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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
प्रधानमंत्री जनमन योजना बनी आत्मसम्मान की छत – एक सजीव संवाद की प्रेरक कहानी
तीन लाख गरीबों का सपना हुआ पूरा, पहुंचे खुद के पक्के मकानों में
सोमारी पुनेम, दल्लुराम बैगा और जगतपाल राम को प्रधानमंत्री ने अपने हाथों से सौंपी नए आवास की चाबी
दूरस्थ वनांचलों में भी गरीबों और वंचितों के अब खुद के पक्के घर, सुरक्षा और सम्मान के साथ चिंतामुक्त रह रहे अपने सपने के आशियानों में
रायपुर : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जब बिलासपुर जिले के ग्राम मोहभट्ठा में आयोजित आमसभा एवं विकास कार्यों के लोकार्पण-शिलान्यास समारोह के दौरान हितग्राहियों से संवाद किया, तो मंच पर एक विशेष क्षण आया – प्रधानमंत्री और दल्लु राम बैगा के बीच सरल, संक्षिप्त किन्तु सजीव, आत्मीय एवं सारगर्भित संवाद।
प्रधानमंत्री ने मुस्कराकर पूछा –“पक्का मकान बन गया है?”दल्लु राम ने हाथ जोड़कर जवाब दिया –“हां, बन गया है।”प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिर स्नेहपूर्वक पूछा –“अच्छा लग रहा है की नहीं?”भावुक दल्लु राम ने जवाब दिया“अच्छा लग रहा है।”प्रधानमंत्री ने अंत में पूछा –“बाकी सब ठीक है?”दल्लु राम ने आत्मविश्वास के साथ कहा –“ठीक है।”
यह संवाद कोई औपचारिक प्रश्नोत्तर नहीं था, बल्कि विश्वास, संवेदना और साझेदारी का साक्षात चित्रण था।
छत्तीसगढ़ के तीन लाख गरीब परिवारों के लिए आज का दिन बेहद खास और अविस्मरणीय है। आज चैत्र नवरात्रि के पहले दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें उनके सपनों के आशियानों में गृहप्रवेश कराया। इनमें बड़ी संख्या में दूरस्थ वनांचलों के गरीब और वंचित परिवार भी शामिल हैं। ये ऐसे परिवार हैं जो प्रधानमंत्री आवास जैसी योजना नहीं होती तो शायद ही कभी अपने खुद के पक्के मकान का सपना पूरा कर पाते। यह योजना प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों का बड़ा सपना पूरा कर रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज बिलासपुर के मोहभट्ठा में दूरस्थ अंचलों के तीन आदिवासी परिवारों को खुद अपने हाथों से नए आवासों की चाबी सौंपी। बीजापुर जिले के चेरपाल पंचायत की श्रीमती सोमारी पुनेम, कबीरधाम जिले के ग्राम हाथीडोब के श्री दल्लुराम बैगा और जशपुर जिले के करदना पंचायत के पहाड़ी कोरवा श्री जगतपाल राम को जब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रतीक रूप में मंच से उनके नवनिर्मित पक्के आवासों की चाबी सौंपी तो उनकी खुशियां देखते ही बनती थी।
रोटी, कपड़ा और मकान हर इंसान की सबसे बुनियादी जरूरतें हैं। पिछड़े ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जहां आज भी संसाधनों की भारी कमी है, वहां एक पक्का घर सिर्फ एक दीवार और छत नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के दल्लुराम बैगा कभी कच्ची मिट्टी और खपरैल के घर में भय और असुरक्षा के साये में रहते थे। बरसात में छत से टपकते पानी, कमजोर मिट्टी की दीवारें और रात के सन्नाटे में रेंगते जहरीले जीव-जंतु... ऐसे हालात में पूरे परिवार के साथ रहना रोज का संघर्ष था।
प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत दल्लुराम का आवास स्वीकृत होने के बाद उसके सपनों के घर का सफर शुरू हुआ। आवास निर्माण के लिए दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता के साथ ही 95 दिनों की मनरेगा मजदूरी के रूप में 23 हजार रुपए भी मिले। अन्य योजनाओं से रसोई गैस, शौचालय और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मिलीं। अब दल्लुराम और उसका परिवार न केवल सुरक्षित मकान में रह रहा है, बल्कि आत्मसम्मान और गर्व के साथ समाज में अपनी पहचान भी बना रहा है।
दीवारों की नहीं सपने के पूरे होने की मुस्कान
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरबा समुदाय के जशपुर जिले के सुदूर अंचल में बसे ग्राम करदना के श्री जगतपाल राम वर्षों से एक टूटी-फूटी झोपड़ी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता था, चारों ओर कीचड़ और भीतर डर का माहौल बना रहता था। सांप-बिच्छुओं का डर, हर साल झोपड़ी की मरम्मत का बोझ, और बिजली जैसी मूलभूत सुविधा का भी अभाव था।
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना जगतपाल के लिए उम्मीद की रोशनी लेकर आई। योजना के तहत मिली दो लाख रुपए की सहायता से जगतपाल ने साफ-सुथरा, मजबूत पक्का घर बनवाया जहां न केवल रहने के लिए कमरे हैं, बल्कि शौचालय और बिजली भी है। अब उनका परिवार मूसलाधार बारिश के थपेड़ो, जंगली जानवर और रात के अंधेरे के खतरों से सुरक्षित है।
आज जब जगतपाल अपने घर के सामने बैठते हैं, तो उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान होती है। यह मुस्कान सिर्फ दीवारों की नहीं, बल्कि सपने के पूरे होने की मुस्कान है। जगतपाल की ही तरह हजारों गरीब और वंचित आदिवासी परिवारों की भी ऐसी ही कहानी है जिनका जीवन प्रधानमंत्री आवास योजना ने खुशियों से भर दिया है।
टूटे सपनों को मिला सहारा और मिट्टी के आंगन में उग आई उम्मीद की छत
वर्षों तक संघर्ष करते हुए सोमारी पुनेम ने कभी नहीं सोचा था कि उसके सिर पर एक दिन पक्की छत होगी। पति के निधन के बाद वह अपने बेटे के साथ एक छोटे से टपकते छप्पर के नीचे जीवन की अनगिनत कठिनाइयों के बीच अपना जीवन-यापन कर रही थी। नियद नेल्ला नार योजना शुरू होने के बाद जब उसे प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली, तो उसकी आंखें चमक उठी। वह बताती है - "मैंने अपने पास जो थोड़ी-बहुत बचत थी, वही लगाई। हर दिन मजदूरों के साथ बैठकर खुद ईंटें उठाई। घर बनता गया... और मेरा आत्मविश्वास भी। आखिरकार महीनों की मेहनत के बाद पक्का आवास बनकर तैयार हो गया। अब बारिश की बूंदें डर नहीं, राहत देती हैं... रातें भी सुकूनभरी लगती हैं। धूप से अब सिर्फ दीवारें नहीं, सम्मान भी बचता है।"
बीजापुर के चेरपाल में रहने वाली 60 साल की सोमारी कहती है - "आज जब मैं अपने घर के दरवाजे से अंदर जाती हूं, तो लगता है कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे साथ मेरे स्वर्गीय पति का सपना भी इस घर में सांस ले रहा है।" प्रधानमंत्री आवास योजना ने सोमारी को सिर्फ एक मकान नहीं दिया। यह योजना उसके जीवन में भरोसे की नींव, आत्मसम्मान की दीवारें और भविष्य की छत बनकर उतरी है। -
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वसुधैव कुटुंबकम् के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़
रायपुर : भारत की सनातन परंपरा में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना रची-बसी है। यही वह सोच है जो भारत को विश्व में अद्वितीय बनाती है – जहाँ विविध आराध्य और परंपराएँ एक ही परिवार की तरह सह-अस्तित्व में रहती हैं।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर के गॉस मेमोरियल ग्राउंड में आयोजित त्रिदिवसीय ‘विश्व शांति अखण्ड ब्रह्म यज्ञ’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने संतों एवं भक्तों का छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर स्वागत किया और प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि व कल्याण की कामना की।
सनातन परंपरा ने सहा हर आघात, फिर भी रही अटूट
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि भारतवर्ष संतों, ऋषियों और तपस्वियों की तपोभूमि रहा है। प्राचीन काल से ही सनातन परंपरा पर समय-समय पर अनेक आघात हुए, लेकिन यह परंपरा कभी नहीं टूटी। सत्य सनातन आलेख महिमा धर्म विकास समिति द्वारा आयोजित यह यज्ञ, उसी परंपरा को और भी सुदृढ़ करने की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आलेख महिमा के संतों से उनका विशेष आत्मीय संबंध रहा है। उनका आशीर्वाद ही है जिसने उन्हें जनसेवा का सौभाग्य दिलाया। उन्होंने बताया कि जशपुर के इला गाँव, रायगढ़ के सरिया, हिमगिर आदि में संतों के आश्रम स्थापित हैं। रायपुर में भी आश्रम के लिए स्थान उपलब्ध कराने का आश्वासन मुख्यमंत्री ने संतों को दिया।
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बनी फिर से श्रद्धा की डगर
मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ को दोबारा शुरू कर दिया है, जो विगत सरकार के कार्यकाल में पूरी तरह बंद हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि कल ही मैंने 780 श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा पर रवाना किया, जो रामेश्वरम, मदुरई और तिरुपति के दर्शन कर रहे हैं। उन्हें विदा करते समय जो आत्मसंतोष मिला, वह अवर्णनीय था। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की भूमि और प्रभु श्रीराम का ननिहाल है। यहाँ के जन-जन में श्रवण कुमार जैसे संस्कार आज भी जीवित हैं। तीर्थ यात्रा करवाना केवल एक योजना नहीं, बल्कि हमारे मूल्यों और परंपराओं का सम्मान है।
श्रीरामलला अयोध्या धाम दर्शन योजना से हजारों श्रद्धालु लाभान्वित
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ‘श्रीरामलला अयोध्या धाम दर्शन योजना’ के तहत अब तक 22,000 से अधिक श्रद्धालु भगवान श्रीराम और काशी विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने राजिम कुंभ के आयोजन की भी चर्चा की, जो प्रदेश की अध्यात्मिक पहचान बन चुका है।
कार्यक्रम को संत श्री किशोर चंद्र बाबा, संत श्री वासुदेव बाबा, संत श्री उदयनाथ बाबा एवं विधायकगण श्री पुरंदर मिश्रा, मोतीलाल साहू और संपत अग्रवाल ने भी संबोधित किया और आयोजन की सराहना की। -
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रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर जनजातीय रॉक क्लाइम्बर्स के एक चयनित समूह को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हिमालयी गाइड के साथ अल्पाइन पर्वतारोहण अभियान के लिए मियार घाटी भेजा जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई इस अनूठी पहल में रोहित व्यास एक प्रमुख नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं। यह भारत में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जहां एक राज्य सरकार भारतीय हिमालय में ऐसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण पर्वतारोहण के लिए जनजातीय पर्वतारोहियों को प्रायोजित कर रही है।
अल्पाइन पर्वतारोहण की विशिष्टताअल्पाइन शैली में पर्वतारोहण, पारंपरिक पर्वतारोहण से भिन्न होता है। इसमें हल्के उपकरणों का उपयोग, छोटे दलों में और बिना किसी पूर्व-स्थापित शिविरों या फिक्स्ड रस्सियों के पहाड़ों पर चढ़ना शामिल है। यह पर्वतारोहण की सबसे शुद्ध और चुनौतीपूर्ण शैली मानी जाती है, जिसे मुख्यतः पेशेवर पर्वतारोहियों द्वारा ही किया जाता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य स्तर पर युवाओं में साहसिक खेलों को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय हिमालय में तकनीकी पर्वतारोहण को प्रोत्साहित करना है। यह पहल भारतीय पर्वतारोहण के पुनरुद्धार में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
जशपुर प्रशासन युवाओं के लिए एक जीवन शैली के रूप में साहसिक खेलों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है, जिससे स्थानीय गाइडों के लिए आय के अवसर पैदा हो रहे हैं और क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। श्री रोहित व्यास (आईएएस) ने कहा, "इस अभियान के माध्यम से, हम जशपुर की छवि को बदलना चाहते हैं। हम जनजातीय युवाओं की ताकत और क्षमता को देश के सामने प्रदर्शित करना चाहते हैं और आने वाली पीढ़ियों को भारत के प्रगतिशील और रचनात्मक भविष्य की झलक देना चाहते हैं।"
इस अभियान का नेतृत्व राज्य की प्रसिद्ध एडवेंचर कंपनी पहाड़ी बकरा एडवेंचर के निदेशक स्वप्निल शिरीष राचेलवार कर रहे हैं, जिन्हें वैदिक वाटिका, जशप्योर, एड्वेनॉम, काफ़ी मीडिया और रनर्सएक्सपी जैसे स्थानीय संगठनों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानचित्रों पर लाने में योगदान दिया है, साथ ही मिस्टिक हिमालयन ट्रेल और क्रेग डेवलपमेंट इनिशिएटिव जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों का भी सहयोग है।
अभियान के लिए जशपुर जिले के रॉक क्लाइम्बर्स तेजल भगत, सचिन कुजूर, प्रतीक नायक, रूषनाथ भगत और रवि का चयन किया गया है। यह अभियान सितंबर में निर्धारित है, जिसमें पहली प्रारंभिक कार्यशाला कल से देशदेखा क्लाइम्बिंग सेक्टर, छत्तीसगढ़ के प्रथम साहसिक खेलों को समर्पित क्षेत्र में शुरू होगी। पूरे वर्ष, चयनित भारतीय कोचों और एथलीटों की भागीदारी के साथ आगे की कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इस अभियान से क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत होने और जनजातीय प्रतिभा को भारतीय पर्वतारोहण समुदाय से परिचित कराने की उम्मीद है, जिससे देश में साहसिक खेलों के विकास में योगदान मिलेगा। -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में मुस्लिम समाज की जरूरतमंद बहनों को सौगातें भेंट कर सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल “सौगात-ए-मोदी” के तहत मुख्यमंत्री श्री साय ने गरीब महिलाओं को गिफ्ट पैकेट वितरित किए जिसमें लेडीज़ सूट का कपड़ा, सेवइयां, खजूर और मिठाइयां शामिल थीं। मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी को ईद की बधाई देते हुए कहा कि ईद का पर्व प्रेम, सद्भाव और एकजुटता का प्रतीक है।
डॉ. सलीम राज ने बताया कि इसके पहले रायपुर में अल्प संख्यक मोर्चे और छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में 500 महिलाओं को गिफ्ट पैकेट वितरित किए गए।
इस अवसर पर अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जमाल सिद्दीकी, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज, प्रदेश अध्यक्ष श्री शकील अहमद, श्री एम. इकबाल, श्री संजय श्रीवास्तव, शाहिद खान, रजिया खान, आबिदा खान सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित थे। -
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आदिवासी समुदायों के लिए वन आधारित जीविकोपार्जन के अवसर विषय पर कार्यशाला को मुख्यमंत्री श्री साय ने किया संबोधित
वनोपज से समृद्धि पर नीति आयोग और सरकार की साझा पहल:वन संसाधनों के समुचित उपयोग और रोजगार सृजन पर जोर
रायपुर : जनजातीय समाज और वनों के मध्य गहरा संबंध है और दोनों एक दूसरे के पूरक के रूप में संरक्षित - संवर्धित हो रहे हैं। प्रकृति की गोद में ही जनजाति समाज का पीढ़ी दर पीढ़ी विकास हुआ है। यह कार्यशाला आदिवासियों और वनों के सहअस्तित्व को केंद्र में रखकर उनके उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज नवा रायपुर में आदिवासी समुदायों के लिए वन आधारित जीविकोपार्जन के अवसर विषय पर नीति आयोग तथा वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला में सभी प्रबुद्धजनों, विषय विशेषज्ञों और अधिकारियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज को जीविकोपार्जन के समुचित अवसर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजाति समुदाय निवासरत है और 44 प्रतिशत इलाका वन आच्छादित है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि पिछले 35 वर्षों से अधिक के सार्वजनिक जीवन में मैने प्रदेश के जनजाति समुदाय और विशेष पिछड़ी जनजातियों के संघर्ष और पीड़ा को करीब से देखा है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की व्यथा को समझा और एक आदिवासी बहुल नए राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया। श्री साय ने कहा कि अटल जी ने आदिवासियों के कल्याण के लिए पृथक मंत्रालय का भी गठन किया और आदिवासियों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजी जा रही राशि का सही उपयोग हो पाया। अटल जी के प्रयासों से ही छत्तीसगढ़ में विकास के नए आयाम स्थापित हुए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में कोई भी भूखा न रहे, इस उद्देश्य से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश में व्यापक स्तर पर पीडीएस सिस्टम लागू कर लोगो को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराया। उन्होंने समर्थन मूल्य पर वनोपज की खरीदी प्रारंभ की, जिसने आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम किया।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज पर्याप्त मात्रा में है। कुल 67 प्रकार के लघु वनोपजों का संग्रहण, प्रसंस्करण और विक्रय महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वनोपजों से जुड़ी प्रोत्साहक नीतियों का लाभ उठाकर स्व सहायता समूह की बहनें आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के आजीविका और उत्थान के लिए संचालित पीएम-जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विशेष रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों को लाभान्वित किया जा रहा है। इस मौके पर श्री साय ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनजाति समुदायों के उत्थान के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी साझा की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि नीति आयोग और वन विभाग की इस संयुक्त कार्यशाला से जनजातीय समाज को तकनीक और नवाचार से जोड़ने के साथ ही आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि नीति आयोग के सहयोग से एक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय पर आज एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है। वन मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि जनजातीय समुदाय के लिए संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन अब तेजी से हो रहा है और वनवासी क्षेत्रों में व्यवस्थाएं अब सुदृढ़ हुई है। उन्होंने पर्यावरण संतुलन के साथ वन संसाधनों के समुचित उपयोग पर जोर देने और रोजगार सृजन की बात कही।
कार्यशाला में नीति आयोग के सलाहकार श्री सुरेंद्र मेहता, प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा और वन बल प्रमुख श्री व्ही श्रीनिवास राव ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर एपीसीसीएफ श्रीमती शालिनी रैना, नीति आयोग के निदेशक श्री अमित वर्मा, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गण और झारखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से आए प्रबुद्धजन, विषय विशेषज्ञ और अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने वनोपज आधारित स्टालों का किया अवलोकन
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अरण्य भवन परिसर में वन उत्पादों पर आधारित स्टालों का भी अवलोकन किया। लीफ प्लेट टेक्नोलॉजी, हैदराबाद की टीम ने मुख्यमंत्री श्री साय को लीफ से तैयार डिनर सेट भेंट किया। इस दौरान भोपालपट्टनम, बीजापुर जिले से आये श्री बी. आर. राव ने मुख्यमंत्री श्री साय को बताया कि वे पिछले 35 वर्षों से वनौषधीय पौधों के बीजों का संरक्षण कर रहे हैं। वे अपने 'गमलों से जंगल की ओर' अभियान के तहत निःशुल्क बीजों का वितरण भी करते आ रहे हैं।मुख्यमंत्री ने श्री राव के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। बलौदाबाजार जिले के अमरवा बांस प्रसंस्करण केन्द्र के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को बांस शिल्प से बना गुलदस्ता भेंट करते हुए केन्द्र में संचालित गतिविधियों की जानकारी दी। श्री साय ने लाख उत्पादक किसान समिति कांकेर, छत्तीसगढ़ हर्बल और जशप्योर एफपीसी जशपुर के स्टालों का अवलोकन कर समूह के सदस्यों के साथ चर्चा की। -
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बिलासपुर के मोहभठ्ठा में 30 मार्च को आयोजित होगी ऐतिहासिक जनसभारायपुर : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 30 मार्च को बिलासपुर जिले के बोदरी तहसील स्थित ग्राम मोहभठ्ठा में प्रस्तावित विशाल जनसभा की तैयारियों का आज मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने स्वयं कार्यक्रम स्थल पर पहुँचकर जायजा लिया। उन्होंने कार्यक्रम से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं—मुख्य मंच, हेलीपैड, ग्रीन रूम, सांस्कृतिक मंच, हितग्राहियों एवं विशिष्ट अतिथियों की बैठक व्यवस्था आदि का गहन निरीक्षण किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने मौके पर अधिकारियों की बैठक लेकर निर्देश दिए कि 55 एकड़ क्षेत्र में आयोजित इस ऐतिहासिक सभा के लिए सभी तैयारियाँ समयबद्ध, सुव्यवस्थित और जनहित केंद्रित हों। बैठक में बताया गया कि कार्यक्रम में प्रदेशभर से लगभग 2 लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है, जिसके मद्देनज़र सभी विभागों को अलर्ट मोड पर कार्य करने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अब तक का सबसे बड़ा छत्तीसगढ़ दौरा होगा। उनका आगमन नवरात्रि के शुभ अवसर पर हो रहा है, जो प्रदेश के विकास के लिए अत्यंत मंगलकारी संकेत है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमने स्वयं दिल्ली जाकर उन्हें आमंत्रित किया था, और आज पूरा प्रदेश उनके स्वागत के लिए आतुर है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने जानकारी दी कि इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लगभग ₹33,000 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात देंगे। इनमें पीएम जनमन योजना के तहत विशेष रूप से बिरहोर, बैगा और पहाड़ी कोरवा जैसी जनजातियों के लिए संचालित योजनाएँ शामिल हैं, जो छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों के विकास को नई दिशा देंगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने जिला प्रशासन को निर्देशित किया कि हितग्राहियों को घर से सभा स्थल तक लाना और वापस सुरक्षित पहुंचाना प्रशासन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए जल, छाया, चिकित्सा आदि की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव के नेतृत्व में स्थानीय प्रशासन पूरी तन्मयता से तैयारियों में जुटा है और यह कार्यक्रम प्रदेश के जनजीवन में एक ऐतिहासिक स्मृति के रूप में दर्ज होगा। उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने कहा कि आमसभा के सफल आयोजन के लिए सभास्थल में सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित की जा रही हैं।
इस अवसर पर विधायक श्री धरमलाल कौशिक, श्री अमर अग्रवाल, श्री धरमजीत सिंह, श्री पुन्नूलाल मोहले, श्री सुशांत शुक्ला, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी दयानंद, संभागायुक्त श्री महादेव कावरे, आईजी संजीव शुक्ला, कलेक्टर श्री अवनीश शरण सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। -
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बेंगलुरु : छत्तीसगढ़ में हरित ईंधन के क्षेत्र में निवेश को लेकर उद्योग जगत की दिलचस्पी बढ़ रही है। बेंगलुरु में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से GPRS Arya Pvt. Ltd. के दीपक अग्रवाल ने मुलाकात कर बताया कि उनकी कंपनी राज्य में पराली से Compressed Bio-Gas (CBG) बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में CBG प्लांट लगाने की योजना है, जिससे किसानों को फसल अवशेषों से अतिरिक्त आमदनी मिलेगी और प्रदूषण में भी कमी आएगी।
कंपनी ने हाल ही में बेमेतरा जिले में इंडियन ऑयल के साथ मिलकर एक CBG प्लांट स्थापित किया है, जो अब पूरी तरह से कार्य करने की दिशा में है। दीपक अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस परियोजना के सफल होने के बाद वे छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में भी इसी मॉडल को अपनाना चाहते हैं। इस पहल से जैविक ईंधन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य की भागीदारी मजबूत होगी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सरकार हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति के तहत जैविक ईंधन और पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस बैठक में उद्योग जगत के अन्य प्रतिनिधियों ने भी छत्तीसगढ़ में निवेश को लेकर उत्सुकता जताई। -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज अपने निवास कार्यालय में स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जूदेव की जयंती पर उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत भी उपस्थित रहीं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव जी न केवल प्रखर राष्ट्रवादी थे, बल्कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान के दृढ़ रक्षक भी थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन धर्म, संस्कृति और समाज सेवा के लिए समर्पित किया। उनके नेतृत्व में प्रारंभ हुआ ‘घर वापसी’ अभियान एक ऐतिहासिक सामाजिक आंदोलन बना, जिसने हजारों लोगों को उनकी मूल सनातन परंपरा से पुनः जोड़ने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि श्री जूदेव जी जल, जंगल, जमीन और जनजातीय अस्मिता के सशक्त प्रहरी थे। छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में आदिवासी समाज को उनका गौरव और पहचान लौटाने के लिए उन्होंने अनवरत संघर्ष किया। उनके प्रयासों से समाज में राष्ट्रवादी चेतना का प्रसार हुआ और छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से और अधिक जुड़ने का अवसर मिला।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव जी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा के प्रतीक थे। उन्होंने अपने जीवन में राष्ट्रवादी मूल्यों को आत्मसात कर समाजहित में कार्य किया। उनकी दृढ़ता, निडरता और ओजस्वी नेतृत्व आज भी हम सभी को प्रेरित करता है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। -
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बुज़ुर्गों की आंखों में वर्षों से पल रही तीर्थ यात्रा की अभिलाषा हुई पूरी: पहली विशेष ट्रेन से 780 श्रद्धालु तिरुपति, मदुरै, रामेश्वरम रवाना
विधवा और परित्यकता महिलाओं को भी अब मिल सकेगा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का लाभ
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर रेलवे स्टेशन से पहली विशेष तीर्थ यात्रा ट्रेन को तिरुपति, मदुरै और रामेश्वरम के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस पहली तीर्थ यात्रा ट्रेन में रायपुर और बलौदाबाजार-भाटापारा जिलों के 780 श्रद्धालु बुजुर्ग सम्मिलित हुए, जिनके लिए यह यात्रा केवल धार्मिक अनुभव नहीं, बल्कि सम्मान और स्नेह का प्रतीक बन गई। प्रदेश के बुजुर्गों की वर्षों पुरानी अभिलाषा आज पूरी हो गई जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का विधिवत शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने तीर्थयात्रा पर जा रहे बुजुर्गों से आत्मीय चर्चा करते हुए कहा कि आप सभी के चेहरे पर जो खुशी है, वही मेरा संतोष है। उन्होंने कहा कि रामेश्वरम में आप लोग पवित्र रामसेतु देख सकेंगे, ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर सकेंगे। आप लोग मदुरै तीर्थ का भी दर्शन करेंगे जहां मीनाक्षी मंदिर है। तिरुपति में बालाजी का दर्शन करेंगे। दक्षिण भारत के तीर्थ स्थलों को देखने का यह सुंदर अवसर है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री रामलला (अयोध्या दर्शन) योजना अंतर्गत अब तक 22 हजार से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में श्री रामलला के दर्शन कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रयागराज में 144 वर्षों उपरांत महाकुंभ का आयोजन हुआ। छत्तीसगढ़ के तीर्थयात्रियों ने भी बड़ी संख्या में कुंभ में हिस्सा लिया। छत्तीसगढ़ के तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए और उनकी सुविधा का ध्यान रखने के लिए हमने प्रयागराज मेला क्षेत्र में छत्तीसगढ़ पवैलियन तैयार किया था। यहां लगभग साढ़े चार एकड़ में तीर्थयात्रियों के रूकने के इंतजाम थे। यह हमारा सौभाग्य है कि हम गंगा जी में स्नान करने पहुंचे प्रदेश के लाखों श्रद्धालुओं की सेवा कर सके।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि अब श्रद्धालुओं की यात्रा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना अंतर्गत निरन्तर होती रहेगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए हमने 15 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है। इस योजना में उज्जैन, पुरी, द्वारिका, वैष्णो देवी, मथुरा, वृंदावन जैसे अनेक तीर्थ स्थलों को जोड़ा गया है, जिनकी निःशुल्क यात्रा कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर कहा कि हमारे बुज़ुर्गों की तीर्थ यात्रा की इच्छा अक्सर आर्थिक कठिनाइयों के चलते अधूरी रह जाती थी। उन्होंने कहा कि हमें संतोष है कि हम उनकी इस इच्छा को साकार कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि योजना में विधवा और परित्यक्त महिलाओं को भी शामिल किया गया है, जिससे उन्हें भी धार्मिक स्थलों के दर्शन का गौरव प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार युवाओं, किसानों, महिलाओं और आदिवासी समुदाय सहित समाज के प्रत्येक वर्ग के उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित है और इसी दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।
यह केवल यात्रा नहीं, संस्कृति और श्रद्धा का संगम है – मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े
समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना केवल तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्था का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत उन श्रद्धालुओं को यह अवसर प्राप्त होगा, जो अब तक आर्थिक सीमाओं के कारण तीर्थ यात्रा से वंचित रहे हैं। सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए पूर्ण सुविधायुक्त पैकेज तैयार किया है जिसमें ट्रेन यात्रा, यात्रियों के ठहरने, भोजन, मंदिर दर्शन, सुरक्षा और चिकित्सा जैसी सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ शामिल हैं।स्पेशल ट्रेन में टूर एस्कॉर्ट, पुलिस बल और चिकित्सकों की टीम भी उनके साथ यात्रा कर रही है ताकि श्रद्धालुओं को हर क्षण सुरक्षा और सुविधा का अहसास हो। योजना के तहत देशभर के 19 प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिनमें उज्जैन, ओंकारेश्वर, पुरी, हरिद्वार, काशी, शिरडी, वैष्णोदेवी, अमृतसर, द्वारका, बोधगया, कामाख्या मंदिर, सबरीमाला जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल सम्मिलित हैं।समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में 4 दिसंबर 2012 को की गई थी। 15 जनवरी 2013 से 10 जून 2019 के मध्य इस योजना के अंतर्गत कुल 272 तीर्थ यात्राओं के माध्यम से 2,46,983 श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया गया था। पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान यह योजना 5 साल तक संचालन में नहीं थी। डॉ. रमन सिंह की सरकार के दौरान संचालित इस योजना को, जिसे उसके बाद आने वाली सरकार ने बंद कर दिया था, अब पुनः प्रारंभ कर वर्तमान सरकार ने छत्तीसगढ़ में बुजुर्गों की श्रद्धा, आस्था और वर्षों से संजोए गए तीर्थ यात्रा के सपने को पूर्ण करने के लिए एक बार फिर पहल की है।
इस अवसर पर विधायकगण श्री पुरंदर मिश्रा, श्री मोतीलाल साहू, श्री अनुज शर्मा, समाज कल्याण आयुक्त श्री भुवनेश यादव, संचालक श्रीमती रोक्तिमा यादव, रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह, नगर निगम आयुक्त श्री विश्वदीप, रायपुर डीआरएम श्री दयानंद, समाज कल्याण और रेलवे विभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में नागरिकगण उपस्थित रहे। -
रायपुर : CM साय ने मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के तहत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। आपको बता दें कि यह योजना पहले भाजपा की रमन सरकार ने शुरू की थी, लेकिन कांग्रेस सरकार में इस योजना का लाभ बुजुर्गों को नहीं मिल पाया था। अब, भाजपा की साय सरकार ने इस योजना को पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है, ताकि अधिक से अधिक बुजुर्गों को इसका लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना क्या है? - मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत राज्य के बुजुर्गों को धार्मिक तीर्थ स्थलों की यात्रा करवाई जाएगी, ताकि वे अपने श्रद्धा स्थलों का दौरा कर सकें। (एजेंसी) -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
मयाली नेचर कैम्प में साहसिक खेलों की रोमांचक शुरुआत: जनजातीय प्रतिभाओं को मिलेगा मंच और युवाओं को मिलेगा रोजगाररायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज जशपुर जिले को एक नई पहचान देने वाली ऐतिहासिक पहल की। उन्होंने कुनकुरी स्थित मयाली नेचर कैम्प में एडवेंचर जोन का शुभारंभ किया और जिले के लिए तीन प्रमुख पर्यटन सर्किटों—आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक (स्पिरिचुअल एंड हेरिटेज), प्राकृतिक एवं वन्य जीव (नेचर एंड वाइल्ड लाइफ) और साहसिक पर्यटन (एडवेंचर) सर्किट—का लोकार्पण किया। यह कदम न केवल जशपुर को छत्तीसगढ़ के भीतर एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य बनाएगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए भी नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
मुख्यमंत्री श्री साय ने स्वयं पोंटून बोट में सवार होकर मधेश्वर महादेव के विहंगम दृश्य का अवलोकन किया और कहा कि मयाली एडवेंचर ज़ोन अब रोमांच और रोजगार का केंद्र बनेगा। यहाँ एक्वा साइक्लिंग, कयाकिंग, स्पीड बोट, फ्लोटिंग जेटी, बम्पर बोट जैसे एडवेंचर एक्टिविटी की शुरुआत की गई है।
तीन नए पर्यटन सर्किटों की झलक
मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा जिन तीन प्रमुख पर्यटन सर्किटों का लोकार्पण किया गया, वे जशपुर की विविधता और विशेषता को दर्शाते हैं। स्पिरिचुअल और हेरिटेज सर्किट कोतेबीरा से शुरुआत होती है, जो तमता, कैलाश गुफा, मधेश्वर पहाड़, शारदा धाम, ग्वालिन सरना जैसे स्थलों से होकर गुजरता है—यह सर्किट श्रद्धा, विरासत और जनजातीय परंपराओं की अनमोल झलक पेश करता है।
प्राकृतिक एवं वन्य जीव सर्किट उन पर्यटकों को आकर्षित करेगा जो प्रकृति की गोद में सुकून तलाशते हैं। इसमें मकरभंजा जलप्रपात, बादलखोल अभ्यारण्य, रानीदाह और गुल्लू जलप्रपात से लेकर सारुडीह का चाय बागान तक शामिल हैं—प्राकृतिक धरोहरों से भरपूर यह सर्किट पर्यावरण प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं होगा।
साहसिक पर्यटन सर्किट रोमांच के शौकीनों को आकर्षित करेगा। इसमें दनगरी कैम्प साइट, बेलवार जलप्रपात, देशदेखा हिल कैम्प, सरना ईको एथेनिक रिसोर्ट और क्लाइम्बिंग सेक्टर जैसे स्थान शामिल हैं, जो ट्रेकिंग, क्लाइम्बिंग और नेचर-कैम्पिंग जैसी गतिविधियों के लिए एक आदर्श स्थान बनेंगे।
जनजातीय युवाओं के लिए पर्वतारोहण अभियान: हिमाचल की ऊंचाइयों से लौटेगा जशपुर का आत्मविश्वास
मुख्यमंत्री श्री साय की पहल पर अब जशपुर के जनजातीय युवाओं को हिमाचल प्रदेश के मियाड़ घाटी में पर्वतारोहण, रोप क्लाइम्बिंग आदि का प्रशिक्षण मिलेगा। प्रशिक्षण प्राप्त युवा वापस लौटकर स्थानीय युवाओं को भी प्रशिक्षित करेंगे, जिससे पर्यटन और युवाशक्ति दोनों को मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री साय से अभियान में जाने वाले बच्चों ने मिलकर कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें ये अनोखा अवसर प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि शासन द्वारा युवाओं को विभिन्न साहसिक खेलों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विगत दिनों छत्तीसगढ़ की एक पर्वतारोही बेटी ने अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर पर तिरंगा फहराने की इच्छा दर्शाई थी जिसे तुरन्त आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई थी। उसने किलीमंजारो फतह किया। इसी तरह आपको भी खूब मेहनत कर राज्य का नाम ऊंचा करना है। जिस पर युवा तेजल भगत ने कहा अब हमारी पारी है हम भी राज्य को गौरवान्वित करेंगे।
स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कहा—पर्यटन ने बदली जिंदगी
मयाली नेचर कैम्प में कार्यरत लक्ष्मी एवं तुलसी स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने मुख्यमंत्री से भेंट कर उनका आभार जताया। उन्होंने बताया कि पर्यटन की वजह से अब उन्हें नियमित आय मिल रही है और बच्चों को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। महिलाओं ने मधेश्वर महादेव की काष्ठ-निर्मित कलाकृति भेंट कर मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री श्री साय की यह पहल पर्यटन को सिर्फ सैर नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का साधन बना रही है। जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता, आध्यात्मिक विरासत और जनजातीय आत्मबल को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की यह ऐतिहासिक शुरुआत है। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को भक्त माता कर्मा जयंती की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने माता कर्मा से समस्त छत्तीसगढ़वासियों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हुए कहा कि भक्त माता कर्मा का जीवन सेवा, भक्ति, त्याग और परोपकार की अनुपम मिसाल है। वे भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं और उनका आदर्श आज भी जनमानस को प्रेरणा देता है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में माता कर्मा जयंती का पर्व पूरे श्रद्धाभाव और सामाजिक समरसता के साथ मनाया जाता है। साहू तैलिक समाज की आराध्य देवी माता कर्मा की जयंती पर पूरे राज्य में शोभायात्राएँ, कलश यात्राएँ और विविध धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, जिनमें सभी समाजों की भागीदारी से एकता और भाईचारे का संदेश भी प्रसारित होता है। उन्होंने प्रार्थना की कि माता कर्मा का आशीर्वाद हम सभी पर सदैव बना रहे।मुख्यमंत्री श्री साय ने विश्वास जताया कि माता कर्मा के आदर्श हमें समाज में करुणा, समानता और समर्पण के साथ कार्य करने की प्रेरणा देते रहेंगे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
फील्ड विजिट कर समस्याओं का मौके पर समाधान सुनिश्चित करें अधिकारी- मुख्यमंत्री श्री साय15 दिवसीय विशेष अभियान : हैंडपंप और सार्वजनिक नलों की मरम्मतरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि ग्रीष्मकाल में प्रदेश के प्रत्येक नागरिक तक निर्बाध और सुरक्षित पेयजल पहुंचाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी विभागों के बीच समन्वय और जनसहभागिता अनिवार्य है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जल संकट से निपटने के लिए जल संरक्षण की दिशा में ठोस और निर्णायक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, जिससे आने वाले समय में प्रदेश जल संकट की किसी भी स्थिति से सुरक्षित रह सके। मुख्यमंत्री श्री साय मंत्रालय में आयोजित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ग्रीष्म ऋतु के दौरान प्रदेशभर में पेयजल की समुचित और सतत उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी उपायों को प्राथमिकता पर क्रियान्वित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने ग्रीष्मकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रदेशभर में पेयजल की उपलब्धता को राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता घोषित किया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि जल संकट की किसी भी संभावना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन, ऊर्जा, वन एवं कृषि विभाग को परस्पर तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में उत्पन्न हो रही पेयजल समस्याओं के समाधान हेतु अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियाँ समान रूप से आवश्यक हैं। इसके लिए उन्होंने जल संरक्षण के प्रभावी उपायों जैसे रिचार्ज पिट, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा आधारित पंपों को तेजी से बढ़ावा देने पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने भूजल के अनियंत्रित दोहन पर सख्त निगरानी रखने और कम जल-खपत वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के निर्देश दिए, जिससे जल संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे केवल कार्यालयों तक सीमित न रहते हुए, फील्ड में जाकर स्वयं स्थिति का आकलन करें और स्थल पर ही पेयजल संबंधी समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आगामी 15 दिनों के भीतर प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाकर सभी हैंडपंपों और सार्वजनिक नलों की मरम्मत सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि अनेक स्थानों पर हैंडपंपों में केवल मामूली तकनीकी समस्याएँ होती हैं, जिन्हें यदि समय रहते स्थानीय मैकेनिक द्वारा दुरुस्त किया जाए, तो नागरिकों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सकता है।
बैठक के दौरान यह जानकारी दी गई कि राज्य सरकार ने इस कार्य के त्वरित निष्पादन हेतु पूरे प्रदेश में मोबाइल वैन यूनिट्स की विशेष व्यवस्था की है, जो आगामी चार महीनों तक फील्ड में सक्रिय रहकर रखरखाव और मरम्मत का कार्य प्राथमिकता से संपादित करेंगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय और मैदानी दोनों क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इसके लिए स्थानीय भू-प्राकृतिक परिस्थितियों के अनुरूप जल संरक्षण उपायों को बढ़ावा दिया जाए, ताकि दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने वन्य प्राणियों के लिए गर्मी के मौसम में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी स्पष्ट निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देशित किया कि प्रदेशभर में अमृत सरोवरों को जल प्रबंधन के मॉडल के रूप में विकसित किया जाए, ताकि वे जल संग्रहण, वर्षा जल संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी के सफल उदाहरण बन सकें। उन्होंने तालाबों और जलाशयों के आसपास हो रहे अतिक्रमण को प्राथमिकता से हटाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जलस्रोतों की रक्षा करना केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं, बल्कि सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सौर ऊर्जा आधारित पेयजल योजनाओं के संचालन और रखरखाव की प्रक्रिया को तीव्र गति से क्रियान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन से जल स्रोतों के अपव्यय को नियंत्रित किया जा सकता है और ऊर्जा की बचत भी सुनिश्चित होती है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि सोलर पेयजल योजनाओं में 'सेंसर आधारित स्वचालित प्रणाली' लागू की जाए, जिससे जल वितरण की निगरानी और नियंत्रण तकनीकी रूप से संभव हो सके और स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली की दिशा में राज्य एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाए।
मुख्यमंत्री ने पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका को जल संरक्षण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ग्राम स्तर पर जनजागरूकता और सहभागिता ही जल संकट का दीर्घकालिक समाधान है। उन्होंने निर्देश दिए कि ग्राम सभाओं में जल संरक्षण, भूजल प्रबंधन और निस्तारी जल योजनाओं पर व्यापक चर्चा सुनिश्चित की जाए, ताकि समुदाय स्तर पर ठोस पहल हो सके। मुख्यमंत्री ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इन गतिविधियों के सुनियोजित क्रियान्वयन और ग्राम पंचायतों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से निर्देशित किया।
इस उच्चस्तरीय बैठक में उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, श्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती निहारिका बारिक, जल संसाधन विभाग के सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव श्री मोहम्मद कैसर अब्दुल हक और कृषि, वन, जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। -
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छत्तीसगढ़ विधानसभा ने संसदीय परंपराओं में रचा अनुशासन और आदर्श का इतिहास : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंहरायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती समारोह के अवसर पर प्रदेशवासियों की ओर से भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का आत्मीय स्वागत करते हुए कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि जब छत्तीसगढ़ विधानसभा अपने गौरवशाली 25 वर्षों का उत्सव मना रही है, तब देश की प्रथम नागरिक हमारे बीच उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में बने छत्तीसगढ़ का रजत वर्ष संयोग से उनके जन्मशताब्दी वर्ष में पड़ रहा है, जिसे हम अटल निर्माण वर्ष के रूप में मना रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारी विधानसभा की 25 वर्षों की यात्रा लोकतंत्र की सुदृढ़ परंपराओं की प्रतीक है। वैदिक काल से चले आ रहे भारतीय लोकतंत्र को छत्तीसगढ़ ने अपने कार्यों से मजबूत किया है। सदन में जनहितकारी विषयों पर गंभीर चर्चाएं, सशक्त विमर्श और स्वस्थ वातावरण में लिए गए निर्णय, हमारी संसदीय संस्कृति को समृद्ध करते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने केवल विधायी कार्य ही नहीं, बल्कि प्रतिनिधियों के नेतृत्व विकास को भी प्राथमिकता दी है।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि सीखने की प्रक्रिया निरंतर चलनी चाहिए। हाल ही में विधानसभा सदस्यों के लिए आईआईएम रायपुर में आयोजित पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम इसका उदाहरण है, जहाँ नेतृत्व और प्रशासन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हैं।
विधान सभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वागत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा को यह गौरव प्राप्त है कि तीसरी बार भारत के राष्ट्रपति ने सदन को संबोधित किया है। इससे पहले स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल विधानसभा को संबोधित कर चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मु जी के सरल, संघर्षशील और प्रेरणादायक जीवन को देश की महिलाओं, जनप्रतिनिधियों और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने छत्तीसगढ़ विधान सभा की 25 वर्ष की यात्रा को लोकतांत्रिक मूल्यों की सुदृढ़ता की यात्रा बताया। उन्होंने कहा कि सदन में ‘स्वअनुशासन’ की परंपरा स्थापित की गई, जहां सदस्यों ने स्वयं बनाए नियमों का पालन कर पूरे देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया।
डॉ. सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने संसदीय गतिविधियों के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। उन्होंने उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 2011 में लोक सेवा गारंटी अधिनियम, और 2012 में खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित किए, जो अंत्योदय और समावेशी विकास के प्रतीक हैं। डॉ. रमन सिंह ने बताया कि शीघ्र ही विधानसभा नया रायपुर स्थित नवीन भवन में स्थानांतरित होगी। उन्होंने राष्ट्रपति जी की उपस्थिति को सदन की स्मृतियों में एक अमिट अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में सदन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों को नियमित रूप से पुरस्कार व सम्मान दिया जाता है, जो लोकतांत्रिक चेतना को सुदृढ़ करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हृदय से स्वागत करते हुए उन्हें संघर्ष, सादगी और सेवा की प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी का जीवन पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु की उपस्थिति को ऐतिहासिक बताते हुए आभार व्यक्त किया और कहा कि हम सब उनके वचनों से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ़ के विकास में एकजुटता से कार्य करेंगे। इस अवसर पर राज्यपाल श्री रमेन डेका ने विधानसभा सदस्य संदर्भ पुस्तिका का विमोचन किया और राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्म को पुस्तिका की प्रथम प्रति भेंट की। रजत जयंती समारोह के अवसर पर मंत्रीमंडल के सभी मंत्रीगण एवं विधानसभा के सभी सदस्यगण उपस्थित थे। -
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संघ की पत्रिका "सेवा शिखर" के प्रथम संस्करण का विधिवत विमोचन भी किया।
राज्य प्रशासनिक सेवा की भूमिका को बताया शासन का मजबूत स्तंभ
मुख्यमंत्री श्री साय ने मुलाकात के दौरान राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश की योजनाओं और कार्यक्रमों का सफल क्रियान्वयन उन्हीं के माध्यम से धरातल पर संभव हो पाता है। उन्होंने कहा कि जनता तक शासन की नीतियों और योजनाओं को प्रभावी ढंग से पहुँचाने में इन अधिकारियों की निष्ठा, समर्पण और संवेदनशीलता अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही वे मूल्य हैं जो शासन और जनता के बीच की कड़ी को मजबूत करते हैं तथा प्रदेश के विकास को गति प्रदान करते हैं।
"सेवा शिखर" पत्रिका को बताया विचारों का सशक्त मंच
मुख्यमंत्री श्री साय ने "सेवा शिखर" पत्रिका के प्रथम संस्करण के प्रकाशन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक सार्थक मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह पत्रिका अधिकारियों को अपने अनुभव, विचार और सुझाव साझा करने का अवसर प्रदान करेगी, जिससे एक जीवंत और संवादपूर्ण प्रशासनिक वातावरण का निर्माण होगा।मुख्यमंत्री श्री साय ने राज्य प्रशासनिक सेवा संघ को पत्रिका के प्रकाशन हेतु बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि यह पहल सेवा भावना, उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से करें, ताकि शासन की योजनाओं का लाभ सही अर्थों में अंतिम व्यक्ति तक पहुँच सके।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष श्री अजय त्रिपाठी, उपाध्यक्ष श्री उमाशंकर बंदे, कोषाध्यक्ष श्री नवीन भगत, सेवा शिखर पत्रिका के संपादक डॉ. अभिनव मिश्रा सहित श्री अपूर्व प्रियेश टोप्पो, श्री नंद कुमार चौबे, सुश्री अर्चना पाण्डेय, श्रीमती दिव्या वैष्णव, श्री बृजेश क्षत्रिय, डॉ. सुभाष राज, डॉ. धनंजय कुमार नेताम एवं श्री घनश्याम कँवर उपस्थित थे। -
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मुख्यमंत्री श्री साय ने भारतीय प्रबंध संस्थान में छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम का किया शुभारम्भ
नेतृत्व क्षमता को सशक्त बनाने के लिए विधायकों का विशेष प्रशिक्षण
रायपुर : हम सभी के बीच मतभेद हो सकते है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए और छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों में यह बात हमेशा से कायम है। छत्तीसगढ़ का विकास हमारा मूल उद्देश्य है और जनप्रतिनिधि के रूप में हमें प्रदेशवासियों के हित में सदैव समर्पित होकर काम करना है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों के लिए भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर में आज आयोजित दो दिवसीय पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।
सीखने की कोई उम्र नहीं होती, नेतृत्व क्षमता में निरंतर निखार जरूरी
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात कार्यक्रम में हमेशा सीखते रहने की बात करते है और निश्चित रूप से सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। यहां कई ऐसे विधायक मौजूद है, जिनका जनप्रतिनिधि के रूप में लंबा अनुभव है, लेकिन वे भी इस कार्यक्रम को लेकर बहुत अधिक उत्साहित है। श्री साय ने कहा कि आप सभी सदस्यों की मौजूदगी यह साबित करती है कि छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर आप कितने चिंतित भी है और उत्साहित भी है।श्री साय ने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में आमजनों से आपका व्यवहार सबसे बड़ी पूंजी है और यह लोगों के मन में आपके और संसदीय व्यवस्था के प्रति विश्वास को अधिक मजबूत करेगा।
नवीन समाधानों को साझा करने और विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के लक्ष्य को पाने में प्रशिक्षण कार्यक्रम उपयोगी
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम नवीन समाधानों को साझा करने का मजबूत मंच है और विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के लक्ष्य को पाने में यह उपयोगी और सार्थक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सुशासन की संकल्पना को स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि ई ऑफिस की व्यवस्था से प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ पारदर्शिता भी बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हमें प्रदेश को आगे ले जाना है तो सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए समान रूप से तैयार रहना होगा। उन्होंने सार्वजनिक हित में तकनीक के सदुपयोग पर विशेष जोर दिया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने भारतीय प्रबंध संस्थान में पिछले वर्ष आयोजित चिंतन शिविर को भी अत्यधिक उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में हमने जो कुछ सीखा था, छत्तीसगढ़ के नीति निर्माण में हमने इसका भरपूर उपयोग किया है। विजन डॉक्यूमेंट से लेकर बजट तैयार करने में भी हमें इससे बड़ी मदद मिली। मुख्यमंत्री ने विधानसभा के सभी सदस्यों से दो दिवसीय सत्र का भरपूर लाभ लेने को कहा और प्रबंध संस्थान को सफल आयोजन की शुभकामनाएं दी।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने लीडरशिप प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में सभी सदस्य लगभग 1 महीने तक सक्रियता के साथ शामिल रहे और इसके तुरंत बाद इस दो दिवसीय आयोजन में आप सभी की उपस्थिति प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा आप लोग सोच रहे होंगे कि जीतने के बाद हमारा प्रशिक्षण क्यों? जीतने के बाद हमारी जिम्मेदारी और भूमिका बढ़ जाती है, इसलिए हमें लगातार सीखते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें केवल अपने क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की बेहतरी के लिए कार्य करना है।
डॉ. सिंह ने कहा कि हम अपने आसपास के परिवेश और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के प्रति कितने सजग है, जनप्रतिनिधि के रूप में आपको सफल बनाने में यह तथ्य महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि आपके पास अपने विधानसभा क्षेत्र की छोटी से छोटी जानकारी होनी चाहिए। डॉ. सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल से जुड़े कई अनुभव साझा किए और जनता से व्यवहार, जुड़ाव और उनका भरोसा जीतने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।
नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास मंहत ने कहा विधायक बनते ही हम लीडर बन गये, ऐसा सोचना गलत धारण होगी। लीडर बनना एक प्रक्रिया है और हमें यह सीखना होगा। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों से निकलकर जशपुर का एक आदिवासी बेटा आज मुख्यमंत्री बना है, यह हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती और ताकत है। हम सभी का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की उन्नति है और इसी को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यगण, नीति आयोग के सीईओ श्री बीवीआर सुब्रमण्यम, आईआईएम रायपुर के निदेशक श्री राम कुमार, आईआईएम के प्रोफेसर श्री सुमीत गुप्ता, प्रोफेसर श्री संजीव पराशर, प्रोफेसर श्रीमती अर्चना पराशर उपस्थित थे। -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विश्व जल दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों से जल संरक्षण अभियान को जनआंदोलन का रूप देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है — जीवन का आरंभ जल से हुआ है और इसका सतत प्रवाह ही जीवन की निरंतरता का आधार है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आज जब दुनिया जल संकट की ओर बढ़ रही है, तब हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह जल की हर बूँद को संजोए।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को ‘विश्व जल दिवस’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य समाज में जल के महत्व और उसके संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जल संरक्षण को अपनी प्राथमिकताओं में रखते हुए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। राज्य में जन-भागीदारी के माध्यम से जल संचय को बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही जल प्रदूषण नियंत्रण और जल संसाधनों के पुनर्जीवन के लिए भी योजनाबद्ध और सतत प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि धमतरी जिले में आयोजित ‘जल-जगार महोत्सव’ जल संरक्षण को लेकर एक अभिनव पहल थी, जिसमें स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी से जल चेतना को नई ऊर्जा मिली है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या, अनियंत्रित दोहन और प्रदूषण के कारण स्वच्छ जल की उपलब्धता भविष्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन चुकी है, जिसे केवल सामूहिक प्रयासों से ही टाला जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि जल की प्रत्येक बूँद को सहेजेंगे, इसके महत्व को जन-जन तक पहुँचाएँगे और आने वाली पीढ़ियों को जल-समृद्ध भविष्य का उपहार देंगे। -
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मुख्यमंत्री श्री साय विश्व वानिकी दिवस पर विधानसभा में आयोजित संगोष्ठी में हुए शामिल
फॉरेस्ट्स एण्ड फूड्स थीम पर आधारित है वर्ष 2025 का विश्व वानिकी दिवस
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज विधानसभा के समिति कक्ष में आयोजित विश्व वानिकी दिवस संगोष्ठी में शामिल होकर प्रदेशवासियों को वन संरक्षण और संवर्धन का संदेश दिया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का ‘ऑक्सिजोन’ बनकर पूरे भारत को ऑक्सीजन प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत का अभिन्न हिस्सा भी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि वर्ष 2025 का विश्व वानिकी दिवस ‘फारेस्ट एंड फूड' थीम पर आधारित है, जो इस बात पर बल देता है कि वन केवल ऑक्सीजन ही नहीं, बल्कि पोषण, रोजगार और संस्कृति का भी स्रोत हैं। इसी अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘वाइल्ड एडिबल प्लांट्स इन छत्तीसगढ़ स्टेट’ पुस्तक का विमोचन किया तथा पुदीना-मिंट फ्लेवर के बस्तर काजू प्रोडक्ट को लॉन्च भी किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 32 प्रतिशत आबादी जनजातीय भाई बहनों की है जो वनों के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार वनों में निवासरत जनजातीय भाई-बहनों को वनाधिकार पट्टे प्रदान कर रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और खेती की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने बताया कि बस्तर की इमली, जशपुर का महुआ, चिरौंजी, हर्रा-बहेड़ा जैसे सैकड़ों लघु वनोत्पाद छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान हैं, जिनका वैल्यू एडिशन कर आदिवासी परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सुंदरता की सराहना करते हुए कहा कि यहां के जलप्रपात, वनवासी संस्कृति और समृद्ध जैव विविधता पूरे देश के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। बस्तर का धूड़मारास अब विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान बना चुका है। पर्यटन का विस्तार हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में लगभग चार करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि नवा रायपुर में पीपल फॉर पीपल कार्यक्रम के अंतर्गत हर चौराहे पर पीपल का रोपण किया गया है, जो भविष्य में शुद्ध ऑक्सीजन का सशक्त स्रोत बनेंगे। पीपल का पेड़ वैज्ञानिक रूप से सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष है, और यह पहल शहरी हरियाली की दिशा में एक प्रभावी कदम है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के वन विश्व के सबसे सुंदर वनों में गिने जाते हैं। साल और सागौन के वृक्ष यहां की प्राकृतिक शोभा हैं। साल के वनों में एक अनूठा सम्मोहन है और यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक जंगल हैं, तब तक जीवन है।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदायों का पूरा जीवन वनों पर आधारित है। उनका जीवनस्तर ऊँचा उठाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, और इसका सबसे कारगर उपाय वन क्षेत्र का विस्तार है। उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों के पास प्रकृति का अनुभवजन्य ज्ञान है – उसका समुचित उपयोग कर हम विकास और संरक्षण दोनों को संतुलित कर सकते हैं।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, विधायकगण श्री धरमलाल कौशिक, श्री धर्मजीत सिंह, श्री योगेश्वर राजू सिन्हा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।