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 महासमुंद : अच्छी मानसून बारिश से खेती किसानी ने पकड़ा ज़ोर, फेरो पावर खाद कृषकों को बिना माँग करें वितरण करने पर कार्रवाई होगी : उप संचालक कृषि

  द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 


 महासमुंद : ज़िले में समय पर अच्छी मानसून बारिश होने से खेती किसानी के कामकाज ने ज़ोर पकड़ लिया है। किसानों के चेहरे पर ख़ुशी देखी जा रही है। ख़रीफ़ वर्ष 2021-22 के किसानों को अल्पक़ालीन ऋण उपलब्ध कराया गया है। किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार अपने स्तर पर कई योजनाएं चला रही है जिसका किसानों को फायदा भी हो रहा है।

कृषि की तरफ सरकार का ज्यादा फोकस होने से खेती-किसानी व पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है। इसके सकात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। किसान सहकारी समितियों से अपनी खेती बाड़ी की सुविधा और ज़रूरत के मुताबिक़ खाद बीज का उठाव कर रहे है । कुछ किसान  फेरो पावर खाद भी ले रहे है । 

  उपसंचालक कृषि श्री एस.आर.डोगरे ने जानकारी देते हुए बताया कि फेरो पावर खाद सूक्ष्म तत्व है, जिसमें 19 प्रतिशत फेरस सल्फेट होता है तथा फेट्रोजन पौधे के वृद्धि हेतु ग्रोथ रेगुलेटर का काम करता है। फसल के उत्पादन में फॉस्फेट तत्व का प्रमुख योगदान होता है!

रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग करने से खेती की लागत भी बढ़ती जा रही है, जमीन सख्त हो रही है, भूमि में पानी सोखने की क्षमता घटती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ भूमि तथा उपभोक्ताओं के स्वास्थ पर प्रतिकूल असर भी पड़ रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए नया उत्पाद विकसित किया गया है, जिसमें कार्बनिक खाद के साथ-साथ रॉक फॉस्फेट की मौजूदगी भी होती है। जिसे हम प्रोम के नाम से जानते हैं। 

   फेरो पावर खाद राज्य शासन के विभाग संचालनालय कृषि छ.ग. रायपुर द्वारा स्रोत प्रमाण पत्र अनुमोदित है। लाइसेंस में स्रोत प्रमाण जोड़ने की प्रक्रियाशील है । कुछ सहकारी समितियों द्वारा कृषकों के मांग पर इसका वितरण किया गया। उन्होंने कहा कि कुछ खबर आयी कि कुछ समितियों में किसानों की बिना माँग के यह उपलब्ध कराया जा रहा है जबकि ज़िले की कुछ समितियों ने किसानों की माँग पर उन्हें उपलब्ध कराया है ।

   उन्होंने कहा कि जब तक लयसेंस में स्रोत प्रमाण नही जुड़ जाता तब तक सहकारी समितियों को निर्देशित किया गया है कि वह किसी भी कृषकों को बिना माँग करे उक्त खाद का वितरण नही किया जाये। जिसके लिए नोडल अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित महासमुंद को पत्र लिखा गया है।

साथ ही विभाग के समस्त उर्वरक निरीक्षकों एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को निरीक्षण कर इस प्रकार के वितरण पर अंकुश लगाने हेतु निर्देशित किया गया है तथा उर्वरक गुण नियंत्रण आदेश 1985 के प्रावधानानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करने निर्देशित किया गया है।
 

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