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कृषि विज्ञान केन्द्रों की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक संपन्न-उन्नत कृषि तकनीकों को बढ़ावा देने कार्ययोजना तैयार

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

बेमेतरा : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.एस. टूटेजा के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा, कर्वधा एवं मुंगेली की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की वार्षिक बैठक आयोजित की गई। बैठक का आयोजन जिले में खरीफ, रबी एवं ग्रीष्मकालीन मौसम में कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी एवं मछली पालन क्षेत्रों में उन्नत तकनीकों के प्रसार और समस्याओं के समाधान हेतु कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. जी.पी. आयाम, वैज्ञानिक, निदेशालय विस्तार सेवाएं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा की गई। उन्होंने बैठक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए सभी प्रतिभागियों से तकनीकी सुझाव साझा करने की अपील की।कार्यक्रम के शुभारंभ में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख श्री तोषण कुमार ठाकुर (केवीके बेमेतरा) ने स्वागत भाषण देते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका को किसान और अनुसंधान के मध्य सेतु के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि विज्ञान और अनुसंधान के साथ समन्वय बनाकर नये नवाचारों को अपनाना चाहिए। बैठक के मुख्य अतिथि डॉ. संदीप भंडारकर, अधिष्ठाता, रेवेन्द्र सिंह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया बेमेतरा ने छत्तीसगढ़ की दलहन एवं तिलहन फसलों की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी और फसल चक्र अपनाने की सलाह दी। विशेष अतिथि डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि कृषि समय आधारित प्रक्रिया है, अतः उन्नत बीज, जैव उर्वरक, बायोपेस्टिसाइड व अन्य कृषि आदानों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, कृषि तकनीक अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), आई.सी.ए.आर., जबलपुर ने प्रदेश में पारंपरिक दलहनी व तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने हेतु जलवायु अनुकूल किस्मों के चयन और कार्ययोजना निर्माण पर बल दिया।तकनीकी सत्र के दौरान केवीके बेमेतरा, कवर्धा एवं मुंगेली के प्रमुख वैज्ञानिकों डॉ. बी.पी. त्रिपाठी, श्री तोषण कुमार ठाकुर व डॉ. एस.के. लहरे द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। साथ ही प्रस्तावित कार्य योजनाओं पर विभागीय अधिकारियों और समिति सदस्यों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।इस दौरान प्रगतिशील किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किए एवं पशुधन संरक्षण, सीमित चारागाह, फसल अवशेष प्रबंधन, जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, पारंपरिक फसलों के प्रोत्साहन हेतु अनुदान व योजनाएं लागू करने संबंधी सुझाव रखे।

बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकगण डॉ. प्रदीप सिंह, ईजी.टी.एस. सोनवानी, डॉ. रजनी अगासे, डॉ. प्रमीला जोगी, डॉ. एन.सी. बंजारा, नेहा लहरे, डॉ. जितेन्द्र जोशी, डॉ. थानेश्वर देवांगन, इंजी. पल्लवी पोर्ते, डॉ. लव कुमार, श्री डोमन सिंह टेकाम एवं संबंधित विभागों के अधिकारी श्री सुमन सिंह पैकरा, श्री देशराज यादव, सुष्मिता कंवर, डॉ. पुष्पराज खटकर, डॉ. नूतन पंचखांडे, श्रीमती दीपा कहिरा, श्री निलेश चंद्रवंशी, श्री सुंदर वर्मा, श्री अमित वर्मा सहित 70 से अधिक अधिकारी और प्रगतिशील किसान उपस्थित थे। 

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