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 महासमुंद : सरकड़ा सहकारी समिति में विवाद के चलते धान नही बेच पा रहे हैं किसान
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महासमुंद : पिथौरा तहसील के अंतर्गत 6 ग्रामों की सरकड़ा सहकारी समिति शुरू से विवादित रही है। आज वंहा 5 ग्रामो मे सुचारू रूप से धान खरीदी हो रही है बजाय सरकड़ा ग्राम के। कुछ मुट्ठी भर तत्वों के बहकावे और अनैतिक प्रयासों के कारण सरकड़ा ग्राम के किसान धान नही बेच पा रहे हैं। विदित हो कि पूर्व मे अनेक वर्ष तक सरकड़ा समिति का धान खरीदी स्थल विद्या मंदिर ट्रस्ट की भूमि रहा है जो कि निजी भूमि है। इस वर्ष शासन प्रशासन के द्वारा शासकीय भूमि पर खरीदी स्थल बनाने की मुहिम शुरू की गई जिसे सर्वत्र सराहना भी मिली है। इसी कड़ी में सरकड़ा समिति मे भी पटपरपाली की शासकीय भूमि का चयन कर खरीदी स्थल चयनित किया गया है। जंहा सभी जगहो पर शासकीय भूमि के चयन के सिद्धांत को सराहना मिली है वंहा सरकड़ा समिति के अंतर्गत विवाद की दशा का विद्यमान होना और उसी पुराने निजी स्थल के लिये अड़ा रहना  आश्चर्य ही कहा जायेगा। समिति के अंतर्गत पटपरपाली, भिथीडीह  अमलीडीह के किसान राजीखुशी अपना धान पटपरपाली मे बेच रहे वंही सरकड़ा,नयापारा,लहरौद के किसानो के द्वारा उसी पुराने निजी स्थल के लिये अड़े रहने की वजह से अनेक किसान धान खरीदी के शुरू होने के शुरूआती 3 दिनो तक धान ही नही बेच सके। कंही न कंही प्रशासनिक अधिकारियों और जागरूक जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्रयास करने पर लहरौद और नयापारा के किसानो ने अपनी समझदारी दिखाते हुए किसानो को बर्गलाने वाले अनैतिक तत्वों से दूरी कायम कर ली और पूरे उत्साह के साथ शुक्रवार को ही टोकन कटा लिये।
  
    बात सरकड़ा की की जाये तो कोई तुक नही कि ग्राम के कुछ स्थानीय निवासियों के द्वारा  अपने निजी हित को साधने की दृष्टि से लगातार ग्राम सरकड़ा के किसानो को दिग्भ्रमित किया गया है और विगत एक सप्ताह से धान बेचने से वंचित रखा गया है। हर रोज एक नई मांग लेकर कथित नेतृत्वकर्ता सामने आ रहे। इस वजह से समिति के 6 मे से 5 ग्राम जंहा धान बेच रहे वंही केवल ग्राम सरकड़ा में किसान चंद लोगों के बहकावे में आकर एक सप्ताह से धान बेचने से वंचित हैं। आश्चर्य का विषय है कि जिस सरकड़ा ग्राम में आज तक इतने वर्षों में एक इंच भी शासकीय जमीन धान खरीदी के लिये नहीं मिली थी और वर्षो से एक ट्रस्ट की जमीन को किराये मे लेकर, किराये के नाम पर वारा न्यारा किया जाता रहा, वंहा 2 माह पूर्व तक खरीदी स्थल को लेकर न तो कोई चिंता थी और न ही कोई शासकीय भूमि के चिन्हांकन का प्रयास हुआ। अब जब पटपरपाली मे धान खरीदी शुरू हो चुकी तो रातोंरात सरकड़ा मे भी शासकीय जमीन निकालकर ग्राम दावेदारी ऐसे समय मे पेश की जा रही जबकि धान खरीदी शुरू किये हुए एक सप्ताह बीतने को है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की समझाईश के बाद भी केवल कुछ व्यक्तियो के द्वारा निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिये किसानो को बर्गलाया गया और कोविड संक्रमण को अनदेखा करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने का प्रयास किया गया। .

भीड दिखाने के नाम पर बच्चो को भी बिना किसी सुरक्षा और  एहतियात के लाया गया। हालांकि प्रशासन और पुलिस के द्वारा मुस्तैदी के साथ भीड़ को राष्ट्रीय राजमार्ग से हटाकर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया ताकि आम राहगीरो को कोई समस्या न हो किंतु उन अनैतिक तत्वों 
पर कार्यवाही होना भी उतना ही जरूरी है जो अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिये कोविड 19 के इस संवेदनशील समय में जन स्वास्थ्य को अनदेखा करते हुए भोले किसानों को बर्गलाते हैं और महत्वपूर्ण मार्गों पर चक्काजाम जैसी गतिविधियों को अपनाकर आम राहगीरों के लिये समस्या पैदा करते हैं। उम्मीद है कि इस घटनाक्रम के बाद सरकड़ा ग्राम के किसान किसी भी तरह के स्वार्थी तत्वों के बहकावे मे न आते हुए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का लाभ लेने को तैयार हो जाएं।

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