पारंपरिक गहनों ने खीचा दर्शकों का मन, रजत जयंती वर्ष पर शिल्पकला, व्यंजन सहित सजी पारंपरिक आभूूषणों की प्रदर्शनी
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
बलरामपुर : रजत जयंती वर्ष पर ऑडिटोरियम परिसर में पारंपरिक आभूषणों, व्यंजन, शिल्पमेला की पर प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में पहुंचे आगंतुकों का उत्साह देखने लायक था। विशेषकर युवा पीढ़ी पारंपरिक आभूषणों को खासा पसंद कर रहीं थी। जिसमें पैजन, हसली, सिक्के से बनाई गई आभूषण मन मोह रहा था। स्कूली छात्राओं का कहना है कि हम आधुनिक फैंशन को पसंद करते हैं लेकिन प्रदर्शनी के माध्यम से समझ आ रहा है कि पारंपरिक आभूषण भी आकर्षक हो सकते है। ज्ञात है कि पुराने समय में गहने का धर्मिक, समाजिक और आर्थिक महत्व होता था। विवाह उत्सव और त्योहारों में गहनों को शुभ माना जाता रहा है। आज भी लोग पारंपरिक आभूषणों को सहेज कर रखते है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तीज त्यौहार से जुड़े पारंपरिक व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में खुरमी, चिला, चौसला और विभिन्न प्रकार के नमकीन के साथ-साथ पोषक हरी सब्जियों को प्रदर्शित किया गया, जिसमें स्वास्थ्यवर्धक खानपान संस्कृति का संदेश दिया गया। प्रदर्शनी में आने वाले लोगों ने पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी चखा। इसी क्रम में आयोजित शिल्प प्रदर्शनी भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी। इसमें स्थानीय कारीगर द्वारा लकड़ी से तैयार की गई विभिन्न सामग्री जैसे गृह सज्जा की वस्तुएं, विभिन्न उपकरण प्रदर्शित किया गया।
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