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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कल शाम केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्ष वर्धन से दूरभाष पर चर्चा की और रायपुर को रेड जोन से हटाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्ष वर्धन को बताया कि रायपुर जिले में कोविड-19 संक्रमित केवल एक मरीज है वो भी एम्स का नर्सिंग स्टाॅफ है।इसके अलावा जिले में अन्य कोई भी मरीज नही है। मुख्यमंत्री के आग्रह पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन ने इस संबंध में जल्द ही विचार करने का आश्वासन मुख्यमंत्री श्री बघेल को दिया है। चर्चा में उन्होंने रायपुर के संबंध में और भी जानकारी मांगी है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू को रायपुर के संबंध में पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए आवश्यक जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव को शीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है।
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लाॅकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ के 1.6 लाख से ज्यादा श्रमिक अन्य राज्यों में हैं फंसे
मुख्यमंत्री ने कहा- समन्वय एवं सहयोग से हम इस बीमारी पर जल्द ही विजय प्राप्त करने में होंगे सफल
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेन के संचालन का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि कोविड-19 के रोकथाम हेतु लाॅकडाउन के केन्द्र सरकार के निर्णय से प्रदेश में इस महामारी की रोकथाम में विशेष मदद मिली जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश में कोरोना पाॅजिटिव मरीजों की संख्या बहुत कम है। आशा है कि समन्वय एवं सहयोग से हम इस बीमारी पर जल्द ही विजय प्राप्त करने में सफल होंगे।
श्री बघेल ने कहा कि 29 अप्रैल को भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा श्रमिकों, प्रवासियों के अंतर्राज्यीय आवागमन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं जो कि प्रदेश में सामान्य स्थिति एवं आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने में मददगार साबित होंगे। प्रदेश में सामान्य स्थिति बहाल करने के संबंध में मैं आपका ध्यान प्रदेश के उन श्रमिकों, प्रवासियों की ओर आकृष्ट करना चाहंूगा जो अन्य प्रदेशों मंे फंसे हुए हैं एवं लाॅकडाउन के कारण अपने मूल निवासों पर वापस नही आ पा रहें हैं। आज की स्थिति में ऐसे श्रमिकों की संख्या 1.6 लाख से ज्यादा है। इन श्रमिकों के आर्थिक एवं मानसिक स्थिति का ध्यान रखते हुए इनकी घर वापसी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
श्री बघेल ने कहा कि इन श्रमिकों, प्रवासियों की घर वापसी के लिए विभिन्न राज्यों से समन्वय किया जा रहा है तथा बसों के माध्यम से इनकी प्रदेश में वापसी की कार्य योजना बनायी गई है। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में घर वापसी के लिए आवश्यक बस एवं अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करना दुष्कर होगा। साथ ही लंबी दूरी के सफर में यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के ध्यान रखना अत्यंत मुश्किल होगा।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कहा कि वर्तमान स्थिति में श्रमिकों की परेशानियों को देखते हुए विशेष पाइंट टू पाइंट ट्रेन चलयी जा सकती हैं जिससे यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा एवं हाइजीन सुनिश्चित की जा सके। इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह से भी अनुरोध किया जा चुका है। श्री बघेल ने प्रधानमंत्री से दूसरे राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ श्रमिकांे की घर वापसी हेतु विशेष ट्रेन संचालन के बारे में त्वरित निर्णय प्रदान करने का अनुरोध किया। -
तालाबंदी के कारण राज्य को हो रही वित्तीय कठिनाईयों से कराया अवगत
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर 22 मार्च से लागू तालाबंदी के कारण राज्य के सामने आ रही वित्तीय कठिनाईयों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है। श्री बघेल ने प्रदेश में जरूरतमंद लोगों को राहत देने सहित राज्य के कामकाज के संचालन और विकास गतिविधियों के लिए अधिक आर्थिक संसाधन जुटाने के उद्देश्य से राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल करने और राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष अपवाद के रूप में जीएसडीपी का 5 प्रतिशत के बराबर रखने की सहमति प्रदान करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि कोरोना वायरस रोग 19 महामारी के प्रसार को रोकने के प्रभावी कदम के रूप में 22 मार्च 2020 से छत्तीसगढ़ सहित देश में की गई सम्पूर्ण तालाबंदी के कारण सभी आर्थिक गतिविधियां बंद है, जिससे राज्य के राजस्व में हानि हुई है। संपूर्ण तालाबंदी ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया है, जिनमें विशेषकर दैनिक आय अर्जित करने वाले, श्रमिक, छोटे दुकानदार एवं अधिकांश ग्रामीण परिवार शामिल है। यह फसलों की कटाई का भी समय है, जिनमें किसानों को फसल काटने तथा उसे बेचकर जीवन यापन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में समाज के इन वर्गाें की जनसंख्या अधिक है, अतः उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा राहत प्रदान करने के लिए की गई पहल के अलावा राज्य द्वारा कई प्रकार के सामाजिक एवं आर्थिक उपायों के माध्यम से उचित राहत प्रदान करना एक कठिन कार्य है।
श्री बघेल ने लिखा है कि राज्य के सभी विभागों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट आवंटन जारी किया जा चुका है एवं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए व्यय हेतु आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता है। वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राज्य को इस वित्तीय वर्ष के प्रथम 9 माह के लिए राज्य की शुद्ध उधार सीमा के 50 प्रतिशत के बराबर 5375 करोड़ रूपए के बाजार ऋण की सहमति प्रदान की गई है। जो कि इस अवधि में व्यय की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है। चूंकि इस वर्ष राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी की आशंका है, अतः राज्य की शुद्ध उधार सीमा तथा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित वित्तीय घाटे की सीमा (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत) में शिथिलीकरण आवश्यक है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय से ही वित्तीय अनुशासन का कड़ाई से पालन करने वाला राज्य रहा है तथा वर्तमान में यह सबसे कम ऋण भार (जीएसडीपी का 19.2 प्रतिशत) तथा सबसे कम ब्याज भुगतान (कुल राजस्व प्राप्तियों का 7.4 प्रतिशत) करने वाला राज्य है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि आपदा के समय असाधारण उपायों की आवश्यकता होती है, अतः राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल करते हुए सहमति दी जाए। साथ ही राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष अपवाद के रूप में जीएसडीपी का 5 प्रतिशत के बराबर रखे जाने की भी सहमति प्रदान की जाए। वित्तीय आपदा की इस घड़ी में राज्य द्वारा यथासंभव मितव्ययता के लिए उठाए जा रहे अन्य कदमों के साथ-साथ इन शिथिलताओं से कुछ राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई है कि सम्पूर्ण देश तथा छत्तीसगढ़ में आयी इस आपदा के कठिन समय में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य की इन न्यायोचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। यह उपाय चालू वित्तीय वर्ष में हमारे आवश्यक व्ययों की पूर्ति करने में काफी सहायक होंगे। -
छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवेश के पूर्व एन्ट्री पाइंट पर देनी होगी प्रवास की जानकारी, छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से बिना सूचना के प्रवेश करने तथा क्वारेंटीन का उल्लंघन करने वालों पर होगी दण्डात्मक कार्रवाई
जिला स्तर पर कंट्रोल रूम के माध्यम से होगी निगरानी
मुख्य सचिव श्री मण्डल ने कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, जिला पंचायत के सीईओ और नगरीय निकायों के अधिकारियों को जारी किए निर्देश
रायपुर : कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में अन्य राज्यों से प्रवेश करने वाले व्यक्तियों-श्रमिकों को प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के एन्ट्री पाइंट में पहुंचने पर उनके द्वारा प्रवास की जानकारी और स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही आने की अनुमति देने के निर्देश दिए गए हैं। आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में व्यक्तियों के आगमन की संभावना को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से बिना सूचना के प्रवेश करने वाले व्यक्तियों तथा क्वारेंटीन का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी दण्डात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और नगर निगम आयुक्तों तथा मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना संक्रमण एक वैश्विक स्तर की चुनौती है, जिस पर नियंत्रण के लिए कड़ी निगरानी एवं प्रभावी प्रशासनिक कार्यवाही करनी होगी। शासन के निर्देशों एवं आदेशों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर जिला प्रशासन द्वारा यथास्थिति धारा 188 भारतीय दंड संहिता 1860 तथा धारा 51 से 60 आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों अनुसार कड़ी कार्यवाही की जाए।मुख्य सचिव ने कहा है कि भारत सरकार गृह मंत्रालय द्वारा 29 अप्रैल को जारी पत्र में लाॅकडाउन के कारण गृह राज्य से भिन्न राज्यों-स्थानों में फंसे हुए श्रमिकों एवं अन्य व्यक्तियों को अपने गृह राज्य में जाने की अनुमति देने संबंधी निर्देश दिए गए हैं। इसके अनुपालन में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों को अनुमति देने एवं क्वारेंटीन करने के बारे मे दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा है कि अन्य राज्यों से वापस आने वाले व्यक्तियों-श्रमिकों के प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में एन्ट्री पाइंट पर पहुंचने के साथ उनके द्वारा प्रवास की जानकारी देने के बाद ही आगे जाने की अनुमति प्रदान की जाए। बिना जानकारी दिए तथा बिना स्वास्थ्य परीक्षण के निवास स्थान जाने वाले ऐसे व्यक्तियों को चिंहित कर उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाए। एन्ट्री पाइंट पर जानकारी एकत्रित करने के लिए प्रारूप भी उपलब्ध कराया गया है।मुख्य सचिव ने कहा है कि अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, जिनमें स्थानीय समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण निश्चित रूप से फैल सकता है। क्वारेंटीन का पालन न करने से फैले संक्रमण पर काबू पाना अत्यंत कठिन होगा। इसलिए सभी ग्राम पंचायतों-नगरीय निकायों में अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों की जानकारी देने के लिए आए हुए व्यक्तियों, उनके परिजनों एवं जन साधारण को प्रोत्साहित किया जाए। इसमें स्थानीय निकायों का सहयोग लिया जाए। इसकी माॅनिटरिंग जिला स्तरीय कंट्रोल रूम के माध्यम से की जाए। कंट्रोल रूम नंबर की जानकारी तत्काल सार्वजनिक रूप से प्रसारित की जाए। अन्य राज्यों से अवैध रूप से आने वाले तथा ऐसी जानकारी छुपाने वाले व्यक्तियों पर विधि अनुसार कार्यवाही की जाए। अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों को निश्चित अवधि पर क्वारेंटीन करने की गाइड लाइन स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई है। क्वारेंटीन का उल्लंघन करने वालों व्यक्ति पर भी विधि अनुसार कड़ी से कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। -
राज्य में इलेक्ट्रानिक्स, ऑटोमोबाइल, आयरन एवं स्टील, भारी इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, ऑप्टिकल फायबर उद्योग को आमंत्रित करने उद्योग विभाग करेगा पहल
उद्योग विभाग ने विदेशी निवेश की संभावनाओं के मद्देनजर दिया प्रस्तुतीकरण
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य में प्रत्यक्ष विदेश निवेश के संबंध में उद्योग विभाग के प्रस्तावित कार्ययोजना को सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। उन्होंने उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव को कुछ चुनिंदा सेक्टर के उद्योगों को छत्तीसगढ़ में आमंत्रित करने हेतु आवश्यक चर्चा एवं पत्राचार करने की भी बात कही। राज्य में ऑटोमोबाइल, आयरन एवं स्टील, भारी इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिक वायर एवं ऑप्टिकल फायबर, कन्ज्यूमर ड्यूरेबल्स, टेक्सटाईल, इलेक्ट्रानिक्स आदि उद्योगों की स्थापना के लिए प्राथमिकता से विदेशी पूंजी निवेश के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज पिंगुआ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रमुख सचिव उद्योग श्री मनोज पिंगुआ ने पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विदेशी पूंजी निवेश के संबंध में प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि कोविड-19 संक्रमण की वजह से वर्तमान में विश्व में जो स्थिति निर्मित हुई है, उसको देखते हुए भारत, विशेषकर छत्तीसगढ़ राज्य में चीन से बाहर निकलने को इच्छुक विदेशी औद्योगिक संस्थानों को यहां उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने के अवसर निर्मित हुए हैं। उन्होंने बताया कि यू.एस.ए., जापान, दक्षिण कोरिया, ताईवान एवं वियतनाम की प्रमुख कंपनियों को छत्तीसगढ़ में अपना उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभाग द्वारा प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी गई है। श्री पिंगुआ ने बताया कि उक्त देशों की कंपनियों की कई ईकाइयाँ भारत में पहले से ही कार्यरत हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य में भी अपना उद्यम शुरू करने के लिए आमंत्रित किया जाना उपयुक्त होगा, इसके लिए आवश्यक सुविधाएँ एवं रियायते भी दी जा सकती है। श्री पिंगुआ ने बताया कि विदेशी कंपनियों को छत्तीसगढ़ में उद्योग स्थापना के लिए सिंगल स्ट्रोक क्लीयरेंस, प्लग एण्ड प्ले सुविधा के साथ भूमि, कुशल श्रम शक्ति, प्रोजेक्ट की स्वीकृति का सरलीकरण, निवेश पैकेज, स्थानीय निवेशकों से साथ ज्वाईंट वेंचर, आवश्यक अधोसंरचना, बिजली, पानी के अधिभार में छूट दिया जा सकता है। विदेशी निवेश सम्बंधी त्वरित निर्णय लेने हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वरिष्ठ सचिवो की समिति गठित करने की सहमति भी दी गयी है । -
फिक्की के अध्यक्ष ने राज्य सरकार के फैसलों एवं नीतियों को उद्योगों के लिए हितकारी बताया
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ के उद्योगों को उबरने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा हर संभव सहयोग दिया जाएगा। राज्य के औद्योगिक संस्थाओं को कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर उत्पादन एवं विक्रय की व्यवस्था बेहतर हो सके इसके लिए राज्य सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज शाम आपने निवास कार्यालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए फिक्की के पदाधिकारियों से चर्चा करते हुए उक्त बातें कहीं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार यहां के उद्यमियों को कोरोना संक्रमण की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए ही अपनी ओर से पहल की है। राज्य के लघु एवं मध्यम उद्योगों को विशेष राहत देने के लिए केन्द्र सरकार से सहायता का आग्रह किया गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योग पूरी क्षमता से संचालित हो तथा उनके उत्पादित माल के लिए इस मुश्किल घड़ी में भी बाजार उपलब्ध हो सके, सरकार द्वारा इसके लिए भी आवश्यक उपाय और पहल की जा रही है। इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज पिंगुआ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सभी वर्गों और विशेषकर उद्योग जगत से मिले सहयोग के लिए सभी उद्यमियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में राज्य के उद्यमियों ने अपने यहां कार्यरत श्रमिकों के रहने एवं उनके भोजन की व्यवस्था की। यही वजह रही कि छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को परेशानी नहीं हुई जबकि अन्य राज्यों में उद्योगों के बंद होने की वजह से न सिर्फ अफरा-तफरी का माहौल रहा बल्कि श्रमिक अपने राज्य वापस लौटने के लिए सड़कों पर उतर आए और उन्हें बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि राज्य में उद्योगों के उत्पादित माल के परिवहन एवं बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने फिक्की के पदाधिकारियों से कहा कि देश के ग्रीन जोन के जिलों में वह अपने उत्पादित माल की सप्लाई आवश्यक एहतियात बरतते हुए करें। इसके लिए आवश्यक होने पर राज्य सरकार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं अधिकारियों से भी चर्चा कर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों से उद्योगों के संचालन के लिए आने वाले कच्चे माल एवं अन्य आवश्यक सामग्री बिना किसी अड़चन के छत्तीसगढ़ आ सके इस संबंध में भी आवश्यक निर्देश जारी किए गए है। उन्होंने राज्य के उद्यमियों से कहा कि अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ माल लेकर आने वाले मालवाहकों के चालक-परिचालक एवं हम्मालों के ठहरने एवं उनके भोजन की पृथक से व्यवस्था करें और यह भी सुनिश्चित करें कि वे स्थानीय लोगों के संपर्क में न आएं। इसी तरीके का एहतियात अन्य राज्यों में माल की सप्लाई के दौरान भी रखा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी उद्योगों में फिलहाल 80 प्रतिशत के आस-पास उत्पादन चालू है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में यहां के उद्योग शत-प्रतिशत प्रोडक्शन करने लगेेंगे। मुख्यमंत्री ने वर्तमान स्थिति में उद्यमियों से यह भी आग्रह किया कि वे उद्योग संचालन के लिए स्थानीय श्रमिकों की सेवाएं ले ताकि कोरोना संक्रमण की स्थिति में राज्य में नियंत्रित रहे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने फिक्की के पदाधिकारियों से छत्तीसगढ़ राज्य में नवीन उद्योगों की स्थापना के संबंध में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योगों के लिए अच्छा माहौल है यह इलाका प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह सुरक्षित है। कनेक्टिविटी के भी बेहतर साधन राज्य में है। नए उद्योगों को राज्य सरकार द्वारा हर संभव मदद दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के श्रमिकों एवं ग्रामीणों को वृहद पैमाने पर गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनरेगा एवं अन्य शासकीय निर्माण कार्यों को शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में मनरेगा के जरिए राज्य में 13 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम किसानों को धान के समर्थन मूल्य के अंतर की राशि का भुगतान भी करने जा रहे हैं। लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी भी राज्य में की जा रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बाजार और क्रेता की स्थिति अन्य राज्यों से बहुत ही बेहतर है। यहां उद्योगों के उत्पादित माल की बिक्री के लिए किसी भी तरह की दिक्कत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क एवं भवन निर्माण के काम भी राज्य में शुरू कराए जा रहे है ताकि यहां के स्टील एवं सीमेंट उद्योग के उत्पादित माल की खपत हो सके।
फिक्की के अध्यक्ष श्रीमती संगीता रेड्डी ने छत्तीसगढ़ में उद्योगों की बेहतरी के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसलों एवं नीतियों को उद्योगों के लिए हितकारी बताया। उन्होंने राज्य में कोरोना संक्रमण के प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रयासों की सराहना की। फिक्की के पदाधिकारी श्री वाय.के. मोदी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से देश और प्रदेश संकट में है। उद्योग जगत भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के उद्योगों द्वारा उत्पादित माल के लिए वर्तमान समय में बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से उद्योग आर्थिक संकट से गुजर रहे है। श्री मोदी ने मुख्यमंत्री से छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योगों द्वारा उत्पादित माल के विक्रय के लिए अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा कर इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया। फिक्की के पदाधिकारी श्री रूद्र चटर्जी एवं व्ही.के. शर्मा ने भी स्टील उद्योगों के उत्पादित माल की ट्रांसपोर्टिंग के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया। फिक्की के समन्यवक श्री प्रदीप टंडन ने लॉकडाउन की स्थिति में भी उद्योगों के संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को और प्रभावी बनाने का आग्रह किया।
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कोरोना से संबंधित शासकीय परामर्श, आदेश और जानकारियां तत्काल लोगों तक पहुंचने में मिलेगी मदद
एप में कोविड-19 ई-पास के लिए आवेदन की सुविधा
राज्य के संदिग्ध और पुष्टिवाले कोरोना मामलों की जानकारी रियल टाइम पर डैश बोर्ड पर मिलेगीमुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में कोरोना से संबंधित शासकीय परामर्श, आदेश और जानकारियों को तत्काल आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए विकसित कवच मोबाइल एप का शुभारंभ किया। छत्तीसगढ़ शासन के स्वास्थ्य विभाग एवं चिप्स के द्वारा इस मोबाइल एप को बनाया गया है। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डाॅ. आलोक शुक्ला, सचिव स्वास्थ्य श्रीमती निहारिका बारिक सिंह, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ और चिप्स के मुख्य कार्यपालन अधिकारी समीर बिश्नोई मौजूद थे।कोरोना से संबंधित शासकीय परामर्श, आदेश और जानकारियों को तत्काल आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए कवच मोबाइल एप विकसित किया गया है। इस एप में राज्य के संदिग्ध और पुष्टिवाले कोरोना मामलों की जानकारी रियल टाइम पर डैश बोर्ड के माध्यम से आम जनता के लिए उपलब्ध रहेगी। इस एप में कोविड-19 ई-पास के लिए आवेदन करने की सुविधा भी है। एप्प से प्रदेशवासियों को अस्पताल और नोडल अधिकारियों का विवरण मिलेगा, साथ ही नागरिकों को उनके निवास के निकटतम अस्पताल की जानकारी मिलेगी, जहां मरीज किसी भी लक्षण की दशा में पहुंच सकते हैं।कोरोना जागरूकता के लिए विकसित कवच एप की प्रमुख विशेषताओं में छत्तीसगढ़, भारत और वैश्विक आंकड़े के वास्तविक समय का डैश बोर्ड और छत्तीसगढ़ में कोरोना अस्पतालों की जानकारी शामिल है। इसमें कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आपातकालीन राहत कोष में दान करने की सुविधा, कोविड-19 से संबंधित शासकीय आदेश और कोरोना के लक्षणों की जांच और त्वरित स्व-जांच की जानकारी भी आसानी से मिल जाएगी। साथ ही कफ्र्यू पास, कोरोना के प्रति जागरूकता, यात्रा निर्देश, रोकथाम उत्पाद की जानकारी और फेक न्यूज की जानकारी भी मिलेगी।यह एप लोगों को समय-समय पर लक्षणों की जांच करने के लिए उपाय बतायेगा और कोरोना लक्षण पाए जाने की दशा में लोगों को शासन द्वारा दी गई सलाह का पालन करने के लिए सूचित करेगा। आम लोगों तक सही और सटीक जानकारी पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और संदेशों वाले फेक न्यूज का विवरण भी इस एप में दिया जा रहा है। साथ ही लोगों को आपातकाल में यात्रा पर जाने की दशा में पालन किए जाने वाले सभी आवश्यक यात्रा निर्देश भी बताये गये हैं, आवश्यक सामग्रियों की होम डिलीवरी सुविधा भी एप में उपलब्ध है।आम नागरिक जो इस महामारी की विपरीत परिस्थितियों में स्वयं सेवक बनकर समाज की सेवा करना कहते हैं, वे भी इस एप से आवेदन भी कर सकते हैं। स्वास्थ्य निदेशालय द्वारा निवारण उपायों में उपयोग किए जाने वाले उत्पादों से संबंधित जानकारी इस एप के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। यह एप लोकेशन और तस्वीरों के साथ भीड़-भाड़ की शिकायत करने की सुविधा भी प्रदान करता है। इस एप का उपयोग करने वाले निवासियों को समय-समय पर सरकार द्वारा नियमित अपडेट और निर्देश भी दिए जाएंगे। -
कोटा हाॅट स्पाॅट होने के कारण छात्रों का क्वारेंटाईन जरूरी
क्वारेंटाईन सेंटरों में रहने, खाने-पीने सहित सभी आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल और निर्देशन पर राजस्थान के कोटा शहर में कोचिंग कर छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं की आज सुबह सकुशल अपने राज्य छत्तीसगढ़ वापसी संभव हो सकी है। छात्र-छात्राओं की सकुशल वापसी में प्रशासन, पुलिस, परिवहन, चिकित्सा अधिकारियों के साथ ही वाहन चालक और उनके परिचालकों की अहम भूमिका रही है। सकुशल अपने राज्य वापसी पर छात्र-छात्राएं जहां खुश है वहीं उनके अभिभावकों ने भी राहत की सांस ली है।
ज्ञातव्य है कि राजस्थान का कोटा शहर कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की दृष्टि से एक हाॅट स्पाॅट सेन्टर चिन्हित है। यहां कई पाॅजिटिव केस पाए गए है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए भारत सरकार द्वारा जारी गाईडलाईन के तहत और प्रदेशवासियों की सुरक्षा के मद्देनजर कोटा से लौटने वाले सभी छात्र-छात्राओं को क्वारेंटाईन में रखना बहुत जरूरी था। इसे देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सभी छात्र-छात्राओं को क्वारेंटाईन में रखा गया है। राज्य सरकार द्वारा पहले ही मीडिया और अन्य माध्यमों से छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को इसके बारे में अवगत कराया गया था। कोटा से वापसी छात्र-छात्राओं के लिए स्वैच्छिक था। क्वारेंटाईन सेंटरों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करायी गई है। इन सेंटरों में छात्र-छात्रों के रहने, खाने-पीने के साथ ही अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के साथ ही सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किए गए है। -
रायपुर : कोरोना वायरय (कोविड-19) महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान भी मुख्यमंत्री राहत शिविर आजीविका का केन्द्र बन गया है। राहत शिविर में रूके श्रमिकों के लिए शासन द्वारा रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वस्थ्य श्रमिक, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खाली समय में मेहनत कर अतिरिक्त आमदनी भी अर्जित कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सूरजपुर जिले में जिला प्रशासन द्वारा दीगर राज्य एवं अन्य जिलाें से फंसे लगभग 631 श्रमिकों को 31 राहत केंद्रों में अतिथि की तरह ठहराया गया है। यहां अतिथि के रूप में उनकी देखभाल करने के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है।राहत शिविर में रूके सभी श्रमिकों को राज्य शासन जारी दिशा-निर्देश के अनुरूप भोजन, रहने के लिए पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ खेल सामग्री जैसे लूडो, कैरम, टीवी आदि प्रदान की गई है। श्रमिकों द्वारा नियमित रूप से योग भी किया जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था भी सुचारु रुप से चल रही है।इन शिविरों में रुके हुए श्रमिकों को उनकी दैनिक मजदूरी की जो आर्थिक क्षति हो रही है उसकी पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने विशेष पहल करते हुए इन्हें दैनिक आजीविका के कार्य उपलब्ध करा रहे हैं। शिविर में श्रमिक द्वारा बांस के ट्री गार्ड का निर्माण किया जा रहा है। जिसको कि वन विभाग द्वारा त्वरित क्रय किया जा रहा है। इसके लिए श्रमिकों को आवश्यक बांस की उपलब्धता वन विभाग द्वारा कराए जाने के साथ ही कार्य प्रारंभ होने से पूर्व मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया है। जिसके बाद इनके द्वारा सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए ट्री गार्ड बनाने में शिद्दत के साथ जुट गए हैं। प्रशिक्षित श्रमिकों द्वारा ट्री गार्ड निर्माण पर मात्र दो दिवस में ही श्रमिकों को प्रशासन द्वारा लगभग 30 हजार रूपए से अधिक का भुगतान किया गया है। प्रत्येक श्रमिक द्वारा दिन में लगभग 350 से 400 रूपए तक की आमदनी अर्जित की जा रही है। इस विशेष पहल सेे मुख्यमंत्री राहत शिविर न केवल राहत शिविर वरन् एक मुख्यमंत्री आजीविका केंद्र के रूप में तब्दील हो गया है। यहां ठहरे अतिथियों में अत्यंत खुशी का माहौल है और अब उन्हें अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करते हुए और बेहतर तरीके से समय बिताने का अवसर प्राप्त हो गया है। इन्ही में शामील मध्य प्रदेश बालाघाट जिले के एक अतिथि श्री भोजलाल डोमार को जब उनकी मेहनत की कमाई हुई रकम हाथ में मिली तो उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद करते हुए कहा कि लाॅकडाउन में जब हम शिविर में आएं थे, तो यह नहीं सोंचा था कि राहत शिविर में हमें काम मिल जाएगा और इससे आमदनी भी मिलेगी। वास्तव में यह सपना छत्तीसगढ़ सरकार के जरिए पूरा भी हो रहा है।श्री भोजलाल डोमार ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार हमारा और हमारे परिवार का न केवल सुरक्षा का ध्यान रखा बल्कि हमारे आजीविका के लिए काम का अवसर उपलब्घ कराया है। अब हम यहां मुख्यमंत्री राहत शिविर के खुशनुमा यादों के साथ कमायें हुए पैसों को लेकर अपने घर जायेंगें। श्री डोमार ने खुशियों से भरे लफ्जों में जिला प्रशासन के अधिकारियों को अपने घर बालाघाट आने का आमंत्रित किया। इस दौरान अन्य श्रमिकों ने भी कहा कि जब हम लाॅकडाउन के बाद अपने घर के लिए प्रस्थान करेंगे। तब यह न केवल खुशनुमा यादें बल्कि अपने साथ अपनी कमाई हुई रकम भी साथ लेकर जाएंगे और बेहतर रूप से आर्थिक सुदृढ़ बनकर अपने घर पहुंचेंगे। -
रायपुर : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर कोरोना से बचाव और रोकथाम, लॉक डाउन के संबंध मेंं आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी कान्फ्रेंस में शामिल हुए।
स्वास्थ्य मंत्री श्री टी. एस. सिंहदेव, गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, पुलिस महानिदेशक श्री डी.एम. अवस्थी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, स्वास्थ्य विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह, मुख्यमंत्री की उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया इस अवसर पर उपस्थित थीं। -


मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थानों में छत्तीसगढ़ के अध्ययन छात्र-छात्राओं को वापस लाने के लिए भेजी गई बसे कोटा पहुंच चुकी है। कोटा में चिकित्सकों और अधिकारियों की टीम द्वारा इन बच्चों की स्क्रीनिंग कर वापसी के लिए बसों में बैठाया जा रहा है।
छात्र-छात्राओं ने महामारी के इस संकट में छत्तीसगढ़ घर वापसी के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल और इस व्यवस्था में शामिल पुलिस, चिकित्सा, परिवहन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ सभी बस चालक और परिचालको का आभार व्यक्त किया है। छात्र-छात्रओं ने कहा है कि उनकी घर वापसी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने जो व्यवस्था की है वह सराहनीय है। इन छात्र-छात्राओं ने बसों के पहुचने तथा चिकित्सा टीम और पुलिस के जवानों का ‘‘छत्तीसगढिया सबले बढ़िया‘‘ हर्ष ध्वनि कर स्वागत किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ के बच्चों की घर वापसी के लिए की गई पहल से छात्र-छात्राओं की मायूसी दूर हो गई है। भयंकर महामारी के इस संकट में दूर प्रदेश में अपने राज्य के अधिकारी-कर्मचारियों को अपने बीच पाक छात्रों के चहरों पर खुशी लौट आयी है।
छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं को लाने के लिए भेजी गई चिकित्सा टीम ने फिजीकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बच्चों की चिकित्सीय जांच की और संभाग वार तय की गई बसों में उन्हें लाने के लिए बैठने की व्यवस्था की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देश पर 24 अप्रैल की शाम राजधानी रायपुर से राजस्थान के कोटा में लाॅकडाउन के दौरान फंसे छात्र-छात्राओं को लाने कुल 97 बसों को रवाना किया गया। इसमें 95 बस छात्रों को लाने के लिए तथा 2 बसों में डाॅक्टर और चिकित्सा दल के सदस्य गए हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि छात्र-छात्राओं के लिए भोजन सहित आवश्यक व्यवस्थाओं का भी ध्यान ने और छात्रों को रास्ते में किसी तरह की परेशानी न हो। राजस्थान के कोटा से छत्तीसगढ पहंुचने पर इन बच्चों को क्वारेंटाईन पर रखा जाएगा। उन्हें सीधे घर जाने की अनुमति नही होगी।
कोटा में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को वापस छत्तीसगढ़ लाने के लिए बस्तर संभाग के लिए 06, सरगुजा संभाग के लिए 24, रायपुर संभाग के लिए 16, दुर्ग संभाग के लिए 14, बिलासपुर संभाग के लिए 28 बसों की व्यवस्था की गई है।
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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के रायगढ़, जशपुर, सूरजपुर जिले सहित सरगुजा, बिलासपुर संभाग के अन्य जिलों में आंधी-तूफान एवं ओलावृष्टि के संबंध में संबंधित जिलों के जनप्रतिनिधियों एवं कलेक्टरों से दूरभाष पर चर्चा कर स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने आंधी-तूफान, ओलावृष्टि की वजह से जान-माल सहित फसलों के नुकसान का सर्वे एवं आंकलन कर पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सूरजपुर जिले के ग्राम भरवाही के 6 बेघर हुए परिवारों को फिलहाल शिवप्रसाद नगर के छात्रावास में अस्थाई तौर पर ठहरा कर उनके भोजन की निःशुल्क व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा कर दी गई है। ज्ञातव्य है कि 25 अप्रैल शनिवार की रात को सूरजपुर जिले में आए भीषण आंधी तूफान की वजह से 6 ग्रामीणों के घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे। जिला प्रशासन द्वारा इन बेघर परिवारों के सभी सदस्यों को छात्रावास में आश्रय प्रदान करने के साथ ही उनके भोजन की व्यवस्था की गई है। कलेक्टर श्री दीपक सोनी ने ग्राम भरवाही सहित आसपास के गांवों का दौरा कर आंधी तूफान और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लिया। इस दौरान पीड़ित परिवारों से भी उन्होंने मुलाकात की और कहा कि शासन-प्रशासन द्वारा उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। कलेक्टर ने राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को आंधी तूफान और ओलावृष्टि की वजह से हुए नुकसान का तत्काल सर्वे कर पीड़ितों को राहत मुहैया कराने हेतु प्रकरण तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं। जिले के विद्युत विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं अन्य विभागों के अधिकारियों को भी युद्ध स्तर पर राहत कार्य संचालित कर जिले में सामान्य स्थिति बहाल करने के निर्देश दिए हैं।
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: यूनिसेफ की भारत की प्रमुख वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से शामिल हुई ’चकमक अभियान’ और ’सजग परवरिश कार्यक्रम’ की लाॅचिंग में
यूनिसेफ की भारत की प्रमुख सुश्री यास्मिन अली हक ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोविड-19 से बचाव और रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश के विकास के लिए किए जा रहे कार्यो की सराहना की है। सुश्री हक ने छत्तीसगढ़ के आंगनबाड़ी के बच्चों के समग्र विकास के लिए महिला बाल विकास विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किए गए ‘चकमक अभियान‘ और ‘सजग कार्यक्रम‘ के शुभारंभ के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के कार्यो की सराहना की। वे नई दिल्ली में अपने घर से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुई।सुश्री हक ने ’चकमक अभियान’ और ’सजग परवरिश कार्यक्रम’ की सराहना करते हुए कहा कि इन दोनों कार्यक्रमों से समाज को बच्चों के साथ घरों में ही व्यस्त रखने और बच्चों को रचनात्मक गतिविधियां सिखाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही साथ ’सजग परवरिश कार्यक्रम’ से घरों पर ही बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और समग्र विकास की प्रक्रिया को पारिवारिक सदस्यों की देख-रेख में बढ़ावा मिलेगा। आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ का यह नवाचार माॅडल पूरे देश के लिए उदाहरण होगा।सुश्री हक ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से कोविड-19 के प्रसार को रोकने में सफलता हासिल हुई है। प्रदेश के 81 प्रतिशत जिले ग्रीन जोन में हैं। छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 24 लाख हितग्राहियों को घर-घर जाकर पोषण आहार वितरण, बच्चों के लिए रेडी-टू-ईट सामग्री और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में सूखा राशन के वितरण का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे महिलाओं एवं बच्चों को पोषण की पूर्ति में सहायता मिली है। सुश्री हक ने गरीब परिवारों को लाॅकडाउन के दौरान 3 माह का निःशुल्क राशन का वितरण, मनरेगा के माध्यम से 11 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार दिलाने, आश्रय शिविरों के माध्यम से जरूरतमंदों के रहने खाने की व्यवस्था जैसे राज्य सरकार के कार्याें की सराहना की। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ छत्तीसगढ़ सरकार के एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में साथ मिलकर काम करेगी। -
‘चकमक‘ अभियान में बच्चे परिवारिक सदस्यों के साथ सीखेंगे रचनात्मक गतिविधियां
‘सजग‘ कार्यक्रम से बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और समग्र विकास की प्रक्रिया को मिलेगा बढ़ावा
सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर बच्चों के अभिभावकों को भेजे जाएंगे टास्क-दिशा निर्देश
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर इन कार्यक्रमों के बारे में अभिभावकों को करेंगी जागरूक
बच्चों के लिए गोंड़ी में ‘मोद्दोल डाका‘ और हल्बी में पहिल डांहका अर्थात पहला कदम पुस्तिका का विमोचन
यूनिसेफ द्वारा प्रदेश में कोविड-19 की रोकथाम के उपायों की सराहना
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज आंगनबाड़ी के बच्चों के समग्र विकास के लिए महिला बाल विकास विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किए गए ‘चकमक अभियान‘ और ‘सजग कार्यक्रम‘ का शुभारंभ किया। बच्चों के रचनात्मक विकास के लिए ’चकमक अभियान’ के तहत लाॅकडाउन के समय जब आंगनबाड़ी बंद है बच्चों को घरों में ही पारिवारिक सदस्यों के साथ दादा-दादी, नाना-नानी के साथ रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रख कर सिखाने की पहल की जाएगी। पारिवारिक सदस्यों को बच्चों के साथ आनंदपूर्ण गतिविधियां करायी जाएगी। इसके साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और समग्र विकास की प्रक्रिया को घर तक बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से तैयार किए गए ’सजग कार्यक्रम’ की शुरूआत की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने हल्बी एवं गोंडी बोली में दो पुस्तिका ’मोद््दोल डाका’ और ’पहिल डांहका’ और छत्तीसगढ़ की स्थानीय बोलियों के विकासखंडवार नक्शा का विमोचन भी किया। गोंडी बोली में मोद््दोल डाका एवं हल्बी बोली में पहिल डांहका का अर्थ ’पहला कदम’ होता है।
इस अवसर पर महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, महिला बाल विकास विभाग के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, संचालक श्री जन्मेजय महोबे, यूनिसेफ फील्ड आॅफिस प्रमुख श्री जोब जकारिया उपस्थित थे। यूनिसेफ की भारत की प्रमुख सुश्री यास्मिन अली हक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुई।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया सहित विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों को ‘चकमक‘ और ‘सजग‘ कार्यक्रमों के शुभारंभ के अवसर पर बधाई देते हुए कहा कि लाॅकडाउन के दौरान अभिभावक और बच्चे घरों पर हैं। कोविड-19 से सुरक्षित रहने का सबसे अच्छा उपाय घरों में ही रहना है। ऐसे समय में इन दोनों कार्यक्रमों से बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखकर उन्हें परिस्थितियों में ढालने और संभालने में मदद मिलेगी और बच्चों के समय का सदुपयोग हो सकेगा और वे अच्छी बाते सीख सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने दंतेवाड़ा के बिंजाम गांव के दो बच्चों लिपिका और कविता अनुसुईया तथा उनके पालकों श्रीमती ललिता नेताम और श्रीमती राजो बाई नेताम से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से बात भी की। मुख्यमंत्री ने श्रीमती ललिता से पोषण आहार वितरण और रेडी-टू-ईट की सामग्री वितरण के संबंध में पूछा- श्रीमती ललिता ने बताया कि उन्हें सामग्री मिल गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ समय बिताना अच्छा लग रहा है। बच्चों ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में खेल गतिविधियां भी करके दिखाई। रस्सी से बने गोले को बच्चों ने कूद कर पार किए और रस्सी पर चलकर दिखाया। मुख्यमंत्री सहित उपस्थित सभी लोगों ने तालियां बजाकर उन्हें प्रोत्साहित किया। इसी तरह मुख्यमंत्री ने पुरानी टोली जशपुर की श्रीमती बसंती बड़ाईक और उनकी बेटी परिधि बड़ाईक, श्रीमती पुष्पा चैहान और नैन्सी चैहान और दुर्ग जिले के अखरा पाटन गांव की श्रीमती कामिनी कंडरा और उनके बेटे सुशील कंडरा, श्रीमती भीष्मा ठाकुर और उनकी बेटी याचना ठाकुर से बात कर गतिविधियों की जानकारी ली।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया ने बताया कि चकमक अभियान बच्चों के लिए अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण मंच है, पूरे परिवार के साथ मिलकर हंसी-खुशी से सीखने-सिखाने का अवसर है। सजग कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं के मोबाइल पर आॅडियो मैसेज में बच्चों के सही परवरिश के सुझाव, गतिविधियां संबंधी कहानी, गीत भेजे जा रहे हैं।यूनिसेफ की भारत की प्रमुख सुश्री यास्मिन अली हक ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोविड-19 से बचाव और रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की मुक्त कंठ से सराहना की। सुश्री हक ने चकमक और सजग कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इन दोनों कार्यक्रमों से समाज को बच्चों के साथ घरों में ही व्यस्त रखने और बच्चों को रचनात्मक गतिविधियां सिखाने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ का यह नवाचार माॅडल पूरे देश के लिए उदाहरण होगा। सुश्री हक ने छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 24 लाख हितग्राहियों को घर-घर जाकर पोषण आहार वितरण, बच्चों के लिए रेडी-टू-ईट सामग्री और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में सूखा राशन के वितरण का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे महिलाओं एवं बच्चों को पोषण की पूर्ति में सहायता मिली है। सुश्री हक ने गरीब परिवारों को लाॅकडाउन के दौरान 3 माह का निःशुल्क राशन का वितरण, मनरेगा के माध्यम से 11 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार दिलाने, आश्रय शिविरों के माध्यम से जरूरतमंदों के रहने खाने की व्यवस्था जैसे राज्य सरकार के कार्याें की सराहना की। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ छत्तीसगढ़ सरकार के एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में साथ मिलकर काम करेगी।
चकमक और सजग कार्यक्रम के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाइल पर बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म फेसबुक और वाट्सएप पर टास्क दिशा निर्देश दिए जाएंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर इन कार्यक्रमों के बारे में जागरूक करेंगे और अभिभावकों के मोबाइल पर यह जानकारी भेजेंगे। -
सरप्लस चावल का समुचित निराकरण नहीं होने से राज्य को लगभग 1500 करोड़ रूपए का नुकसान
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री श्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ से भारतीय खाद्य निगम में चावल उपार्जन की मात्रा 24 लाख मेट्रिक टन से बढ़ाकर 31.11 लाख मेट्रिक टन की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में कोविड-19 वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में लाॅकडाउन से देश के अन्य राज्यों में भी चावल की आवश्यकता उत्पन्न हुई है, जिसके फलस्वरूप भारतीय खाद्य निगम द्वारा माह अप्रैल 2020 में लगभग 92 रेक मूवमेंट के द्वारा अन्य राज्यों में खाद्यान्न परिवहन किया गया है, जिससे राज्य में भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में पर्याप्त रिक्त स्थान उपलब्ध है।श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रव्यापी महामारी के संक्रमण की रोकथाम व इससे बचाव हेतु राज्य सरकार द्वारा पूरी सजगता से समेकित व संवेदनशील प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं। कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य में भी ’लाॅकडाउन’ प्रभावी किया गया, जो अनवरत जारी है। इस लाॅकडाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार से प्राप्त दिशा निर्देशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का भी प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिससे लोगों को राहत मिली है।मुख्यमंत्री ने इस वर्तमान परिदृश्य में केन्द्रीय मंत्री श्री पासवान का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष KMS 2019-20 में 18.34 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर कुल 83.67 लाख टन धान का उपार्जन किया गया है। प्रदेश में धान उपार्जन एवं कस्टम मिलिंग चावल जमा करने का कार्य राज्य शासन एवं भारत सरकार, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मध्य हुए एमओयू के अनुसार किया जाता है। राज्य शासन एवं भारत सरकार खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के एमओयू के प्रावधानांे में समस्त सरप्लस चावल भारतीय खाद्य निगम द्वारा उपार्जन किए जाने का प्रावधान है।श्री बघेल ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग भारत सरकार के 19 दिसम्बर 2019 के पत्र का उल्लेख करते हुए लिखा है कि इस पत्र में खरीफ विपणन वर्ष ( KMS 2019-20 ) में भारतीय खाद्य निगम में केन्द्रीय पूल अंतर्गत 24.00 लाख टन उसना चावल उपार्जन की अनुमति प्रदान की गई है। प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष KMS 2019-20 में कुल खरीदी 83.67 लाख टन धान से निर्मित होने वाले चावल 56.51 लाख मेट्रिक टन में से राज्य के द्वारा पीडीएस की आवश्यता हेतु 25.40 लाख मेट्रिक टन चावल उपार्जन किया जाएगा (सेन्ट्रल पूल 15.48 लाख मेट्रिक टन, स्टेट पूल 9.92 लाख मेट्रिक टन) एवं शेष 31.11 लाख मेट्रिक टन चावल सरप्लस होगा। इसमें से भारत सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम में 24 लाख मेट्रिक टन चावल उपार्जन की अनुमति दिए जाने से कुल उपार्जित धान में से 73.20 लाख मेट्रिक टन धान का ही निराकरण संभव हो सकेगा एवं लगभग 10.47 लाख मेट्रिक टन धान (अनुपातिक चावल 7.11 लाख मेट्रिक टन) अनिराकृत स्थिति में रहेगा।श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में लाॅकडाउन से देश के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी विपरित परिणाम परिलक्षित होंगे। ऐसी स्थिति में यदि राज्य में उपलब्ध सरप्लस चावल का समुचित निराकरण नहीं हो पाता है, तो राज्य को लगभग 1500 करोड़ रूपए की हानि संभावित होगी, जो इन विषम परिस्थितियों में राज्य की आर्थिक विकास की गति पर विपरीत प्रभाव डालेगा। श्री बघेल ने इन परिस्थितियों में केन्द्रीय मंत्री श्री पासवान से खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ से भारतीय खाद्य निगम में चावल उपार्जन की मात्रा 24 लाख टन से बढ़ाकर 31.11 लाख टन अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है। -
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव ने इस संबंध में केन्द्रीय गृह सचिव को लिखा पत्र
अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों एवं विद्यार्थियों की छत्तीसगढ़ वापसी की अनुमति देने का किया आग्रह
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से दूरभाष पर चर्चा कर उन्हें अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों और कोटा में अध्ययनरत विद्यार्थियों की समस्याओं से अवगत कराया। चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को आश्वस्त किया है कि राज्य सरकार से इस आशय का प्रस्ताव मिलने पर त्वरित निर्णय लिया जाएगा।मुख्यमंत्री के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव श्री आर.पी.मंडल ने इस तारतम्य में केन्द्रीय गृह सचिव श्री अजय भल्ला को पत्र प्रेषित कर अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों एवं विद्यार्थियों की छत्तीसगढ़ वापसी की अनुमति देने का आग्रह किया है।श्री मंडल ने पत्र में लिखा है कि पूरे देश में कोविड-19 की रोकथाम के लिए लागू किए गए लाॅकडाउन का छत्तीसगढ़ में भी कड़ाई से पालन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की अन्य राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर आवागमन पर रोक लगाई गई है। इससे राज्य में कोविड-19 वायरस के फैलाव को रोकने में मदद मिली है। लाॅकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ के मजदूर अन्य राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर में फंसे हैं। राज्य सरकार द्वारा अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए यथा संभव प्रयास किये गए हैं। उनके भोजन का इंतजाम सुनिश्चित करने के साथ उन्हें आर्थिक सहायता भी पहुंचायी गयी है।
मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि लाॅकडाउन के एक माह होने के कारण छत्तीसगढ़ में अनेक वर्गों द्वारा विद्यार्थियों और मजदूरों को अन्य राज्यों में हो रही कठिनाईयों के संबंध में बात उठाई गयी है। इसके अलावा कुछ राज्यों को कोटा से विद्यार्थियों को उनके राज्यों में लौटने की अनुमति दी गयी है। छत्तीसगढ़ सरकार भी इन विद्यार्थियों और मजदूरों को उनके घर वापस लाने की इच्छुक है। मुख्य सचिव श्री मंडल ने केन्द्र सरकार से मानवीय आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार को कोटा से विद्यार्थियों और अन्य राज्यों से मजदूरों की वापसी की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है। श्री मंडल ने विद्यार्थियों और मजदूरों के छत्तीसगढ़ लाने में सहयोग करने और सुरक्षित आवागमन के लिए पास प्रदान करने के लिए अन्य राज्यों को निर्देशित करने का आग्रह भी केन्द्रीय गृह सचिव से किया है।
श्री मंडल ने पत्र में लिखा है कि अनुमति मिलने से इन विद्यार्थियों और मजदूरों के चिन्तित परिवारों को राहत मिलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ वापस आने वाले सभी लोगों को क्वारेंटाइन में रखना सुनिश्चित करेगी। श्री मंडल ने इसके लिए लिखित अनुमति प्रदान करने का आग्रह केन्द्रीय गृह सचिव से किया है। -
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से की चर्चा
रायपुर : लॉक डाउन के कारण अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों और विद्यार्थियों की शीघ्र ही राज्य में वापसी होगी । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से दूरभाष पर चर्चा की और उन्हें श्रमिकों और विद्यार्थियों की समस्याओं से अवगत कराया।
चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को आश्वस्त किया है कि राज्य सरकार से इस आशय का विधिवत प्रस्ताव मिलने पर त्वरित निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल द्वारा केंद्रीय गृह सचिव को इस संबंध में प्रस्ताव भेज दिया गया है ।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आशा है अन्य राज्यों में लॉक डाउन के कारण उपजी परिस्थितियों के कारण कठिनाई में रह रहे सभी छत्तीसगढ़ वसियों की शीघ्र सकुशल वापसी होगी। -
राज्य में 31.50 लाख सक्रिय परिवारों के 62.52 लाख व्यक्तियों की आजीविका मनरेगा पर निर्भर
खाद्यान्न सुरक्षा के साथ लाॅकडाउन में श्रमिकों को मिलेगी कई समस्याओं से राहत
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण और पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्यरत श्रमिकों को मजदूरी भुगतान के रूप में खाद्यान्न प्रदान करने की स्वीकृति देने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजनांतर्गत मजदूरी राशि का भुगतान नेशनल इलेक्ट्राॅनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (एनईएफएमएस) के माध्यम से सीधे श्रमिकों के खातों में क्रेडिट होता है। कोरोना वायरस संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए पूरा राज्य लाॅकडाउन है। राज्य में 31 लाख 50 हजार सक्रिय परिवारों के 62 लाख 52 हजार व्यक्तियों की आजीविका मनरेगा पर ही निर्भर है। ऐसी स्थिति में प्रभावी लाॅकडाउन एवं संक्रमण से बचाव के समस्त साधनों का प्रयोग करते हुए योजना का क्रियान्वयन अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य शासन द्वारा कोरोना वायरस से बचावों के उपायों सहित मनरेगा योजनांतर्गत कार्य सम्पादित कराये जा रहे हैं तथा वर्तमान में लगभग 5 लाख श्रमिक प्रति दिन नियोजित हो रहे हैं। मजदूरी की राशि क्रेडिट होने के बाद उन्हें अपने भोजन (खाद्यान्न) जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पहले खातों से पैसा निकालने की आवश्यकता होगी, जिससे वे परेशान तो होंगे ही साथ ही सोशल डिस्टैसिंग के पालन में भी कठिनाई होगी। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में बैंक शाखाओं की कमी है, साथ ही नक्सल प्रभावित एवं आकांक्षी जिलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी समस्या है। इस कारण प्रायः लिंक फेल होने जैसी समस्याएं होती हैं, जिसके कारण राशि आहरण हेतु मजदूरों को कई बार बैंक में सम्पर्क करना पड़ जाता है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि राज्य शासन के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध है तथा इसके वितरण की प्रभावी व्यवस्था लागू है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत कार्यरत श्रमिकों की मजदूरी की राशि राज्य शासन को उपलब्ध कराते हुए इसके विरूद्ध उन्हें खाद्यान्न वितरित करने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है, ताकि वर्तमान में उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रामीणों के लिए खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
























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