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अदालत के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव के बाद की हिंसा में लोगों के साथ मारपीट की गई, उन्हें घर से भागने के लिए मजबूर किया गया.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने एसआईटी टीम के गठन का भी निर्देश दिया है और राज्य सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कहा है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामलों में हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध, बलात्कार सहित मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने अन्य सभी मामलों की जांच एसआईटी को सौंपी है.
SIT की निगरानी कोर्ट भी करेगा
बेंच ने बताया कि एसआईटी की निगरानी कोर्ट भी करेगा. मामले की सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि अलग-अलग फैसले हैं लेकिन सभी सहमत हैं. अदालत के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव के बाद की हिंसा में लोगों के साथ मारपीट की गई, उन्हें घर से भागने के लिए मजबूर किया गया और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया और इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई.
मामले में 3 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी और हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया. जिसमें न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार शामिल थे. पीठ ने पहले एनएचआरसी अध्यक्ष को "चुनाव के बाद की हिंसा" के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था. रिपोर्ट सौपने के बाद अब अगली सुनवायी 24 अक्टूबर को होगी. -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
नई दिल्ली : देश में कोरोना के मामलों में मंगलवार को बड़ी गिरावट देखने को मिली थी लेकिन एक बार फिर से आज , है।स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना के 35178 नए मामले सामने आए हैं जबकि 37169 लोग कोरोना से ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं।वहीं कोरोना से मरने वालों की बात करें तो पिछले 24 घंटों में 440 लोगों की कोरोना से मौत हो गई है। फिलहाल देश में अभी भी कोरोना के 32285857 एक्टिव केस हैं।
देश में पिछले साल कोरोना की दस्तक के बाद से अभी तक तीन करोड़ से अधिक संक्रमण मामले सामने आ चुके हैं। अभी तक देश में कुल 3,22,85,857 कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं।अच्छी बात यह है कि संक्रमण से ठीक होने की दर काफी अच्छी है,जिसके चलते 3,14,85,923 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं। कोरोना महामारी ने देश में अभी तक 4,32,519 लोगों की जान ले ली है।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन एक अहम हथियार है और देश में तेजी से लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। अभी तक कुल 56,06,52,030 कोरोना की डोज लोगों को दी जा चुकी हैं।पिछले 24 घंटे में 55,05,075 लोगों को वैक्सीन दी गई है। वहीं अभी तक देश में 49.84 करोड़ कोरोना सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। भारत में कोरोना के कुल मामलों में से सिर्फ 1.14 फीसदी ही एक्टिव केस बचे हैं जोकि मार्च 2020 के बाद सबसे कम हैं। वहीं कोरोना से रिकवरी दर की बात करें तो यह 97.52 फीसदी है जोकि मार्च 2020 के बाद से सबसे अधिक है। -
अदालत का फैसला आने के बाद शशि थरूर ने कहा, "आपका आभारी हूं, योर ऑनर... साढ़े सात साल पूरी तरह दर्द और यातना में गुज़रे हैं... मैं बेहद संतुष्ट हूं..."
नई दिल्ली : सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को दिल्ली की एक कोर्ट ने आरोपमुक्त कर दिया है. शशि थरूर की पत्नी सुनंदा की 17 जनवरी 2014 को एक फाइव स्टार होटल में रहस्यमयी हालत में मौत हो गई थी. मौत से कुछ दिनों पहले ही सुनंदा ने थरूर पर आरोप लगाया था कि उनके पाकिस्तानी महिला पत्रकार से संबंध हैं. इस मामले में शशि थरूर को आरोपी बनाया गया था और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 307, 498 A के तहत केस दर्ज किया गया था, लेकिन 7 साल बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने थरूर को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत का फैसला आने के बाद शशि थरूर ने कहा, "आपका आभारी हूं, योर ऑनर... साढ़े सात साल पूरी तरह दर्द और यातना में गुज़रे हैं... मैं बेहद संतुष्ट हूं..."
सुनंदा केस के बारे में जानें
बता दें कि 17 जनवरी 2014 सुनंदा पुष्कर की मौत एक पांच सितारा होटल में हुई.
19 जनवरी 2014 – सुनंदा पुष्कर का पोस्टमार्टम एम्स में हुआ था. वहां के डॉक्टर्स ने बताया कि सुनंदा के शरीर पर 12 से ज़्यादा निशान थे. इसमें से एक उनके गाल पर था जो ये बताता है कि उनके चेहरे को तेज़ चोट पहुंची और साथ ही इंसानी दांतों से काटे जाने का एक निशान उनके बायें हाथ पर था. उनके शरीर में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे ये कहा जा सकता कि सुनंदा की मौत दवाइयों के ओवरडोज़ से हुई थी. उनके शरीर में ‘एल्प्राज़ोलम' (एक एंटी-एन्ग्ज़ाइटी ड्रग की नाममात्र मात्रा में मौजूदगी मिली थी. डॉक्टर्स ने ये भी कहा कि उनकी मौत गैर-प्राकृतिक और अचानक हुई.
10 अक्टूबर 2014 – मौत के लगभग 9 महीने बाद (सितम्बर 2014 में) एम्स के डॉक्टर्स ने शरीर के ऑर्गन्स की जांच रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी थी. सभी जांचों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी जिसे एम्स ने दिल्ली पुलिस को सौंपा था.
6 जनवरी 2015 – वो मौका जब ये केस सुसाइड से बदलकर मर्डर की तरफ़ मुड़ गया. दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा कि सुनंदा पुष्कर ने खुदकुशी नहीं की है बल्कि मर्डर का केस है. दिल्ली पुलिस ने अनजान लोगों के ख़िलाफ़ केस रजिस्टर कर दिया.
फरवरी 2016 – दिल्ली पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने शशि थरूर से पूछताछ की. शशि थरूर ने ड्रग ओवरडोज़ की बात कही.
15 मई 2018 – दिल्ली पुलिस ने शशि थरूर पर सुनंदा को ख़ुदकुशी करने के लिए उकसाने के चार्ज लगाए. 3 हज़ार पन्ने की चार्जशीट दायर हुई. चार्जशीट में ये भी लिखा था कि शशि थरूर अपनी पत्नी के साथ क्रूरता से पेश आते थे.
5 जून 2018 – शशि थरूर को दिल्ली में कोर्ट के सामने पेश होना पड़ा. थरूर ने कहा कि वो निर्दोष हैं और कोर्ट में सच्चाई सामने आकर ही रहेगी. शशि थरूर को अभी तक एक भी बार गिरफ़्तार नहीं किया गया है और उन्हें ज़मानत मिलती रही हैं.
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मुख्यमंत्री ने नवा रायपुर के सेक्टर 29 में नवीन उप पंजीयक कार्यालय का किया शुभारंभ
नवा रायपुर सहित आस-पास के 41 गांवों को मिलेगी पंजीयन सुविधा
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार जन सुविधा की दृष्टि से आम जनता से जुड़ी सेवाओं की प्रक्रिया के सरलीकरण और बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नवा रायपुर के सेक्टर 29 में नवीन उप पंजीयक कार्यालय का लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।नवा रायपुर में पंजीयन कार्यालय प्रारंभ होने से नवा रायपुर के 6 गांव, आरंग के 20 और अभनपुर विकासखंड के 15 गांव कुल 41 गांव के लोगों को पंजीयन कार्य की सुविधा मिलेगी। अभी उन्हें पंजीयन के लिए 40 किलोमीटर दूर रायपुर आना पड़ता था। नवा रायपुर में इस कार्यालय के प्रारंभ होने से उनके समय और श्रम की बचत होगी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम में पंजीयन विभाग के बैकलॉग दस्तावेजों की स्कैनिंग एवं डिजिटाइजेशन कार्य और डिजिटल ई-स्टाम्प सुविधा का भी शुभारंभ किया। उन्होंने नवा रायपुर स्थिति उप पंजीयक कार्यालय में पंजीयन कराने पहुंची ग्राम परसदा की श्रीमती रेखा कोसले से चर्चा की। श्रीमती कोसले ने मुख्यमंत्री को बताया कि वह मंदिर हसौद में जमीन खरीद रही है। मंदिर हसौद में उनकी 962 वर्ग फीट जमीन का पंजीयन हुआ है।
कार्यक्रम में श्रीमती कोसले को पंजीयन के दस्तावेज सौंपा गया। राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा से कार्यक्रम से जुड़े। संसदीय सचिव वाणिज्यिक कर (पंजीयन) श्री इंदरशाह मंडावी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, सचिव वाणिज्यिक कर श्री निरंजन दास, महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक सुश्री इफ्फत आरा, उप महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक श्री सुशील खलको मुख्यमंत्री निवास में उपस्थित थे। नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस लिमिटेड और बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम से जुड़े।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि पिछले पौने तीन साल में शासन-प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है। जन्म प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, नामांतरण, पंजीयन का काम पहले की तुलना में आसान हुआ है।
जनसुविधा को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2018 के बाद से अब तक 5 नये जिलों और 72 नयी तहसीलों की स्थापना का निर्णय लिया गया है। हम ऐसी योजनाएं बना रहे हैं, जिनमें उनका लाभ लोगों के दरवाजे तक पहुंचे। विभिन्न कार्यों में लगी स्व-सहायता समूह की महिलाओं के बैंक-खातों में सीधा भुगतान, ड्राइविंग लाइसेंस सहित आरटीओ से संबंधित 22 सेवाओं की घर पहुंच व्यवस्था जैसे बहुत निर्णयों से काम-काज का सरलीकरण हुआ है। नक्शा, खसरा, बी-1 जैसे अभिलेख अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 98 पंजीयन कार्यालय हैं। नवा रायपुर के इस कार्यालय को मिलाकर अब 99 पंजीयन कार्यालय हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ के विकास में इन पंजीयन कार्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष 2020-21 में दस्तावेजों के पंजीयन से छत्तीसगढ़ को 1589 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इसमें से 545 करोड़ रुपए का राजस्व अकेले रायपुर जिले से प्राप्त हुआ था। यह पंजीयन विभाग के माध्यम से मिले कुल राजस्व का 34 प्रतिशत है।
राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में पंजीयन विभाग द्वारा लक्ष्य से ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने नवा रायपुर में नए पंजीयन कार्यालय खुलने पर क्षेत्र के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भूमि के क्रय-विक्रय के लिए गाइड लाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी और पंजीयन शुल्क में भी छूट दी गई है। इसका लाभ प्रदेश की जनता को मिल रहा है। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
ढाई साल में करीब डेढ़ लाख बच्चे कुपोषण मुक्तमुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का असर : कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत की आई कमी
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का अच्छा प्रतिसाद मिलने लगा है।मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के साथ विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है।
प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी, इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 प्रतिशत अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है। बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है, इसका श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है।
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरूआत की।
राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे। इन आंकड़ों को देखे तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे।
राज्य सरकार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़‘ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की। अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया।
प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई। दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में ‘लइका जतन ठउर‘ जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया।
जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई। योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया। इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है।
अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अण्डा, लड्डूू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बनेे पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिये जा रहे हैं। इससे बच्चों में खाने के प्रति रूचि जागृत हुई है।
स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है। इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है। स्वास्थ विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती है। प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास लगातार किये जा रहे हैं।
कोरोना वायरस (कोविड-19) संकट के समय में सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद होने के बावजूद भी बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया।
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट का वितरण किया जा रहा है। कुपोषण पर मिल रही विजय को बनाय रखने और कोरोना का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर ना हो इसे देखते हुए प्रदेश में संक्रमण मुक्त स्थानों पर जनप्रतिनिधियों और पालकों की सहमति से आंगनबाड़ी को खोला गया है। जहां सुरक्षा के प्रबंध के साथ फिर से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन देने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत मई 2021 की स्थिति में जिलेवार कुपोषण मुक्त हुए बच्चों की स्थिति इस प्रकार है। बालोद जिले में जनवरी 2019 की स्थिति में 12 हजार 481 बच्चे चिन्हाकिंत किए गए थे, इनमें 1402 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए है।
इसी प्रकार बलौदाबाजार में 30 हजार 917 में से 6032 बच्चे, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में 27 हजार 352 में से 14 हजार 106 बच्चे, बस्तर में 15 हजार 753 में 3633 बच्चे, बेमेतर में 12 हजार 429 में से 354 बच्चे, बीजापुर में 12 हजार 429 बच्चों में से 3993 बच्चे, बिलासपुर में 29 हजार 354 में से 8492 बच्चे, दंतेवाड़ा में 8115 में से 2168 बच्चे, धमतरी में 7144 में से 605 बच्चे, दुर्ग में 12 हजार 810 में से 6983 बच्चे, गरियाबंद में 11 हजार 658 में से 5173 बच्चे और जांजगीर-चांपा जिले में चिन्हांकित 17 हजार 869 कुपोषित बच्चों में से 8463 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए।
इसी प्रकार जशपुर जिले में 15 हजार 341 बच्चों में से 5784 बच्चे, कांकेर में 9038 में से 7022 बच्चे, कबीरधाम में 13 हजार 146 में 3011 बच्चे, कोण्डागांव में 14 हजार 47 में से 1447 बच्चे, कोरबा में 17 हजार 965 में से 2473 बच्चे, कोरिया में 7850 में से 2696 बच्चे, महासमुंद में 19 हजार 153 में से 1473 बच्चे, मुंगेली में 10 हजार 242 में से 648 बच्चे, नारायणपुर में 3626 में से 1622 बच्चे, रायगढ़ में 24 हजार 41 में से 16 हजार 358 बच्चे, रायपुर में 25 हजार 456 में से 8323 बच्चे, राजनांदगांव में 28 हजार 386 में से 10 हजार 97 बच्चे, सरगुजा में 19 हजार 273 में से 7009 बच्चे, सुकमा में 6486 में से 3332 बच्चे और सूरजपुर जिले में चिन्हांकित 23 हजार 716 कुपोषित बच्चों में से 7857 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए। -
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 150 भारतीयों को लेकर जामनगर एयरबेस पहुंचा भारतीय वायु सेना का विमान सी-17, अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत टंडन भी पहुंचे, 'भारत माता की जय' के नारे भी लगे
अफगानिस्तान से भारत आने वाला यह दूसरा विमान है. इससे पहले, काबुल में एक अन्य सी-19 विमान के जरिए सोमवार को कुछ भारतीय दूतावास कर्मियों समेत करीब 40 लोगों को अफगानिस्तान से भारत लाया गया था.
जामनगर : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से वायुसेना का एक विमान 150 भारतीयों को लेकर स्वदेश लौट आया है. भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान गुजरात के जामनगर में उतरा. भारत की धरती पर लौटते ही उनका जोरदार स्वागत किया गया. हालांकि काबुल में अभी भी कई भारतीय फंसे हुए हैं.
इससे पहले भारतीय वायुसेना का सी-19 विमान सोमवार को अफगानिस्तान से कुछ कर्मियों को लेकर भारत लौटा था और मंगलवार को दूसरा विमान भारत आ है. वतन वापसी होते ही जामनगर एयरबेस पर भारतीयों ने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाए गए.
भारत काबुल में हालात पर लगातार नजर रखा है
अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत काबुल में हालात पर लगातार नजर रख रहा है.
जयशंकर अमेरिका के चार दिवसीय दौरे के लिए न्यूयॉर्क में हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की. उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार काबुल में सिख और हिंदू समुदाय के नेताओं के लगातार संपर्क में है. जयशंकर ने कहा, "काबुल में हालात के मद्देनजर, यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास वहां भारतीयों के बारे में सटीक जानकारी हो. अपील की जाती है कि सभी संबंधित लोग इस बारे में विदेश मंत्रालय के विशेष अफगानिस्तान प्रकोष्ठ को सूचना मुहैया कराएं." -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
विकास का छत्तीसगढ़ मॉडल आजादी के दीवानों के सपनों को कर रहा साकार: श्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में किया ध्वजारोहण
मोहला-मानपुर, सक्ती, सारंगढ़-बिलाईगढ़ तथा मनेन्द्रगढ़ जिले के गठन की घोषणा
भूमि के नामांतरण की प्रक्रिया होगी सरल
सभी जिला मुख्यालयों एवं नगर-निगमों में महिलाओं के लिए मिनीमाता उद्यान
महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयु-सीमा का बंधन समाप्त
मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना का नामकरण अब श्री धन्वन्तरी योजना
बिजली कंपनियों में 2500 से अधिक कर्मियों की होगी भर्ती
डायल 112 की सेवा का विस्तार अब पूरे राज्य में
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रदेश की जनता के नाम अपने संदेश के दौरान प्रदेशवासियों को कई ऐतिहासिक सौगातें दी।मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण के सिलसिले को और आगे बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में जिलों का पुनर्गठन करते हुए चार नए जिलों चार नये जिले ‘मोहला-मानपुर’, ‘सक्ती’, ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ तथा ‘मनेन्द्रगढ़’ के गठन की ऐतिहासिक घोषणा की।उन्होंने राज्य में 18 नई तहसीलों के गठन का भी ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि पर निवासरत लोगों को उनकी काबिज जमीन का हक दिलाने के लिए ‘स्वामित्व योजना’ प्रारंभ की भी घोषणा की।
राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में ध्वजारोहण के बाद मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभाकामनाएं दी।उन्होंने राज्य में राजस्व संबंधी कामकाज की जटिलता से राहत दिलाने के लिए नामांतरण की प्रक्रिया को सरल करने, सभी जिला मुख्यालयों एवं नगर-निगमों में महिलाओं के लिए ‘मिनीमाता के नाम से एक उद्यान विकसित करने तथा प्रदेश के महाविद्यालयांे में प्रवेश के लिए आयु-सीमा का बंधन को समाप्त करने की घोषणा की।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनता को रियायती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए नगरीय क्षेत्रों में लागू ‘मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना’ अब ‘श्री धन्वन्तरी योजना’ के नाम से जानी जाएगी।उन्होंने बिजली कंपनियों में विभिन्न पदों पर 2 हजार 500 से अधिक कर्मियों की भर्ती तथा ‘डायल 112’ सेवा की उपयोगिता को देखते हुए इसका विस्तार अब पूरे प्रदेश में किए जाने की घोषणा की।मुख्यमंत्री ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि में काबिज लोगों को हक दिलाने के लिए राज्य में स्वामित्व योजना प्रारंभ किए जाने की घोषणा की।
अमर शहीदों का पुण्य स्मरण
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा कि 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली थी और आज के दिन हम 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। यह हम सबके लिए बहुत सौभाग्य की बात है। भारत ने दो शताब्दी से अधिक समय तक अंग्रेजों की प्रताड़ना और उनका शासन सहा है। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए भारत माता के हजारों-हजार सपूतों और सुपुत्रियों ने अपना सर्वस्व त्याग किया।हंसते-हंसते बलि-वेदी पर चढ़ गए। उन वीरों को याद करते ही हमारी नसों में अपने महान पुरखों का खून उबलने लगता है और उन सबके त्याग के बारे में सोचकर आंखें नम हो जाती हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ ही एक के बाद एक हजारों चेहरे नजरों के सामने आने लगते हैं।अमर शहीद गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई, वीरांगना अवंति बाई लोधी, लाल-बाल-पाल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसे नामों का एक कारवां बनता चला जाता है।
छत्तीसगढ़ महतारी के सपूतों का स्मरणमुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ के वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, मिनीमाता, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल, श्रीमती बेला बाई जैसे अनेक क्रांतिवीरों और मनीषियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज मैं एक बार फिर इन सभी को सादर नमन करता हूं।
शहादत को नमन
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में सामाजिक सौहार्द्र, नागरिकों के बीच एकता और देश की अखण्डता को बचाए रखने के लिए भी अनेक सपूतों ने कुर्बानी दी। उत्तरप्रदेश में गणेश शंकर विद्यार्थी शहीद हुए थे, उन्हीं मूल्यों और सिद्धांतों के लिए महात्मा गांधी, श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी शहीद हुए। शहादत की यह परंपरा इतनी विस्तृत है कि हर प्रदेश में, ऐसी हस्तियों की यादें समाई हुई हैं, जिन्हें सिर्फ आज के दिन ही नहीं बल्कि हर दिन याद करने और उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है। देश की सीमाओं की चौकसी करने वाले सैनिकों और देश के भीतर सुरक्षा बलों में काम कर रहे लाखों जवानों को भी मैं नमन करता हूं, मोर्चों पर जिनकी मौजूदगी से हम सुरक्षित महसूस करते हैं।
पुरखों के सपनों को साकार करने नवा छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा कि 75वां स्वतंत्रता दिवस एक ऐसा पड़ाव है, जहां पर खड़े होकर हमें अपनी विरासत पर गर्व भी होता है और जिसके आगे ‘नवा भारत’ गढ़ने की जिम्मेदारी भी हमें उठानी है। मुझे खुशी है कि अपनी धरोहर का सम्मान करते हुए हमने ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने का जो अभियान पौने तीन वर्ष पहले शुरू किया था, उसका असर न सिर्फ हमारे प्रदेश में दिख रहा है, बल्कि नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के हमारे प्रयासों ने पूरे देश में भी एक नई उम्मीद जगाई है। मुझे यह कहते हुए भी बहुत खुशी हो रही है कि विकास का ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ वास्तव में आजादी के दीवानों के सपनों को साकार कर रहा है। विकास की हमारी समझ, उन मानवीय मूल्यों से प्रेरित है, जो आजादी के आंदोलन की बुनियाद थे। आइए, एक बार फिर याद करें हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अमर वचन। सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने कहा था-हिंसक तरीकों से हमेशा हिंसक आजादी ही मिलेगी और यह भारत तथा दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करेगी। शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा था- हमारे व्यक्तियों को कुचलकर वे हमारे विचारों को नहीं मार सकते। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था- हमारे बलिदान और मेहनत से जो स्वतंत्रता मिलती है, उसे हम अपनी सामर्थ्य से बचाकर रख सकते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था-हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए, जहां से अनुशासन और स्वतंत्रता दोनों का जन्म होता है। लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था- आजादी की रक्षा करना केवल सैनिकों का ही काम नहीं बल्कि पूरे देश को मजबूत होना होगा। प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने पहले भाषण में कहा था-जब तक लोगों की आंखों में आंसू हैं तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा। मैं कहना चाहता हूं कि हमारे पुरखों और महान नेताओं के संदेश में इतनी ताकत थी कि उनसे हमारे देश के संस्कार गढ़े गए। उन्हीं संस्कारों की बदौलत हम ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ रहे हैं। सत्य, अहिंसा, शांति, करुणा, संवेदनशीलता, गरीबों के आंसू पांेछना और कमजोर तबकों को शक्ति देना ही हमारी पहली प्राथमिकता है।
राज्य में संतुलित विकास का प्रयास
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि भाइयों और बहनों, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह सुअवसर मिला था कि राज्य के हर हिस्से में विकास के असंतुलन को समाप्त कर दिया जाए, लेकिन विडम्बना है कि इस दिशा में सही सोच के साथ सही प्रयास नहीं किए गए। हमने देखा कि ग्रामीण और वन क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों के उपयोग और स्थानीय लोगों की भागीदारी से इन अंचलों में तेजी से विकास किया जा सकता है, जिससे गांवों और शहरों के बीच बन गई गहरी खाई को पाटा जा सके। यह भी एक विडम्बना ही रही कि वन अधिकार अधिमान्यता पत्र वितरण से आदिवासी और परंपरागत वन निवासी समुदायों को जमीन का जो अधिकार मिल सकता था, वह भी सही ढंग से नहीं दिया गया। हमने न्याय की शुरुआत इसी मुद्दे से की थी। आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने मात्र पौने तीन वर्षों में एक ओर जहां निरस्त दावों की समीक्षा करके बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र दिए, वहीं दूसरी ओर 44 हजार से अधिक सामुदायिक और 2 हजार 500 से अधिक सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र दिए हैं। इतना ही नहीं, नगरीय क्षेत्रों में भी वन अधिकार पत्र देने वाला अग्रणी राज्य हमारा छत्तीसगढ़ बन गया है। लोहंडीगुड़ा के बाद स्थानीय लोगों को अपनी जमीन का हक दिलाने की यह एक बड़ी मिसाल है। इतना ही नहीं, अब वन अधिकार की जमीनों पर धान उपजाने या वृक्ष लगाने वाले लोगों को भी ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ और ‘मुख्यमंत्री वृ़़क्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ से जोड़ा गया है।
लघु वनोपज बन गए वनवासियों की ताकत
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि आदिवासी और वन आश्रित परिवारों के जीवनयापन का सबसे बड़ा सहारा वनोपज है, लेकिन पहले तेन्दूपत्ता संग्राहकों को मात्र 2 हजार 500 रुपए प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक दिया जाता था, जिसे हमने बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया। पहले मात्र 7 लघु वन उपजों को ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता था। हमने 52 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की है। इनमें से 17 उपजों की दरें हमने बढ़ाई। इस तरह से 500 करोड़ रुपए से अधिक सालाना अतिरिक्त आमदनी हमारे आदिवासी एवं वन आश्रित परिवारों को प्राप्त हो रही है। भारत सरकार द्वारा की गई विस्तृत समीक्षा के हवाले से मैं सिर्फ एक उदाहरण देना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ ने बीते दो वर्षों में 1 हजार 173 करोड़ रुपए की लघु वनोपज खरीदी है, जो कि देश में कुल खरीदी का 74 प्रतिशत है। भारत सरकार ने वन-धन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की तो पाया कि छत्तीसगढ़ 10 मापदण्डों में देश में अग्रणी है। इतना ही नहीं 15 महिला स्वसहायता समूहों को भी वनोपज के कामकाज में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया है। हम जिस बदलाव की बात करते थे, उसकी तस्दीक अब राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है, जिसके लिए मैं वन क्षेत्रों में रहने वाले सभी भाइयों-बहनों, स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं और युवा साथियों को बधाई देता हूं कि स्वावलम्बन की दिशा में उन्होंने बड़ी मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ाए हैं।
परंपरागत कौशल को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि स्थानीय संसाधनों और परंपरागत कौशल को निखारकर जनता के आर्थिक-सामाजिक सशक्तीकरण के लिए लगातार नए कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके तहत अब ‘रजककार विकास बोर्ड’, ‘लौह शिल्पकार विकास बोर्ड’, ‘तेलघानी विकास बोर्ड’, ‘चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड’ जैसी संस्थाओं का गठन किया जा रहा है। जब हम विषमताएं मिटाने की बात करते हैं तो किसान और ग्रामीण जन-जीवन से जुड़ी आजीविका के साधन पर हमारा ध्यान सबसे पहले जाता है। हमने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के माध्यम से जो शुरुआत की थी, उसे अब न्याय देने की दीर्घकालीन व्यवस्था में बदल दिया है। यहां तक कि धान तथा धान के बदले अन्य निर्धारित फसलें और वृक्ष लगाने पर भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा। इस पहल के बाद गांव-गांव से विविध फसलें तथा वृक्षारोपण की खबरें आनी शुरू हो गई हैं, जो वन और ग्रामीण अंचलों में आर्थिक मजबूती का शुभ संकेत है।
छत्तीसगढ़ में रिकार्ड धान खरीदी
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों की जान धान में बसती है, इसलिए हमने धान खरीदी को भी न्याय का मुद्दा बनाया। विगत एक वर्ष में 263 नए धान खरीदी केन्द्र खोले गए और 20 लाख 53 हजार किसानों से 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई। इस तरह से किसानों को समर्थन मूल्य के हिसाब से 17 हजार 240 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा कीर्तिमान है। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत पहले वर्ष में 5 हजार 628 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि समर्थन मूल्य पर धान सहित विभिन्न फसलें बेचने वाले किसानों को दी गई है। योजना के दूसरे वर्ष में भी पहली किस्त के रूप में 1500 करोड़ रुपए से अधिक राशि दी जा चुकी है, और मेरा वादा है कि इस वर्ष भी 5 हजार 703 करोड़ रुपए की राशि चार किस्तों में दी जाएगी। किसानों को न्याय दिलाने के रास्ते पर आने वाली हर बाधा का, हम न केवल सामना करेंगे बल्कि जीतेंगे भी, यह मेरा परम विश्वास है। पहले हमने 1 नवम्बर 2018 की स्थिति में 17 लाख से अधिक किसानों की लंबित सिंचाई जलकर राशि 244 करोड़ रुपए माफ किए थे और अब एक बार फिर 30 जून 2020 तक लंबित सिंचाई जलकर की राशि लगभग 80 करोड़ रुपए माफ करने का निर्णय लिया है।
ग्रामीण अंचल में समृद्धि की सूत्रधार बनीं सुराजी गांव योजना
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा कि ‘सुराजी गांव योजना’ के माध्यम से ‘नरवा-गरुवा-घुरुवा-बारी’ के संरक्षण और विकास में मिल रही सफलता मील का पत्थर है। इसके विस्तार में ‘गोधन न्याय योजना’ से गौवंश के संरक्षण, गौठान की गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला है। जब गोबर के कामकाज से बरसने वाला धन, सवा सौ करोड़ रुपए के पार हो गया है तो आज मैं यह कहना चाहता हूं कि हमने गोबर को गोधन बनाकर दिखा दिया है। मैं दावे के साथ कहता हूं कि गोधन ग्रामीण व शहरी जरूरतमंद तबकों के लिए वरदान साबित होगा। वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस जैसे नए उत्पाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि के सूत्रधार बन रहे हैं। इस सफलता से यह विश्वास हो गया है कि हम छत्तीसगढ़ की माटी को जहरीले रसायनों से आजादी दिलाने में भी सफल होंगे और अच्छे पोषणयुक्त खाद्यान्नों के उत्पादन में भी नया मुकाम हासिल करेंगे। मैं बहुत विनम्रता और भरे हुए दिल से कहना चाहता हूं कि भूमिहीन कृषि मजदूरों की व्यथा को नहीं समझा जाना अमानवीयता की श्रेणी में आएगा।
राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि मुझे संतोष है कि देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सालभर होने वाले कार्यक्रमों में जब देश राष्ट्रीय पर्व का उल्लास मनाएगा तो उसमें हमारे छत्तीसगढ़ के वे मजदूर भी शरीक होंगे, जिन्हें ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ का लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत लगभग 10 लाख मजदूर भाई-बहनों को 6 हजार रुपए सालाना अनुदान सहायता दी जाएगी।
आबादी भूमि पर निवासरत लोगों को जमीन का हक दिलाने स्वामित्व योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि पर निवासरत लोगों को उनकी काबिज जमीन का हक दिलाने के लिए ‘स्वामित्व योजना’ प्रारंभ की जाएगी। भूमि स्वामित्व का अभिलेख मिलने पर बड़ी संख्या में लोग बैंकों से आवासीय ऋण तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। हर वर्ग के लोगों का अपनी जमीन, अपना मकान और अपने सिर पर छांव का सपना जल्दी पूरा करने के लिए हमारी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। छोटे भू-खण्डों की खरीदी-बिक्री और पंजीयन पर पूर्व में लगाई गई रोक एक तरह का अन्याय ही था, जिसे दूर करने के लिए हमने 1 जनवरी 2019 को निर्णय लिया था। आज मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इस फैसले से मध्यम और कमजोर तबकों के अनेक सपने साकार हुए हैं। इसके कारण 2 लाख 28 हजार भू-खण्डों का पंजीयन कराया जा चुका है। जमीन की गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत कमी को आगामी एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। आवासीय भवनों के क्रय पर पंजीयन शुल्क में 2 प्रतिशत की छूट तथा महिलाओं के पक्ष में पंजीयन कराए जाने पर स्टाम्प शुल्क में 1 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट को भी जारी रखा गया है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के माध्यम से ‘राजीव नगर आवास योजना’ लागू की गई है। विभिन्न आवासीय योजनाओं के हितग्राहियों को आर्थिक रियायतें दी गई हैं।
नामांतरण की प्रक्रिया का होगा सरलीकरण
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि राजस्व संबंधी कामकाज की जटिलता से जनता को राहत दिलाने के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने भूमि के नामांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण किए जाने का ऐलान किया।
कुपोषण तथा एनीमिया से मुक्ति दिलाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जो सार्वभौम पीडीएस का वादा किया था, उसे भी प्राथमिकता से पूरा किया गया है, जिसके कारण अब प्रदेश में 2 करोड़ 52 लाख लोगों को रियायती दर पर राशन सामग्री दी जा रही है और पीडीएस का कवरेज बढ़कर 99 प्रतिशत हो गया है, जो अपने आप में हर तबके को न्याय दिलाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता की मिसाल है। सुचारू वितरण के लिए विगत एक वर्ष में 737 नई उचित मूल्य दुकानें स्थापित की गई हैं तथा 9 लाख नए सदस्यों के नाम राशन कार्डों में जोड़े गए हैं। कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान जिन 58 लाख राशन कार्डधारियों को निःशुल्क चावल देना शुरू किया गया था, यह क्रम नवम्बर 2021 तक जारी रहेगा। मेरा मानना है कि कुपोषित पीढ़ियों का निर्माण करना और उन्हें बीमारी व आर्थिक तंगी के भंवर जाल में छोड़ देना, हमारी बहनों और नवजात शिशुओं के साथ सबसे बड़ा अन्याय था। प्रदेश की जनता के आशीर्वाद से हमारी सरकार बनी और कुपोषण तथा एनीमिया से मुक्ति दिलाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई। आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ के कारण प्रदेश में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत तक की कमी आ गई है।लॉकडाउन के दौरान इस अभियान को जारी रखना बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन अपने काम के प्रति समर्पित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने 51 हजार 583 केन्द्रों में दर्ज 26 लाख 27 हजार हितग्राहियों को घर पहुंच ‘रेडी-टू-ईट’ सामग्री प्रदाय की और इस तरह संकट की घड़ी में भी अभियान को जारी रखा। मैं उन सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को साधुवाद देता हूं, जिन्होंने कोरोना संक्रमण के तूफान के बीच ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ का दीया बुझने नहीं दिया।
महिलाओं के लिए मिनीमाता उद्यान
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि हमने शुरूआत से ही मातृशक्ति को अधिकार और सुविधा सम्पन्न बनाने की रणनीति अपनाई है, जिसके तहत अनेक कदम उठाए गए हैं। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं घोषणा करता हूं कि समस्त जिला मुख्यालयों एवं नगर-निगमों में एक उद्यान सिर्फ महिलाओं के लिए विकसित किया जाएगा, जो ‘मिनीमाता उद्यान’ के नाम से जाना जाएगा।
चार नये जिलों और 18 नये तहसीलों के गठन की घोषणा
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई प्रशासनिक इकाइयों का गठन विभिन्न क्षेत्रों में न्याय की खुशखबरी लेकर आता है। पहले भी हमने 4 नये अनुविभाग और 29 तहसीलें बनाई हैं। 25 तहसीलों के गठन का कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा। उन्होंने राज्य में 18 नई तहसीलों के गठन की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन की सुविधाओं को जनता के अधिक से अधिक निकट लाना हमारा प्रमुख लक्ष्य है, इसलिए मैंने मुख्यमंत्री बनने के 8 माह के भीतर 15 अगस्त 2019 को ‘गौरेला- पेण्ड्रा-मरवाही’ जिला बनाने की घोषणा की थी। नए जिले का शुभारम्भ भी 6 माह के भीतर कर दिया गया था। विकेन्द्रीयकरण के सिलसिले को और आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य में जिलों का पुनर्गठन करते हुए चार नए जिलों ‘मोहला-मानपुर’, ‘सक्ती’, ‘सारंगढ़-बिलाईगढ़’ तथा ‘मनेन्द्रगढ़’ के गठन की घोषणा की।
स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के कारण जिन क्षेत्रों में कामकाज सर्वाधिक प्रभावित हुआ उनमें शिक्षा का क्षेत्र प्रमुख है। लेकिन छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को अनेक नवाचारों के जरिए निरंतर जारी रखा गया। कोरोना से शैक्षणिक सत्र को अवरुद्ध नहीं होने दिया गया। ऑनलाइन कक्षाएं, पारा-मोहल्लों में कक्षाएं लगाकर पढ़ाई कराई गई। इतना ही नहीं शिक्षा की गुणवत्ता को शाला स्तर से बढ़ाने हेतु ‘स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना’ के तहत 171 सरकारी स्कूलों का उन्नयन कर इन्हें सर्वसुविधायुक्त बनाया गया है। मुझे खुशी है कि हमारे प्रदेश के बच्चों ने अंग्रेजी मीडियम में शिक्षा की जोरदार ललक दिखाई है। इन स्कूलों में कुल 1 लाख 36 हजार 500 बच्चों ने प्रवेश लिया है, जिसमें से 70 हजार बच्चे अंग्रेजी माध्यम के हैं तथा 66 हजार 500 बच्चे हिन्दी माध्यम के हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह शाला में अधोसंरचना उन्नयन का लाभ अंग्रेजी तथा हिन्दी दोनों माध्यमों के बच्चों को मिल रहा है। हम इस योजना को विकासखण्ड स्तर तक ले जाना चाहते हैं। हमने शिक्षकों का अभाव दूर करने के लिए भी ठोस प्रयास किए हैं, जिसके रास्ते में आई बाधाओं को दूर करते हुए शासकीय स्कूलों में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं को नियुक्ति पत्र देने का काम पूरा किया जा रहा है। वहीं महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारी आदि के 1 हजार 440 पदों पर भी नियुक्ति देने का काम शीघ्र पूरा होगा। इस तरह हम शिक्षा जगत को अनिश्चय तथा आशंकाओं से मुक्ति दिलाते हुए प्रदेश में उद्देश्यपरक सार्थक शिक्षा का वातावरण बना रहे हैं।
महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयु-सीमा बंधन समाप्त
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि प्रचलित व्यवस्था के अनुसार प्रदेश के महाविद्यालयांे में, स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयु-सीमा का बंधन है। आज मैं उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ने वाले युवाओं के हित में आयु-सीमा के इस बंधन को समाप्त करने की घोषणा करता हूं।
स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाना हमारा संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेढ़ दशकों से छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव दूर करने, उसे जरूरतमंद जनता तक पहुंचाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने को लेकर भी तदर्थवाद चल रहा था। हमने स्पष्ट प्राथमिकताएं तय कीं। तत्काल भवन बनाकर सुविधाएं जुटाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव होता है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि सरकार पीड़ित जनता को अपने हाल पर छोड़ दे। इसलिए हमने गांवों, कस्बों, बसाहटों, पारा-मोहल्लों तक सुसज्जित चलित अस्पताल व शिविरों की सुविधाएं पहुंचाने की व्यवस्था की। ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’, ‘दाई-दीदी क्लीनिक’ जैसे नवाचारों का लाभ लाखों लोगों को मिला है। ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ तथा ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’ देश की सबसे बड़ी आर्थिक मददगार योजना सिद्ध हुई है। पौने तीन साल पहले तक बस्तर में मलेरिया का प्रकोप बहुत अधिक था। हमने ‘मलेरियामुक्त बस्तर अभियान’ चलाया तो बीजापुर जिले में 71 प्रतिशत तथा दंतेवाड़ा जिले में 54 प्रतिशत मामले विगत एक वर्ष में कम हो गए। समूचे बस्तर में 45 प्रतिशत और समूचे सरगुजा संभाग में 60 प्रतिशत तक की कमी आई। इस तरह हमने अब ‘मलेरियामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ का शंखनाद किया है। मेरा विश्वास है कि हमारे समर्पित स्वास्थ्यकर्मियों की बदौलत यह अभियान भी सफल होगा।हमने डॉक्टरों तथा अन्य सुविधाओं की कमी दूर करने हेतु प्राथमिकता से कदम उठाए हैं, जिसके कारण ढाई वर्षों के अल्प समय में ही स्नातक चिकित्सकों, विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा दंत चिकित्सकों की संख्या 1 हजार 378 से बढ़कर 3 हजार 358 पहुंच गई। इसी प्रकार विभिन्न स्तरों के मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग 18 हजार से बढ़कर 22 हजार हो गई। अस्पतालों में आईसीयू बिस्तरों की संख्या 279 से बढ़कर 729, एचडीयू बिस्तरों की संख्या शून्य थी, जो अब बढ़कर 515 हो गई, ऑक्सीजनयुक्त बिस्तरों की संख्या 1 हजार 242 से बढ़कर 7 हजार एक सौ, सामान्य बिस्तरों की संख्या 15 हजार से बढ़कर लगभग 30 हजार, वेंटिलेटर्स की संख्या 204 से बढ़कर 723 हो गई। ऑक्सीजन सिलेण्डर और कन्सेंट्रेटर की संख्या तीन गुने से अधिक बढ़ गई है।
मुख्यमंत्री सस्ती दवाई योजना का नामकरण अब धन्वंतरी योजना
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा कि प्रदेश की जनता को रियायती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना’ नगरीय क्षेत्रों में लागू है। अब यह ‘श्री धन्वन्तरी योजना’ के नाम से जानी जाएगी। हमारी संवेदनशीलता के साथ तत्काल निर्णय लेने की प्रक्रिया के चलते छत्तीसगढ़, ‘कोरोना’ से अन्य राज्यों की तुलना में कम प्रभावित हुआ। हम लगातार काम कर रहे हैं ताकि संभावित तीसरी लहर में भी छत्तीसगढ़ के लोगों को अधिक क्षति न पहुंचे। मैं आप लोगों से यह अपील करना चाहता हूं कि ‘कोरोना’ को हल्के में न लें। कोरोना प्रोटोकॉल का हर स्तर पर पालन करें। भीड़ में न जाएं, सही ढंग से मास्क पहनें, साबुन से हाथ धोते रहें और टीके के दोनों डोज समय पर लगवाएं। किसी भी प्रकार की असावधानी नुकसानदेह होती है। संक्रमण से बचने का सबसे सुरक्षित उपाय ‘सावधानी’ ही है। ‘कोरोना’ से लड़ने वाले फ्रंट लाइन वारियर्स को मैं सलाम करता हूं, वहीं कोरोना से प्रदेश के जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, समस्त शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।
16 हजार करोड़ रूपए की लागत से सड़क एवं पुल-पुलिया का निर्माण
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने हर तरह की अधोसंरचना को व्यापक जनहित के नजरिए से देखा है कि अधूरे काम तेजी से पूरे हों और नए काम इस तरह से मंजूर किए जाएं जिससे अधिकाधिक लोगों को लाभ मिले। प्रदेश में 16 हजार करोड़ रूपए की लागत से सड़कों-पुल-पुलियों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है और स्पष्ट लक्ष्य रखा गया है कि सारे काम दो साल में पूरे कर लिए जाएं। ‘राम वन गमन पथ’ वास्तव में भगवान राम के वनवासी रूप के प्रकटीकरण का पथ है। इस महान मानवीय मूल्य को लोक आस्था के साथ जोड़ते हुए 2 हजार 260 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण करने का बड़ा लक्ष्य हमने रखा है और इसके प्रथम चरण का कार्य भी प्रगति पर है।
विद्युत कम्पनियों में 2500 कर्मियों की भर्ती
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में भी अधूरी पड़ी योजनाओं के कारण बहुत बड़ा निवेश जनहित में उपयोग नहीं हो पा रहा था और परियोजनाएं ठप्प पड़ी थीं। इसलिए हमने बिजली के क्षेत्र में भी प्राथमिकताएं तय की। हमने अति उच्च दाब पारेषण तंत्र की 500 करोड़ रुपए लागत की परियोजनाएं, वितरण तंत्र की करीब 2 हजार 700 करोड़ रुपए लागत की परियोजनाएं पूरी कराई, जिसका लाभ अब विभिन्न क्षेत्रों को मिलने लगा है। अब नए सिरे से परियोजनाएं बनाई गई हैं, जो प्रगति पर हैं। इनसे प्रदेश में बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में और अधिक सुधार तथा स्थायित्व आएगा। ‘हाफ बिजली बिल योजना’ का लाभ 39 लाख 63 हजार लोगों को 1 हजार 822 करोड़ रुपए की बचत के रूप में मिला है। निःशुल्क बिजली प्रदाय योजना का लाभ 6 लाख किसानों तथा 18 लाख बी.पी.एल. उपभोक्ताओं को मिला है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारी बिजली कंपनियों में विभिन्न पदों पर 2 हजार 500 से अधिक कर्मियों की भर्ती की जा रही है, जिसमें जूनियर इंजीनियर से लेकर मैदानी स्तर पर काम करने वाले लाइन अटेंडेंट के पद शामिल हैं, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बिजली कंपनी में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में नियमित भर्ती हो रही है, जिनमें छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को नियुक्ति दी जाएगी। इसमें से 1 हजार 500 लाइन अटेंडेंट पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिए गए हैं। शेष पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही है, शीघ्र ही उसके लिए भी विज्ञापन जारी किए जाएंगे।
429 सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृत
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें विरासत में 18 हजार करोड़ रुपए लागत की अधूरी 543 सिंचाई परियोजनाएं मिली थीं, जिनमें से अब 138 परियोजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं और 405 का काम प्रगति पर है। 17 दिसम्बर 2018 के बाद 1 हजार 657 करोड़ रुपए की लागत की 429 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 12 परियोजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं तथा 417 परियोजनाएं भी शीघ्रता से पूरी करने हेतु जोर दिया जा रहा है। मैं बताना चाहता हूं कि आगामी दो वर्षों में भाटापारा शाखा नहर, प्रधानपाठ बैराज, खरखरा मोहदीपाट, जोंक व्यपवर्तन सिंचाई परियोजनाओं का लाभ भी मिलना शुरू हो जाएगा।‘जल जीवन मिशन’ के माध्यम से हम ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि 39 लाख ग्रामीण घरों में वर्ष 2023 तक नल से शुद्ध पेयजल देने का काम पूरा हो जाए। भाइयों और बहनों, निश्चित तौर पर हमारा लक्ष्य ग्रामीण तथा वन क्षेत्रों, किसानों तथा वन आश्रित परिवारों को तेजी से विकसित कर सामान्य अंचलों के लोगों की बराबरी में लाना है, लेकिन हम विकास की किसी भी संभावना को छोड़ना नहीं चाहते और उसमें हर अंचल के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी पूरी प्राथमिकता से बढ़ाना चाहते हैं।
राज्य में 18 हजार 492 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के संसाधनों से राज्य में ही वेल्यू एडिशन के लिए जो भी व्यक्ति या संस्था आएंगे, उन सबका हार्दिक स्वागत है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमारी भावना निवेशकों तक सही अर्थों में पहुंची है, जिसके कारण विगत ढाई वर्षों में प्रदेश में 18 हजार 492 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश से 1 हजार 145 नए उद्योग स्थापित हुए हैं और 28 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है। मैं बताना चाहता हूं कि वृहद उद्योगों में 51 हजार करोड़ रुपए से अधिक पूंजीनिवेश करने के लिए बडे़ महत्वपूर्ण एमओयू भी हुए हैं, जिनमें लगभग 72 हजार स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलना प्रस्तावित है। सरकारी, अर्धसरकारी, निजी, नगरीय-ग्रामीण-वन जैसे हर क्षेत्र में हमने नए रोजगार के अवसर बनाए हैं। नियमों को शिथिल करते हुए अनेक लोगों को अनुकम्पा नियुक्ति दी गई है। तृतीय लिंग समुदाय के लोगों को पुलिस में भर्ती किया गया है। विभिन्न उपायों से बेरोजगारी दर को 22 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक लाने में सफलता मिली है, यह एक स्वतंत्र एजेंसी का आकलन है।
बस्तर फाइटर्स बटालियन के तहत 2 हजार 800 पदों पर भर्ती
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी हो रही है कि छत्तीसगढ़ में बरसों से लंबित समस्याओं का हल इन पौने तीन वर्षों में हुआ है और अब प्रदेश की फ़िजा मंे हर ओर विकास के नए रंग उभरने लगे हैं। विरासत में मिली नक्सलवाद की समस्या पर अंकुश लगाने में मिल रही सफलता उत्साहवर्धक है। ‘बस्तर फाइटर्स’ बटालियन के तहत 2 हजार 800 नए पदों पर भर्ती की जाएगी। नक्सल प्रभावित जिलों में 63 सुदृढ़ पुलिस थाना भवनों का निर्माण किया जा रहा है। पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए कार्ययोजना मंजूर की गई है।
डायल 112 अब पूरे प्रदेश में
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि ‘डायल 112’ सेवा की उपयोगिता को देखते हुए इसका विस्तार अब पूरे प्रदेश में किया जाएगा। पुलिस बल को तनाव मुक्त रखने और जन-सरोकारों के लिए अधिक जागरूक करने हेतु कई कदम उठाए गए हैं जैसे-संकट निधि, स्पंदन, शहीद सम्मान निधि, मेरिट स्कॉलरशिप, थानों में संवेदना कक्ष, बाल मित्र कक्ष, महिला हेल्प डेस्क, राज्य साइबर थाना आदि। इस प्रकार हम पुलिस बल को नए तरीके से सजग और सुसज्जित कर रहे हैं। भाइयों और बहनों, यह एक विडम्बना ही है कि देश की आजादी के 75वें साल का उत्सव मनाते वक्त भी हमें कहीं न कहीं उन प्रवृत्तियों, उन प्रतिक्रियावादी ताकतों का मुकाबला करना पड़ रहा है, जो 1947 के समय उभार पर थीं। शांति, अहिंसा और साम्प्रदायिक सद्भाव की बुनियाद को कमजोर करने वाली ताकतों का पोषण कहां से होता है, यह बात समझना भी हमारी आजादी के मूल्यों को समझने के समान होगा।नई आशाओं का गढ़ बनेगा छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि स्वतंत्र भारत के महान संविधान का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता का रास्ता अपनाना, तब भी हमारी जरूरत थी और आज भी हमें इसकी जरूरत है। आज इस पावन तिरंगे की छांव में खड़े होकर हम एक बार फिर यह संकल्प लेते हैं कि गांधी-नेहरू-अम्बेडकर के रास्ते पर, संविधान के सिद्धांतों पर चलेंगे, भले ही रास्ता कितना भी कठिन और चुनौतियों से भरा क्यों न हो।
मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ मॉडल से देश में विकास की जो नई अवधारणा विकसित हो रही है, समरसता और भागीदारी के साथ विकास का जो नया वातावरण बन रहा है, उससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के प्रति देश का विश्वास मजबूत होगा, छत्तीसगढ़ न सिर्फ देश और दुनिया के लिए नई आशाओं का गढ़ बनेगा बल्कि इसका लाभ भारत को अपनी विरासत, मूल्यों और सिद्धांतों के अनुरूप आगे बढ़ाने में भी मिलेगा। छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय गौरव के केन्द्र के रूप में सम्मानित होगा। हम ऐसा ही ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने को प्रतिबद्ध हैं।
समारोह में छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री शैलेष नितिन त्रिवेदी, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, छत्तीसगढ़ मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री एम.आर.निषाद, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री राजकुमारी दीवान, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक श्री डी.एम.अवस्थी सहित अन्य गणमान्य नागरिक एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने बधाई संदेश में कहा है कि लाखों देशभक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष, समर्पण, त्याग और बलिदान से हमें आजादी मिली है। आजादी का यह पर्व हमें उन सभी अनाम योद्धाओं, शहीदों और वीर जवानों की याद दिलाता है। जिनके बलबूते आज हम आजाद वातावरण में सांस ले रहे हैं। उन्हें याद कर मन उनके प्रति सम्मान और गर्व से भर जाता है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने देश में स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियांे सहित छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय चेतना का विस्तार करने वाले सभी पुरखों को नमन किया। उन्होंने कहा कि संघर्षों से मिली आजादी अनमोल है, हर नागरिक का कर्तव्य है कि इसे अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गांधीवादी सोच के साथ ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। सरकार की प्राथमिकता समाज के सबसे कमजोर तबकों को सशक्त बनाने, गांवों को मजबूत करने और हर व्यक्ति तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की है। राज्य सरकार द्वारा गांव, गरीब, किसानों के साथ महिलाओं और बच्चों के लिए लागू की गई योजनाओं के सकारात्मक परिणाम सामने आनेे लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना जैसी लोक हितकारी योजनाएं लागू की गई हैं। जनकल्याण के काम को आगे बढ़ाते हुए राजीव गांधी के नाम पर भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना लागू करने जा रहे हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में राज्य की चुनिंदा प्रमुख खरीफ फसलों को लाया गया है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना भी लागू की गई है।
श्री बघेल ने कहा कि आजादी के बाद देश सबसे बड़ी कोरोना महामारी की त्रासदी से लड़ाई लड़ रहा है। कोरोना संकट अभी टला नहीं है इस वैश्विक चुनौती से जीतने के लिए हमें दृढ़ इच्छा शक्ति, आपसी सहयोग और ऐहतियात की जरूरत है। कोरोना काल में राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश की जनता तथा संस्थाओं ने अद्भुत कार्य किए। आगे भी इसी एकजुटता के साथ हम कोरोना से लड़ाई जीतने में सफल होंगे। -
मुंबई : महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट ने अब महाराष्ट्र में एक नई दहशत पैदा कर दी है। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य में अभी तक कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से 5 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से दो लोगों की मौत रत्नागिरि और एक-एक मरीज की मौत मुंबई, बीड़ और रायगढ़ में हुई है। डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से जिन पांच लोगों की जान गई है, वो सभी 65 साल से ऊपर की उम्र के थे और उन्हें कुछ अन्य बीमारियां भी थीं।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि मृतकों में से दो लोग कोरोना वायरस वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे, जबकि दो ने वैक्सीन की एक-एक डोज ली थी। पांचवें मृतक के वैक्सीनेशन को लेकर कोई पुख्ता जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।इनके अलावा महाराष्ट्र में अभी तक कोरोना वायरस डेल्टा प्लस वेरिएंट के कुल 66 मामले सामने आ चुके हैं। इससे पहले 8 अगस्त को यह आंकड़ा 45 था और महज 6 दिनों के भीतर 21 नए मरीज मिले हैं। डेल्टा प्लस वेरिएंट के नए मामले मुंबई, पुणे और कुछ अन्य जिलों में मिले हैं।
डेल्टा प्लस से संक्रमित 7 मरीज 18 साल से कम उम्र केस्वास्थ्य विभाग ने बताया कि कोरोना वायरस डेल्टा प्लस वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले जलगांव जिले में मिले हैं, जहां यह संख्या 13 है। इसके बाद रत्नागिरी में 12 और मुंबई में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 11 केस सामने आए हैं। कुछ 66 मामलों में से 32 मरीज पुरुष, जबकि बाकी महिलाएं हैं। इनमें सात मरीज ऐसे भी हैं, जिनकी उम्र 18 साल से कम है।
देश में फिर से बढ़े कोरोना के केस
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों के दौरान देश में कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़े हैं। जिन पांच राज्यों में कोरोना वायरस के दैनिक मामलों की संख्या ज्यादा है, उनमें केरल के अलावा महाराष्ट्र भी शामिल है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि लोगों को अभी भी कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की जरूरत है। -
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने कहा कि मारे गए आतंकवादी की पहचान पाकिस्तान के उस्मान के रूप में हुई है, जो पिछले छह महीनों से सक्रिय एक 'खतरनाक आतंकवादी' था.
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है. नेशनल हाइवे पर हमले की साजिश रच रहे एक पाकिस्तानी आतंकवादी के कुलगाम जिले में एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया है. वहीं किश्तवाड़ जिले से हिज्बुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को गिरफ्तार भी किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि कुछ दिन पहले आतंकवाद की राह पर निकले मुजम्मिल शाह को पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान में पतिमुहल्ला पालमार के कुलना वन क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने उसके पास से एक ग्रेनेड, एक मैगजीन और एके-47 राइफल की 30 गोलियां बरामद की है. अधिकारियों के मुताबिक, डेक्चन थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और मामले की जांच जारी है.
नेशनल हाइवे पर हमले की रच रहा था साजिश
कुलगाम में रात भर चली मुठभेड़ उस समय शुरू हुई थी जब एक इमारत में छिपे दो आतंकवादियों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बीएसएफ के काफिले पर 'अंधाधुंध' गोलीबारी शुरू कर दी. सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की आवाजाही की निगरानी के लिए ड्रोनों की मदद ली. कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने कहा कि मारे गए आतंकवादी की पहचान पाकिस्तान के उस्मान के रूप में हुई है, जो पिछले छह महीनों से सक्रिय एक 'खतरनाक आतंकवादी' था.
आईजीपी ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से जानकारी मिल रही थी कि 'आतंकवादी बारामूला-श्रीनगर रोड या काजीगुंड-पंथा चौक से राष्ट्रीय राजमार्ग पर हमला करने की साजिश रच रहे थे. इसलिए, पुलिस और सुरक्षा बल तैयार थे. इससे पता चलता है कि सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया कितनी अच्छी रही है कि जवाबी कार्रवाई के दौरान आतंकवादी को भागने नहीं दिया गया.'' -
पिछले 24 घंटे में कोरोना से 42,295 मरीज ठीक हुए हैं. पूरे देश में कुल 3,13,02,345 लोग करोना से ठीक हो चुके हैं. रिकवरी रेट भी अभी तक की सबसे ज्यादा 97.46% पर है. पिछले 24 घंटे में वैक्सीन की 57,31,574 डोज लगी है. अब तक कुल वैक्सीनेशन 52,95,82,956 हो चुका है.
देश में कोरोना के मामले आज फिर 40 हजार के पार आए हैं. देश में पिछले 24 घंटे में 40,120 नए मामले दर्ज हुए हैं और 585 लोगों की मौत हुई है. इससे भारत में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 3,85,227 हो गई है. पिछले 24 घंटे में कोरोना से 42,295 मरीज ठीक हुए हैं. पूरे देश में कुल 3,13,02,345 लोग करोना से ठीक हो चुके हैं. रिकवरी रेट भी अभी तक की सबसे ज्यादा 97.46% पर है. पिछले 24 घंटे में वैक्सीन की 57,31,574 डोज लगी है. अब तक कुल वैक्सीनेशन 52,95,82,956 हो चुका है.डेली पोजिटिविटी रेट 2.04% है. पिछले 19 दिनों से यह 3 प्रतिशत से नीचे है. वहीं वीकली पोजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है. यह 2.13% है.
मुंबई में डेल्टा प्लस वेरिएंट से पहली मौत
बता दें कि मुंबई में कोविड-19 के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पहली मौत हुई है. मृतक 63 वर्षीय महिला हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली थी. 21 जुलाई को वह टेस्ट में कोविड पॉजिटिव पाई गई थीं और 27 जुलाई को उनका निधन हो गया. महिला को डायबिटीज समेत कई परेशानियां थीं. वह मुंबई के सात रोगियों में से एक थीं, जो हाल ही में डेल्टा प्लस वेरिएंट से ग्रस्त पाए गए थे. उनके 2 करीबी संपर्कों में भी डेल्टा प्लस की पहचान की गई है. असप्ताल में वह ऑक्सीजन सपोर्ट पर थीं और उन्हें स्टेरॉयड और रेमडेसिविर दिया गया था. मृतक महिला की कोई ट्रेवल हिस्ट्री भी नहीं थी.केरल में कोरोना के मामले 21 हजार के पार
गौरतलब है कि केरल में गुरुवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 21,445 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 36,31,638 हो गयी है. राज्य सरकार ने बताया कि पिछले 24 घंटे में संक्रमण से 160 लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद प्रदेश में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या 18,280 हो गई.
पश्चिम बंगाल में कोरोना के 700 नए मामले सामने आए
प. बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के 700 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की कुल संख्या बढ़ कर 15,35,699 हो गयी है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक बुलेटिन में इसकी जानकारी दी गयी है. पिछले 24 घंटे में संक्रमण से छह लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद प्रदेश में मरने वालों की संख्या 18,258 पर पहुंच गई. राज्य में 10,163 मरीज उपचारधीन हैं. पिछले 24 घंटों के दौरान 746 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं और राज्य ठीक होने वाले लोगों की संख्या अब 15,07,278 हो गई है. अब तक 1,62,09,825 नमूनों की जांच की जा चुकी है.
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
‘‘नमन अंचल के शहीदों को‘‘ पुस्तक का विमोचन
जयंती पर नगर पंचायत खरोरा में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर और रक्त दान शिविर का आयोजन
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय से खरोरा नगर पंचायत में शहीद योगेन्द्र शर्मा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए।इस मौके पर उन्होंने धरसींवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला टेकारी का नामकरण शहीद योगेन्द्र शर्मा के नाम पर किए जाने की घोषणा की।उन्होंने इस मौके पर कहा कि शहीद योगेन्द्र शर्मा के प्रेरणादायी व्यक्तित्व और सेवा-भावना को कभी भूला नहीं जा सकता। उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके कार्याें को सदैव आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शहीद योगेन्द्र शर्मा की स्मृति में ‘‘नमन अंचल के शहीदों को‘‘ पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने जयंती कार्यक्रम की शुरूआत शहीद योगेन्द्र शर्मा को श्रद्धासुमन अर्पित कर की। खरोरा नगर पंचायत में जयंती कार्यक्रम के अवसर पर आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर और रक्त दान शिविर के लिए मुख्यमंत्री ने शुभकामनाएं दी।
इस मौके पर मुख्यमंत्री निवास पर शहीद योगेन्द्र शर्मा की धर्मपत्नी एवं विधायक धरसींवा श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, सुपुत्र श्री हर्षित शर्मा सहित श्री विपिन त्रिपाठी, श्री भोला तिवारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल खरोरा नगर पंचायत में छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, श्री प्रमोद शर्मा, श्री मण्डल दास गिलहरे, श्री सुभाष मिश्र सहित नगर पंचायत खरोरा के पार्षद, एल्डरमेन सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि शहीद योगेन्द्र शर्मा का जन्म 12 अगस्त 1962 को धरसींवा विकासखंड की ग्राम-पंचायत टेकारी में हुआ था। बचपन से ही वे जिंदा-दिल और बुलंद हौसले के धनी थे। वे एक ऊर्जावान और संभवानाओं से भरपूर लोकप्रिय जनप्रतिनिधि थे।
उन्होंने दुर्गा कॉलेज से छात्र-राजनीति की शुरुआत की। वे 1985-86 में विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुए। वे छात्र-जीवन से ही सतत् रूप से जनसेवा से जुड़े रहे। उन्होंने जनपद पंचायत और जिला पंचायत सदस्य के रूप में क्षेत्र की जनता की अमूल्य सेवा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने धरसींवा क्षेत्र में मजदूरों और उद्योगपतियों के बीच एक सेतु की तरह काम करते हुए दोनों का सदैव सहयोग किया। उन्होंने छात्रों को महाविद्यालय में प्रवेश दिलाने से लेकर पढ़ाई के दौरान आने वाली हर छोटी-बड़ी समस्याओं के निराकरण में हमेशा मददगार की भूमिका निभाई।
उनके इसी समर्पण और सेवा से उनकी राजनीति की दिशा तय हुई। आगे चलकर वर्ष 1995 से 2000 तक वे निर्विरोध जनपद सदस्य के रूप सक्रिय रहे। सन् 2000 से 2005 तक उन्होंने जिला पंचायत सदस्य के रूप में सेवा की। उन्होंने इस चुनाव में रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 मई 2013 को झीरम घाटी हमले में हमने अपने अनेक वरिष्ठ नेताओं और जुझारू कार्यकर्ताओं को खो दिया। इन्हीं में योगेंद्र शर्मा भी थे। उनके विचारों और अधूरे कामों को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनिता योगेंद्र शर्मा आगे बढ़ा रही हैं। विधायक के रूप में निर्वाचित होकर वे उसी सेवाभावना तथा समर्पण से कार्य करते हुए उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बना रही हैं। कार्यक्रम को छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन ने भी सम्बोधित किया। -
आज विपक्ष दलों के सांसद संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च कर रहे हैं. इस मार्च में राहुल गांधी भी शामिल है. राहुल के अलावा सांसद शशि थरूर भी इस मार्च में हिस्सा ले रहे हैं.
राज्यसभा में कल हुए हंगामे को लेकर आज विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च किया. इस मार्च में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए. इस दौरान राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि विपक्ष को संसद में बोलने की अनुमति नहीं है. यह लोकतंत्र की हत्या है. इससे पहले आज राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में विपक्षी दलों के नेताओं ने बैठक की थी.
राहुल गांधी ने कहा, ‘’सरकार ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं करवाई, जासूसी कांड पर भी चर्चा नहीं करवाई. सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है. देश की 60 प्रतिशत जनता की आवाज नहीं सुनी गई. जनता की आवाज का अपमान हुआ है. हम किसानों के मुद्दे संसद के अंदर नहीं उठा सके, इसलिए बाहर आए हैं. यह लोकतंत्र की हत्या से कम नहीं है.’’
मुझे लगा मैं पाकिस्तान बॉर्डर पर खड़ा हूं- संजय राउत
वहीं, मार्च में शामिल शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ''मार्शल्स की ड्रेस में बाहर से प्राइवेट लोगों ने कल जो महिला सदस्यों के साथ किया, उससे लगा जैसे मार्शल लॉ लगा हो. मुझे लगा मैं पाकिस्तान बॉर्डर पर खड़ा हूं.'' कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार इस देश को तानाशाही से चला रही है. ये देश की तासीर के खिलाफ है. विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा.
राज्यसभा में हुए हंगामे को लेकर विपक्ष का प्रदर्शन
बताया जा रहा है कि 15 पार्टियों के नेता और संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च कर रहे हैं. पैदल मार्च करने के बाद विपक्ष के नेता राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से भी मिलेंगे. कल जनरल इंश्योरेंस बिल को लेकर राज्यसभा में ज़बरदस्त हंगामा हुआ था. विपक्ष ने सरकार पर मार्शलों के ज़रिए बदतमीजी का आरोप लगाया तो सरकार ने विपक्षी सांसदों पर मार्शल से मारपीट का आरोप लगाया.
पूरे देश को बदनाम कर रहा है विपक्ष- सरकार
विपक्ष के प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा है, ''कांग्रेस पार्टी और कुछ और विपक्ष के लोग तो शुरू से ही कह रहे थे कि हम संसद के सत्र को वाशआउट करने के लिए वाशिंग मशीन लेकर आए हैं. आप सिर्फ संसद को ही बदनाम नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूरे देश को बदनाम करने की षड़यंत्र और साजिशें कर रहे हैं.''
आज जंतर मंतर पर दिल्ली कांग्रेस और दलित कांग्रेस का प्रदर्शन
वहीं, कांग्रेस का दलित उत्पीड़न के खिलाफ आज हल्ला बोल है. दिल्ली कांग्रेस और दलित कांग्रेस दलितों पर अत्याचार के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेगी. इस प्रदर्शन में राहुल गांधी समेत कई अन्य बड़े नेता भी शामिल होंगे. -
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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ’मिनीमाता स्मृति दिवस’ के कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में पूर्व सांसद मिनीमाता के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में नगरीय विकास मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया,कार्यक्रम स्थल पर गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति समिति के अध्यक्ष श्री के. पी. खांडे, समिति की संरक्षक एवं राजश्री सदभावना समिति की अध्यक्ष श्रीमती शकंुन, नगर निगम रायपुर के एमआईसी मेम्बर सुंदर जोगी, श्री चेतन चंदेल सहित अन्य समाज जन उपस्थित थे।
कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि के अवसर पर राजधानी के न्यू राजेंद्र नगर स्थित गुरु घासीदास सांस्कृतिक भवन में गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक समिति द्वारा किया गया। -
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मुख्यमंत्री कृषि उपज मंडी दुर्ग के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अश्वनी साहू के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में शामिल हुए
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने की जिम्मेदारी कृषि उपज मंडियों की है। किसानों की जरूरतों और समस्याओं को ध्यान में रखकर किसानों और व्यापारियों के बीच कृषि उपजों की खरीद और बिक्री की और अधिक पारदर्शी व्यवस्था करें, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य समय पर मिल सके।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कृषि उपज मंडी समिति दुर्ग के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अश्वनी साहू के पदभार ग्रहण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने नई जिम्मेदारी मिलने पर श्री अश्वनी साहू को बधाई और शुभकामनाएं दी।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे और वन मंत्री और दुर्ग जिले के प्रभारी श्री मोहम्मद अकबर इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में उपस्थित थे। दुर्ग में कृषि उपज मंडी समिति कार्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, विधायक श्री अरुण वोरा, नगर पालिका निगम दुर्ग के महापौर श्री धीरज बाकलीवाल, पूर्व विधायक श्रीमती प्रतिमा चंद्राकर, जिला पंचायत दुर्ग की अध्यक्ष श्रीमती शालिनी यादव, जिला पंचायत दुर्ग के उपाध्यक्ष श्री अशोक साहू, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के अध्यक्ष श्री जवाहर वर्मा, दुर्ग नगर निगम के सभापति श्री राजेश यादव, छत्तीसगढ़ अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम की उपाध्यक्ष सुश्री नीता लोधी, पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य श्री आर.एन. वर्मा, छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालम चक्रधारी सहित अनेक जनप्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानून से किसानों के हित खतरे में है। किसान अपने भविष्य को लेकर बहुत आशंकित हैं। इन कानूनों के दुष्प्रभावों से छत्तीसगढ़ के किसानों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने मंडी अधिनियम में संशोधन कर किसानों के हितों को संरक्षित किया है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत किसान लघु और सीमान्त किसान हैं, इन किसानों की उपज के सही तौल और सही मूल्य के साथ खरीदी की व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मदारी मंडियों की है। बाजार में कृषि उपज के मूल्य में उतार-चढ़ाव की सूचनाएं किसानों को आधुनिक संचार साधनों का उपयोग करते हुए समय से उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए। कृषि उपज मंडी क्षेत्र में उपज के भंडारण और कृषि उत्पादों में वेल्यूएडिशन की अधिक से अधिक व्यवस्था कर हम किसानों की आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कृषि क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। परम्परागत धान की फसल के साथ-साथ अन्य फसलों की ओर भी किसानों का रूझान बढ़ रहा है। यह अच्छे भविष्य का सुखद संकेत है। ऐसी परिस्थितियों में किसानों को सही सलाह और सुझाव देने की आशंका है ताकि वे अधिक लाभकारी फसलों का चुनाव कर सकें। राज्य सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से धान, गन्ना, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलों में किसानों को आदान सहायता देकर उन्हें प्रोत्साहित कर रही है।
इससे आने वाले समय में इन फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा, हमें उसी के अनुरूप आंकलन कर विपणन की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी होंगी। कृषि उपज मंडियों का यह प्रयास होना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में ऐसी बाजार व्यवस्था का निर्माण किया जाए, जिसमें उत्पादक किसानों के लिए जोखिम कम से कम हो और उन्हें मोलभाव करने की ताकत मिले, समय पर उन्हें भुगतान प्राप्त हो। बघेल ने कहा कि कृषि उपज मंडी और धान खरीदी केंद्रों में लगभग 4000 चबूतरों का निर्माण किया गया है, जिसमें इस वर्ष लाखों टन धान को खराब होने से बचाया गया। इन चबूतरों पर शेड का निर्माण भी मंडियों को करना है, ताकि फसलें बचाई जा सकें। उन्होंने आशा जताई कि मंडियों के जागरूक एवं अनुभवी पदाधिकारी यह काम तेजी से आगे बढ़ाएंगे।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि सी-मार्ट की स्थापना का कार्य दुर्ग से प्रारंभ होगा। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों और बिहान की महिला समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के मार्केटिंग की व्यवस्था भी मंडी में की जानी चाहिए। कृषि उपज मंडियों कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग इकाईयों की स्थापना, कोल्ड चेन और मार्केटिंग की व्यवस्था करने की दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि दुर्ग कृषि उपज मंडी परिसर 50 एकड़ में फैला है जहां इन व्यवस्थाओं को विकसित करने की काफी संभावनाएं हैं।
वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने श्री अश्वनी साहू को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें राज्य शासन द्वारा महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष को बहुत से अधिकार प्राप्त हैं जिनका उपयोग वे किसानों के हित में कर सकते हैं। उन्होेंने कहा कि मंडी अधिनियम में संशोधन कर राज्य सरकार ने कृषि उपज मंडियों को सशक्त बनाने का काम किया है।
गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू और विधायक श्री अरूण वोरा ने भी नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अश्वनी साहू को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कुशलतापूर्वक करते हुए किसानों के हित में कार्य करेंगे। स्वागत भाषण श्री बीरेन्द्र बहादुर पंचभाई ने दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री निर्मल कोसरे ने किया। -
नई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस के मामले बीते दो दिनों से कम होते नजर आ रहे हैं। बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस के 28 हजार 204 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, 41 हजार 511 रिकवरी हुईं और 373 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। ये राहत देने वाली बात है कि पिछले 24 घंटों में नए मामले और मौतें घटी हैं, तो रिकवरी दर बढ़ी है।
भारत में पिछले 24 घंटे में नए कोरोना मामलों में 20 फीसद से ज्यादा कमी आई है। इस दौरान देश में कोरोना वायरस की 54 लाख 91 हजार 647 वैक्सीन लगाई गईं, जिसके बाद कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 51 करोड़ 45 लाख 268 पहुंच गया है।
भारत में अब तक कुल 3 करोड़ 19 लाख 98 हजार 158 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। अब तक कुल 3 करोड़ 11 लाख 80 हजार 968 लोग इस जानलेवा वायरस को मात दे चुके हैं।देश में इस समय सक्रिय मामलों की संख्या 3 लाख 88 हजार 508 है। अब तक देश में कोरोना वायरस की चपेट में आकर 4 लाख 28 हजार 682 लोगों की मौत हो चुकी है।
देश में सक्रिय मामले कम हो रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहे केरल में स्थिति सुधरती नजर नहीं आ रही है। रविवार को कम जांच होने के चलते सोमवार को नए मामलों में तो कमी आई, लेकिन केरल फिर भी आधे से अधिक मामले पाए गए।हालांकि, राज्य में मृतकों की संख्या सौ से नीचे आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंक़़डों के मुताबिक, सक्रिय मामलों में लगातार तीसरे दिन भी गिरावट दर्ज की गई और एक्टिव केस चार लाख के नीचे आ गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में आज 147 दिनों में कोरोना वायरस के सबसे कम 28,204 नए मामले सामने आए। देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले अब 3,88,508 हैं, जो 139 दिनों में सबसे कम हैं।दरअसल, भारत में कई मोर्चों पर कोरोना वायरस संक्रमण को मात देने के लिए जंग लड़ी जा रही है। एक तरह शारीरिक दूरी और मास्क लगाने को लेकर केंद्र सरकार लोगों को जागरूक कर रही है। वहीं, दूसरी ओर ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने लगाने का अभियान जारी है। बीते 24 घंटों में भी 54,91,647 वैक्सीन लगाई गई हैं।
इधर, कोरोना जांच पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक, भारत में सोमवार को कोरोना वायरस के लिए 15,11,313 सैंपल टेस्ट किए गए। बता दें कि अब तक कुल 48,32,78,545 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अपने निवास कार्यलय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में प्रयास आदर्श आवासीय विद्यालयों, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों एवं जिलों के स्थानीय प्रकल्पों से आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आई.टी. तथा मेडिकल कालेजों में प्रवेशित कुल 83 छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने इन विद्यार्थियों में से अनुराग लकड़ा, संदीप कुमार तिग्गा, कु. ज्योति रउतिया एवं कु साक्षी भगत को अपने निवास कार्यालय में तथा शेष 79 विद्यार्थियों को वर्चुअल रूप से सम्मानित किया। इन सभी विद्यार्थियों को इस अवसर पर लेपटाप के लिए 50-50 हजार रूपए की अनुग्रह राशि भी दी गई।
उल्लेखनीय है वर्ष 2021 की जेईई एडवांस की परीक्षा से आईआईटी में प्रवेशित अनुराग लकड़ा (वर्तमान में आईआईटी, खडगपुर में अध्ययनरत) एवं संदीप कुमार तिग्गा (आईआईटी बीएचयू में अध्ययनरत) प्रयास आवासीय विद्यालय, सडडू, रायपुर के छात्र है, जबकि कु. ज्योति रउतिया (नीट2000 क्वालीफाई एवं मेडिकल कॉलेज, रायपुर में प्रवेशित) तथा कु साक्षी भगत (मेडिकल कॉलेज, अंबिकापुर में प्रवेशित) प्रयास कन्या आवासीय विद्यालय, गुढियारी, रायपुर की छात्राएं हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थिति थे।
विदित हो कि प्रयास विद्यालय- मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना का एक महत्वपूर्ण घटक है, इसके अंतर्गत प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों के मेधावी छात्र/छात्राओं को कक्षा 9वीं से 12वीं तक अध्यापन के साथ-साथ जे.ई.ई. मेन-एडवांस), नीट, पी.ई.टी., क्लेट, सी. ए. आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग दी जाती है। वर्तमान में 09 प्रयास विद्यालय रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, कांकेर, बस्तर, कोरबा तथा जशपुर जिले में संचालित हैं, जिसमें कुल 4120 सीटें स्वीकृत हैं। अब तक इन विद्यालयों से 70 छात्र आई.आई.टी. 221 छात्र एन.आई. टी. और ट्रिपल आईटी तथा 772 विद्यार्थी इंजीनियरिंग कालेजों तथा 39 विद्यार्थी मेडिकल कालेजों में प्रवेश हेतु चयनित हो चुके हैं।
इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्वक शिक्षा उपलब्ध कराकर सामान्य जाति के विद्यार्थियों के समकक्ष लाना, उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो, इस हेतु एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय प्रारंभ किए गए हैं। शिक्षण सत्र 2020-21 में कुल 71 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय प्रदेश में कक्षा 6वीं से 12वीं तक संचालित हैं। इनमें प्रति कक्षा 60 विद्यार्थियों के मान से प्रत्येक विद्यालय में 420 बच्चों को प्रवेश देने का प्रावधान है। इस शिक्षण सत्र से 04 नवीन एकलव्य विद्यालय प्रारंभ किए जाने की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। इस प्रकार अब एकलव्य विद्यालयों की संख्या बढ़कर 75 हो जाएगी। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
- लोकवाणी के सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
- साथियों, लोकवाणी कार्यक्रम की बीसवीं कड़ी के प्रसारण का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। आज के प्रसारण का विषय है- ‘आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास’।
- इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी और आप सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत है, अभिनंदन है, जय जोहार।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- सब्बो सियान मन, दाई-दीदी, संगवारी अउ भतीजा-भतीजी मन ल, मोर डहर ले जय जोहार, जय सियाराम।
- आप जम्मो मन ल हरेली तिहार के गाड़ा-गाड़ा बधाई। अब्बड़ अकन सुभकामना।
- हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार हरेली ह, साल के पहली तिहार होथे।
- आज के दिन अपन गांव-घर म जाके, गोठान ल लीप-पोत के बने तैयार करे जाथे, अउ गउ माता के पूजापाठ करे जाथे।
- गाय-बइला ल लोंदी खवाय के परंपरा घलो हे।
- हरेली, छत्तीसगढ़ी रोटी-पिठा खाए के तिहार हवय, खेलकूद, नाचा अउ मनोरंजन के तिहार घलोक हवय।
- घर-अंगना, मैदान-चौपाल म, हमर परंपरा अनुसार ग्रामीण खेल खेले जाथे।
- गेड़ी म चढ़ के ठाठ से चले जाथे।
- हरेली तिहार म खेती-बारी के अउजार नांगर-बक्खर, हंसिया- टंगिया, कुदारी-रापा के साफ-सफाई अउ पूजापाठ करे जाथे।
- लोगन मन नाचत-गावत ये तिहार ल मनावत हवय, त एक तरह से खुसी अउ समृद्धि ल नेवता देवत हवय।
- हमर सरकार बने के तुरंत बाद, पहली बार छत्तीसगढ़िया भावना ल ध्यान म रख के हरेली तिहार सहित पांच तिहार के सरकारी छुट्टी घोषित करे गे हे। ओखर सेती सहर म अउ दूसर जगह जाके काम-बुता करइया मन ल मउका मिले हे, के अपन गांव-खेत-खार-खलिहान-गौठान, नंदिया-तरिया कोती जाए अउ गांव म घूम-घूम के हरेली तिहार मनाए।
- ये छुट्टी के बेवस्था करे ले, लोगन मन अपन लोग-लइका संग हरेली के दिन, गांव जावत हवय, अउ अपन संस्कृति ल तीर ले देखत हवय।
- ये महिना तिहार-बार के महिना हे, तेखर सेती मैं ह, आप सब्बो मन ल 13 अगस्त के नागपंचमी, 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस, 21 अगस्त के ओणम, 22 अगस्त के राखी, 28 अगस्त के कमरछठ
हलषष्ठी अउ 30 अगस्त के आठे तिहार याने कृष्ण जन्माष्टमी के, पहली ले बधाई घलोक देवत हंव। सावन महिना में शंकर भगवान के पूजापाठ के महीना हवय, ओकरो बहुत-बहुत बधाई।
- माननीय मुख्यमंत्री जी। प्रदेश के 146 में से 85 विकासखण्डों में आदिवासी जनसंख्या की बहुलता है। हमारा आदिवासी समाज, अपनी संस्कृति और प्रकृति से बहुत प्यार करता है। इसलिए आदिवासी अंचलों में विकास की अपेक्षाएं अन्य क्षेत्रों की तुलना में कुछ अलग ही होती हैं। आइए सुनते हैं, इस संबंध में कुछ विचार और फिर आपका जवाब।
एंकर
1.सतीश उपाध्याय
माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आदिवासी अंचल, कोरिया जिले से बोल रहा हंू। सतीश उपाध्याय नाम है। मनेन्द्रगढ़ कोरिया में लाखों-वर्ष पुराना मेरीन फॉसिल्स पार्क इतने दिनों से पड़ा हुआ था, लेकिन आपके निर्देशन से अभी बायोडायवर्सिटी हेरीटेज साइट में काम शुरू हो गया है।
माननीय मुख्यमंत्री जी, मनेन्द्रगढ़ में जैव विविधता पार्क का भी चिन्हांकन किया गया है और कोरिया जिले में सबसे प्रमुख बात यह है कि छत्तीसगढ़ के पहले वन प्रदर्शन प्रक्षेत्र की भी आधारशिला रखी गई है, जो 21 एकड़ क्षेत्रफल में बनेगा और आने वाले समय में ‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ के तहत और कोरिया कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से फलोद्यान, वनोपज, इमारती तथा जलाऊ लकड़ी के अच्छे स्रोत मिलेंगे।
28 जुलाई को नई तहसील पटना के गठन का प्रकाशन राजपत्र मंे हो गया है। आपने कोरिया प्रवास के दौरान वादा किया था, वह पूर्ण हुआ। कोरिया की जनता आपको बहुत-बहुत साधुवाद देती है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- अब आदिवासी अंचल की अपेक्षा और विकास की बात शुरू हो रही है तो सबसे पहले मैं आदिवासी भाई-बहनों को कल विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अग्रिम बधाई देता हूं।
- मैं बताना चाहता हूं कि हमने सरकार में आने के बाद, प्रदेश में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।
- हमारा मानना है कि इससे हमारे आदिवासी भाई-बहनों, बच्चों और सभी लोगों को आदिवासी समाज की परंपराओं, संस्कृतियों और उनके उच्च जीवन मूल्यों को समझने का अवसर मिला है।
- इससे आदिवासी समाज और आदिवासी अंचलों के आयोजनों में सभी समाज के लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी और सभी मिलकर समरसता और सौहार्द्र का खुशनुमा वातावरण बनाने में सफल होंगे।
- अब आता हूं सतीश जी के सवाल पर।- आपने कोरिया जिले की पटना तहसील के गठन की बात कही। मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमने ढाई वर्षों में जो 29 नई तहसीलें और 4 नए अनुविभाग गठित किए हैं, उनमें से अधिकतर आदिवासी अंचल में ही हैं।
- कोरिया जिले में पटना के साथ चिरमिरी और केल्हारी तहसीलें भी गठित की गई हैं। इसके अलावा कबीरधाम जिले में रेंगाखार-कला, सरगुजा जिले में दरिमा, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में रामचंद्रपुर, सामरी, सूरजपुर जिले में लटोरी, बिहारपुर, जशपुर जिले में सन्ना और सुकमा जिले में गादीरास आदि प्रमुख हैं। इसी तरह चार नवीन अनुविभागों में दंतेवाड़ा का बड़े बचेली और बस्तर का लोहंडीगुड़ा शामिल है।- बरसों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए हमने गौरेला-पेण्ड्रा- मरवाही को जिला ही नहीं बनाया बल्कि आदिवासी बहुल इस आबादी वाले क्षेत्र को उनका हक भी दिया।
- महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक सभी महान नेताओं ने सत्ता के विकेन्द्रीकरण पर जोर दिया था। इसकी वजह थी कि नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन से लोगों को अपनी भूमि, खेती-किसानी से संबंधित काम, बच्चों की पढ़ाई, नौकरी या रोजगार से संबंधित कामों के लिए बहुत दूर का सफर न करना पड़े। दूर जाकर रात न रुकना पड़े। इससे उनका पैसा भी बचे और समय भी। इससे उनके जीवन में आने वाली सुविधा से सुख और सफलता के नए रास्ते खुलें। सरकारी योजनाओं का बेहतर अमल हो। हमने इसे ही प्रशासनिक संवेदनशीलता का मूलमंत्र बनाया।
- जहां तक मेरीन फॉसिल्स पार्क/जैव विविधता पार्क का सवाल है तो सिर्फ कोरिया ही नहीं, बल्कि हर जिले में हम अपनी ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर को सहेजने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं।- आपने ‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ के बारे में पूछा है तो बताना चाहता हूं कि इस योजना को मैं आने वाले समय में स्थानीय लोगों, आदिवासी और वन आश्रित परिवारों की आय के बहुत बड़े साधन के रूप में देख रहा हूं।
- खुद लगाए वृक्षों से इमारती लकड़ी की कटाई और फलों को बेचकर, लोगांे की आय बड़े पैमाने पर बढ़ेगी। इस संबंध में नियम-कानून बनाए गए हैं।- निजी लोगों को ही नहीं, बल्कि पंचायतों और वन प्रबंधन समितियों को भी पेड़ लगाने और काटने के अधिकार दिए गए हैं। इससे एक ओर जहां बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए लोग प्रोत्साहित हांेगे, वहीं हमारा छत्तीसगढ़ वन तथा वनोपज के रूप में अपने आपको और भी अधिक सशक्त बना सकेगा।
2. विनय कुमार मरकाम
मैं विनय कुमार मरकाम बोल रहा हूं। डौंडी ब्लॉक से बोल रहा हूं। बालोद जिला से। हां सर अभी जो आदिवासियों के विकास के लिए जो अपेक्षाएं और विकास के लिए जो विषय मिला है। सर, मैं एक युवा ही बोल रहा हूं, जो आदिवासी क्षेत्र से सम्बन्ध रखता हूं और यहां पर हमारी जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं जैसे कि बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य, दूसरी जो आवश्यकता होगी, जो मूलभूत आवश्यकता पूर्ण होगी, उसके बाद हमारे लिए बेहतर भविष्य का विकास किया जा सकता है। स्कूल है, स्वास्थ्य है, प्राथमिक शिक्षा की कमी है, व्यावसायिक परीक्षा हो गया, रोजगार हेतु इसकी ज्यादा आवश्यकता है। सर, स्कूल में शिक्षकों की कमी है।
3. सोमनाथ
- मैं सोमनाथ, दरभा विकासखण्ड का रहने वाला हूं। माननीय मुख्यमंत्री जी, आप कई बार कहते हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर आपका विशेष फोकस रहेगा। आदिवासी अंचलों में इन चीजों को लेकर आप क्या कर रहे हैं और उसका लाभ हमें किस तरह से मिलेगा? कृपया यह बताने का कष्ट करें।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब- विनय जी/सोमनाथ जी।- निश्चित तौर पर आदिवासी अंचलों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है।- हमने सरकार में आते ही इसी प्राथमिकता से काम शुरू किया।
- स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी जरूरत अस्पतालों और सुविधाओं की होती है। हमने डीएमएफ मद से ये जरूरतें पूरी करने का फैसला किया। इसके लिए आवश्यक नियम बनाए हैं। सीएसआर और अन्य मदों की राशि भी इन्हीं प्राथमिकताओं के लिए खर्च करने की रणनीति अपनाई है।
- हमारी नई व्यवस्था के कारण बीजापुर, दंतेवाड़ा और जगदलपुर में अब उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं। सुकमा जिले में भी बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके नतीजे जल्दी आएंगे।- सामान्य जिलों से अधिक संख्या में और अधिक विशेषज्ञता वाले डॉक्टर अब बस्तर में हैं। इसके कारण आपात स्थितियों में जिन मरीजों को रायपुर भेजना पड़ता था और उसमें जो समय लगता था, उसकी बचत हुई और आपदा में होने वाली मृत्यु की संख्या में भी बहुत कमी आई है।
- हमने देखा कि आदिवासी अंचलों के मरीज हाट-बाजार तक जाते हैं लेकिन अस्पताल नहीं पहुंच पाते। इसे समझते हुए हमने तय किया कि अस्पताल ही क्यों न हाट-बाजार पहंुचाए जाएं।- इस तरह ‘एक पंथ-दो काज’ की तर्ज पर हमारे आदिवासी भाई-बहनों का उपचार हाट-बाजारों में होने लगा।- इसका लाभ 11 लाख से अधिक लोगों को मिल चुका है।
- मुख्यमंत्री बनने के बाद मैं यह देखकर हैरान रह गया था कि छत्तीसगढ़ में पांच वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार थे और 15 से 49 वर्ष तक की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया अर्थात खून की कमी से ग्रस्त थीं। आदिवासी जिलों में हालत और भी खराब थी।
- हमने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया, जिसमें डीएमएफ और जनभागीदारी के योगदान को बढ़ावा दिया।
- बच्चों को दूध, अण्डा, स्थानीय प्रचलन के अनुसार पौष्टिक आहार दिया, जिसके कारण कुपोषण और एनीमिया की दर में तेजी से कमी आ रही है।
- बस्तर में मलेरिया के कारण स्थिति गंभीर थी। हमने ‘मलेरिया मुक्त बस्तर’ अभियान शुरू किया, जिसके तहत हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर और जंगल-जंगल जाकर मलेरिया के खिलाफ जीत दर्ज कराई है।- एक साल में बस्तर संभाग में मलेरिया का प्रकरण 45 प्रतिशत और सरगुजा संभाग में 60 प्रतिशत कम हो जाना, एक सुखद खबर है।
- यूएनडीपी और नीति आयोग ने हमारे मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की तारीफ करते हुए बीजापुर जिले में मलेरिया में 71 प्रतिशत तथा दंतेवाड़ा में 54 प्रतिशत तक कमी करने की सफलता को बेस्ट प्रेक्टिस के रूप में सराहा है और अन्य आकांक्षी जिलों को भी इस अभियान को अपनाने की सलाह दी है।
- अच्छी सेहत के लिए विशेष रणनीतियों के अलावा राज्य स्तर पर जो सुधार के प्रयास चल रहे हैं, उनका लाभ भी आदिवासी अंचलों को मिल रहा है।
- शिक्षा के लिए हमने संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया। जिसके कारण सुकमा जिले के जगरगुंडा में 13 वर्षों से बंद स्कूल बीते साल खुल चुका है। कुन्ना में नक्सलवादियों ने जो भवन उड़ा दिया था, उसका पुनर्निर्माण कराके मैंने लोकार्पण किया। अभी नए सत्र में दंतेवाड़ा जिले के मासापारा-भांसी में भी 6 सालों से बंद स्कूल अब खुल गया है।
- नक्सलियों ने पहले इन स्कूलों को तोड़ा था, अब हमारी नई नीति का ही असर है कि आत्मसमर्पित नक्सलियों ने इन स्कूलों को बनाने में योगदान दिया है।- कोरोना काल में पढ़ाई तुंहर पारा अभियान के तहत लाखों बच्चों को उनके गांव-घर-मोहल्लों में खुले स्थानों पर भी पढ़ाया गया।
- प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में समझाना अधिक आसान होता है इसलिए हमने 20 स्थानीय बोली-भाषाओं में पुस्तकें छपवाईं, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में मिला।
- 20 साल बाद प्रदेश में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के ठोस प्रयास शुरू किए गए। कुछ बाधाएं भी आई थीं लेकिन अब सभी 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति आदेश दे दिए गए हैं।
- इससे आदिवासी अंचलों में भी स्थायी शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी।
- आदिवासी अंचलों में मॉडल छात्रावासों तथा आश्रमों का विकास किया जा रहा है।एंकर- माननीय मुख्यमंत्री जी, आदिवासी समाज अपने जल-जंगल- जमीन और परंपराओं से बेहद प्यार करता है। बड़े से बड़े संकट में भी वह अपना घर नहीं छोड़ना चाहता। आपने इस बात को गंभीरता से समझते हुए निश्चित तौर पर आदिवासी अंचलों में विकास की नई प्रणाली शुरू की है।
- इस संबंध में हमें बहुत से विचार मिले हैं। आइए सुनते हैं, उनमें से कुछ की आवाजें।
4 यशोदा पुजारी- माननीय मुख्यमंत्री जी को मेरा नमस्कार। मेरा नाम यशोदा पुजारी, ग्राम पंचायत चेरपाल। माननीय मुख्यमंत्री जी, आप ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने आदिवासी समुदाय से, जंगल में रहने वाले लोगों से यह पूछा है कि हमें क्या चाहिए? मेरा मानना है कि जो हमें चाहिए वो नहीं दिए जाने के कारण ही बस्तर के विकास में रुकावटें आई थीं। लेकिन खुशी की बात है कि आपने हमारी नजरों से देखा और हमारी आवाज को महत्व दिया।
आज जिस तरह से हमारी संस्कृति, देवगुड़ी, घोटुल, हमारी बोली- भाषाओं, हमारी वनोपजों, हमारी जमीनों और हमारे रोजगार को लेकर आप योजनाएं बना रहे हैं और उन्हंे अमल में ला रहे हैं, उससे लगने लगा है कि हम वास्तव में छत्तीसगढ़ के नागरिक हैं और छत्तीसगढ़ सरकार को हमसे प्यार है।
5 अजय बघेल- माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरा नाम अजय बघेल है। मैं ग्राम पोलमपल्ली जिला सुकमा से बोल रहा हूं। माननीय मुख्यमंत्री जी, बरसों से हम लोग यह सुनते-सुनते थक गए थे कि आदिवासी लोग वनोपज बीनने के अलावा कोई काम नहीं कर सकते और इसी वजह से उनका विकास नहीं होता।
वास्तव में हमारे सामने किसी सरकार ने दूसरे विकल्प रखे ही नहीं थे। आपने बहुत से लोगों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़कर रोजगारी और कारोबारी भी बना दिया है। मैं आपकी सोच के लिए धन्यवाद देता हूं और चाहता हूं कि इस बारे में आप हमें विस्तार से बताएं।
6 दयाल सिंह- नमस्कार माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी। मैं दयाल सिंह बैगा ग्राम बैरन जिला कबीरधाम से बात करत हवं। महोदय जी, छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल म जेन उपज के पैदावार होथे ओकर सम्बन्ध में आपके का राय हे ? का अइसन फसल घलो हे का जेमा हमर छोड़, पूरा प्रदेश घलो गर्व कर सके? अइसन उपज ल बढ़ावा देके आदिवासी अंचल म स्वालम्बन व खुशहाली के नवा रद््दा घलो खुल सकत हे? धन्यवाद, महोदय जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- नमस्कार, यशोदा जी, अजय जी, दयाल जी।
- जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था तब हम सबको लगा था कि अब आदिवासी अंचलों और शेष क्षेत्रों के बीच जो विकास का अंतर है, उसे दूर कर लिया जाएगा।- लेकिन हमने देखा कि विगत 15 वर्षों में यह अंतर और भी अधिक बढ़ गया।
- इसकी वजह क्या थी? इसकी वजह थी आदिवासी समाज और आदिवासी अंचलों की जरूरतों को समझे बिना, मंत्रालय में बैठकर योजनाएं बनाना और उन्हें जनता पर लाद देना।- हमने यह समझ लिया कि सोच बदले बिना, तरीका बदले बिना, आदिवासी अंचलों का भला नहीं हो सकता।
- इसलिए हमने सबसे पहले विश्वास जीतने की बात की।
- इसके लिए निरस्त वन अधिकार पट्टों के दावों की समीक्षा, जेल में बंद आदिवासियों के प्रकरणों की समीक्षा कर अपराध मुक्ति, बड़े उद्योग समूह के कब्जे से आदिवासियों की जमीन वापस लौटाने का निर्णय, तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने का निर्णय लिया।
- इन शुरुआती फैसलों से ही आदिवासी अंचलों में सरकार और व्यवस्था के प्रति विश्वास का नया दौर शुरू हो गया।
- हमने वनोपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने के बारे में बहुत तेजी से निर्णय लिए, जिसके कारण 7 से बढ़ाकर 52 वनोपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था हो गई।
- हमने पुरानी दरों को भी बदला जिसके कारण वनोपज संग्रह से ही 500 करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त सालाना आमदनी का रास्ता बन गया।
- अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी, रागी जैसी फसलों को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने के इंतजाम किए हैं तथा लाख को कृषि का दर्जा दिया है।
- वन अधिकार मान्यता पत्रधारी परिवारों के खेतों में उपजे धान को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई, वहीं इन्हें ‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ से भी जोड़ दिया है।
- वनोपज संग्रहण में महिला स्वसहायता समूहों को जोड़ने के प्रयोग में बहुत बड़ी सफलता मिली है।
- मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी होती है कि हम जितना आगे बढ़ते हैं, उससे अधिक रफ्तार से आदिवासी भाई-बहन आगे बढ़ रहे हैं।
- इतने कम समय में आदिवासी अंचलों के उत्पाद बाजार में अपना नाम, पहचान और पकड़ बनाने लगे हैं।
- बस्तर का चार-चिरौंजी-काजू-कॉफी, इमली, माड़िया या रागी, दंतेवाड़ा का कड़कनाथ, सुकमा-कोण्डागांव का तिखुर, जिमी कांदा, तीरथगढ़ का पपीता, कांकेर का शरीफा-सीताफल, सल्फी-पदर की काली मिर्च, जशपुर की चाय और कटहल, मैनपाट का टाऊ, सूरजपुर का काला गेहूं, सरगुजा का ब्राउन राइस, देवभोग का विष्णुभोग चावल, सरगुजा का जवाफूल चावल, लुड़ेग का टमाटर आदि ऐसे उत्पाद बन गए हैं, जो अपने अनोखे स्वाद के साथ ही बेहतरीन गुणों के लिए भी पहचाने जाते हैं।
- हमने इनके उत्पादन और मार्केटिंग के लिए व्यावसायिक तरीके से काम शुरू किया है, जिसका लाभ बड़े पैमाने पर मिलेगा।
- जहां तक आदिवासी संस्कृति और आदिवासी आस्था केन्द्रों के विकास का सवाल है तो आपने देखा होगा कि देवगुड़ी और घोटुल स्थलों के विकास के लिए भी हमने योजना बनाकर काम शुरू किया है। आदिवासी संस्कृति के विभिन्न घटकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।- प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन भी हमने किया था। इस तरह समग्र रूप से प्रयास किए जा रहे हैं।
एंकर- माननीय मुख्यमंत्री जी, आदिवासी अंचलों में अधोसंरचना विकास को लेकर कुछ दुविधाएं लंबे समय से प्रचलित हैं। इसके बारे में हकीकत जानने के लिए हमारे कुछ श्रोताओं ने अपने विचार रखे हैं। बोदागुड़ा बस्तर से क्षीर सागर की आवाज में सुनते हैं, उनके विचार।
7 क्षीर सागर, बोदागुड़ा जिला बस्तर- माननीय मुख्यमंत्री जी असन मान्तोर आइकी अधोसंरचना चो विकास सवाए प्रकार चो विकास चो जननी आए, मान्तर आमचो बस्तर ने कोनी-कोनी लगे सड़क बिजली चो सम्बन्ध ने असन्धारणा बन्दी सेे की ए सब ले आमचोे संस्कृति के नुकसान पहुचे दे ए सब बात ने तुमचो काए विचार आए। तुमचो हिसाब ले बस्तर और दूसर आदिवासी अंचल ने अधोसंरचना चो विकास कसन होउ सके दे।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- क्षीर सागर जी।
- वास्तव में हमारे आदिवासी समाज ने प्रकृति से तालमेल बिठाते हुए जीना सीखा है।
- आदिवासी भाई-बहनों के पास एक परंपरागत कौशल होता है कि वे अपने सुख-दुःख और रोजमर्रा की जिंदगी में किस तरह से अपना काम निकालें। इसलिए उनकी आवश्यकताएं सीमित होती हैं।- ये आदर्श स्थिति उस समय की होती है कि जब उनके जीवन में कोई भी बाहरी तत्व का प्रवेश नहीं हो पाए। लेकिन आज दुनिया एक विश्व गांव की तरह हो गई है। दुनिया में होने वाले बदलावों का असर घने जंगलों में अपने जीवन में रमे आदिवासी समाज पर भी पड़ता है।
- जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का असर आदिवासी अंचलों में रहन-सहन से लेकर आजीविका तक पड़ा है। ऐसी स्थिति में आदिवासी समाज को अपने हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता बल्कि उनकी रुचि, संस्कार, कौशल, परंपरा से मेल खाते हुए ऐसी सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी है, जिससे वे बदलावों का मुकाबला कर सकें।
- इसलिए वहां की परिस्थितियों से मेल खाती हुई सड़कों, भवनों, बिजली, पानी, चिकित्सा, पोषण, शिक्षा, परिवहन, संस्कृति और आजीविका का संरक्षण, बाहरी प्रभावों से प्रभावित हुए रोजगार के साधनों का नए सिरे से विकास आदि ऐसे जरूरी काम हैं, जिन्हें किया जाना अत्यावश्यक है।
- मुझे खुशी है कि मनरेगा से लेकर वनोपज के कारोबार तक, कौशल उन्नयन से लेकर परंपरागत रोजगार तक, स्वास्थ्य के लिए चेतना से लेकर जीवन स्तर में सुधार तक हर दिशा में आदिवासी समाज के कदम आगे बढ़ रहे हैं।
- हमारी सरकार की योजनाओं में आदिवासी समाज की सशक्त भागीदारी साफ दिखाई पड़ रही है।
- हमने बहुत सोच विचार के सड़कों के विकास की योजना बनाई है।
- प्रदेश में 16 हजार करोड़ रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे हमारे आदिवासी अंचलों को सैकड़ों ऐसी सड़कें मिलेंगी, जिनका इंतजार वे दशकों से कर रहे थे।- नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क बहाल करने के लिए हम
1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से सड़कें बना रहे हैं।
- आदिवासी अंचलों में बिजली की सुविधा देने के लिए सबसे बड़ा काम अति उच्च दाब के चार वृहद उपकेन्द्र का निर्माण पूरा कर लिया गया है।
- नारायणपुर, जगदलपुर, बीजापुर और सूरजपुर जिले के उदयपुर में ये उपकेन्द्र प्रारंभ हो जाने से बिजली आपूर्ति सुचारू हो गई है।
- इसके अलावा विगत ढाई वर्षों में आदिवासी अंचलों में सौर ऊर्जा से संचालित 74 हजार सिंचाई पम्प, 44 हजार से अधिक घरों में रोशनी और लगभग 4 हजार सोलर पेयजल पम्पों की स्थापना की गई है, जो अपने आप में कीर्तिमान है।
- इस तरह आदिवासी अंचलों में जनहितकारी अधोसंरचना के विकास पर बल दिया गया है।
एंकर8 किशन लाल- माननीय मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मेरा नाम किशन लाल है और मैं छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले से बोल रहा हूं। मेरा सवाल यह है कि आदिवासी अंचलों की वनोपजों के प्रसंस्करण को लेकर आपकी क्या राय हैं और इस काम को किस तरह से आगे बढ़ाना चाहते हैं? कृपया इस संबंध में जानकारी देने का कष्ट करें, जिससे कि हमारे युवा साथी इसे समझ सकें और अपना भविष्य बना सकें।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- जय जोहार, किशन लाल जी, आपने बहुत अच्छा सवाल किया। हमारी सरकार बनते ही, सबसे पहले हमने बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा में एक बड़े उद्योग की स्थापना के नाम से ली गई आदिवादियों की जमीन वापसी की घोषणा की। उसके बाद जब राहुल गांधी जी आए, तब उनके हाथों से 10 गांवों के 1 हजार 707 किसानों को 4 हजार 200 एकड़ जमीन के दस्तावेज प्रदान किए गए थे।
इस तरह आदिवासियों को न्याय दिलाने का सिलसिला शुरू हो गया था। कोण्डागांव में मक्का प्रोसेसिंग इकाई का शिलान्यास किया गया। इस तरह प्रदेश में कृषि उपज और वन उपज की प्रोसेसिंग हेतु विभिन्न स्थानों में इकाइयां स्थापित करने की दिशा में काम शुरू हुआ।
- अब प्रदेश में 146 विकासखण्डों में से 110 विकासखण्डों में फूडपार्क स्थापित करने हेतु भूमि का चिन्हांकन तथा अनेक स्थानों पर भूमि हस्तांतरण भी किया जा चुका है।
- छत्तीसगढ़ में अभी 139 वनधन विकास केन्द्र स्थापित हो चुके हैं, जिनमें से 50 केन्द्रों में वनोपजों का प्रसंस्करण भी हो रहा है। इस काम में लगभग 18 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
- छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’ के नाम से 121 उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है।
- भारत सरकार की संस्था ट्रायफेड द्वारा दो दिन पहले ही अर्थात 6 अगस्त को छत्तीसगढ़ को लघु वनोपज की खरीदी तथा इससे संबंधित अन्य व्यवस्थाओं के लिए 11 राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। मैं बताना चाहूंगा कि छत्तीसगढ़ प्रथम रहा है तो उन वर्गों में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले राज्यों की उपलब्धियां काफी कम है।जैसे हम 52 प्रकार की लघु वनोपज खरीदते हैं तो दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र मात्र 21। हमने 1 हजार 173 करोड़ रुपए की लघु वनोपज खरीदा तो दूसरे स्थान पर उड़ीसा ने मात्र 30 करोड़ रुपए की। मूल्य संवर्धन कर उत्पादों की हमारी बिक्री राशि 4.24 करोड़ रुपए है तो दूसरे स्थान पर मणिपुर की मात्र
1.98 करोड़ रुपए है। केन्द्र की राशि के उपयोग के मामले में छत्तीसगढ़ की राशि 180.51 करोड़ रुपए है तो दूसरे स्थान पर आंध्रप्रदेश की मात्र 4.51 करोड़ रुपए है। यह हमारे आदिवासी अंचलों के साथ पूरे प्रदेश के लिए भी गौरव का विषय है।
- दुर्ग जिले में 78 करोड़ रुपए से अधिक लागत पर एक वृहद प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जा रही है।
- मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि राज्य में वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए वनांचल उद्योग पैकेज लागू किया गया है।
- वनोपज के अलावा अन्य काम भी हो रहे हैं। उदाहरण के लिए दंतेवाड़ा में रेडिमेड कपड़ों का ‘ब्रांड डेनेक्स’ एक सफल प्रयोग साबित हुआ है। नवचेतना बेकरी भी काफी सफल हो रही है। ऐसे कामों से सैकड़ों स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला है।एंकर- माननीय मुख्यमंत्री जी, आपके ड्रीम प्रोजेक्ट राम-वन-गमन पथ को लेकर भी आदिवासी अंचलों में बड़ी जिज्ञासा है।- एक सवाल इस विषय पर भी लेते हैं।
9 लाल साय- जिला कोरिया
- आदरणीय मुख्यमंत्री जी, नमस्कार। मैं लाल साय बैगा ग्राम देवगढ़ जिला कोरिया से बोल रहा हूं। मन में एक सवाल है। माननीय मुख्यमंत्री जी, राम वन गमन पर्यटन परिपथ के बारे में कहा गया है कि यह कोरिया से सुकमा तक विकास के रास्ते खोलेगा। कृपया इस संबंध में आपके क्या विचार हैं और क्या योजना है? इस बारे में अपने विचार प्रकट करेंगे, ताकि हम श्रोताओं को सही जानकारी मिल सके। धन्यवाद।माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- लाल साय जी। जय सियाराम।
- भारतीय अध्यात्म और संस्कृति में भगवान राम की महिमा को बहुत आस्था के साथ देखा जाता है।
- हमारे लिए यह बहुत गर्व का विषय है कि भगवान राम का अवतार जिस काम के लिए हुआ था, उन प्रसंगों की रचना छत्तीसगढ़ में हुई।
- भगवान राम को देवता के रूप में नहीं बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है।
- अयोध्या तो उनके राज-काज की जगह थी, लेकिन हमारे छत्तीसगढ़ का आदिवासी अंचल उनके मानवीय गुणों की सुगंध से महकता है। वास्तव में भगवान राम छत्तीसगढ़ में कौशल्या के राम और ‘वनवासी राम’ के रूप में प्रकट होते हैं।- यह अद्भुत संयोग है कि भगवान राम का छत्तीसगढ़ में प्रवेश, संचरण और प्रस्थान सघन आदिवासी अंचल में ही हुआ।
- कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका में प्रवेश और सुकमा जिले के अंतिम स्थान कोंटा तक उनकी पदयात्रा।
- हमारे प्रदेश के कण-कण में राम, काम की शुरूआत में राम, जागते-सोते समय राम, शब्द-शब्द में राम, गिनती से लेकर सुख-दुःख में राम के ऐसे युगों-युगों से समाए रहने का कारण ही लोक आस्था में राम का बसा होना है।
- आस्था केन्द्रों को जोड़ते हुए पर्यटन का विकास हमारे समाज की विशेषता रही है।
- इस तरह आज के जमाने में एक बार फिर राम के रास्ते पर चलते हुए अगर हम 2 हजार 260 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करते हैं तो इससे पूरे रास्ते में विकास के दीये जल उठेंगे।
- आस्था के साथ जुड़ी सड़कें, सुविधाओं के साथ आजीविका के नए-नए साधन भी आएंगे और यह पूरा परिपथ पावन भावनाओं के कारण स्थानीय संस्कृति का सम्मान करते हुए एक दूसरे से रिश्ते बनाते चलेगा।- यह समरसता और सौहार्द्र के साथ वनवासी राम के प्रति आस्था का परिपथ बनेगा, जो नदियों, नालों, झरनों, जलप्रपातों, खूबसूरत जंगलों से गुजरते हुए सैकड़ों पर्यटन स्थलों का उद्धार करेगा।एंकर10 प्रीति बारिक, बसना, महासमुन्द- माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं प्रीति बारिक, बसना ब्लाक, जिला महासमुन्द से बोल रही हूं। आकांक्षी जिलों की रैंकिंग में छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जिलों की क्या स्थिति है? कृपया इस संबंध में बताइए।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
- प्रीति जी, आपने जो सवाल किया है, उसका भी निराकरण कर देता हूं।
- नीति आयोग द्वारा देश के सबसे कम विकसित 115 आदिवासी बहुल जिलों को आकांक्षी जिलों में शामिल किया गया है। इन जिलों में विकास की रणनीति योजनाओं, कार्यक्रमों, उनके क्रियान्वयन और परिणाम की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है।
- मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी होती है कि हमारे प्रदेश के 10 आकांक्षी जिलों को मई 2019 से लेकर अभी तक किसी न किसी क्षेत्र में पहले से लेकर 11वें स्थान तक में आने का सम्मान मिला है।
- समग्र डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर, कोण्डागांव, सुकमा और नारायणपुर जिले को तो अव्वल स्थान पर रहने का सम्मान भी मिला है।
- हाल ही में मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की नीति आयोग तथा यूएनडीपी ने सराहना की है।
- इसके लिए मैं सभी आकांक्षी जिलों के निवासियों और प्रशासनिक अमले को साधुवाद देता हूं।
- एक अंतिम और सबसे जरूरी बात के साथ अपनी वाणी को विराम दूंगा।
- कोरोना की ‘तीसरी लहर’ को लेकर आप सभी को बहुत सावधान रहने की जरूरत है। हमने सरकारी स्तर पर बहुत से इंतजाम किए हैं। लेकिन मैं एक बार फिर आपसे अपील करता हूं कि पर्व-त्यौहार मनाते समय फिजिकल डेस्टिेंसिंग का पालन करें, मास्क का उपयोग करें, हाथ को साबुन-पानी से धोते रहें तथा टीका जरूर लगवाएं। खुद को बचाए रखना ही सबसे जरूरी उपाय है।
एंकर
- श्रोताओं लोकवाणी का आगामी प्रसारण 12 सितम्बर, 2021 को होगा। जिसमें माननीय मुख्यमंत्री ‘‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’’ विषय पर चर्चा करेंगे। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव
और सवाल दिनांक 25, 26 और 27 अगस्त, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर इस प्रकार हैं। 0771-2430501, 2430502, 2430503।