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महासमुंद : ज़िले के हर आँगनबाड़ी केंद्रों में वज़न त्यौहार शुरू

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 


0 से 5 वर्ष के बच्चों का लिया जा रहा वजन

डेढ़ वर्ष में लगभग 3 प्रतिशत बच्चों के कुपोषण में कमी आयी

   महासमुंद : बुधवार 7 जुलाई से महासमुंद जिले में बच्चों में कुपोषण स्तर की जाँच के लिए  वजन-त्यौहार की शुरुआत हो गई। जिसमें ज़िले हर आंगनबाड़ी केन्द्रों में 0 से 5 वर्ष के बच्चों का वजन किया जा रहा है। इससे उनके कुपोषण का पता चलेगा। यह वज़न तिहार 10 दिन यानि 16 जुलाई तक चलेगा।
 
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  ज़िला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री मनोज सिन्हा ने बताया कि लगभग 23 प्रतिशत बच्चों में कुपोषण है। पिछले लगभग डेढ़ साल पहले 26.86 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे।
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डेढ़ वर्ष में लगभग 3 प्रतिशत बच्चों के कुपोषण में कमी आयी है। कोरोना काल के चलते पिछले वर्ष वजन तिहार नहीं मनाया गया। अधिकारियों ने बताया कि फ़रवरी 2019 के बाद  इस साल फिर से ये वजन त्यौहार मनाया जा रहा है। ताकि कुपोषण की वास्तविक स्थिति सामने आ सके और इससे बचने के उपाय कर सके। 2012 से वजन त्यौहार मनाने का कार्यक्रम शुरू हुआ था। 

महिला बाल विकास अधिकारी के मुताबिक़ लगभग 20 हजार बच्चें कुपोषण की श्रेणी में है। उन्होंने बताया कि कलेक्टर श्री डोमन सिंह के निर्देश पर ज़िला स्वास्थ्य के सहयोग से 11 से 18 उम्र की किशोरी बालिकाओं के हीमोग्लोबिन की भी जाँच की जाएगी। बच्चों में कुपोषण दूर करने उन्हें पौष्टिक आहार, रेडी टू ईट में सोया ग्रान्यूल्स प्रोटीन, एनर्जी, विटामिन, आयरन सहित कई पोषक तत्वों उपलब्ध कराया जा रहा है। कुपोषण दूर करने जिले को इस्निप परियोजना में भी शामिल किया गया है।

     विशेष पिछड़ी जनजाति में शुमार कमार आदिवासी परिवारों के 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बालक और 1 वर्ष से 49 वर्ष तक के बालिकाओं और महिलाओं को सप्ताह में तीन दिन उनके घर निःशुल्क उबला अण्डा का उपलब्ध कराया जा रहा है।

कोरोना संक्रमण के कारण कुछ दिनों के लिए इसे रोका गया था। कोरोना की रफ़्तार में आयी कमी को देखते हुए कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने पुनः वितरण करने कहा और 16 जून से पुनः निःशुल्क अण्डा वितरण शुरू  हो गया है। यह एक तरह का प्रोटीन का खजाना माना जाता है।

साथ ही इसमें 8 अमीनो एसिड भी होता है। यह बात कोई भी अंडा खाने वाला व्यक्ति जरुर जानता होगा कि अंडा खाने से शरीर को कितना ज्यादा प्रोटीन मिलता है और पेट भरने में कितना काम आता है। कलेक्टर श्री सिंह ने बच्चों के अभिभावकों को जागरुक करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि जागरूकता से कुपोषण में कमी आएगी।

   राज्य सरकार ने कुपोषण दूर करने बजट में प्रावधान किया है। इससे पोषण आहार में फंड बढ़ाने व गुणवत्ता लाने के साथ नए तरीकों से भी काम हो रहा है। जिले के अति कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने सोया ग्रान्यूल्स (सोया पौष्टिक) दी जा रही है। आंगनबाड़ी के बच्चों को ताजा सब्जी से पौष्टिक देने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका बनाई जा रही है। रेडी-टू-ईट व अन्य पोषण आहार की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग अफसरों के अलावा समिति के सदस्य भी करते हैं।

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