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 जिले में सिंचाई क्षमता के वृद्धि के लिए नवीन सिंचाई योजनाओं का निर्माण तथा पुरानी सिंचाई योजनाओं का जीर्णोद्धार एवं नहरों के लाईनिंग कार्य किया जा रहा हैं

नहर परिचालन में जल क्षति को न्यूनतम कर अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए विभाग प्रयासरत्

महासमुंद :  जिले में कुल कृषि योग्य भूमि लगभग 2 लाख 67 हजार 593 हेक्टेयर है। जल संसाधन विभाग द्वारा जिले के अधिकतम कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए लगातार समग्र कार्य योजना बनाकर क्रियान्वयन किया जा रहा है। जल संसाधन संभाग महासमुंद के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि जिले में एक वृहद कोडार जलाशय परियोजना, दो मध्यम जलाशय परियोजना इसमें केशवा जलाशय एवं अपर जोंक परियोजना तथा 125 लघु जलाशयों का निर्माण कर 65 हजार 892 हेक्टेयर रूपांकित सिंचाई के विरूद्ध 65 हजार 722 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित किया जा चुका है। जिससे जिले की सिंचाई क्षमता में लगभग 25 प्रतिशत हो चुकी है। निर्मित सिंचाई योजनाओं से जल भराव उपलब्धता के अनुसार खरीफ एवं रबी सिंचाई तथा ग्रीष्म ऋतु में तालाबों को निस्तारी के लिए प्रति वर्ष जल प्रदाय किया जा रहा है। सिंचाई क्षमता के उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए नवीन सिंचाई योजनाओं का निर्माण तथा पुरानी सिंचाई योजनाओं से रूपांकित क्षमता से कम हो रही सिंचाई की प्रतिपूर्ति हेतु जीर्णोद्धार एवं नहरों के लाईनिंग कार्य किया जा रहा हैं, नहर परिचालन में जल क्षति को न्यूनतम कर अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए विभाग द्वारा सतत् प्रयास किया जा रहा है।
 
उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग द्वारा जिले में एक वृहद, दो मध्यम एवं 125 लघु सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर कुल 65 हजार 722 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का सृजन किया जा चुका है। इसके अलावा
 
संभागाधीन 19 सिंचाई योजनायें निर्माणाधीन है। इन योजनाओं के पूर्ण होने से सिंचाई क्षमता में 8563 हेक्टेयर की वृद्धि होगी। संभागाधीन 11 निर्मित योजनाओं का जीर्णोद्वार एवं लाइनिंग कार्य के लिए छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान किया गया है। इन योजनाओं के पूर्ण होने के पश्चात् 3280 हेक्टेयर सिंचाई में हो रही कमी की प्रतिपूर्ति के साथ-साथ 544 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई की जा सकेगी। संभागाधीन 19 एनीकट एवं 03 स्टापडेम का निर्माण किया गया है। उपरोक्त 22 योजनाओं से जिले के सभी पाॅचों विकासखंडो में वर्षा के पानी को रोककर भू-जल संवर्धन एवं निस्तारी के साथ-साथ कृषकों के स्वयं के साधन से वर्तमान में 304 हेक्टेयर सिंचाई खरीफ एवं रबी सिंचाई किया जा रहा है।
 
मनरेगा के अन्तर्गत नहर सुधार, लाईनिंग एवं जल संवर्धन के 74 कार्यों के लिए 1822.77 लाख रूपए के कार्य प्रगतिरत है। जिसके पूर्ण होने से 438 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई में हो रही कमी की प्रतिपूर्ति तथा भू-जल संवर्धन एवं निस्तारी की सुविधाएॅ उपलब्ध हो सकेगा। संभागाधीन 14 नवीन सिंचाई योजनायें प्रस्तावित कर प्रशासकीय स्वीकृति के लिए शासन को जानकारी प्रेषित किया गया है। स्वीकृति पश्चात् निर्माण पूर्ण होने से 3 हजार 472 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई में वृद्धि होगी। वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक बजट में नवीन मद में संभागाधीन 27 योजनाओं के जीर्णोद्धार एवं लाईनिंग कार्यों को प्रावधानित किया गया है, जिसके स्वीकृति उपरान्त कार्य पूर्ण होने से 9 हजार 455 हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही सिंचाई में कमी की पूर्ति के साथ ही 295 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई होगी। संभाग में 07 योजनाएं वन प्रभावित होने के कारण अपूर्ण स्थिति में लंबित हंै।
 
इन योजनाओं को भारत सरकार, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, से स्वीकृति प्राप्त होने पर निर्माण उपरान्त एक हजार 861 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित होगा। जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित सिंचाई योजनाओं से सृजित सिंचाई क्षमता 65 हजार 722 हेक्टेयर है, जो कि कुल कृषि भूमि का 25 प्रतिशत है। निर्माणाधीन एवं प्रस्तावित सिंचाई योेजनाओं से कुल 14 हजार 735 हेक्टेयर नया सिंचाई क्षेत्र निर्मित होकर, कुल सिंचाई क्षेत्र 80 हजार 457 हेक्टेयर हो जाएगा, जिससे जिले की सिंचाई क्षमता 30 प्रतिशत हो जाएगी।

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