म्हासमुंद : प्रत्यक्ष खनन प्रभावित क्षेत्र के 171 गाॅवों से चार हजार बाड़ी कृषकों का चयन
बाड़ी कृषकों को स्वरोजगार के साथ-साथ अतिरिक्त आय का मिला साधन
म्हासमुंद : छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत डी.एम.एफ. मद से बाड़ी विकास के लिए हासमुन्द जिले के चार हजार बाड़ी कृषकों को उद्यानिकी की योजनाओं से लाभान्वित किए जाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। उद्याानिकी विभाग के सहायक संचालक ने बताया कि जिले केे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक हजार बाड़ी के मान से कुल चार हजार बाड़ी कृषकों को लाभान्वित किया जा रहा है। बाड़ी कृषकों को चयन प्रत्यक्ष खनन प्रभावित क्षेत्र के ग्रामों से किया गया है। जिसमें विकासखंड महासमुंद के 63 गाॅव एवं बागबाहरा के 39 गाॅव में एक-एक हजार हितग्राहियों का चयन किया गया हैं। बसना के 37 गाॅव एवं सरायपाली के 20 गाॅव में आठ-आठ सौ हितग्राहियों का चयन किया गया हैं। इसी तरह विकासखंड पिथौरा के 12 गाॅवों में 400 किसानों का चयन किया गया हैं।

इसके तहत् बाड़ी कृषकांे को अमारी भाजी, भिण्डी, बरबटी, मिर्च, बैगन एवं टमाटर के बीज प्रदाय किया जा रहा है तथा गोठानों मे महिला स्व सहायता समूहों द्वारा निर्मित किए जा रहे वर्मी कम्पोस्ट खाद क्रय कर बाड़ी कृषकों को वितरण किया जा रहा है, जिससे महिला स्व सहायता समूहों के आय मे वृध्दि हो रही हैं एवं उन लोगो को स्वयं का रोजगार भी प्राप्त हो रही है तथा बाड़ी कृषकों को पौध संरक्षण हेतु कार्बेंडाजाइम फफूंदनाशक दवा का भी वितरण किया गया है, जिससे सब्जी फसल ताजी एवं रोगमुक्त रहे। बाड़ी कृषकों के द्वारा उत्पादित ताजी सब्जी स्वयं के परिवार के लिए उपयोग कर रहे है तथा शेष सब्जियों का स्थानीय बाजार में बिक्री कर रहे है, जिससे बाड़ी कृषकों को स्वरोजगार के साथ-साथ अतिरिक्त आय का साधन मिल रहे है। उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमलों के तकनीकी मार्गदर्शन से बाड़ी कार्यक्रम का संचालन बाड़ी कृषकों के द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इस प्रकार जिले के 4000 बाड़ी कृषक शासन के योजनाओं का लाभ लेकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

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