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नई दिल्ली
उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता जिंदगी से लड़ते हुए हार गई। पीड़िता की मौत से दुखी पिता ने हैदराबाद एनकाउंटर की तरह दरिदों को सजा मिलने की मांग की है। पीड़िता के पिता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुझे किसी धन की लालच नहीं है। मेरी सिर्फ एक ही मांग है कि मेरी बेटी को मौत के बाद इंसाफ मिले। उन्होंने सरकार से एनकाउंटर या तो फांसी की सजा की मांग की। पीड़िता के पिता ने बताया कि आज सफदरजंग अस्पताल में बेटी का पोस्टमार्टम होगा। उसके बाद परिजन उसका शव लेकर उन्नाव लाएंगे।
ज्ञात हो कि शुक्रवार रात 11.4० पर पीड़िता का सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया। इसकी जानकारी पीड़िता की बहन ने दी। अस्पताल के बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. शलभ कुमार ने पीड़िता के निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि रात करीब 11.1० पर पीड़िता के हृदय ने काम करना बंद कर दिया। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और रात 11.4० पर उसका निधन हो गया।
हालांकि 9० प्रतिशत से भी ज्यादा जल चुकी उप्र की इस पीड़िता ने आखिरी वक्त तक भी हार नहीं मानी थी। गुरुवार रात 9 बजे तक वह होश में थी। जब तक होश में थी कहती रही- मुझे जलाने वालों को छोड़ना मत। फिर नींद में चली गई, डक्टरों ने पूरी कोशिश की, वेंटिलेटर पर रखा लेकिन वो नींद से नहीं उठी।
गौरतलब है कि उन्नाव जिले के बिहार थाना क्षेत्र में दुष्कर्म पीड़िता को गुरुवार को ज्वलंत पदार्थ से जलाने का प्रयास किया गया। रायबरेली जाने को सुबह रेलवे स्टेशन जा रही दुष्कर्म पीड़िता युवती को कुछ लोगों ने आग लगा दी और भाग निकले। इसके बाद पास की एक गैस एजेंसी की गोदाम के गाडोर्ं की सूचना पर पहुंची पीआरवी ने उसे सुमेरपुर सीएचसी पहुंचाया जहां से जिला अस्पताल लाया गया।
हालत बेहद नाजुक होने के कारण उसको लखनऊ के सिविल हास्पिटल रेफर कर दिया गया। युवती करीब 9० प्रतिशत जल गई थी और उसकी हालत काफी गंभीर थी। उन्नाव में आग के हवाले की गई दुष्कर्म पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल शिफ्ट किया गया। पीड़िता को एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया जा गया। जहां उसने अंतिम सांस ली। इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। -
नई दिल्ली। हैदराबाद में शुक्रवार तड़के चार रेप आरोपियों के कथित एनकाउंटर पर मानवाधिकार संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पीयूसीएल की ओर से कहा गया है कि ये मामला एनकाउंटर नहीं बल्कि प्लान बनाकर की गई हत्या जैसा लगता है। संगठन ने मामले पर चार सवाल पूछे हैं।
पीयूसीएल की ओर से पहला सवाल- करीब 50 पुलिसवाले सीन रिक्रिएशन के लिये सुबह में तीन बजे घटनास्थल पर पहुंचे। आखिर सुबह तीन बजे का वक्त क्यों चुना गया? दूसरा सवाल- आरोपी सात दिन से पुलिस हिरासत में थे। जाहिकर है उनके पास हथियार तो नहीं होंगे। उनके हाथ बांधकर और चेहरा भी ढंक कर लाया गया होगा। यही तरीका है आरोपियों को क्राइम सीन पर लाने का। ऐसे में सवाल है कि कैसे वो दौड़ सकते हैं।
तीसरा सवाल ये है कि क्या किसी आरोपी ने पुलिस वालों पर फायरिंग की थी। आरोपियों की तरफ से ऐसा क्या हुआ कि पुलिसवालों को गोली चलानी पड़ी। चौथा सवाल- आरोपियों के पास कोई हथियार नहीं था फिर भी अगर ऐसा स्थिति बन गई थी कि पुलिस वालों को गोली चलानी पड़ी तो गोली घुटनों के नीचे क्यों नहीं मारी गई। उनको ऊपर गोली क्यों मारी गई। पीयूसीएल की ओर से कहा गया है कि यह एक तरह से सुनियोजित हत्या का मामला है। इसमें पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर हो और मामले की न्यायिक जांच कराई जाए। साथ ही पीयूसीएल की ओर से कहा गया है कि इन पुलिसकर्मियों का महिमामंडन करना बंद होना चाहिए। -
मीडिया रिपोर्टतेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में महिला पशु-चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के सभी चारों आरोपियों की एनकाउंटर को लेकर राजनेताओं की अलग-अलग राय सामने आ रही हैं। कुछ लोग इस एनकाउंटर पर हैदराबाद पुलिस की तारीफ कर रहा है तो कुछ लोगों ने इस एनकाउंटर पर सवाल भी खड़े किए हैं। बता दें कि, तेलंगाना में महिला पशु-चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले के सभी चारों आरोपी शुक्रवार तड़के साइबराबाद पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए।
पुलिस ने दावा किया कि क्राइम सीन को रीक्रिएट करने के लिए चारों आरोपियों को हैदराबाद के बाहरी क्षेत्र शादनगर के समीप चटनपल्ली ले जाया गया था। इस दौरान चारों आरोपियों ने भागने की कोशिश और फिर पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ उस स्थान से कुछ ही दूरी पर हुई जहां महिला पशु-चिकित्सक को जलाया गया था। पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी मुठभेड़ स्थल पर पहुंच गए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से लोकसभा सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया, ‘न्यायिक व्यवस्था से परे इस तरह के एनकाउंटर स्वीकार नहीं किए जा सकते।’ एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, “हमें और जानने की जरूरत है। यदि क्रिमिनल्स के पास हथियार थे तो पुलिस ने अपनी कार्रवाई को सही ठहरा सकती है। जब तक पूरी सच्चाई सामने न आए तब तक हमें निंदा नहीं करनी चाहिए। लेकिन कानून से चलने वाले समाज में इस तरह का गैर-न्यायिक हत्याओं को सही नहीं ठहराया जा सकता।”
वामपंथी दल सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि गैर-न्यायिक हत्याएं महिलाओं के प्रति हमारी चिंता का जवाब नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि बदला कभी न्याय नहीं हो सकता। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के बाद लागू हुए कड़े कानून को हम सही से लागू क्यों नहीं कर पा रहे है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हर मुठभेड़ की जांच की जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने हैदराबाद एनकाउंटर पर सवाल उठाया है। -
नई दिल्ली
हैदराबाद में पशु-चिकित्सक से हैवानियत करने वाले चारों आरोपियों को वीरवार रात करीब 3 बजे पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया। जहां इस घटना से पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है तो वहीं पीड़िता के पिता ने कहा कि 10 दिनों में मेरी बेटी को इंसाफ मिला है, आज उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।
महिला डाक्टर के पिता और बहन ने कहा कि आज हम सरकार और पुलिस के शुक्रगुजार हैं। आज हमारे साथ न्याय हुआ है, जो हुआ है वह अपराधियों के लिए एक उदाहरण है। पीड़िता के पिता ने कहा कि रेकॉर्ड टाइम में इंसाफ मिला है। मैं उन लोगों के लिए शुक्रगुजार हूं, जो इस मुश्किल घड़ी में हमारे साथ खड़े रहे।
बता दें कि महिला डाक्टर का शव 28 नवंबर की सुबह शादनगर में जली हुई हालत में मिली थी। साइबराबाद पुलिस ने 29 नवंबर को मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया था और उन्हें शनिवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। एक आरोपी केशवुलू की मां ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा था कि जैसा आरोपियों ने पीड़िता के साथ किया, उन्हें भी वैसे ही जला दिया जाना चाहिए। मेरी भी एक बेटी है। मुझे पीड़िता के परिवार का दर्द पता है।
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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने महंगाई के मुद्दे पर देश की संसद में सांसदों, आगंतुकों और पत्रकारों के लिए बनी कैंटीन पर बड़ा फैसला किया है। अब से किसी को भी संसद के कैंटीन में सब्सिडी नहीं मिलेगी।
सांसदों ने संसद की कैंटीन में खाद्य वस्तुओं पर मिलने वाली सब्सिडी को छोडऩे का सर्वानुमति से निर्णय किया है। सूत्रों के अनुसार यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सुझाव के बाद किया गया है। अब संसद के सदस्यों को सामान्य रेट पर खाना मिलेगा। संसद की कैंटीन में सब्सिडी पर सालाना करीब 15 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। आइए एक नजर डालते हैं संसद की कैंटीन में मिलने वाले खाने की कीमतों पर।
ब्रेड एंड बटर- 6 रुचपाती- 2 रुचिकन करी- 50 रुचिकन कटलेट प्लेट- 41 रुचिकन तंदूरी- 60 रुकॉफी- 5 रुडोसा प्लेन- 12 रुफिश करी- 40 रुहैदराबादी चिकन बिरयानी- 65 रुमटन करी- 45 रुउबले चावल- 7 रुसूप- 14 रु -
नई दिल्ली
प्याज की कीमतों को लेकर देश में हाहाकार मचा है लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि वह प्याज़ नहीं खाती हैं इसलिए उन्हें फर्क नहीं पड़ता है. वित्त मंत्री के इस बयान पर राजनीतिक घमासान छिड़ गया है और 106 दिन बाद जेल से बाहर आए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने उनपर करारा वार किया है. पी. चिदंबरम का कहना है कि जो सरकार कम प्याज खाने को कहती है, उसे चले जाना चाहिए.
गुरुवार को संसद भवन पहुंचे पी. चिदंबरम ने आजतक से कहा, ‘...जो सरकार लोगों को कम प्याज और लहसुन खाने की सलाह देती है, उसे चले जाना चाहिए. अर्थव्यवस्था के मामले में ये सरकार पूरी तरह से फेल हुई है’. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि अगर निर्मला सीतारमण प्याज नहीं खाती हैं तो क्या खाती हैं? क्या वह एवोकाडो खाती हैं?
गौरतलब है कि एवोकाडो को हिन्दी में रुचिरा कहते हैं, जो कि एक फल है. मुख्य तौर पर ये साउथ मैक्सिको में मिलता है. -
मीडिया रिपोर्ट
उन्नाव। देश महिलाओं के लिए कितना असुरक्षित हो गया है, ये बात एक के बाद उनके खिलाफ हो रही हिंसा बता रही है। अब उत्तर प्रदेश के उन्नाव से भी एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां गैंगरेप की पीड़िता पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया है। पीड़िता को सुबह के समय पांच लोगों ने मिट्टी का तेल छिड़क गांव के बाहर जिंदा जला दिया। पीड़िता की उम्र 20 साल बताई जा रही है। सभी आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं।
पीड़िता ने पांच आरोपियों को नाम भी बता दिए हैं। बताया जा रहा है कि सभी आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस का कहना है कि पीड़िता को इलाज के लिए लखनऊ के अस्पताल भेज दिया गया है। घटना उन्नाव के बिहार इलाके की है। मुख्य आरोपी को आखिर में पकड़ा गया। पीड़िता 90 फीसदी तक जल गई है।
पीड़िता ने मार्च में ही गैंगरेप का मामला दर्ज करवाया था। जिनके खिलाफ ये केस दर्ज हुआ था उन्होंने ही अपने साथियों के साथ मिलकर उसपर हमला किया है। बताया जा रहा है कि पीड़िता को जमानत पर छूट कर आए दो आरोपियों ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर जिंदा जलाया है। पीड़िता की हालत गंभीर बताई जा रही है। गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने लखनऊ के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया। कुछ दिन पहले ही युवती के साथ रेप हुआ था। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसी मामले में आज युवती पैरवी के लिए रायबरेली जा रही थी।
जानकारी के मुताबिक सुबह छह बजे के करीब गांव के बाहर खेत में दोनों आरोपी और उसके तीन साथियों ने उसके ऊपर मिटटी का तेल छिड़ककर आग लगा दी है। सूचना मिलते ही गांव में शोर शराबा मच गया। पीड़िता को जिला अस्पताल से लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है। घटना का मुख्य आरोपी शिवम त्रिवेदी भी गिरफ्तार हो गया है। इस दौरान पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर पीड़िता को सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई गई। आरोपी इतने बेखौफ हैं कि जेल से उन्हें तीन दिन बाद ही जमानत मिल गई और उन्होंने पीड़िता को जिंदा जला दिया। पीड़िता ने गंभीर हालत में ही सभी आरोपियों के नाम बताए हैं। -
एजेंसीचंडीगढ़। आय से अधिक संपत्ति के मामले में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) नेता अभय चौटाला की मुसीबतें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं। बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने अभय चौटाला के सिरसा स्थित तेजाखेड़ा फार्म हाउस पर छापेमारी की। अभय चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के चाचा हैं। अभय चौटाला पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में 13 साल से केस चल रहा है।बुधवार को सीआरपीएफ के साथ प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने फार्म हाउस पर छापेमारी की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच एजेंसी मौके पर दस्तावेज खंगाल रही है। इसी साल मई महीने में आय से अधिक संपत्ति के मामले में चौटाला परिवार की संपत्ति की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय और अभय की संपत्ति का विवरण मांगा था।
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नई दिल्ली
इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जनवरी में सुनवाई शुरू कर सकता है. एक गैर सरकारी संगठन ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका में इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पॉलिटिकल फंडिंग में कथित अपारदर्शिता के चलते बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
इसके पहले ADR ने अप्रैल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड्स के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जगदीप छोकर बताते हैं कि कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा, " काफी महत्वपूर्ण मुद्दें उठाए गए हैं जिनका असर देश के इलेक्टोरल सिस्टम पर होता है." छोकर कहते है कि ये सुनवाई 12 अप्रैल 2018 को हुई थी लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ.
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड्स?
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को मोदी सरकार में जनवरी 2018 में अधिसूचित किया गया था. कहा गया था कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता आएगी. लेकिन इसने चुनावी फंडिंग को अपारदर्शी बना गया है. राजनीतिक पार्टियों के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर के बारे में चुनाव आयोग को बताए.
इलेक्शन कमीशन में जमा की गई रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को साल 2017-18 में सबसे ज्यादा चंदा मिला है. बीजेपी को 210 करोड़ रुपये 2000 रुपये के रूप में मिले. देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जो चंदा मिला, उसमें से बीजेपी का 94.5% हिस्सा है. जमा की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजेपी को 210 करोड़ रुपये मिले है. चुनावी चंदे के लेनदेन को पारदर्शी बनाने के लिए बने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए इस साल सबसे अधिक चंदा बीजेपी को ही मिला है. -
नारायणपुर में एक बड़ी घटना की खबर प्रकाश में आई है बताया जा रहा है कि इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के जवान आपस में ही भिड़ गए। एक जवान ने अंधाधुंध फायरिंग कर 6 जवानों की हत्या कर दी. इस फायरिंग में 2 अन्य जवान भी घायल हो गए हैं. घटना की जानकारी लगत ही बटालियन सहित शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है. बस्तर आईजी ने मामले की पुष्टि की है। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने घटना को लेकर मीडिया से कहा है कि प्रथमदृष्टया आपसी विवाद ही प्रतीत हो रहा है । घटना में और ज्यादा जानकारी का फिलहाल इंतजार है।
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दिल्ली
आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से बुधवार को जमानत मिल गई। उच्चतम न्यायालय ने दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानती पर पी.चिदंबरम को जमानत दी। न्यायालय ने पी.चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के आदेश को निरस्त किया। जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने 28 नवंबर को जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले माना कि आर्थिक अपराध काफी गंभीर होते हैं और जमानत का फैसला केस की मेरिट पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा कि अदालत से अनुमति लिए बिना चिदंबरम देश से बाहर नहीं जाएंगे।
न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने 74 वर्षीय पूर्व वित्त मंत्री को जमानत दी। चिदंबरम बीते 105 दिन से जेल में बंद थे। उन्हें सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें धनशोधन मामले में 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उच्चतम न्यायालय ने चिदंबरम के इस मामले के संबंध में मीडिया में साक्षात्कार देने या किसी तरह का बयान देने पर रोक लगाई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि चिदंबरम को मिली जमानत का लाभ इस मामले का कोई अन्य आरोपी नहीं ले पाएगा। -
मुम्बई/दिल्ली
महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के दौरान लिए गए एक बड़े फैसले को वर्तमान सरकार ने पलट दिया है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने जैसे ही कमान संभाली उसने गुजरात से संबंधित एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को मिला 321 करोड़ रुपये का ठेका रद्द कर दिया। इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘अंतरराष्ट्रीय घोड़ा मेले’ का आयोजन करने वाली थी। अब यह कंपनी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में घिर गई है।
26 दिसंबर, 2017 को राज्य-संचालित महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) लिमिटेड ने अहमदाबाद के ‘लल्लूजी एंड संस’ के साथ तुर्की के आधार पर नंदुरबार में सारंगखेड़ा दीपक समारोह के लिए कॉन्सेप्ट, डिजाइन, प्रबंधन और संचालन के लिए समझौता किया था। यह फर्म पहले कुंभ मेले और रण उत्सव के लिए काम कर चुकी थी। लेकिन इस साल 28 नवंबर को जिस दिन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली नई शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने शपथ ली, राज्य के पर्यटन विभाग ने मुख्य सचिव अजय मेहता के आदेशों का पालन करते हुए अनुबंध को “तत्काल रद्द” करने का निर्देश दिया।
पर्यटन विभाग के अंडर सेक्रेटरी एस लम्भेट ने बताया, “सरकार की मंजूरी के बिना ही समझौते और धंधे में मुनाफे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। चूंकि यह केंद्र के मानदंडों के अनुसार नहीं है, इसलिए यह एक गंभीर वित्तीय अनियमितता है।” एमटीडीसी इस आयोजन से जुड़ा हुआ है और यह हर साल दिसंबर में आयोजित किया जाता है। कहा जाता है कि यह भारत के सबसे पुराना घोड़ों का मेला है।
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मीडिया रिपोर्ट
भारतीय रेलवे का ऑपरेशन कॉस्ट यानी परिचालन लागत लगातार बढ़ती जा रही है। यह बात इसके परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेश्यो) से पता चलती है जो साल 2017-18 में बढ़कर 10 साल के उच्च स्तर 98.44 पर्सेंट पर पहुंच गया। इसका मतलब है कि रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिये 98.44 रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं। संसद में पेश कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे का परिचालन अनुपात (आपरेटिंग रेश्यो) 2015-16 में 90.49 प्रतिशत, 2016-17 में 96.5 प्रतिशत रहा था।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण इसका संचालन खर्च बढ़ना है। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009-10 में 95.28 प्रतिशत, 2010-11 में 94.59 प्रतिशत, 2011-12 में 94.85 प्रतिशत, 2012-13 में 90.19 प्रतिशत, 2013-14 में 93.6 प्रतिशत, 2014-15 में 91.25 प्रतिशत हो गया।
सीएजी ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016-17 में 2,68,759.62 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 2,79,249.50 करोड़ रुपये हो गया। इसमें पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत घटा है जबकि वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अनुसार कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टॉक (रेल डिब्बे आदि) पर पट्टा किराया मद में खर्च 2017-18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है।
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मीडिया रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को झारखंड की जनता से अपनी पार्टी के पक्ष में वोट मांगा और कहा कि उनके वोट से यह तय होगा कि राज्य विकास पथ पर चलेगा या नक्सलवाद के। शाह ने यहां राम मंदिर का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि हर कोई चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए, मगर कांग्रेस पार्टी केस ही नहीं चलने देती थी। शाह ने यहां चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को बीते 55 वर्षों के दौरान क्षेत्र में उनकी पार्टी द्वारा किए गए विकास कार्यों का लेखाजोखा देने की चुनौती दी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने चक्रधरपुर में कहा ‘कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि राम जन्मभूमि मामले में जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है …. हमने अनुरोध किया कि इस मामले को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। आपका रिजल्ट क्या था? SC ने फैसला दिया है और अब अयोध्या में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला करके सहमति से ये निर्णय किया है। ऐसे में अयोध्या में राम लल्ला का आसमान छूते एक मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
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दिल्लीअपने फेसबुक पोस्ट से महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मचाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और राज्य की पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने अब ट्विटर पर हंगामा खड़ा दिया है। उन्होंने अपने ट्विटर बायो से अपनी पार्टी के नाम को हटा दिया है। माना जा रहा है कि वह शिवसेना में शामिल हो सकती हैं इसका इशारा शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने दिया है।
वहीं, इससे पहले पंकजा मुंडे ने महाराष्ट्र में बदले राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर अपनी ‘‘भावी यात्रा’’ को लेकर फेसबुक पर रविवार को एक पोस्ट लिखकर खलबली पैदा कर दी है। पूर्ववर्ती भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहीं पंकजा मुंडे ने अपने समर्थकों को अपने दिवंगत पिता एवं पूर्व भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के मौके पर 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ आने का न्योता दिया है। गोपीनाथगढ़ बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है।
पंकजा ने मराठी में लिखी फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सोचने और निर्णय लेने की आवश्यकता है कि आगे क्या किया जाए। मुझे स्वयं से बात करने के लिए आठ से 10 दिन की आवश्यकता है। मौजूदा राजनीतिक बदलावों की पृष्ठभूमि में भावी यात्रा पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अब क्या करना है? कौन सा मार्ग चुनना है? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं पर विचार करूंगी और आपके सामने 12 दिसंबर को आऊंगी।’
40 वर्षीय पंकजा मुंडे ने लिखा कि उन्होंने चुनाव में मिली हार स्वीकार कर ली है और वह आगे बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी (भाजपा) की बैठकों में शामिल हुई थी।’ पंकजा के पोस्ट के बाद से उनकी नाराजगी को जगजाहिर माना जा रहा था। इसके बाद सवाल उठ रहा था कि क्या वह देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ अपना गुस्सा खुलकर जाहिर करेंगी? कई लोगों का मानना है कि पंकजा मुंडे करीब एक दर्जन से अधिक भाजपा विधायकों के साथ शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। बता दें कि, पंकजा 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में राकांपा के धनन्जय मुंडे के हाथों बीड जिले की परली सीट से 30,000 से अधिक वोटों से हार गई थीं। मुंडे ने फड़नवीस के नेतृत्व वाली सरकार में ग्रामीण और महिला, बाल विकास मंत्रालय संभाला था। -
नई दिल्ली
ईवीएम की जांच की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस याचिका को मंसूर अली खान ने दायर किया था. उनका कहना है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. याचिकाकर्ता ने मांग की कि चुनाव आयोग विशेषज्ञों की सहायता से और सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की देखरेख में ईवीएम से छेड़छाड़ करने की इजाजत दें. -
बेंगलुरू: कर्नाटक से सांसद अनंत हेगड़े अपने बयानों के लिए मशहूर हैं. इस बार उन्होंने महाराष्ट्र में हाल ही के दिनों में हुई राजनीति पर चौंकाने वाला बयान दे डाला है. उन्होंने दावा किया है कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने रात में जिस तरह एनसीपी नेता अजित पवार को मिलाकर सुबह राज्य में सरकार बनाई थी, उसके पीछे 40 हजार करोड़ रुपया था. उन्होंने कहा कि फडणवीस ने राज्य के खजाने से चालीस हजार करोड़ रुपया का निकाल कर केंद्र को दे दिया. उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने 80 घंटे सीएम रहे थे और इतने ही घंटे में उन्होंने यह काम किया. हेगड़े ने कहा कि आरोप लगाते हुए कहा, आपको पता है कि हमारे आदमी 80 घंटे के लिए महाराष्ट्र में सीएम बना था. इसके बाद फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने यह ड्रामा क्यों किया था? क्या हमें पता नहीं था कि हमारे पास बहुमत नहीं है फिर भी वह मुख्यमंत्री बने. यह सवाल हर कोई पूछता है. मुख्यमंत्री के पास करीब 40 हजार करोड़ रुपये थे. अगर Congress-NCP और शिवसेना सत्ता में आ जाते तो वे इन पैसों का गलत इस्तेमाल करते. यह सब केंद्र का पैसा था और इसका इस्तेमाल राज्य के विकास में नहीं होता. यह सब कुछ बहुत पहले तय कर लिया गया था. इसलिए यह ड्रामा रचा गया. फडणवीस ने शपथ लेते ही 15 घंटे के अंदर सारा पैसा केंद्र को भेज दिया'. -
नयी दिल्ली (एजेंसी) : उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई की ओर से दायर याचिका में हस्तक्षेप से आज इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने, हालांकि याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष जाने की अनुमति दे दी।
न्यायालय ने गत शुक्रवार को सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और आदेश के लिए आज की तारीख मुकर्रर की थी। पिछली सुनवाई के दौरान प्रदेश भाजपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता पंचायत चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक रहे हैं। कार्यकर्ताओं को धमकियां दी जा रही हैं।उन्होंने दलील दी थी कि ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता भाजपा कार्यकर्ताओं को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोकने के लिए सुनियोजित हिंसा का माहौल बना रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इन दलीलों का पुरजोर विरोध किया था। पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिले का आज अंतिम दिन है। याचिकाकर्ता ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती और ऑनलाइन नामांकन की सुविधा उपलब्ध कराने के दिशानिर्देश देने की मांग भी की थी।