कोरिया : पढई तुंहर दुआर से प्रेरित होकर ‘पढ़ई हमरपारा‘ नवाचार की शुरूआत
कोरोनाकाल में भी बह रही शिक्षा की बयार
कोरिया : कोरोना काल में भी कोरिया जिले में शिक्षा की धारा का लगातार प्रवाह हो रहा है। जिले में नगरीय क्षेत्रों से लेकर गांवों तक राज्य शासन द्वारा शुरू की गई ऑनलाईन कक्षा ष्पढ़ई तुंहर दुआरष् के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इससे नेटवर्क क्षेत्र व मोबाईल सुविधा वाले बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। इन सबके बीच कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जो दूरस्थ अंचलों में रहते हैं। नेटवर्क विहीन इन क्षेत्रों में बच्चों को पढ़ाना एक चुनौती थी। लेकिन कहते हैं ना जहां चाह, वहां राह। कलेक्टर श्री एस एन राठौर के मार्गदर्शन में ऐसे क्षेत्रों मे शाला प्रबंध समिति व ग्राम वासियों ने बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करने के लिए कमर कस ली और शिक्षा के वैकल्पिक व्यवस्था की राह तैयार की।

जिला शिक्षा अधिकारी से जिले में दूरस्थ अंचलों में रहने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए की गई वैकल्पिकक व्यवस्था के संबंध में बात करने पर उन्होंने बताया कि शाला प्रंबंध समिति द्वारा ग्रामीणों के साथ मिलकर इस मसले पर चर्चा की गई। कोरोना से उपजी महामारी में बच्चे स्कूल नहीं आ सकते तो स्कूली पढ़ाई को बच्चों तक पहुंचाया जाये। इसके तहत सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी मनेन्द्रगढ़ एवं संकुल समन्वयक ने प्रधान पाठकों से चर्चा की। इसके बाद शाला प्रबंध समिति के साथ मिलकर संकुल समन्वयक और शिक्षकों के साथ गांव में भ्रमण कर स्थिति को समझा और कार्ययोजना बनाई। इस योजना के तहत निर्णय लिया गया कि सघन बस्तीं, जहां 10 से 12 बच्चे हो, वहां किसी भी ग्रामवासी की सहमति से उनके मकान के कमरे अथवा बरामदे में कक्षा संचालित होगी।

पढई तुंहर दुआर से प्रेरित होकर ‘पढ़ई हमरपारा‘ नवाचार की शुरूआत
राज्य शासन के पढई तुंहर दुआर ऑनलाईन कक्षा संचालन से प्रेरित होकर जिले में एक नई पहल करते हुए ष्पढ़ई हमरपाराष् नवाचार की शुरूआत की गई है। गेस्ट फेकल्टी की तर्ज पर मोहल्ला, पारा के पढ़े लिखे युवक, युवती, सेवानिवृत शिक्षक, प्रेरक आदि को उनकी स्वेच्छा और सहमति से अध्या्पन की जिम्मेरदारी देते हुए शामिल किया गया है। जिससे बच्चों को नैतिक व व्यवहारिक शिक्षा भी मिल सके। बच्चे भी इन कक्षाओं में उत्साह से शामिल हो रहे हैं।

महामारी में भी शिक्षा की लौ जल रही
अध्ययन-अध्यापन के दौरान कोविड-19 के नियमों का पूर्णता पालन किया जावेगा। सभी बच्चेि और वालिंटियर मास्कक का प्रयोग करेंगे। सोशल डिस्टेतसिंग का पालन करते हुए बैठक व्यवस्था रखेगे। सेनेटाईजर का उपयोग करेंगे। कक्षा संचालन सुबह 10 से शाम 4 बजे के बीच किसी भी समय वालिंटियर और बच्चो के सुविधा अनुसार रहेगी। एक से दो घंटे ही कक्षा संचालन किया जाएगा। शाला प्रबंध समिति के प्रस्ताव पर ही कक्षा संचालन होगा। शिक्षक की भूमिका आवश्यक शैक्षिक सामग्री जैसे चाक, डस्टर, श्यामपट, ग्रीन बोर्ड, मास्क , सेनेटाईजर, हैण्डवाश उपलब्ध कराना और समय-समय पर कक्षा संचालन का अवलोकन कर शिक्षणगत समस्याओं का समाधान करना है।

कछौड़ संकुल के बडकाबहरा व सिहरापारा में शाला प्रबंध समिति एवं ग्रामीणों द्वारा प्रस्ताव पास कर प्रथम कक्षा संचालन शुरू हुआ। आज विकासखण्ड् मनेन्द्र्गढ के 07 संकुल कछौड, घुटरा, बंजी, लालपुर, पाराडोल, पसौरी और केल्हाकरी के लगभग 50 पारा व टोला में पढ़ई हमरपारा कक्षा का संचालन किया जा रहा है। ष्पढ़ई हमरपाराष् कक्षा के संचालन की एससीईआरटी, रायपुर के द्वारा प्रशंसा करते हुए राज्य स्तर से प्रकाशित चर्चा पत्र में ष्पढई हमरपाराष् वैकल्पिक कक्षा संचालन को प्रकाशित किया जा चुका है।
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