अमलेश्वर में 132 केवी क्षमता के विद्युत उप केंद्र की स्थापना और पाटन स्थित 132 केवी क्षमता के विद्युत उप केन्द्र की क्षमता बढ़ाकर 220 केवी करने की मंजूरी
- वोल्टेज की समस्या से निजात सहित क्षेत्र के विकास को मिलेगी नई गति
- मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने दी प्रोजेक्ट्स को मंजूरी
दुर्ग 05 मई 2020/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को दुर्ग जिले के अमलेश्वर में 132 केवी क्षमता के विद्युत उप केंद्र की स्थापना और पाटन स्थित132 केवी क्षमता के विद्युत उप केन्द्र की क्षमता बढ़ाकर 220 केवी करने की मंजूरी प्रदान कर दी है। दुर्ग जिले के अमलेश्वर में नए 132 केवी क्षमता के विद्युत उपकेंद्र की स्थापना और पाटन स्थित 132 केवी क्षमता के विद्युत उपकेंद्र की क्षमता बढ़ाकर 220 केवी करने की मंजूरी से इस क्षेत्र के नागरिकों और किसानों को वोल्टेज की समस्या से राहत मिलेगी साथ ही क्षेत्र के विकास को एक नई गति मिलेगी । छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा इस महीने की 1 तारीख को यह स्वीकृति प्रदान की गई। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से यह मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की जनता की आवश्यकता और जरूरतों को देखते हुए यह पहल की और अब इसकी स्वीकृति मिल गई है। अमलेश्वर में नये केंद्र की स्थापना और पाटन में क्षमता विस्तार से वोल्टेज समस्या से पूरी तरह से लोगों को मुक्ति मिल सकेगी। इसके साथ ही क्षेत्र में नरवा योजना के अंतर्गत बनने वाले प्रोजेक्ट्स से भूजलस्तर में वृद्धि होगी। इसका स्वाभाविक लाभ किसान सिंचाई के रूप में ले पाएंगे। क्षमता विस्तार और नवीन क्षमता सृजन से इसके लिए आवश्यक बिजली की आपूर्ति हो सकेगी। इस प्रकार क्षमता विस्तार से घरेलू जरूरतों को तो लाभ होगा ही, भविष्य में एग्रो इंडस्ट्री के विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए भी यह काफी उपयोगी होगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा आरंभ की गई नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी योजना में नरवा पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है। पहले पाटन में गजरा नाले प्रोजेक्ट के माध्यम से पूरे क्षेत्र में जलस्तर में वृद्धि हुई थी। अब नये नरवा प्रोजेक्ट्स पर काम तेजी से हो रहा है। काम पूरा होने पर स्वाभाविक रूप से इससे पूरे क्षेत्र में जलस्तर में वृद्धि होगी। इसी समय इन उपकेंद्रों में भी काम शुरू हो जाएगा और बढ़ती हुई सिंचाई जरूरतों के अनुरूप किसानों को बिजली की उपलब्धता सहज हो जाएगी। बाड़ी के माध्यम से सब्जी और फलों के रकबे में विस्तार होगा और इससे एग्रो इंडस्ट्री की संभावनाओं को जगह मिलेगी। बिजली की उपलब्धता से इनके लिए उद्योग संचालन में आसानी होगी। इस प्रकार नई व्यवस्था के अनुरूप बिजली की जरूरतों को देखते हुए राज्य शासन द्वारा नये प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा रही है और पुराने केंद्रों में विस्तार का कार्य किया जा रहा है।
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