बलरामपुर : गोठान ग्रामों में रबी के रकबा विस्तार से किसानों की आमदनी में होगी वृद्धि, अब रबी में भी लहलहा रहे हैं सूने पड़े खेत उतेरा खेती को दिया जा रहा बढ़ावा
बलरामपुर 07 मार्च : शासन की बहुआयामी एवं महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजनान्तर्गत जिले के गोठान ग्रामों में रबी फसल का कृषि रकबा बढ़ाने हेतु विशेष पहल करते हुए कार्ययोजना तैयार की गई थी। कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा के निर्देशन में कृषि विभाग ने किसानों को रबी की अतिरिक्त फसल लेने हेतु प्रोत्साहित करते हुए आवश्यक सहायता दी। परिणाम स्वरूप रबी फसल के रकबा क्षेत्र में वृद्धि हुई और किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है। इन्ही प्रयासों से रबी के सूने पड़े खेत लहलहा रहें हैं। कृषि में नवाचारों तथा उतेरा जैसे परम्परागत पद्धतियों के सफल प्रयोग ने कृषकों को नयी दिशा दी है। पूर्व में रबी की फसल न लेने से किसानों को आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ता था, किन्तु अब कृषक रबी की फसल में अच्छी आय प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनके आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

जिले में कृषकों के द्वारा पूर्व में विभिन्न फसलें ली जाती रही है, किन्तु रबी फसल के रकबे में वृद्धि न होना एक महत्वूपर्ण समस्या थी। जानकारी का आभाव, संसाधनों की कमी तथा अलाभान्वित कृषि पद्धतियों ने कृषकों का मनोबल कम किया, इसी कारण रबी की फसलें नहीं ली जा रही थी। कृषि विभाग ने किसानों द्वारा रबी की फसल न लेने के और कारणों की पड़ताल की, जिसमें पता चला कि सिंचाई सुविधाओं की अनुपयुक्त व्यवस्था तथा पशुओं का खुले में विचरण करना एक महत्वपूर्ण समस्या है। समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर श्री संजीव कुमार झा द्वारा सुराजी गांव योजनान्तर्गत गोठान ग्रामों में पशुओं के खुले में विचरण को रोककर गोठान में पशुओं के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध करायी गई।
सिंचाई व्यवस्थाओं के लिए ग्रामों में नालों के माध्यम से सिंचाई सुविधाओं का विस्तार तथा उतेरा जैसे स्थापित पद्धतियों के माध्यम से नमी का उपयोग फसल उत्पादन में किया गया। इन साकारात्मक प्रयासों का नतीजा यह रहा कि 80 गोठान ग्रामों में रबी के फसल क्षेत्र में विस्तार हुआ। 80 गोठान ग्रामों में गत् वर्ष रबी का रकबा 6 हजार 654 हेक्टेयर था जो वर्ष 2019-20 में 4 हजार 228 हेक्टेयर बढ़कर 11 हजार 382.88 हेक्टेयर हो गया। किसानों को रबी फसल लेने हेतु खरीफ के मौसम में ही जानकारी दी गई थी। सर्वप्रथम ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया, जहां सिंचाई कम है, उन क्षेत्रों में कृषकों को उतेरा पद्धति से खेती हेतु प्रोत्साहित किया गया जिसके अन्तर्गत 1208 हेक्टेयर रकबे में तिवड़ा, अलसी, मटरी की फसलें ली गई। तत्पश्चात् ऐसे क्षेत्रों में जहां पानी की सुविधा थी, किन्तु किसान फसल नहीं लेते थे। कृषि विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर कृषकों को फसल प्रदर्शन के माध्यम से 4 हजार 150 क्विंटल बीज वितरित किया गया, जिसमें गेंहू, चना, सरसों, उड़द, मटर, तिवड़ा, अलसी, मूंगफली, मसूर आदि बीज प्रमुखता से शामिल थे। इसके अतिरिक्त मिनी किट के माध्यम से भी 2430 पैकेट निःशुल्क बीज किसानों को दिया गया। साथ ही बीज उत्पादन कार्यक्रम के माध्यम से कृषकों को बीज उत्पादन हेतु 196 हेक्टेयर अलसी और 400 हेक्टेयर गेहूं का आधार बीज प्रदान किया गया। उत्पादन पश्चात् कृषक बीज का प्रक्रिया केन्द्र गेऊर में विक्रय कर सकेंगे। जिससे कृषकों को बीज विक्रय कर अच्छी आय प्राप्त होगी।
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