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बेमेतरा : कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, बेेमेतरा में नई फसल मखाना की खेती शुरू

बेमेतरा : कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया बेमेतरा में प्रथम बार मखाना की खेती का प्रदर्शन लगाया गया है। जिले में इस तरह का प्रायोगिक प्रदर्शन प्रथम बार किया जा रहा है। डुबान एवं दलदल क्षेत्र के लिए यह बहुत उपयोगी फसल है यह फसल आजकल एक सुपर फुड के रूप में प्रचलित है। अपने पौष्टिक गुणों के कारण इसकी अत्यधिक मांग एवं उपयोगिता है। .

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इसके साथ-साथ मखाने का बाजार मुल्य भी अधिक होने के कारण इसकी खेती से बेकार जमीन से अधिक पैसा कमाया जा सकता है। मखाना का पौधा पानी के स्तर के साथ ही बढ़ता है। इसके पत्ते पानी के ऊपर फैले रहते हैं और पानी के घटने की प्रक्रिया शुरू होते ही पानी में लबालब भरे खेत की जमीन पर पसर जाते हंै। तालाब के आलावा साल भर जलजमाव वाली जमीन भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। किसान मखाना उपजाने के लिए अपने सामान्य खेत का भी इस्तेमाल कर सकते हैं परंतु खेती की अवधि के दौरान उक्त खेत में 6 से 9 इंच तक पानी जमा रहना चाहिए।

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               किसानों के लिए मखाना की खेती वरदान साबित होगी चूँकि इसकी खेती का उत्पादन प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल होती है। इसमें प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रूपये की लागत आती है जबकि 60 से 80 हजार रूपये की आय होती हैै। कम से कम 4 फीट पानी की आवश्यकता के साथ 15 से 40 किलोग्राम खाद प्रति एकड़ की जरूरत होती है। मार्च से अगस्त तक का समय मखाना की खेती के लिए उपयुक्त होता है। कृषि महाविद्यालय ढोलिया में इस फसल का सफलतम प्रदर्शन लगाया गया है। यह फसल कृषि विज्ञान केन्द्र, धमतरी के प्रमुख वैज्ञानिक श्री एस.एस. चंद्रवंशी के द्वारा प्रदाय किया गया है और उनके देख-रेख में किया जा रहा है। अगर यह फसल बेमेतरा जिले में सफल होती है तो यह दलदल एवं अनुपयोगी जमीन के लिए वरदान साबित होगी । जलीय फसलें जैसे सिंघाड़ा, कमलककड़ी आदि का भी प्रदर्शन महाविद्यालय में लगाया गया है। इच्छुक किसान खेती से संबंधित जानकारी के लिए कृषि महाविद्यालय में संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं।

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