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 बलरामपुर (सफलता की कहानी) : महिलाएं बाड़ी में कर रहीं हैं अदरक की खेती

नई पहल में महिलाएं दिखा रहीं साकारात्मक रूचि

बलरामपुर 17 जून : शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना एक बहुआयामी प्रयास है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा अवसंरचना के विकास के साथ ही ग्रामों को आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। गोठान में सामुदायिक बाड़ी विकास के माध्यम से बाड़ियों में सब्जियां तथा उद्यानिकी फसलें लगाई जा रही है। एन.आर.एल.एम. की महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं बाड़ी विकास के कार्यों में सक्रियता के साथ जुड़ी हुई हैं। जिला प्रशासन का भी प्रयास है कि महिलाओं को गोठान के माध्यम से आजीविका से जोड़कर लाभप्रद व्यवसायों में संलग्न किया जाए, ताकि उन्हें अच्छी आय प्राप्त हो। लागत, आय, परिश्रम और भूमि की अनुकूलता को देखते हुए विकासखण्ड शंकरगढ़ के गोठानों में अदरक की खेती करने का फैसला लिया गया है। महिलाओं को अदरक की खेती से जुड़ी सभी जानकारियां दी गई हैं, ताकि महिलाएं आसानी तथा सफलतापूर्वक अदरक की खेती कर पाएं।

कृषि आधारित नवाचारों तथा महिलाओं को आर्थिक सक्षमता प्रदान करने के प्रयासों को बढ़ावा देने में कलेक्टर श्री श्याम धावड़े प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हरीष एस. ने बताया कि शुरूआत से ही गोठान के माध्यम से महिलाओं को बाड़ी विकास कार्यक्रम से जोड़कर आजीविका प्रदान किया जा रहा है। इसी क्रम में शंकरगढ़ के गोठानों में अदरक की खेती करने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया गया। इस नई पहल में महिलाओं ने अपनी साकारात्मक रूचि दिखाई है। भूमि की अनुकूलता तथा अदरक की खेती से अच्छी आय को देखते हुए प्रशासन द्वारा महिलाओं को आवश्यक सामग्रियां उपलब्ध करवाई गई। शंकरगढ़ के मनकेपी के गोठान में पिछले वर्ष भी महिलाओं ने प्याज, मक्का, बरबट्टी एवं तरबूज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया था। मनकेपी के राधा महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं अदरक की खेती से जुड़ गई हैं। समूह की सदस्य चन्द्रकला बताती हैं कि खेत तैयार कर हमने अदरक की बुवाई कर दी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने खेतों में गोठान में तैयार जैविक खाद का उपयोग किया है, जिससे अच्छी पैदावार के साथ खेत की उर्वरकता बनी रहेगी तथा जैविक उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। 

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर अदरक की बीज बाजार में उपलब्ध नहीं हो पाती है, इसलिए हमने बैंक लिंकेज से प्राप्त राशि का उपयोग बीज खरीदने में किया था। बैंक लिंकेज से प्राप्त 24 हजार रूपये की राशि से 1.5 क्विंटल बीज की खरीदी की। अदरक की खेती के लिए प्राप्त जानकारियों को आधार बनाते हुए समूह की कुन्ती दीदी का कहना है कि 1.5 क्विंटल अदरक लगाने से हमें लगभग 6 क्विंटल अदरक प्राप्त होगा। जिससे लागत की तुलना में अच्छे अनुपात में पैदावार तथा आय प्राप्त होगी। हर कदम में प्रशासन का सहयोग हमें प्रोत्साहित किया है, जिससे हमें आगे बढ़ने में प्रेरणा मिली है।

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