दुर्ग जिले में अब तक बंटवाये गए साढ़े तीन लाख से अधिक मास्क, इसमें से एक लाख बिहान के ग्रामीण स्वसहायता समूहों ने बनवाये
- 195 समूहों की महिलाएं सतत रूप से लगी हुई कार्य में, एक लाख अठारह हजार मास्क बना चुकी, इसमें से एक लाख का विक्रय भी कर चुकीं



दुर्ग 05 मई 2020/लाकडाउन के वक्त मास्क की देश में इतनी दिक्कत थी कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि मास्क नहीं तो गमछा का उपयोग कर सकते हैं। कोविड विपदा से सुरक्षा के लिए मास्क और हैंडवाश ही तो हथियार हैं। दुर्ग जिले में बिहान की महिलाओं ने ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होने दी कि किसी को मास्क की जगह गमछा का इस्तेमाल करना पड़े। इनके द्वारा हर दिन किए गए बड़े पैमाने पर मास्क निर्माण से लगभग एक लाख लोगों तक मास्क पहुंच गया है। इसके अलावा जिले में साढ़े तीन लाख मास्क वितरित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त भी बड़े पैमाने पर स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी मास्क वितरित किए जा रहे हैं।
एक महीने के भीतर इन्होंने युद्धस्तर पर मास्क का उत्पादन किया और लगभग एक लाख अठारह हजार मास्क बना लिये। इनमें से एक लाख मास्क वे विक्रय भी कर चुकी हैं। इनके विक्रय के माध्यम से बारह लाख रुपए की राशि वे अर्जित कर चुकी हैं। इसी तरह से मास्क निर्माण कार्य में लगी ग्राम बोरी की राधा स्वसहायता समूह की समूह की अध्यक्ष यशोदा देवांगन बताती हैं कि जिस दिन लाकडाउन हुआ और कोविड विपदा की जानकारी मिली तो हमारे बिहान के अधिकारियों ने बताया कि इससे रक्षा करनी है तो मास्क बनाना होगा क्योंकि मास्क अभी बहुत कम है। फिर हमने उसी दिन से काम शुरू कर दिया। इसकी राशि भी हमने तय कर दी। यह दस रुपए, पंद्रह रूपए और 20 रुपए थी। यह बहुत ही मामूली सी राशि थी जिसे देकर लोग आसानी से मास्क खरीद सकते हैं। लक्ष्मी स्वसहायता समूह की सदस्य लोकेश्वरी सिन्हा ने बताया कि हमें खुशी इस बात की जरूर है कि हम लोग इतना पैसा अपने हुनर से कमा पा रहे हैं पर उससे भी बढ़कर खुशी इस बात की है इस हुनर के माध्यम से सैकड़ों जिंदगियां बचेंगी। शुरूआत में काफी कम लोग मास्क में दिखते थे। अब हर कहीं मास्क में लोग नजर आते हैं। इसके पीछे हमारी मेहनत है। अपने शहर और गांव को बीमारी से बचाने के लिए जो हमने पहल की है उस पर हमें गर्व है।
कोविड विपदा से बिहान के बिजनेस माडल को समझने में भी हमें मदद मिलती है। यह माडल बहुत लचीला है और समय को भांपते हुए बिजनेस माडल निर्धारित करता है। जैसे ही मास्क और सैनिटाइजर की आवश्यकता महसूस हुआ। बिहान के समूहों ने यह काम अपने हाथ में ले लिया। लगभग 195 समूह मास्क निर्माण में लगे और 12 समूह सैनेटाइजर निर्माण में। सैनेटाइजर निर्माण में लगे समूहों ने लगभग साढ़े चार सौ लीटर सैनेटाइजर का निर्माण किया है और लगभग सवा दो लाख रुपए में इसका विक्रय किया है।
सबसे अच्छी बात यह है कि राष्ट्र विपदा के वक्त इन्होंने अपनी हुनर से न केवल अपने आर्थिक कार्यों को जारी रखा अपितु तेजी से संक्रमण की रोकथाम की वस्तुएं तैयार कर कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने वाली कड़ी साबित हुए।
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