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सफलता की कहानी- लाॅकडाउन के दौरान श्रमिको को दो वक्त की रोटी का इंतजाम
मनरेगा से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाये रखने में मिली मदद
 
बेमेतरा 24 जुलाई 2020ः-वैसे तो वर्ष 2020-21 के अब तक गुजरे महीने पूरे विश्व के लिए याद करने लायक नही है । जहां पूरा विश्व कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। कोरोना से न केवल जनधन की हानि हुई है बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। कोरोना जैसे महामारी से बचने के लिए शासन द्वारा समय-समय पर लाॅकडाउन भी लगाया जाता रहा है लाॅकडाउन अवधि में लोगों को खाने-पीने से लेकर दैनिक जीवन की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के फेलाव को रोकने लाॅकडाउन में जहां एक ओर अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी हुइ्र्र थी तो दूसरी ओर ग्रामीण अर्थव्यवस्था नरेगा से रोजगार प्रदान कर नई उंचाई को छू रहा था। जहां लाॅकडाउन में रोजगार के लगभग सभी साधन बंद थे।
 
वहीं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से विकासखण्ड क्षेत्र में ग्रामीण अंचल के अधिकतम परिवारो को उनके मांग अनुसार रोजगार देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में परिसम्पत्ति सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसका प्रतिफल यह हुआ कि मानव दिवस सृजन में प्रथम त्रैमास हेतु निर्धारित लक्ष्य का 200 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है साथ ही वर्ष हेतु निर्धारित लक्ष्य का 90 प्रतिशत प्रथम त्रैमास में ही प्राप्त कर लिया गया है। बेमेतरा जनपद पंचायत के भोथीडीह निवासी सावित्री बाई, फुलन बाई, रवि धु्रव आदि ने कहा कि उन्होने मनरेगा अंतर्गत अपने ग्राम में ही लगातार रोजगार प्राप्त कर रहे हैं । साथ ही उन्हे बैंक खाते के माध्यम से लगातार मजदूरी का भुगतान प्राप्त की है। मजदूरी भुगतान के लिए विकासखण्ड मे अनोखी पहल करते हुए बैंक सखी के माध्यम से मनरेगा मजदूरो को कार्य स्थल पर ही मजदूी भुगतान प्रदाय करने का शुरूआत किया गया । जिससे उन्हे इस महामारी के दौरान लाॅकडाउन में भी आर्थिक तंगी से परेशान नही होना पड़ा। लाॅकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरो को भी क्वारंटाईन अवधि पूर्ण करने के पश्चात् उनके सामने खड़ी विकराल समस्या का निजात भी मनरेगा के माध्यम से रोजगार देकर दिलाया गया।
 
हथमुड़ी निवासी रमेश पिता ढेलू  द्वारा बताया गया कि मनरेगा अंतर्गत उनको निजी डबरी कार्य की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। जिसे बनाकर न केवल मुझे एवं मेरे परिवार को लाॅकडाउन में रोजगार प्राप्त हुआ है वरन् गांव के अन्य लोगो को भी इस महामारी में रोजगार प्राप्त हुआ। साथ ही निर्मित डबरी में वर्तमान में पर्याप्त पानी भर गया है। जिससे मुझे खेती करने में सुविधा होगी एवं 100 प्रतिशत फसल उत्पादन हेतु सहायता प्राप्त होगी। साथ ही मछली पालन आदि से भी मुझे रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसी प्रकार पड़कीडीह निवासी श्री मोहित साहू द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा मनरेगा अंतर्गत निजी डबरी का निर्माण कराया जा कर मत्स्य पालन प्रारंभ कर दिया गया है। जिससे उन्हें आत्मनिर्भर होने में सहायता मिलेगी। कमल जायसवाल खंडसरा द्वारा बताया गया कि प्रवासी मजदूर के रूप में बाहर से गांव आने के उपरांत क्वारंटाईन पश्चात् उनके सामने रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई थी । जिससे उन्हे आर्थिक तंगी का सामाना करना पड़ रहा था। ऐसे में उनके द्वारा ग्राम पंचायत में कार्य के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् सरपंच ग्राम पंचायत खंडसरा द्वारा उनको मनरेगा अंतर्गत त्वरित रूप से रोजगार उपलब्ध कराया गया। उपरोक्त हितग्राहियों द्वारा यह भी बताया कि लाॅकडाउन के दौरान कार्य सम्पादन में कोरोना वायरस से बचाव के सभी सावधानियों का पालन किया गया था । जिसमें मुख्य रूप से दूरी बनाकर कार्य करना, मास्क लगाना एवं समय-समय पर साबुन से हाथ धोना शामिल है।
 
इस महामारी में महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाये रखने में मदद मिली है वरन् जनित परिसम्पत्ति, वर्तमान में जल संरक्षण एवं संवर्धन में कारगर साबित हुई है। लाॅकडाअन के दौरान ऐसे कार्यों का संपादन प्रमुखता के साथ किया गया जिससे न केवल रोजगार का सृजन हो बल्कि जल संरक्षण, संवर्धन, सिंचाई आदि की सभावनाओं में वृद्धि हो सके। जैसे तालाब निर्माण, निजी तालाब निर्माण, तालाब गहरीकरण, सिंचाई नाली का निर्माण, नदी डिसिल्टिंग कार्य, भूमि सुधार कार्य, पौधरोपण आदि।
 
       कोरोना काल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के ग्राम पंचायत स्तर, जनपद पंचायत स्तर एवं जिला स्तर पर लगातार अग्रणी भूमिका निभाते हुए लोगो को रोजगार उपलब्ध कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहे । लाॅकडाअन के दौरान न केवल अनाज वरन् घर-घर मास्क एवं सैनेटाईजर का वितरण भी किया गया । इस दौरान ग्रामीणों को कोरोना से बचाव के सभी सार्थक सावधानियों का पालन करने के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अधिकारी/कर्मचारी लगे रहे । उनके द्वारा फील्ड में जाकर अथवा ग्राम में घर-घर जाकर बचाव के साधनो का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया एवं स्वतः भी सभी सावधानियों का पालन किया गया । यही कारण है कि वर्तमान में मनरेगा अंतर्गत लगभग 50 हजार से भी अधिक श्रमिक एक साथ कार्य करने के उपरांत भी कोरोना संक्रमितो की संख्या विकासखण्ड क्षेत्र में न्यून है ।

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