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संभल में छह किसानों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए 50-50 हजार का मुचलका भरने के लिए नोटिस दिया गया है. इस नोटिस में कहा गया है कि ये किसान गांव में जाकर लोगों को भड़का रहे हैं, जिससे कि कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका है.
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों को नोाटिस भेजे जा रहे हैं. संभल के उपजिला मजिस्ट्रेट ने छह किसानों को 50 हजार तक का मुचलका भरने के लिए नोटिस भेजे गए हैं. पहले इन किसानों को 50 लाख के नोटिस भेजे गए थे, लेकिन अब इस नोटिस को संशोधित कर दिया गया है. SDM दीपेंद्र यादव ने 50 लाख वाले नोटिस पर सफाई देते हुए इसे 'क्लेरिकल एरर' यानी निचले स्तर पर की गई गलती बताया और कहा कि किसानों को बाद में संशोधित नोटिस भेज दिया गया.
इस नोटिस में कहा गया है कि 'किसान गांव-गांव जाकर किसानों को भड़का रहे हैं और अफ़वाह फ़ैला रहे हैं जिससे कानून व्यवस्था ख़राब हो सकती है.' नोटिस में इन किसानों से जवाब मांगा गया है कि किसानों पर 1 साल तक शांति बनाए रखने के 50 लाख रूपए का मुचलका क्यों न लगाया जाए. ये नोटिस धारा 111 के तहत 12 और 13 दिसंबर को भेजे गए हैं. नोटिस में लिखा है किसान, किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं जिससे क़ानून व्यवस्था भंग होने की संभावना है. ये किसान, किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे किसान संगठनों के सदस्य हैं.
एसडीएम दीपेंद्र यादव ने गुरुवार को कहा, 'हमें हयात नगर पुलिस थाने से रिपोर्ट मिली थी कि कुछ व्यक्ति किसानों को उकसा रहे हैं और इससे शांति भंग होने की आशंका है.' उन्होंने बताया कि थाना अध्यक्ष की रिपोर्ट में कहा गया था कि इन लोगों को 50-50 हजार रूपए के मुचलके से पाबंद किया गया.
जिन छह किसानों को नोटिस दिया गया, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली) संभल के जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव के अलावा जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शमिल हैं. इन्होंने यह मुचलका भरने से इनकार कर दिया है. यादव ने कहा, ‘हम ये मुचलके किसी भी हालत में नहीं भरेंगे, चाहे हमें जेल हो जाए, चाहे फांसी हो जाए. हमने कोई गुनाह नहीं किया है, हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.'
BKU (असली) के डिवीजन अध्यक्ष संजीव गांधी ने कहा कि इन किसानों या उनके परिवार में से किसी सदस्य ने इस बॉन्ड पर दस्तखत नहीं किए हैं. उन्होंने कहा कि 'हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, कोई अपराध नहीं.' -
नई दिल्ली : दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन अब किसानों की मौत का कारण भी बन रहा है। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में किसान अपनी मांगो को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।इस बीच ठंड की वजह से कई प्रदर्शनकारी किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन 22वें दिन भी जारी है और किसान संगठनों के मुताबिक अब तक 20 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। गुरुवार की सुबह एक और किसान ने ठंड की वजह से दम तोड़ दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे एक 37 वर्षीय पंजाब के किसान की ठंड की वजह से मौत हो गई। मृत किसान के 10, 12 और 14 वर्ष की उम्र के तीन बच्चे भी हैं जो उनके साथ आंदोलन में भाग लेने पंजाब से दिल्ली आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार किसान की मौत ठंड लगने की वजह से हुई है।गौरतलब है कि बुधवार को कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए सिख संत द्वारा आत्महत्या करने के कुछ घंटे बाद ही अन्य किसानों की मौत की खबरें भी सामने आने लगी हैं।
किसान संगठनों का दावा है कि नवंबर के अंत में आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक 20 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने अपनी जान गंवा दी है। माना जा रहा है कि उत्तर भारत में बढ़ती शीत लहर और कड़ाके की ठंड की वजह से आंदोलन कर रहे किसानों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।बता दें कि जिस स्थान पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वहां कुछ वॉलंटियर्स द्वारा कंबल और हीटर का इंतजाम कराया जा रहा है। इसके अलावा अपनी मांगो को लेकर अड़े किसानों को ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा भी लेना पड़ रहा है। -
दिल्ली : केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 20 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों को हटाने के लिए लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर की गई याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई।कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों का पक्ष सुना जाएगा। साथ ही कोर्ट ने सरकार से इस बारे में सवाल किया कि अब तक मामले में समझौता क्यों नहीं हुआ है।इसके अलावा कोर्ट की ओर से किसान संगठनों को नोटिस जारी किया गया। कोर्ट ने इस मुद्दे के जल्द समाधान पर जोर देते हुए कहा कि सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाई जाए ताकि आपसी सहमति से मुद्दों को सुलझाया जा सके।
याचिका में की गई है ये मांगें-
किसान आंदोलन के खिलाफ लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि किसानों के आंदोलन के कारण सड़क जाम होने से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इस तरह किसानों की भीड़ से कोविड संक्रमण के आंकड़े भी बढ़ सकते हैं।इन सब कारणों से अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाएं।याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया है कि दिल्ली पुलिस ने 27 नवंबर को आंदोलनकारी किसानों को बुराड़ी में निरंकारी ग्राउंड जाकर प्रदर्शन करने की सलाह दी थी लेकिन वे नहीं माने और दिल्ली की सीमाओं पर ही प्रदर्शन कर रहे हैं।
आज चिल्ला बॉर्डर पर किसानों का सख्त पहरा
इस बीच आज दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। दरअसल, किसान यूनियन के नेताओं ने मुख्य बॉर्डरों को जाम करने की चेतावनी दी है।हालांकि केंद्र सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी हाल में तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा। वैसे अब तक किसान और केंद्र के बीच हुई वार्ता में सरकार ने कुछ संशोधन प्रस्ताव दिए थे जिसपर किसानों ने असहमति जताई।उल्लेखनीय है कि आज सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई काफी अहम है क्योंकि इस बात पर निर्णय लिया जाएगा की दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन और प्रदर्शन इसी तरह जारी रहेगा या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा।
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ममता बनर्जी ने मंगलवार को भाजपा पर आरोप लगाया कि वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को बंगाल में लाने का प्रयास कर रही है ताकि सांप्रदायिक धुव्रीकरण बढ़ाया जा सके और हिंदू-मुस्लिम वोट उनके बीच बंट जाएं.
लखनऊ : AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ममता बनर्जी पर पलटवार किया है. ओवैसी ने कहा है कि ऐसा कोई इंसान पैदा नहीं हुआ जो असदुद्दीन ओवैसी को खरीद सके. दरअसल ममता बनर्जी ने कल जलपाई गुड़ी में रैली के दौरान के कहा था कि बीजेपी मुस्लिम वोट के बंटवारे के लिए ओवैसी पर करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
ओवैसी ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ''ऐसा कोई इंसान पैदा नहीं हुआ जो ओवैसी को पैसे से खरीद सके. उनके आरोप निराधार हैं, वह बेचैन हैं. उन्हें अपने घर की चिंता करनी चाहिए, उसके बहुत से लोग बीजेपी के साथ जा रहे हैं. उन्होंने बिहार वोटर और जिन्होंने हमें वोट दिया उनका अपमान किया है.''
ममता बनर्जी ने ओवैसी को लेकर क्या बोला था?पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को भाजपा पर आरोप लगाया कि वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को बंगाल में लाने का प्रयास कर रही है ताकि सांप्रदायिक धुव्रीकरण बढ़ाया जा सके और हिंदू-मुस्लिम वोट उनके बीच बंट जाएं. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने बिहार विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद घोषणा कि थी की वह अगले साल होने वाले बंगाल चुनाव में भी उतरेगी.
बिहार चुनाव में एआईएमआईएम ने पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीती थीं. बनर्जी ने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुस्लिम मतों को विभाजित करने के उद्देश्य से हैदराबाद की एक पार्टी को यहां लाने की खातिर भाजपा करोड़ों रूपये खर्च कर रही है. योजना है कि हिंदू मत भाजपा के पाले में चले जाएंगे और मुस्लिम मत हैदराबाद की इस पार्टी को मिल जाएंगे.’’
बंगाल में बवाल की खबरों के बीच आज चुनाव उपायुक्त का दौरापश्चिम बंगाल में मचे राजनीतिक घमासान के बीच केंद्रीय चुनाव आयोग आज तीन दिन के दौरे पर बंगाल में आ रहा है. चुनाव उपायुक्त सुदीप जैन जिन पर बंगाल में चुनाव कराने की जिम्मेदारी है. उनके साथ इलेक्शन कमिशन के एक अफसर बंगाल का दौरा करेंगे. राज्य में अशांति, हिंसा और कानून व्यवस्था को लेकर तरह तरह के आरोप हर रोज़ बीजेपी द्वारा लगाये जा रहे है. ये सारे आरोप कितने गंभीर हैं केंद्रीय चुनाव आयोग यह समझने की कोशिश कर रहा है. -
कोरोना वैक्सीनेशन : उत्तराखंड के 93 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन मुफ्त में दी जाएगी। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने इस बात की जानकारी दी है। आपको बता दें कि राज्य में कोरोना वैक्सीनेशन (टीकाकरण) के पहले चरण में लगभग 20 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं।
देशभर के साथ ही उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण (Coronavirus Outbreak) का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। आए दिन नए मामले सामने आने से आमजन के साथ ही सरकार भी चिंतित है। राजधानी देहरादून में संक्रमण के सबसे अधिक मामले देखने को मिल रहे हैं। हालांकि, कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए नियम-कायदे भी बनाए गए हैं, जिनका सख्ती से पालन कराया जा रहा है। बावजूद इसके नए मामलों में कुछ खास कमी नहीं आ रही है।
इन सबके बीच उत्तराखंड सरकार ने कोरोना वैक्सिनेशन (Corona Vaccination) को लेकर भी तैयारियां तेज कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने टीकाकरण के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के 93 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को चिह्नित कर लिया है। मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि इन्हें कोरोना वैक्सीन मुफ्त में दी जाएगी।
राज्य में अबतक 83006 कोरोना संक्रमित
उत्तराखंड में अबतक 83006 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इनमें 74525 पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। वर्तमान में वर्तमान में 6144 मामले एक्टिव हैं, जबकि 1361 की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 976 मरीज राज्य से बाहर चले गए हैं। -
किसानों का आंदोलन और भी विस्तृत होता जा रहा है, ऐसे में सरकार ने इससे निपटने के लिए 10 बिंदुओं में एक्शन प्लान तैयार है, जिसके तहत वो अलग-अलग फ्रंट पर इस पूरे मामले से निपटने की कोशिश करेगी.
नई दिल्ली : मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन फिलहाल बिल्कुल भी कमजोर पड़ता नजर नहीं आ रहा है. किसानों और सरकार के बीच फिलहाल कोई बातचीत भी होती नजर नहीं आ रही है. किसान इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं सरकार इनमें बस संशोधन करना चाहती है. लेकिन मामला बनता नहीं दिख रहा, वहीं आंदोलन और भी विस्तृत होता जा रहा है, ऐसे में सरकार ने इससे निपटने के लिए आक्रामक रणनीति बनाई है. 10 बिंदुओं में सरकार का एक्शन प्लान तैयार है, जिसके तहत वो अलग-अलग फ्रंट पर इस पूरे मामले से निपटने की कोशिश करेगी.
सरकार का 10-सूत्री एक्शन प्लान1. किसान संगठनों के मतभेद उजागर करना: इसके लिए सरकार लगातार छोटे-छोटे किसान संगठनों से चर्चा कर रही है. कृषि मंत्री इन संगठनों से मुलाकात कर रहे हैं. यह संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में बयान दे रहे हैं.
2. किसान आंदोलन में घुस आए माओवादी और अलगाववादी ताकतों के बारे में प्रचार करना: वरिष्ठ मंत्री और बीजेपी नेता लगातार टुकड़े टुकड़े गैंग और माओवादी ताकतों, खालिस्तानी ताकतों के बारे में बात कर रहे हैं. एक किसान संगठन ने दिल्ली और महाराष्ट्र हिंसा के आरोप में पकड़े गए लोगों की रिहाई की मांग कर सरकार को और बल दे दिया. विदशों में हुए प्रदर्शनों में खालिस्तानी तत्वों की मौजूदगी ने इन आरोपों को हवा दी है कि इस आंदोलन को अलगाववादी ताकतों का समर्थन है.
3. आंदोलनकारी किसान संगठनों में फूट डालना: भारतीय किसान यूनियन के कुछ गुटों से सरकार ने अलग से बातचीत की. बीकेयू भानु गुट से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बात की और नोएडा का रास्ता खुलवाया गया जिसे लेकर इन संगठनों में आपस में ही मतभेद हो गए. अलगाववादी ताकतों को लेकर सरकार के प्रचार के बाद कई किसान संगठनों ने बीकेयू के उग्रान गुट से खुद को अलग किया जिसने मानवाधिकार दिवस पर रिहाई की मांग की थी. बाद में बीकेयू उग्रान ने किसान संगठनों के सोमवार के अनशन से खुद को अलग कर लिया.
4. किसानों से बातचीत की पेशकश करना: कृषि मंत्री और अन्य मंत्री कई बार कह चुक हैं कि सरकार आंदोलनकारी किसानों से चर्चा के लिए तैयार है. कृषि मंत्री ने क्लाज बाइ क्लाज चर्चा की फिर पेशकश की. इस तरह सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह अड़ी हुई नहीं है. बल्कि संशोधन की पेशकश कर पीछे हटने का संदेश भी दे चुकी है.
5. जनमत तैयार करना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री 700 से अधिक जिलों में प्रेस कांफ्रेंस, किसान रैली और चौपालों के माध्यम से कृषि कानूनों के फायदे गिनाएंगे. इस बारे में उठे सवालों का जवाब दिया जाएगा. यह जनमत अपने पक्ष में करने का प्रयास होगा ताकि किसान आंदोलन को देश भर में फैलने से रोका जा सके.
6. हरियाणा में सतलुज-यमुना नहर का मुद्दा उठाना: बीजेपी के हरियाणा के सांसदों और विधायकों ने कल कृषि मंत्री और जल संसाधन मंत्री से मांग की है कि सतलुज यमुना नहर के मुद्दा का समाधान किया जाए. यह पंजाब के किसानों के साथ आए हरियाणा के किसानों को भावनात्मक रूप से कमजोर करने का प्रयास है क्योंकि इसे हरियाणा के हक से जोड़कर देखा जाता है.7. हरियाणा में स्थानीय निकाय के चुनाव: राज्य सरकार जल्दी ही स्थानीय निकाय के चुनावों का ऐलान कर सकती है ताकि किसान और प्रभावशाली नेताओं का ध्यान आंदोलन से भटके. राज्य में अगले दो महीनों में चुनाव कराने का प्रस्ताव है.8. नौकरियों के लिए भर्ती का ऐलान: हरियाणा सरकार तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए भर्ती अभियान चलाने का ऐलान कर सकती है ताकि आंदोलन में जुटे युवाओं को आंदोलन से दूर किया जा सके9. बीजेपी मुख्यमंत्रियों ने संभाली कमान: सभी बीजेपी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में किसान आंदोलन को न बढ़ने दें. सभी बीजेपी सीएम मीडिया के माध्यम से किसानों के मन में उठी आशंकाओं को दूर करेंगे. इसके लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है.
10. विपक्षी दलों की भूमिका उजागर करना: सरकार विपक्षी दलों की दोहरी भूमिका उजागर कर रही है जिन्होंने किसी समय कृषि सुधारों का समर्थन किया था. किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों के झंडे दिखने से सरकार कह रही है कि इस आंदोलन का राजनीतिकरण हो गया है और किसान संगठन विपक्षी दलों के हाथों में खेल रहे हैं. -
नई दिल्ली : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली के पास की कई सीमाओं पर भूख हड़ताल शुरू कर दी है। किसान संगठनों का ये भी कहना है कि देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। इसी के चलते दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एडवाइजरी भी जारी की है। जिसमें ये बताया गया है कौन सी सीमाएं (बॉर्डर) खुली हुई हैं और कौन सी बंद हैं।
एडवाइजरी में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा है, किसान आंदोलन की वजह से गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले ट्रैफिक के लिए गाजीपुर सीमा बंद है। लोगों को दिल्ली जाने के लिए वैकल्पिक रास्ते अपनाने की सलाह दी जाती है, जैसे आनंद विहार, डीएनडी, चिल्ला, अपसरा और भोपरा सीमाएं।
पुलिस ने आगे कहा है, सिंघु, औचंदी, पियू मनियारी, सभोली और मंगेश सीमाएं भी बंद हैं। ऐसे में लोग लामपुर, सफियाबाद और सिंघु स्कूल टोल टैक्स सीमाओं के जरिए वैकल्पिक मार्ग का चयन करें। ट्रैफिक को मुकरबा और जीटीके रोड से डायवर्ट किया गया है।
ऐसे में आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से बचें। आपको बता दें विरोध प्रदर्शन कर रहे इन किसानों का कहना है कि वह इस विरोध के जरिए सरकार को जगाना चाहते हैं। पंजाब में भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा है, हम सरकार को जगाना चाहते हैं।
अब हमारे संयुक्त किसान मोर्चा के 40 किसान नेता सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक सभी सीमाओं पर भूख हड़ताल करने बैठेंगे। इनमें से 25 सिंघु सीमा पर बैठेंगे, 10 टीकरी सीमा पर बैठेंगे और पांच यूपी सीमा पर बैठेंगे।
वहीं दिल्ली में गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि वह दिनभर उपवास करने के लिए तैयार हैं। लखीमपुर खेड़ी के एक किसान ने एएनआई से बातचीत में कहा, 'जब हम अपने गन्नों की ट्रोली मील्स तक लेकर जाते हैं, तो ऐसा होता है कि हम 24 घंटे तक खाना भी नहीं खा पाते। हम उपवास के लिए तैयार हैं।' किसान करीब 20 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इनकी मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले।
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नई दिल्ली : भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के तीस हजार से कम मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस से सिर्फ 27,071 मामले सामने आए हैं और 336 लोगों की मौत हुई है। अच्छी बात यह है कि इस दौरान 30,695 लोग इस जानलेवा वायरस की गिरफ्त से बाहर आए हैं।
इसलिए एक्टिव केस भी घट गए हैं। देश में इस समय 3,52,586 सक्रिय मामले हैं। भारत में अब तक 98,84,100 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 93,88,159 लोग ठीक हो चुके हैं।
हालांकि, अब तक कोरोना वायरस के कारण 1,43,355 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन कई अन्य देशों की तुलना में भारत मृत्यु दर बेहद कम है। यह केंद्र सरकार द्वारा लगातार लोगों को मास्क और शारीरिक दूरी के प्रति जागरूक करने का परिणाम है। साथ ही सरकार कोरोना की जांच में भी लगातार इजाफा कर रही है, जिससे हालात नियंत्रण में हैं।
आइसीएमआर के मुताबिक, अब तक कुल 15,45,66,990 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। कोरोना जांच में पूरी दुनिया में भारत से ऊपर सिर्फ अमेरिका है। रविवार को देश में 8,55,157 टेस्ट किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार जांच की क्षमता को बढ़ाने में जुटा हुआ है। दरअसल, इस जानलेवा वायरस को हराने यह बेहतर विकल्प है कि संक्रमित शख्स की जल्द से जल्द पहचान कर उसे उपचार दिया जाए, ताकि वह दूसरों को संक्रमित न कर सके। अगर ऐसा हो जाता है, तो संक्रमण की कड़ी टूट जाएगी और तेजी मामले कम हो जाएंगे।
भारत में कोरोन वायरस संक्रमितों की रिकवरी दर 94.98 पहुंच गई है। वहीं, कोरोना मामलों में मृत्यु दर 1.45 प्रतिशत रह गई है। देश में लगातार आठवें दिन कोरोना वायरस के एक्टिव केस 4 लाख से नीचे हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि ठंड बढ़ने के साथ-साथ कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार में भी तेजी आएगी। हालांकि, अभी तक ऐसा देखने को नहीं मिला है, बल्कि इस दौरान दिल्ली जैसे राज्यों में हालात काबू में आ गए हैं।
इन राज्यों में कोरोना की स्थिति गंभीर
देश में कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां हालात काबू में नहीं हैं। केरल में संक्रमण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राज्य में सबसे अधिक नए संक्रमितों के मिलने का सिलसिला जारी है। रविवार को 4,698 नए केस मिले और संक्रमितों का आंकड़ा 6.69 लाख पर पहुंच गया। राज्य में 29 और मरीजों की मौत हुई है। अब तक 2,623 लोगों की जान जा चुकी है। उधर, देश की राजधानी में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 10 हजार को पार कर गई है। -
वाशिंगटन : अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food and Drug Administration) की एक विशेषज्ञ समिति ने गुरुवार को कोविड-19 (Coronavirus) के खिलाफ Pfizer-BioNTech वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को हरी झंडी दे दी थी. इसके अगले दिन शुक्रवार को FDA ने इसके इस्तेमाल को प्राधिकृत कर दिया. इससे देशभर में Pfizer की वैक्सीन दिए जाने का रास्ता खुल गया.
FDA के मुख्य वैज्ञानिक डेनिस हिंटन ने Pfizer के कार्यकारी को पत्र लिखकर बताया है, "मैं COVID -19 की रोकथाम के लिए Pfizer-BioNTech वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को अधिकृत कर रहा हूं." इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा कि अब 24 घंटे के अंदर देश में पहला टीका लगाया जाएगा.
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर पर जारी एक टेलीविज़न संबोधन में कहा, "पहला वैक्सीन 24 घंटे से भी कम समय में दिया जाएगा." ट्रंप ने कहा, "फेडएक्स और यूपीएस के साथ साझेदारी के माध्यम से हमने पहले ही देश के हर राज्य और ज़िप कोड को वैक्सीन भेजना शुरू कर दिया है." उन्होंने कहा, "गवर्नर तय करेंगे कि उनके राज्यों में सबसे पहला टीका किसे लगाया जाएगा."
ट्रम्प ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे वरिष्ठ नागरिक, हेल्थ वर्कर और बीमार लोगों को पहली खेप में टीका लगाया जाय." राष्ट्रपति ने कहा, "इससे अस्पताल में भर्ती होने के मामलों और मौत के मामलों में अभूतपूर्व कमी आएगी." -
ह्यूस्टन : सुप्रीम कोर्ट ने जो बाइडन की चुनावी जीत को पलटने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित एक मुकदमा खारिज कर दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत के समक्ष राज्य और संघीय न्यायाधीशों द्वारा अस्वीकार किए गए कानूनी मुद्दों को प्राप्त करने के लिए ट्रंप के प्रयास को खारिज कर दिया गया।अदालत द्वारा इस हफ्ते अपना दूसरा आदेश दिया गया, जब रिपब्लिकन अनुरोधों को खारिज कर दिया गया। मंगलवार को पेंसिल्वेनिया रिपब्लिकन की ओर से एक अपील को खारिज कर दिया गया था। इलेक्टोरल कॉलेज ने सोमवार को औपचारिक रूप से बिडेन को अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना।
आधे से अधिक हाउस रिपब्लिकन, जिनमें उनके शीर्ष दो नेता शामिल हैं, टेक्सास के मुकदमे का समर्थन कर रहे हैं, जो मतदाताओं की इच्छा को दूर करने के लिए पार्टी की इच्छा के असाधारण प्रदर्शन में राष्ट्रपति-चुनाव जो बाइडन की जीत को अमान्य करने की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि धोखाधड़ी के बेबुनियाद दावों के आधार पर चार अहम राज्यों में दोबारा वोट डालने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करने के लिए सत्रह रिपब्लिकन अटॉर्नी जनरल और कांग्रेस के 126 सदस्य टेक्सास और खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शामिल हुए हैं।शुक्रवार को, कैलिफोर्निया के हाउस रिपब्लिकन लीडर केविन मैकार्थी और लुइसियाना के माइनॉरिटी व्हिप स्टीव स्कैलिस ने लॉन्गशॉट बोली पर एक संक्षिप्त हस्ताक्षर किए, ट्रंप की उल्लेखनीय राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करते हुए यहां तक कि उन्होंने यह भी झूठे दावे फैलाए कि कई डेमोक्रेट और अन्य लोगों द्वारा लोकतंत्र को गहरा नुकसान पहुंचाने का डर है।
यह मुकदमा जीओपी की हताशा को हवा देने का एक कार्य है, जो हमारे अमेरिकी लोकतंत्र में निहित सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने शुक्रवार को डेमोक्रेट को एक संदेश में लिखा था। कुछ रिपब्लिकन ने मामले के बारे में चिंता व्यक्त की है। कई अन्य लोग चुप रहे। -
एजेंसीनई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 16 दिनों से जारी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आंदोलन खत्म कर बातचीत का रास्ता अपनाने की बात कही है. कृषि मंत्री ने कहा, 'किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है. प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है. उन्हें आंदोलन खत्म करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए.'
मंत्री ने कहा, "मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए. सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है. आंदोलन से किसानों को भी परेशानी होती है. सर्दी का मौसम है. कोरोना का संकट है. जनता को भी आंदोलन से परेशानी हो रही है. इसलिए किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए और बातचीत से समस्या हल करने का प्रयास करना चाहिए."
"किसानों की हर चिंता पर बात की गई"केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई. सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका. हमने किसानों से बातचीत के जरिए उनकी समस्या का हल निकालना चाहते हैं. किसानों की हर चिंता पर बात की गई है. किसानों की हर चिंता को नोट किया गया है. पांच तारीख को हमने उनसे पूछा कि APMC को सुदृढ़ बनाने के लिए क्या करना चाहिए, तो वो चुप हो गए. कुछ बोले ही नहीं. फिर ये फैसला हुआ कि दोबारा मीटिंग होगी.
कृषि मंत्री ने आगे कहा, "छठे दौर की बातचीत में हमने अपनी ओर से किसानों को समाधान दे दिया. हमने एपीएमसी को सुदृढ़ करने के उपाय बता दिए. पराली के मुद्दे पर हमने उनसे उनके मुताबिक समाधान करने के लिए कहा. पराली परर कानून में संशोधन करने को तैयार हैं. बिजली के मुद्दे पर भी हमने पहली वाली व्यवस्था करने की बात कही. अब उन्होंने इस सब प्रस्ताव पर विचार किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया. मीडिया से जानकारी मिली कि किसानों ने हमारा प्रस्ताव खारिज कर दिया. उनकी तरफ से अभी बातचीत का कोई प्रस्ताव आया नहीं है, लेकिन जैसे ही प्रस्ताव आएगा, हम बातचीत के लिए तैयार हैं."
कृषि मंत्री ने कहा, 'भारत सरकार के बहुत सोच समझकर कृषि कानून बनाया है. किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए बनाया गया है. किसानों के साथ सालों से जो अन्याय हो रहा है, उसे दूर करने के लिए बनाया है. लेकिन फिर भी सरकार किसानों यूनियनों से बातचीत करके कानून में सुधार लाने के लिए तैयार है.'
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एजेंसीनई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों के कर्ज लेने के दावे वाली एक खबर का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार गरीब लोगों के मौलिक अधिकार छीन रही है.उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार ग़रीबों के मौलिक अधिकार छीन रही है. ये मानवता के विरुद्ध अपराध है. देश के बेहतर भविष्य के लिए हमें हर वर्ग के अधिकारों का सम्मान करना ही होगा.’’ कांग्रेस नेता ने जिस खबर का हवाला दिया उसमें एक सर्वेक्षण के आधार पर दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान 11 राज्यों में करीब 45 फीसदी लोगों को भोजन के लिए कर्ज लेना पड़ा.
किसानों के मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिले थे राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताविपक्षी दलों ने कृषि कानूनों पर अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला. पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, टीआर बालू, भाकपा के महासचिव डी राजा और येचुरी शामिल रहे. मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से कहा कि किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाए.राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, ''राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में हमने कृषि कानूनों को रद्द किए जाने का अनुरोध किया, ये कानून बिना चर्चा के पारित किए गए हैं.'' उन्होंने कहा कि जिस तरह से कृषि विधेयक पारित किए गए, हमें लगता है कि यह किसानों का अपमान है, इसलिए वे ठंड के मौसम में भी प्रदर्शन कर रहे हैं. हमने राष्ट्रपति से कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है. -
नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा, पंजाब सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। सरकार की तरफ से लिखित प्रस्ताव के आश्वासन पर किसान संगठनों का कहना है कि वो तब तक किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं करेंगे, जब तक सरकार कानूनों को निरस्त नहीं करती। अपनी मांगों को लेकर किसानों ने मंगलवार को भारत बंद बुलाया था, जिसके बाद अब शाम को 24 राजनीतिक दलों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेगा। हालांकि इस मुलाकात से ठीक पहले दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा है कि उन्हें राष्ट्रपति से कोई उम्मीद नहीं है।
दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में कहा, 'राष्ट्रपति जी से किसान विरोधी क़ानून को वापस लेने के लिए 24 राजनैतिक दलों का डेलीगेशन आज मिलने जा रहा है। मुझे महामहिम जी से कोई उम्मीद नहीं है। इन 24 राजनैतिक दलों को NDA में उन सभी दलों से भी चर्चा करनी चाहिए, जो किसानों के साथ हैं। नीतीश जी को मोदी जी पर दबाव डालना चाहिए।' 'मोदी जी जिद छोड़ें और कानून वापस लें' इसके बाद अपने ट्वीट को लेकर दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैंने जो ट्वीट किया है वो सही है, इस मामले में राष्ट्रपति क्या कर सकते हैं। मोदी जी को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए। यह मामला किसानों से जुड़ा हुआ है, इस तरह की जिद करना किसी के लिए भी ठीक नहीं है। तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस ले। इस मामले के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनानी चाहिए, जो किसानों से बात कर मुद्दे का हल निकाले।' -
उत्तरी आयरलैंड की एक 90 वर्षीय महिला यूके के सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत में फाइजर/बायोएनटेक कोविड वैक्सीन लगाने वाली दुनिया की पहली शख्स बन गई हैं.
दुनिया में कोरोना वायरस ने कहर मचाया हुआ है. हालांकि अब वैक्सीन के कारण कोरोना वायरस (कोविड-19) का खात्मा होने की उम्मीद की जा रही है. इस क्रम में दुनिया में कोरोना वैक्सीन को दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. ब्रिटेन (यूके) में लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुकी है. इस दौरान उत्तरी आयरलैंड की एक 90 वर्षीय महिला यूके के सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत में फाइजर/बायोएनटेक कोविड वैक्सीन लगाने वाली दुनिया की पहली शख्स बन गई हैं.
उत्तरी आयरलैंड की 90 साल की महिला मार्गरेट कीनन को ट्रायल से इतर दुनिया में पहला कोरोना वायरस का टीका दिया गया है. एनिस्किलीन की मार्गरेट कीनन ने कहा है कि उन्हें कॉवेंट्री के यूनिवर्सिटी अस्पताल में कोरोना वायरस की वैक्सीन हासिल करते हुए विशेषाधिकार महसूस हुआ. दरअसल, यूके में 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के अलावा कुछ स्वास्थ्य और देखभाल कर्मचारियों का टीकाकरण किया जाएगा. इसका उद्देश्य सबके जीवन को फिर से सामान्य करना है.
वहीं दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन लेने के बाद कीनन ने कहा, 'दुनिया में कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन लेते हुए मुझे विशेषाधिकार महसूस हुआ है. यह मेरे लिए सबसे अच्छा जन्मदिन है. अब मैं नए साल में अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए तत्पर रह सकती हूं. मैं कर्मचारियों को ज्यादा धन्यवाद नहीं दे सकती, जिन्होंने मुझे काफी ध्यान से देखा है.'
किन्हें दी जाएगी वैक्सीन?बता दें कि पिछले हफ्ते नियामकों की ओर से कोरोना वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी देने के बाद फाइजर वैक्सीन का उपयोग शुरू करने वाला ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बन गया है. वहीं ब्रिटेन में केयर होम्स में रहने वाले लोगों और कर्मचारियों को वैक्सीन लगेगी. इसके बाद 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग और स्वास्थ्यकर्मियों को लगाई जाएगी. फिर 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों को वैक्सीन दी जाएगी. इसके बाद 70 साल और फिर 65 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन मिलेगी. इसके बाद 18 से 65 साल वाले वो लोग, जिनमें जोखिम ज्यादा है, उन्हें वैक्सीन के दायरे में रखा जाएगा. फिर 18 से 65 साल के वो लोग जिनमें रिस्क थोड़ा कम है, उन लोगों को वैक्सीन लगेगी. -
मुंबई : किसानों के भारत बंद को महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना का भी समर्थन मिला हुआ है। शिवसेना के अलावा देश की करीब 18-20 पार्टियों ने किसानों के 'भारत बंद' को समर्थन दिया है।किसान आंदोलन को लेकर पूरा विपक्ष इस वक्त केंद्र सरकार पर हमलावर है। इस बीच शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पास अगर दिल है तो वो खुद जाकर किसानों से बात करें।संजय राउत ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा है ये कोई पॉलिटिकल बंद नहीं है, इसलिए किसानों के आंदोलन को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। संजय राउत ने कहा हैं, "यह कोई पॉलिटिकल बंद नहीं है, यह हमारे सेंटिमेंट हैं।दिल्ली में चल रहा किसानों का आंदोलन किसी राजनीतिक झंडे के साथ नहीं हो रहा है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम किसानों के साथ एकजुट होकर खड़े रहें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें। किसान आंदोलन को लेकर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।"
आपको बता दें कि इससे पहले संजय राउत ने सोमवार को भी ये कहा था कि जब केंद्र सरकार कृषि बिलों को संसद में लेकर आई थी तो उस वक्त भी शिवसेना ने समर्थन में मतदान नहीं किया था।उन्होंने कहा कि हम कृषि कानूनों पर जनता और किसानों की प्रतिक्रिया देखना चाहते थे। आज पंजाब और हरियाणा के किसान सड़क पर हैं इसलिए हमने उन्हें समर्थन दिया है। -
कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन को ट्रेड यूनियनों और विपक्षी पार्टियों के समर्थन के बीच कल यानी मंगलवार को 'भारत बंद' के दौरान दिल्ली में फल, सब्जियों सहित कल प्रमुख सेवाओं की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है.
नई दिल्ली : कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन को ट्रेड यूनियनों और विपक्षी पार्टियों के समर्थन के बीच कल यानी मंगलवार को 'भारत बंद' के दौरान दिल्ली में फल, सब्जियों सहित कल प्रमुख सेवाओं की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है. गौरतलब है कि देश की राजधानी इस समय किसानों के आंदोलन का केंदबिंदु बनी हुई है और यहां हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं. केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले 11 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के अनुसार, शांतिपूर्ण भारत बंद सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक होगा.
आंदोलन से जुड़ी 10 बातें
1. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, 'विरोध करते हम यह दिखाना चाहते हैं कि हम सरकार की कुछ नीतियों को समर्थन नहीं करते हैं.' यूनियन ने कहा है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण है और इसी तरह जारी रहेगा.भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर संह लखोवाल ने इससे पहले कहा था कि किसान यूनियनों के सदस्य नेशनल हाईवे को ब्लॉक करेंगे और टो प्लाजा पर 'कब्जा' करेंगे.
2. सीमा पर किसान नेताओं ने कई राजनीतिक दलों द्वारा उनके आंदोलन को लेकर व्यक्त किये गये समर्थन का स्वागत किया और अन्य सभी से आगे आने एवं मंगलवार के ‘भारत बंद' का समर्थन करने का आह्वान किया.स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव के अनुसार, मंगलवार के भारत बंद में इमरजेंसी सेवाएं, शादी, एम्बुलेंस पर कोई रोक नहीं होगी. दूध, फल, सब्ज़ी आदि जैसी ज़रूरी चीजों को किसान अपनी तरफ़ से सप्लाई नहीं करेंगे, लेकिन यदि कोई ले जाना चाहेगा तो कोई रोक नहीं होगी.
3. केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे आंदोलन तेज करेंगे और दिल्ली पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे. उन्होंने कहा है कि सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए.
4. स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, ‘‘ हम अपने रुख पर सदैव अडिग हैं. हमने हमेशा मांग की है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. हमने अपना रुख नहीं बदला है, हम उस पर दृढ़ हैं.''
5. किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था,‘‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश का है. हम अपने आंदोलन को मजबूत बनाने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है.चूंकि, सरकार हमसे उपयुक्त ढंग से नहीं निपटने में समर्थ नहीं रही है इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया है. ''
6. आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच अब तक पांच दौर की बात हो चुकी है, लेकिन अब कोई सर्वसम्मत समाधान नहीं निकल पाया है.
7. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बैठक में मौजूद 40 कृषक नेताओं से उनकी प्रमुख चिंताओं पर ठोस सुझाव चाहती थी. उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके सहयोग से समाधान निकाला जाएगा.
8.पांचवें दौरे की शनिवार को हुई बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की अपील की थी. तोमर ने सरकार की ओर से वार्ता की अगुवाई की. इसमें रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने भी भाग लिया.
9. बैठक के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद जारी रहेगी और मंडियों को मजबूत किया जाएगा. तोमर ने कहा, ‘‘हम कुछ प्रमुख मुद्दों पर किसान नेताओं से ठोस सुझाव चाहते थे, लेकिन आज की बैठक में ऐसा नहीं हुआ. हम नौ दिसंबर को एक बार फिर मिलेंगे.
10. सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा हुए किसान यहीं अपना खाना-पीना-रहना कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी ANI से एक किसान ने कहा, 'सरकार को हमारी समस्याएं सुनने और कानून में कमियां देखने में सात महीने लग गए.' ये किसान पिछले हफ्ते बुधवार से यहां बैठे हुए हैं और वो कृषि कानून वापस लिए जाने तक यहां बैठने को तैयार हैं. -
भारतीय उच्चायोग ने कहा- लोगों के जमवाड़े की अगुवाई भारत विरोधी अलगाववादी कर रहे थे, उन्होंने प्रदर्शन का समर्थन करने के नाम पर अपना भारत विरोधी एजेंडा चलाया
लंदन : ब्रिटेन (Britain) के मध्य लंदन (London) में रविवार को भारतीय उच्चायोग के बाहर भारत में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में किए गए प्रदर्शन के दौरान स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है. स्कॉटलैंड यार्ड ने भारतीय उच्चायोग के बाहर ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों से प्रदर्शनकारियों के जमा होने से पहले चेतावनी दी थी.
मध्य लंदन में “हम पंजाब के किसानों के साथ खड़े हैं'' प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए कई पुलिसकर्मी सड़क पर उतरे और चेताया कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े नियम लागू हैं और अगर 30 से ज्यादा लोग जमा होते हैं तो गिरफ्तारी की जा सकती है और जुर्माना लगाया जा सकता है.
मेट्रोपोलिटन पुलिस के कमांडर पॉल ब्रोगडेन ने कहा, ''अगर आप निर्धारित 30 लोगों से अधिक की संख्या में एकत्र होकर नियम तोड़ते हैं तो आप अपराध कर रहे हैं जो दंडनीय है और जुर्माना लगाया जाएगा.'' उन्होंने लोगों से प्रदर्शन में शामिल नहीं होने की अपील भी की.
प्रदर्शन में मुख्य रूप से ब्रिटिश सिख शामिल थे जो तख्तियां पकड़े हुए थे, जिन पर “किसानों के लिए न्याय'' जैसे संदेश लिखे थे.
भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह जल्द स्पष्ट हो गया कि लोगों के जमवाड़े की अगुवाई भारत विरोधी अलगाववादी कर रहे थे जिन्होंने भारत में किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने के नाम पर अपना भारत विरोधी एजेंडा चलाया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला है और भारत सरकार प्रदर्शनकारियों से बात कर रही है. -
नई दिल्ली : देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के करीब 33 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं और इस दौरान तीन सौ से ज्यादा मौतें भी दर्ज की गई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसे लेकर सोमवार को ताजा आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 32,981 नए मामले दर्ज किए गए हैं और इसके कारण 391 लोगों की मृत्यु हो गई है।
ताजा मामलों के बाद देश में संक्रमितों की कुल संख्या 96,77,203 तक पहुंच गई है, जिनमें से फिलहाल 3,96,729 सक्रिय मामले हैं। इसके अलावा पिछले 24 घंटों में 39,109 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। इसके साथ ही अस्पताल से डिस्चार्ज होने वालों की संख्या 91,39,301 हो गई है।
देश में प्रतिदिन कोरोना के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भी काफी कमी आई है। पिछले एक दिन में 391 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हुई है और इसके साथ ही मरने वालों का कुल आंकड़ा 1,40,573 तक पहुंच गया है।
बता दें कि यह लगातार 29वां दिन है जब एक दिन में 50,000 से कम नए मामले दर्ज किए गए हैं। इससे पहले सात नवंबर को संक्रण के 50,000 से ज्यादा मामले सामने आए थे। वहीं, बात करें सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की तो इस मामले में महाराष्ट्र सबसे शीर्ष पर है। यहां अभी तक 18,52,266 लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं।
देश में अभी तक 14 करोड़ से ज्यादा सैंपलों की टेस्टिंग की जा चुकी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, कुल 14,77,87,656 नमूनों की छह दिसंबर 2020 तक कोरोना जांच की गई है। इनमें से रविवार को 8,01,081 नमूनों का परीक्षण किया गया।
पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सर्वदलीय बैठक के दौरान कहा था कि अगले कुछ हफ्तों में COVID-19 वैक्सीन आने की उम्मीद है। साथ ही उन्होंने कहा था कि जैसे ही वैज्ञानिकों द्वारा इसे हरी झंडी दी जाएगी, वैसे ही भारत में टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा।