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कोरिया : पढ़ई तुंहर दुआर कोरोना महामारी बनी पढ़ाई में बाधा तो सोशल मीडिया को बनाया रास्ता
व्हाट्सएप और यूट्यूब बने पढ़ाई के सशक्त माध्यम

कोरिया : कोरोना महामारी की त्रासदी ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है। ऐसा कोई भी वर्ग नहीं है, जो इससे अछूता रहा हो। इस दौरान बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई।
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बच्चों तक शिक्षा को सरलता और सहजता से पहुंचाने के लिए जिले के कई शिक्षकों ने नवाचार किये जिससे बच्चे शिक्षा से जुड़ सके हैं। ऐसी ही शिक्षिका हैं, कोरिया जिले के परवीन बानो, जो विकासखंड बैकुंठपुर के शासकीय प्राथमिक शाला आजाद नगर में सहायक शिक्षक एलबी पद पर पदस्थ हैं।

परवीन बानो बताती हैं कि छत्तीसगढ़ शासन और सभी शिक्षकों के द्वारा, छात्रों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इस हेतु पढ़ाई तुंहर द्वार योजना शुरू की गई। जिससे छात्र घर बैठे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई नियमित रख सकते थे। साथ ही शिक्षकों ने भी अपने तरफ से हर संभव प्रयास किया कि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित ना हो।

लॉकडाउन के 1 महीने के बाद जब हमें लगा कि शायद अब स्कूल नहीं खुलने वाला है तब मैंने फोन पर पालको से चर्चा कर उन्हें समझाइश दी कि वह घर पर ही छात्रों की पढ़ाई को नियमित रूप से संचालित रखें। अपने घर के बच्चों के साथ साथ आसपास के बच्चों को एक निश्चित दूरी पर बैठा कर उन्हें पढ़ाएं और यदि उन्हें पढ़ाने में कहीं भी समस्या होती है तो वह हमसे फोन करके संपर्क करते हैं। इसका मुझे बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिला कुछ पालक बहुत ही सक्रिय हुए और वे अपने घर के बच्चों सहित आस पड़ोस के बच्चों को घर में बैठा कर पढ़ाने लगे।

वे जो भी पढ़ाते थे उसे हमारे स्कूल के बने हुए व्हाट्सएप ग्रुप ‘‘प्राथमिक शाला आजाद नगर‘‘ पर नियमित पोस्ट करते थे। इससे हम भी देख सकते थे, कि छात्र किस तरह से पढ़ाई कर रहे हैं और हम इस व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से छात्रों की शंका समाधान और उनकी पढ़ाई में मदद करते थे।

  प्राथमिक शाला आजाद नगर के बने हुए व्हाट्सएप ग्रुप में मेरे द्वारा छात्रों को पढ़ाने के लिए पाठ्य से संबंधित वीडियोस बनाकर, यूट्यूब लिंक और पीपीटी बनाकर ग्रुप में सेंड कर दिया जाता था। जिसे देखकर, पढ़ कर छात्र विषय वस्तु की समझ बना पाते थे । साथ ही व्हाट्सएप ग्रुप में मेरे द्वारा छात्रों को नियमित गृह कार्य दिया जाता था, जिसे छात्र पूरा करने के बाद उस ग्रुप में वापस सेंड कर देते थे। इस तरह से मैंने छात्रों की पढ़ाई को नियमित संचालित करने का प्रयास किया।

इस अवधि में मोहल्ला लीडर की योजना से एक तरफ जहां कुछ पालकों के सक्रिय होने की वजह से छात्रों की पढ़ाई नियमित रूप से चल रही थी। वहीं दूसरी ओर मेरे द्वारा कुछ मोहल्लों में मोहल्ला लीडर का चुनाव किया गया। इन लीडर्स की यह जिम्मेदारी थी कि घर के आस पास जाकर छात्रों को पढ़ाने में मदद करें और ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों को जोड़ने का प्रयास करें। साथ ही जिन छात्रों के घर में स्मार्टफोन नहीं था, उनके गृह कार्य को वे अपने मोबाइल से फोटो लेकर ग्रुप में सेंड कर देते थे। मेरे द्वारा भेजे हुए फोटोस, वीडियोस को वे अन्य दूसरे छात्रों को भी दिखाते थे।

 वर्तमान समय में मेरे द्वारा छात्रो को ऑनलाइन  वेबैक्स मीट के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है। जहाँ पर न सिर्फ मेरे विद्यालय के छात्र जुड़ते है,अपितु अन्य दूसरे विद्यालय के छात्र भी जुड़ रहे है। ऑनलाइन क्लास में छात्रों को पीपीटी बनाकर, वीडियोस के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है ताकि छात्रों में विषय वस्तु की गहरी समझ बना सके।

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