महासमुंद : मुख्यमंत्री ने आगामी फसल बुआई, खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण के लिए राज्य में ‘‘रोका-छेका’’ प्रथा को बढ़ावा देने दिए निर्देश
महासमुंद 18 जून : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आगामी फसल बुआई कार्य के पूर्व खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में प्रचलित ‘‘रोका-छेाका’’ प्रथा को बढ़ावा देने के निर्देश दिए है। इसके अंतर्गत फसल बुआई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाले हानि से बचाने के लिये पशुपालक तथा ग्रामवासियों द्वारा पशु को बांधकर रखने अथवा पहटिया की व्यवस्था इत्यादि कार्य किया जाता है। इस प्रयास से न सिर्फ कृषक शीघ्र बुआई कार्य संपादित कर पाएंगे, अपितु द्वितीय फसल लेने के लिए भी प्रेरित होंगे। इस प्रथा अनुसार व्यवस्था की सुनिश्चितता के लिए शुक्रवार 19 जून 2020 तक ग्राम स्तर पर बैठक आयोजित कर सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीण निर्णय ले। इसके अलावा ग्राम स्तर पर बैठक आयोजित कराएं, जिसमें ‘‘रोका-छेका’’ प्रथा अनुरूप पशुआंे को बांधकर रखने, पशुओं के नियंत्रण से फसल बचाव का निर्णय ग्राम सरपंच पंच, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणों ले। ‘‘रोका-छेका’’ प्रथा अंतर्गत गौठानों में पशुओं के प्रबंधन एवं रख-रखाव की उचित व्यवस्था के लिए गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जाए। पहटिया एवं चरवाहे की व्यवस्था से पशुओं का गौठानों में व्यवस्थापन सुनिश्चित कराएं।
खुले में विचरण कर रहे पशुओं का नियंत्रण व गौठानों में संधारण कराएं। गौठानों में पशु चिकित्सा तथा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन काराएं। वर्षा के मौसम में गौठानों में पशुओं के सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किया जाए। वर्षा से जल भराव की समस्या दूर करने के लिए गौठानों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जाए। गौठान परिसर में पशुओं के बैठने के लिए कीचड़ आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। गौठान में पर्याप्त चारा (पैरा आदि) की व्यवस्था की जाए। गौठानों में ग्रामीणजनों की समुचित भागीदारी, रखरखाव हेतु जागरूकता का कार्य स्थानीय कला जत्था समूहों के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराएं। गौठानों से संबंधित स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का प्रदर्शन कराएं। इस कार्य के लिए स्थानीय प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए एवं अधिक से अधिक सहभागिता सुनिश्चित कराएं।
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