धान कटाई के लिए हार्वेस्टर का हो रहा है मेन्टेनेन्स बेमेतरा 26 अक्टूबर 2020
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अब नई-नई तकनीक का उपयोग होने लगा है। अच्छे बीज, खाद और खेती के उन्नत तरीके अपनाकर और सिंचाई सुविधाओं में सुधार ला कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। कृषि के क्षेत्र में बेमेतरा जिला मूलरूप से अपने उन्हारी उत्पादन के लिए विख्यात है। यहां के किसान धान के अलावा नगदी फसल के रूप में गन्ना, सोयाबीन का भी उत्पादन कर रहे है। जिले मे दशहरा पर्व के बाद हरुना धान की कटाई चालू हो गई है। जबकी माई धान अभी पका नही है इस कारण इसकी कटाई मे अभी समय है। जिले में रबी फसल के रुप मे चने की बढ़िया पैदावर होती है। दाढ़ी-छिरहा के अलावा नवागढ़ अंचल में चने के साथ-साथ गेहूं का भी उत्पादन किया जा रहा है। किसान अपनी फसल उत्पादन के लिए अब मशीनों का भी सहारा लेने लगा है। बरसों पहले कृषि कार्य के लिए हल का उपयोग होता था, अब उसकी जगह ट्रेक्टर का उपयोग होने लगा है। धान कटाई के लिए हार्वेस्टर का उपयोग किसान कर रहे है। इससे समय की बचत तो हो रही है, किन्तु हार्वेस्टर से काटा गया धान का पैरा मवेशी नहीं खाते है। प्राचीन समय में बेलन से धान की मिंजाई की जाती थी। इसका पैरा जानवर बड़े चाव से खाते थे। हार्वेस्टर के उपयोग करने के बाद किसान फसल का अवशिष्ट खेतों में ही जला देते है, इससे पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) ने भी फसलों के अवशिष्ट जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है किन्तु इसका पालन किसान नहीं कर रहे है।
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