा, मेरुआ और मउआखेड़ा आदि करीब डेढ़ दर्जन गांवों में देर शाम पाकिस्तानी टिड्डी दल ने अचानक हमला बोल दिया। टोढ़ी गांव इन सभी गांव के केन्द्र में है इसलिए टिड्डी दल के आक्रमण का दंश भी सबसे ज्यादा इसी गांव ने झेला है। इस गांव में सैकड़ों बीघा खेती का उजाड़ हो गया है। यहां बहादुर पाल, हिम्मत यादव, सिरमोहन सिंह, भारत सिंह, फूल सिंह, मनीराम, युवराज, माताप्रसाद, लल्लू, चन्द्र प्रकाश व अन्य तमाम किसानों के खेत टिड्डियों ने उजाड़ दिये। जिन दर्जन भर से अधिक गांवों का जिक्र ऊपर किया गया है उनमें पानी की व्यवस्था प्रचुर मात्रा में है इसलिए लोग यहां हरी सब्जियों का उत्पादन करते हैं। हरी सब्जियों में ककड़ी, रोसा, तोरई, लौकी, कद्दू, करेला, तरबूज, खीरा, खरबूज व कुछ किसान पिपरमेंट की खेती करते हैं। इसके चलते यह क्षेत्र सदैव हरा भरा दिखाई देता है।
किसान गोकुल ने बताया कि उसके पास पांच बीघा जमीन है ओर उसने अपनी जमीन के अलावा भी कुछ जमीन कटती पर लेकर सब्जी लगाई थी। फसल अच्छी हो रही थी, बैंगन के पौधों पर फूल आ गए थे। जल्द ही फल भी उगने वाले थे। ऐसा माना जा रहा था कि इस बार फसल सारे दुखों को समाप्त कर देगी लेकिन बुधवार की शाम चन्द मिनटों में सबकुछ तबाह हो गया। खेतों में सब्जियों के ठूंठ के अलावा कुछ नहीं बचा है। खेत तो छोड़ बबूल के पेड़ों पर पत्तियां तक नहीं बच पायीं। -
नई दिल्ली। तबलीगी जमात को लेकर जिस तरह से मीडिया के एक वर्ग में इसकी रिपोर्टिंग की गई और इसे कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार बनाया गया और इसके खिलाफ नफरत फैलाई गई, इस मामले में दायर याचिकायों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने केंद्र सरकार और भारतीय प्रेस परिषद (NBA) को नोटिस जारी किया है, जिसमे कहा गया है मीडिया संस्थान पर कार्रवाई करने की मांग वाली याचिकाओं पर दो हफ्ते के भीतर जानकारी दें।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कथित तौर पर जो आरोप याचिकाओं में लगाए गए हैं, उसपर टेलीविजन चैनलों पर क्या कार्रवाई की गई है, उसकी जानकारी दी जाए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गई है उसमे आरोप लगाया गया है कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर लोगों के बीच सांप्रदायिक नफरत फैलाई गई। साथ ही कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई क दौरान याचिकाकर्ताओं को भी निर्देश देते हुए कहा कि इस मामले एनबीए को भी प्रतिवादी पक्ष के तौर पर शामिल किया जाए। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के लिए कहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा ए हिंद और अन्य लोगों ने याचिका दायर की है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जून को होगी।
वहीं जमीयत के वकील दुष्यंत दवे ने आरोप लगाया है कि तबलीगी जमात को लेकर कई न्यूज चैलनों और मीडिया संस्थान ने फर्जी खबरें चलाईं, जिसकी वजह से लोगों के बीच नफरत का माहौल बना और सामाजिक ताने बाने को भी नुकसान पहुंचा है। इस तरह की फर्जी खबरें अपराध हैं, लिहाजा ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। -
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में प्रदेश में कोविड-19 के नियंत्रण और लॉक-डाउन के बाद ठप्प पड़ी आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने आज उच्च स्तरीय बैठक में विचार-विमर्श किया गया। बैठक में सभी मंत्रीगण और राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित बैठक में विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने और समाज के सभी वर्गों को राहत देने के उपायों पर चर्चा की गई। लोगों की दिक्कतों का देखते हुए अब वैवाहिक कार्यक्रम की अनुमति तहसीलदार देंगे। अनुमति देने की प्रक्रिया को सरल और आसान बनाया जा रहा है। रेड जोन और कंटेंनमेंट एरिया में कोई छूट नहीं मिलेगी। भारत सरकार द्वारा जारी गाईड लाईन के अनुसार माल, सिनेमा घर, राजनैतिक सभाएं, सामाजिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध पूर्व की तरह ही जारी रहेगा।
बैठक में दुकानों को अब सप्ताह में छह दिन खोलने का निर्णय लिया गया। सभी दुकानों और बाजारों में शारीरिक दूरी की बंदिशें पूर्व की तरह लागू रहेंगी। सप्ताह में छह दिन दुकान खुलने से वहां एक साथ होने वाली भीड़ से राहत मिलेगी। व्यवसायिक-व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से रोजगार के साथ अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। बैठक में ज्यादा से ज्यादा उद्योगों को भी शुरू करने के उपायों पर विचार किया गया। लॉक-डाउन के बाद प्रदेश के 1371 कारखानों में दोबारा काम शुरू हो गए हैं। इन कारखानों में एक लाख तीन हजार श्रमिक काम पर लौट चुके हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बैठक में क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे प्रवासी मजदूरों के मनोरंजन के लिए टेलीविजन, रेडियो आदि की व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने श्रमिकों को मनोवैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराने के लिए मनोवैज्ञानिकों की सेवाएं भी लेने को कहा है। मुख्यमंत्री ने गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से क्वारेंटाइन सेंटर्स में योग या अन्य प्रेरक गतिविधियां संचालित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने तनाव कम करने पूरे दिन की व्यवस्थित दिनचर्या तैयार कर इसका पालन सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि प्रदेश वापस आने वाले श्रमिकों को राशन और रोजगार की चिंता से मुक्त करने की जरूरत है। इसके लिए तत्काल उनके राशन कॉर्ड और मनरेगा जॉब-कार्ड बनवाए जाएं। कुशल और अर्धकुशल श्रमिकों की सूची तैयार कर स्थानीय उद्योगों को उपलब्ध कराया जाए। इससे उद्योगों को जरूरत का मानव संसाधन मिलने के साथ ही श्रमिकों को नियमित रोजगार मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के नियंत्रण और लॉक-डाउन की परिस्थितियों में जन-जीवन को राहत पहुंचाने छत्तीसगढ़ में अच्छा काम हुआ है। सभी विभागों ने बेहतर समन्वय के साथ काम करते हुए जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाई है। शहरी क्षेत्रों में कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के साथ गांव-गांव में लोगों को जागरूक करने के लिए शासन-प्रशासन ने मुस्तैदी से काम किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की जांच, इलाज और रोकथाम के लिए जितनी भी राशि की जरूरत होगी, स्वास्थ्य विभाग को प्राथमिकता से उपलब्ध करायी जाएगी।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अब तक दो लाख 12 हजार प्रवासी श्रमिकों को वापस लाया गया है। अब तक 53 श्रमिक स्पेशल ट्रेन आ चुकी हैं और 68 प्रस्तावित हैं। जिला कलेक्टरों को राज्य आपदा निधि से 18 करोड़ 20 लाख रूपए और मुसीबत में फंसे मजदूरों की सहायता के लिए करीब चार करोड़ रूपए राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। विभिन्न राज्यों में रह रहे प्रवासी श्रमिकों के बैंक खातों में 66 लाख 73 हजार रूपए का भुगतान भी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग को भी राज्य आपदा निधि से 75 करोड़ रूपए दिए गए हैं।
बैठक में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, सहकारिता मंत्री श्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत सिंह भगत, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री सुब्रत साहू, स्वास्थ्य सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह, खाद्य सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, समाज कल्याण विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर., मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।




























