ब्रेकिंग न्यूज़

 सफलता की कहानी- मनरेगा से जल संवर्धन के कार्यो से कृषक हो रहे लाभांवित
किसान बाबु लाल के यहाॅकुप निर्माण से कमा रहा 20 हजार रू तक अतिरिक्त आमदनी

सूरजपुर: कृषक अपनी अजीविका के लिए कृषि पर निर्भर रहतेे है लेकिन सिचाई की सुविधा न हो पाने पर वे कृषि कार्य कर पाने मे असमर्थ हो जाते हैं। असिंचित क्षेत्र जहां वर्षा के पानी पर कृषक निर्भर हुआ करते थे वहीं आज महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से जल संवर्धन के कार्यो को प्राथमिकता से स्वीकृत कर कृषकों को लाभांवित किया जा रहा है।  
 
मनरेगा स्वीकृत कार्य से बदली जिन्दगी का उदाहरण पेष करते कृषक श्री बाबु लाल सूरजपुर के जनपद पंचायत रामानुजनगर से 05 किमी दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत छिन्दिया के निवासी हैै। मनरेगा के तहत खेत में कुएं के निर्माण के बाद अब वे साल भर साग-सब्जियों की खेती करते हैं, जिसे बेचकर उन्होने अपन घर की आर्थिक स्थिति को सषक्त किया हैै। वे सब्जी बेचकर मौजूदा लाॅकडाउन के प्रतिकुल स्थिति में भी हजारों की आमदनी कमा रहें हैं। मनरेगा योजना के तहत सिचाई सुविधा मिलनें से किसान बाबु लाल कई फसलों का उत्पादन कर अच्छी आमदनी कमा रहा है। मनरेगा के तहत निमार्ण किया गया कुआंबाबु लाल के लिए अच्छी आमदनी का जरिया बन गया है और सब्जी की खेती शुरू करने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है। मनरेगा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 में हितग्राही श्री बाबू लाल के निजी भूमि पर कूप निर्माण स्वीकृत किया गया, कार्य की आवष्यकता को देखते हुए इनके निजी भूमि पर कूप निर्माण हेतु प्रषासकीय स्वीकृति राषि 4.50 लाख रू0 थी। बाबु लाल अपने खेत में कुआं खुदाई के दिनों को याद करते हुए बताते हंै कि कुआ निर्माण कार्य में 764 मानव दिवस नियोजित करते हुए ग्राम पंचायत के पंजीकृत श्रमिकों के साथ-साथ मुझे और मेरी पत्नी को भी रोजगारप्रदाय किया गया।
 
कूप के निर्माण से पूर्व कृषक द्वारा असिंचित भूमि होने के कारण सिर्फ एक फसली खेती (धान) का फसल लिया जाता था परन्तु वर्तमान में कूप बनने के पश्चात धान की खेती के साथ-साथ सब्जी का भी खेती किया जा रहा है जिसमें प्रमुखतःभिण्डी, टमाटर, आलू, करेला, बरबट्टी, लौकीइत्यादी का खेती किया जा रहा है कूप निर्माण हो जाने से कृषक बाबू लाल के द्वारा प्रमुख रूप से आलू की खेती की जा रही है जिसमें 01 एकड़आलू की खेती की गई है। जिससे कृषक बाबू लाल को 15 से 20 हजार रूपये अतिरिक्त आमदनी हो रही हैं, जिसका उपयोग बाबु लाल बच्चों की पढ़ाई लिखाई एवं जीवन स्तर को आगे बढ़ाने हेतु उपयोग में ला रहे हैं।
 
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 का संक्रमण रोकने लागू देषव्यापी लाॅकडाउन में मनरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए निर्मित परिसम्पत्तियों ने हितग्राहियों को आर्थिक रूप से सषक्तकरनें के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गतिमान बनाए रखा हैं। मनरेगा के कार्यों का लाभ व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर मिल रहा हैं। जाॅबकार्डधारियों की निजी भूमि पर डबरी निर्माण, निजी तालाब निर्माण, भूमि सुधार, कूप निर्माण, मुर्गीशेड, बकरी शेड, पषुशेड और मिश्रित फलदार पौधरोपण जैसे आजीविका सृजन और संवर्धन होने से ग्रामीणों के जीवन में तेजी से बदलाव आ रहा है। मनरेगा से जुडकर ग्रामीणों को जो आर्थिक संसाधन प्राप्त हुए है, उससे वे मौजूदा हालात में काफी राहत महसूस कर रहें हैं। लाॅकडाउन से निपटने गांव-गांव मे मनरेगा से ज्यादा से ज्यादा हितग्राहीमूलक कार्य शुरू किया जा रहे हैं। इससे हितग्राहियों को लंबे समय तक फायदा देने वाले संसाधन के साथ ही स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिल रहा है। यह हितग्राही के साथ श्रमिकों को भी आर्थिक रूप सें आत्मनिर्भर बना रहा हैं।

Related Post

Leave A Comment

छत्तीसगढ़

Facebook