महासमुंद हैल्लो फरमाइश और पकड़न-पकड़ाई खेल कर भी कंट्रोल कर रहे हैं कोरोना
सफलताः- 12 संदेहियों की कोरोना टेस्ट सैम्पलिंग, 283 की ऑन स्पॉट स्क्रीनिंग सहित 75 संदिग्धों को होम आइसोलेट कर दूरभाष पर 600 से अधिक का मार्गदर्शन कर चुके हैं डॉ देवेंद्र कुमार साहू
घर-परिवार को किनारे कर संक्रमण-रोधी चुनौतियों के बीच करते हैं मौके पर ड्यूटी। कोरोना संदेहियों की आधी अधुरी जानकारी मिलने पर भी खोज निकाल लेते हैं संदिग्धों को


महासमुंद 14 अप्रैल 2020/ इन दिनों दुनिया भर में कोविड 19 से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के स्वयं संक्रमित हो कर जान गंवा देने जैसे समाचार भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। बावजूद इसके जिले के कुल पैंतीस संदेहियों में से बारह प्रकरणों में स्वाब (कोरोना टेस्ट सैम्पल) के नमूने एकत्र करने वाले राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार साहू सहित उनकी पूरी टीम बखूबी चुनौतियों का सामना करती नजर आ रही है। बता दें कि कोरोना वॉरियर्स के नाम से चर्चित हो रहे इस टीम ने दिन और रात का भी हिसाब रखना छोड़ दिया है। चौबीसों घंटे कॉल सेंटर की ट्रिंग-ट्रिंग की तरह कोरोना कंट्रोल रूम में आने वाले हरेक फोन पर लोगों को मार्गदर्शन देने के साथ-साथ संबंधितों को अपेक्षित मदद मिली पायी या नहीं इस बात की पुष्टि के लिए बाकायदा अन-ऑफिशियल फीड-बैक भी लेते हैं। दूसरी ओर बाहर से आने वाले कोविड के संदिग्ध मरीजों को लेकर केंद्र एवं राज्य स्तर से मिली सूची के आधार पर इनकी खोजी धर-पकड़ भी लगातार जारी है।
तत्संबंध में पूछे जाने पर डॉ साहू ने दैनिक गतिविधियों के अनुभव साझा किए। बताया कि आठ घंटों की उनकी ड्यूटी अब अट्ठारह की हो चली है। रोजाना तकरीबन तीस से चालीस फोन अटैंड करने होते हैं और संदिग्ध प्रकरणों में अब तक की आन स्पॉट स्क्रीनिंग का आंकड़ा भी कुल दो सौ तिरासी तक पहुंच गया है। इस दौरान कई मर्तबा मौके पर ऐसी दिक्कतें भी आ जाती हैं कि समझ नहीं आता कि आखिर क्या करें। जोर देने पर उन्होंने बताया कि हाल ही में शहर के रिहायशी इलाकों में चार ऐेसे संदिग्ध प्रकरणों के प्रवेश की सूचना मिली, जिनके संबंध में नाम, पता और मोबाइल नंबर तो दूर केवल उपनाम (सरनेम) ही ज्ञात हो पाया था। बिना पहचान घनी आबादी वाले मोहल्लों में उन्हें खोज निकालना कठिन था। लेकिन, हमने संभावित मोहल्लों के दो से पांच किमी आगे और पीछे दोनों ओर बारीकी से सर्चिंग की। देर रात तक समझ आया कि संदिग्ध व्यक्ति मुर्गी पालन एवं स्टील के व्यवसाय से जुड़े थे। ऐसे में सड़क किनारे लगी संबंधित हरेक दुकान और उनमें लगे विज्ञापनों के बोर्डों पर नजर दौड़ाई गई। अंकित दूरभाष नंबर बटोरे गए और बारी-बारी सभी से बात की गई। तदोपरांत सभी से समन्वय स्थापित करने में सफलता मिली और संदिग्धों को समझाइश देकर समय रहते सभी को होम क्वारंटीन कर लिया गया।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री संदीप ताम्रकार से मिली जानकारी के मुताबिक डॉ साहू की प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय महासमुंद जिले में ही हुई। उन्होंने संबलपुर युनिवर्सिटी से बीएएमएस की उपाधि ली और एमबीए इन आयुर्वेदा फार्मेसी का पाठ्यक्रम पुणे महाराष्ट्र से पुर्ण कर शैक्षणिक योग्यताओं को बढ़ाया। विगत दस वर्षों से चिकित्सकीय सेवाएं प्रदाय कर रहे डॉ साहू की कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए उन्हें डॉ आई नागेश्वर राव के अधिनस्थ कोरोना कंट्रोल रूम के सहायक नोडल अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। बता दें कि डॉ साहू के नेतृत्व में संचालित यह वही दल है जो प्रदेश में संक्रमण फैलाव के शुरुआती दौर में नेपाल से आए पच्चीस कोरोना संदिग्ध प्रकरणों की अधूरी जानकारी प्राप्त होने के बावजूद खोजी चिकित्सा सेवाएं प्रदाय कर दो संदेहियों को आरंग में होम आइसोलेट कराने में सफल रहा था। इसी दल के प्रयोगशाला प्रशिक्षक श्री निकोलस सिंह भी पूर्व में चार संदेहास्पद प्रकरणों के जांच नमूने रातों-रात राजधानी रायपुर तक पहुंचाने के लिए चर्चित रहे हैं।
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